जोबन दमदार
जेठानी की आवाज से अंदाज से रूप से चम्पा बाई खुश लग रही थीं। पर उन्होंने एक साफ़ साफ हुकुम सुना दिया ,
" मेरे कोठे पर सिर्फ मेरा हुकुम चलता है और एक बार तूने हाँ कर दी तो तुझे मेरी सारे बातें माननी होगी ,तेरी माँ की तरह हूँ मैं ,मुहे मौसी बोलसकती हो। बोल मानेगी न "
"हाँ एकदम "जेठानी ने बिना हिचके हामी भर दी ,और सवाल जवाब ऐक्शन में बदल गया.
" अरे तानी अंचरा हटाओ ,आपन जोबना दिखाओ न " चम्पा बाई ने कुछ हुकुम सुनाया कुछ अनुरोध किया।
और कुछ लजाते शरमाते ,कुछ अदा दिखाते इनकी 'संस्कारी ' भाभी ने आँचल सरका दिया , पहले तो जोबन की हल्की सी झलक , फिर निपल्स और उसके बाद पूरी गोलाई
चंपा बाई के चेहरे से साफ़ साफ़ झलक रहा था जो उन्हें दिख रहा है वो उन्हें न सिर्फ पसंद है बल्कि बहुत पसदं है।
३६ डी डी की साइज के बावजूद बिना ब्रा के सपोर्ट के भी इनकी जेठानी के उभार एकदम कड़े , ज़रा भी सैगिंग नहीं थीं। परफेक्ट गोल,
उभार,कटाव ,कड़ापन ,शेप साइज सबमें दस में दस , और ऊपर से जिस तरह
नीचे से जेठानी ने अपनी दोनों उँगलियों से अपने उरोजों को हलके हलके छूना सहलाना शुरू कर दिया ,धीरे कभी थोड़ा सा दबाते , मसलते उँगलियाँ ऊपर बढ़ रही थीं , चम्पा बाई की भी हालत खराब हो गयी।
निप्स भी एकदम परफेक्ट।
ज़रा सा घुंडी पकड़ के ,गोल गोल घुमाके , ... चम्पा बाई बोलीं।
और मेरी जेठानी बचपन की खेली खायी , गन्ने के खेत में कबड्डी खेल खेल कर बड़ी हुईं ,...
उन्होंने मंझली और तर्जनी उँगलियों के बीच निपल दबने के बावजूद गोल गोल कंचे की तरह एकदम कड़े , और जिस तरह से उँगलियों के बीच वो घुमा रही थीं ,मेरी हालत खराब हो रही थी ,चम्पा बाई के कोठे पर आने वाले मरदों की हालत तो ,...
'गजब ,बहुत अच्छा ,... "
जिसने कितनी कुंवारियों की सील तुड़वाई होगी , कितनी एक से एक जिसके कोठे पर चढ़कर मशहूर हुयी होंगी ,उसके मुंह से किसी की तारीफ़ निकलजाये तो इससे बड़ी तारीफ़ क्या होगी।
चंपा बाई के चेहरे से भी लग रहा था की ये माल उनके कोठे पर आग लगा देगा।
साडी अब सरक कर इनकी भाभी की गोद में सिमटी पड़ी थी , वो पूरी तरह टॉपलेस ,पान के पत्ते की तरह चिकना पेट ,पतली कमर गहरी नाभी सब दिख रही थी।
" पेट कितनी बार गिरवाया, शादी के पहले " चंपा भाई ने टेढ़ा सवाल कर दिया।
जैसे उन्हें समझ में नहीं आया इस तरह वो चम्पा बाई की ओर देखती रहीं ,फिर मुस्कराते हुए ना में उन्होंने सर हिलाया और हलके से बोला
" नहीं कभी नहीं। "
" मैंने इसलिए पूछा की तुमतो शादी के चार पांच साल पहले से ही ,जब हाईस्कूल में पहुंची थी तभी से ,... और गाँव में कंडोम वन्डोम तो ,.. "
चम्पा बाई ने साफ़ साफ़ बात अपनी पूरी की।
" आप एकदम सही कह रही हैं , गाँव में कंडोम का तो सवाल ही नहीं उठता न कंडोम न वैसलीन। सब एकदम डायरेक्ट सीधे ही ,सटाया ,धँसाया ,घुसेड़ दिया। " मेरी जेठानी हँसते हुए बोली।
और अब उनमें और चंपा बाई में खुल के सहेलियों की तरह बातें हो रही थी।
" मैं गोली लेती थी ,जब से मेरे पीरियड शुरू हुए उसके कुछ दिन बाद ही मेरी माँ ने खुद ही ,... " जेठानी ने अपनी निर्भीक कच्ची जवानी में चुदाई का राज खोला।
" तुम्हारी माँ सच में बहुत समझदार थीं ,और मेरे कोठे पर भी कोई कंडोम वन्डोम नहीं सीधे सीधे ,इसलिए मैं पूछ रही थी अच्छा शादी के बाद तो कभी पेट नहीं गिरवाया?"
" न ना " अबकी इनकी भाभी की आवाज में खिलखिलाहट नहीं थीं। कभी उलटी तक तो हुयी नहीं , गाभिन होने का सवाल ही नहीं था।
लेकिन मैं चम्पा बाई के सवालों का मतलब समझ रही थी। जेठानी के चिकने मुलायम गोरे गोरे पेट पर प्रिगनेंसी का कोई निशान नहीं था। एकदम किसी नयी ब्याही दुल्हिन की तरह कोरे कागज की तरह चिकनी ,
" बच्चे वच्चे तो नहीं हुए न ,... "मालूम होने के बावजूद चम्पा भाभी ने साफ़ साफ़ पूछ लिया।
" नहीं नहीं , कोई नहीं " जल्दी से मेरी जेठानी ने वो टॉपिक बंद किया
.और चम्पा बाई ने उनकी सहेली खुलवा दी।