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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Incestlala

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रस भंग - मेरी जेठानी


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तबतक जेठानी जी की आवाज आयी ,मुझे बुलाती।

एक बार ,दो बार ,तीन बार ,..

………………………………………………………………………….



मुझे लगा की कहीं वो ऊपर ही न आ जाएँ सारा माहौल ,

"हे तुम सब जाओ ,ज़रा अपने भैय्या को कस के लूटना मैं ज़रा नीचे जा रही हूँ। "

"एकदम भाभी ,और भैय्या भी कौन सा हम सब को लूटते समय कोई कसर छोड़ेंगे ,लेकिन ज्यादा टाइम नहीं लगेगा ,बस पास में ही एक पिज्जा शाप है। डेढ़ दो घंटे में आप के सैंया आप के पास. "

दिया ने पूरा प्लान बता दिया।
और मैं पकौड़े की खाली प्लेटें ,खाली ग्लास ट्रे में ले के नीचे।





और नीचे जेठानी जी पूरी आग।

सुबह सुबह जो वो चंद्रमुखी लग रही थीं ,इस समय ज्वालामुखी।

चेहरा तनतनाया , भृकुटी तनी, उग्र भंगिमा गुस्से के मारे बोल नहीं फूट रहे थे।

पहले ज़माने में जो लोग शाप वाप देते थे ऐसे ही लगते होंगे।

jethani-blouse-sony-charishta-in-black-saree-stills-28-4085.jpg



मेरे हाथ में ट्रे ,पकौड़ियों की प्लेटें ,ग्लास।



बोली वो हीं,

' घडी देखा है ?'


अब ये कौन सा सवाल हुआ ,हम दोनों जहां बरामदे में खड़े थे ,वहीँ एक दीवाल पर घडी जी टिक टिक कर रही थीं।

मेरी पतली कलाई में ,मम्मी जो अमेरिका से लायी थीं ,टिफैनी की डायमंड स्टडेड गोल्ड वाच शुशोभित हो रही थी।



मैंने जवाब नहीं दिया। समय मैंने देख लिया था।


ढाई बज रहे थे।

और जिस दिन से शादी के बाद से मैं इस घर में आयी थी ,सूरज पूरब से पश्चिम हो जाए ,जेठानी जी खाना डेढ़ बजे के पहले। और खाना बनाना लगाना उन्हें बुलाना ,सब काम और किसका ,छोटी बहु का।

इस बार एक अच्छे मैनेजर की तरह वो काम मैंने इन्हे डेलीगेट कर दिया था।

पर आज। और मुझे भूख इस लिए नहीं लगी की, टाइम का अंदाज भी नहीं की... उन चुलबुलियों के साथ मैंने ढेर सारी पकौड़ी उदरस्थ कर ली थी।



उनकी निगाह उसी ट्रे पर पड़ी जो कुछ देर पहले पकोड़ियों और कोक से लदी फंदी ऊपर गयी थी और अब एकदम खाली ,नीचे।

और मैं हिचकिचाते हुए जैसे कोई लड़का फिर फेल हो गया हो ,उस तरह ,बहुत धीमे से बोली ,



:वो गुड्डी की सहेलियां , मुझसे मिलने आयी थीं ,बोलीं भाभी बहुत भूख लगी है आप के हाथ की पकौड़ी खाने का मन ,..."


Teej-JKG-9c1a5c8fdf01f9dbb608929802ef348c.jpg



और अब वो ज्वालामुखी फूट पड़ा।

" तुम भी न ,... तुम भी ,.... सींग कटा के बछेड़ियों में शामिल होने का शौक चर्राया है। अरे कु,छ दिन में तुम्हारी शादी के दो साल हो जायँगे ,घर गृहसथी की जिम्मेदारी, पुराना ज़माना होता तो नौ महीने में केहाँ केहां , और इन कल की घोड़ियों के साथ खी खी में मगन ,


किसी तरह मैंने अपने मन से कहा शांत गदाधारी भीम शांत , चार साल से ऊपर हो गए थे इन्हे इस घर में आये और केहाँ केहां कौन कहे ,ढंग की उलटी भी नहीं



जेठानी जी फिर बोलीं ,अबकी गुस्से के साथ बड़े होने का अहम् और ज्ञान देने का भाव भी ,


तुझसे कित्ती बार समझाया है ,आग और फूस का साथ ठीक नहीं। एक तो तेरी वो ननद ही इनके पीछे लगी है ,ऊपर से उसकी सहेलियां भी। और अब वो बच्चियां नहीं रहीं। सासु जी घर पर नहीं है तो हमारी तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है , तुझे इतना समझाया गुड्डी को साथ मत ले जाओ , कहीं कुछ ऊंच नीच हो जाए तो , ... नहीं लेकिन मेरी कौन सुनता है इस घर में। और ऊपर से तुमने अपने मर्द को कौन सी सोंठ पिला दी है , ... एकदम जोरू का ,... और फिर गुड्डी ,... फिर मरद जात को क्या दोष देना ,औरत को अपना खुद ,....


jethani-vamp-T330-114162-Untitled-14.gif



दीदी मैं खाना लगाती हूँ , बहुत देर हो गयी आपको , मुझे मालूम है टाइम ऊपर नीचे होने से आपको एसिडटी ,...

उनकी बात को काटते हुए पुराने जमाने की जेमिनी की सामाजिक फिल्मों में जिस तरह से आज्ञाकारी सुशील संस्कारी बहु होती थीं एकदम उस तरह,नीची आँख किये सर झुकाये मैं बोली।

Teej-ca5394d0cb5fb5cccc0bcfae6853342a.jpg
Superb update
 

Black horse

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वैसे जेठानी भी अपनी जगह सही है, उपर माल खा पी लिया बिना उनको शामिल किये, और वो भूकी प्यासी नीचे खुशबू से ही काम चला रही थी।
उनकी भूक प्यास का भी तो ख्याल रखना चाहिए आगे से डाँट खाने वाले काम ना करना


रस भंग - मेरी जेठानी


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तबतक जेठानी जी की आवाज आयी ,मुझे बुलाती।

एक बार ,दो बार ,तीन बार ,..

………………………………………………………………………….



मुझे लगा की कहीं वो ऊपर ही न आ जाएँ सारा माहौल ,

"हे तुम सब जाओ ,ज़रा अपने भैय्या को कस के लूटना मैं ज़रा नीचे जा रही हूँ। "

"एकदम भाभी ,और भैय्या भी कौन सा हम सब को लूटते समय कोई कसर छोड़ेंगे ,लेकिन ज्यादा टाइम नहीं लगेगा ,बस पास में ही एक पिज्जा शाप है। डेढ़ दो घंटे में आप के सैंया आप के पास. "

दिया ने पूरा प्लान बता दिया।
और मैं पकौड़े की खाली प्लेटें ,खाली ग्लास ट्रे में ले के नीचे।





और नीचे जेठानी जी पूरी आग।

सुबह सुबह जो वो चंद्रमुखी लग रही थीं ,इस समय ज्वालामुखी।

चेहरा तनतनाया , भृकुटी तनी, उग्र भंगिमा गुस्से के मारे बोल नहीं फूट रहे थे।

पहले ज़माने में जो लोग शाप वाप देते थे ऐसे ही लगते होंगे।

jethani-blouse-sony-charishta-in-black-saree-stills-28-4085.jpg



मेरे हाथ में ट्रे ,पकौड़ियों की प्लेटें ,ग्लास।



बोली वो हीं,

' घडी देखा है ?'


अब ये कौन सा सवाल हुआ ,हम दोनों जहां बरामदे में खड़े थे ,वहीँ एक दीवाल पर घडी जी टिक टिक कर रही थीं।

मेरी पतली कलाई में ,मम्मी जो अमेरिका से लायी थीं ,टिफैनी की डायमंड स्टडेड गोल्ड वाच शुशोभित हो रही थी।



मैंने जवाब नहीं दिया। समय मैंने देख लिया था।


ढाई बज रहे थे।

और जिस दिन से शादी के बाद से मैं इस घर में आयी थी ,सूरज पूरब से पश्चिम हो जाए ,जेठानी जी खाना डेढ़ बजे के पहले। और खाना बनाना लगाना उन्हें बुलाना ,सब काम और किसका ,छोटी बहु का।

इस बार एक अच्छे मैनेजर की तरह वो काम मैंने इन्हे डेलीगेट कर दिया था।

पर आज। और मुझे भूख इस लिए नहीं लगी की, टाइम का अंदाज भी नहीं की... उन चुलबुलियों के साथ मैंने ढेर सारी पकौड़ी उदरस्थ कर ली थी।



उनकी निगाह उसी ट्रे पर पड़ी जो कुछ देर पहले पकोड़ियों और कोक से लदी फंदी ऊपर गयी थी और अब एकदम खाली ,नीचे।

और मैं हिचकिचाते हुए जैसे कोई लड़का फिर फेल हो गया हो ,उस तरह ,बहुत धीमे से बोली ,



:वो गुड्डी की सहेलियां , मुझसे मिलने आयी थीं ,बोलीं भाभी बहुत भूख लगी है आप के हाथ की पकौड़ी खाने का मन ,..."


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और अब वो ज्वालामुखी फूट पड़ा।

" तुम भी न ,... तुम भी ,.... सींग कटा के बछेड़ियों में शामिल होने का शौक चर्राया है। अरे कु,छ दिन में तुम्हारी शादी के दो साल हो जायँगे ,घर गृहसथी की जिम्मेदारी, पुराना ज़माना होता तो नौ महीने में केहाँ केहां , और इन कल की घोड़ियों के साथ खी खी में मगन ,


किसी तरह मैंने अपने मन से कहा शांत गदाधारी भीम शांत , चार साल से ऊपर हो गए थे इन्हे इस घर में आये और केहाँ केहां कौन कहे ,ढंग की उलटी भी नहीं



जेठानी जी फिर बोलीं ,अबकी गुस्से के साथ बड़े होने का अहम् और ज्ञान देने का भाव भी ,


तुझसे कित्ती बार समझाया है ,आग और फूस का साथ ठीक नहीं। एक तो तेरी वो ननद ही इनके पीछे लगी है ,ऊपर से उसकी सहेलियां भी। और अब वो बच्चियां नहीं रहीं। सासु जी घर पर नहीं है तो हमारी तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है , तुझे इतना समझाया गुड्डी को साथ मत ले जाओ , कहीं कुछ ऊंच नीच हो जाए तो , ... नहीं लेकिन मेरी कौन सुनता है इस घर में। और ऊपर से तुमने अपने मर्द को कौन सी सोंठ पिला दी है , ... एकदम जोरू का ,... और फिर गुड्डी ,... फिर मरद जात को क्या दोष देना ,औरत को अपना खुद ,....


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दीदी मैं खाना लगाती हूँ , बहुत देर हो गयी आपको , मुझे मालूम है टाइम ऊपर नीचे होने से आपको एसिडटी ,...

उनकी बात को काटते हुए पुराने जमाने की जेमिनी की सामाजिक फिल्मों में जिस तरह से आज्ञाकारी सुशील संस्कारी बहु होती थीं एकदम उस तरह,नीची आँख किये सर झुकाये मैं बोली।

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Superb update
Thanks so much
 

komaalrani

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वैसे जेठानी भी अपनी जगह सही है, उपर माल खा पी लिया बिना उनको शामिल किये, और वो भूकी प्यासी नीचे खुशबू से ही काम चला रही थी।
उनकी भूक प्यास का भी तो ख्याल रखना चाहिए आगे से डाँट खाने वाले काम ना करना
एकदम उनकी भूख अच्छी तरह से मिटाऊँगी, सही कहा आपने,... आखिर देवरानी का भी कुछ फ़र्ज बनता है
 

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग १०६

ज्वालामुखी



जेठानी जी फिर बोलीं ,अबकी गुस्से के साथ बड़े होने का अहम् और ज्ञान देने का भाव भी ,



तुझसे कित्ती बार समझाया है ,आग और फूस का साथ ठीक नहीं। एक तो तेरी वो ननद ही इनके पीछे लगी है ,ऊपर से उसकी सहेलियां भी। और अब वो बच्चियां नहीं रहीं। सासु जी घर पर नहीं है तो हमारी तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है , तुझे इतना समझाया गुड्डी को साथ मत ले जाओ , कहीं कुछ ऊंच नीच हो जाए तो , ... नहीं लेकिन मेरी कौन सुनता है इस घर में। और ऊपर से तुमने अपने मर्द को कौन सी सोंठ पिला दी है , ... एकदम जोरू का ,... और फिर गुड्डी ,... फिर मरद जात को क्या दोष देना ,औरत को अपना खुद ,....



दीदी मैं खाना लगाती हूँ , बहुत देर हो गयी आपको , मुझे मालूम है टाइम ऊपर नीचे होने से आपको एसिडटी ,...



उनकी बात को काटते हुए पुराने जमाने की जेमिनी की सामाजिक फिल्मों में जिस तरह से आज्ञाकारी सुशील संस्कारी बहु होती थीं एकदम उस तरह,नीची आँख किये सर झुकाये मैं बोली।



लेकिन मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की सीढ़ियों से धड़धड़ ,वो ,गुड्डी और गुड्डी की सहेलियां , जैसे परियों का अखाडा चले ,जैसे बाग़ में अचानक बेमौसम बहार आ जाये और हर कली ,फूल बनने के लिए बेताब हो उठे



माली एक कलियाँ तीन,



एक ओर वो मस्त पंजाबी कुड़ी ,जिसका जोबन फटा पड़ रहा था ,दिया

और इनके दूसरे ओर ,वो नमक की खान ,नमकीन , छन्दा।


गुड्डी साथ में ,बस थोड़ा सा पीछे ,जैसे कह रही हो , कमिनियों माल तो मेरा है ,चल थोड़ी देर तू दोनों भी मौज मस्ती कर ले।


दिया और छन्दा के बीच में ये , एक हाथ छन्दा के टेनिस बॉल्स साइज बूब्स पे और दूसरा दिया की टॉप के अंदर।

और जिस तरह उनकी जींस की ज़िप आधी खुली थी ये साफ था इस कमीनियों ने खूंटे को बाहर निकाल के भी अच्छी तरह नाप जोख की है।

" हम लोग जरा भैय्या को लूटने जा रहे हैं। " जोबन लुटाती उनकी 'बहने ' गुड्डी की सहेलियां बोलीं।



" बस पास में ही एक नया पिज़्ज़ेरिया खुला है , ... " उन्होंने साफ किया। और फिर बिना इस बात का अहसास किये की मौसम अचानक बदल गया है ,

वो मुझसे पूछ बैठे ,चलेगी क्या ?

जेठानी जी तो , जैसे कोई एकदम गरम तवे पर पानी की दो चार बूंदे डाल दे और जोर से तवा छनक उठे।

लेकिन जिस तरह जेठानी जी ने उनकी ओर देखा ,


ज्वालामुखी बनी जेठानी जी की अब ज्वाला धधक उठी।


और वो समझ गए ,मामला सीरियस ही नहीं महा सीरियस है।

बिचारी गुड्डी , वो आग में घी की तरह ,... जल गयी।

उसके मुंह से निकल गया ,


" चलिए कोई बात नहीं ,आप लोगों के लिए पैक करवा के भिजवा दूंगीं। "


अब तो जेठानी जी ,

" नहीं नहीं न कोई जाएगा , और न कुछ पैक कर के आएगा। "



उन्होंने हमेशा की तरह बीच का रास्ता निकाला ,



" बस भाभी , हम लोग अभी गए अभी आये। पास में ही है एकदम। "


गनीमत था की छन्दा और दिया बाहर निकल गयी थी।

और झटपट ये गुड्डी का हाथ पकड़ के बाहर निकल गए।




जो काली घटा इत्ती देर से उमड़ घुमड़ रही थी वो जम के बरसी ,

और किस के ऊपर मेरे ऊपर


शादी के बाद के शुरू के दिनों में ये आम बात थी , लेकिन तब भी इतनी तेजी कभी नहीं देखी मैंने


और तब सहायक भूमिका में उनके गुड्डी ही रहती थी ,इसलिए सारे डायलॉग उन्हें नहीं बोलने पड़ते थे।

नेपथ्य में कभी कभी मेरी सासु जी भी ,



और आज वो अकेले , डाकिनी ,पिशाचिनी , सब की शक्तियां उनके अंदर

बात उन्होंने अपने मोहरे से शुरू की जो अब होस्टाइल हो चुकी थी।



" ये गुड्डी भी न ,अकेले कम थी क्या जो अपनी सहेलियों को भी बुला लायी , डोरे डालने के लिए " किसी तरह उनके मुंह से निकला।





कोई दूसरा समय होता मैं बोल उठती ,

"अरे दीदी वो चीज ऐसी है की जितना भी इस्तेमाल करो ख़तम नहीं होने वाली। मुझे मिल बाँट के खाने में कोई ऐतराज नहीं ,खास तौर से उनके मायकेवालियों से। "


पर अभी तो जितने आग उगलने वाले ड्रैगन मैंने मिडल अर्थ की कहानियों में पढ़े थे ,सबकी शक्ति उनके अंदर समाहित हो गयी।

इसलिए बस मैं चुप ही रही।



" और सब तेरी गलती है , तुझे कितनी बार समझाया ,आग और फूस का साथ ,... ये नयी नयी लड़कियां , ... और मर्द कोई दोस नहीं देगा। लेकिन तुझे समझ में आये तो न , दो चार अक्षर ज्यादा पढ़ लेने से ज्ञान नहीं आ जाता , बस सब को इसी बात का घमंड , अरे तुझसे बड़ी हूँ ,चार साल पहले तुझसे इस घर में आयी."

( यह बात उन की सही थी ,लेकिन उम्र में मुझसे सिर्फ दो साल ही बड़ी थी , और अगर ये बता दूँ की उनकी शादी किस उम्र में हुयी तो ये सारे मॉडरेटर लोग मिल के मुझे मेरे कोमल कोमल कान पकड़ के फोरम से बाहर निकाल देंगे। )

भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,...

नौ महीना बाद ,...

अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "

उनका बड़बड़ाना जारी था।



" बस मैं अभी खाना लगाती हूँ दीदी ,सच में बहुत देर हो गयी। "

किसी तरह अपने आंसू छिपाती रोकती मैं किचेन में धंस गयी।
 

NEHAVERMA

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जोरू का गुलाम भाग १०६

ज्वालामुखी



जेठानी जी फिर बोलीं ,अबकी गुस्से के साथ बड़े होने का अहम् और ज्ञान देने का भाव भी ,



तुझसे कित्ती बार समझाया है ,आग और फूस का साथ ठीक नहीं। एक तो तेरी वो ननद ही इनके पीछे लगी है ,ऊपर से उसकी सहेलियां भी। और अब वो बच्चियां नहीं रहीं। सासु जी घर पर नहीं है तो हमारी तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है , तुझे इतना समझाया गुड्डी को साथ मत ले जाओ , कहीं कुछ ऊंच नीच हो जाए तो , ... नहीं लेकिन मेरी कौन सुनता है इस घर में। और ऊपर से तुमने अपने मर्द को कौन सी सोंठ पिला दी है , ... एकदम जोरू का ,... और फिर गुड्डी ,... फिर मरद जात को क्या दोष देना ,औरत को अपना खुद ,....



दीदी मैं खाना लगाती हूँ , बहुत देर हो गयी आपको , मुझे मालूम है टाइम ऊपर नीचे होने से आपको एसिडटी ,...



उनकी बात को काटते हुए पुराने जमाने की जेमिनी की सामाजिक फिल्मों में जिस तरह से आज्ञाकारी सुशील संस्कारी बहु होती थीं एकदम उस तरह,नीची आँख किये सर झुकाये मैं बोली।



लेकिन मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की सीढ़ियों से धड़धड़ ,वो ,गुड्डी और गुड्डी की सहेलियां , जैसे परियों का अखाडा चले ,जैसे बाग़ में अचानक बेमौसम बहार आ जाये और हर कली ,फूल बनने के लिए बेताब हो उठे



माली एक कलियाँ तीन,



एक ओर वो मस्त पंजाबी कुड़ी ,जिसका जोबन फटा पड़ रहा था ,दिया

और इनके दूसरे ओर ,वो नमक की खान ,नमकीन , छन्दा।


गुड्डी साथ में ,बस थोड़ा सा पीछे ,जैसे कह रही हो , कमिनियों माल तो मेरा है ,चल थोड़ी देर तू दोनों भी मौज मस्ती कर ले।


दिया और छन्दा के बीच में ये , एक हाथ छन्दा के टेनिस बॉल्स साइज बूब्स पे और दूसरा दिया की टॉप के अंदर।

और जिस तरह उनकी जींस की ज़िप आधी खुली थी ये साफ था इस कमीनियों ने खूंटे को बाहर निकाल के भी अच्छी तरह नाप जोख की है।

" हम लोग जरा भैय्या को लूटने जा रहे हैं। " जोबन लुटाती उनकी 'बहने ' गुड्डी की सहेलियां बोलीं।



" बस पास में ही एक नया पिज़्ज़ेरिया खुला है , ... " उन्होंने साफ किया। और फिर बिना इस बात का अहसास किये की मौसम अचानक बदल गया है ,

वो मुझसे पूछ बैठे ,चलेगी क्या ?

जेठानी जी तो , जैसे कोई एकदम गरम तवे पर पानी की दो चार बूंदे डाल दे और जोर से तवा छनक उठे।

लेकिन जिस तरह जेठानी जी ने उनकी ओर देखा ,


ज्वालामुखी बनी जेठानी जी की अब ज्वाला धधक उठी।


और वो समझ गए ,मामला सीरियस ही नहीं महा सीरियस है।

बिचारी गुड्डी , वो आग में घी की तरह ,... जल गयी।

उसके मुंह से निकल गया ,


" चलिए कोई बात नहीं ,आप लोगों के लिए पैक करवा के भिजवा दूंगीं। "


अब तो जेठानी जी ,

" नहीं नहीं न कोई जाएगा , और न कुछ पैक कर के आएगा। "



उन्होंने हमेशा की तरह बीच का रास्ता निकाला ,



" बस भाभी , हम लोग अभी गए अभी आये। पास में ही है एकदम। "


गनीमत था की छन्दा और दिया बाहर निकल गयी थी।

और झटपट ये गुड्डी का हाथ पकड़ के बाहर निकल गए।




जो काली घटा इत्ती देर से उमड़ घुमड़ रही थी वो जम के बरसी ,

और किस के ऊपर मेरे ऊपर


शादी के बाद के शुरू के दिनों में ये आम बात थी , लेकिन तब भी इतनी तेजी कभी नहीं देखी मैंने


और तब सहायक भूमिका में उनके गुड्डी ही रहती थी ,इसलिए सारे डायलॉग उन्हें नहीं बोलने पड़ते थे।

नेपथ्य में कभी कभी मेरी सासु जी भी ,



और आज वो अकेले , डाकिनी ,पिशाचिनी , सब की शक्तियां उनके अंदर

बात उन्होंने अपने मोहरे से शुरू की जो अब होस्टाइल हो चुकी थी।



" ये गुड्डी भी न ,अकेले कम थी क्या जो अपनी सहेलियों को भी बुला लायी , डोरे डालने के लिए " किसी तरह उनके मुंह से निकला।





कोई दूसरा समय होता मैं बोल उठती ,

"अरे दीदी वो चीज ऐसी है की जितना भी इस्तेमाल करो ख़तम नहीं होने वाली। मुझे मिल बाँट के खाने में कोई ऐतराज नहीं ,खास तौर से उनके मायकेवालियों से। "


पर अभी तो जितने आग उगलने वाले ड्रैगन मैंने मिडल अर्थ की कहानियों में पढ़े थे ,सबकी शक्ति उनके अंदर समाहित हो गयी।

इसलिए बस मैं चुप ही रही।



" और सब तेरी गलती है , तुझे कितनी बार समझाया ,आग और फूस का साथ ,... ये नयी नयी लड़कियां , ... और मर्द कोई दोस नहीं देगा। लेकिन तुझे समझ में आये तो न , दो चार अक्षर ज्यादा पढ़ लेने से ज्ञान नहीं आ जाता , बस सब को इसी बात का घमंड , अरे तुझसे बड़ी हूँ ,चार साल पहले तुझसे इस घर में आयी."

( यह बात उन की सही थी ,लेकिन उम्र में मुझसे सिर्फ दो साल ही बड़ी थी , और अगर ये बता दूँ की उनकी शादी किस उम्र में हुयी तो ये सारे मॉडरेटर लोग मिल के मुझे मेरे कोमल कोमल कान पकड़ के फोरम से बाहर निकाल देंगे। )

भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,...

नौ महीना बाद ,...

अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "

उनका बड़बड़ाना जारी था।



" बस मैं अभी खाना लगाती हूँ दीदी ,सच में बहुत देर हो गयी। "

किसी तरह अपने आंसू छिपाती रोकती मैं किचेन में धंस गयी।
Aag to lag chuki h, phus aur aag bhi ek ho liye, bas sabki dhuan dukhna baki h.
 

komaalrani

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Aag to lag chuki h, phus aur aag bhi ek ho liye, bas sabki dhuan dukhna baki h.
ekdam lekin abhi jwalamukhi si jethani ji jo saamne khadi hain, .... pahle unse to paar paaun,
 
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Incestlala

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जोरू का गुलाम भाग १०६

ज्वालामुखी



जेठानी जी फिर बोलीं ,अबकी गुस्से के साथ बड़े होने का अहम् और ज्ञान देने का भाव भी ,



तुझसे कित्ती बार समझाया है ,आग और फूस का साथ ठीक नहीं। एक तो तेरी वो ननद ही इनके पीछे लगी है ,ऊपर से उसकी सहेलियां भी। और अब वो बच्चियां नहीं रहीं। सासु जी घर पर नहीं है तो हमारी तुम्हारी जिम्मेदारी बनती है , तुझे इतना समझाया गुड्डी को साथ मत ले जाओ , कहीं कुछ ऊंच नीच हो जाए तो , ... नहीं लेकिन मेरी कौन सुनता है इस घर में। और ऊपर से तुमने अपने मर्द को कौन सी सोंठ पिला दी है , ... एकदम जोरू का ,... और फिर गुड्डी ,... फिर मरद जात को क्या दोष देना ,औरत को अपना खुद ,....



दीदी मैं खाना लगाती हूँ , बहुत देर हो गयी आपको , मुझे मालूम है टाइम ऊपर नीचे होने से आपको एसिडटी ,...



उनकी बात को काटते हुए पुराने जमाने की जेमिनी की सामाजिक फिल्मों में जिस तरह से आज्ञाकारी सुशील संस्कारी बहु होती थीं एकदम उस तरह,नीची आँख किये सर झुकाये मैं बोली।



लेकिन मेरी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की सीढ़ियों से धड़धड़ ,वो ,गुड्डी और गुड्डी की सहेलियां , जैसे परियों का अखाडा चले ,जैसे बाग़ में अचानक बेमौसम बहार आ जाये और हर कली ,फूल बनने के लिए बेताब हो उठे



माली एक कलियाँ तीन,



एक ओर वो मस्त पंजाबी कुड़ी ,जिसका जोबन फटा पड़ रहा था ,दिया

और इनके दूसरे ओर ,वो नमक की खान ,नमकीन , छन्दा।


गुड्डी साथ में ,बस थोड़ा सा पीछे ,जैसे कह रही हो , कमिनियों माल तो मेरा है ,चल थोड़ी देर तू दोनों भी मौज मस्ती कर ले।


दिया और छन्दा के बीच में ये , एक हाथ छन्दा के टेनिस बॉल्स साइज बूब्स पे और दूसरा दिया की टॉप के अंदर।

और जिस तरह उनकी जींस की ज़िप आधी खुली थी ये साफ था इस कमीनियों ने खूंटे को बाहर निकाल के भी अच्छी तरह नाप जोख की है।

" हम लोग जरा भैय्या को लूटने जा रहे हैं। " जोबन लुटाती उनकी 'बहने ' गुड्डी की सहेलियां बोलीं।



" बस पास में ही एक नया पिज़्ज़ेरिया खुला है , ... " उन्होंने साफ किया। और फिर बिना इस बात का अहसास किये की मौसम अचानक बदल गया है ,

वो मुझसे पूछ बैठे ,चलेगी क्या ?

जेठानी जी तो , जैसे कोई एकदम गरम तवे पर पानी की दो चार बूंदे डाल दे और जोर से तवा छनक उठे।

लेकिन जिस तरह जेठानी जी ने उनकी ओर देखा ,


ज्वालामुखी बनी जेठानी जी की अब ज्वाला धधक उठी।


और वो समझ गए ,मामला सीरियस ही नहीं महा सीरियस है।

बिचारी गुड्डी , वो आग में घी की तरह ,... जल गयी।

उसके मुंह से निकल गया ,


" चलिए कोई बात नहीं ,आप लोगों के लिए पैक करवा के भिजवा दूंगीं। "


अब तो जेठानी जी ,

" नहीं नहीं न कोई जाएगा , और न कुछ पैक कर के आएगा। "



उन्होंने हमेशा की तरह बीच का रास्ता निकाला ,



" बस भाभी , हम लोग अभी गए अभी आये। पास में ही है एकदम। "


गनीमत था की छन्दा और दिया बाहर निकल गयी थी।

और झटपट ये गुड्डी का हाथ पकड़ के बाहर निकल गए।




जो काली घटा इत्ती देर से उमड़ घुमड़ रही थी वो जम के बरसी ,

और किस के ऊपर मेरे ऊपर


शादी के बाद के शुरू के दिनों में ये आम बात थी , लेकिन तब भी इतनी तेजी कभी नहीं देखी मैंने


और तब सहायक भूमिका में उनके गुड्डी ही रहती थी ,इसलिए सारे डायलॉग उन्हें नहीं बोलने पड़ते थे।

नेपथ्य में कभी कभी मेरी सासु जी भी ,



और आज वो अकेले , डाकिनी ,पिशाचिनी , सब की शक्तियां उनके अंदर

बात उन्होंने अपने मोहरे से शुरू की जो अब होस्टाइल हो चुकी थी।



" ये गुड्डी भी न ,अकेले कम थी क्या जो अपनी सहेलियों को भी बुला लायी , डोरे डालने के लिए " किसी तरह उनके मुंह से निकला।





कोई दूसरा समय होता मैं बोल उठती ,

"अरे दीदी वो चीज ऐसी है की जितना भी इस्तेमाल करो ख़तम नहीं होने वाली। मुझे मिल बाँट के खाने में कोई ऐतराज नहीं ,खास तौर से उनके मायकेवालियों से। "


पर अभी तो जितने आग उगलने वाले ड्रैगन मैंने मिडल अर्थ की कहानियों में पढ़े थे ,सबकी शक्ति उनके अंदर समाहित हो गयी।

इसलिए बस मैं चुप ही रही।



" और सब तेरी गलती है , तुझे कितनी बार समझाया ,आग और फूस का साथ ,... ये नयी नयी लड़कियां , ... और मर्द कोई दोस नहीं देगा। लेकिन तुझे समझ में आये तो न , दो चार अक्षर ज्यादा पढ़ लेने से ज्ञान नहीं आ जाता , बस सब को इसी बात का घमंड , अरे तुझसे बड़ी हूँ ,चार साल पहले तुझसे इस घर में आयी."

( यह बात उन की सही थी ,लेकिन उम्र में मुझसे सिर्फ दो साल ही बड़ी थी , और अगर ये बता दूँ की उनकी शादी किस उम्र में हुयी तो ये सारे मॉडरेटर लोग मिल के मुझे मेरे कोमल कोमल कान पकड़ के फोरम से बाहर निकाल देंगे। )

भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,...

नौ महीना बाद ,...

अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "

उनका बड़बड़ाना जारी था।



" बस मैं अभी खाना लगाती हूँ दीदी ,सच में बहुत देर हो गयी। "

किसी तरह अपने आंसू छिपाती रोकती मैं किचेन में धंस गयी।
Superb update
 

komaalrani

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Superb update
Thanks so much, this post reveals the true vengeful nature of my jethani, source of my woes and troubles
 

komaalrani

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