बहुत बहुत धन्यवाद और आभार
असल में इंडेक्स बनाना मुझे आता नहीं न सिग्नेचर में हाइपर लिंक देना और साथ में आलस,
जो भी थोड़ी बहुत ऊर्जा है मैं लिखने में और जो पढ़ने वाले कुछ कहते हैं उनसे बातचीत में लगा देती हूँ,
और ये कहानी तो आधे से ज्यादा चल चुकी है, बस आप जैसे दो चार मित्रों का सहयोग मिलता रहे, पिछले फोरम पर अधूरी रह गयी थी अब उसे किसी तरह पूरी करना है , औने पौने नहीं अपने ढंग से
फिर मेरा मानना है की पाठकों से बात चीत के बीच भी कई बार कहानी के बारे में जो बातचीत होती है वो एक तरह से कहानी का हिस्सा है , जैसे कई पुस्तकों को हम मूल के लिए नहीं बल्कि टीका या मीमांसा के लिए याद करते हैं,... और लिखने वाली इतनी मेहनत कर रही है तो थोड़ा बहुत पन्ने पढ़ने वाला भी पलटे,...
मेरे पाठक बहुत कम हैं , जो हैं वो मित्र हैं तो थोड़ा बहुत तो,
मुझे विश्वास है आप सूत्र पर बने रहेंगे और अपने कमेंट्स से लाभान्वित करते रहेंगे।