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जोरू का गुलाम भाग १६६
गुड मॉर्निंग
मेरी आँखे उन्हें चढ़ा रही थीं ,उकसा रही थीं , पर वो भी न ,.. सीधे साधे ,.. शरमाते हिचकिचाते ,
मैं समझ गयी उनके बस का नहीं है ,मैंने गुड्डी को ही चढ़ाया
" हे भैय्या से भी गुड मॉर्निंग कर ले , ... "उसके कान में मैं फुसफुसाई,.. "
एकदम भाभी ,वो शोख छोरी मुस्करायी और मुड़ के उन्हें अपनी लम्बी छरहरी बांहों में भर लिया और कस के होंठ चिपका दिए ,
फिर अपनी मछली सी मचलती बड़ी बड़ी आँखों से उन्हें चिढ़ाती उकसाती बोली , गुड मॉर्निंग भइया ,
और अब वो रुकते तो गड़बड़ होती उन्होंने भी एक कस के चुम्मी ले ली।
सुबह की धूप कमरे में छा गयी।
" भैया बेड टी" अब लजाने शरमाने का नंबर उस छुई मुई का था।
सिर्फ दो कप , उनकी निगाहों ने सवाल कर दिया , और जवाब मैंने दिया ,अपने कप को गुड्डी के मीठे मीठे होंठों से लगा के ,
" हे जरा चीनी तो घोल ननद रानी , ... "
मुस्कराती गुड्डी ने एक चुस्की ले ली और उसके हाथ से चाय का कप ले कर मैंने उनकी ओर बढ़ा दिया ,
उन्होंने गुड्डी को दिखाते हुए वहीँ होंठ लगाया जहां कुछ देर पहले गुड्डी ने लगाया था , उनका कप मेरे होंठों के बीच था ,
और दो का तीन हम तीन ने कर लिया।
मैं उनकी ओर देख कर मुस्करा रही थी ,वो भी समझ कर मीठी मीठी,
जैसे आज हम लोग चाय बाँट कर ,...वैसे ही इस भोली भाली ननदिया को भी हम बाँट लेंगे।
" क्यों भाभी , बेड टी कैसे लगी , ... " चाय सुड़कती हुयी हम लोगों के प्लानिंग से अनजान उस किशोरी ने पूछा ,
और मेरे मन में कुछ और कौंध गया , मैंने फिर उनकी ओर देखा और गुड्डी के पान ऐसे चिकने गाल को सहलाते उसे और उसके भैय्या दोनों को सुनाया ,
"चलो यार एक दो दिन और फिर मैं तुम्हे ही रोज बेड टी पिलाऊंगी , एकदम स्पेशल ,परसनल वाली , मेरा अपना टच होगा ,बोल पीयेगी न नखड़े तो नहीं बनाएगी। "
वो मेरी बात सुनके समझ भी रहे थे जोर जोर से मुस्करा भी रहे थे। लेकिन मेरी भोली ननद उसे क्या मालूम मैं किस 'बेड टी ' की बात कर रही थी। उसने तुरंत सकार दिया , मुझे पकड़ के बहुत दुलार से बोली ,
" एकदम भौजी , अरे हमार मीठी मीठी भौजी पिलाये तो कौन ननद मना करेगी , ये ननद तो कतई नहीं। "
अब उसके होंठों का नंबर था , उन्हें दिखाते हुए मैंने उनकी बहिनिया के होंठों को चूम लिया , हलके से नहीं कचकचा के।
और होंठ छोड़े तो हलके से प्यारी सी एक चपत अपनी टीनेजर ,जस्ट इंटर पास ननद के गाल पे मारती बोली ,
" सुन लो , अगर अब तूने मना किया न , तो तेरे भइया के सामने बोल रही हूँ , जबरदस्ती पिलाऊंगी रोज बिना नागा अपनी बेड टी। " और उनकी ओर आँख मार दी।
मैं और मम्मी तो उन्हें 'बेड टी' पिलाती थीं ही , और उनके मायके में भी रोज तो नहीं लेकिन एक दो दिन तो मैंने वहां भी ,... गुड्डी जिस दिन पहली बार आयी थी ,उस दिन ननद के आने की ख़ुशी में तो मैंने उन्हें दिन दहाड़े ही ,.पर वो हुआ जो मैंने सपने भी भी नहीं सोचा था , वो बोल पड़े ,
" अरे मना क्यों करेगी , ... तुम तो पिलाओगी ही मैं भी अपनी चिरैया को बेड टी पिलाऊंगा " और उनके हाथ भी गुड्डी के कंधे पर,
मुझे अपने कान पर विश्वास नहीं हुआ ,
मैं तो उन्हें ,.. पर वो भी ,.. हाँ चाहती तो मैं भी थी की वो हम लोगो के खेल तमाशे में शामिल हो , पर मैंने तय कर लिया , मुँह के अंदर डाल के नहीं ,... ये चिरैया होनी चोंच खोल के घल घल वो सुनहला शरबत , जिस पर हर ननद का हक़ होता है ,...
और मेरी ननद भी न
जैसे जाल में फंसे कबूतर को अंदाज नहीं होता की वो जाल में है , वो एकदम नारमली ,उसी तरह वो भी हँसते हुए बोली ,
"तो आप लोग बारी बारी से ,.. एक दिन भैया एक दिन भाभी ,.."
हम दोनों ने एक साथ मना किया और एक साथ बोले ,
' अरे नहीं बावरी , बारी बारी से क्यों ,... रोज हम दोनों सुबह सुबह , दो कप बेड टी नहीं पी सकती क्या तू ,.. ?"
" एकदम पी सकती हूँ , फिर भौजी ने तो बोल दिया है ,सीधे से नहीं पिऊँगी तो वो जोर जबरदस्ती कर पिलायेंगी। फिर कोई बचत है क्या ? "
हँसते खिलखिलाते वो शोख शरीर बोली।
" सुन लिया आपने अपनी बहन को , अब तो आपको पिलाना ही होगा ,अब कउनो बहाना नहीं चलेगा। " मैंने उनकी आँख में आँख डाल के कहा और उनसे तीबाचा भी भरवाया।
गुड्डी को देख के वो भी एकदम बौराये थे
उसके गाल सहलाते बोले ,
"मेरी प्यारी बहन है ,... अरे सिर्फ बेड टी क्यों है ,शाम को भी पिलाऊंगा ,... क्यों गुड्डी ,पीयेगी न। "
और वो उनसे और चिपक गयी ,
" एकदम भैया , और जैसे भाभी ने बोला है ,नखड़ा करुँगी तो आप जबरदस्ती भी कर सकते हैं , है न भाभी। "
मैं क्यों मौका चूकती , तुरंत बोली , " एकदम जबरदस्ती तो करुँगी ही , बिना रगड़ाई के क्या मजा ,.. "
लेकिन तबतक उनकी निगाह घडी पर पड़ गयी ,... मेरी असली सौत।
"ओह नौ बजने वाले है ,आधे घंटे में आफिस पहुंचना है "
वो उछल कर पलंग से नीचे उतर गए।
गुड मॉर्निंग
मेरी आँखे उन्हें चढ़ा रही थीं ,उकसा रही थीं , पर वो भी न ,.. सीधे साधे ,.. शरमाते हिचकिचाते ,
मैं समझ गयी उनके बस का नहीं है ,मैंने गुड्डी को ही चढ़ाया
" हे भैय्या से भी गुड मॉर्निंग कर ले , ... "उसके कान में मैं फुसफुसाई,.. "
एकदम भाभी ,वो शोख छोरी मुस्करायी और मुड़ के उन्हें अपनी लम्बी छरहरी बांहों में भर लिया और कस के होंठ चिपका दिए ,
फिर अपनी मछली सी मचलती बड़ी बड़ी आँखों से उन्हें चिढ़ाती उकसाती बोली , गुड मॉर्निंग भइया ,
और अब वो रुकते तो गड़बड़ होती उन्होंने भी एक कस के चुम्मी ले ली।
सुबह की धूप कमरे में छा गयी।
" भैया बेड टी" अब लजाने शरमाने का नंबर उस छुई मुई का था।
सिर्फ दो कप , उनकी निगाहों ने सवाल कर दिया , और जवाब मैंने दिया ,अपने कप को गुड्डी के मीठे मीठे होंठों से लगा के ,
" हे जरा चीनी तो घोल ननद रानी , ... "
मुस्कराती गुड्डी ने एक चुस्की ले ली और उसके हाथ से चाय का कप ले कर मैंने उनकी ओर बढ़ा दिया ,
उन्होंने गुड्डी को दिखाते हुए वहीँ होंठ लगाया जहां कुछ देर पहले गुड्डी ने लगाया था , उनका कप मेरे होंठों के बीच था ,
और दो का तीन हम तीन ने कर लिया।
मैं उनकी ओर देख कर मुस्करा रही थी ,वो भी समझ कर मीठी मीठी,
जैसे आज हम लोग चाय बाँट कर ,...वैसे ही इस भोली भाली ननदिया को भी हम बाँट लेंगे।
" क्यों भाभी , बेड टी कैसे लगी , ... " चाय सुड़कती हुयी हम लोगों के प्लानिंग से अनजान उस किशोरी ने पूछा ,
और मेरे मन में कुछ और कौंध गया , मैंने फिर उनकी ओर देखा और गुड्डी के पान ऐसे चिकने गाल को सहलाते उसे और उसके भैय्या दोनों को सुनाया ,
"चलो यार एक दो दिन और फिर मैं तुम्हे ही रोज बेड टी पिलाऊंगी , एकदम स्पेशल ,परसनल वाली , मेरा अपना टच होगा ,बोल पीयेगी न नखड़े तो नहीं बनाएगी। "
वो मेरी बात सुनके समझ भी रहे थे जोर जोर से मुस्करा भी रहे थे। लेकिन मेरी भोली ननद उसे क्या मालूम मैं किस 'बेड टी ' की बात कर रही थी। उसने तुरंत सकार दिया , मुझे पकड़ के बहुत दुलार से बोली ,
" एकदम भौजी , अरे हमार मीठी मीठी भौजी पिलाये तो कौन ननद मना करेगी , ये ननद तो कतई नहीं। "
अब उसके होंठों का नंबर था , उन्हें दिखाते हुए मैंने उनकी बहिनिया के होंठों को चूम लिया , हलके से नहीं कचकचा के।
और होंठ छोड़े तो हलके से प्यारी सी एक चपत अपनी टीनेजर ,जस्ट इंटर पास ननद के गाल पे मारती बोली ,
" सुन लो , अगर अब तूने मना किया न , तो तेरे भइया के सामने बोल रही हूँ , जबरदस्ती पिलाऊंगी रोज बिना नागा अपनी बेड टी। " और उनकी ओर आँख मार दी।
मैं और मम्मी तो उन्हें 'बेड टी' पिलाती थीं ही , और उनके मायके में भी रोज तो नहीं लेकिन एक दो दिन तो मैंने वहां भी ,... गुड्डी जिस दिन पहली बार आयी थी ,उस दिन ननद के आने की ख़ुशी में तो मैंने उन्हें दिन दहाड़े ही ,.पर वो हुआ जो मैंने सपने भी भी नहीं सोचा था , वो बोल पड़े ,
" अरे मना क्यों करेगी , ... तुम तो पिलाओगी ही मैं भी अपनी चिरैया को बेड टी पिलाऊंगा " और उनके हाथ भी गुड्डी के कंधे पर,
मुझे अपने कान पर विश्वास नहीं हुआ ,
मैं तो उन्हें ,.. पर वो भी ,.. हाँ चाहती तो मैं भी थी की वो हम लोगो के खेल तमाशे में शामिल हो , पर मैंने तय कर लिया , मुँह के अंदर डाल के नहीं ,... ये चिरैया होनी चोंच खोल के घल घल वो सुनहला शरबत , जिस पर हर ननद का हक़ होता है ,...
और मेरी ननद भी न
जैसे जाल में फंसे कबूतर को अंदाज नहीं होता की वो जाल में है , वो एकदम नारमली ,उसी तरह वो भी हँसते हुए बोली ,
"तो आप लोग बारी बारी से ,.. एक दिन भैया एक दिन भाभी ,.."
हम दोनों ने एक साथ मना किया और एक साथ बोले ,
' अरे नहीं बावरी , बारी बारी से क्यों ,... रोज हम दोनों सुबह सुबह , दो कप बेड टी नहीं पी सकती क्या तू ,.. ?"
" एकदम पी सकती हूँ , फिर भौजी ने तो बोल दिया है ,सीधे से नहीं पिऊँगी तो वो जोर जबरदस्ती कर पिलायेंगी। फिर कोई बचत है क्या ? "
हँसते खिलखिलाते वो शोख शरीर बोली।
" सुन लिया आपने अपनी बहन को , अब तो आपको पिलाना ही होगा ,अब कउनो बहाना नहीं चलेगा। " मैंने उनकी आँख में आँख डाल के कहा और उनसे तीबाचा भी भरवाया।
गुड्डी को देख के वो भी एकदम बौराये थे
उसके गाल सहलाते बोले ,
"मेरी प्यारी बहन है ,... अरे सिर्फ बेड टी क्यों है ,शाम को भी पिलाऊंगा ,... क्यों गुड्डी ,पीयेगी न। "
और वो उनसे और चिपक गयी ,
" एकदम भैया , और जैसे भाभी ने बोला है ,नखड़ा करुँगी तो आप जबरदस्ती भी कर सकते हैं , है न भाभी। "
मैं क्यों मौका चूकती , तुरंत बोली , " एकदम जबरदस्ती तो करुँगी ही , बिना रगड़ाई के क्या मजा ,.. "
लेकिन तबतक उनकी निगाह घडी पर पड़ गयी ,... मेरी असली सौत।
"ओह नौ बजने वाले है ,आधे घंटे में आफिस पहुंचना है "
वो उछल कर पलंग से नीचे उतर गए।
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