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बहन की,...
उनकी आँखे अपनी प्यारी ममेरी बहन की खुली खुली चिकनी जाँघों पर अटकी थीं , और उस छोटी सी पैंटी पे जो मुश्किल से उनकी बहन की कुंवारी अनचुदी चुनमुनिया को छिपा पा रही थी। गुड्डी की पतली सी पैंटी पर गीला पैच और बड़ा हो गया था।
मस्त हो रही थी स्साली।
" हे तू बोल रहा था न तुझे अपनी बहन की चूत देखनी है , बोल न दिखाऊं "
……..
मुड़कर मैंने उनसे कहा
और कस के गुड्डी के सर को अपनी जाँघों के बीच दबा लिया। अब उसके कान मेरी जांघो के बीच दबे थे और वो कुछ सुन नहीं सकती थी।
और इस सरकने से गुड्डी की जीभ एक बार फिर मेरे पिछवाड़े से अगवाड़े शिफ्ट हो गयी थी। वो सारी दुनिया से बेखबर मेरी बुर का रस चाटने में मगन थी।
मेरे वो गुड्डी की खुली जाँघों के पास बैठ गए।
बोल देखना है , मैंने उन्हें फिर उकसाया।
उनकेमुंह से तो उस छोटीसी गीली होती पैंटी कोदेख के लार टपक रही थी।
उनके मन का बैरोमीटर उनका खूंटा एकदम तन्नाया बौराया खड़ा था जैसे मौक़ा पाए तो चोददे अपनी बहिनिया को अभी।
उनका मुंह एकदम खुला और अभी अभी उनकी बहन की गीली गीली चूत से निकली रस से भीगी ऊँगली ,पहले तो थोड़ी देर उनके नाक के पास ,उस कोरी कसी इंटरवाली की चूत की खुशबू ही उन्हें पागल करने के लिए काफी थी।
और फिर शहद से भीगी वो ऊँगली उनके प्यासे होंठों के बीच,
जिस बेताबी से वो चाट रहे थे ,...
मैंने उन्हें चिढ़ाया ,
" मीठा है न शहद ,देखोगे अपनी बहिनिया के शहद के छत्ते को ,"
जोर जोर से उन्होंने हामी में सर हिलाया।
और मैंने हलके से उनकी उस इंटरवाली बहन की कसी कसी छोटी सी पैंटी बस ज़रा सी सरकायी। किनारे से वो संतरे की फांके हलकी सी दिखीं ,
खूब फूली फूली ,मांसल ,रसीली ,
इतने में ही उनकी हालत खराब , ...
उन्होंने हाथ बढ़ाया तो मैंने हाथ झटक दिया ,
" साले बहनचोद ,देखने की बात हुयी थी , छूने की नहीं। चल करवाती हूँ तेरी बहन की चूत की मुंह दिखाई , बोल क्या देगा मुंह दिखाई ,"
मैंने शर्त लगाई।
हाँ , उनके मुंह से चूत की फांक देख कर ही लार टपक रही थी।
“"बोल, चोदेगा न अपनी माँ का भोंसड़ा ,बोल खुल के " मैंने उनके कान में फुसफुसाते हुए उनसे उगलवाया।
" हाँ चोदुँगा ,हाँ बस प्लीज , ... " उन्होंने कबूला ,
लालच के मारे उनकी बुरी हालत थी।
उनकी आँखे अपनी प्यारी ममेरी बहन की खुली खुली चिकनी जाँघों पर अटकी थीं , और उस छोटी सी पैंटी पे जो मुश्किल से उनकी बहन की कुंवारी अनचुदी चुनमुनिया को छिपा पा रही थी। गुड्डी की पतली सी पैंटी पर गीला पैच और बड़ा हो गया था।
मस्त हो रही थी स्साली।
" हे तू बोल रहा था न तुझे अपनी बहन की चूत देखनी है , बोल न दिखाऊं "
……..
मुड़कर मैंने उनसे कहा
और कस के गुड्डी के सर को अपनी जाँघों के बीच दबा लिया। अब उसके कान मेरी जांघो के बीच दबे थे और वो कुछ सुन नहीं सकती थी।
और इस सरकने से गुड्डी की जीभ एक बार फिर मेरे पिछवाड़े से अगवाड़े शिफ्ट हो गयी थी। वो सारी दुनिया से बेखबर मेरी बुर का रस चाटने में मगन थी।
मेरे वो गुड्डी की खुली जाँघों के पास बैठ गए।
बोल देखना है , मैंने उन्हें फिर उकसाया।
उनकेमुंह से तो उस छोटीसी गीली होती पैंटी कोदेख के लार टपक रही थी।
उनके मन का बैरोमीटर उनका खूंटा एकदम तन्नाया बौराया खड़ा था जैसे मौक़ा पाए तो चोददे अपनी बहिनिया को अभी।
उनका मुंह एकदम खुला और अभी अभी उनकी बहन की गीली गीली चूत से निकली रस से भीगी ऊँगली ,पहले तो थोड़ी देर उनके नाक के पास ,उस कोरी कसी इंटरवाली की चूत की खुशबू ही उन्हें पागल करने के लिए काफी थी।
और फिर शहद से भीगी वो ऊँगली उनके प्यासे होंठों के बीच,
जिस बेताबी से वो चाट रहे थे ,...
मैंने उन्हें चिढ़ाया ,
" मीठा है न शहद ,देखोगे अपनी बहिनिया के शहद के छत्ते को ,"
जोर जोर से उन्होंने हामी में सर हिलाया।
और मैंने हलके से उनकी उस इंटरवाली बहन की कसी कसी छोटी सी पैंटी बस ज़रा सी सरकायी। किनारे से वो संतरे की फांके हलकी सी दिखीं ,
खूब फूली फूली ,मांसल ,रसीली ,
इतने में ही उनकी हालत खराब , ...
उन्होंने हाथ बढ़ाया तो मैंने हाथ झटक दिया ,
" साले बहनचोद ,देखने की बात हुयी थी , छूने की नहीं। चल करवाती हूँ तेरी बहन की चूत की मुंह दिखाई , बोल क्या देगा मुंह दिखाई ,"
मैंने शर्त लगाई।
हाँ , उनके मुंह से चूत की फांक देख कर ही लार टपक रही थी।
“"बोल, चोदेगा न अपनी माँ का भोंसड़ा ,बोल खुल के " मैंने उनके कान में फुसफुसाते हुए उनसे उगलवाया।
" हाँ चोदुँगा ,हाँ बस प्लीज , ... " उन्होंने कबूला ,
लालच के मारे उनकी बुरी हालत थी।