Yes, whenever i get time , if you read MOHE RANG DE some jhalak of sequels have been given,...
आज ही अनुज बनारस में , कुछ अंश यहाँऔर जैसा रिस्पॉन्स होगा सुझाव होगा , उस तरह से अलग से थ्रेड मेंहो सकता है इन्सेस्ट के भी एकाध प्रसंग आ जाएँ , जो मैंने पहले कभी ट्राई नहीं कियेमेरा मानना है कि इंसेस्ट सिर्फ खून के संबंधों के बीच में होता है.... जैसे चाचा भतीजी में इंसेस्ट है लेकिन चाची...
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किस्सा बनारस का, ( अनुज की जुबानी )
गुड्डो की मम्मी
Page 258 and 259 of Mohe Rang de
काम -काम्या, रम्या, प्रमदा
काम का चरम रूप स्त्री -पुरुष, देह मन मस्तिष्क तीनो का संगम और रस की पराकाष्ठा,... मैं कुछ सायास सोच नहीं रहा था, गंगा की लहरें देखते हुए अपने आप मन में विचारों की भावों की लहरे बह रही थीं,...
रस अन्त:करण की वह शक्ति है, जिसके कारण इन्द्रियाँ अपना कार्य करती हैं, मन कल्पना करता है, स्वप्न की स्मृति रहती है। रस आनंद रूप है । यही आनंद अन्य सभी अनुभवों का अतिक्रमण भी है।
कमनीया का एक कटाक्ष, सभी दृष्टि के सुखों से ऊपर होता है, बिना कहे सुख की कितनी पिचकारियां, उस कटाक्ष के साथ लजाने से छूट पड़ती हैं,... छेड़छाड़ की बातें कभी आधी कही, बातें सब वाग सुखों का निचोड़ हो जाता है, और मिलन में तो सब रस एक साथ,... दृश्य का वाग का स्पर्श का गंध का,...
पुजारी जी जैसे जैसे प्रसाद का पान करा रहे थे, ... सब कुछ भूल कर,... जैसे शैवाल से भरा ताल भले ऊपर से जैसा लगे पर उसके नीचे प्यास बुझाने वाला निर्मल जल ,... नीति -अनीति, नाते रिश्ते भौतिक सम्बन्ध जैसे कटते जा रहे थे , जैसे काई हटती जा रही हो और अंदर का सुंदर स्वादिष्ट जल प्यास बुझाने के लिए ,... कामना, उसको पूरा करने के लिए शक्ति और सबसे बढ़कर रस, छक कर रस पान,...
रमणी,... जिसके साथ रमण किया जाये, रम्या,... कामिनी, काम्या,... जिसकी कामना की जाये,... और स्त्री में ही पुरुष की पूर्ण आहुति होती है, वहीँ पुरुष स्थान पाता है ,धात्री धरती बीज को धारण करती है और शष्य श्यामला धान्य से भर जाती है, स्त्री यज्ञ की समिधा की तरह है , जिसमे पुरुष घृत की तरह,... दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, और सृष्टि का निर्माण भले ही हो गया है , लेकिन यह काम की भावना ही चाहे पेड़ पौधे हों, अलग योनियों के जीव जंतु हो,उनकी वृद्धि के लिए जिम्मेदार है , और काम की पूर्ती के साथ जो स्त्री पुरुष दोनों को आनंद मिलता है, वह शब्दातीत है, लेकिन उस आनंद को देना और लेना दोनों ही, कर्म है,...