Shetan
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Ye to ek akhri dav he. Hari bazi ko jit me badalne ka. Woman on top.वोमेन आन टॉप
और एक बार फिर मैं ऊपर थी।
फिर से वोमेन आन टॉप।
करीब करीब आधे घंटे हो चुके थे ।
शुरू शुरू में तो बस हलके हलके मैं प्यार से कभी उन्हें चूमती , बाल सहलाती , इयर लोब्स किस कर लेती और उनके हर धक्के का जवाब उसी रफ्तार से देती , लेकिन धीरे धीरे मैंने रफ़्तार तेज की , और साथ में कम्प्लीट अटैक।
जोर जोर से मैंने उनके निप्स किस करने , बाइट करने शुरू दिए ( मैं जान गयी थी की , उनके निप्स भी उतने ही सेंसिटिव हैं जित्ते मेरे ) , मेरी उंगलिया हलके हलके , उनके देह पर टहल रहीं थी , सहला रहा थीं , काम की आग और भड़का रही थीं। फिर साथ में शब्दों के काम बाण भी ,
" क्यों मुन्ना मजा आ रहा है न ,बोल न "
"उन्ह , हूँ हाँ, ओह , हाँ "
सिसकियों के साथ उनकी आवाज निकल रही थी और एक बार फिर बाजी उनके हाथ से फिसल रही थी।
और फिर मैंने एक साथ दुहरा हमला , मेरी योनि ने पूरी ताकत से उनके लोहे के राड से कड़े शिश्न को निचोड़ लिया ,और साथ ही मेरे उरोज सीधे उनके होंठों पे हलक से ब्रश करते दूर हट गए।
" क्या करती हो " वो चीखे , और एक बार फिर मेरे निप्स उनके लिप्स पे , रगड़ते हुए उनके कान में मैं बोली ,
" बोल लोगे ,अरे सोच उस के निप्स कित्ते मीठे रसदार होंगे , छोटे छोटे कच्चे टिकोरे , अबकी तो मैं तुम्हे तेरे माल की कच्ची अमिया खिला के ही रहूंगी , बोल ,.... बोल खायेगा न। "
" हूँ हां दो न , " वो सिसक रहे थे।
" तो एक बार बोल दे न , नाम बस बोल दे न ,नाम लेने में शर्म। " मैंने और अांच बढ़ाई।
मेरे कड़े कड़े निपल्स बस इंच भर से भी कम दूरी पे थे , उनके होंठों से।
वो तड़प रहे थे ललचा रहे थे।
"बोल न , सिर्फ नाम " मैंने जोर से उनके निप्स पिंच कर के कहा।
" ओह्ह हां ,उन्ह , वो गुड्डी , ....ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह दो न "
और मैं ये मौक़ा नहीं छोड़ने वाली थी ,
" चल तू मान गए , गुड्डी तेरा माल है। और उसकी छोटी छोटी चूंचियां मस्त हैं , चल अबकी तेरे मायके चलेंगे न तो दिलवा दूंगी ,उसके कच्चे टिकोरे। ले ले "
और उन्होंने जवाब अपने होंठ खोल के दिया , मेरे निप्स अंदर।
पूरे निप्स मैंने अंदर ठेल के उनका मुंह बंद कर दिया ,
कलाइयां उनकी मेरे दोनों हाथों में कैद थीं और एक बार फिर मैंने फुल स्पीड में ,
क्या कोई मर्द पेलेगा , ऐसे जोर जोर से हचक हचक कर , ऊपर नीचे , कभी गोल गोल तो कभी आगे पीछे ,
और थोड़ी देर में उनका कंट्रोल खत्म हो गया था मेरे धक्को का जवाब वो दूनी स्पीड से देने की कोशिश कर रहे थे , पूरी ताकत से धक्के पे धक्का ,
मेरे होंठ कभी उनके होंठ चूमते कभी कचकचा के गाल काटते तो कभी हलके से निप्स की बाइट ,
और यही तो मैं चाहती थी इस रफ्तार से उनकी गाडी बहुत देर तक नहीं चल सकती थी और फिर साथ में मेरे कमेंट्स , उनकी मायकेवालियों के बारे में ख़ास तौर से उनके फेवरिट माल ,… कच्चे टिकोरे वाली के बारे में।
" यार घबड़ा मत , तुझे तो मैं बहनचोद बना के रहूंगी ,और हाँ ऐसे ही , मेरे साजन , …
मैं अपने से बोल रही थी , लेकिन उन्हें सुनाकर।
और उनके धक्को से लग रहा था की उन्हें कितना मजा आ रहा है। और ये भी की बस वो कगार पर हैं। "
मैने फिर छेड़ा ,
" उसकी कित्ती कसी होगी , ,अरे ज़रा जोर धक्के मार न मेरे राजा हलके धक्के से कैसे फटेगी मेरी ननदिया की , मेरे राज्जा। "
और फिर तो उन्होंने वो जोर से धक्का मारा नीचे से की ,
और फिर मेरा आखिरी हमला
और साथ में मेरी तरजनी जो हलके हलके उनके पिछवाड़े के छेद को सहला रही थी , गचाक से उनके धक्के के बराबर की ताकत से , गांड में .... दो पोर अंदर।
कुछ मेरी बातों का असर , और कुछ ऊँगली का ,
जोर के झटके से , ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आह , और सफेद गाढ़ा थक्केदार फुहारा
जोरू का गुलाम - ६
बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं
अब तक
"तो बोल , आज से क्या है तू "
मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं ,
कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे ,
वह मुझे और मैं उन्हें।
आगे
ऊप्स , मैं तो भूल ही गयी थी , मुझे अचानक याद आया।
मैंने मोबाइल का एक नंबर दबाया ,हॉट नंबर। मेरी हॉट हॉट मॉम का , और उनकी आवाज सुनते ही, , मैंने फोन , उन्हें पकड़ा दिया।
जिस तरह वो शर्मा रहे थे , ब्लश कर रहे थे , अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहे थे ,
साफ लग रहा था की मम्मी कैसे जम कर उनकी रगड़ाई कर रही हैं।
लेकिन एक एक बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे , कान पार के , और मैं सास -दामाद का ये संवाद बहुत ही ध्यान से सुन रही थी ,
अभी तो ये शुरुआत है मुन्ना।
और बात खत्म होते ही फोन उन्होने मुझे पकड़ा दिया , मुस्कराहट और ब्लश दोनों चेहरे पर अभी भी कायम थी।
" क्यों कैसा लगा अपनी मालकिन ,मेरा मतलब , मालकिनो से मिलकर। " मैंने छोड़ा।
जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने , फिर शरमाते लजाते ,आँख झुका के बोले ,
' बहुत अच्छा '.
एक चुम्मी तो बनती थी न ऐसे मौके पे , और मैंने लपक के ले ली और जोर से उन्हें भींच के बोला ,
'जोरू के गुलाम'
और एक बार फिर उन्होंने ब्लश किया।
कपडे पहनते हुए उन्होंने बिंदी हटाने की कोशिश की तो मैंने घुड़ककर कहा , उन्न्ह क्या करते हो , और फिर थोड़ी सॉफ्ट टोन में प्यार से ,
अच्छी तो लग रही है देखो न , और उनके सामने शीशा रख दिया।
क्या कोई नयी दुलहन शरमायेगी , जिस तरह वो शरमाये।
और मेरे मन के पखेरुओं को पंख लग गए ,
कित्ता अच्छा लगेगा , इन कानों में झुमके ,
आँखों में काजल , हलका सा मस्कारा , होंठों पे पिंक लिपस्टिक बहुत फबती इन पे , बहुत ज़रा सा गालों पर फाउंडेशन ,
उनका चेहरा वैसे भी खूब गोरा था , मुलायम , नमकीन जैसे मेरी सहेलियां कहती थीं 'लौंडिया छाप ' बिलकुल वैसे, ।
और फिर नाक में नथुनी , ज्यादा बड़ी नहीं छोटी सी , मेरे होंठवा पे नथुनिया कुलेल करेला टाइप्स।
वो अभी भी शीशे में अपना चंदा सा मुखड़ा निहार रहे थे।
मैं कुछ और छेड़ती की बाहर के कमरे से आवाज आई , " खाना " .
वेटर खाना ले आया था।
ये रूम स्यूट टाइप था , बाहरी कमर ड्राइंग -डाइनिंग रूम टाइप और अंदर बेडरूम।
' वहीँ रख दो , बाद में आके बर्तन ले जाना। "
मैंने अंदर से बोला।
दरवाजा बंद होने की आवाज आई , वेटर चला गया था।
मैंने बहुत प्यार से उनके माथे पे लगी बड़ी सी लाल लाल बिंदी को चूमा और गोरे गोरे नमकीन गाल को सहलाते हुए कहा ,
' गुड बेबी , आज तुझे मॉम खाना खिलायेगी , अपने हाथ से। यू हैव बीन अ गुड बेबी , चलो आँखे बंद। "
और मैंने अपने रसीले होंठों से उनकी आँखे सील कर दीं।
मैं उनका हाथ पकड़ कर दुसरे कमरे में ले आई।
इट वाज 'डिफरेंट'।
Ban gae na fudduजोरू का गुलाम - ६
बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं
अब तक
"तो बोल , आज से क्या है तू "
मैंने हलके से पूछा , और उन्होंने जोर से मुझे अपनी बाँहों में भींच के नीचे से एक बार फिर धक्का मारते हुए कहा ,
" जोरू का गुलाम "
कुछ उनके धक्के का असर , कुछ उनके मानने का , मैं जोर जोर झड़ने लगी। मेरी आँखे बंद हो गयीं ,
कुछ मजे से कुछ ख़ुशी से।
इत्ती ख़ुशी मुझे आज पहली बार हो रही थी।
मेरा साजन ,अब मेरा था ,सिर्फ मेरा।
बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में लपटे , भींचे , दूसरे को दबोचे लेटे रहे।
और जब मेरी आँखे खुली , तो वो मुझे टुकुर टुकुर देख रहे थे। मुस्कराते।
लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे दमक रही थी।
उन्हें मालूम हो था गया था की कभी कभी हार में भी जीत होती है।
और जीत हम दोनों गए थे ,
वह मुझे और मैं उन्हें।
आगे
ऊप्स , मैं तो भूल ही गयी थी , मुझे अचानक याद आया।
मैंने मोबाइल का एक नंबर दबाया ,हॉट नंबर। मेरी हॉट हॉट मॉम का , और उनकी आवाज सुनते ही, , मैंने फोन , उन्हें पकड़ा दिया।
जिस तरह वो शर्मा रहे थे , ब्लश कर रहे थे , अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहे थे ,
साफ लग रहा था की मम्मी कैसे जम कर उनकी रगड़ाई कर रही हैं।
लेकिन एक एक बात बहुत ध्यान से सुन रहे थे , कान पार के , और मैं सास -दामाद का ये संवाद बहुत ही ध्यान से सुन रही थी ,
अभी तो ये शुरुआत है मुन्ना।
और बात खत्म होते ही फोन उन्होने मुझे पकड़ा दिया , मुस्कराहट और ब्लश दोनों चेहरे पर अभी भी कायम थी।
" क्यों कैसा लगा अपनी मालकिन ,मेरा मतलब , मालकिनो से मिलकर। " मैंने छोड़ा।
जबरदस्त ब्लश किया उन्होंने , फिर शरमाते लजाते ,आँख झुका के बोले ,
' बहुत अच्छा '.
एक चुम्मी तो बनती थी न ऐसे मौके पे , और मैंने लपक के ले ली और जोर से उन्हें भींच के बोला ,
'जोरू के गुलाम'
और एक बार फिर उन्होंने ब्लश किया।
कपडे पहनते हुए उन्होंने बिंदी हटाने की कोशिश की तो मैंने घुड़ककर कहा , उन्न्ह क्या करते हो , और फिर थोड़ी सॉफ्ट टोन में प्यार से ,
अच्छी तो लग रही है देखो न , और उनके सामने शीशा रख दिया।
क्या कोई नयी दुलहन शरमायेगी , जिस तरह वो शरमाये।
और मेरे मन के पखेरुओं को पंख लग गए ,
कित्ता अच्छा लगेगा , इन कानों में झुमके ,
आँखों में काजल , हलका सा मस्कारा , होंठों पे पिंक लिपस्टिक बहुत फबती इन पे , बहुत ज़रा सा गालों पर फाउंडेशन ,
उनका चेहरा वैसे भी खूब गोरा था , मुलायम , नमकीन जैसे मेरी सहेलियां कहती थीं 'लौंडिया छाप ' बिलकुल वैसे, ।
और फिर नाक में नथुनी , ज्यादा बड़ी नहीं छोटी सी , मेरे होंठवा पे नथुनिया कुलेल करेला टाइप्स।
वो अभी भी शीशे में अपना चंदा सा मुखड़ा निहार रहे थे।
मैं कुछ और छेड़ती की बाहर के कमरे से आवाज आई , " खाना " .
वेटर खाना ले आया था।
ये रूम स्यूट टाइप था , बाहरी कमर ड्राइंग -डाइनिंग रूम टाइप और अंदर बेडरूम।
' वहीँ रख दो , बाद में आके बर्तन ले जाना। "
मैंने अंदर से बोला।
दरवाजा बंद होने की आवाज आई , वेटर चला गया था।
मैंने बहुत प्यार से उनके माथे पे लगी बड़ी सी लाल लाल बिंदी को चूमा और गोरे गोरे नमकीन गाल को सहलाते हुए कहा ,
' गुड बेबी , आज तुझे मॉम खाना खिलायेगी , अपने हाथ से। यू हैव बीन अ गुड बेबी , चलो आँखे बंद। "
और मैंने अपने रसीले होंठों से उनकी आँखे सील कर दीं।
मैं उनका हाथ पकड़ कर दुसरे कमरे में ले आई।
इट वाज 'डिफरेंट'।
Ufff ese shapne mat dikhao komalji. Jo kabhi pura na ho sake. Bas isi karan mene ye kahani start nahi ki thi. Fantacy to aap peda karwa deti ho. Par bahar bhi jalimo ki kami nahi he.मेरे भैया ये नहीं खाते ,वो नहीं खाते
उनके चेहरे का क्लोज अप ,चमकती दमकती बड़ी बड़ी लाल बिंदी ,
मैं उन्हें 'क्या खिला ' रही थी , प्लेट्स में ‘क्या क्या’ था। एक छोटा सा वीडियो भी।
और सब साथ साथ मम्मी को व्हाट्सऐप कर दिया।
कुछ देर में सारी प्लेटें साफ।
;" चलो , अब आँख खोल लो , कैसा लगा मेरे हाथ से खाने का मजा "
मैंने पूछा।
" बहुत बढ़िया एकदम मजा आ गया। " मुस्करा के बोले वो।
और मैं और जोर से मुस्कराई और साथ में अपनी उंगलिया उनके मुंह में।
चाट चुट के सब उन्होंने साफ कर दिया , मेरी ऊँगली में लगी सारी 'करी 'साफ सूफ के चाट।
" ऐसा कभी नहीं खाया "
वो बोले।
" सही कह रहे हो " मैंने मन ही मन सोचा। और फिर आँख मारते हुए ,हंस के पूछा ,
" क्यों एग करी कैसी थी। "
एकदम हालत खराब उनकी , लेकिन उनके रिएक्शन के पहले मैंने और चिढ़ाया ,
" अरे यार काटा तो नहीं। "
और वो कुछ रिएक्शन कर पाते , मैंने मोबाइल की फोटुएं दिखाई ,
सब 'ये नहीं खाते ,वो नहीं खाते 'वाली लिस्ट के।
उनका चेहरा एकदम ,… से ,
लेकिन मैंने झटके से पाजामे का नाड़ा खींच के खोल दिया।
वो एकदम तन्नाया , खूब कड़ा , और मेरी कोमल उँगलियों ने एक झटके में सुपाड़ा झटाक से खोल दिया।
एकदम जोश में , चॉकलेटी ,
और वो चॉकेलट मेरे मुंह में थी , मेरी स्वीट डिश , मैं चूस रही थी ,चुभला रही थी।
मस्ती से उनकी हालत खराब हो रही थी ,
एक पल के लिए मैंने निकाल के उसे बाहर ,उनकी आँख में आँख डाल के पूछा ,
" क्यों मुन्ना , चाहिए क्या। "
उन्होंने जोर जोर से हामी में सर हिलाया , लेकिन तबतक हम दोनों की निगाह सामने दीवाल घडी पे पड़ी। दो बज रहे थे , और ढाई बजे से उनकी मीटिंग थी ,क्लाएंट से।
" मिलेगा मिलेगा , रात को , जल्दी तैयार हो जाओ। "
वो तैयार हो के निकले तो मैंने मुश्किल से हंसी रोकी।
मेरी बड़ी बड़ी लाल बिंदी अभी भी उनके माथे पे चमक रही थी।
बिंदी निकालते ,मुस्करा के मैं बोली
" माना तेरे गोरे गोरे चेहरे पे बहुत अच्छी लगती है लेकिन , बाहर ,… "
हालाँकि मन ही मन मैं सोच रही थीं ,
" क्यों नहीं , एक दिन बाहर भी ,… बहुत जल्द। "
निकलते निकलते उन्होंने रुक के मुझे फ्लाइंग किस दिया और बोले ,शाम को जल्दी आऊंगा।
इट वाज अनॉदर फर्स्ट।
मैं वेट करुँगी मैंने बोला।
बिस्तर पर लेट कर मैं सोच रही थी ,
" मेरे भैय्या ये नहीं खाते , मेरे भैय्या वो नहीं खाते। भाभी आप भैया को जानती नहीं। "
आज देखती तो , … अब उसे पता चलेगा की कितने उसके भैय्या हैं और कितने मेरे सैंया।
कुछ दिन में ही पता चलेगा , .... सिर्फ मेरे सैयां। "
जल्द नींद आगयी। खूबी गाढ़ी और गहरी।
और सपने में ‘उन्हें’ देखती रही , एक से एक 'आउटफिटस 'में , मेकअप के साथ।
शाम को जब वो आये और उन्होंने नाक किया , तब नींद खुली।
Wow game change. Pink world.वापस बेड रूम ,
कमरे में घुसने के पहले ही वेटर मिला ,
" मैडम ,डिनर। " उसने पूछा।
" सुबह वाला तो अच्छा था न , बस वही आर्डर कर देते हैं , "
उन की ओर मुड कर मैंने मुस्कराते कहा।
और वेटर से बोला ,
" बेडरूम में ही दे देना , मैं प्लेट्स बाहर रख दूंगी। "
लेकिन उस बार भी खाना उन्होंने पूरा मेरे हाथों और होंठों से ही खाया।
उनके हाथ तो 'कहीं और ' बिजी थे।
पूरा खाना मैंने उन्हें उनकी गोद में बैठकर खिलाया ,और उनके हाथ उस टाइट सूट से छलकते उभारों की नाप जोख करने में लगे थे।
और वहां फिर अबकी हम दोनों ने एक एक सुलगाई साथ साथ।
मायके में तो कई बार , कभी चैलेंज के तौर पर तो कभी बस चिढ़ाने में ,... और कभी कभी सहेलियों के साथ ,
मुझे मम्मी की बात याद आ रही थी , अगर स्मोकर हो तो नान स्मोकर बना दो और नान स्मोकर हो तो स्मोकर ,वेज हो तो नान वेज ,...
आज कितना अच्छा लग रहा था मैं बता नहीं सकती एकदम खुला खुला
और मुझसे ज्यादा उनको
उस रात तीन राउंड हुआ और सुबह से भी जबरदस्त।
वो भी बिना किसी 'गोली -वोली ' की मदद से।
उस बदमास , मेरी मम्मी के दामाद ने मेरी हड्डी हड्डी तोड़ कर रख दी , सुबह उठी तो बड़ी मुश्किल से पलंग का सहारा लेकर किसी तरह खड़ी हुयी
दीवाल का सहारा लेकर बाथरूम जा पायी ,
एक बूँद सोने नहीं दिया ,
और मैं भी तो मैंने उसकी उस ' बहिनिया ' का नाम ले ले कर खूब छेड़ा ,
इतनी मस्ती आज तक नहीं हुयी थी ,मैंने सोचा भी नहीं था
और जब हम लोग लौट के आये उसके बाद स्लोली लेकिन सिग्निफिकेंटली उनकी हर चीज , खाने की आदत हो ,पहनने की हो एटीट्यूड , सब कुछ बदलने लगा।
Inam to milega. Par woman's hamesha top pe hogi. kyo ki ye pink world he. Or shaiyaji bhi ab us rang me rang chuke he.जोरू का गुलाम - ८
बदले बदले मेरे सरकार नजर आते हैं
…………………….
और जब हम लोग लौट के आये उसके बाद स्लोली लेकिन सिग्निफिकेंटली उनकी हर चीज , खाने की आदत हो ,पहनने की हो एटीट्यूड , सब कुछ बदलने लगा।
…………………….
मैं बता नहीं सकती मैं कित्ती खुश थी और वो भी कम नहीं लेकिन बीच बीच में मुझे 'अपना जलवा 'दिखाना पड़ता था।
खाने में मैंने बताया था न पहले तो ग्रीन्स , वेजिज , इन सब चीजों से उन्हें सख्त नफ़रत थी लेकिन धीरे धीरे , … पर एक दिन अपनी सलाद से कुछ टमाटर की पीसेज उन्होंने निकाल दीं।
मैंने उसके साथ ही , अपनी प्लेट की भी सारी टमाटर की पीसेज , उठाके सीधे उनकी प्लेट में , और जब तक उन्होंने खत्म नहीं किया ,
… थोड़ा फोर्स ,थोड़ा समझाना , मनाना।
लेकिन सबसे मजा तब आया जिस दिन मैंने उन्हें बैगन खिलाया , शाम से मैं उन्हें चिढ़ाती रही , आज 'तेरी वाली' की फेवरिट सब्जी है।
अब उनकी ममेरी बहन को बस 'तेरा माल ' , 'तेरी वाली ' कह कर ही बुलाती थी और वो जिस तरह से लजाते ,शरमाते थे की , ...
खिलाया तो उन्हें मैंने अपने हाथ से बैगन की कलौंजी ,
लेकिन किस्से उनके 'उस माल के' चालू रखे जिसके बारे में वो कुछ सुनना भी नहीं पसंद करते थे.
" सोच यार इतना मोटा लम्बा कैसे घोटती होगी वो , अब वो नीचे वाले मुंह से सटाक सटाक घोंटती होगी तो उसके फेवरिट प्यारे प्यारे भइया ऊपर वाले मुंह से तो ,.. "
लेकिन साथ में इनाम भी मैं देती थी उन्हें।
उसी रात , 'सब कुछ ' मैंने किया , बस वो लेटे रहे,
और मैं लेती रही।
उनके खूंटे को किस लिक और सक करने से
वोमेन आन टॉप तक , ...
और वो भी दो बार।
उन्होंने क्या खाना शुरू किया से ज्यादा इम्पार्टेंट था मेरे लिए उन्होंने क्या छोड़ दिया।
खूब ग्रीजी मसाले वाली तेल से भरी सब्जियां खासतौर से आलू ,तले भुने स्नैक्स सुबह शाम , सब अल्लम गल्लम , ...
और मैं अपने से ८-१० साल बड़ी लेडीज को देखती थी , हसबैंड उनके ,
डेली तो छोड़ दीजिये , कोई सवाल ही नहीं , , हफ्ते में भी एक बार 'कभी हो जाए ' तो बड़ी बात।
१०-१५ दिन में बस एकाध बार , और पॉंच तो सबके निकलनी शुरू हो गयी थी और कई की कमर तो कमरा हो गयी थी।
और यहाँ मैं , हर रोज , ... हर रात कम से कम 'दो तीन बार' और अक्सर दिन में भी 'बोनस राउंड '
फिर इनकी जो मायके की आदतें थी उसमें एकदम गारंटी थी इनके साथ भी यही होना था ,
और इनके घर में तो आधे से ज्यादा लोग डायबिटिक थे।
उसके साथ ये भी की घर में दो तरह के खाने तो बनेंगे नहीं , इसलिए
,... जिस स्पीड से पति लोग वेट ऐड कर रहे थे उसकी दुगुनी स्पीड से उनकी पत्नियां , सब कुछ जुड़ा था।
उस तरह के खाने से जिसके ये शौक़ीन थे और जिसकी इनके मायके वालों ने बचपन से आदत डलवा दी थी ,
आर्टरीज तो क्लाग होनी थी।
और बाकी पुरुषों के साथ भी मैं देखती थी यही होता था , फैट और फिर लेस ब्लड फ्लो 'उस जगह 'पर ,
फिर बिचारी लेडीज की नाइट एक्सरसाइज बंद हो जाती थी और फिर बोरडम और फिर जंक फूड्स ,...
मुंह बहुत बनाया उन्होेने ,नखड़े भी किये ,
जब लंच में कई बार मैंने सिर्फ सूप और सलाद सर्व किया तो ,
लेकिन मैं उन्हें समझाती रही घबड़ा मत मुन्ना अभी स्वीड डिश भी मिलेगी , स्पेशल वाली।
(और मैं मानती थी , पति पत्नी के लिए, ' वो वाली ' एक्सरसाइज ' से बढ़कर कोई वेट कंट्रोल का तरीका नहीं , और फिर मैं और ये भी
थोड़ी सी पेट पूजा , 'कभी भी कहीं भी 'करने में यकीन रखते थे ,
इसलिए इन्हे खाने पीने की आदत बदलनी ही थी , और मैं थी न ,_
मिली भी उस चटोरे को , मेरी वाली 'खास रसमलाई ' जिसे खाने में मजा भी हम दोनों को आता था
और कैलोरी भी बजाय बढ़ने के दोनों की ही खर्च होती थी।
यहाँ तक की बाहर पार्टी में भी पहले वह सलाद को बाइपास करके सीधे , मटर पनीर या आलू दम की ओर बढ़ते थे लेकिन अब वो जानते थे की मेरी निगाह उन से चिपकी रहती है ,
और फिर सलाद से प्लेट भरने के बाद ही वो आगे बढ़ते थे।
और सिर्फ मेरी निगाहें ही उन पर टिकी रहती हों ऐसा नहीं था ,
बहुत से लोगों की स्पेशली लेडीज की , कम्पनी के यंगेस्ट एक्जिकुटिव…
और उसी दिन मिसेज खन्ना ने मुझसे बोला
" अरे यार ये तेरा 'घोंचू ' तो दिन पर दिन स्मार्ट होता जा रहा है। मैं सब समझती हूँ ये सब तेरा किया धरा है , काश १०% लेडीज तेरी तरह होतीं न ,.. "
( मिसेज खन्ना से मैं बाद में आप सबको मिलवाने थी लेकिन चलिए अब वो कहानी में आ ही गयी हैं तो ,...सीनियर वाइस प्रेसिडेंट मिस्टर खन्ना, कम्पनी में नंबर २ , की वाइफ और जो कहते हैं पावर बिहाइंड थ्रोन बस वही , कंपनी के प्रेसिडेंट तो थोड़ा अलूफ ही रहते थे ओर आधे टाइम कारपोरेट आफिस या मीटिंग के चक्कर में बाहर , ... इसलिए सब कुछ मिस्टर खन्ना के हाथ में था , प्रमोशन , इंक्रीमेंट , परफारमेंस एवैल्युएशन , जॉब अलोकेशन , मिसजे खन्ना हमारी लेडीज क्लब की प्रेसिडेंट थीं। )
उन्हें देखते फिर बोलीं वो ,
" मिस्टर खन्ना कह रहे मुझसे चार पांच दिन पहले , ये अब एकदम बदल गया है, पहले तो कितना इंट्रोवर्ट था , किसी ग्रुप इंट्रैक्शन में हिस्सा नहीं लेता था और कुछ बोलेगा भी तो एकदम रिजिड , रेजिस्टेंट टू चेंज एंड न्यू आइडियाज , लेकिन अब तो इसके बिना , न्यू आडियाज तुरंत ग्रैस्प करता है , ही इज पिकिंग अप आडियाज आफ चेंज मैनेजमेंट। "
मैंने जम के ब्लश किया , उनको थैंक्स किया।
असल में मिसेज खन्ना भी हेल्थ फ्रीक थीं और मिस्टर खन्ना के ऊपर भी , ...
और सबसे बढ़कर 'थैंक्स ' दिया अपने 'घोंचू ' को ,
रात भर , अगले दिन वीक एन्ड था ,... एक पल भी उन्हें सोने नहीं दिया।
जबरदस्त ब्लो जाब , घर पहुँचते ही।
बेड रूम में पहुँचने के पहले ही मैंने उनकी ट्राउजर के ऊपर से उनके खूंटे को खूब दबाया ,रगड़ा और वहीँ बेल्ट खोल के ,घोंटने तक सरका के ,ब्रीफ के ऊपर से उसे मुंह में लेके खूब चूसा ,चुभलाया।
बिस्तर पर पहुँचने के पहले ही हम दोनों के कपडे पूरे घर में छितराए पड़े थे ,
और बिस्तर पर भी , पहले उनकी बॉल्स को मुंह में ले के हलके हलके
और हाथ से उनके खूंटे को मुठियाती रही ,
फिर अपने दोनों उभारों के बीच लेकर ( मेरे जुबना का तो मेरा सैयां दीवाना था ) ,
और जब मैंने 'उसे ' घोंटा तो पहले उन्हें 'उनके माल ' के बारे में खूब छेड़कर ,...
खाना और पहनना दोनों ही बहुत इम्पार्टेंट है।
Ooo ho.... Khel ka maza dugna. Vahi kache tikore. Maza aa gaya. Ab to sara khel apne hisab ka hi he. Amazing.मजा कच्चे टिकोरों का
लेकिन झिझक उनकी ,अच्छे बच्चे की इमेज , एक बड़ी मुश्किल थी , स्मोक तो वो करते थे , और अब बिना मेरे कहे भी ,
लेकिन आफिस जाने के पहले या कहीं कोई आने वाला हो तो एकदम नहीं।
परेशानी यही थी।
वो बदल तो रहे थे , अपने नए रूप को इंज्वाय भी करना उन्होंने शुरू कर दिया था ,लेकिन घर के अंदर ,सिर्फ मेरे सामने।
बाहर वही ,जो बचपन से अपनी इमेज एक बना रखी थी , उनके असली 'पर्सोना ' जो मन से मजा लेना चाहती थी , एंज्वॉय करना चाहती थी और जो उन्होंने पूरी दुनिया के सामने अपने मायके वालों के सामने एक इमेज बना रखी थी ,
एक तगड़ा अंतर्द्वंद चल रहा था।
मैं उसकी गवाह थी लेकिन सिर्फ मूक गवाह बनने से काम नहीं चलने वाला था , मुझे अपने 'उनके ' जो रियल वो थे , जो मस्ती करना चाहते थे , वाइल्ड होना चाहते थे ,उसे आजाद कराना था।
मैंने एकाध बार कहा भी उनसे
'यार खुल के मस्ती करो न , हम लोग इस एज में एन्जॉय नहीं करेंगे ,मजे नहीं लेंगे तो कब लेंगे।
फिर सब तो खुलेआम , तुम्हारे फ्रेंड्स सब ,... और कौन तेरे मायकेवलियां यहाँ देख रही हैं। "
हम लोग तो वहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर यहां तेरे जब पे , ...
लेकिन मुझे लगा की मुझे ही कुछ करना पडेगा , और मैंने एक दिन , ...
नहीं बात स्मोकिंग की नहीं थी ,
बात उनके एट्टीट्यूड की थी और चेंज को खुलेआम स्वीकार करने की थी , मजे लेने की थी।
स्मोकिंग तो सिर्फ एक बहाना था ,
एक दिन मेरे यहाँ गेट टूगेदर थी ,कई फ्रेंड्स ,उनकी वाइव्स ,…उन लोगों के आने के ठीक पहले ,मैने एक सिगी सुलगाई , दोचार जोर के कश लिए
और पकड़ के जोर की किस ,
और सारा धुंआ इनके मुंह में ,
इसी समय बेल बजी और सारे दोस्त उनकी वाइव्स अंदर ,…
और रीता ,
इनके एक क्लोज फ्रेंड की वाइफ ने इतना चिढ़ाया , इतना छेड़ा , फिर उसके बाद , सबके सामने ,पार्टी में कहीं भी ,
बिना झिझक स्मोकिंग।
मैं इनको यही बोलती थी , यार हम दोनों अपने घरों से इतने दूर है , कौन जानता जानता है , , … खुल के मजा लेना चाहिए न।
फिर मैं तुमसे ये थोड़ी कहती हूँ ,अपनी मम्मी के सामने करो , अपने बड़ो के सामने ,... लेकिन पार्टी में सब लोग इंज्वाय करते हैं और हम लोग एकदम अलग थलग , सब लोग , तुम तो जानते नहीं क्या क्या कहते हैं
पर धीरे धीरे वह बदल रहे थे ,
एक बार हम लोग बस से जा रहे थे , सामने कोई स्कूल की लड़की , दसवीं ग्यारहवीं की रही होगी , स्कूल ड्रेस में , छोटे छोटे उभार
वो कनखियों से उसके कबूतर देख रहे थे।
मैंने और चढ़ाया ,
" मस्त माल है न , तेरे माल से शकल मिलती है न , ,… "
" हूँ , " कुछ शर्मा के कुछ झिझक के वो बोले।
" अरे तो खुल के देखो न ,मम्मे तो देखो साली के , एकदम तेरे माल की साइज के हैं ,दबाने लायक '
" सही कहती हो " अब वो खुल के बोले।
मैंने अपने शाल से अपने को और उनको दोनों को ढक लिया था। मेरे हाथ अब शाल के अंदर उनके 'तने तम्बू ' को हलके हलके दबा रहे थे।
' क्यों दबाने का मन कर रहा है न उसका "
मैंने पूछा और खुल के जोर से उनका खूंटा दबा दिया। एकदम टन्न था , पूरा खड़ा।
" सोचो न गुड्डी के बारे में , उसके कच्चे टिकोरे भी तो , खूब कड़े कड़े ,और वो तो तैयार ही रहती है , दबाना था न उसका "
और ये बोलते हुए मैंने उनका जिपर खोल दिया।
और वो भी शाल के अंदर से ही मेरे कबूतरों की जम कर मालिश , …
किसी पब्लिक प्लेस में वो पहली बार इतना बोल्ड हुए थे। हम दोनों को मजा आ रहा था।
और वो जहाँ उतरने के लिए खड़ी हुयी , मैंने उन्हें उनके नए स्मार्ट फोन की ओर इशारा किया ,एक पल के लिए झिझके लेकिन उस कबूतर वाली का एक स्नैप ,
वो डर रहे थे की कही वो , लेकिन वो भी , उसने इनकी ओर देखा , एक मीठी सी स्माइल मारी और बस से उत्तर गयी।
" देखा , नो रिस्क नो गेन , थोड़ी हिम्मत घर में दिखाते न तो कब का अपने माल का मजा ले लेते " मैंने एक बार और तुरप जड़ी।
धीमे धीमे उनकी झिझक खत्म हो रही थी और मस्ती बढ़ रही थी।
ऊप्स एक बात मैंने कहने का वादा किया था लेकिन ,कुछ समझ में नहीं आ रहा है की कैसे ,चलिए छोड़िये , अगले पार्ट में।