प्रोग्राम पक्का
" तो फिर पक्का न , किस दिन ,.. " चम्पा बाई ने जेठानी से हामी भरवाई।
जेठानी ने तारीख बता दी। आज से ११ दिन बाद की। और साफ़ साफ़ कारण भी बता दिया ,
" हमारी सास ८-१० दिन के लिए जा रही है बाहर और इनकी भी हफ्ते भर की ट्रेनिंग है दिल्ली में , तो ये भी इसलिए ,... "
मेरी निगाह उस तारीख पर कैलेण्डर में घूम रही थी , शुक्रवार का दिन था।
और उसी दिन मेरी मम्मी मेरी सास को लेकर मेरे घर आने वाली थीं ,उन्हें सुबह ही निकलना था ,दोपहर तक वो हमारे घर पहुँच जाती।
" तो पक्का न शुक्रवार को रंजीत को मैं भेज दूंगी। शाम को चार बजे। उस का नंबर भी तुझे मेसेज कर दूंगी " चम्पा बाई ने बात पक्की की।
" ठीक है ,उस समय तो मैं एकदम अकेली ही रहूंगी। " जेठानी ने साफ़ साफ़ प्रोग्राम पक्का कर दिया।
" बस उस रात को , ... और तू तो अकेली ही रात रहेगी हफ्ते भर तो ,... तीन चार दिन के कपडे ,... तीन चार पांच दिन कोठे पर रहेगी , दिन रात तो कोठे के सब रंग ढंग सीख जाएगी। और घबड़ाना मत मैं तो रहूंगी न वहां एकदम तेरी माँ की तरह ,कोई बात हो तो ,... तुझे तो पहले दिन से ही ,.. आजा सारी रात घोड़े दौड़वाउंगी तेरे ऊपर , सब एक से एक तगड़े। .. आज से ही रंजीत को लगा देती हूँ तेरी बुकिंग ढूंढना शरू कर देगा तो पक्का शुक्रवार को ,... "
" जी " कुछ घबड़ाते कुछ शरमाते जेठानी बोलीं।
" यही साडी पहन के आना ,लाल रंग तेरे ऊपर बहुत फबता है। चल अब साडी ठीक कर ले। शुक्रवार को चढ़ जा मेरे कोठे पर। मैं वेट करुँगी ,हाँ पर एक बात समझ लो एक बार हाँ कहने के बाद कोई लौंडिया चंपा बाई को मना नहीं कर सकती ,जबरदस्ती उठवा लेती हूँ और फिर उसे चवन्नी छाप रंडी बना के,... शाम से दरवाजे पर खड़ी हो के ग्राहक पटाती है और दिन भर मेरे कोठे के भंडुए उसका भोग लगाते हैं। कच्ची चूत का हफ्ते भर में भोंसड़ा बना के बेच देती हूँ , ... "
जेठानी के चेहरे पर घबड़ाहट नजर आ रही थी , वो जल्दी जल्दी बोली ,..
" नहीं नहीं मैं शुक्रवार को ,.. शाम के पहले ही आप रंजीत को भेज दीजियेगा मैं आ जाउंगी चार पांच दिन के लिए। वैसे भी घर में तो कोई रहेगा नहीं। "
" अरे तेरे लिए थोड़े ही कह रही हूँ पगली , तू तो बेकार में ,.. तू तो मेरी बेटी की तरह है , तू आज से मुझे अपनी माँ समझना। तू तो मेरे कोठे की शान बन के रहेगी। तूने कहा था न मजा और पैसा दोनों तो दोनों ही मिलेगा। खूब लम्बे और मोटे मोटे , सरदार ,पठान ,... और फिर चम्पा बाई ने मुस्कराते हुए एक बालिश्त दिखा के जेठानी को साइज का साफ़ साफ़ अंदाज कराया। और पैसे की तो कमी ही नहीं रहेगी ,तेरा एक नया अकाउंट कोठे पर पहुंचते ही खुलवा दूंगी , सारा तेरा पैसा उसी में ,.. हाँ साड़ी ठीक कर ले। "
और चम्पा देवी अंतरध्यान।
लेकिन साडी ठीक करने में जेठानी ने एक बात नहीं सुनी , दिया भी स्काइप स्विच आफ करने में लगी थी ,
पर मैंने सुन ली। जो बात बहुत धीमे से मुस्कराकर चंपा बाई जाते जाते बोल गयीं।
चम्पा बाई के कोठे पर सिर्फ चढने वाली सीढी है उतरने वाली नहीं। बस एक बार तू मेरे कोठे पर आ जा , पक्की रंडी ,... बनेगी तू।
और मेरी निगाह एक बार फिर दीवाल पर टंगे कैलेण्डर पर चिपकी थी , आज बुधवार ,आज हम लोग दो तीन घंटे में इनकी बुलबुल को लेके अपने घर पहुँच जायेंगे।
और बृहस्पतिवार ,शुक्रवार , उसके ठीक एक हफ्ते बाद , अगले शुक्रवार को मम्मी मेरी सास को लेके दोपहर तक हमारे घर पहुँच जाएंगी।
शुक्रवार को ,
मेरी जेठानी कोठे पर चढ़ जाएंगी ,.... रात भर एक से एक मोटे लौंड़े घोंटेंगीं।
मेरी सास उस दिन रात में अपने बेटे का , जिस भोंसडे से ये निकले हैं उसी भोंसडे में इनका ,.. वो भी मेरे और इनकी सास के सामने ,..... गपागप सास मेरी घोंटेंगी।