- 23,077
- 61,964
- 259
जोरू का गुलाम भाग 246 ----तीज प्रिंसेज कांटेस्ट पृष्ठ १५३३
अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें
Click anywhere to continue browsing...
सैंया से ज्यादा तो ननद उतावली थी...aapne to do char lainon men aane vaale dinon ka Nkahsa hi khinhc diya,... ekdm sahi hai
lekin aur bhi bahoot kuhc hoga meri nanad raani ke saath ,...aakhir sab kuch samjh bujh ke aayi bhi to mere saath isiliye hai,
next part aaj hi
शेर को निचोड़ के चूहा बना देगी...Ekdm soya sher jagaane ka jo natija hoga vo Bhugtegi,...aur jaan bujh ke cheda hai usane
नाम हीं रतजगा है...Aur kya ratjege men sone ki thodi hi hoti hai
कमेंट भी एक-एक से होते हैं...बहुत बहुत धन्यवाद और आभार
असल में इंडेक्स बनाना मुझे आता नहीं न सिग्नेचर में हाइपर लिंक देना और साथ में आलस,
जो भी थोड़ी बहुत ऊर्जा है मैं लिखने में और जो पढ़ने वाले कुछ कहते हैं उनसे बातचीत में लगा देती हूँ,
और ये कहानी तो आधे से ज्यादा चल चुकी है, बस आप जैसे दो चार मित्रों का सहयोग मिलता रहे, पिछले फोरम पर अधूरी रह गयी थी अब उसे किसी तरह पूरी करना है , औने पौने नहीं अपने ढंग से
फिर मेरा मानना है की पाठकों से बात चीत के बीच भी कई बार कहानी के बारे में जो बातचीत होती है वो एक तरह से कहानी का हिस्सा है , जैसे कई पुस्तकों को हम मूल के लिए नहीं बल्कि टीका या मीमांसा के लिए याद करते हैं,... और लिखने वाली इतनी मेहनत कर रही है तो थोड़ा बहुत पन्ने पढ़ने वाला भी पलटे,...
मेरे पाठक बहुत कम हैं , जो हैं वो मित्र हैं तो थोड़ा बहुत तो,
मुझे विश्वास है आप सूत्र पर बने रहेंगे और अपने कमेंट्स से लाभान्वित करते रहेंगे।
पढ़ने वालों को तभी मजा है जब लिखने वाला/वाली हो...अब मैं क्या कहूं
ऐसी लाइनों को लिखने में जो मज़ा आता है,
उससे ज्यादा आनंद तब आता है जब कोई रसज्ञ इसे सराहे,... और लगता है किसी ने हर लाइन को पढ़ा है महसूस किया और सराहा है
बहुत बहुत धन्यवाद, कोटिश आभार
ये सही कहा...कोमल जी लेखक और पाठक का सम्बन्ध सिर्फ कहानी चलने तक ही सीमित नही रहता हे , वो तो कहानी पूरी हो जाने के बाद भी बना रहता हे और भविष्य के गर्भ में क्या लिखा हे कोई नहीं जानता . ये भी हो सकता हे की कभी आमना सामना भी हो जाये , हालाँकि सेक्स बाबा पर आपकी कई कहानी पढने को मिली और सभी कहानियों में होली जेसे रंगों और उत्साह से भरे उत्सव का जिक्र बखूबी किया हे आपने, पढकर बहुत अच्छा लगा , पर वहां पर कमेन्ट करने की कोसिस सफल नही हो पाई . इस फोरम पर आमने सामने चाहे न सही पर मेसेज के जरिये बातचीत करना अच्छा लगा , बाकि कोण लेखक पुरुष हे और कोन महिला पता ही नही चलता बाकि अपनी तरफ से तो कोसिस यही हे की कोई गलत या अब्ध्र बात न हो सबसे बड़ी बात आपने अपनी कहानी हिंदी में ही कही हे , इस फोरम पर ज्यादातर लेखक रोमन में कहानी लिखते हें , ये कुछ अटपटा सा लगता हे . हिंदी कहानी मेरे विचार से हिंदी में पढने का जितना मजा हे उतना रोमन में नही और में उन सबको कहता भी हूँ बाकि उनकी मर्जी खेर कोमल जी फिर मिलेंगे
पाठकों के बारे में हीं नहीं.. उनके पुराने कमेंट तक का उद्धरण ...धन्यवाद,
इतने सारे पाठकों में सबके बारे में याद रखना सबको यथा योग्य जवाब देना, उनकी उपस्थिति दर्ज करना और कराना,
सिर्फ आप ही कर सकती हैं
अगले लेखन की प्रतिक्षा में
फंसी चिड़िया का फसाना...एकदम और अगली पोस्ट में
तेरी सुबह कह रही है तेरे रात का फ़साना
वो तो हे हीफागुन आने वाला है... लेकिन फगुनाहट अभी से चढ़ गई है...
Vese dear, tumko ek baat kehni thi agar tum mind na kro to.फंसी चिड़िया का फसाना...