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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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komaalrani

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गौरैया फंसी,




एक बार भौजाइयों की किच किच , वही अपनी कुँवारी ननद , संदीप की बहन को चिढ़ाते,...

' समझ गयी न रोज सुबह घर से चिकनाई लगा के निकलो, क्या पता कब तेरी चुनमुनिया की लाटरी निकल जाए,... '



तो एक भौजी जेठानी के पीछे , तेरी जेठानी ने क्या लगवाया था तेरी बुर में वैसलीन,?


तो दूसरी चार बच्चों की अम्मा ने बात काटी , अरे कडुवा तेल से अच्छा कुछ नहीं , थोड़ा छरछराता परपराता है पर, जाता सटासट है , एक बार मरद ने किसी तरह सुपाड़ा सटा दिया तो बस काम पूरा लेकिन पहली बार की चुदाई दर्द तो होगा ही,...



और जो नयी भौजाई , छह सात महीने पहले ही शादी होके आयीं थीं ,... संदीप की बहना को समझाया ,


"सुन तू मायके से खूब चुदवा के जाना, मजे का मजा , और दर्द , डर सब निकल जाएगा। बस सुहागरात में एकदम दर्द नहीं होगा हाँ झूठ मूठ का चिल्लाना जरूर।



और अब सब भौजाइयां एक बार फिर संदीप की बहिनिया के पीछे , लेकिन फिर जेठानी जी जिस तरह से अपनी दूसरी चुदाई का बखान किया , मस्त राम मात,...



कैसे साजन ने पहले दोनों चूँचियाँ चूस चूस के गर्म किया निप्स रगड़े, फिर बुर में ऊँगली की दाना सहलाया ,



और जब पेला तो एक बार फिर जान निकल गयी लेकिन मजा खूब आया थोड़ी देर में वो खुद चूतड़ उठा के धक्के का जवाब धक्के से दे रही थीं , रात भर , सुबह जब ननदें ले जाने आयी तो पांचवा राउंड चल रहा था वो गोद में अपने लंड पे बैठा के चोद रहे थे , ननदें बाहर से दरवाजा खटखटा रही थीं और वो दुल्हन की बुर में झड़ रहे थे।

एक ने पूछा नन्दोई ने चमचम चुसाया की नहीं,



तो दूसरी बोली , कौन मर्द बिना लंड चुसाये छोड़ देता है,...



तो जेठानी बोलीं , ...

नहीं पहली रात नहीं उस दिन तो वो खाली चोदने के चक्कर में थे , लेकिन दूसरी रात एकदम शुरू में और अब तो रोज बिना नागा और वो खुद ही पहले चूस चूस के , उसके बाद खेल तमाशा ,... हाँ तीसरे दिन मैं उन्हें अपनी भी चटवायी वो भी जब उनका माल उसमें भरा था,...

अब तो सब भौजाइयां खूब हंसी , और संदीप की बहन से बोलीं, सीखो अपनी बहिन से ,... गुन ढंग


कोई भौजाई नहीं थी जिसकी गीली नहीं हुयी होगी और जिसके लिए जेठानी किस्से सुना रही थीं संदीप की बहनिया उस की हालत तो सबसे ज्यादा खराब

लेकिन जेठानी जी ने उस छोरी पर असली चारा रात में फेंका. गीली तो वो सबके सामने हो गयी थी, लेकिन रात को संदीप के घर पे छत पर साथ सोने के लिए जेठानी जी ने उसे बुलाया,... और वहीँ,

बात उस कच्ची कली ने ही शुरू की,

" क्यों दी, जीजू की याद आ रही है क्या "



बस जेठानी जी तो इसी मौके की तलाश में थी, पहले तो खूब गरम गरम बातें कर के उसे गरमाया , और फिर फ्राक के ऊपर से ही उसके आते अनारों को मसल के बोलीं, ऐसे दबाते थे. कल की छोरी जेठानी के जाल से कैसे बच पाती, फिर जेठानी ने उस के हाथ खींच के अपने उभारों पे ,

' चल तेरे जीजू नहीं है तो उनकी साली ही सही , तू ही दबा दे '




ऊपर के कपडे तो दोनों के उतर गए थे और जैसे ही छुटकी के हाथ ऊपर फंसे जेठानी जी को नीचे जाँघों के बीच सेंध लगाने का मौका मिल गया, जो वो जानना चाहती थीं संदीप को उन्होंने बोल तो दिया झिल्ली फड़वाने की बात कह के , लेकिन अगर पहले ही कहीं वो टाँगे फैला आयी हो,.. कोई ठिकाना थोड़े ही है , या किसी भाभी ने ही होली में , रतजगा में कस के दो ऊँगली एक साथ ठेल के , या इसे ही कभी नीचे वाले मुंह में बैगन, ककड़ी खाने का शौक चढ़ गया हो तो सारी मेहनत बेकार,



लेकिन जेठानी जी एकदम खुश, जैसा सोचा था संदीप की सगी समान बहिनिया उससे भी बढ़कर , एकदम कच्ची कोरी ,




झांटे भी बस आ ही रही थी, कलाई का पूरा जोर लगा लिया उन्होंने ऊँगली का एक पोर भी नहीं घुस पाया, ... तो झिल्ली भी फटेगी, खचखचा कर खून भी फेंकेगी, ... हाँ चिल्लायेगी , हाथ पेअर पटकेगी , तो वही तो वो चाहती थीं,...



हाथ पैर तो वो अभी भी फेंक रही थी लेकिन जेठानी के हथेली का जादू, हलके हलके सहलाते रगड़ते , थोड़ी देर में चुनमुनिया गीली हो गयी उसकी। सिसकियाँ निकलने और फिर जेठानी ने उससे कबुलवा भी लिया ,

नहीं उसने किसी के साथ कुछ भी नहीं , चुम्मी भी नहीं , लेकिन हाँ दो नहीं चार भँवरे है . दो तो उसके स्कूल के सामने खड़े रहते हैं और दो गाँव के ही ,

उसके क्लास की तीन चार लड़कियों की चिड़िया उड़ने लगी है , एक उसकी पक्की वाली सहेली ,... उसको तो उसके जिज्जा ने ही होली के दिन,... और वो उसके पीछे पड़ी थी,... उसके जीजा जब भी आते थे उसकी बात जरूर पूछते थे,...


"तो करवाया क्यों नहीं ,"

गीली चुनमुनिया में ऊँगली घुसाने की कोशिश करती जेठानी ने पूछा।




" धत्त, दी आप भी न ,...अभी मैं बहुत छोटी हूँ,... " खिलहिलाते हुए वो किशोरी बोली,

और जवाब में जेठानी ने उसके कच्चे मटर के दाने ऐसे निपल रगड़ दिए,...



" बदमाश, झूठी , तेरी सहेली अपने जीजा का घोंट लेती है पूरा और तू अभी छोटी है , उसी की उम्र तो होगी। " उन्होने संदीप की सगी समान बहन को छेड़ा।




और एक जबरदस्त झूठ बोल दिया,...



" एक बात बोलूं , ... किसी से बोलेगी तो नहीं,.. पक्का प्रॉमिस "



और उस छोटी ने प्रॉमिस कर दिया , और जेठानी ने सरासर झूठ बोल दिया,...



" जब मैंने पहली बार करवाया था न , ये नहीं बताउंगी किससे करवाया था,... मैं तुझसे भी छोटी थी तब मेरी फटी थी , "



असल में जेठानी की जब समुआ उनके हरवाह ने नीले गगन के तले, गन्ने के खेत में फाड़ी थी , दिन दहाड़े तो जेठानी जी इस कन्या से पूरे सवा दो महीने बड़ी थीं।
 
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komaalrani

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संदीप की छुटकी बहिनिया




" बदमाश, झूठी , तेरी सहेली अपने जीजा का घोंट लेती है पूरा और तू अभी छोटी है , उसी की उम्र तो होगी। " उन्होने संदीप की सगी समान बहन को छेड़ा।

और एक जबरदस्त झूठ बोल दिया,...
" एक बात बोलूं , ... किसी से बोलेगी तो नहीं,.. पक्का प्रॉमिस "

और उस छोटी ने प्रॉमिस कर दिया , और जेठानी ने सरासर झूठ बोल दिया,...

" जब मैंने पहली बार करवाया था न , ये नहीं बताउंगी किससे करवाया था,... मैं तुझसे भी छोटी थी तब मेरी फटी थी , "



असल में जेठानी की जब समुआ उनके हरवाह ने नीले गगन के तले, गन्ने के खेत में फाड़ी थी , दिन दहाड़े तो जेठानी जी इस कन्या से पूरे सवा दो महीने बड़ी थीं।

बस, अब उस कच्ची कली के मन का असली डर सामने आ गया, अपनी बड़ी बहन से चिपकती हुयी बोली

" लेकिन दी , दर्द बहुत होता होगा न,, ... "



अबकी जेठानी ने झूठ नहीं बोला और साफ़ साफ़ बोल दिया ,



" हाँ, यार दर्द तो होता है बहुत होता है, लेकिन ये सोच ये फटने वाली चीज है कभी न कभी फटेगी, आज नहीं दो साल बाद, बहुत बचाएगी तो शादी के बाद , लेकिन जब भी फटेगी , दर्द तो होगा ही न और फिर जब तू आधे दर्जन बच्चे जनेगी तो भी दर्द होगा ही न ,... स्साला लंड कितना मोटा हो , बच्चे से तो पतला ही होगा न ,... "

गियर बढ़ाते हुए जेठानी बोलीं,

और अब उनका एक हाथ खुल के वो जस्ट आये छोटे छोटे जोबन मसल रहा था,... और दूसरा चुनमुनिया के बीच कसर मसर कर रहा था




उसने कस के जेठानी को भींच रखा था, सिसक रही थी और जेठानी ने एक कदम प्यादा और चल दिया,

" देख यार एक बार बस घोंट ले तू उसके बाद मैं पूछूँगी , उस डंडे के बिना रहा नहीं जाएगा। मुझे ही देखो, अब एक दिन भी उपवास बर्दाश्त नहीं होता,... '



वो ऐसे ही चिपकी रही,...



लेकिन कुछ देर बाद उस छुटकी ने बॉम्ब विस्फोट कर दिया,


" दी, आपका संदीप भैया के साथ कुछ ,... ' वो बोली और जोर से खिलखिलाने लगी।



जेठानी तो एकदम फक्क , उनके मुंह से निकल गया,...


" तुझे कैसे पता, ... मतलब ऐसा कुछ नहीं है "
वो थोड़ी देर तक खिलखिलाती रही, फिर हंसी रोक के बोली,...



" आप तो घबड़ा गयीं,... मैं किसी से कहूँगी थोड़े अब तो हम लोग बहन के साथ सहेली भी हैं "

फिर उसने मामला साफ़ किया, ... पिछली बार आप आयी थीं न अपनी शादी के पहले , तो भैया आपके कमरे में गए थे ,...

जेठानी सांस रोक कर के सुन रही थीं,... और पॉज के बाद वो बोली,...


" और घंटे भर बाद जब निकले तो उनका पाजामा उल्टा था ,"

और वो छुटकी फिर से खिलखिलाने लगी और जोड़ा '

जब मैंने उनको देखा तो जल्दी से जाके बाथरूम में उन्होंने सीधा किया। अब मैं इत्ती छोटी भी तो नहीं हूँ , सब समझ गयी अंदर क्या चल रहा है। " '





फिर उसने दूसरी घटना सुनाई,..

" और अभी कल ही आप लोग कमरे में चिपके खड़े थे, मैं वाश बेसिन पर थी , शीशे में दिख रहा था,... "



जेठानी ने पक्का कर लिया अब इसे जल्द ही संदीप के नीचे लिटाना पड़ेगा,...

और अपने सामने ही इसकी न सिर्फ फड़वानी पड़ेगी , बल्कि इसे लंड की दीवानी भी बनाना होगा,... जब तक वो यहाँ है रोज बिना नागा चुदवाने का इंतजाम करना होगा,वरना फिर ये पता नहीं कहाँ कहाँ गायेगी। चाहे रेप करवाना पड़े ,... फिर एक बार ये उनके साथ हो गयी तो किसी को शक नहीं होगा,



बन कर मुस्कराते हुए उन्होंने उस को गले लगाते पूछा

" तू करवाएगी , संदीप के साथ "

" धत्त दी , मेरे भैया हैं " हटती हुयी मुंह फुला के वो बोली,..


" अरे यार भैया तो मेरे भी है लेकिन ये किसने कहा की भैया के संग चुदैया नहीं होती, औजार मस्त है उसका ,... "




" आप करवाइये न, मैं बाहर से चौकीदारी करूंगीं,...बस उनसे बोलियेगा की पाजामा सीधा कर लेंगे " हंस के वो बोली।



" चौकीदारी के साथ देख भी लेना , तेरी ट्रेनिंग भी हो जायेगी " उसी तरह जेठानी ने जवाब दिया।

रात ख़तम होने वाली थी , दोनों एक दूसरे की बाँहों में सो गयीं।



जेठानी का काम आधे से ज्यादा हो गया था , उन्हें मालूम था की जब तक संदीप को कच्ची कोरी नहीं मिलेगी , वो उन्हें तड़पाता रहेगा , और जो सब प्लान बना के वो आयी थीं , सब फुस्स्स हो जाएगा।



और संदीप से उन्होंने उसकी बहिनिया को दो तीन दिन में लिटाने का वादा किया था , लेकिन वो मौका अगले दिन ही मिल गया।
 

komaalrani

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पट गयी, फंस गयी



जेठानी का काम आधे से ज्यादा हो गया था , उन्हें मालूम था की जब तक संदीप को कच्ची कोरी नहीं मिलेगी , वो उन्हें तड़पाता रहेगा , और जो सब प्लान बना के वो आयी थीं , सब फुस्स्स हो जाएगा।

और संदीप से उन्होंने उसकी बहिनिया को दो तीन दिन में लिटाने का वादा किया था , लेकिन वो मौका अगले दिन ही मिल गया।



संदीप को सुबह ही जेठानी ने इशारा कर दिया था, जगह टाइम सब, तय हो गया था , अब असली बात थी , शिकार को हाँक कर के मचान तक पहुंचाने की, शिकारी भी तैयार था, उसकी बन्दूक भी।


और नाश्ता करते करते वो भी , शुरुआत संदीप की सगी समान बहन ने ही की अनजाने में,...


" दीदी, भैया ने नयी नयी मोटरसाइकल ली है "



अब जेठानी जी को मौका मिल गया, और वो संदीप के पीछे,


" जब तक चढ़ने का मौका न मिले,... तेरे भैया बड़े कंजूस है , आज उनसे बोल की हम दोनों को बाइक पे घुमा के लाएं "

वहां सभी लोग थे , संदीप की माँ, चाची किचेन में बिजी इन लोगों को नाश्ता दे रही थीं,


" नहीं नहीं दी आप घूम आइये " छुटकी बोली। और फुसफुसाते हुए मुस्करा के कहा

" अरे आप के लिए रास्ता सेट कर रही हूँ, मैं कहाँ दाल भात के बीच में मूसलचंद बनूँगी। "




जेठानी ने जोर से उसकी जांघ पर चिकोटी काटी और उसके कान में बोलीं,

" अरे मूसलचंद को कम से कम पकड़ के देख लेना। " फिर हलके से समझाया

" अरे तू साथ चलेगी तो किसीको शक नहीं होगा,... चल यार. "



जवाब संदीप की चाची ने दिया,....संदीप को हड़काते हुए.

" अरे घुमा ला न इन दोनों को वरना दिन भर यहाँ पड़े पड़े मेरी जान खायेगी,... और तेरी भी तो छुट्टी चल रही है। "

....


संदीप के मन में तो लड्डू फूटने लगे, तम्बू में बम्बू अंगड़ाई लेने लगा पर ऊपर ऊपर से उसने दस बहाने बनाये, लेकिन चाची की डांट के आगे,...


पर संदीप की माँ ने एक तकनीकी सवाल खड़ा कर दिया,... ' खाना "

अबकी सगी समान चचेरी बहन ही मैदान में आ गयी , बोली , "भैया खिलाएंगे न किसी अच्छे से ढाबे पे ,... "



" एकदम सही कह रही है तू आज इनकी जेब काटनी है अच्छी तरह से " जेठानी जी ने हाँ में हाँ मिलाई।



और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...



खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,...




लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया,

उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।

कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें ,

जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा,




और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.

छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...

" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "

मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,

" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... तेरा हाथ वहां पहुंचेगा नहीं "




फिर दुलार से समझाया

" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ,..... यहीं देख , सीख जायेगी,... "


 
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पट गयी, फंस गयी



जेठानी का काम आधे से ज्यादा हो गया था , उन्हें मालूम था की जब तक संदीप को कच्ची कोरी नहीं मिलेगी , वो उन्हें तड़पाता रहेगा , और जो सब प्लान बना के वो आयी थीं , सब फुस्स्स हो जाएगा।

और संदीप से उन्होंने उसकी बहिनिया को दो तीन दिन में लिटाने का वादा किया था , लेकिन वो मौका अगले दिन ही मिल गया।



संदीप को सुबह ही जेठानी ने इशारा कर दिया था, जगह टाइम सब, तय हो गया था , अब असली बात थी , शिकार को हाँक कर के मचान तक पहुंचाने की, शिकारी भी तैयार था, उसकी बन्दूक भी।


और नाश्ता करते करते वो भी , शुरुआत संदीप की सगी समान बहन ने ही की अनजाने में,...


" दीदी, भैया ने नयी नयी मोटरसाइकल ली है "



अब जेठानी जी को मौका मिल गया, और वो संदीप के पीछे,


" जब तक चढ़ने का मौका न मिले,... तेरे भैया बड़े कंजूस है , आज उनसे बोल की हम दोनों को बाइक पे घुमा के लाएं "

वहां सभी लोग थे , संदीप की माँ, चाची किचेन में बिजी इन लोगों को नाश्ता दे रही थीं,


" नहीं नहीं दी आप घूम आइये " छुटकी बोली। और फुसफुसाते हुए मुस्करा के कहा

" अरे आप के लिए रास्ता सेट कर रही हूँ, मैं कहाँ दाल भात के बीच में मूसलचंद बनूँगी। "




जेठानी ने जोर से उसकी जांघ पर चिकोटी काटी और उसके कान में बोलीं,

" अरे मूसलचंद को कम से कम पकड़ के देख लेना। " फिर हलके से समझाया

" अरे तू साथ चलेगी तो किसीको शक नहीं होगा,... चल यार. "



जवाब संदीप की चाची ने दिया,....संदीप को हड़काते हुए.

" अरे घुमा ला न इन दोनों को वरना दिन भर यहाँ पड़े पड़े मेरी जान खायेगी,... और तेरी भी तो छुट्टी चल रही है। "

....


संदीप के मन में तो लड्डू फूटने लगे, तम्बू में बम्बू अंगड़ाई लेने लगा पर ऊपर ऊपर से उसने दस बहाने बनाये, लेकिन चाची की डांट के आगे,...


पर संदीप की माँ ने एक तकनीकी सवाल खड़ा कर दिया,... ' खाना "

अबकी सगी समान चचेरी बहन ही मैदान में आ गयी , बोली , "भैया खिलाएंगे न किसी अच्छे से ढाबे पे ,... "



" एकदम सही कह रही है तू आज इनकी जेब काटनी है अच्छी तरह से " जेठानी जी ने हाँ में हाँ मिलाई।



और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...



खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,...




लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया,

उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।

कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें ,

जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा,




और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.

छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...

" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "

मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,

" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... तेरा हाथ वहां पहुंचेगा नहीं "




फिर दुलार से समझाया

" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ,..... यहीं देख , सीख जायेगी,... "


Bahut Sundar update bhabhi ji per Aise julm Na Karo Sipahi bilkul taiyar hai aur aapane Achanak ful stop Laga Diya agale update ka bahut basebrij hai Ham donon Intezar kar rahe hain ummid Hai Ki aap Hamara Khyal Karke jald hi Humko dogi😘😘😘😘😘😘
 

Rajizexy

Punjabi Doc, Raji, ❤️ & let ❤️
Supreme
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पट गयी, फंस गयी



जेठानी का काम आधे से ज्यादा हो गया था , उन्हें मालूम था की जब तक संदीप को कच्ची कोरी नहीं मिलेगी , वो उन्हें तड़पाता रहेगा , और जो सब प्लान बना के वो आयी थीं , सब फुस्स्स हो जाएगा।

और संदीप से उन्होंने उसकी बहिनिया को दो तीन दिन में लिटाने का वादा किया था , लेकिन वो मौका अगले दिन ही मिल गया।



संदीप को सुबह ही जेठानी ने इशारा कर दिया था, जगह टाइम सब, तय हो गया था , अब असली बात थी , शिकार को हाँक कर के मचान तक पहुंचाने की, शिकारी भी तैयार था, उसकी बन्दूक भी।


और नाश्ता करते करते वो भी , शुरुआत संदीप की सगी समान बहन ने ही की अनजाने में,...


" दीदी, भैया ने नयी नयी मोटरसाइकल ली है "



अब जेठानी जी को मौका मिल गया, और वो संदीप के पीछे,


" जब तक चढ़ने का मौका न मिले,... तेरे भैया बड़े कंजूस है , आज उनसे बोल की हम दोनों को बाइक पे घुमा के लाएं "

वहां सभी लोग थे , संदीप की माँ, चाची किचेन में बिजी इन लोगों को नाश्ता दे रही थीं,


" नहीं नहीं दी आप घूम आइये " छुटकी बोली। और फुसफुसाते हुए मुस्करा के कहा

" अरे आप के लिए रास्ता सेट कर रही हूँ, मैं कहाँ दाल भात के बीच में मूसलचंद बनूँगी। "




जेठानी ने जोर से उसकी जांघ पर चिकोटी काटी और उसके कान में बोलीं,

" अरे मूसलचंद को कम से कम पकड़ के देख लेना। " फिर हलके से समझाया

" अरे तू साथ चलेगी तो किसीको शक नहीं होगा,... चल यार. "



जवाब संदीप की चाची ने दिया,....संदीप को हड़काते हुए.

" अरे घुमा ला न इन दोनों को वरना दिन भर यहाँ पड़े पड़े मेरी जान खायेगी,... और तेरी भी तो छुट्टी चल रही है। "

....


संदीप के मन में तो लड्डू फूटने लगे, तम्बू में बम्बू अंगड़ाई लेने लगा पर ऊपर ऊपर से उसने दस बहाने बनाये, लेकिन चाची की डांट के आगे,...


पर संदीप की माँ ने एक तकनीकी सवाल खड़ा कर दिया,... ' खाना "

अबकी सगी समान चचेरी बहन ही मैदान में आ गयी , बोली , "भैया खिलाएंगे न किसी अच्छे से ढाबे पे ,... "



" एकदम सही कह रही है तू आज इनकी जेब काटनी है अच्छी तरह से " जेठानी जी ने हाँ में हाँ मिलाई।



और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...



खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,...




लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया,

उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।

कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें ,

जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा,




और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.

छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...

" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "

मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,

" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... तेरा हाथ वहां पहुंचेगा नहीं "




फिर दुलार से समझाया

" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ,..... यहीं देख , सीख जायेगी,... "


Hum tum (Sandeep aur uski behn) ik kamre me band ho aur chabi kho jaye.Vese ladki itni anjan bhi nhi, pajama ulta sidha sab dekh leti hai, lekin ab uska bachna mushkil lagta hai chunki khujli to ho rahi hai uske bhi bas dard se darti hai.Ab jethani ke chungal me hai ladki puri tarah, to phategi hi uski.
Kya likhti ho tum dear lovely Komal sis.Awesome ,sooooooo erotic, kitni steek wording wow,so hottt🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥👌👌👌👌👌👌👌👌💯💯💯💯💯💯💯
 
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Luckyloda

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कोमल जी जल्दी से इस कच्ची कली का खून खराबा और शोर-शराबा सुनाओ रहा नहीं जा रहा है
 
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