Shetan
Well-Known Member
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Wah. Khurapati dimag. Is bar chhed chhad ka kuchh alag hi level he is kahani me. Sajan bane joru ke gulam. Hukam chalega sajni ka. Ab maza aaega.जोरू का गुलाम भाग ३
अब मेरी बारी
और कुछ ही दिन में उनका ट्रांसफर हो गया , घर से काफी दूर।
और मैं भी उनकी जॉब वाली जगह पे आ गयी।
और एक दिन मैं सोच रही थी उनके बारे में।
ढेर सारी अच्छाइयां है उनमें , बहुत ही पोलाइट ,केयरिंग ,इंटेलिजेंट ,वेल रेड ,
लेकिन, जैसे मन में गांठे ही गांठे हों। फिर उनके मायकेवालों के बारें में
और,....
मुझे लगा ,
बात ये ही की ये बहुत ही इंट्रोवर्ट हैं।
वहां तक तब भी गनीमत थी , लेकिन एक इमेज ,' अच्छे बच्चे ' की इनके मन में बचपन से बैठा दिया गया है , और बस वो उसी के हिसाब से,
जबकि अब वो बच्चे नहीं रहे, फिर भी।
और अब अपनी उसी इमेज में वो ट्रैप हो चुके हैं। इसी लिए कभी भी , वो खुल कर , यहाँ तक की 'उस समय ' भी ,… अच्छे बच्चे की तरह , इसलिए वो न मस्ती कर पाते थे न , ....एकसेन्स आफ गिल्ट सा ,…
लेकिन अब उस कैद से उन्हें छुड़ाने का काम मेरा ही था।
जैसा परी कथाओ में होता है न किसी शापित राजकुमार को तिलस्म तोड़कर कोई राजकुमारी आजादकराती है ,
तो बस इस घुटन भरे तहखाने से उन्हें बाहर निकालने का काम , मुझे ही करना था।
कैसे ,
ये सोचना मेरा काम था
लेकिन मम्मी की सलाह के बिना तो , इतना बड़ा आपरेशन हाथ में लेना , … उन्होंने न सिर्फ सुना बल्कि सलाह भी दी।
फिर मम्मी को मैंने अपनी छुटकी ननदसे लगी बाजी के बारे में भी बत्ताया और हंसकर कहा ,
अगले मौसम में मैं सोचती हूँ
उस गुड्डी के रसीले गदराये आमों की ही उन्हें दावत करा दूँ।
" एकदम "
मम्मी ने हंस के कहा ,और जोड़ा
"और उसके बाद उस छिनाल ननद को मेरे पास भेज देना न , जरा गन्ने खेत का , अरहर का मजा ले ले , पाटे की तरह खेत में रगड़ी जायेगी न , सब भरौटी , अहिरौटी ,चमरौटी वाले ,... पूरे गाँव की पंगत जिमा दूंगी। "
बस मैंने तय कर लिया था ,अब क्या करना है।
एक बात और मैंने नोटिस की 'उनके ' बारे में , लेकिन वो राज बाद में खोलूंगी.
............
एक छोटे शहर के बड़े से होटल में हम दोनों थे।
वो आफिस के काम से आये और साथ में मैं भी लग ली।
देर सुबह ,
हम दोनों अलसाये और उनका 'वो' अंगड़ाई लेने लगा.
मैं मान गयी लेकिन बस एक छोटी सी शर्त पर ,
' जिसका पहले होगा , वो दूसरे की जिंदगी भर गुलामी करेगा ,सब कुछ मानना पड़ेगा। '
और वो मान गए।
मानते कैसे नहीं ,उनकी हिम्मत थी।
झुक के मैंने अपने गीले गुलाबी रसीले होंठ सीधे उनके होंठो पे लगा दिए और मेरी जीभ उनके मुंह के अंदर गोल गोल घूम रही थी।
मेरे कड़े कड़े गोल उरोज हलके हलके उनके खुले सीने पेरगड़ रहे थे।
हलके से उनके कानो को काटते .
मैंने एक शर्त और फुसफुसा दी ,
" एक दम नो होल्ड्सबार्ड होगा , वो कुछ भी कर सकते हैं , कुछ भी बोल सकते हैं और मैं भी। "
वो मान गए।
मानते कैसे नहीं ,पाजामे में तम्बू पूरी तरह तना हुआ था और मेरी उँगलियाँ हलके हलके नाड़ा खोल रही थीं।
वह पूरी तरह कड़ा खड़ा था और मैं अच्छी तरह गीली।
मैंने तय कर लिया था इस बार 'विमेन आन टॉप ' ,… आखिर आज के बाद से तो मुझे इसी हालत में रहना था।
आलवेज आन टॉप।