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अपडेट पोस्टेड - एक मेगा अपडेट, जोरू का गुलाम - भाग २३९ -बंबई -बुधवार - वॉर -२ पृष्ठ १४५६
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ऐसा सेक्स मिले तो कई पति गुलामी को भी हँसी-खुशी राजी होंगे...Mast update hai bhai..pati ki gand maro..pati gulam bhana do.uske samne uski patni..guddi dusro ka land le..uske samne...
तो साजन खून-खच्चर करके मानेगा....yahi to
भला करने वालों में...इसलिये तो उसे सिखा पढ़ा रही हूँ , एक बार पक्की हो जाएगी तो 'बहुतों' का भला करेगी।
इस बात का इंतजार तो आपके साजन के अलावा कई पाठकगण भी कर रहे हैं..bas aaaj ka intezzar hai aur kal rat fategi 'sidhi saadi behnaa ki aur phadega bhaiya'
मजे लेने-देने के तरीके अगर गुड्डी सीख रही है तो...जोरू का गुलाम भाग १५९
फुल टाइम मस्ती
गुड्डी के भैय्या ,उस बिचारी के बिचारे , मेरे नीचे दबे , मेरी बुर में धंसे, बार बार वो कोशिश कर रहे थे , कमर उचकाने की, नीचे से धक्का लगाने की , पर वो सूत भर भी नहीं हिला।
कुछ देर तक उन्हें तड़पाने तरसाने के बाद ,जोर जोर से उनके मोटे सुपाड़े को अपनी बुर से भींचने , स्क्वीज करने के बाद मैंने गुड्डी को की ओर मुंह किया और पूछा ,
" हे गुड्डी हो गया न ,अब निकाल लूँ। "
" नहीं नहीं भाभी , देखिये भैया ने तो साढ़े तीन मिनट तक,... अभी तो आपने बस शुरू ही ,... " उनकी ममेरी बहन घबड़ा के बोली।
" चल यार तू भी क्या याद करेगी ,मेरी एकलौती छुटकी ननद है ,आज तेरी पहली रात है यहां ठीक है तीन मिनट और ,... " मैं बोली।
" अरे नहीं भाभी ,मेरी अच्छी भाभी ,... तीन मिनट में क्या ,... फिर भैय्या ने साढ़े तीन मिनट तो मेरे साथ भी ,... "
गुड्डी ने जिस तरह रिक्वेस्ट किया मैं क्या कोई भी नहीं मना कर सकता था लेकिन मैंने भी उससे रिक्वेस्ट कर दी ,
" चल यार तू भी क्या याद करेगी ,... लेकिन साढ़े तीन मिनट तेरे भैय्या ने तेरी चूसी थी तो तू भी आ जा मेरे साथ ,... "
खूंटे पर तो मैं चढ़ी थी , गुड्डी की सवालिया निगाहों का मैंने इशारे से भी जवाब दिया और बोल के भी समझाया मैंने उसके भैय्या की बॉल्स की ओर इशारा किया , और होंठों से अपने चूसने का भी ,फिर बोला भी
" अरे यार गन्ने का मजा तो मैं ले रही हूँ लेकिन रसगुल्ला तो मैंने अपनी ननद के लिए छोड़ रखा है न ,असली कारखाना हो वही है मलाई रबड़ी बनाने का। "
गुड्डी थोड़ा ठिठकी ,जरा सा झिझकी ,पर आ कर अपने बचपन के यार के पैरों के बीच बैठ गयी , एक पल वो रुकी , फिर झुक के उसने इनके पेल्हड़ ( बॉल्स ) पर हलके से चुम्मा ले लिया।
फिर जीभ की टिप से उसे बस छू भर दिया ,
मैंने अपने हाथ से गुड्डी के सर को दबा कर उसे बढ़ावा दिया
और गप्पाक। गोली गुड्डी के मुंह के अंदर थी ,और वो उसे प्यार में अपने किशोर मुंह में लेकर चुभला रही थी।
मैं क्यों पीछे रहती ,मैंने भी अपनी चुनमुनिया की पकड़ थोड़ी ढीली की , दोनों हाथों से एक बार उनकी पतली कमरिया कस के पकड़ी और हचक के धक्का मारा ,
बस , जोर से उनकी सिसकी निकल गयी।
थोड़ा सा पुश और , उनके चूसने चाटने से मेरी बुरिया वैसे ही गीली हो गयी थी।
दो तीन धक्के और , फिर मैं रुक गयी।
आधे से थोड़ा ज्यादा ही खूंटा मेरे अंदर ,...
और अब मैंने वो शरारत शुरू कर दी ,जो मुझे पहले थोड़ी बहुत तो आती थी लेकिन मंजू बाई ने एकदम परफेक्ट कर दी थी।
और मैंने वो शुरू कर दिया , जोर से मैं लंड को अपनी बुर में लेकर कस कस के भींचती ,सिकोड़ती थी फिर बहुत धीरे धीरे बुर हलकी सी ढीली और कुछ रुक कर के एक बार फिर,.
.
कुछ ही देर में इनकी हालत ख़राब ,और ऊपर से उनकी छुटकी बहिनिया इनके दोनों बॉल्स को बारी बारी से मुंह में लेकर चूस चुभला रही थी।
लेकिन अभी तो उस किशोरी को और मजे लेने थे,...
मैंने जरा सा उसके सर को नीचे की ओर दबा के इशारा किया , और वो समझ गयी।
हर लड़की समझती है , अगवाड़े और पिछवाड़े की बीच की जो दो अंगुल की जगह है अगर वहां किसी लड़की की जीभ लग जाय तो बस एक ग़दर हो जाता है.
और अगर वो टीनेजर , ममेरी बहन हो जिसके कच्चे टिकोरे हाईस्कूल से देख देख कर उनका लंड उफान ले रहा हो तो फिर तो ,..
बस उसी जगह गुड्डी की जीभ की टिप सपड़ सपड़
सच में मेरी ननदिया बहुत ही क्विक लर्नर थी ,
वो कच्ची कली कभी अपनी जीभ की टिप से वहां जोर जोर से पुश करती तो बस कभी लपड़ लपड़ चाटने लगती।
लेकिन मुझे तो अपनी इस जस्ट इंटर पास ननदिया को और ,... बस मुझे एक शरारत सूझी।
मैंने पलंग पर जितने कुशन तकिये थे सब लेकर इनके चूतड़ ,कमर के नीचे लगाकर उचका दिए।
गुड्डी की इनिशियल हिचक धीरे-धीरे टूट रही है....नया स्वाद ---------ननदिया को
सच में मेरी ननदिया बहुत ही क्विक लर्नर थी ,
वो कच्ची कली कभी अपनी जीभ की टिप से वहां जोर जोर से पुश करती तो बस कभी लपड़ लपड़ चाटने लगती।
लेकिन मुझे तो अपनी इस जस्ट इंटर पास ननदिया को और ,... बस मुझे एक शरारत सूझी।
मैंने पलंग पर जितने कुशन तकिये थे सब लेकर इनके चूतड़ ,कमर के नीचे लगाकर उचका दिए।
और जब तक गुड्डी समझे सम्हले ,मैंने उसका सर थोड़ा और नीचे , दोनों हाथों से कस के जोर दबा के ,
और अब गुड्डी के लजीले रसीले गुलाबी होंठ ,सीधे इनके पिछवाड़े के छेद ,
वो बहुत मुंह बना रही थी ,ना नुकुर कर रही थी ,पर मैंने हड़काया,
" हे रानी ,अबहिन थोड़ी देर पहले ही अपने भैय्या से अपनी गांड मजे से चटवा रही थी , और अब नखड़े दिखा रही है ,... चल चाट हरामिन सीधे से,चूस कस कस के ,मैं छोड़ने वाली नहीं ,.. "
और ये बात तो अब गुड्डी को अच्छी तरह मालूम हो गयी इस लिए पहले तो उसने इनके पिछवाड़े की हलके से चुम्मी ली और फिर ,
मैंने गुड्डी का सर कस के दबा रखा था , उनके पिछवाड़े के छेद से एकदम चिपका रखा था , थोड़ा प्यार से मैं बोली ,
" अरे मेरी ननद रानी , सब मजा लेना चाहिए,... "
बस कुछ देर में ,मैंने अपने हाथ हटा लिए ,कोई प्रेशर नहीं था फिर भी वो किशोरी उनके पिछवाड़े के छेद को लपड़ सपड़,
और मैं अब हचक हचक के उनके ऊपर चढ़ को उन्हें चोद रही थी ,साथ में झुक के कभी मेरे दांत उनके निपल को कचकचा के काट लेते तो कभी मेरे लम्बे लाल नेल पालिश लगे नाख़ून ,उसे स्क्रैच कर लेते।
करीब दो तिहाई से ज्यादा , ६ इंच के आसपास खूंटा मेरी बिल ने घोट रखा था।
नीचे से उनकी ममेरी बहन ,उनके पिछवाड़े के छेद को चाट रही थी।
एक तरुणी ऊपर चढ़ के ,विपरीत रति का मजा दे रही हो और एक
कच्ची अमिया वाली किशोरी , नए नए जोबन वाली अपने जीभ से रीमिंग कर रही हो ,...
एक साथ
बस ये सोच लीजिये और जो हालत होगी ,
वही उनकी हो रही थी।
आज गुड्डी की उनकी ममेरी बहन की पहली रात थी हमारे घर , ... और ये बस ट्रेलर था।
फिर उन्हें मुझे झड़ने भी नहीं देने था ,उनकी सास का सख्त हुकुम था।
अब वो झड़ेंगे तो बस अपनी कुँवारी किशोरी अनचुदी बहन की चूत के अंदर ही ,
वैसे भी कुछ मम्मी की ट्रेनिंग का असर और कुछ गीता और मंजू बाई के टोटकों,... तरीकों का ,अब वो बहुत कोशिश करने पर भी २० -२५ मिनट से पहले नहीं गिरते थे।पर आज तो मैं उन्हें तड़पाने पर तुली थी। दो चार मिनट के बाद ,... गुड्डी की बात भी रह गयी थी ,
सात मिनट नहीं ,पूरे साढ़े सात मिनट हो गए थे और मैं उनके ऊपर से उतर गयी ,
और गुड्डी को भी खिंच के हटा दिया। पर गुड्डी की निगाह मैं नहीं हटा पाई।
कोई भी किशोरी होती तो ललचा जाती , .... और वो तो उनकी ममेरी बहन ,बचपन का माल ,...
बात ही ऐसी थी , उनका बालिश्त भर का खूंटा एकदम तना ,कड़ा, और मेरी बिल के रस से एकदम चिकना चमकता ,..
मोटा इतना की गुड्डी की मुट्ठी में तो नहीं ही समा पाता।ऐसा नहीं की गुड्डी ने उसे पहले नहीं देखा था ,... लेकिन अभी तो उसने उसका जादू , उसके खेल तमाशे ,... कैसे उसके भइया के मोटे खूंटे पर चढ़ कर मैं ऊपर नीचे,
वो नदीदी , अपने भइया का लंड देखकर ,
" चाहिए ,... " मैंने मुस्कराकर अपनी छोटी ननद से पूछा।
बिना बोले उसने जोर जोर से हामी में सर ऊपर नीचे हिलाया।
" रोज रोज लेना पडेगा ,... " मैंने उसे छेड़ा।
" एकदम भाभी ,... " अब उसके बोल खुले।
मुझे एक ट्रिक सूझी।
ट्रिक सिखाने के लिए भौजी तो एकदम उस्ताद हैं....खूंटा
बात ही ऐसी थी , उनका बालिश्त भर का खूंटा एकदम तना ,कड़ा, और मेरी बिल के रस से एकदम चिकना चमकता ,..
मोटा इतना की गुड्डी की मुट्ठी में तो नहीं ही समा पाता।ऐसा नहीं की गुड्डी ने उसे पहले नहीं देखा था ,... लेकिन अभी तो उसने उसका जादू , उसके खेल तमाशे ,...
कैसे उसके भइया के मोटे खूंटे पर चढ़ कर मैं ऊपर नीचे,
वो नदीदी , अपने भइया का लंड देखकर ,
" चाहिए ,... " मैंने मुस्कराकर अपनी छोटी ननद से पूछा।
बिना बोले उसने जोर जोर से हामी में सर ऊपर नीचे हिलाया।
" रोज रोज लेना पडेगा ,... " मैंने उसे छेड़ा।
" एकदम भाभी ,... " अब उसके बोल खुले।
मुझे एक ट्रिक सूझी।
मैंने उसका लेसी बेबी डाल उसके भैय्या के ऊपर डाल दिया , और खड़े खूंटे को भी थोड़ा झुका के उसके अंदर ,...
उसके भइया का हाथ तो उसने खुद अपनी लेसी ब्रा से कस के बांध रखा था ,फिर गुड्डी प्रेजिडेंट गाइड थी , उसकी बाँधी नॉट खोलना अंसम्भव था।
इसलिए वो एकदम सेफ थी ,वो अपने भइया को चाहे जितना ललचाये ,तड़पाये ,उनके साथ मजे ले ,.. वो बिस्तर पर लेटे ,कुछ नहीं कर सकते थे।
" चल यार तू भी क्या याद करेगी किस भाभी से पाला पड़ा था , इन्होने तुझे साढ़े तीन मिनट तंग किया था न , तो तू भी पूरे पांच मिनट इनके ऊपर लेट जा ,...अब उनके हाथ बंधे है तो ये फेयर नहीं न की तू ,... तो तू अपने हाथ इस्तेमाल नहीं कर सकती ,... और ये लेटे हैं तो तू भी ,... इनके ऊपर लेट के ,... "
और उस नदीदी को तो जैसे मनपसंद मिठाई मिल गयी।
झट से गुड्डी अपने भइया के ऊपर लेट कर,
कुछ देर तक तो उसके टेनिस बाल साइज के बूब्स और उसके भैय्या की के सीने के बीच में बहुत पतली सी लेसी ,शीयर ड्रेस ,
कितनी देर वो ड्रेस टिकती , बस छल्ले की तरह दोनों लोगों की कमर के बीच ,
गुड्डी बहुत ही शरीर ,शैतान ,बदमाश,
और उससे ज्यादा उसके होंठ ,
पहले तो हलके से ,फिर जोर जोर से अपने भइया के होंठों पर उसने किस पर किस किया ,
फिर हलकी सी , भैय्या के गालों पर
और साथ साथ गुड्डी की उसके होंठों से भी शैतान ,पूरे शहर में आग लगाते गोल गोल जुबना
और गुड्डी उसे कस कस के अपने भैय्या की छाती पर रगड़ रही थी।जिन कच्चे टिकोरों को एक समय वो सिर्फ छूने के लिए तड़प रहे थे अब वो खुद उनके सीने पर वो कच्ची अमिया ,...
और ड्रेस सरक कर ,... खूंटा एक बार फिर सरक कर आजाद हो गया ,सर उठाये ,मोटा कड़क ,बालिश्त भर का ,...
और गुड्डी की चुनमुनिया वैसे गीली रसीली हो रही थी ,
बस गुड्डी की चुनमुनिया , उसके भैय्या के उसके ऊपर रगड़ घिस्स कर रही थी ,
वो सिसक रहे थे ,चूतड़ पटक रहे थे
और गुड्डी मजे ले रही थी।
वो न हाथ इस्तेमाल कर रही थी न उनके ऊपर से उठ रही थी ,सिर्फ लेटे लेटे ग्राइंडिंग
रगड़ घिस्स, रगड़ घिस्स
सिर्फ अब गुड्डी के छोटे छोटे जोबना और कमर के जोर से अपनी चुनमुनिया ,...
पांच मिनट पूरे होने तक उनकी हालत खराब हो गयी थी ,
और मैंने अपनी ननद की चुनमुनिया की हाल चाल चेक की , उस बिचारी की हाल भी कौन कम ख़राब थी ,
एकदम गीली।
कुछ तो करना ही था , आखिर मेरी छुटकी ननद थी , मैं उसे अपने साथ ले आयी थी।
हलके से मेरी ऊँगली गुड्डी की जाँघों के बीच शरारत करती रही ,
फिर मैंने वो सवाल पूछ लिया जिसका जवाब मुझे मालुम था।
" हे तेरे भइया का हाथ खोल दूँ ,... "
मैंने मुस्करा कर उस छपन छुरी से पूछा ,
" एकदम भाभी , ,,,, प्लीज भाभी , ... जरूर भाभी ,इत्ती देर हो गए। "
भैय्या की बहिनी , उसकी चूत चुगली कर रही थी की वो क्यों अपने भैय्या का हाथ खुलवाना चाहती थी।
मैंने उसकी बात मान ली।
उसके भइया का ,बचपन के आशिक का हाथ खोल दिया।
लेकिन मैंने हाथ पलंग के हेड बोर्ड से ही खोला , जो गाँठ गुड्डी ने बाँधी थी ,वो मैंने बंधी रहने दी ,यानी अब वो पलंग से उठ सकते थे ,बैठ सकते थे लेकिन दोनों हाथ उनके आपस में बंधे , यानी वो अपने आप कुछ नहीं कर सकते थे।
पर मैं थी न उनकी पत्नी ,उनकी बहन की भौजाई ,
और मैंने उनके भूखे मुस्टंडे को उनकी ममेरी बहन की प्यासी सोनचिरैया के पास
सोनचिरैया ने बिना कहे चोंच खोल दी। और मैं उस के यार के मूसल के सुपाड़े को हलके हलके उन गीले होंठों पर रगड़ने लगी ,
बचपन से ... मेरा मतलब है उस उम्र से जिसमें सोचने-समझने की अक्ल आ जाती है...इंटरवल
और मैंने उनके भूखे मुस्टंडे को उनकी ममेरी बहन की प्यासी सोनचिरैया के पास
सोनचिरैया ने बिना कहे चोंच खोल दी। और मैं उस के यार के मूसल के सुपाड़े को हलके हलके उन गीले होंठों पर रगड़ने लगी ,
फिर मैंने भौजाई होने का हक़ अदा किया , अपनी ननद की गुलाबी दुलहन का घँघट खोला ,दोनों गीले होंठ फैलाये और ननद के भइया का सुपाड़ा हल्का सा
गुड्डी जिस तरह से चूतड़ उचका उचका के मूसल घोंटने की कोशिश कर रही थी , मुझसे नहीं रहा गया ,
ननदिया के निप्स खींचते हुए मैं हंस कर बोली ,
" ननद रानी सिर्फ तेरे भाई ही बहनचोद नहीं है , बल्कि मेरी छुटकी ननदिया भी पैदायशी भाईचोद है "
वो कमसिन भी खिलखिला दी ,
" भाभी आप कोई बात कहें और गलत हो। "
और ये कहते हुए उसने एक बार फिर जोर से अपने चूतड़ उचका दिए , अपने भइया का लंड लेने के लिए वो बावली हो रही थी ,पर उस की साइत तो इन की सास ने कल की निकाली थी। चौबीस घंटे तक बिना झड़े ,तब अपनी बहन की कुंवारी चूत चोदने का मौका मिलेगा।
मैंने इनका मूसल पकड़ कर गुड्डी के क्लिट पर लगा के हलके से सुपाड़े से रगड़ दिया ,
एकदम छनछना गयी वो ,जैसे गर्म तवे पर कोई दो बूँद पानी फेंक दे ,
पर गुड्डी की ये हालात देख कर मुझे बहुत मजा आ रहा था।
मैंने रगड़ना जारी रखा फिर अपनी दो उँगलियों से गुड्डी की चूत फैला कर एक बार फिर उनके मूसल को गुड्डी की चूत में घुसाने की कोशिश की ,
धक्का दोनों ने लगाया ,पर एक टीनेजर की कसी कच्ची चूत , दोनों कस मसा के रह गए।
उनकी बहिनिया की बिल पानी फेंक रही थी , अब झड़ी ,तब झड़ी।
घडी देखी मैंने ,रात के तीन बज रहे थे और मैंने इंटरवल अनाउंस कर दिया।
" हे थोड़ी सी पेट पूजा पहले। "
हाँ उनका हाथ नहीं खुला लेकिन गुड्डी ने ब्लैक डॉग की आधी बची बोतल खोल दी।
………………………….
गुड्डी भी न , अपने भैय्या के बंधे हाथो की ओर देखते मुझसे बोली ,
" ....लेकिन भैय्या। "
" अरे भैय्या की बहिनी काहें के लिए हैं ,... " और मैंने गुड्डी के गुलाबी रसीले होंठों पर कचकचा कर एक चुम्मा ले लिया।
उनके हाथ नहीं खुले , लेकिन उनकी सेक्सी बहिना के होंठों से ,मुंह से ,...
मेरे मुंह से और
मेरी ननदो के जुबना पर से बहते हुए ,
ब्लैक डॉग उन्हें भी मिली ,गुड्डी ने पिलाया उन्हें ,मैंने भी और बराबर बराबर एक तिहाई हम तीनों के मुंह में गयी।
हाँ ,लेकिन गुड्डी के पेट में आधे से भी ज्यादा ,... जो मेरे और उनके मुंह में गयी वो ,... फिर गुड्डी के रसीले होंठों के रास्ते ,उस के पेट में ,..
गुड्डी बार बार कह रही थी अपने भइया के हाथ खोलने के लिए , आखिर कब तक मैं उसकी बात टालती।
खोल दिया मैंने ,उनके हाथ और फिर मैंने और मेरे उन्होंने मिल के गुड्डी को बाँट लिया।
अब तो ब्याहता का सिंगार... बिन ब्याहे दुल्हे से....इंटरवल के बाद
गुड्डी बार बार कह रही थी अपने भइया के हाथ खोलने के लिए , आखिर कब तक मैं उसकी बात टालती।
खोल दिया मैंने ,उनके हाथ और फिर मैंने और मेरे उन्होंने मिल के गुड्डी को बाँट लिया।
रात का तीसरा पहर ,कच्ची जवानी वाली कली , हमारा कमरा , हम और वो ,हमारा बिस्तर ,
हुआ वही जो होना था। गाल और होंठ गुड्डी के इन्तजार करते रह गए।
मेरे और उनके ,दोनों के होंठ सीधे गुड्डी के कच्चे टिकोरों पर ,
वो तो चूमने चाटने में लगे रहे ,
मैंने सीधे से कचकचा कर काट लिया।
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उफ़्फ़ ,क्या स्वाद था ,एकदम खटमिठवा , बता नहीं सकती उस कच्ची अमिया का स्वाद
खूब कड़े कड़े , टटके , कच्चे ,... मैंने फिर जहाँ काटा था वहीँ चूस लिया , हलके हलके ,जीभ की टिप से कुरेद कुरेद कर उसके बाला जोबन को रस ले लिया।
फिर एक बार और कचकचा कर काट लिया ,और वो भी ,गुड्डी की कच्ची नयी आयी ,..
वो तड़प रही थी ,सिसक रही थी जैसे कोई मछली जाल में फंस गयी हो ,
और उसकी यही तड़पन ,सिसकियाँ , छटपटाना ,छूटने की कोशिश करना ,... तो मुझे और मजा दे रहा था।
अबकी गुड्डी के उरोजों के सबसे ऊपरी हिस्से में मैंने खूब कचकचा के काटा,
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" उईईई नाहीइ ,उफ्फ्फ्फ़ , ओहहहह उईईईईईई ,... " जोर से चीखी वो।
और मेरा मजा दूना हो गया।
और मैंने फिर दूने जोर से कचकचा के काट लिया ,
" उईईई उईईई उईईईईई ,नहीं भाभीइइइइइइ ,उह्ह्ह्हह्ह ,उईईईईईई ,.. "
अबकी उसकी चीख जरूर घर के बाहर भी सुनाई दी होगी।
ननद की चीख और ,...सारे मोहल्ले में न सुनाई दे तो क्या मजा ,
उभारों के ऊपर मेरे दांत के निशान अच्छी तरह उभर आये थे।
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मैं जब नयी नयी ब्याह के इसके घर आयी थी तो मेरी कोई ननद ने चिढ़ाया था ,
" भाभी ये सब तो ब्याहता के सिंगार है पता चलता है दुलहा कैसे कचकचा के प्यार करता है "
और मैंने एक बार फिर उस कच्ची अमिया पर अपने दांत गड़ा दिए ,
अबकी थोड़ा और ऊपर ,..
चीखना तो उसे था ही ,और अभी तो चीख पुकार शुरू हुयी थी ,कल रात जब उसके भइया उसकी फाड़ेंगे तो ,..
एक जोबन का रस मैं ले रही थी ,दूसरे का उसके भैय्या।
गुड्डी के निप्स उनके मुंह में थे वो कस कस के चूस रहे थे और दूसरा निप्स मेरी उँगलियों के बीच में रगड़ा मसला जा रहा था।
कुछ देर में उन्होंने खजाने में सेंध लगा दी ,उनकी जीभ ने , ... दोनों जाँघों को फैला के ,टांगों को उठा के ,
चूमना चाटना चूसना ,
और अब आजाद हुए गुड्डी के जोबन मेरे हाथ ने दबोच लिए।
जिन कबूतरों को देख देख के उसके शहर के सारे लौंडे पागल थे
आज मेरे हाथों और होंठों के हवाले थे।
और नीचे वो उसकी कच्ची गुलाबो को चूस रहे थे ,
अब वो सिर्फ तड़पाना नहीं चाहते थे अपनी बहन को झाड़ना चाहते थे।
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जुबना पर भौजी और बुरिया पर भैय्या ,
पांच सात मिनट में ही गुड्डी की बुरिया ने पानी फेंक दिया।
लेकिन तब भी उस कच्ची कली को उन्होंने नहीं छोड़ा ,अब मैं बगल में बैठी देख रही थी।
वो जीभ से गचगच गचगच उसकी कच्ची चूत चोद रहे थे , बीच बीच में अपनी जीभ की टिप से उसकी क्लिट भी
और गुड्डी बस काँप रही थी मचल रही थी ,दुबारा
तिबारा ,
दस मिनट में उसकी चूत लथपथ थी , मैंने गिनना छोड़ दिया मेरी ननद कितनी झड़ी।
गुड्डी भी अब धीरे-धीरे खुल रही है....प्रोस्ट्रेट मसाज
और गुड्डी बस काँप रही थी मचल रही थी ,दुबारा
तिबारा ,
दस मिनट में उसकी चूत लथपथ थी , मैंने गिनना छोड़ दिया मेरी ननद कितनी झड़ी।
उनको हटा के मैं उस टीनेजर की खुली फैली जाँघों के बीच घुसी ,
उफ्फ्फ्फ़ ,क्या स्वाद था , शहद भी इतना मीठा नहीं होता , खूब गाढ़ा , पहले तो जाँघों पर फैला रस मैंने चाटा फिर चूत को दोनों होंठों के बीच
फिर जीभ अंदर डाल कर ,
एकदम लथपथ थी ,हिलने के भी काबिल नहीं।
पर जब मैं हटी और उनके बगल में बैठ गयी , तो चिड़िया की तरह मेरी ननद ने आँखे खोल दीं ,
अपने भैय्या को ,मुझे देखती रही , फिर मुस्कराकर इनको देख कर बोली ,
" भैय्या ,... "
हम दोनों उसकी ओर देखने लगे ,
छेड़ते हुए वो शोख बोली ,
" भैय्या अब आपको कोई बचा नहीं सकता। "
वो ऐसे ही लड़कियों की बात थोड़ी देर से समझते है , उन्होंने पूछ लिया
" क्यों ,... किससे ,.. "
हंसती खिलखिलाती मेरी प्यारी दुलारी ननदिया बोली ,
" अरे मेरी मीठी मीठी ,खूब प्यारी सी भौजी से और किससे ,आप भूल गए शर्त ,... पहले मैं झड़ी तो अब तो आप ,.. मेरी गुड़ सी मीठी भौजी के हवाले ,और मैं भी नहीं बचाऊंगी , मैं भी भौजी का ही साथ दूंगी, ... अब आपकी मारी जायेगी और मारेंगी मेरी अच्छी भौजी। "
वो हंस रही थी और मुस्करा रही थी।
मैं भी हंसी में अपनी ननद का साथ देती ,इनके खुले नितम्ब सहलाते बोली,
" सच में , अब तो आपकी मैं मारूंगी ,... गुड्डी सही तो बोल रही है , यही बात तो तय हुयी थी जिसको आप बाद में झाड़ोगे वो आपकी गांड मार लेगा , लेकिन मरवाने वाली चीज है तो मारी ही जायेगी। क्यों गुड्डी ,.. "
गुड्डी अब एकदम मेरी पक्की सहेली ,छोटी बहन की तरह हो गयी थी।
"एकदम भाभी, अब तो भैय्या की ,... " गुड्डी बोल रही थी ,हँसते हुए।
मैं सोच रही थी देखूं बोल पाती है की नहीं ,पर मेरी प्यारी ननदिया ने बोल दिया बड़ी भोली सी सूरत बना कर ,
" अब तो भैया की गांड मारी ही जायेगी ,.. " फिर कुछ रुककर सोचते हुए बोली वो, "लेकिन भाभी आप भैया की गांड मारेंगी कैसे?"
मुस्कराते हुए मैंने अपनी मुट्ठी हवा में लहराई ,और बोली ,
" मुट्ठी से ,या डिल्डो से या लंड से ,... जैसे मेरी ननदिया कहेगी वैसे ,.. "
मेरा दूसरा हाथ इनके नितम्बो को सहलाते हुए इनकी
पिछवाड़े की कसी दरार तक पहुँच गया था ,
वो शोख जोर से इनको देख के मुस्करायी और फिर अपने बचपन के यार को छेड़ती निगाह से देख कर बोली ,
" या भाभी , ... तीनों से। "
मैं जोर से हंसी। मेरी ऊँगली अब सीधे इनकी पिछवाड़े की दरार में ,... हलके से टिप घुसेड़ते मैं बोली,
" देखिये मैं नहीं बोल रही आपकी प्यारी प्यारी बहना बोल रही है। "
और गचाक से ऊँगली के दो पोर मैंने उनकी गांड में ढकेल दिए
गुड्डी जोर से खिलखिलाने लगी। " भाभी शर्त तो शर्त ,.. "
मेरी पूरी उंगली अंदर थी ,और मैं धीरे इनके प्रोस्ट्रेट तक ,हलके से टिप से मैं दबा रही थी।
और ये और गुड्डी मजे मजे से बातें कर रह थे , गुड्डी इन्हे छेड़ रही थी चिढ़ा रही थी।
जो मर्द जल्दी न झड़ते हों वो भी प्रोस्ट्रेट मसाज से , बस ये मालूम होना चाहिए की पिछवाड़े अंगुली कितनी करनी चाहिए और कहाँ मोड़ के,...और प्रोस्ट्रेट की एक्जैक्ट लोकेशन भी,... बस थोड़ी देर ऊँगली के बाद रुक रुक के उस पे दबाते हुए , थ्रॉबिंग के ढंग से, कभी स्क्रैच भी, बस चार मिनट में तगड़ा से तगड़ा सांड़ छाप भी किनारे,... तो बस मैं किनारे तक इन्हे ले गयी, पर आज इन्हे झड़ने तो देना नहीं था,
इसलिए ऐन मौके पे,
मस्ती के मारे इनकी हालात खराब थी ये बोल तो सकते नहीं थी इसलिए मैं इन्हे चिढ़ा रही थी,...
" आज मैं मार रही हूँ, अगली बार मेरी ननदिया मारेगी"
" एकदम भाभी" खिलखिलाते हुए बोली ,
" और वो भी दस इंच वाले डिलडो से " मैंने गुड्डी की ओर देखते हुए मुस्करा के बोला,...
" एकदम, भाभी, जिससे आपने बड़ी भाभी की मेरा मतलब,...रंडी भाभी की मारी थी उसी से,..एकदम छोडूंगी नहीं " हँसते हुए वो बोली,
उनकी हालत खराब हो रही थी , मैं चार पांच सेकेण्ड भी और करती ना, तो फिर वो, ...बस मैंने ऊँगली निकाल ली।
पर राजनीति और बिस्तर पर कब कौन पलटा मार जाय पता नहीं चलता।
बहन भाई ने मिल के मुझे दबोच लिया और अब मेरी डबल रगड़ाई चालू हो गयी।
उफ़ क्या मस्त रगड़ाई हुयी।
दोनों जुबना बट गए भाई और बहन के बीच।
गुड्डी पहले हलके हलके सहलाती रही ,फिर सीधे निपल पर मुंह लगा के चुसूर चुसूर।
इत्ता मजा आ रहा था एक कोमल कोमल टीनेजर की टंग का ,मैंने पूरा सरेंडर कर दिया।
दूसरी ओर उसके भैया , कस कस के रगड़ रहे थे मीज रहे थे।
लेकिन थोड़ी देर में वो नीचे के खजाने पर ,और उनकी बहना ने मेरे दोनों जोबन
यही तो मैं चाहती थी कब से ,....
और आज तो वो शुरू से थर्ड गियर में थे , चूस रहे थे ,चोद रहे थे , उनकी जीभ ,उनके होंठ
और साथ में उंगलिया भी कभी क्लिट तो कभी सीधे बुर के अंदर
जब होंठ क्लिट चूसती तो उंगलीया अंदर बाहर
और उनको थोड़ा टाइम लगता पर
मेरी छिनार ननदिया
वो कोमल कुँवारी किशोरी ,....
वो भी मैदान में आ गयी बुर चूसने ,
नौसिखिये का मज़ा अपना अलग है
(हालांकि गीता ने मुझसे पहले से ही कसम खिलवा रखी थी ,बल्कि तीन तिरबाचा भरवा लिया था की मेरी ननदिया के आते ही वो उसे अपनी छत्र छाया में लेलेगी और उसे ट्रेन करके ,चाहे सीधे से चाहे जबरदस्ती , वो उसे चूसने चाटने में तो अपने से भी बड़ी एक्सपर्ट बना देगी ,बाकी सारी चीजे भी सिखा पढ़ा के पक्का ,... )
जिस तरह से वो मेरी बुर पर अपनी जीभ हिला रही थी ,बुर का छेद जीभ से ढूंढ रही थी ,मजा आ गया मुझे
गरम तो मुझे मेरे सैंया ने कर दिया था ,किनारे तक वो ले भी आये
पर पार मेरी ननदिया ने ही कराया , झड़ी मैं उसी की चाटने से ,
वो भी एक दो बार नहीं ,...जब तक गिनना नहीं भूल गयी
एक बार वो झाड़ती ,दूसरी बार उसके भैय्या
मैं लथरपथर , वैसे ही सो गयी
एक ओर मेरी ननद , मेरे सैंया की रखैल और दूसरे ओर मेरे सैंया।
उनका खूंटा सोते में भी खड़ा था , गुड्डी और वो दोनों मेरी ओर करवट कर के सोये थे ,मेरे एक जोबन पर गुड्डी का हाथ था और दूसरे पर
उसका ,जिसका रोज रहता था।
और गुड्डी का दूसरा हाथ अपने भइया के मोटे खूंटे को पकडे ,
साढ़े चार बज गया था ,
और बस थोड़ी देर बाद ही ,बाहर मुर्गे ने बांग दी और साथ ही घंटी बजी।