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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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1०० वां भाग

छुटकी -होली दीदी की ससुराल में का १०० वां भाग पोस्टेड, पृष्ठ १०३५


भाग १०० - ननद की बिदायी

कृपया पढ़ें और अपने कमेंट जरूर दें
 
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komaalrani

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जोरू का गुलाम भाग ३९

रात अभी बाकी है

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गौने की दुल्हन

…………………

वीक एन्ड सिर्फ हमारा होता था , रात में उन्हें एक पुर्जी निकाल के ,.. और वो ड्रेस पहन के वो मेरे पास आते थे , और वीक एन्ड की रातें सोने के लिए थोड़े बनी होती हैं।

मैंने चिट्स का डिब्बा उनके सामने कर दिया।

चिट ले के वो गायब हो गए ,बस थोड़ी देर में।


अपने बेड रूम में पहुँच के नाइटी में चेंज कर के मैं बिस्तर पर लेट गयी थी।

अभी मुश्किल से दस बज रहा था ,

मेरे कितने सीरियल छूट गए थे ,मैंने टीवी आन किया ,नाइट बल्ब जलाया और बाकी लाइट बंद कर दी /



सीरियल अभी शुरू ही हुआ था की वो आ गए ,


एकदम मस्त माल लग रहे थे वो ,गौने की दुल्हन जो नथ उतरवाने के लिए बेताब हो।


पिंक पटोला,लाल ब्रोकेड का चौड़ा बॉर्डर खूब फ़ब रहा था उनके ऊपर। कच्छी आलमोस्ट बैकलेस स्ट्रिंग ब्लाउज,


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कानों में झुमके ( जो आज उनकी सास ने अपने हाथ से पहनाये थे जब अपनी बहन की निप्स की रिंग की उन्होंने बुकिंग की थी , अपने कर्णछेदन और नाक छेदन के बाद )

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और नाक में मोती वाली छोटी सी नथ तो जिनी के यहां ही पहन ली थी उन्होंने ,

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और चेहरे का नयी दुल्हन वाला मेकअप सोफ़ी ने गजब का किया था पर उन्होंने लिपस्टिक का ग्लास फ्रेश कर लिया और हल्का सा पाउडर ,रूज भी चीकबोन्स को हाइलाइट करने के लिए।

चुरमुर करती चटकने को बेताब लाल लाल चूड़ियां ऑलमोस्ट कुहनी तक ,

कंगन ,बाजूबंद


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पतली कमर में पतली सी चांदी की करधन , पैरों में चौड़ी वाली हजार घुंघरुओं की पायल ( जो मैंने उन्हें उनके बर्थडे की रात पहनाई थी,)चौड़ा गीला ताजा महावर , और रुमझुम करते सारी रात बजने को बेताब बिछुए ,...



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और हाँ गले में मंगलसूत्र भी ,

काजल से कजरारी आँखे , लालगुलाबी भरे भरे रसीले होंठ , मालपुवा ऐसे कचकचा के काटने लायक गाल और जो पैडेड ब्रा उन्होंने चोली के नीचे पहन रखी थी ,एकदम किसी किशोरी के नयी नयी गौने के दुल्हन के अनछुए टेनिस बाल साइज के बूब्स लग रहे थे ,

मेरा तो मन कर रहा था की बस ,... लूट लूँ ,...

और सबसे बढकर उनका एट्टीट्यूड , वो एकदम गौने की रात वाली लाज शरम, पलाश की तरह दहकते ब्लश करते गाल ,झुकी झुकी निगाहें,... जैसे मन कर भी रहा हो डर भी लग रहा हो , ... क्या होगा आज रात ,..

पूरी रात मेरी थी

( थी तो पूरी जिंदगी मेरी )

" हे जरा चल के तो दिखाओ "
मैंने मुस्कराते हुए बोला


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जिस तरह उन्होंने शरमाते हुए धीरे से हूँ बोला और घूँघट हल्का सा हट गया ,

लगा जैसे हजारों दिए अँधेरी रात में एक साथ जल गए हों ,

हजार जल तरंग एक साथ बज उठे हों ,


और हलके हलके कदम रखते हुए उन्होंने कैट वाक् शुरू किया ,


मेरी निगाहे तो उनके नितम्बो पर चिपकीं थी ,एकदम गज गामिनी।


अब मुझसे नहीं रहा गया।

दरवाजा घुसने के साथ ही उन्होंने बंद कर दिया था ,एक मद्धम मद्धम नाइट बल्ब जल रहा था ,मदिर मदिर,


टीवी पर सीरियल आ रहा था , बहुत हलकी आवाज में ,लेकिन अब उसे कौन देख रहा था ,यहाँ सामने हॉट हॉट पूरी अडल्ट फिल्म चल रही थी ( जैसी हमारे मोहल्ले वाला केबल वाला रोज रात में एक बजे से लगाता था )

मैंने बोल ही दिया , आओ न। इन्तजार करना बहुत मुश्किल हो रहा था।


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komaalrani

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मैं शिकारी और वो शिकार


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मैंने बोल ही दिया , आओ न। इन्तजार करना बहुत मुश्किल हो रहा था।


और वो आ गए ,मेरे साथ हलकी सी रजाई जो मैंने ओढ़ रखी थी उसके अंदर।


एसी फुल ब्लास्ट पर चल रहा था।

वो आये और मैंने उन्हें दबोच लिया ,आज मैं शिकारी थी और वो शिकार ,...

मम्मी से तो वो बच गए लेकिन मुझसे नहीं बचने वाले थे।

मैंने उन्हें गपूच लिया और हलके सहलाती रही , कभी गालों को कभी होंठों को।


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फिर हलके से दबा लिया।

जल्दी नहीं थी मुझे रात अभी जवान थी , और मुझे धीमे धीमे मजा लेना था।



वह चुपचाप लेटे , बस थोड़ा लजाते कुनमुनाते ,

जो करना था मैं कर रही थी , उनकी लंबी लंबी गहरी साँसे बस उनकी उत्सुकता ,उत्तेजना का राज खोल रही थीं।

और मुझे पता चल रहा था की उन्हें कितना मजा आ रहा था।

बाहर रात धीरे धीरे झर रही थी ,

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हलकी सी खुली खिड़की सी रात रानी की भीनी भीनी खुशबू अंदर आ रही थी और साथ साथ में थोड़ी थोड़ी मीठी मीठी चांदनी भी।


और फिर हलकी सी खट खट की आवाज हुयी ,

हम दोनों ने उसे अनसुनी कर दिया।

हम दोनों आपस में ही खोये थे ,लेकिन आवाज तेज हो गयी फिर और फिर बार बार,



और फिर मम्मी की आवाज सुनाई पड़ी ,

"तुम लोग सो गए हो क्या" ?

जब तक ये अपना हाथ मेरे मुंह पे लाकर मेरा मुंह भींचते ,मेरे मुंह से निकल ही गया

" हाँ मम्मी "

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और उसी समय मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया लेकिन अब हो क्या सकता था।

" दरवाजा खोलो न " मम्मी की टिपकिकल डिमांडिंग आवाज सुनाई पड़ी।
 

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पकडे गए ,

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और फिर मम्मी की आवाज सुनाई पड़ी ,

"तुम लोग सो गए हो क्या" ?

जब तक ये अपना हाथ मेरे मुंह पे लाकर मेरा मुंह भींचते ,मेरे मुंह से निकल ही गया

" हाँ मम्मी "

और उसी समय मुझे अपनी गलती का अहसास हो गया लेकिन अब हो क्या सकता था।

" दरवाजा खोलो न " मम्मी की टिपकिकल डिमांडिंग आवाज सुनाई पड़ी।
………………….

खूब निदासी आँखों के साथ जुम्हाई लेते ,अंगड़ाई लेते मैंने जाके दरवाजा खोला।

ये एकदम रजाई ओढ़ के दीवार की ओर दुबक गए ,आँखे जोर से बंद कर के।



" अभी अभी नींद लगी थी ,बहुत तेज। आप देर से नॉक कर रही थीं क्या ?"


मैंने बहाना बनाया। और ये भी जोड़ा ,

" बिचारे तो थके मांदे , आधे घंटे पहले ही पलंग पर पड़ते सो गए। "

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" आधे घण्टे हो गए नॉक करते , तुम न घोड़े बेच कर के सोती हो ,बचपन की आदत है तेरी। "


मम्मी ने बुरा सा मुंह बना के हड़काया और मतलब साफ़ किया ,

" थोड़ी देर पहले ही नींद खुल गयी थी मेरी ,फिर नहीं आ रही थी। मैंने सोचा चलो सीरियल का रिपीट आ रहा होगा देख लूँ ,शुरू हो गया क्या ?


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उनकी निगाहें टीवी पर गडीं थी और मेरी बिस्तर पर जहाँ ये दुबके छिपे पड़े थे।

बस मैंने उन्हें बचाने के लिये ,... मैं घुस गयी रजाई में एकदम उनसे चिपक कर ,

" आइये न मम्मी ,बस अभी शुरू हुआ है। "

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और मम्मी भी रजाई में धंस ली सीरियल देखने लगी।

गनीमत थी उनके और मम्मी के बीच में मैं थी , चीन की दीवाल की तरह।

मम्मी का ध्यान पूरी तरह सीरियल पर लगा था और मैंने मना रही थी किसी तरह आधा घंटा पूरा हो सीरियल ख़तम हो और मॉम जायँ अपने कमरे में।

आधे घण्टे ख़तम हो गए ,सीरियल भी ख़तम हो गया लेकिन मम्मी बजाय जाने के चैनेल सर्फ़ करने लगीं और मुझसे बोली ,

" ज़रा पानी लाओ , गला सूख रहा है। "

मैं एक दो मिनट रुकी पर रास्ता भी क्या था ,मैं पलंग से उठ कर गयी और जब लौटी तो ,....
 

komaalrani

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शर्माती डरती दुल्हन


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गठरी मोठरी बने , अपने घुटनों में सर छिपाये घबडाते लजाते वो वो बैठे थे ,दुल्हन के जोड़े में एकदम गौने की रात में शर्माती डरती दुल्हन की तरह। और मम्मी एकदम अब उनके सामने , ठुड्डी पे हाथ लगाए उनका मुखड़ा देखने की कोशिश में ,



और मुझे देखते ही मम्मी बोलीं,

" इत्ता मस्त माल छुपा के रखा था मुझसे , "


मम्मी ने आँखे चढ़ा के मुझसे बोला


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और फिर उनका घूंघट खोलने के चक्कर में पड़ गयीं।

बिचारे वो शर्मा रहे थे घबड़ा रहे थे लैकिन अंदर अंदर उनका मन भी कर रहा था।


और अचानक मम्मी ने पूरे जोर से ,हलकी फुल्के से नहीं ,सीधे उनके होंठ पर कचकचा के चूम लिया। अपने दोनों भरे भरे होंठों के बीच उनके रसीले ,लाल लिस्प्टिक लगे होंठों को भर के जोर से उन्होंने काट लिया ,और देर तक चूसती रहीं।

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यहीं नहीं ,मम्मी ने इतने पर भी नहीं छोड़ा और उनके रूज लगे ,फूले फूले गालों को भी कचकचा के काट लिया।

हलकी सी सिसकी निकल गयी उनकी।

" तेरी छिनार बहन भी ऐसे ही गाल कटवाती है न ,बोल बहन के भंडवे "

चिढाते हुए मम्मी ने बोला ,तो मैं क्यों मौका छोड़ देती। मैं भी बोल पड़ी ,

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" अरे मम्मी साफ़ साफ़ ये क्यों नहीं पूछती की क्या ये भी अपनी उस बहिनिया के ऐसे ही गाल काटते थे ?"


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मम्मी का ध्यान अब लेकिन थोड़ा नीचे पहुँच गया था।


उन्होंने आँचल जबरन हटा दिया था , कसी लो कट चोली और पैडेड ब्रा में हल्का सा क्लीवेज भी झलक रहा था।

मम्मी ने जोर से सीटी मारी और उनके गाल पे चिकोटी काट के बोली ,

"तेरे गेंदें तो ,तेरी उस साली से भी बड़ी बड़ी लगती है , रंडी के ,... बोल क्या साइज है तेरे माल की "

" ३२ सी ,... " हलके से उनकी आवाज निकली।

" और मेरी समधन के ,बोल साले भंडुए। "

मम्मी अपने असली टारगेट को कैसे भूलतीं।

" ३८ डी डी "

अबकी उन्होंने थोड़ा हिचिकचाते लेकिन बोल दिया।

" मन करता है न दबाने को ,घबड़ा मत बहुत जल्द , ... "

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मम्मी ने उन्हें एस्योर किया और तोप का मुंह मेरी ओर मोड़ दिया ,

" बहुत मस्त दुल्हन है न ,अगर दुल्हन इतनी मस्त है तो फिर सुहाग रात भी मस्त मनानी चाहिए न " वो मुझसे बोलीं और बिना मेरे जवाब का इन्तेजार किये उनकी ओर जिस लोलुप खा जाने वाली निगाहों से देखने लगीं की वो काँप गए।

लेकिन मैं क्यों छोड़ती मैंने भी आग में घी डाला,

" एकदम मम्मी ,बिचारी इतना सज धज के ,सिंगार पटार कर के बैठी है ,फिर भी अगर आज इस की सुहागरात नहीं मनी ,अगर ये कोरी रह गयी तो ,.. अपने मायकेमें जा के शिकायत करेगी न ,सबका नाम बदनाम करेगी। "

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मम्मी की निगाह उनके गोरे चिकने चेहरे पे अटकी हुयी थी ,

"अरे इसके मायके वालों का भोंसड़ा मारूँ ,... " उनके मुंह से निकला।

मम्मी अब अपने पूरे रंग में आ गयी थी ,फिर बोलीं ," लेकिन जरा अपनी इस प्यारी प्यारी दुल्हन को ठीक से देख तो लूँ , और उनसे बोलीं ,

" अरे जानम उठ जा जरा चल के दिखा तो। "

" सुना नहीं ,अरे मम्मी को अपने जोबन का जलवा तो दिखा। " मैं भी मम्मी के साथ जुगल बंदी में शामिल हो गयी थी। "जरा उठो न ,खड़े हो ,चल के दिखाओ। " मैंने निहोरा किया और उठ के वो खड़े हो गए , पलंग के पास ही।

लजाते झिझकते एकदम मूर्ती की तरह , लेकिन क्या रूप था।

पिंक पटोला , अञ्चल सर से बस छलकता सा ,थोड़ा थोड़ा सीधी मांग दिख रही थी और उसमें सिन्दूर दमक रहा था। ऊपर से नीचे गहने ,सिंगार और सब से बढ़ कर जिस तरह लाज से उनकी आँखे झुकी थीं ,जिस तरह उँगलियों में उन्होंने पल्लू हलके से घबड़ाते हुए पकड़ रखा था।

मम्मी की निगाहें तो बस ऊपर से नीचे तक बार बार उन्हें सहला रही थी , बस निगाह हटती ही नहीं थी जैसे उनके रूप और जोबन से। फिर किसी तरह उन्हें उकसाती बोलीं ,

" ज़रा चल के दिखाओ न , थोड़ा सा ,मैं भी तो देखूं न , हस्तिनी की चाल है या चित्रिणी की ,गज गामिनी हो या ,... "

एक पल तो वो ठिठके लेकिन ,बहुत धीमे धीमे ,एकदम नयी दुल्हन की तरह लजाते सम्हलते , भरे भरे नितम्ब हलके हलके मादक मदिर डोलते ,

मम्मी तो बस चित्रलिखी सी देखती रहीं लेकिन मैंने मुंह में ऊँगली डाल के जोर की सीटी मारी और गुनगुनाया ,



" अरे गोरी चलो न हंस की चाल ,ज़माना दुश्मन है ,... "




मम्मी ने कुछ गुस्से से कुछ मुस्कारते तिरछी निगाह कर के मेरी ओर देखा और उनकी निगाहें ,फिर कैटवाक पर जम गयीं।

अचानक उनकी आवाज का टोन बदला ,एकदम आइस कोल्ड ,तलवार की धार की तरह शार्प ,


" स्ट्रिप "




गठरी मोठरी बने , अपने घुटनों में सर छिपाये घबडाते लजाते वो वो बैठे थे ,दुल्हन के जोड़े में एकदम गौने की रात में शर्माती डरती दुल्हन की तरह। और मम्मी एकदम अब उनके सामने , ठुड्डी पे हाथ लगाए उनका मुखड़ा देखने की कोशिश में ,



और मुझे देखते ही मम्मी बोलीं,

" इत्ता मस्त माल छुपा के रखा था मुझसे , " मम्मी ने आँखे चढ़ा के मुझसे बोला और फिर उनका घूंघट खोलने के चक्कर में पड़ गयीं।

बिचारे वो शर्मा रहे थे घबड़ा रहे थे लैकिन अंदर अंदर उनका मन भी कर रहा था।
और अचानक मम्मी ने पूरे जोर से ,हलकी फुल्के से नहीं ,सीधे उनके होंठ पर कचकचा के चूम लिया। अपने दोनों भरे भरे होंठों के बीच उनके रसीले ,लाल लिस्प्टिक लगे होंठों को भर के जोर से उन्होंने काट लिया ,और देर तक चूसती रहीं।

यहीं नहीं ,मम्मी ने इतने पर भी नहीं छोड़ा और उनके रूज लगे ,फूले फूले गालों को भी कचकचा के काट लिया।

हलकी सी सिसकी निकल गयी उनकी।

" तेरी छिनार बहन भी ऐसे ही गाल कटवाती है न ,बोल बहन के भंडवे " चिढाते हुए मम्मी ने बोला ,तो मैं क्यों मौका छोड़ देती। मैं भी बोल पड़ी ,

" अरे मम्मी साफ़ साफ़ ये क्यों नहीं पूछती की क्या ये भी अपनी उस बहिनिया के ऐसे ही गाल काटते थे ?"

मम्मी का ध्यान अब लेकिन थोड़ा नीचे पहुँच गया था। उन्होंने आँचल जबरन हटा दिया था , कसी लो कट चोली और पैडेड ब्रा में हल्का सा क्लीवेज भी झलक रहा था।

मम्मी ने जोर से सीटी मारी और उनके गाल पे चिकोटी काट के बोली ,

"तेरे गेंदें तो ,तेरी उस साली से भी बड़ी बड़ी लगती है , रंडी के ,... बोल क्या साइज है तेरे माल की "

" ३२ सी ,... " हलके से उनकी आवाज निकली।

" और मेरी समधन के ,बोल साले भंडुए। "मम्मी अपने असली टारगेट को कैसे भूलतीं।

" ३८ डी डी " अबकी उन्होंने थोड़ा हिचिकचाते लेकिन बोल दिया।

" मन करता है न दबाने को ,घबड़ा मत बहुत जल्द , ... " मम्मी ने उन्हें एस्योर किया और तोप का मुंह मेरी ओर मोड़ दिया ,

" बहुत मस्त दुल्हन है न ,अगर दुल्हन इतनी मस्त है तो फिर सुहाग रात भी मस्त मनानी चाहिए न " वो मुझसे बोलीं और बिना मेरे जवाब का इन्तेजार किये उनकी ओर जिस लोलुप खा जाने वाली निगाहों से देखने लगीं की वो काँप गए।

लेकिन मैं क्यों छोड़ती मैंने भी आग में घी डाला,

" एकदम मम्मी ,बिचारी इतना सज धज के ,सिंगार पटार कर के बैठी है ,फिर भी अगर आज इस की सुहागरात नहीं मनी ,अगर ये कोरी रह गयी तो ,.. अपने मायकेमें जा के शिकायत करेगी न ,सबका नाम बदनाम करेगी। "


मम्मी की निगाह उनके गोरे चिकने चेहरे पे अटकी हुयी थी ,

"अरे इसके मायके वालों का भोंसड़ा मारूँ ,... " उनके मुंह से निकला।

मम्मी अब अपने पूरे रंग में आ गयी थी ,फिर बोलीं ," लेकिन जरा अपनी इस प्यारी प्यारी दुल्हन को ठीक से देख तो लूँ , और उनसे बोलीं ,

" अरे जानम उठ जा जरा चल के दिखा तो। "

" सुना नहीं ,अरे मम्मी को अपने जोबन का जलवा तो दिखा। " मैं भी मम्मी के साथ जुगल बंदी में शामिल हो गयी थी। "जरा उठो न ,खड़े हो ,चल के दिखाओ। " मैंने निहोरा किया और उठ के वो खड़े हो गए , पलंग के पास ही।

लजाते झिझकते एकदम मूर्ती की तरह , लेकिन क्या रूप था।

पिंक पटोला , अञ्चल सर से बस छलकता सा ,थोड़ा थोड़ा सीधी मांग दिख रही थी और उसमें सिन्दूर दमक रहा था। ऊपर से नीचे गहने ,सिंगार और सब से बढ़ कर जिस तरह लाज से उनकी आँखे झुकी थीं ,जिस तरह उँगलियों में उन्होंने पल्लू हलके से घबड़ाते हुए पकड़ रखा था।

मम्मी की निगाहें तो बस ऊपर से नीचे तक बार बार उन्हें सहला रही थी , बस निगाह हटती ही नहीं थी जैसे उनके रूप और जोबन से। फिर किसी तरह उन्हें उकसाती बोलीं ,

" ज़रा चल के दिखाओ न , थोड़ा सा ,मैं भी तो देखूं न , हस्तिनी की चाल है या चित्रिणी की ,गज गामिनी हो या ,... "

एक पल तो वो ठिठके लेकिन ,बहुत धीमे धीमे ,एकदम नयी दुल्हन की तरह लजाते सम्हलते , भरे भरे नितम्ब हलके हलके मादक मदिर डोलते ,

मम्मी तो बस चित्रलिखी सी देखती रहीं लेकिन मैंने मुंह में ऊँगली डाल के जोर की सीटी मारी और गुनगुनाया ,

" अरे गोरी चलो न हंस की चाल ,ज़माना दुश्मन है ,... "


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मम्मी ने कुछ गुस्से से कुछ मुस्कारते तिरछी निगाह कर के मेरी ओर देखा और उनकी निगाहें ,फिर कैटवाक पर जम गयीं।

अचानक उनकी आवाज का टोन बदला ,एकदम आइस कोल्ड ,तलवार की धार की तरह शार्प ,


" स्ट्रिप "
 
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मॉम


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अचानक उनकी आवाज का टोन बदला ,एकदम आइस कोल्ड ,तलवार की धार की तरह शार्प ,



" स्ट्रिप "

वो बस पत्थर से हो गए ,जैसे उन्हें समझ में न आरहा हो क्या हुआ।

" सूना नहीं। "

मम्मी की आवाज अब और कडक होगयी।

बस अब उन्होंने पल्लू खोलना शुरू किया ,लेकिन मम्मी की आवाज एकदम ठंडी और बिजली की तरह कड़क ,

" डोंट यू लिसेन ,आई सेड स्ट्रिप , , नाट डिसरोब , ... स्ट्रिप इन अ अट्रैक्टिव वे "


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अब तो मैं भी सहम गयी थी ,मैंने उनकी चोट को कुछ हल्का करने के लिए मुस्कराते हुए बोला ,

" अरे जैसे वो तेरी वो छिनार बहिनिया ,कच्चे टिकोरे वाली स्ट्रिपटीज करेगी न , जब हम सब उसको ट्रेन कर देंगे , मुजरा करवाएंगे उससे ,

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लेकिन वो जैसे सिर्फ मम्मी की बात सुन रहे थे ,

क्या चक्कर लिया उन्होंने धीमे से और साड़ी का पल्लू चक्कर लेते हुए पेटीकोट से निकाला , फिर कुछ लजाते कुछ ललचाते ,

कुछ छिपाते कुछ दिखाते , कभी झुक के अपने क्लीवेज का जलवा तो कभी पीछे से नितम्बो का जादू ,...

थोड़ी देर में साडी उनके पैरों पर लहराती ,सरसराती गिर पड़ी।

एकदम पद्मा खन्ना ,जानी मेरा नाम वाली ,

मेरे हुस्न के लाखों रंग कौन सा रंग देखोगे ...

मैंने खुल के गाया ,

लेकिन अबकी मम्मी ने नहीं देखा मेरी ओर , उनके मन में कुछ और था।

और अब मैं समझ चुकी थी उनका सोना ,ये कहना की मिलते हैं ब्रेक के बाद ,कल सिर्फ बहाना था। और एक तरह से सच भी , आखिर बारह कब के बज गए थे ,और तारीख बदल चुकी थी।


निगाहें तो मेरी भी उन पर से नहीं हट रही थीं ,

पिंक कच्छी लो कट डीप बैकलेस चोली ,गुलाबी साटिन का पेटीकोट ,

' गुड '

मम्मी के मुंह से हलके से निकला ,मम्मी की लंबी लंबीगोरी गोरी उँगलियाँ उनके गुलाबी गालों पर फिसल रही थीं ,पिघल रही थीं।

चाँद खिड़की से चुपके से अपना रस्ता भूलके झाँक रहा था ,पुराना लालची।


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मेरी निगाहे भी बस वहीँ ठहर गयी थीं ,

सब कुछ रुका हुआ था.

अचानक खूब भरे भरे रसीले स्कारलेट लिप ग्लास कोटेड होंठों पर मम्मी के लंबे तीखे नाख़ून और ,बिल्ली की तरह नोच लिए।

गुड वो बोलीं और फिर उनकी उंगलिया पैडेड ब्रा से उभरे उभारों पर आ के टिक गयीं ,कभी छूती कभी बस हलके से सहला देतीं।

मम्मी लगता है 'कहीं और' पहुँच गयी थी।

' बैठ जाओ '

मम्मी बहुत हलके से बोलीं लेकिन अब उनके कान जैसे मम्मी के हर शब्द का वेट कर रहे थे और वह कुर्सी पर बैठ गए।

बस।

मम्मी ने फर्श पर गिरी फैली उनकी पिंक पटोला साडी उठायी और कस के उनके हाथ पैर कुर्सी से बाँध दिए बल्किं गांठे भी चेक कर ली।

सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में कुर्सी पे बैठे वो अब टस से मस नहीं हो सकते थे।

माम बस उंनसे कुछ कदम दूर पलंग पर बैठ गयीं और उन्हें प्यार से देखती सराहती , पूछा ,

" बोल कैसे लग रहा है " .

और खुद ही जवाब दिया , "

मैं तो अपना माल ठोक बजा के ही लेती हूँ। "
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फिर उन्होंने वो हरकत की जिससे उनकी क्या किसी भी मर्द की हालत खराब हो जाती।

जोर से उन्होंने अंगड़ाई ली और दोनों कबूतर आलमोस्ट ट्रांसपरेंट नाइटी से चिपक गए ,उड़ने को बेताब।
 

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सास , हॉट सास



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फिर उन्होंने वो हरकत की जिससे उनकी क्या किसी भी मर्द की हालत खराब हो जाती।


जोर से उन्होंने अंगड़ाई ली और दोनों कबूतर आलमोस्ट ट्रांसपरेंट नाइटी से चिपक गए ,उड़ने को बेताब।

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यहां तक तो गनीमत थी , चट चट कर दो चुटपुटिया बटन खुल गए। क्लीवेज तो अभी भी दिख रहा था , अब दोनों मांसल गोलाइयाँ आलमोस्ट निप्स तक अनावृत्त ,खुल के जादू कर रही थीं।



लेकिन उसके बाद मम्मी ने जो किया बस वो पागल नहीं हुए।



मम्मी ने उन्हें दिखाते ललचाते ,अपनी फ्रंट ओपन ब्रा के हुक खोल दिए और उसे बाहर निकाल दिया।



परफेक्ट विक्टोरिया सीक्रेट

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और ब्रा उनके चेहरे के ऊपर लहराने लगीं , कभी वो उनके गालों को छू जाती तो कभी इंच भर दूर

मम्मी अब खड़ी हो गयी थीं , झुकने पर मम्मी के उभार बस उनके चेहरे पर ,



किसी भी दिन तो वो ,......पर आज उनके हाथ पैर बंधे थे , इंच भर भी नहीं हिल सकते थे बिचारे।



लेकिन पेटीकोट में तो उनके तंबू तना हुआ था।

" लगता है इन्हें अपनी बहन के मस्त टिकोरे याद आ रहे हैं ,तभी इतना तन्ना रहे हैं। "



" एकदम सही कह रही है तू लेकिन ज़रा चेक कर ले न "


और मम्मी ने झुक के उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया , पर उसके पहले अपनी हाइ हील से हलके से उसे मसल दिया ,और तारीफ़ से तक मेरी ओर देखा,

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" एकदम पत्थर " उनकी निगाहें बिना बोले बोल रही थीं।



पेटीकोट उतर चुका था और 'वो'ऐसा खड़ा था ,पैंटी को बस फाड़ता।





" सही कह रही है तू ये साला तो एकदम पक्का बहनचोद है ,बहन की कच्ची अमिया को याद करके ये हाल है तो जब सामने मिलेगी तो बस चढ़ ही जाएगा "

और ये बोलते हुए मम्मी पलंग पे बैठ गयीं ,एक पैर फर्श पर और दूसरा धीमे धीमे उठा के उन्होंने पलंग पर रख लिया।



नाइटी पहले तो मम्मी के घुटनो तक चढ़ गयी और ऊपर , ... फिर और ऊपर ,...



हलकी हल्की काली झुरमुट , एकदम उनकी गोरी गोरी काँखों से मैचिंग ,..
 

komaalrani

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Very nice story

Thanks so much
 
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komaalrani

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next part soon
 
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