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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग २३६ - मंगलवार, दिल्ली

अपडेट पोस्टड, पृष्ठ १४३३ फायनेंसियल थ्रिलर का नया मोड़,

कृपया पढ़ें, आंनद लें और कमेंट जरूर करें
 
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संदीप की छुटकी बहिनिया




" बदमाश, झूठी , तेरी सहेली अपने जीजा का घोंट लेती है पूरा और तू अभी छोटी है , उसी की उम्र तो होगी। " उन्होने संदीप की सगी समान बहन को छेड़ा।

और एक जबरदस्त झूठ बोल दिया,...
" एक बात बोलूं , ... किसी से बोलेगी तो नहीं,.. पक्का प्रॉमिस "

और उस छोटी ने प्रॉमिस कर दिया , और जेठानी ने सरासर झूठ बोल दिया,...

" जब मैंने पहली बार करवाया था न , ये नहीं बताउंगी किससे करवाया था,... मैं तुझसे भी छोटी थी तब मेरी फटी थी , "



असल में जेठानी की जब समुआ उनके हरवाह ने नीले गगन के तले, गन्ने के खेत में फाड़ी थी , दिन दहाड़े तो जेठानी जी इस कन्या से पूरे सवा दो महीने बड़ी थीं।

बस, अब उस कच्ची कली के मन का असली डर सामने आ गया, अपनी बड़ी बहन से चिपकती हुयी बोली

" लेकिन दी , दर्द बहुत होता होगा न,, ... "



अबकी जेठानी ने झूठ नहीं बोला और साफ़ साफ़ बोल दिया ,



" हाँ, यार दर्द तो होता है बहुत होता है, लेकिन ये सोच ये फटने वाली चीज है कभी न कभी फटेगी, आज नहीं दो साल बाद, बहुत बचाएगी तो शादी के बाद , लेकिन जब भी फटेगी , दर्द तो होगा ही न और फिर जब तू आधे दर्जन बच्चे जनेगी तो भी दर्द होगा ही न ,... स्साला लंड कितना मोटा हो , बच्चे से तो पतला ही होगा न ,... "


गियर बढ़ाते हुए जेठानी बोलीं,

और अब उनका एक हाथ खुल के वो जस्ट आये छोटे छोटे जोबन मसल रहा था,... और दूसरा चुनमुनिया के बीच कसर मसर कर रहा था




उसने कस के जेठानी को भींच रखा था, सिसक रही थी और जेठानी ने एक कदम प्यादा और चल दिया,

" देख यार एक बार बस घोंट ले तू उसके बाद मैं पूछूँगी , उस डंडे के बिना रहा नहीं जाएगा। मुझे ही देखो, अब एक दिन भी उपवास बर्दाश्त नहीं होता,... '



वो ऐसे ही चिपकी रही,...



लेकिन कुछ देर बाद उस छुटकी ने बॉम्ब विस्फोट कर दिया,


" दी, आपका संदीप भैया के साथ कुछ ,... ' वो बोली और जोर से खिलखिलाने लगी।



जेठानी तो एकदम फक्क , उनके मुंह से निकल गया,...


" तुझे कैसे पता, ... मतलब ऐसा कुछ नहीं है "
वो थोड़ी देर तक खिलखिलाती रही, फिर हंसी रोक के बोली,...



" आप तो घबड़ा गयीं,... मैं किसी से कहूँगी थोड़े अब तो हम लोग बहन के साथ सहेली भी हैं "

फिर उसने मामला साफ़ किया, ... पिछली बार आप आयी थीं न अपनी शादी के पहले , तो भैया आपके कमरे में गए थे ,...

जेठानी सांस रोक कर के सुन रही थीं,... और पॉज के बाद वो बोली,...


" और घंटे भर बाद जब निकले तो उनका पाजामा उल्टा था ,"

और वो छुटकी फिर से खिलखिलाने लगी और जोड़ा '


जब मैंने उनको देखा तो जल्दी से जाके बाथरूम में उन्होंने सीधा किया। अब मैं इत्ती छोटी भी तो नहीं हूँ , सब समझ गयी अंदर क्या चल रहा है। " '





फिर उसने दूसरी घटना सुनाई,..

" और अभी कल ही आप लोग कमरे में चिपके खड़े थे, मैं वाश बेसिन पर थी , शीशे में दिख रहा था,... "



जेठानी ने पक्का कर लिया अब इसे जल्द ही संदीप के नीचे लिटाना पड़ेगा,...


और अपने सामने ही इसकी न सिर्फ फड़वानी पड़ेगी , बल्कि इसे लंड की दीवानी भी बनाना होगा,... जब तक वो यहाँ है रोज बिना नागा चुदवाने का इंतजाम करना होगा,वरना फिर ये पता नहीं कहाँ कहाँ गायेगी। चाहे रेप करवाना पड़े ,... फिर एक बार ये उनके साथ हो गयी तो किसी को शक नहीं होगा,



बन कर मुस्कराते हुए उन्होंने उस को गले लगाते पूछा

" तू करवाएगी , संदीप के साथ "

" धत्त दी , मेरे भैया हैं " हटती हुयी मुंह फुला के वो बोली,..


" अरे यार भैया तो मेरे भी है लेकिन ये किसने कहा की भैया के संग चुदैया नहीं होती, औजार मस्त है उसका ,... "




" आप करवाइये न, मैं बाहर से चौकीदारी करूंगीं,...बस उनसे बोलियेगा की पाजामा सीधा कर लेंगे " हंस के वो बोली।



" चौकीदारी के साथ देख भी लेना , तेरी ट्रेनिंग भी हो जायेगी " उसी तरह जेठानी ने जवाब दिया।

रात ख़तम होने वाली थी , दोनों एक दूसरे की बाँहों में सो गयीं।



जेठानी का काम आधे से ज्यादा हो गया था , उन्हें मालूम था की जब तक संदीप को कच्ची कोरी नहीं मिलेगी , वो उन्हें तड़पाता रहेगा , और जो सब प्लान बना के वो आयी थीं , सब फुस्स्स हो जाएगा।



और संदीप से उन्होंने उसकी बहिनिया को दो तीन दिन में लिटाने का वादा किया था , लेकिन वो मौका अगले दिन ही मिल गया।

" अरे यार भैया तो मेरे भी है लेकिन ये किसने कहा की भैया के संग चुदैया नहीं होती, औजार मस्त है उसका ,...

Waaaaaaaaaaahh"
 
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पट गयी, फंस गयी



जेठानी का काम आधे से ज्यादा हो गया था , उन्हें मालूम था की जब तक संदीप को कच्ची कोरी नहीं मिलेगी , वो उन्हें तड़पाता रहेगा , और जो सब प्लान बना के वो आयी थीं , सब फुस्स्स हो जाएगा।

और संदीप से उन्होंने उसकी बहिनिया को दो तीन दिन में लिटाने का वादा किया था , लेकिन वो मौका अगले दिन ही मिल गया।



संदीप को सुबह ही जेठानी ने इशारा कर दिया था, जगह टाइम सब, तय हो गया था , अब असली बात थी , शिकार को हाँक कर के मचान तक पहुंचाने की, शिकारी भी तैयार था, उसकी बन्दूक भी।


और नाश्ता करते करते वो भी , शुरुआत संदीप की सगी समान बहन ने ही की अनजाने में,...


" दीदी, भैया ने नयी नयी मोटरसाइकल ली है "



अब जेठानी जी को मौका मिल गया, और वो संदीप के पीछे,


" जब तक चढ़ने का मौका न मिले,... तेरे भैया बड़े कंजूस है , आज उनसे बोल की हम दोनों को बाइक पे घुमा के लाएं "

वहां सभी लोग थे , संदीप की माँ, चाची किचेन में बिजी इन लोगों को नाश्ता दे रही थीं,


" नहीं नहीं दी आप घूम आइये " छुटकी बोली। और फुसफुसाते हुए मुस्करा के कहा

" अरे आप के लिए रास्ता सेट कर रही हूँ, मैं कहाँ दाल भात के बीच में मूसलचंद बनूँगी। "




जेठानी ने जोर से उसकी जांघ पर चिकोटी काटी और उसके कान में बोलीं,

" अरे मूसलचंद को कम से कम पकड़ के देख लेना। " फिर हलके से समझाया

" अरे तू साथ चलेगी तो किसीको शक नहीं होगा,... चल यार. "



जवाब संदीप की चाची ने दिया,....संदीप को हड़काते हुए.

" अरे घुमा ला न इन दोनों को वरना दिन भर यहाँ पड़े पड़े मेरी जान खायेगी,... और तेरी भी तो छुट्टी चल रही है। "

....


संदीप के मन में तो लड्डू फूटने लगे, तम्बू में बम्बू अंगड़ाई लेने लगा पर ऊपर ऊपर से उसने दस बहाने बनाये, लेकिन चाची की डांट के आगे,...


पर संदीप की माँ ने एक तकनीकी सवाल खड़ा कर दिया,... ' खाना "

अबकी सगी समान चचेरी बहन ही मैदान में आ गयी , बोली , "भैया खिलाएंगे न किसी अच्छे से ढाबे पे ,... "



" एकदम सही कह रही है तू आज इनकी जेब काटनी है अच्छी तरह से " जेठानी जी ने हाँ में हाँ मिलाई।



और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...



खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,...




लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया,

उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।

कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें ,

जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा,




और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.

छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...

" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "

मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,

" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... तेरा हाथ वहां पहुंचेगा नहीं "




फिर दुलार से समझाया

" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ,..... यहीं देख , सीख जायेगी,... "


Bahut masttt
 
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Jiashishji

दिल का अच्छा
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ekdam sahi kaha aapne , abhi dekhiye kya kya khulata hai , conspiracy mystery ... aur aisi gazab ki jethani ka ajab gazab haal to unki devarnai hi kar skati hai jiskijad men vo mattha daal rahi thin kya khyal hai
Wo to mattha nahi daal pai . Magar devrani ne matki jarur food de uski . Waiting for next apdate .
 
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Jiashishji

दिल का अच्छा
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पट गयी, फंस गयी



जेठानी का काम आधे से ज्यादा हो गया था , उन्हें मालूम था की जब तक संदीप को कच्ची कोरी नहीं मिलेगी , वो उन्हें तड़पाता रहेगा , और जो सब प्लान बना के वो आयी थीं , सब फुस्स्स हो जाएगा।

और संदीप से उन्होंने उसकी बहिनिया को दो तीन दिन में लिटाने का वादा किया था , लेकिन वो मौका अगले दिन ही मिल गया।



संदीप को सुबह ही जेठानी ने इशारा कर दिया था, जगह टाइम सब, तय हो गया था , अब असली बात थी , शिकार को हाँक कर के मचान तक पहुंचाने की, शिकारी भी तैयार था, उसकी बन्दूक भी।


और नाश्ता करते करते वो भी , शुरुआत संदीप की सगी समान बहन ने ही की अनजाने में,...


" दीदी, भैया ने नयी नयी मोटरसाइकल ली है "



अब जेठानी जी को मौका मिल गया, और वो संदीप के पीछे,


" जब तक चढ़ने का मौका न मिले,... तेरे भैया बड़े कंजूस है , आज उनसे बोल की हम दोनों को बाइक पे घुमा के लाएं "

वहां सभी लोग थे , संदीप की माँ, चाची किचेन में बिजी इन लोगों को नाश्ता दे रही थीं,


" नहीं नहीं दी आप घूम आइये " छुटकी बोली। और फुसफुसाते हुए मुस्करा के कहा

" अरे आप के लिए रास्ता सेट कर रही हूँ, मैं कहाँ दाल भात के बीच में मूसलचंद बनूँगी। "




जेठानी ने जोर से उसकी जांघ पर चिकोटी काटी और उसके कान में बोलीं,

" अरे मूसलचंद को कम से कम पकड़ के देख लेना। " फिर हलके से समझाया

" अरे तू साथ चलेगी तो किसीको शक नहीं होगा,... चल यार. "



जवाब संदीप की चाची ने दिया,....संदीप को हड़काते हुए.

" अरे घुमा ला न इन दोनों को वरना दिन भर यहाँ पड़े पड़े मेरी जान खायेगी,... और तेरी भी तो छुट्टी चल रही है। "

....


संदीप के मन में तो लड्डू फूटने लगे, तम्बू में बम्बू अंगड़ाई लेने लगा पर ऊपर ऊपर से उसने दस बहाने बनाये, लेकिन चाची की डांट के आगे,...


पर संदीप की माँ ने एक तकनीकी सवाल खड़ा कर दिया,... ' खाना "

अबकी सगी समान चचेरी बहन ही मैदान में आ गयी , बोली , "भैया खिलाएंगे न किसी अच्छे से ढाबे पे ,... "



" एकदम सही कह रही है तू आज इनकी जेब काटनी है अच्छी तरह से " जेठानी जी ने हाँ में हाँ मिलाई।



और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...



खेत, बगीचे, गाँव की सड़क,...




लेकिन थोड़ी देर में वो लोग गाँव से बाहर,... संदीप ने पहले से ही तय कर लिया,

उन लोगों के खेत बाग़ कई गाँवों में फैले थे , एक दूर के गाँव में उनका एक बगीचा भी था और खेत भी वहीँ नया नया ट्यूबेल उन लोगों ने लगया था और एक कमरा भी , घने बाग़ के बीच में,मोटरसाइकिल वहीँ जा के रुकी।

कुछ देर में हम तीनों कमरे के अंदर थे , पुआल, कच्ची मिटटी का फर्श और दो गद्दे पड़े थे, और जब तक बाक दोनों कुछ समझें ,

जेठानी कमरे के बाहर , उन्होने आराम से कमरे के बाहर एक बड़ा सा ढाई पाव का ताला बंद किया , हिला डुला के देखा,




और एक छोटी सी खिड़की से कूद के अंदर,... संदीप और उसकी सगी सी बहन कुछ बतिया रहे थे पर जेठानी ने देख लिया की संदीप की नजर छुटकी बहिनिया की कच्ची अमियों पर एक टक टिकी है, जेठानी मन ही मन मुस्करायीं अभी कुछ देर में ही ये टिकोरे कचर कचर कुतरे जाएंगे और चाभी उन्होंने एक खूब ऊपर ताखे पर फेंक दी.

छुटकी बहन जेठानी से सट गयी, और फुसफुसाते हुए बोली,...

" दी, अब मैं बाहर चलती हूँ, देखिये आपका काम तो हो गया , अब आप और भैया चालू हो जाइये , मैं बाहर खड़ी रहूंगी। "

मुस्कराते हुए जेठानी ने पहले तो संदीप को दिखाते हुए उसे कस के चूमा, फिर जोर से बोलीं ,

" अरे बाहर तो ताला बंद है, कैसे जायेगी , और चाभी ऊपर ताखे में,... तेरा हाथ वहां पहुंचेगा नहीं "




फिर दुलार से समझाया

" अरे दरवाजा अंदर से बंद रहता तो किसी भी आने जाने वाले को शक होता, वो दरवाजा खटखटा के देखता अंदर कौन है,... अब बाहर से ताला देख के चला जाएगा और तू बैठ,..... यहीं देख , सीख जायेगी,... "


Kali khud hi phool Banna chati hai . Bas thoda man me dar hai . Jab andar jaye ga dar nikal jaye ga
 

chodumahan

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" तू करवाएगी , संदीप के साथ "

" धत्त दी , मेरे भैया हैं " हटती हुयी मुंह फुला के वो बोली,..


" अरे यार भैया तो मेरे भी है लेकिन ये किसने कहा की भैया के संग चुदैया नहीं होती, औजार मस्त है उसका ,... "
आम बोल-चाल की कहावतों का क्या सही प्रयोग किया है...
इस कारण हीं कोई कहानी सरस हो जाती है...
और कोई नीरस लगने लगती है..

आपकी यही खूबी पाठकों को आपसे बांधे रखती है....

संदीप की चचेरी बहन भी ट्रेनिंग लेने को तैयार है...
और ममेरी बहन ट्रेनिंग दिलवाने को...

और उसके बाद लोटन कबूतर भी गुटर-गुं करने लगेगा...
विविधता आपकी खासियत है... और अलग-अलग पात्रों का समावेश (चाहे फ्लैशबैक में क्यों न हो) इन चीजों से बचाए रखती है...
 
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chodumahan

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पट गयी, फंस गयी


" एकदम सही कह रही है तू आज इनकी जेब काटनी है अच्छी तरह से " जेठानी जी ने हाँ में हाँ मिलाई।



और थोड़ी देर में जेठानी जी और नयी कच्ची कोरी बहिनिया, फटफटिया पर बैठी,...
संदीप की पहले जेब कटेगी फिर बहन की .... फटेगी...
दोनों अपने-अपने मजे लेंगे...
 

Bhaji.

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NICE Update. Eagerly waiting for Update.
 
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komaalrani

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Bahut Sundar update bhabhi ji per Aise julm Na Karo Sipahi bilkul taiyar hai aur aapane Achanak ful stop Laga Diya agale update ka bahut basebrij hai Ham donon Intezar kar rahe hain ummid Hai Ki aap Hamara Khyal Karke jald hi Humko dogi😘😘😘😘😘😘
ekdm, bas rakhi ka tyohar aane vaaala hai usi ke aaspas , ek do din baad, Bhai chadha Bahniya par,... Goliya bhi chalnegi, chiikh pukaar bhi hogi, khoon bhi nilega
 

komaalrani

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Bechari kacchi Kali jethani ke jal main phas gayi.Yahi trick wo guddi ke khilaf bhi use karne wali thi,agar guddi manti toh sahi nahi to jabardasti karati uske upar.
Bahot purani khiladi lagti hain jethani kacchi kalliyo ko fasane wali.
ekdm aur jab unka apana fayada ataka ho to aur unhe maaloom hai iske bina sandip ki gaadi aage nahi badhegi to
 
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komaalrani

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Bechari kacchi Kali jethani ke jal main phas gayi.Yahi trick wo guddi ke khilaf bhi use karne wali thi,agar guddi manti toh sahi nahi to jabardasti karati uske upar.
Bahot purani khiladi lagti hain jethani kacchi kalliyo ko fasane wali.
Jethani aisi Chalak Chalbaaz kam milti hain , abhi to is laal dairy se bahoot Raaz khulenge
 
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