और मेरे फोन पर व्हाट्सएप का संकेत बजा , एक दो नहीं पूरे आठ दस ,
दिया।
वही संस्कारी किचेन जहाँ घर में कदम रखते ही मुझे दस बार बता दिया गया था की लहसुन प्याज भी नहीं आता और वो लोग हमारे घर की लोगों की तरह शराबी कबाबी नहीं है ,
वहीँ ,जहां मेरी शादी के बाद की इनकी पहली बर्थडे पर , मैंने ढूंढ कर एगलेस पेस्ट्री मंगाई ,सब पर बड़ी बड़ी हरी हरी बिंदी लगी थी
लेकिन उसे भी मुझसे ही इसी किचेन के डस्टबिन में फिंकवा गया , कि ,... क्या पता ,...
और वही जेठानी, जिनकी दिन किस शुरआत ही मुझे और मुझसे ज्यादा मेरी मम्मी को दस बात सुनाने से होती थी ,वही शराबी कबाबी और यही की पढ़ने लिखने से संस्कार नहीं आ जाते ,
आज उसी किचेन में ,कीमा भूना जा रहा था , और भूनने वाली हमारी संस्कारी जेठानी ,एकदम निसूति और वो भी जबरदस्ती नहीं ,हंस हंस कर ,
और उनके पीछे वही इमरान और ताहिर ,
एकदम टन टन्ना टन
और मान गयी मैं दिया को ,अगली पिक्चर देख कर ,
दिया के फेवरिट भैया और मेरे सैंया से २० नहीं तो १९ भी नहीं थे।
और मेरी जेठानी एकसाथ दोनों लंड पे ,..लग रहा था दोनों को मुंह में लेने को बेताब हैं ,दोनों उन्हें बारी बारी से चटा रहे थे तो कभी साथ साथ
और जेठानी जी चाट रही थीं। जेठानी का चेहरा एकदम साफ़ और उन दोनों केऔजार एकदम क्लोज अप में ,खुले हुए सुपाड़े
और फिर किचेन की एक और फोटो ,जेठानी सिंक पकड़ कर निहुरि हुयी और उनकी गांड में इमरान का धंसा हुआ ,और अबकी जेठानी के चेहरे पर सिर्फ दर्द ,
और जेठानी का चूतड़ चांटों से एकदम लाल
कीमा बन कर रखा हुआ था।
साथ में दो ख़बरें थी ,
पहली बात थी चंपा बाई के कोठे की जहाँ दस दिन बाद पायल झनकारते हुए मेरी जेठानी को दस दिन के बाद चढ़ना था ,
वहां उनकी फोटो लग गयी थी और बोली लगनी शुरू हो गयी थी ,पहली रात के लिए।
और सबसे अच्छी बात थी ,मेरी जेठानी की छोटी कजिन जिसने मेरे सारे प्लान में पलीता लगाने में कसर नहीं छोड़ी थी ,पढ़ती अभी हाईस्कूल में थी लेकिन
उसकी फोटो जेठानी से दिया ने बल्कि दिया के भाई ने उगलवा ली थी और हाँ वो फेसबुक पे भी थी ,इंस्टाग्राम पर भी।
दिया की एक 'सहेली ' ने ( जो असल में लड़का था और लड़की की आई डी बनाकर फेसबुक पर लौंडिया पटाता था ) उसे दस बार लाइक कर दिया था , और उस की फ्रेंड्स रिक्वेस्ट भी उस बाला ने स्वीकार कर ली थी।
बस वक्त की बात थी ,
और ऊपर से जेठानी को हड़काकर पटा कर के उस कन्या कुमारी को दिवाली में बुलाने की बात तय हो गयी थी , उस खादी भण्डार टाइप वाली ने हाँ भीकर लिया था।
बस दिया ने एक शर्त रखी थी इस दिवाली में मैं आऊं न आऊं लेकिन ये ,मेरे सैंया जरूर आएं
अबकी दिवाली के जुए में वही बालिका दांव पर होगी ,
और उसके दिए में एक साथ दो दो बाती,
अगवाड़े पिछवाड़े की नथ एकसाथ , दिया के दोनों भैया
और अगली लाइन में दिया ने बात साफ़ भी कर दी ,
मेरे सैंया और और मेरे देवर ,यानी दिया के भैय्या।
मैंने थम्स अप का साइन दिया ,अपने आई फोन में दिवाली की डेट ढूंढ कर इनके मायके के नाम पर शेड्यूल कर लिया और दिया को मेसज कर दिया एक चेंज भी कर दिया।
यस ,लेकिन मैं भी आउंगी। रात भर दिया के दोनों भैय्या
और अगले दिन भावज ननदिया।
व्हाटएप बंद कर मैंने पीछे देखा
वहां सीन ज्यादा आगे बढ़ा नहीं था
गुड्डी के होंठ अभी भी अपने भइया के सुपाड़े को चुभलाने में मगन थे।