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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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वो दिन


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"भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,... नौ महीना बाद ,... अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "



उनका बड़बड़ाना जारी था।

Jethani-vamp-rs-1434713679.jpg


" बस मैं अभी खाना लगाती हूँ दीदी ,सच में बहुत देर हो गयी। "



किसी तरह अपने आंसू छिपाती रोकती मैं किचेन में धंस गयी।



शादी के बाद नयी नयी दुल्हन के लिए किचेन अपने कमरे के बाद दूसरी सबसे बड़ी छिपने की जगह होती है।



लेकिन जेठानी जी वहां भी पीछा नहीं छोड़ती थीं, मेरे पीछे पीछे किचेन में आके, एकदम मेरे पीछे खड़े होके , ऐसे ऐसे ताने, व्यंग बाण, बाहर तो मेरी सास के सामने एकदम मीठी बनी रहती थीं, और कोई पड़ोसन आ जाए तो और ज्यादा,एकदम मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक, लेकिन अकेले में,...

और कोई एक चीज़ हो तो बताऊँ, मेरी पढाई, रूप जोबन, और सबसे बढ़कर मेरा घर परिवार, मेरा मायका,


एक दिन बगल की एक पड़ोसन आयी थीं, ( बैठने की जगह मेरी तय थी, जेठानी जी ने पहले दिन ही मुझे बता दिया था , सास मेरी पलंग पर और जेठानी वहीँ पायताने या सामने कुर्सी पर, और मेरे लिए एक झीलंगहिया मचिया), पड़ोसन की बहू की कहीं नौकरी लग गयी थी, दूर के एक एक गाँव के स्कूल में, पड़ोसन उसी का गुणगान कर रही थीं, मेरी बहू बहुत पढ़ी लिखी है, बीएड भी कर लिया है, ... मेरी सास से नहीं रहा गया उन्होंने मुझे उकसाया, बोलीं पड़ोसन से,



" अरे मेरी बहू ने भी बहुत पढ़ाई की है,क्या कहते हैं वो मेडल वोडल भी मिले हैं उसको,... मैं तो भूल भी जाती हूँ, बता दे न बहू ,.. "



मैं समझ गयी सास ने प्वाइंट स्कोर करने के लिए मुझे आगे किया है और मैं क्यों उन्हें हारने देती,...

बस मैंने अपनी सारी डिग्रियां, डिप्लोमा सर्टिफिकेट तक गिना दिये और ये भी की दो उसमें से फॉरेन की युनिवरसिटी के है ( ये नहीं बताया की कोर्स ऑनलाइन वाले थे )

और मेरी सास भी कम नहीं थीं, उन्होंने पहले से एन्टिसिपेट कर लिया था की पड़ोसन का अगला सवाल क्या होगा इसलिए वो जवाब उन्होंने पहले ही दे दिया,

"मैं तो कहतीं हूँ इतनी पढ़ी लिखी हो कहीं नौकरी, तो ये खुद मना कर देती है , बोलती है नहीं माँ जी , बस आप के पास .... क्या करुँगी नौकरी कर के, फिर मेरे छोटे बेटे की नौकरी भी इतनी अच्छी है, बोलती है , वो तो है न नौकरी करने के लिए , मैं क्यों करूँ किसी की गुलामी, टाइम पर आना, टाइम पर जाना,




सास ने एक साथ कई प्वाइंट स्कोर कर लिए थे, मेरी पढाई, मेरा उन का ख्याल करना, सास के बेटे की अच्छी नौकरी,... और पड़ोसन का बेटा कहीं पास में पंसारी की दूकान पे काम करता था,...

लेकिन पड़ोसन भी इतनी जल्दी पारी की हार मानने के लिए तैयार नहीं थी, एक मिनट के लिए उन्होंने मेरी ओर देखा,... और फिर बोलीं,



" रूप गुन पढाई सब में जबरदस्त बहू लायी हैं,... आप बेटे की नौकरी कहाँ पर है आपकी , प्राइवेट में तो छुट्टी भी मुश्किल से मिलती है इसलिए मैंने लड़के को कहीं बाहर नहीं जाने दिया , चार पैसा कम मिले तो क्या, आँख के सामने तो है, और इस उमर में दुःख सुख आप बेटे पास में रहें,... "



लेकिन मेरी सास भी, बोलीं

" आप एकदम सही कहती हैं,... लेकिन क्या करें, चिरिया चिनगुन भी बड़े होने पर घोंसले से उड़ जाते हैं , फिर उसकी नौकरी बहुत दूर नहीं है , कार से तीन चार घंटे,... "



जब मैं पानी पढाई के बारे में बता रही थी तो मेरी सास का चेहरा ख़ुशी से दमक रहा था, ... लेकिन उस समय तो मैं भूल गयी थी, बाद में मुझे याद आया, एक पल के लिए कनखियों से मैंने देखा था की मेरी जेठानी का चेहरा एकदम झांवा हो गया था,...



और उस का इनाम मिला तुरंत ही, जेठानी कुछ भी उधार नहीं रखती थीं, ... रोज तो भले किचेन में चार ट्रिप करनी पड़े,... अगर एक बार में ही सब कुछ ले जाने की कोशिश करूँ तो तुरंत ज्ञान मिल जाता था,.... अरे कहीं एकाध प्याला भी टूट गया न , सेट खराब हो जाएगा, तेरी जेठ की मेहनत की कमाई का है, मायके से नहीं लायी हो,... पर आज जब मैं तीसरे ट्रिप में बाकी के समान उठा रही थी और सास उठ के अपने कमरे में जा रही थीं सास की ओर देख के वो बड़े दुलार से बोलीं, चल मैं तेरा हाथ बटा देती हूँ, वरना कहेगी की अपने मायके में तो एक ग्लास पानी हाथ से उठा के नहीं पिया , और यहाँ ससुराल में काम करवा करवाके ,



सिर्फ एक ग्लास उन्होंने उठाया, मेरे पीछे पीछे,... और क्या बादल गरजे बरसे,...



( हाँ मुझे हड़काते समय ये ध्यान वो रखती थीं की किचेन से बाहर आवाज न जाये और एकदम मुझसे सट के ,

मेरी जुबान खुलने का सवाल ही नहीं था, बस मुंह झुकाये बरतन साफ़ कर रही थी.



" इतना बढ़ चढ़ कर चबड चबड जुबान चलाने की क्या जरूरत थी, पूरे मोहल्ले में जा के गायेगी वो, अरे हम भी बियाह के इसी आंगन में आये थे, साल भर तो जो आस पड़ोस छोड़ दो, जो घर में किसी ने आवाज सुनी हो, लेकिन तुम भी न और ऊपर से अंगरेजी भूँक रही थी, ...क्या सोची होगी वो, ... ( गलती मेरी थी, डिग्री, डिप्लोमा सर्टिफकेट गिनाते गिनाते एक लाइन अंग्रेजी की भी मेरे मुंह से निकल गयी थी ), बहू पढ़ी लिखी है लेकिन ये सास जेठानी नौकरी नहीं करने दे रही हैं,... अरे मैं क्या करूँ, मेरी सास की ही,... "

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एक सांस में वो इतना बोल गयीं फिर जैसे ड्रैगन लोग आग फूंकने के बाद रिफिल करते हैं, बस थोड़ा सा पाज और फिर चालू, जहाँ छोड़ा था वहीँ से, ...



" मैंने इतना समझाया था सास को लेकिन वो भी न, मैंने बोला था, अरे हाईस्कूल, इंटर बहुत है, कौन नौकरी करानी है। अरे औरत क काम क्या है, सादी बियाह हो गया, मरद के पास सोओ, पेट फुलाओ, नौवें महीना,... अरे बंस चलाओ , कुल परंपरा का ख्याल रखो, संस्कार भी कोई चीज है लेकिन नहीं,.... "



फिर हर बार की तरह वो अपना उदाहरण लेकर चालू हो गयीं,...



" अरे हम भी गुड सेकेण्ड डिवीजन इंटर पास है, ब्लाक मेंहदी कम्पटीशन में पार्टीसेप्शन सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन देखा है मुझे कभी उसके बारे में बोलते हुए,... ( बरामदे में एक बड़ा सा गोल्डन फ्रेम में वो पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट सुशोभित था , और पहले ही दिन मुझे दिखाया गया था और ये बात भी सही थी की वो मेंहदी अच्छी लगाती थी), मेरी सहेली जैनब भी, बीए किया बी एड किया और वहीँ अपने गाँव में ही इतनी बढ़िया नौकरी, कॉन्ट्रेट टीचर की, सरकारी नौकरी ,... लेकिन कभी बोलती हूँ मैं , लेकिन तुम भी नहीं, दो अक्षर पढ़ लेने से कुछ नहीं होता, मैं इस घर में पहले आयी हूँ , तुमसे बड़ी हूँ , रहूंगी , ... और इतना रगड़ रगड़ के कप मत धो, खरोंच पद जायेगी, कुछ भी गुनढंग मायके से सीख के नहीं आयी "

और वो दनदनाती हुयी किचेन से बाहर,

jethani-sony-charishta-hot-saree-stills-6.jpg


मेरा तो मन हुआ झन्नाक से कप वाश बेसिन में पटक कर तोड़ दूँ,... लेकिन,... और ये कोई एक दिन की बात नहीं थी, बेडरुम के बाद मुझे किचेन में ही शान्ति मिलती थी पर वहां भी, ...



और इनके साथ भी, ... वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ...
 

Sauravb

Victory 💯
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"भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,... नौ महीना बाद ,... अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "



उनका बड़बड़ाना जारी था।

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" बस मैं अभी खाना लगाती हूँ दीदी ,सच में बहुत देर हो गयी। "



किसी तरह अपने आंसू छिपाती रोकती मैं किचेन में धंस गयी।



शादी के बाद नयी नयी दुल्हन के लिए किचेन अपने कमरे के बाद दूसरी सबसे बड़ी छिपने की जगह होती है।



लेकिन जेठानी जी वहां भी पीछा नहीं छोड़ती थीं, मेरे पीछे पीछे किचेन में आके, एकदम मेरे पीछे खड़े होके , ऐसे ऐसे ताने, व्यंग बाण, बाहर तो मेरी सास के सामने एकदम मीठी बनी रहती थीं, और कोई पड़ोसन आ जाए तो और ज्यादा,एकदम मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक, लेकिन अकेले में,...

और कोई एक चीज़ हो तो बताऊँ, मेरी पढाई, रूप जोबन, और सबसे बढ़कर मेरा घर परिवार, मेरा मायका,


एक दिन बगल की एक पड़ोसन आयी थीं, ( बैठने की जगह मेरी तय थी, जेठानी जी ने पहले दिन ही मुझे बता दिया था , सास मेरी पलंग पर और जेठानी वहीँ पायताने या सामने कुर्सी पर, और मेरे लिए एक झीलंगहिया मचिया), पड़ोसन की बहू की कहीं नौकरी लग गयी थी, दूर के एक एक गाँव के स्कूल में, पड़ोसन उसी का गुणगान कर रही थीं, मेरी बहू बहुत पढ़ी लिखी है, बीएड भी कर लिया है, ... मेरी सास से नहीं रहा गया उन्होंने मुझे उकसाया, बोलीं पड़ोसन से,



" अरे मेरी बहू ने भी बहुत पढ़ाई की है,क्या कहते हैं वो मेडल वोडल भी मिले हैं उसको,... मैं तो भूल भी जाती हूँ, बता दे न बहू ,.. "



मैं समझ गयी सास ने प्वाइंट स्कोर करने के लिए मुझे आगे किया है और मैं क्यों उन्हें हारने देती,...

बस मैंने अपनी सारी डिग्रियां, डिप्लोमा सर्टिफिकेट तक गिना दिये और ये भी की दो उसमें से फॉरेन की युनिवरसिटी के है ( ये नहीं बताया की कोर्स ऑनलाइन वाले थे )

और मेरी सास भी कम नहीं थीं, उन्होंने पहले से एन्टिसिपेट कर लिया था की पड़ोसन का अगला सवाल क्या होगा इसलिए वो जवाब उन्होंने पहले ही दे दिया,

"मैं तो कहतीं हूँ इतनी पढ़ी लिखी हो कहीं नौकरी, तो ये खुद मना कर देती है , बोलती है नहीं माँ जी , बस आप के पास .... क्या करुँगी नौकरी कर के, फिर मेरे छोटे बेटे की नौकरी भी इतनी अच्छी है, बोलती है , वो तो है न नौकरी करने के लिए , मैं क्यों करूँ किसी की गुलामी, टाइम पर आना, टाइम पर जाना,




सास ने एक साथ कई प्वाइंट स्कोर कर लिए थे, मेरी पढाई, मेरा उन का ख्याल करना, सास के बेटे की अच्छी नौकरी,... और पड़ोसन का बेटा कहीं पास में पंसारी की दूकान पे काम करता था,...

लेकिन पड़ोसन भी इतनी जल्दी पारी की हार मानने के लिए तैयार नहीं थी, एक मिनट के लिए उन्होंने मेरी ओर देखा,... और फिर बोलीं,



" रूप गुन पढाई सब में जबरदस्त बहू लायी हैं,... आप बेटे की नौकरी कहाँ पर है आपकी , प्राइवेट में तो छुट्टी भी मुश्किल से मिलती है इसलिए मैंने लड़के को कहीं बाहर नहीं जाने दिया , चार पैसा कम मिले तो क्या, आँख के सामने तो है, और इस उमर में दुःख सुख आप बेटे पास में रहें,... "



लेकिन मेरी सास भी, बोलीं

" आप एकदम सही कहती हैं,... लेकिन क्या करें, चिरिया चिनगुन भी बड़े होने पर घोंसले से उड़ जाते हैं , फिर उसकी नौकरी बहुत दूर नहीं है , कार से तीन चार घंटे,... "



जब मैं पानी पढाई के बारे में बता रही थी तो मेरी सास का चेहरा ख़ुशी से दमक रहा था, ... लेकिन उस समय तो मैं भूल गयी थी, बाद में मुझे याद आया, एक पल के लिए कनखियों से मैंने देखा था की मेरी जेठानी का चेहरा एकदम झांवा हो गया था,...



और उस का इनाम मिला तुरंत ही, जेठानी कुछ भी उधार नहीं रखती थीं, ... रोज तो भले किचेन में चार ट्रिप करनी पड़े,... अगर एक बार में ही सब कुछ ले जाने की कोशिश करूँ तो तुरंत ज्ञान मिल जाता था,.... अरे कहीं एकाध प्याला भी टूट गया न , सेट खराब हो जाएगा, तेरी जेठ की मेहनत की कमाई का है, मायके से नहीं लायी हो,... पर आज जब मैं तीसरे ट्रिप में बाकी के समान उठा रही थी और सास उठ के अपने कमरे में जा रही थीं सास की ओर देख के वो बड़े दुलार से बोलीं, चल मैं तेरा हाथ बटा देती हूँ, वरना कहेगी की अपने मायके में तो एक ग्लास पानी हाथ से उठा के नहीं पिया , और यहाँ ससुराल में काम करवा करवाके ,



सिर्फ एक ग्लास उन्होंने उठाया, मेरे पीछे पीछे,... और क्या बादल गरजे बरसे,...



( हाँ मुझे हड़काते समय ये ध्यान वो रखती थीं की किचेन से बाहर आवाज न जाये और एकदम मुझसे सट के ,

मेरी जुबान खुलने का सवाल ही नहीं था, बस मुंह झुकाये बरतन साफ़ कर रही थी.



" इतना बढ़ चढ़ कर चबड चबड जुबान चलाने की क्या जरूरत थी, पूरे मोहल्ले में जा के गायेगी वो, अरे हम भी बियाह के इसी आंगन में आये थे, साल भर तो जो आस पड़ोस छोड़ दो, जो घर में किसी ने आवाज सुनी हो, लेकिन तुम भी न और ऊपर से अंगरेजी भूँक रही थी, ...क्या सोची होगी वो, ... ( गलती मेरी थी, डिग्री, डिप्लोमा सर्टिफकेट गिनाते गिनाते एक लाइन अंग्रेजी की भी मेरे मुंह से निकल गयी थी ), बहू पढ़ी लिखी है लेकिन ये सास जेठानी नौकरी नहीं करने दे रही हैं,... अरे मैं क्या करूँ, मेरी सास की ही,... "

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एक सांस में वो इतना बोल गयीं फिर जैसे ड्रैगन लोग आग फूंकने के बाद रिफिल करते हैं, बस थोड़ा सा पाज और फिर चालू, जहाँ छोड़ा था वहीँ से, ...



" मैंने इतना समझाया था सास को लेकिन वो भी न, मैंने बोला था, अरे हाईस्कूल, इंटर बहुत है, कौन नौकरी करानी है। अरे औरत क काम क्या है, सादी बियाह हो गया, मरद के पास सोओ, पेट फुलाओ, नौवें महीना,... अरे बंस चलाओ , कुल परंपरा का ख्याल रखो, संस्कार भी कोई चीज है लेकिन नहीं,.... "



फिर हर बार की तरह वो अपना उदाहरण लेकर चालू हो गयीं,...



" अरे हम भी गुड सेकेण्ड डिवीजन इंटर पास है, ब्लाक मेंहदी कम्पटीशन में पार्टीसेप्शन सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन देखा है मुझे कभी उसके बारे में बोलते हुए,... ( बरामदे में एक बड़ा सा गोल्डन फ्रेम में वो पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट सुशोभित था , और पहले ही दिन मुझे दिखाया गया था और ये बात भी सही थी की वो मेंहदी अच्छी लगाती थी), मेरी सहेली जैनब भी, बीए किया बी एड किया और वहीँ अपने गाँव में ही इतनी बढ़िया नौकरी, कॉन्ट्रेट टीचर की, सरकारी नौकरी ,... लेकिन कभी बोलती हूँ मैं , लेकिन तुम भी नहीं, दो अक्षर पढ़ लेने से कुछ नहीं होता, मैं इस घर में पहले आयी हूँ , तुमसे बड़ी हूँ , रहूंगी , ... और इतना रगड़ रगड़ के कप मत धो, खरोंच पद जायेगी, कुछ भी गुनढंग मायके से सीख के नहीं आयी "

और वो दनदनाती हुयी किचेन से बाहर,

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मेरा तो मन हुआ झन्नाक से कप वाश बेसिन में पटक कर तोड़ दूँ,... लेकिन,... और ये कोई एक दिन की बात नहीं थी, बेडरुम के बाद मुझे किचेन में ही शान्ति मिलती थी पर वहां भी, ...




और इनके साथ भी, ... वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ...
Jethani ne to class laga diya.sabse mazedaar tha English bhuk rahi thi.super update...
 
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बीते हुए कल


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और इनके साथ भी, ...

वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ... हाँ जब कोई नहीं होता था तो न मैं उन्हें ललचाने से चूकती थी, न वो चोरी छिपे, तांक झाँक से, बदमाशी में तो बदमाशों के सरदार, पहले दिन से ही मैं समझ गयी थी और लालची नंबर वन भी,...



दूज्यौ खरै समीप कौ लेत मानि मन मोदु।

होत दुहुन के दृगनु हीं बतरसु हँसी-विनोदु।



बस वही बिहारी के दोहे वाली बात, आँखों ही आँखों में इशारे होते बात चीत होती, मैं उन्हें चिढ़ाती ललचाती, वो मुझे मनाते, निहोरा करते,...


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लेकिन जेठानी के पैरों की आहट और वो एकदम पूरी तरह,... चोर पुलिस का खेल,
और उनके या घर के किसी के सामने होने पर,... उनका मामला तो एकदम, न तुम हमें जानों न हम तुम्हे जाने वाला हो जाता


और ये मुझे बहुत खराब लगता, बहुत खराब, ये ही तो थे जिनसे मैं रूठ सकती थी, मन की कह सकती थी और ये भी,

एक दिन मैंने सुन लिया की जेठानी इनसे कह रही थीं, ... और कितने गंदे ढंग से,....



" रात भर तो चढ़े चिपके रहते हो, और दिन में भी, ... कुछ तो लाज शरम,... तेरी भैया की भी शादी हुयी थी,... मैं भी नयी नयी बियाह के इसी घर में आयी थी, तुम दिन में भी चक्कर काटते रहते हो जैसे कभी, ....पता नहीं पहले दिन से तुझे क्या घुट्टी पिला दी है,...

अरे मैं , जब सब लोग सो जाते थे , तब वो भी दबे पाँव तेरे भैया के पास,... और सुबह सबके उठने के पहले,... मैं कमरे से बाहर,...

और दिन में मजाल क्या, जो कहीं आस पास, लगता है नोखे की तुम्हारी सादी हुयी है,... अरे अपना नहीं घर की सोचो, घर परिवार की इज्जत, क्या कहेंगे लोग की फलाने का,... "

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बाद में मेरे समझ में आया इनके ऊपर जो 'लोग क्या कहेंगे'वाला डर था, उसको चढाने में मेरी जेठानी का सबसे बड़ा हाथ था



और एक दिन तो उन्होंने क्या क्या नहीं कहा इन्हे,



मैं वहां नहीं थी, किचेन में प्याज काट रही थी,... लेकिन बाद में मुझे समझ में आया, जेठानी जी समझा अपने देवर को रही थीं लेकिन निशाने पर मैं ही थी, उन्हें इस बात का साफ अंदाज था की किचेन में मैं सुन रही थी सब कुछ,...



" मान लो उस को सरम लिहाज नहीं है, वो तो बाहर से आयी है, जो महतारी ने सिखाया होगा, मैं तो दो दिन में समझ गयी थी थी, कोई गुन ढंग संस्कार, ये सब पैसा पढाई से नहीं आता, संस्कार बचपन से सीखता है,... लेकिन तुम तो,... एकदम महरानी अपने आँचर में तोहके बाँध के,... दिन भर जब देखो तब ओहि के चक्कर,... अरे थोड़ा घर से बाहर जाओ, अपने दोस्तों से मिलो, काम धाम, ये क्या जब से ये आयी है घर घिस्सू, जोरू के आगे पीछे, देखती माता जी भी है , लेकिन वो बोलती है नहीं , बुरा उनको भी बहुत लगता है,... "

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पहली बार प्याज काटते हुए मेरी आँखों से गंगा जमुना बह रही थी,

गलती मेरी ही थी, हम दोनों सोच रहे थे कोई नहीं है. फर्स्ट नाइट से मुझे पता चल गया था ये लड़का मेरे चोली के फूलों के पीछे पागल है, पागल मतलब असली वाला पागल, दीवाना,... वो बरामदे के दूसरे कोने से मुझे देख रहे थे,... मैंने इधर उधर देखा की कोई नहीं है, बस मैंने ज़रा सा आँचल ढलका दिया,.... चोली कट ब्लाउज,... उभार क्लीवेज,... पल भर भी नहीं,... बेचारे की हालत खराब, फिर मैंने होंठों पर जीभ फिरा दी, और अपने खुले क्लीवेज की ओर हलके से देख लिया

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और वहां तम्बू तन गया.

मैं जोर से मुस्करा रही थी, लेकिन तब तक जेठानी जी के पैरों की आवाज सुनाई पड़ी और मैं किचेन में और वो कोई किताब लेके बैठ गए,...



पर जेठानी की निगाह से कुछ बचता था क्या,...

और वो चालू हो गयीं और बात उन की कहीं से शुरू हो, मेरे मम्मी मेरे परिवार पर उन का नजला गिरता, शराबी कबाबी, सारी नैतिकता जीभ से शुरू होकर जीभ पर ख़तम हो जाती थी, और कई बार मेरी सास भी चपेट में आ जाती थीं,

" मैंने सास से दसों बार मना किया था, लेकिन कोई मेरा सुने तब न, अरे अपने से नीचे घर की लड़की लानी चाहिए, भले ही थोड़ी गरीब हो, दब के रहेगी, कितनी तो मेरी जान पहचान की लेकिन,... वो भी न वो शकल देख के मोहा गयीं। .. अब गुन लक्षण,

उन की रेडियो मिर्ची चालू थी और मेरी आँखों से गंगा जमुना, प्याज काटने के साथ साथ

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तभी मेरी सास आ गयीं, और उन्होंने मुझे हड़का लिया, मेरी आँखों की नमी उनसे नहीं छुपा पायी मैं,

" क्या हुआ " उन्होंने पूछ लिया



" कुछ नहीं, वो प्याज काट रही थी न तो मेरी आँख में हर बार,... "

मैंने झूठ बोलने की कोशिश की पर सच उनको भी पता चल गया और मुझे भी की , उन्हें सब समझ में आ गया,

मुस्करा के वो बोलीं

" तो मत काट न, जो मेरी चाँद सी दुल्हन की आँख गीली करे, ... ले मैं काट देती हूँ, मुझे कुछ नहीं होगा तू ज़रा सा जा के आराम कर, सुबह से चूल्हे में घुसी रहती है. "



कुछ दिन बाद मेरी समझ में आया सासू जी की मजबूरी, .... उन्हें रहना तो जेठानी के ही साथ था, जेठ जी भी नम्बरी चुप्पे, जेठानी के सामने उनका भी मुंह नहीं खुलता था, ... पता नहीं क्या जॉब था उनका दो चार दिन घर में रहते, फिर हफ्ते दस दिन बाहर ,...


कोई दिन नांगा नहीं जाता था ,...



तब तो कित्ती ही बार ,और बजाय सम्हलाने के ,मनाने के , नमक छिड़कने वालों की कमी नहीं होती थी।

एक बार ऐसे ही जेठानी जी की किसी बात पर मेरी आँख गीली थी ,मेरे मायके वालों को , और मायके में था कौन मम्मी के सिवाय ,... शराबी कबाबी , ,..संस्कार ,...



और गुड्डी आ गयी , बजाय कुछ पूछने के और ,...



" क्यों भाभी , मायके के किसी यार की याद आ गयी थी?"
 

Incestlala

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"भले तू थोड़ा ज्यादा पढ़ी लिखी है लेकिन बड़ा कौन है ,इस घर की सारी जिम्मेदारी ,संस्कार सब ,... और मेरा देवर भी न , तूने पता नहीं पहली ही रात को क्या घुट्टी पिलाई की , ...एकदम तेरे पीछे लट्टू , एकदम पीछे पड़ गया तुझे अपने साथ ले जाने को , अरे सब की शादी होती है सब कमाने जाते हैं हमरे गाँव में भी पंजाब ,लुधियाना ,दुबई कौन अपनी जोरू को ले जाता है , ...साल दो साल में आये ,...हफ्ता दस दिन रहे ,... नौ महीना बाद ,... अरे ई पढ़ाई लिखाई का का मतलब की सब घोर के पी जाएंगे। सास भी मान गयीं ,मैंने लाख समझाया लेकिन उनका लड़का बस दस पंद्रह दिन एक बार ज़रा घर सेट हो जाए फिर मैं खुद छोड़ जाऊंगा ,...और पूरे आठ महीने बाद आयी हो और ,... गुड्डी को अपने साथ ,... "



उनका बड़बड़ाना जारी था।

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" बस मैं अभी खाना लगाती हूँ दीदी ,सच में बहुत देर हो गयी। "



किसी तरह अपने आंसू छिपाती रोकती मैं किचेन में धंस गयी।



शादी के बाद नयी नयी दुल्हन के लिए किचेन अपने कमरे के बाद दूसरी सबसे बड़ी छिपने की जगह होती है।



लेकिन जेठानी जी वहां भी पीछा नहीं छोड़ती थीं, मेरे पीछे पीछे किचेन में आके, एकदम मेरे पीछे खड़े होके , ऐसे ऐसे ताने, व्यंग बाण, बाहर तो मेरी सास के सामने एकदम मीठी बनी रहती थीं, और कोई पड़ोसन आ जाए तो और ज्यादा,एकदम मेरी सबसे बड़ी शुभचिंतक, लेकिन अकेले में,...

और कोई एक चीज़ हो तो बताऊँ, मेरी पढाई, रूप जोबन, और सबसे बढ़कर मेरा घर परिवार, मेरा मायका,


एक दिन बगल की एक पड़ोसन आयी थीं, ( बैठने की जगह मेरी तय थी, जेठानी जी ने पहले दिन ही मुझे बता दिया था , सास मेरी पलंग पर और जेठानी वहीँ पायताने या सामने कुर्सी पर, और मेरे लिए एक झीलंगहिया मचिया), पड़ोसन की बहू की कहीं नौकरी लग गयी थी, दूर के एक एक गाँव के स्कूल में, पड़ोसन उसी का गुणगान कर रही थीं, मेरी बहू बहुत पढ़ी लिखी है, बीएड भी कर लिया है, ... मेरी सास से नहीं रहा गया उन्होंने मुझे उकसाया, बोलीं पड़ोसन से,



" अरे मेरी बहू ने भी बहुत पढ़ाई की है,क्या कहते हैं वो मेडल वोडल भी मिले हैं उसको,... मैं तो भूल भी जाती हूँ, बता दे न बहू ,.. "



मैं समझ गयी सास ने प्वाइंट स्कोर करने के लिए मुझे आगे किया है और मैं क्यों उन्हें हारने देती,...

बस मैंने अपनी सारी डिग्रियां, डिप्लोमा सर्टिफिकेट तक गिना दिये और ये भी की दो उसमें से फॉरेन की युनिवरसिटी के है ( ये नहीं बताया की कोर्स ऑनलाइन वाले थे )

और मेरी सास भी कम नहीं थीं, उन्होंने पहले से एन्टिसिपेट कर लिया था की पड़ोसन का अगला सवाल क्या होगा इसलिए वो जवाब उन्होंने पहले ही दे दिया,

"मैं तो कहतीं हूँ इतनी पढ़ी लिखी हो कहीं नौकरी, तो ये खुद मना कर देती है , बोलती है नहीं माँ जी , बस आप के पास .... क्या करुँगी नौकरी कर के, फिर मेरे छोटे बेटे की नौकरी भी इतनी अच्छी है, बोलती है , वो तो है न नौकरी करने के लिए , मैं क्यों करूँ किसी की गुलामी, टाइम पर आना, टाइम पर जाना,




सास ने एक साथ कई प्वाइंट स्कोर कर लिए थे, मेरी पढाई, मेरा उन का ख्याल करना, सास के बेटे की अच्छी नौकरी,... और पड़ोसन का बेटा कहीं पास में पंसारी की दूकान पे काम करता था,...

लेकिन पड़ोसन भी इतनी जल्दी पारी की हार मानने के लिए तैयार नहीं थी, एक मिनट के लिए उन्होंने मेरी ओर देखा,... और फिर बोलीं,



" रूप गुन पढाई सब में जबरदस्त बहू लायी हैं,... आप बेटे की नौकरी कहाँ पर है आपकी , प्राइवेट में तो छुट्टी भी मुश्किल से मिलती है इसलिए मैंने लड़के को कहीं बाहर नहीं जाने दिया , चार पैसा कम मिले तो क्या, आँख के सामने तो है, और इस उमर में दुःख सुख आप बेटे पास में रहें,... "



लेकिन मेरी सास भी, बोलीं

" आप एकदम सही कहती हैं,... लेकिन क्या करें, चिरिया चिनगुन भी बड़े होने पर घोंसले से उड़ जाते हैं , फिर उसकी नौकरी बहुत दूर नहीं है , कार से तीन चार घंटे,... "



जब मैं पानी पढाई के बारे में बता रही थी तो मेरी सास का चेहरा ख़ुशी से दमक रहा था, ... लेकिन उस समय तो मैं भूल गयी थी, बाद में मुझे याद आया, एक पल के लिए कनखियों से मैंने देखा था की मेरी जेठानी का चेहरा एकदम झांवा हो गया था,...



और उस का इनाम मिला तुरंत ही, जेठानी कुछ भी उधार नहीं रखती थीं, ... रोज तो भले किचेन में चार ट्रिप करनी पड़े,... अगर एक बार में ही सब कुछ ले जाने की कोशिश करूँ तो तुरंत ज्ञान मिल जाता था,.... अरे कहीं एकाध प्याला भी टूट गया न , सेट खराब हो जाएगा, तेरी जेठ की मेहनत की कमाई का है, मायके से नहीं लायी हो,... पर आज जब मैं तीसरे ट्रिप में बाकी के समान उठा रही थी और सास उठ के अपने कमरे में जा रही थीं सास की ओर देख के वो बड़े दुलार से बोलीं, चल मैं तेरा हाथ बटा देती हूँ, वरना कहेगी की अपने मायके में तो एक ग्लास पानी हाथ से उठा के नहीं पिया , और यहाँ ससुराल में काम करवा करवाके ,



सिर्फ एक ग्लास उन्होंने उठाया, मेरे पीछे पीछे,... और क्या बादल गरजे बरसे,...



( हाँ मुझे हड़काते समय ये ध्यान वो रखती थीं की किचेन से बाहर आवाज न जाये और एकदम मुझसे सट के ,

मेरी जुबान खुलने का सवाल ही नहीं था, बस मुंह झुकाये बरतन साफ़ कर रही थी.



" इतना बढ़ चढ़ कर चबड चबड जुबान चलाने की क्या जरूरत थी, पूरे मोहल्ले में जा के गायेगी वो, अरे हम भी बियाह के इसी आंगन में आये थे, साल भर तो जो आस पड़ोस छोड़ दो, जो घर में किसी ने आवाज सुनी हो, लेकिन तुम भी न और ऊपर से अंगरेजी भूँक रही थी, ...क्या सोची होगी वो, ... ( गलती मेरी थी, डिग्री, डिप्लोमा सर्टिफकेट गिनाते गिनाते एक लाइन अंग्रेजी की भी मेरे मुंह से निकल गयी थी ), बहू पढ़ी लिखी है लेकिन ये सास जेठानी नौकरी नहीं करने दे रही हैं,... अरे मैं क्या करूँ, मेरी सास की ही,... "

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एक सांस में वो इतना बोल गयीं फिर जैसे ड्रैगन लोग आग फूंकने के बाद रिफिल करते हैं, बस थोड़ा सा पाज और फिर चालू, जहाँ छोड़ा था वहीँ से, ...



" मैंने इतना समझाया था सास को लेकिन वो भी न, मैंने बोला था, अरे हाईस्कूल, इंटर बहुत है, कौन नौकरी करानी है। अरे औरत क काम क्या है, सादी बियाह हो गया, मरद के पास सोओ, पेट फुलाओ, नौवें महीना,... अरे बंस चलाओ , कुल परंपरा का ख्याल रखो, संस्कार भी कोई चीज है लेकिन नहीं,.... "



फिर हर बार की तरह वो अपना उदाहरण लेकर चालू हो गयीं,...



" अरे हम भी गुड सेकेण्ड डिवीजन इंटर पास है, ब्लाक मेंहदी कम्पटीशन में पार्टीसेप्शन सर्टिफिकेट मिला था, लेकिन देखा है मुझे कभी उसके बारे में बोलते हुए,... ( बरामदे में एक बड़ा सा गोल्डन फ्रेम में वो पार्टिसिपेशन सर्टिफिकेट सुशोभित था , और पहले ही दिन मुझे दिखाया गया था और ये बात भी सही थी की वो मेंहदी अच्छी लगाती थी), मेरी सहेली जैनब भी, बीए किया बी एड किया और वहीँ अपने गाँव में ही इतनी बढ़िया नौकरी, कॉन्ट्रेट टीचर की, सरकारी नौकरी ,... लेकिन कभी बोलती हूँ मैं , लेकिन तुम भी नहीं, दो अक्षर पढ़ लेने से कुछ नहीं होता, मैं इस घर में पहले आयी हूँ , तुमसे बड़ी हूँ , रहूंगी , ... और इतना रगड़ रगड़ के कप मत धो, खरोंच पद जायेगी, कुछ भी गुनढंग मायके से सीख के नहीं आयी "

और वो दनदनाती हुयी किचेन से बाहर,

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मेरा तो मन हुआ झन्नाक से कप वाश बेसिन में पटक कर तोड़ दूँ,... लेकिन,... और ये कोई एक दिन की बात नहीं थी, बेडरुम के बाद मुझे किचेन में ही शान्ति मिलती थी पर वहां भी, ...




और इनके साथ भी, ... वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ...
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बीते हुए कल


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और इनके साथ भी, ...

वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ... हाँ जब कोई नहीं होता था तो न मैं उन्हें ललचाने से चूकती थी, न वो चोरी छिपे, तांक झाँक से, बदमाशी में तो बदमाशों के सरदार, पहले दिन से ही मैं समझ गयी थी और लालची नंबर वन भी,...




दूज्यौ खरै समीप कौ लेत मानि मन मोदु।

होत दुहुन के दृगनु हीं बतरसु हँसी-विनोदु।




बस वही बिहारी के दोहे वाली बात, आँखों ही आँखों में इशारे होते बात चीत होती, मैं उन्हें चिढ़ाती ललचाती, वो मुझे मनाते, निहोरा करते,...

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लेकिन जेठानी के पैरों की आहट और वो एकदम पूरी तरह,... चोर पुलिस का खेल,
और उनके या घर के किसी के सामने होने पर,... उनका मामला तो एकदम, न तुम हमें जानों न हम तुम्हे जाने वाला हो जाता


और ये मुझे बहुत खराब लगता, बहुत खराब, ये ही तो थे जिनसे मैं रूठ सकती थी, मन की कह सकती थी और ये भी,

एक दिन मैंने सुन लिया की जेठानी इनसे कह रही थीं, ... और कितने गंदे ढंग से,....



" रात भर तो चढ़े चिपके रहते हो, और दिन में भी, ... कुछ तो लाज शरम,... तेरी भैया की भी शादी हुयी थी,... मैं भी नयी नयी बियाह के इसी घर में आयी थी, तुम दिन में भी चक्कर काटते रहते हो जैसे कभी, ....पता नहीं पहले दिन से तुझे क्या घुट्टी पिला दी है,...

अरे मैं , जब सब लोग सो जाते थे , तब वो भी दबे पाँव तेरे भैया के पास,... और सुबह सबके उठने के पहले,... मैं कमरे से बाहर,...

और दिन में मजाल क्या, जो कहीं आस पास, लगता है नोखे की तुम्हारी सादी हुयी है,... अरे अपना नहीं घर की सोचो, घर परिवार की इज्जत, क्या कहेंगे लोग की फलाने का,... "

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बाद में मेरे समझ में आया इनके ऊपर जो 'लोग क्या कहेंगे'वाला डर था, उसको चढाने में मेरी जेठानी का सबसे बड़ा हाथ था



और एक दिन तो उन्होंने क्या क्या नहीं कहा इन्हे,



मैं वहां नहीं थी, किचेन में प्याज काट रही थी,... लेकिन बाद में मुझे समझ में आया, जेठानी जी समझा अपने देवर को रही थीं लेकिन निशाने पर मैं ही थी, उन्हें इस बात का साफ अंदाज था की किचेन में मैं सुन रही थी सब कुछ,...



" मान लो उस को सरम लिहाज नहीं है, वो तो बाहर से आयी है, जो महतारी ने सिखाया होगा, मैं तो दो दिन में समझ गयी थी थी, कोई गुन ढंग संस्कार, ये सब पैसा पढाई से नहीं आता, संस्कार बचपन से सीखता है,... लेकिन तुम तो,... एकदम महरानी अपने आँचर में तोहके बाँध के,... दिन भर जब देखो तब ओहि के चक्कर,... अरे थोड़ा घर से बाहर जाओ, अपने दोस्तों से मिलो, काम धाम, ये क्या जब से ये आयी है घर घिस्सू, जोरू के आगे पीछे, देखती माता जी भी है , लेकिन वो बोलती है नहीं , बुरा उनको भी बहुत लगता है,... "

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पहली बार प्याज काटते हुए मेरी आँखों से गंगा जमुना बह रही थी,

गलती मेरी ही थी, हम दोनों सोच रहे थे कोई नहीं है. फर्स्ट नाइट से मुझे पता चल गया था ये लड़का मेरे चोली के फूलों के पीछे पागल है, पागल मतलब असली वाला पागल, दीवाना,... वो बरामदे के दूसरे कोने से मुझे देख रहे थे,... मैंने इधर उधर देखा की कोई नहीं है, बस मैंने ज़रा सा आँचल ढलका दिया,.... चोली कट ब्लाउज,... उभार क्लीवेज,... पल भर भी नहीं,... बेचारे की हालत खराब, फिर मैंने होंठों पर जीभ फिरा दी, और अपने खुले क्लीवेज की ओर हलके से देख लिया

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और वहां तम्बू तन गया.

मैं जोर से मुस्करा रही थी, लेकिन तब तक जेठानी जी के पैरों की आवाज सुनाई पड़ी और मैं किचेन में और वो कोई किताब लेके बैठ गए,...



पर जेठानी की निगाह से कुछ बचता था क्या,...

और वो चालू हो गयीं और बात उन की कहीं से शुरू हो, मेरे मम्मी मेरे परिवार पर उन का नजला गिरता, शराबी कबाबी, सारी नैतिकता जीभ से शुरू होकर जीभ पर ख़तम हो जाती थी, और कई बार मेरी सास भी चपेट में आ जाती थीं,

" मैंने सास से दसों बार मना किया था, लेकिन कोई मेरा सुने तब न, अरे अपने से नीचे घर की लड़की लानी चाहिए, भले ही थोड़ी गरीब हो, दब के रहेगी, कितनी तो मेरी जान पहचान की लेकिन,... वो भी न वो शकल देख के मोहा गयीं। .. अब गुन लक्षण,

उन की रेडियो मिर्ची चालू थी और मेरी आँखों से गंगा जमुना, प्याज काटने के साथ साथ

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तभी मेरी सास आ गयीं, और उन्होंने मुझे हड़का लिया, मेरी आँखों की नमी उनसे नहीं छुपा पायी मैं,

" क्या हुआ " उन्होंने पूछ लिया



" कुछ नहीं, वो प्याज काट रही थी न तो मेरी आँख में हर बार,... "

मैंने झूठ बोलने की कोशिश की पर सच उनको भी पता चल गया और मुझे भी की , उन्हें सब समझ में आ गया,

मुस्करा के वो बोलीं

" तो मत काट न, जो मेरी चाँद सी दुल्हन की आँख गीली करे, ... ले मैं काट देती हूँ, मुझे कुछ नहीं होगा तू ज़रा सा जा के आराम कर, सुबह से चूल्हे में घुसी रहती है. "



कुछ दिन बाद मेरी समझ में आया सासू जी की मजबूरी, .... उन्हें रहना तो जेठानी के ही साथ था, जेठ जी भी नम्बरी चुप्पे, जेठानी के सामने उनका भी मुंह नहीं खुलता था, ... पता नहीं क्या जॉब था उनका दो चार दिन घर में रहते, फिर हफ्ते दस दिन बाहर ,...


कोई दिन नांगा नहीं जाता था ,...



तब तो कित्ती ही बार ,और बजाय सम्हलाने के ,मनाने के , नमक छिड़कने वालों की कमी नहीं होती थी।

एक बार ऐसे ही जेठानी जी की किसी बात पर मेरी आँख गीली थी ,मेरे मायके वालों को , और मायके में था कौन मम्मी के सिवाय ,... शराबी कबाबी , ,..संस्कार ,...



और गुड्डी आ गयी , बजाय कुछ पूछने के और ,...



" क्यों भाभी , मायके के किसी यार की याद आ गयी थी?"
Jethani ko sabak milna chahiye barna torcher karti rahegi.super update...
 
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एक बार ऐसे ही जेठानी जी की किसी बात पर मेरी आँख गीली थी ,मेरे मायके वालों को , और मायके में था कौन मम्मी के सिवाय ,... शराबी कबाबी , ,..संस्कार ,...

और गुड्डी आ गयी , बजाय कुछ पूछने के और ,...

" क्यों भाभी , मायके के किसी यार की याद आ गयी थी?"


लेकिन मैं अब बदल गयी थी , मैंने तय कर लिया था भागो नहीं बदलो , इनको भी इनके मायकेवालों को भी।



खाना मैंने गरम करना शुरू कर दिया था लेकिन मैं अपने को बार बार समझा रही थी

रिवेंज इज अ डिश बेस्ट सर्व्ड कोल्ड।

और अपनी स्ट्रेटजी सोच रही थी।



रिट्रीट ,रिट्रीट ,... किसी तरह मैं उन्हें जवाब न दूँ उनका गुस्सा ठंडा होने दूँ , पता करूँ उनकी ताकत किस मौके का वो इस्तेमाल करना चाहती हैं।


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मैं अपने दिमाग के घोड़े तेजी से दौड़ा रही थी,मैंने जो मम्मी से सीखा, क्लब की पॉलिटिक्स में मिसेज खन्ना से सीखा था,


कुछ भी गड़बड़ नहीं होना चहिये, कुछ भी नहीं, क्या था जेठानी के पास,



अब ये तो एकदम हमारे थे , जेठानी जी की ' खाने पीने ' आदतें सुधारने में मुझसे ज्यादा इनका हाथ था ,

गुड्डी भी , अब तो कोचिंग में चलने के लिए हमारे साथ चलने के लिए खुद बेताब थी, फिर उसकी कितनी फोटुएं मेरी मोबाइल में कैद थीं टॉपलेस, हर तरह के और अब तो इनसे ज्यादा वो गरमा रही थी अपनी टाँगे फैलाने को,

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सास्सू जी अभी थी नहीं तो, ....



मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,



मेरे यहाँ आने के पहले ही मम्मी ने दस बार समझाया था, चेताया था, ' देख कोमलिया यहाँ सिर्फ तू और ये हैं, तो सब कुछ,... अब वो तेरे मन की बात समझने लगा है और तू भी, ... लेकिन जब उसके मायके में रहेगी न तो असली टेस्टिंग होगी तेरी, पुरानी यादें, और सब से बढ़कर पहले की आदतें, उन की भौजाई, अगर वो वहां जाके भी नहीं बदले तो समझो, ... "

और ये ये बदले क्या, मुझसे भी दो हाथ आगे थे , मेरी जेठानी और ननद दोनों के मामले में, ... एक पल के लिए भी नहीं हिचके, पोर्क चिकेन पिज्जा , मटन कबाब सब कुछ उन्होंने खुद आर्डर किया अपनी भाभी के लिए, अपने हाथ से खिलाया, ... फुल टाइम मस्ती,

लेकिन,



मुझे शुन त्जू की आर्ट आफ वार याद आ रही थी, नो योर एनमी, और क्या मैं अपने जेठानी जी के बारे में कुछ जानती हूँ ,... मैंने दिमाग पर बहुत जोर डाला, ...असल में कुछ भी नहीं, और बिना उनके बारे में जाने, अच्छी तरह समझे, उनकी सारी कमजोरियां, अतीत,...

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और मेरी सबसे बड़ी वीकनेस, ये ,... और इनसे जुड़ी गुड्डी इनकी बचपन की,...



और अचानक मेरी चमकी, जोर से चमकी,



अगर गुड्डी को हम लोगों के साथ जाने से जेठानी ने रोक दिया तो ये,... कैसे कर पाएंगी पता नहीं



लेकिन मेरा वो सबसे बड़ा वीक प्वायंट था, एक तो ये फ्रस्ट्रेट होंगे , दूसरी गुड्डी यहाँ अकेले तो जेठानी जी उसकी अच्छी तरह खबर लेंगी , और फिर न मुझ पर कोई विश्वास करेगा,

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मैंने झटाक से एक स्वाट किया, मेरी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ ये , हर मौसम में मेरे साथ और अब गुड्डी भी, सेक्स मौज मस्ती तो ठीक थी , ननद भाभी की छेड़खानी, हो तो ठीक न हो तो भी , लेकिन मैंने मन ही मन तय कर लिया उसका मेडिकल इंट्रेंस का सपना और वो बिना कोचिंग ज्वाइन किये मुश्किल था , बिना हमारे साथ चले,



लेकिन वीकनेस ये थी की मुझे इस प्लान को भरभंड करने वाली जेठानी के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था , और मेरी सास , जेठानी के साथ ही रहती थीं , उन्हें वो लीवरेज कर सकती थीं



अपॉरचुनिटी अभी से अच्छी कुछ नहीं थी, उस का इंटर का रिजल्ट आनेवाला था , उसके घर वाले भी मान गए थे और सास मेरी यहाँ थी नहीं ,



थ्रेट , वही जेठानी जी ,



इसलिए मैंने तय किया अभी मैं शांत रहूंगी , पहले जेठानी जी को उनके पत्ते खोलने दूंगी और फिर नहले पे दहला जड़ूंगी।

….
 
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और इनके साथ भी, ...

वो तो बाद में समझ में आया, जो कुछ शादी के बाद हो रहा था, ... इन्ही मेरी जेठानी जी का खेल था, रात भर तो ये एकदम लिपटे चिपटे, कोई दिन नागा नहीं जाता था , दो तीन बार तो कम से कम, ... लेकिन जहाँ मैं नीचे आयी बस एकदम से, ... हाँ जब कोई नहीं होता था तो न मैं उन्हें ललचाने से चूकती थी, न वो चोरी छिपे, तांक झाँक से, बदमाशी में तो बदमाशों के सरदार, पहले दिन से ही मैं समझ गयी थी और लालची नंबर वन भी,...




दूज्यौ खरै समीप कौ लेत मानि मन मोदु।

होत दुहुन के दृगनु हीं बतरसु हँसी-विनोदु।




बस वही बिहारी के दोहे वाली बात, आँखों ही आँखों में इशारे होते बात चीत होती, मैं उन्हें चिढ़ाती ललचाती, वो मुझे मनाते, निहोरा करते,...

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लेकिन जेठानी के पैरों की आहट और वो एकदम पूरी तरह,... चोर पुलिस का खेल,
और उनके या घर के किसी के सामने होने पर,... उनका मामला तो एकदम, न तुम हमें जानों न हम तुम्हे जाने वाला हो जाता


और ये मुझे बहुत खराब लगता, बहुत खराब, ये ही तो थे जिनसे मैं रूठ सकती थी, मन की कह सकती थी और ये भी,

एक दिन मैंने सुन लिया की जेठानी इनसे कह रही थीं, ... और कितने गंदे ढंग से,....



" रात भर तो चढ़े चिपके रहते हो, और दिन में भी, ... कुछ तो लाज शरम,... तेरी भैया की भी शादी हुयी थी,... मैं भी नयी नयी बियाह के इसी घर में आयी थी, तुम दिन में भी चक्कर काटते रहते हो जैसे कभी, ....पता नहीं पहले दिन से तुझे क्या घुट्टी पिला दी है,...

अरे मैं , जब सब लोग सो जाते थे , तब वो भी दबे पाँव तेरे भैया के पास,... और सुबह सबके उठने के पहले,... मैं कमरे से बाहर,...

और दिन में मजाल क्या, जो कहीं आस पास, लगता है नोखे की तुम्हारी सादी हुयी है,... अरे अपना नहीं घर की सोचो, घर परिवार की इज्जत, क्या कहेंगे लोग की फलाने का,... "

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बाद में मेरे समझ में आया इनके ऊपर जो 'लोग क्या कहेंगे'वाला डर था, उसको चढाने में मेरी जेठानी का सबसे बड़ा हाथ था



और एक दिन तो उन्होंने क्या क्या नहीं कहा इन्हे,



मैं वहां नहीं थी, किचेन में प्याज काट रही थी,... लेकिन बाद में मुझे समझ में आया, जेठानी जी समझा अपने देवर को रही थीं लेकिन निशाने पर मैं ही थी, उन्हें इस बात का साफ अंदाज था की किचेन में मैं सुन रही थी सब कुछ,...



" मान लो उस को सरम लिहाज नहीं है, वो तो बाहर से आयी है, जो महतारी ने सिखाया होगा, मैं तो दो दिन में समझ गयी थी थी, कोई गुन ढंग संस्कार, ये सब पैसा पढाई से नहीं आता, संस्कार बचपन से सीखता है,... लेकिन तुम तो,... एकदम महरानी अपने आँचर में तोहके बाँध के,... दिन भर जब देखो तब ओहि के चक्कर,... अरे थोड़ा घर से बाहर जाओ, अपने दोस्तों से मिलो, काम धाम, ये क्या जब से ये आयी है घर घिस्सू, जोरू के आगे पीछे, देखती माता जी भी है , लेकिन वो बोलती है नहीं , बुरा उनको भी बहुत लगता है,... "

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पहली बार प्याज काटते हुए मेरी आँखों से गंगा जमुना बह रही थी,

गलती मेरी ही थी, हम दोनों सोच रहे थे कोई नहीं है. फर्स्ट नाइट से मुझे पता चल गया था ये लड़का मेरे चोली के फूलों के पीछे पागल है, पागल मतलब असली वाला पागल, दीवाना,... वो बरामदे के दूसरे कोने से मुझे देख रहे थे,... मैंने इधर उधर देखा की कोई नहीं है, बस मैंने ज़रा सा आँचल ढलका दिया,.... चोली कट ब्लाउज,... उभार क्लीवेज,... पल भर भी नहीं,... बेचारे की हालत खराब, फिर मैंने होंठों पर जीभ फिरा दी, और अपने खुले क्लीवेज की ओर हलके से देख लिया

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और वहां तम्बू तन गया.

मैं जोर से मुस्करा रही थी, लेकिन तब तक जेठानी जी के पैरों की आवाज सुनाई पड़ी और मैं किचेन में और वो कोई किताब लेके बैठ गए,...



पर जेठानी की निगाह से कुछ बचता था क्या,...

और वो चालू हो गयीं और बात उन की कहीं से शुरू हो, मेरे मम्मी मेरे परिवार पर उन का नजला गिरता, शराबी कबाबी, सारी नैतिकता जीभ से शुरू होकर जीभ पर ख़तम हो जाती थी, और कई बार मेरी सास भी चपेट में आ जाती थीं,

" मैंने सास से दसों बार मना किया था, लेकिन कोई मेरा सुने तब न, अरे अपने से नीचे घर की लड़की लानी चाहिए, भले ही थोड़ी गरीब हो, दब के रहेगी, कितनी तो मेरी जान पहचान की लेकिन,... वो भी न वो शकल देख के मोहा गयीं। .. अब गुन लक्षण,

उन की रेडियो मिर्ची चालू थी और मेरी आँखों से गंगा जमुना, प्याज काटने के साथ साथ

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तभी मेरी सास आ गयीं, और उन्होंने मुझे हड़का लिया, मेरी आँखों की नमी उनसे नहीं छुपा पायी मैं,

" क्या हुआ " उन्होंने पूछ लिया



" कुछ नहीं, वो प्याज काट रही थी न तो मेरी आँख में हर बार,... "

मैंने झूठ बोलने की कोशिश की पर सच उनको भी पता चल गया और मुझे भी की , उन्हें सब समझ में आ गया,

मुस्करा के वो बोलीं

" तो मत काट न, जो मेरी चाँद सी दुल्हन की आँख गीली करे, ... ले मैं काट देती हूँ, मुझे कुछ नहीं होगा तू ज़रा सा जा के आराम कर, सुबह से चूल्हे में घुसी रहती है. "



कुछ दिन बाद मेरी समझ में आया सासू जी की मजबूरी, .... उन्हें रहना तो जेठानी के ही साथ था, जेठ जी भी नम्बरी चुप्पे, जेठानी के सामने उनका भी मुंह नहीं खुलता था, ... पता नहीं क्या जॉब था उनका दो चार दिन घर में रहते, फिर हफ्ते दस दिन बाहर ,...


कोई दिन नांगा नहीं जाता था ,...



तब तो कित्ती ही बार ,और बजाय सम्हलाने के ,मनाने के , नमक छिड़कने वालों की कमी नहीं होती थी।

एक बार ऐसे ही जेठानी जी की किसी बात पर मेरी आँख गीली थी ,मेरे मायके वालों को , और मायके में था कौन मम्मी के सिवाय ,... शराबी कबाबी , ,..संस्कार ,...



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और गुड्डी आ गयी , बजाय कुछ पूछने के और ,...

" क्यों भाभी , मायके के किसी यार की याद आ गयी थी?"


लेकिन मैं अब बदल गयी थी , मैंने तय कर लिया था भागो नहीं बदलो , इनको भी इनके मायकेवालों को भी।



खाना मैंने गरम करना शुरू कर दिया था लेकिन मैं अपने को बार बार समझा रही थी

रिवेंज इज अ डिश बेस्ट सर्व्ड कोल्ड।

और अपनी स्ट्रेटजी सोच रही थी।



रिट्रीट ,रिट्रीट ,... किसी तरह मैं उन्हें जवाब न दूँ उनका गुस्सा ठंडा होने दूँ , पता करूँ उनकी ताकत किस मौके का वो इस्तेमाल करना चाहती हैं।


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मैं अपने दिमाग के घोड़े तेजी से दौड़ा रही थी,मैंने जो मम्मी से सीखा, क्लब की पॉलिटिक्स में मिसेज खन्ना से सीखा था,


कुछ भी गड़बड़ नहीं होना चहिये, कुछ भी नहीं, क्या था जेठानी के पास,



अब ये तो एकदम हमारे थे , जेठानी जी की ' खाने पीने ' आदतें सुधारने में मुझसे ज्यादा इनका हाथ था ,

गुड्डी भी , अब तो कोचिंग में चलने के लिए हमारे साथ चलने के लिए खुद बेताब थी, फिर उसकी कितनी फोटुएं मेरी मोबाइल में कैद थीं टॉपलेस, हर तरह के और अब तो इनसे ज्यादा वो गरमा रही थी अपनी टाँगे फैलाने को,

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सास्सू जी अभी थी नहीं तो, ....



मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था,



मेरे यहाँ आने के पहले ही मम्मी ने दस बार समझाया था, चेताया था, ' देख कोमलिया यहाँ सिर्फ तू और ये हैं, तो सब कुछ,... अब वो तेरे मन की बात समझने लगा है और तू भी, ... लेकिन जब उसके मायके में रहेगी न तो असली टेस्टिंग होगी तेरी, पुरानी यादें, और सब से बढ़कर पहले की आदतें, उन की भौजाई, अगर वो वहां जाके भी नहीं बदले तो समझो, ... "

और ये ये बदले क्या, मुझसे भी दो हाथ आगे थे , मेरी जेठानी और ननद दोनों के मामले में, ... एक पल के लिए भी नहीं हिचके, पोर्क चिकेन पिज्जा , मटन कबाब सब कुछ उन्होंने खुद आर्डर किया अपनी भाभी के लिए, अपने हाथ से खिलाया, ... फुल टाइम मस्ती,

लेकिन,



मुझे शुन त्जू की आर्ट आफ वार याद आ रही थी, नो योर एनमी, और क्या मैं अपने जेठानी जी के बारे में कुछ जानती हूँ ,... मैंने दिमाग पर बहुत जोर डाला, ...असल में कुछ भी नहीं, और बिना उनके बारे में जाने, अच्छी तरह समझे, उनकी सारी कमजोरियां, अतीत,...

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और मेरी सबसे बड़ी वीकनेस, ये ,... और इनसे जुड़ी गुड्डी इनकी बचपन की,...



और अचानक मेरी चमकी, जोर से चमकी,



अगर गुड्डी को हम लोगों के साथ जाने से जेठानी ने रोक दिया तो ये,... कैसे कर पाएंगी पता नहीं



लेकिन मेरा वो सबसे बड़ा वीक प्वायंट था, एक तो ये फ्रस्ट्रेट होंगे , दूसरी गुड्डी यहाँ अकेले तो जेठानी जी उसकी अच्छी तरह खबर लेंगी , और फिर न मुझ पर कोई विश्वास करेगा,

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मैंने झटाक से एक स्वाट किया, मेरी सबसे बड़ी स्ट्रेंथ ये , हर मौसम में मेरे साथ और अब गुड्डी भी, सेक्स मौज मस्ती तो ठीक थी , ननद भाभी की छेड़खानी, हो तो ठीक न हो तो भी , लेकिन मैंने मन ही मन तय कर लिया उसका मेडिकल इंट्रेंस का सपना और वो बिना कोचिंग ज्वाइन किये मुश्किल था , बिना हमारे साथ चले,



लेकिन वीकनेस ये थी की मुझे इस प्लान को भरभंड करने वाली जेठानी के बारे में कुछ भी नहीं मालूम था , और मेरी सास , जेठानी के साथ ही रहती थीं , उन्हें वो लीवरेज कर सकती थीं



अपॉरचुनिटी अभी से अच्छी कुछ नहीं थी, उस का इंटर का रिजल्ट आनेवाला था , उसके घर वाले भी मान गए थे और सास मेरी यहाँ थी नहीं ,



थ्रेट , वही जेठानी जी ,



इसलिए मैंने तय किया अभी मैं शांत रहूंगी , पहले जेठानी जी को उनके पत्ते खोलने दूंगी और फिर नहले पे दहला जड़ूंगी।

….
Superb update
 
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Jethani ko sabak milna chahiye barna torcher karti rahegi.super update...
Thanks so much, aapki baaten ekdam sahi hain
 
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