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sach men, BIna Diya ke Jethani pe kabja karrnaa mushkil tha, aur sabse baadi baat bhale main GUDDI ko lekar aa jaungi lekin DIYA to vahin pe rahegi na Jethani par najar rakahne ke liye, thanks again
sach men, BIna Diya ke Jethani pe kabja karrnaa mushkil tha, aur sabse baadi baat bhale main GUDDI ko lekar aa jaungi lekin DIYA to vahin pe rahegi na Jethani par najar rakahne ke liye, thanks again
Romance ke bad muje aap me kuchh 2 nd bahot achha laga. Vo ye he ki woman on top. Indian sex me koi mistirias dikhane vali aap 1st ho. Varna to sab only slave sex dikhakar rahe jate he. Koi story nahi. Par story ke andar ye sab dalna. Vo bhi pariwarik or samajik bhavnao ko madde najar rakh kar. Amezing.मैंने इसलिए ही आपसे कहा था इस कहानी में नए रंग नयी मस्ती मिलेगी आपको। धन्यवाद साथ देने के लिए , पढ़ने के लिए और कमेंट्स के लिए।
Ek alag hi kashish he is kahani me. Ye padhne ke bad ek aurat ke najariye se sirf itna bolna he.Ekdam sahi kaha aapne aurat ka bhi to mauka aana chahaiye aur fir sasuraal men use apna loha bhi manvanaa chaahiye , Joru ka Gullam kahani isliye maine kayi baar kaha hai SMTR ki philosphy pe hai, She makes the RULES.![]()
Ye har pariwar me hota he. Lady ki samasya. Shasural me shas nanand or jethani. Pariwarik rajniti zagde vagera vagera. Par isme jo aap ne tadka dala he. Maza aa gaya. Kash esa sach me ho sakta.Ekdam Jethani ab pakad men aayi hai ab uski chaal aur chaalbaazi dono band ho jaayegi aur mere sajan ka bachapna ka maal saajan ke aage Taange failayegi , ... jethani ki koyi bhi chaal nahi chalegi . Thanks again
Komaliya ka khurapati dimag. Akhir traning to mammy ne di he. Bahot maza aa raha he. Komalji. 400 pages padh lie.sach men, BIna Diya ke Jethani pe kabja karrnaa mushkil tha, aur sabse baadi baat bhale main GUDDI ko lekar aa jaungi lekin DIYA to vahin pe rahegi na Jethani par najar rakahne ke liye, thanks again
Kamini khud ke aam chusvane ke chakkar me rahiti thi. Aam dusre kaha khane deti. Par parda utth te sab samne aata gaya. Wah ri komaliya. Ab to jethani ka joban bhare bazar me lutega.गहरी चाल
मेरे कुछ समझ में नहीं आ रहा था , जेठानी ने कौन सी फोटो खींच ली फिर उनकी मोबाइल में तो कुछ नहीं मिला।
पर राज उस जहर की पुड़िया ने खुद ही खोल दिया ,
"दीदी मैंने आपको लिंक भेजा था न आपने कहीं लिख लिया होगा ,चलिए दुबारा नोट कर लीजिये। और तुरंत डिलीट कर दीजियेगा।"
जेठानी ने डिलीट कर दिया पर पर कर्टसी उस सॉफ्टवेयर के तीन दिन की डिलीटेड फाइलें भी उसमें सेव्ड थीं, तो मैंने नोट कर लिया और अपने मोबाइल पे खोल लिया।
जहर था , बल्कि बॉम्ब ,सच में गुड्डी के साथ मेरी, मम्मी की , दिया की सारी प्लानिंग फेल हो जाती।
पहली फोटो मेरी ही थी , गुड्डी की पैंटी लहराते हुए ,
यानी उस जहर की पुड़िया ने ये सोच लिया था की जेठानी का मोबाइल कम्प्रोमाइज हो सकता है तो सब कुछ उड़ के , किसी गूगल ड्राइव पे जो किसी क्लाउड सर्वर पे थी वहां
फिर किचेन में मैं और गुड्डी रम मिला कर कोल्ड ड्रिंक में रमोला बनाते
गुड्डी स्मोककरती हुयी ,
गुड्डी इनकी गोद में बैठी ,और ये उसे किस करते हुए , इनके हाथ सीधे उसके उभार पे , ( और कत्तई भाई की तरह नहीं )
मैं गुड्डी को किस करती ,उसकी किशोर खुल जाँघों को सहलाती ,
दर्जन भर से ऊपर ,... और एक कोई भी पिक्चर काफी थी अकेले ,न वीडियो न आडियो सिर्फ स्टिल्स
और मैंने अपने दिमाग को बहुत दौड़ाया , कब की पिक्चर होंगी ,
और घूम फिर के बात वहीँ आती थी ,जिस दिन गुड्डी पहली बार आयी ,और उसके हाथ से इन्हे आम खिला के मैंने बाजी जीती थी।
अब मुझे याद आया , गुड्डी के हाथ से , फिर इनके हाथ से गुड्डी के आम खाते देख के , जेठानी का चेहरा राख हो गया था , और वो पैर पटक कर किचेन में चली गयी थीं। फिर अपने बेडरुम में और मैं गुड्डी को लेकर अपनी जीत सेलिब्रेट करने ऊपर चली गयी थी ,
ज्यादातर उसी दिन शाम की थीं।
क्योंकि अगले दिन गुड्डी आयी तो मैं ऊपर थी ,इनके साथ ,.. और फिर मैं और गुड्डी नीचे उतरी सिर्फ किचेन में , ये दिया और छन्दा के साथ ऊपर
और गुड्डी इनके साथ पिज्जा खाने चली गयी थी। नेक्स्ट डे गुड्डी आयी ही नहीं थी ,मैं और जेठानी ही मॉल गए थे उसे रास्ते में पिक किया था।
यानी जैसे ही उन्होंने देखा की मैंने गुड्डी के हाथ से इन्हे आम खिला के बाजी जीती , उन्होंने प्लान बी बना लिया।
और जो मुझे लगा की उस दिन वो पता नहीं किससे इतनी मोबाइल पे बात कर रही थीं , ... जब मैं और ये गुड्डी के साथ शाम को मस्ती कर रहे थे ,तो ये एक के बाद एक फोटुएं ,
और फिर मैंने देखा आडियो फाइल्स भी थीं ,.... ज्यादातर मेरी।
वो भी उसी शाम की ,
अब मुझे याद आया जेठानी जी अपना फोन टेबल पर छोड़ कर चली गयी थीं , गुड्डी थी तब भी और रात में खाने के बाद भी ,
और मैंने इन्होने खूब खुल के गुड्डी के बारे में बातें की थी।
तब क्या पता था ,..
मैं इनको छेड़ रही थी , ..
" ले चलूंगी तेरी बहना को , रोज लूटना उसके जुबना। तेरी रखैल बना के रखूंगी। "
और ये भी मुस्करा के , .मैं इनको चिढ़ाते हुए घर पहुँचने की प्लानिंग बता रही थी, और होना भी यही था,... मेरी आवाज में
"हम दोनों मिल के भोगेंगे उसको ,..रात में तुम उस गुड़िया पर चढ़ाई करना
दिन भर मैं भोग लगाउंगी उसका। "
हम लोगों को क्या पता था टेबल पर रखा जेठानी का मोबाइल इतना खतरनाक हथियार सिद्ध होगा ,मैं तो यही सोच रही थी की उनका सीरयल आ रहा है वो भूल गयीं हैं। पर ये भूल बहुत सोची समझी थी , और मैं अपना प्लान पूरा होने की ख़ुशी में ,..
पर वो फोटुएं और ये बातें ,
टेक्स्ट मेसेज में जेठानी की सारी बातें जो प्लान उन्होंने अपनी बहन के साथ बनाया था , सब खुल गयी.
हम लोगों के जाने के बाद ,जब सासु माँ आ जाती तो उनके सामने ये जहर का पिटारा खुलता , इनकी मेरी गुड्डी की फोटुएं ,बातें , और वो भी जेठ जी के सामने , अगर सास कुछ मेरा पक्ष लेने की कोशिश भी करते तो जेठ जी उनके साथ और वो यहाँ तक कह देते की गुड्डी के घर वालों की भी इन फोटुओं और रिकार्डिंग केबारे में वो बता देंगे ,कुछ ऊंच नीच हों ,उसके पहले गुड्डी को वापस बुला लेना होगा।
और हम लोगों को आधे दिन का अल्टीमेटम ,.. और नहीं तो जेठजी खुद आये गुड्डी को वापस लाने , लेकिन पेंच आगे थी ,.. जेठ जी के साथ जेठानी का पुराना यार संदीपवा भी होता।
और जो बात उनकी छुटकी उस जहर की पुड़िया ने कही थी ,...
दी वो तेरी ननद गुड्डी रानी खुद अपनी शलवार का नाडा अपने हाथ से खोलेंगी। नहीं तो ये फोटुएं और भी जगह तो बात सकती हैं , बस एक बार जा के वापस आने दीजिये ,... फिर तो उसकी ,...
एक बात बस मेरे समझ में आयी उस लिंक जहाँ उसने फोटो और ये सब मैटीरियल रखा था , वो डिलीट कर दूँ , और वो मैंने कर दिया। और बस ये उम्मीद रखी की रात में जो रिकार्डिंग हम लोगों ने कर ली , उससे इस जहरीली नागिन का जहर हमने निकाल दिया है।
इसलिए गुड्डी ने जो मोटा बैगन पेला उनकी बुर में ,... तो मुझे कुछ भी बुरा नहीं लगा ,
इस बेचारी लड़की को बदनाम करने वाली थीं ये , अपने बचपन के खसम से उसकी शलवार उतरवाने वाली थी
मुझे लग रहा था की इतनी रगड़ाई के बाद अब जेठानी के होश उड़ गए होंगे , और खासतौर से जो दिया ने खाने की टेबल पर ,
लेकिन उस समय एक और बॉम्ब विस्फोट हुआ ,
मेरा फोन कहीं रह गया था , जेठानी की अलमारी में बज रहा था , मैंने अपने खिलोने जहां रखे थे ,और वहीँ से किसी कोने से एक मोबाइल गिरा।
वो मोबाइल मैंने पहले कभी भी जेठानी जी के पास नहीं देखा था और सुबह के हादसे के बाद मैं छाछ भी ,
और निकला उसमें एक खतरनाक बॉम्ब ,
Ye sabad to hamesa chhinar nandiyo ke lie bole jate. Par jethani ke lie wah. Bharatpur to ab lutega.भाग १५१
चंपा बाई
" अरे नहीं दीदी , ...एक बार ये सब डाटा अगर मैं सब सही जगह पहुंचा दूंगी तो न तो बस , आपके देवर की तो नौकरी जाएगी ,देवरानी की सारी एकड़ भी। फिर तो उसके सामने ही आप जिस के आगे कहियेगा गुड्डी रानी अपनी शलवार खोलेंगी ,
हाँ आपकी ननद के लिए मैंने एक अच्छा लड़का सोचा है , अरे वो है न ताली बजाने वाला , लड़के के होने पे जो लोग आते हैं न वही उसी गोल का , .. रोज औरत का ड्रेस पहनते हैं , आपकी ननद बियाहने के लिए दूल्हे का ड्रेस पहना देंगे न अरे मजा आएगा सुहागरात में ,
बहुत आग लगी रहती है न उसकी सुरमेदानी में , आपके भइआ को मना की थी न , सुहागरात में डेढ़ इंच वाला मिलेगा न , बस मुझे परसों लौट के आने दीजिये ,... और ये लोग चले भी जायँगे फिर ,... "
मेरे तो सर से पैर तक आग लग गयी , गुस्से से मैंने मोबाइल चूर चूर कर दिया , जिस रिकार्डिंग के बल पर उसे भरोसा था ,... डाटा भी सब डिलीट हो गया था।
उस छुटकी की तो मैं ,.. सब की ओपिनियन मांगूंगी क्या होना चाहिए इनकी बहना के लिए और फिर दिया के साथ मिल के ,...
मैं जेठानी और उनकी बहना के बारे में सोच रही थी ,तभी,... स्काइप पर
चंपा बाई प्रकट हो गयीं। खूब गोरी चिठ्ठी ,मांसल भरी भरी देह , उमर ४५-४६ से कम नहीं लेकिन ३५ से एक दिन ज्यादा नहीं लगती थी। हीरे की कील नाक में चमक रही थी। और सबसे बढ़कर ऎटिट्यूड ,
" नाम बताओ न ,मायका कहाँ है " उन्होंने बहुत प्यार से पूछा।
और जेठानी तुरंत ही नार्मल हो गयीं , नाम भी बताया , मायके के गाँव का नाम भी।
और सवाल जवाब बात चीत में बदल गया लेकिन साथ ही साथ बहुत कुछ पूछ भी लिया चम्पा बाई ने और वो भी एकदम खुल के ,
" कोठे पे काहें आना चाहती हो ,खाली मजे के लिए या पैसे के लिए भी "
और जेठानी जी ने एकदम सही जवाब दिया और सही स्टाइल में भी , कुछ शर्माते कुछ खिलखिलाते , रुक के बोलीं वो
"दोनों के लिए "
और चम्पा बाई भी मुस्करा दीं।
" बहुत रगड़ायी होगी तेरी सोच ले " चंपा बाई ने पूछा भी ,थोड़ा डराया भी और जेठानी का मन जानने की कोशिश की।
जेठानी की मुस्कराहट ने जवाब दे दिया।
" चल तेरी दोनों बात पूरी होगी, सब बित्ते भर से ऊपर वाले, एक से एक मरद मिलेंगे तुझे रगड़ के रख देंगे, मज़ा पूरा आएगा,... और पैसा भी भरपूर मिलेगा, ... एक तेरा अकाउंट अलग से खुलवा दूंगी, रोज की आमदनी रोज, महीने भर में दो चार लाख तो कम से कम, और जितना ज्यादा उतारेगी उतना ही, मजा भी मिलेगा और पैसा भी।" चंपा बाई ने जेठानी का मन जानने के बाद साफ़ साफ़ उन्हें समझा दिया और जेठानी का चेहरा खिल गया.
और जब ये पक्का हो गया तो चम्पा बाई ने साफ़ साफ़ सवाल करने शुरू कर दिए ,
" पहली बार कब करवाया था ,किस उम्र में ,किस के साथ "
" शादी के पहले कितनी बार ?"
और जब जेठानी से चम्पा भाई ने ये सवाल पूछा एक दिन में कितने लौंडे उतारे थे तो जेठानी ने तुरंत जवाब नहीं दिया, कुछ सोचने लगीं तो चंपा बाई ने सोचा शायद शर्मा रहे हैं तो उन्होंने हिम्मत बंधाई,...
" चल कोई नहीं , एक से ज्यादा नहीं ,... तो क्या होगया अब तो चढ़ेंगे पांच -छह हर रोज। "
" नहीं नहीं याद करने की कोशिश कर रही हूँ बताती हूँ बताती हूँ , ... " जेठानी कुछ सोचती हुयी बोलीं,... फिर उनके चेहरे पे चमक आ गयी, और वो चालू हो गयीं,...
" होली वाले दिन, सबेरे सबेरे हमारा ग्वाला दूध देने आया था तो वही दो बार चढ़ गया, दोपहर के बाद सहेली के यहाँ गयी थी, उसके जीजा और उसके दोस्त,... और लौटते हुए, हमारे गाँव के भैया, सगे से बढ़कर, छुटपन से उन्ही को राखी बांधती थी, ... तो उन्होंने और उनका साला आया था, मेरी उमर का ही होगा, दो चार साल बड़ा, कुल पांच लोग,... होली के दिन और उस के पांच दिन बाद मेरा बोर्ड का इम्तहान शुरू हुआ था , हाईस्कूल का "
चंपा बाई के चेहरे पे चमक आ गयी लेकिन जेठानी ने कुछ रुक के जोड़ा,...
लेकिन एक बार उससे भी ज्यादा,... स्कूल की पिकनिक थी , मैं बारहवें में थी चार लड़के थे दिन भर की पिकनिक , बहुत दिन से मेरे पीछे पड़े थे तो उन चारों के साथ , ... एक साथ नहीं बारी बारी से, फिर एक टीचर ने देख लिया, पिकनिक से लौटने के पहले उन्होंने मुझे बता के, तो उन्होंने भी और उनके एक साथ के टीचर थे वो भी आ गए। कुल छह
और रात को मैं घर लौटी तो मेरा फुफेरा भाई आया था , उसके साथ तो मैं हाईस्कूल से ही ,... और माँ भी घर पे नहीं थी, तो उसके साथ तो पूरे रातभर का खेल हर बार होता था,.... चार लड़के दो टीचर छह और भैया को जोड़ लूँ तो सात। तो एक दिन में मैक्सिमम सात, जब मैं बारहवें में थीं। "
" गांड कब मरावायी पहली बार ?"
"कल पहली बार, अपने देवर से"
हिचकिचाते हुए जेठानी सब बातों का सही सही जवाब दे रही थीं।
उन्हें नहीं मालूम था पर मुझे मालूम था की कल जेठानी जी की आवाज में जो उनकी कच्ची जवानी की कहानी मैंने रिकार्ड करवाई थी वो दिया ने चम्पा बाई के पास भिजवा दी थी।
जेठानी की आवाज से अंदाज से रूप से चम्पा बाई खुश लग रही थीं। पर उन्होंने एक साफ़ साफ हुकुम सुना दिया ,
" मेरे कोठे पर सिर्फ मेरा हुकुम चलता है और एक बार तूने हाँ कर दी तो तुझे मेरी सारे बातें माननी होगी ,तेरी माँ की तरह हूँ मैं , मुझे मौसी बोलसकती हो। बोल मानेगी न "
"हाँ एकदम "जेठानी ने बिना हिचके हामी भर दी ,और सवाल जवाब ऐक्शन में बदल गया. " अरे तानी अंचरा हटाओ ,आपन जोबना दिखाओ न " चम्पा बाई ने कुछ हुकुम सुनाया कुछ अनुरोध किया।
Jobandar damdar. Sahi update ko name diya he.जोबन दमदार
जेठानी की आवाज से अंदाज से रूप से चम्पा बाई खुश लग रही थीं। पर उन्होंने एक साफ़ साफ हुकुम सुना दिया ,
" मेरे कोठे पर सिर्फ मेरा हुकुम चलता है और एक बार तूने हाँ कर दी तो तुझे मेरी सारे बातें माननी होगी ,तेरी माँ की तरह हूँ मैं ,मुहे मौसी बोलसकती हो। बोल मानेगी न "
"हाँ एकदम "जेठानी ने बिना हिचके हामी भर दी ,और सवाल जवाब ऐक्शन में बदल गया.
" अरे तानी अंचरा हटाओ ,आपन जोबना दिखाओ न " चम्पा बाई ने कुछ हुकुम सुनाया कुछ अनुरोध किया।
और कुछ लजाते शरमाते ,कुछ अदा दिखाते इनकी 'संस्कारी ' भाभी ने आँचल सरका दिया , पहले तो जोबन की हल्की सी झलक , फिर निपल्स और उसके बाद पूरी गोलाई
चंपा बाई के चेहरे से साफ़ साफ़ झलक रहा था जो उन्हें दिख रहा है वो उन्हें न सिर्फ पसंद है बल्कि बहुत पसदं है।
३६ डी डी की साइज के बावजूद बिना ब्रा के सपोर्ट के भी इनकी जेठानी के उभार एकदम कड़े , ज़रा भी सैगिंग नहीं थीं। परफेक्ट गोल,
उभार,कटाव ,कड़ापन ,शेप साइज सबमें दस में दस , और ऊपर से जिस तरह
नीचे से जेठानी ने अपनी दोनों उँगलियों से अपने उरोजों को हलके हलके छूना सहलाना शुरू कर दिया ,धीरे कभी थोड़ा सा दबाते , मसलते उँगलियाँ ऊपर बढ़ रही थीं , चम्पा बाई की भी हालत खराब हो गयी।
निप्स भी एकदम परफेक्ट।
ज़रा सा घुंडी पकड़ के ,गोल गोल घुमाके , ... चम्पा बाई बोलीं।
और मेरी जेठानी बचपन की खेली खायी , गन्ने के खेत में कबड्डी खेल खेल कर बड़ी हुईं ,...
उन्होंने मंझली और तर्जनी उँगलियों के बीच निपल दबने के बावजूद गोल गोल कंचे की तरह एकदम कड़े ,
और जिस तरह से उँगलियों के बीच वो घुमा रही थीं ,मेरी हालत खराब हो रही थी ,चम्पा बाई के कोठे पर आने वाले मरदों की हालत तो ,...
'गजब ,बहुत अच्छा ,... "
जिसने कितनी कुंवारियों की सील तुड़वाई होगी , कितनी एक से एक जिसके कोठे पर चढ़कर मशहूर हुयी होंगी ,उसके मुंह से किसी की तारीफ़ निकलजाये तो इससे बड़ी तारीफ़ क्या होगी।
चंपा बाई के चेहरे से भी लग रहा था की ये माल उनके कोठे पर आग लगा देगा।
साडी अब सरक कर इनकी भाभी की गोद में सिमटी पड़ी थी , वो पूरी तरह टॉपलेस ,पान के पत्ते की तरह चिकना पेट ,पतली कमर गहरी नाभी सब दिख रही थी।
" पेट कितनी बार गिरवाया, शादी के पहले " चंपा भाई ने टेढ़ा सवाल कर दिया।
जैसे उन्हें समझ में नहीं आया इस तरह वो चम्पा बाई की ओर देखती रहीं ,फिर मुस्कराते हुए ना में उन्होंने सर हिलाया और हलके से बोला
" नहीं कभी नहीं। "
" मैंने इसलिए पूछा की तुमतो शादी के चार पांच साल पहले से ही ,जब हाईस्कूल में पहुंची थी तभी से ,... और गाँव में कंडोम वन्डोम तो ,.. "
चम्पा बाई ने साफ़ साफ़ बात अपनी पूरी की।
" आप एकदम सही कह रही हैं , गाँव में कंडोम का तो सवाल ही नहीं उठता न कंडोम न वैसलीन। सब एकदम डायरेक्ट सीधे ही ,सटाया ,धँसाया ,घुसेड़ दिया। " मेरी जेठानी हँसते हुए बोली।
और अब उनमें और चंपा बाई में खुल के सहेलियों की तरह बातें हो रही थी।
" मैं गोली लेती थी ,जब से मेरे पीरियड शुरू हुए उसके कुछ दिन बाद ही मेरी माँ ने खुद ही ,... " जेठानी ने अपनी निर्भीक कच्ची जवानी में चुदाई का राज खोला।
" तुम्हारी माँ सच में बहुत समझदार थीं ,और मेरे कोठे पर भी कोई कंडोम वन्डोम नहीं सीधे सीधे ,इसलिए मैं पूछ रही थी अच्छा शादी के बाद तो कभी पेट नहीं गिरवाया?"
" न ना " अबकी इनकी भाभी की आवाज में खिलखिलाहट नहीं थीं। कभी उलटी तक तो हुयी नहीं , गाभिन होने का सवाल ही नहीं था।
लेकिन मैं चम्पा बाई के सवालों का मतलब समझ रही थी। जेठानी के चिकने मुलायम गोरे गोरे पेट पर प्रिगनेंसी का कोई निशान नहीं था। एकदम किसी नयी ब्याही दुल्हिन की तरह कोरे कागज की तरह चिकनी ,
" बच्चे वच्चे तो नहीं हुए न ,... "मालूम होने के बावजूद चम्पा भाभी ने साफ़ साफ़ पूछ लिया।
" नहीं नहीं , कोई नहीं " जल्दी से मेरी जेठानी ने वो टॉपिक बंद किया
.और चम्पा बाई ने उनकी सहेली खुलवा दी।
Vo khud lutane ke liye taiyaar baithi thin aur unka permanent iazz ho gaya ab vo na jyada munh khoelngi na mere ksii plaan men bighn baneginKamini khud ke aam chusvane ke chakkar me rahiti thi. Aam dusre kaha khane deti. Par parda utth te sab samne aata gaya. Wah ri komaliya. Ab to jethani ka joban bhare bazar me lutega.
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