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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Shetan

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Vo khud lutane ke liye taiyaar baithi thin aur unka permanent iazz ho gaya ab vo na jyada munh khoelngi na mere ksii plaan men bighn banegin
Muh kaha khulega. Ab to bharatpur lutega. Maza aa gaya. Kash hakikat jivan me bhi esa ho jae. Jethaniyo ka pakka intjam.

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Shetan

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प्रोग्राम पक्का



" तो फिर पक्का न , किस दिन ,.. " चम्पा बाई ने जेठानी से हामी भरवाई।

जेठानी ने तारीख बता दी। आज से ११ दिन बाद की। और साफ़ साफ़ कारण भी बता दिया ,


" हमारी सास ८-१० दिन के लिए जा रही है बाहर और इनकी भी हफ्ते भर की ट्रेनिंग है दिल्ली में , तो ये भी इसलिए ,... "

मेरी निगाह उस तारीख पर कैलेण्डर में घूम रही थी , शुक्रवार का दिन था।


और उसी दिन मेरी मम्मी मेरी सास को लेकर मेरे घर आने वाली थीं ,उन्हें सुबह ही निकलना था ,दोपहर तक वो हमारे घर पहुँच जाती।


" तो पक्का न शुक्रवार को रंजीत को मैं भेज दूंगी। शाम को चार बजे। उस का नंबर भी तुझे मेसेज कर दूंगी " चम्पा बाई ने बात पक्की की।




" ठीक है ,उस समय तो मैं एकदम अकेली ही रहूंगी। " जेठानी ने साफ़ साफ़ प्रोग्राम पक्का कर दिया।



" बस उस रात को , ... और तू तो अकेली ही रात रहेगी हफ्ते भर तो ,... तीन चार दिन के कपडे ,... तीन चार पांच दिन कोठे पर रहेगी , दिन रात तो कोठे के सब रंग ढंग सीख जाएगी। और घबड़ाना मत मैं तो रहूंगी न वहां एकदम तेरी माँ की तरह ,कोई बात हो तो ,... तुझे तो पहले दिन से ही ,.. आजा सारी रात घोड़े दौड़वाउंगी तेरे ऊपर , सब एक से एक तगड़े। .. आज से ही रंजीत को लगा देती हूँ तेरी बुकिंग ढूंढना शरू कर देगा तो पक्का शुक्रवार को ,... "

" जी " कुछ घबड़ाते कुछ शरमाते जेठानी बोलीं।



" यही साडी पहन के आना ,लाल रंग तेरे ऊपर बहुत फबता है। चल अब साडी ठीक कर ले। शुक्रवार को चढ़ जा मेरे कोठे पर। मैं वेट करुँगी ,हाँ पर एक बात समझ लो एक बार हाँ कहने के बाद कोई लौंडिया चंपा बाई को मना नहीं कर सकती ,जबरदस्ती उठवा लेती हूँ और फिर उसे चवन्नी छाप रंडी बना के,... शाम से दरवाजे पर खड़ी हो के ग्राहक पटाती है और दिन भर मेरे कोठे के भंडुए उसका भोग लगाते हैं। कच्ची चूत का हफ्ते भर में भोंसड़ा बना के बेच देती हूँ , ... "



जेठानी के चेहरे पर घबड़ाहट नजर आ रही थी , वो जल्दी जल्दी बोली ,..

" नहीं नहीं मैं शुक्रवार को ,.. शाम के पहले ही आप रंजीत को भेज दीजियेगा मैं आ जाउंगी चार पांच दिन के लिए। वैसे भी घर में तो कोई रहेगा नहीं। "



" अरे तेरे लिए थोड़े ही कह रही हूँ पगली , तू तो बेकार में ,.. तू तो मेरी बेटी की तरह है , तू आज से मुझे अपनी माँ समझना। तू तो मेरे कोठे की शान बन के रहेगी। तूने कहा था न मजा और पैसा दोनों तो दोनों ही मिलेगा। खूब लम्बे और मोटे मोटे , सरदार ,पठान ,...

और फिर चम्पा बाई ने मुस्कराते हुए एक बालिश्त दिखा के जेठानी को साइज का साफ़ साफ़ अंदाज कराया।




और पैसे की तो कमी ही नहीं रहेगी ,तेरा एक नया अकाउंट कोठे पर पहुंचते ही खुलवा दूंगी , सारा तेरा पैसा उसी में ,.. हाँ साड़ी ठीक कर ले। "




और चम्पा देवी अंतरध्यान।

लेकिन साडी ठीक करने में जेठानी ने एक बात नहीं सुनी , दिया भी स्काइप स्विच आफ करने में लगी थी ,



पर मैंने सुन ली। जो बात बहुत धीमे से मुस्कराकर चंपा बाई जाते जाते बोल गयीं।

"चम्पा बाई के कोठे पर सिर्फ चढने वाली सीढी है उतरने वाली नहीं। बस एक बार तू मेरे कोठे पर आ जा , पक्की रंडी ,... बनेगी तू।"





और मेरी निगाह एक बार फिर दीवाल पर टंगे कैलेण्डर पर चिपकी थी , आज बुधवार ,आज हम लोग दो तीन घंटे में इनकी बुलबुल को लेके अपने घर पहुँच जायेंगे।

और बृहस्पतिवार ,शुक्रवार , उसके ठीक एक हफ्ते बाद , अगले शुक्रवार को मम्मी मेरी सास को लेके दोपहर तक हमारे घर पहुँच जाएंगी।

शुक्रवार को ,

मेरी जेठानी कोठे पर चढ़ जाएंगी ,.... रात भर एक से एक मोटे लौंड़े घोंटेंगीं।



मेरी सास उस दिन रात में अपने बेटे का , जिस भोंसडे से ये निकले हैं उसी भोंसडे में इनका ,.. वो भी मेरे और इनकी सास के सामने ,..... गपागप सास मेरी घोंटेंगी।
Pakka ekdam pakka. Jethani bhi ab top ki. .....

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Shetan

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भाग १५२

वापसी की तैयारी



और मेरी निगाह एक बार फिर दीवाल पर टंगे कैलेण्डर पर चिपकी थी , आज बुधवार ,आज हम लोग दो तीन घंटे में इनकी बुलबुल को लेके अपने घर पहुँच जायेंगे।
और बृहस्पतिवार ,शुक्रवार , उसके ठीक एक हफ्ते बाद , अगले शुक्रवार को मम्मी मेरी सास को लेके दोपहर तक हमारे घर पहुँच जाएंगी।

जैसा तय था ,एक दो दिन पहले ही इनकी किशोर बहन ,मेरी ननद गुड्डी रानी मेरे गाँव ,

शुक्रवार को ,

मेरी जेठानी कोठे पर चढ़ जाएंगी ,.... रात भर एक से एक मोटे लौंड़े घोंटेंगीं।



मेरी सास उस दिन रात में अपने बेटे का , जिस भोंसडे से ये निकले हैं उसी भोंसडे में इनका ,..




वो भी मेरे और इनकी सास के सामने ,..... गपागप सास मेरी घोंटेंगी।

मैंने आने वाले ११ दिन बाद के शुक्रवार को , लाल रंग से घेर दिया।


दिया ने जेठानी को ब्लाउज दे दिया था , वही जिसकी नाप कल दिया ने मॉल में दिलवाया था और बाद में सिल कर दिया को मिला था।

हाँ ब्रा नहीं दिया ,लेकिन उस ब्लाउज के साथ ब्रा पहनी भी नहीं जा सकती थी। सिर्फ दो ढाई इंच की पट्टी मुश्किल से ,पीछे से एकदम बैकलेस बस एक पतली सी डोरी , आगे से भी बस जेठानी के भारी भारी गदराये उभारों को बस जैसे वो सपोर्ट कर रही थी , निप्स भी आधे दिख रख थे। पूरा क्लीवेज , सब उभार का कड़ापन ,कटाव ,शेप साइज ,सब कुछ।

जेठानी अपना वो ब्लाउज पहन ही रहे थीं की बाहर हंसने खिलखिलाने की आवाज सुनाई पड़ी ,
गुड्डी और उसके भइया ,मेरे सैंया।

तब मुझे याद आया की वो दोनों सामान पैक करने गए थे ,पता नहीं कुछ सामान छोड़ न दिया हो और अब चलने का भी टाइम हो रहा था।

" हे ऊपर खाली चुम्मा चाटी अपने भैय्या के साथ कर रही थी या पैकिंग भी ,.. "

" देखिये ना ,आपका सारा सामान ,.. " गुड्डी हँसते हुए बोली।



सच में मेरा सूटकेस इनके हाथ में था और बैग भी था।

" और तेरे कपडे ,... तू भी तो अपना सामान पैक करके लायी थी न सुबह ,..तेरे कपडे . " मैंने गुड्डी को याद दिलाया।

और जवाब कमरे के अंदर से आया ,दिया और गुड्डी की बड़की भाभी एक साथ हँसते बोलीं ,

" ये क्या करेगी कपडे , ... इसके भैय्या इसको कपडे पहनने देंगे तब न। "

" क्यों इसी लिए कपडे यहीं छोड़ के चल रही थी ,.. " मैं क्यों अपनी ननद को छेड़ने का मौक़ा छोड़ देती।

गुड्डी बिचारी ,... जोर से ब्लश किया उसने ,और उसके ब्लश करते गालों को चूमने का मौका कौन भाभी छोड़ देती।

तो मैंने चूम लिया और ऊपर अपने कमरे में ,लेकिन मेरा मन कही और था।



अगर मेरी इस दुष्ट जेठानी की चाल चल गयी होती ,
तो मुस्कराती खिलखलाती मेरी ननद और मेरे सैयां ,.... दोनों के मुंह लटके होते। सिर्फ इस बार नहीं हमेशा के लिए दोनों के मिलने का चांस ख़तम हो जाता ,जो वो जब से हाईस्कूल में आयी ,तब से उसकी कच्ची अमियों को देख के ललचा रहे थे ,वो सब बस ,

एक बार अगर मेरी जेठानी मेरी सासु को पटा लेती और वो गुड्डी के घर वालों को मना कर देतीं तो फिर हम लाख कोशिश कर लेते , ...गुड्डी यहीं पढ़ती और जेठानी की ताबेदार बन के , .. मेरी कभी हिम्मत नहीं पड़ती न जेठानी से आँखे मिलाने की न गुड्डी से।

और ये बिचारे , मैं कितने दिनों से इन्हे चिढ़ा भी रही थी , चढ़ा भी थी की मैं अपनी ननद के ऊपर इन्हे चढ़ा के ही मानूंगी ,... वो सब ख्याल ख्याल ही रह जाता।

लेकिन सब मेरी जेठानी का प्लान धरा का धरा रह गयामेरे साजन की इतने दिनों की चाहत अब पूरी होनेवाली है ,बेचारी जेठानी।

और ये सब दिया का करा धरा था , उसकी प्लानिंग एकदम पक्की।

मम्मी ने मुझे वार्न भी किया था की अगर मैं गुड्डी को ले कर चली भी जाउंगी तो जब तक मैं जेठानी का कोई पक्का इंतजाम नहीं करुँगी , तो वो बाद में भी ,...


और दिया ने मुझे पूरा भरोसा दिलाया ,... वो तो रहेगी न यहां।





और जिस तरह चम्पा बाई के कोठे वाला उसने प्लान रचा , खुद जेठानी के मोबाईल से और फेसबुक पर भी , अब जेठानी जाल में पूरी तरह फंसी थी।
मैं ऊपर अपने कमरे में पहुँच गयी थी।

सच में गुड्डी और इन्होने पैकिंग पूरी तरह की थी , गुड्डी के सूटकेस के अलावा कुछ भी नहीं था।

लेकिन मेरा दिमाग जेठानी में लगा था , ये जरूरी था की ११ दिन बाद शुक्रवार को वो चंपा बाई के कोठे पर एक बार , ... लेकिन उसके लिए जरूरी था की मेरी सास मम्मी के साथ , ११ दिन बाद शुक्रवार को दोपहर तक हम लोगों के घर पहुँच जाए , तभी तो।



मम्मी भी मेरी,


किस तरह सास को उन्होंने शीशे में उतारा ,...





चिढ़ाती तो वो पहले से थीं इनको मादरचोद कह के और मुझसे उन्होंने बोला था की इसे बहनचोद बनाने की जिम्मेदारी तेरी है,

तो मैं क्यों पीछे रहती मैं ने भी उन्हें चढ़ा दिया


"लेकिन ठीक है मम्मी ,उसके बाद मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी आपकी। "

Wow matlab jethani ka pura intjam kar diya. Or guddi ko mayke sath leja rahi ho. Unke bhaiya ke lie??? Ya apne bhaiya ke lie. Ab lagta he unki mammy ki bari he. Guru hena meri mammy

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Shetan

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मेरे साजन, मेरी सास



मेरी मम्मी भी ,उस दिन तो उन्होंने लिमिट क्रास कर दी , सीधे इनसे बात करवा दी , और ये बिचारे

" अच्छा ज़रा फोन काटने के पहले मूसल वाले से बात तो कर लीजिये " मम्मी धीरे से मेरी सास से बोलीं और उन्हें फोन पकड़ा दिया।

वो शर्मा सकुचा रहे थे लेकिन मेरी सास ने इशारे में ही अपनी बात कह दी ,

" तुझे अपनी सास को धन्यवाद देना चाहिए ,ऐसी सास बहुत मुश्किल से मिलती हैं। तीर्थ से लौटने के बाद मैं आउंगी तुम लोगों के पास। उनसे बात हो गयी है , अब अकेले तो मुश्किल था लेकिन वो आएँगी तो उनके साथ आउंगी , फिर सारी थकान वहीँ उतारूंगी। खूब सेवा करवाउंगी तुम दोनों से। "


हंसते हुए मेरी सास बोलीं।



मैं समझ रही थी किस सेवा की बात हो रहे है ,समझ तो ये भी रहे थे लेकिन थोड़े झिझक रहे थे।

इसलिए कमान मैंने अपने हाथ में ले ली , फोन पर पहले मैंने प्रणाम किया फिर चालू हो गयी ,



" एकदम आप बस आ जाइये , उसके आगे की बात हमारे हाथ पर छोड़ दीजिये , खूब सेवा होगी आपकी , ऐसी कहीं भी कभी भी हुई न होगी ," मैं बोली




" अरे जीती रहो , तेरे मुंह में घी शक्कर बहू , अरे तेरे यही सब गुन लक्षन देख के तो तुझे मैं ले आयी थी , मुझे पूरा मालुम था तू इस घोंचू को ट्रेन करके ठीक कर देगी ,वरना मेरा मुन्ना तो , ...लेकिन एक बात समझ लो मैं तेरी माँ की तरह जल्दी और कम सेवा से संतुष्ट नहीं होनेवाली , कित्ते दिनों से ,... " वो हँसते हुए बोलीं।

" बस आप आ जाइये ,फिर आप अपनी समधन और बहू पे छोड़ दीजिये , और आपका मुन्ना , वो तो अब अब एकदम बदल गए हैं बस यही सोचते है की कब आप आएं और कब , आप करवाते करवाते थक जाएंगी , वो करते करते नहीं थकेंगे आपकी बहू की गारंटी। " मैं भी हँसते हुए बोली।

सास का मन बार बार कह रहा था उनसे बात करने को ,उनसे बात करते बोली

"अपनी सासू और मेरी समधन को डबल बल्कि ट्रिपल थैंक्स दे देना ,जरा अच्छी तरह से एक बार अपनी तरफ से और दो बार मेरी तरफ से , और उनकी और मेरी बहू की सब बातें मानना , वरना जब आउंगी न तो बहुत पिटाई होगी तेरी। अरे बस दस दिन की बात है , फिर देखूंगी , बहुत दिन हो गया तुझे देखे हुए , चलती हूँ , नहाने को देर हो रही है। "


वो फोन रखती ,उसके पहले मुझसे नहीं रहा गया मैं बोल ही पड़ी ,

" अरे अभी अभी तो देखा है आपने , अभी तो मैंने व्हाट्सऐप किया था आपके फोन पे , हाँ इन एक्शन आइयेगा तो देख लीजियेगा। " मैंने हँसते खिलखलाते बोला।



मेरी सास भी मॉम से कम नहीं थी , कुछ उधार नहीं रखती थीं , तुरंत सूद समेत लौटा देती थी।

" बहू तू भी न एकदम पक्की बदमाश है , बाप का तो पता नहीं लेकिन अपनी माँ पे गयी है. अरे आउंगी तो देखना दिखाना सब होयेगा ही। घबड़ा मत तुझसे भी सेवा करवाउंगी अच्छी तरह से और तेरे मरद से भी , मिलते हैं ब्रेक के बाद , तीरथ से लौटने पर । "




जिस रात मेरी सास निकलने वाली थीं , उस रात तो मम्मी ने सीधे अपने दामाद से ही फोन करवाया , मेरी सास और जेठ के घर से ठीक निकलने के पहले। और वो भी ,उन्होंने मेरी सास से तीन तिरबाचा भरवाया की तीरथ से लौटने के अगले दिन ही वो हमारे घर ,और सास ने हामी भी भर ली।

लेकिन फिर उनकी सास यानी मेरी मम्मी मैदान में और उनके हाथ से फोन लेकर अपनी समधन के साथ चालू हो गयीं


" अरे इसका मतलब है की इसकी मातृभूमि साफ़ सूफ कर ली है न ,चिक्कन मुक्कन ,आपका लौंडा नम्बरी चूत चटोरा है। अभी से इसकी जीभ लपलपा रही है ,सोच सोच के टनटना रहा है। "

कहने की बात नहीं ,मम्मी ने उनके शार्ट से उनका खूँटा बाहर कर दिया था और जोर जोर से रगड़ मसल रही थीं।



लेकिन बजाय बुरा मानने के मेरी सास खिलखिला के हंसी , बोली ,


" एकदम तैयारी कर ली है , और इसके पास आउंगी तो एक बार फिर से ,... कर लूंगी। :"

" और इतनी पूजा मनौती करियेगा तो एक मेरी भी अर्जी लगा दीजियेगा , " मम्मी ने गुजारिश की।

" एकदम बोलिये न आपकी इच्छा तो मेरी इच्छा से भी पहले पूरी होगी , एकदम अर्जी लगाउंगी। " मेरी सास हंस के बोलीं।

" मेरा दामाद आपकी ओखली में धमाधम मूसल चलाये , दिन रात ," मम्मी ने आज एकदम खुल के बोल दिया।

वो बीर बहूटी हो गए ,लजा के लेकिन मम्मी ने एकझटके से ऐसे रगड़ा की चमड़ा हट के मोटा सुपाड़ा बाहर , और उनकी मम्मी के जवाब ने तो उनकी और हालत और खराब कर दी. हँसते हुए वो बोलीं ,

" फिर तो मेरी और आपकी अर्जी एक ही हुयी , जरूर पूरी होगी ,डबल जोर जो है। बस दस दिन बाद मैं लौट के आ जाउंगी , आप तो आइयेगा ही न बस उसके अगले दिन आपके दामाद के पास। "


सारी बातें फ्लैश बैक की तरह मेरे दिमाग में चल रही थीं।

"तेरी सास से अभी अभी बात हुयी है। इस शुक्रवार को नहीं अगले शुक्रवार को ,इसके एक दिन पहले ही मैं आ जाउंगी ,उस दिन उन्होंने कुछ तीर्थ से लौटने के बाद की पूजा वूजा रखी है , बहुत दिनों से समधियाने गयी भी नहीं हूँ। बस अगले दिन सुबह ही उन्हें लेकर चल दूंगी , तीन घंटे कार से लगता है तेरे यहां पहुँचने पर। दिन का खाना तुम लोगों के साथ ,अपने मूसलचंद से ही बनवाना। "

मम्मी ने मुझे फोन पे बताया।



यही तो मैं चाहती थी ,यही दिन चम्पा बाई के साथ तय हुआ था जेठानी का।
हाँ मम्मी ने ये भी मुझे समझाया की निकलने के पहले मैं भी एक बार अपनी सास से बात कर लूँ , और इनसे भी बात करवा दूँ।



तो अब इनका मादरचोद बनना पक्का।
Wah muje malum hi tha. Ab unka hi no he. Unko bhi apni janam bhumi pe chadhva de.
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Shetan

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मिशन मम्मी- समधन पर दामाद





" चल तुझे बना दूंगीं , मादरचोद। बहुत जल्दी। तुझे कुछ करने की जरूरत नहीं है अब सब मेरी जिम्मेदारी , हाँ और अब तू ऐन मौके में मना मत करना , और फिर रुख मेरी ओर मोड़ दिया

" चल तू इसे जल्दी से पहले बहनचोद बना और फिर मादरचोद बनाने की जिम्मेदारी मेरी , महीने दो महीने के अंदर "

और स्काइप से वो फुर्र हो गयीं।
उनका खड़ा खूंटा ,मम्मी के बातों की हामी भर रहा था।

उन के बहुत कहने पर तो मम्मी एकदम उनके पीछे पड़ गयीं , हर बार उन्हें उकसाती अपनी समधन के बारे में , उन्हें मादरचोद कह के बुलाती और रोज रोज दो चार माँ बेटे की चुदाई वाली कहानिया रोज उन्हें होम वर्क के तौर पर मिलतीं ,यहां तक की आने के पहले भी उन्होंने दस बार उनसे कबुलवाया की वो मम्मी की समधन के ऊपर चढ़ाई करेंगे।

………………………

और आने के बाद ,

लेकिन मम्मी को क्यों दोष दूँ मैं ,मेरी सास से उनका कुछ रिश्ता ही था ऐसा , ...रोज ब्रेकफाट पर आधे घंटे एकदम खुल के ऐसे बात होती की मस्तराम मात ,और वो भी स्पीकर फोन आन इनके सामने।

पर सब सीमाएं टूटीं ,जब एक रात इनकी सास मेरी सास बनकर , ...

उसके पहले मेरी मम्मी ने उन्हें टास्क दिया था की मेरी सास का नाम ले कर वो १०० की गिनती तक मुठ मारें




उस दिन दोपहर को दोनों समधिनों की बात हुयी थी और इनकी सास ने मेरी सास और इनके बारे में वो वो बातें पता की थीं , और सब रोल प्ले में इस्तेमाल हुयी ,मम्मी मेरी मिमिक भी थीं फर्स्ट क्लास की ,इसलिए एकदम मेरी सास की आवाज में

मम्मी ने उनसे सब कुछ उगलवा लिया , सब कुछ कबुलवाया।
और सब सोलहो आने सच

उनके मन की गांठे एक के बाद एक मम्मी ने खोल दी



वो मेरी सास बनी अपनी सास की रसमलाई चूस रहे थे और




वो एकदम मेरी सास की तरह उनकी बचपन की बातें याद दिला रही थीं ,



"अरे शुरू से जब तेरी नूनी थी ,खोल खोल के मैं बिना नागा कड़वा तेल लगाती थी,..अरे जब तुम थोड़े बड़े होगये थे मुन्ना ,स्कूल जाने लगे थे ,तब भी याद है तू कितना चिढ़ता था ,शरमाता झिझकता था , तब भी ,तुझे लिटा के ,अपनी जाँघों के नीचे जबरदस्ती दबा के , याद है मुन्ना , तेरी निकल सरका के , खोल के ,कडुवा तेल , ... "




और एक बार तेरी बुआ , अरे तुझसे ६-७ साल ही तो बड़ी है वो उस समय शायद दसवीं ग्यारहवीं में पढ़ती थी , कच्चे कच्चे टिकोरे आगये थे ,हो गए थे मिजवाने लायक,



वो आ गयी उसी समय और मुझे तेरे तेल लगाते देख के चिढा के बोली की भौजी इतना तेल लगा रही हो की एकदम मस्त कड़क मोटा हथियार हो मेरे भतीजे का ,इसे अंदर लेने का इरादा है क्या। याद है तुझे ,मैंने पलट के तेरी बुआ को बोला था ,

"अरे तो उसमें गड़बड़ क्या है , मेरा प्यारा प्यारा मुन्ना है मैं चाहे जो करूँ , और सुन तेरा मन है तो तू ही नेवान कर लेना। बुआ भतीजे का तो खुल्लम खुल्ला चलता है। "


अब पल भर के लिए उन्होंने भोंसड़ी से मुंह हटा के झिझकते हुए माना ,

" हाँ याद है, बुआ मुझे बहुत चिढाती थी मुझे , और फिर अपने काम में लग गए , भोंसड़ी चूसने के ,लेकिन ' माँ ' -बेटा संवाद जारी था।


लेकिन ये भी तो बोल तू भी तो मुझे देख के मुट्ठ मारता था , है न "
अब शरमाने की बारी उनकी थी ,

" नहीं नहीं हाँ , बस एक दो बार , " झिझकते हुए उन्होंने कबूल किया।

" झूठे " जोर से डांट पड़ी उन्हें , " रोज मेरी ब्रा में तेरी मलाई रहती थी। "

मेरी सास बनी उनकी सास ने हड़काया जोर से ,

वो बिचारे घबड़ा गए लेकिन उन्हें पकड़ के ऊपर ,... अब उनके होंठ सीधे गद्दर रसीले जोबन पे ,और जैसे कोई छोटे बच्चे को दुद्धू पिलाये , उनके होंठों के बीच बड़े बड़े निपल ठूंस दिए , ... गाल पे एक चपत पड़ी सो अलग।



मम्मी एकदम मेरी सास के अंदाज में उन्ही की आवाज में , हल्की सी हस्की,

" अरे घबड़ा काहें रहे हो , इसमें क्या , ...अरे मैं जान बूझ के तुझसे पहले नहाने जाती थी और अपनी ब्रा खूँटी पे छोड़ देती थी , फिर तुझे भेजती थी , मुझे ,मालुम था तू , ब्रा के अंदर मुट्ठ मारने को तड़प रहा होगा। "



" फिर आपको गुस्सा नहीं आता था , धोना पड़ता होगा। "

और वो भी लग रहा था मेरी सास से बातें कर रहे थे , थोड़े हिचकचाते लेकिन धीरे धीरे खुलते,

" गुस्सा क्यों आएगा , अरे जवान होता लड़का ,सब लड़के उस उम्र में मुट्ठ मारते हैं ,तेरी बस रेख आ रही थी , और धोऊंगी क्यों , मेरे मुन्ना की सोना मोना की गाढ़ी मेहनत की मलाई मैं तो बहुत प्यार से उसे ऐसे ही पहन लेती थी। वो जो थक्केदार मेरे उभारों पर लगती थी गीली गीली बहुत अच्छा लगता था।




और तू कितनी देर मुट्ठ मारता था तो निकलती थी मलाई ,देख के ही मन खुश हो जाता था। "

वो बोलीं।
फिर सोच कर पिघलती बोलीं ,


' उस उम्र में तेरी कित्ती ढेर सारी गरम गरम गाढ़ी थक्केदार मलाई निकलती थी , सोच के ही गीली हो जाती है। और जब चपड़ चपड़ वो थक्केदार सफ़ेद मलाई मेरी छाती पे , ... इत्ता अच्छा लगता था , सोचती थी एकदिन जिन कबूतरों के बारे में सोच सोच के तू मुट्ठ मारता है न बस एक दिन तुझे पकड़ के जबरदस्ती उन्ही कबूतरों में दबा दबा के तेरा सारा माल निकालूंगी। "



उन्होंने लेकिन पूछ लिया , " आप को ,... आप कैसे देखती थीं ,.. "

और मेरी सास बनी उनकी सास ने सच उगल दिया ,


" अरे जिधर से तू देखता था , बाथरूम के दरवाजे में जो छेद तूने बनाया था , मुझे नहाते देखने को , बस उसी छेद से, ...




बिना नागा मुट्ठ मारता था मेरी ब्रा में । " हँसते हुए उन्होंने बोला और फिर उनके गाल सहलाते पूछ लिया ,

" मुन्ना तू ब्रा में लपेट के मुट्ठ मारता था तुझे ब्रा अच्छी लगती थी या , ... "
उन्होंने चिढाते हुए उनके कान का पान बनाते हुए पूछा।

" वो ब्रा , ब्रा के अंदर , वो ,... " वो हकला रहे थे।

" अरे साफ़ साफ़ बोल न , मुझे तो बहुत अच्छा लगता था ये सोच सोच के की तुझे मेरी , बोल न। "

" वो आपकी चूंची , " हिम्मत करके मुंह खुला उनका।






ये सब बात मम्मी ने अपनी समधन से उस दिन दोपहर में पूछ ली थी ,

और मम्मी को आसानी होगयी मेरी सास बन कर उनसे उनकी चढ़ती जवानी की बातें उगलवाने में



और अब उनके दामाद के कॅफेशन के बाद तो मम्मी का सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम था अपनी समधन के ऊपर अपने दामाद को चढाने का ,



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और अब उनके दामाद के कॅफेशन के बाद तो मम्मी का सिंगल प्वाइंट प्रोग्राम था अपनी समधन के ऊपर अपने दामाद को चढाने का ,

और अब बस अगले शुक्रवार को वो अपनी समधन को लेकर आ रही थीं दोपहर के पहले और उसी रात , अपने दामाद को मादरचोद बनाने का प्रोग्राम उनका पक्का था।और मम्मी की समधन ,मेरी सास भी तो,... इनके मायके से चलने से पहले ,
मेरी सास ने अपना इरादा मुझे और इनको साफ़ साफ़ बता दिया। इनसे बोलीं वो ,

" मुझे मालूम है की तुमने अपनी सास की 'कैसी ,कितनी बार ,किस तरह की सेवा ' की। आ रही हूँ मैं तेरे पास शुक्रवार को , दोपहर को ही पहुँच जाउंगी। बस समझ ले अब तुझे बहू की सास की उससे भी ज्यादा सेवा करनी होगी , कोई बहाना नहीं चलेगा। मेरी समधन भी साथ होंगी ,नहीं करेगा तो जबरदस्ती ,.. "



मैं सोच सोच के मुस्करा रही थी , अब इन्हे मादरचोद बनने से कोई नहीं बचा सकता। इनकी बर्थडे को जो विश मैंने इनकी ओर से , इनकी सास से की थी , ये जिस भोंसडे से निकले हैं ,उसी भोंसडे में घुसने की , ... अब एकदम पूरी होगी।




मादरचोद

...


मैं रियर व्यू मिरर में देख रही थी ,इनकी ममेरी बहन इनकी गोद में उसका स्कूल का ब्लाउज उठा हुआ , और ये ब्रा के ऊपर से उसकी कच्ची अमिया कुतरते हुए ,...स्साली की कच्ची अमिया थीं भी जबरदस्त ,..


मुझसे रहा नहीं गया ,मैंने अपनी ननद को छेड़ा ,
" गुड्डी यार तेरे भैया तुझसे ज्यादा तेरी ब्रा को प्यार करते हैं , देख उसे चूम चाट रहे हैं और अंदर तेरे टिकोरे बिचारे मचल रहे हैं। "


मेरे साजन के लिए इतना इशारा बहुत था ,उस टीनेजर की फ्रंट ओपन ब्रा खोलने का , ब्रा उतरी ,मैंने पीछे हाथ किया और और गुड्डी रानी की ब्रा मेरी मुट्ठी में।
Jaldi banao. Meri shasuma ko bhi jethani jesa kuchh karo. Me bekarar hu.
Erotica......

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Shetan

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ekdam bata to diya, is part ke shuru men hi


जोरू का गुलाम भाग १५४

चम्पा बाई की शक्ल, किससे,...?

भरे भरे गदराये बड़े बड़े चोली फाड़ते ३८ डी डी, दीर्घ नितंबा ४० + , खूब गोरा चिकना चम्पई बदन , खिलखिलाती मुस्कान , इत्ते बड़े भारी उरोज लेकिन बिना ब्रा के सपोर्ट के भी एकदम कड़े ,खड़े ,...



लेकिन सबसे बड़ी बात थी सरकता हुआ आंचल , चम्पा बाई का भी और मेरी सास का भी ,

मिनट भर भी नहीं टिकता था , सरक कर पहाड़ की चोटी की तरह तने जोबन की नोक पर ही जाकर रुकता था , और कभी कभी वहां से भी सरककर ,..

गोरी गोरी मांसल घाटी , और बड़े बड़े गदराये उरोजों का कड़ापन, उभार शेप ,साइज़ सब कुछ साफ़ साफ़ झलक उठता था।
चिकना पेट ,पतली कटीली कमर वहां कुछ भी एक्स्ट्रा फैट नहीं था मेरी सास के मांसल बदन था ,जो भी था गदराये जोबन पर या भरे भरे नितम्बो पर ,...

और एक चीज जिसने मुझे चम्पा बाई से अपनी सास की याद दिला दी ,
उन्नत जोबन ,
दोनों के ही डी डी नहीं बल्कि डी डी डी कप साइज के होंगे , खूब गुदाज , गदराये और मांसल,देख के लगता है दर्जनों ने नहीं पचासों सैकड़ों ने मसला होगा, और जब कच्चे टिकोरे आने शुरू हुए होंगे तभी से तोते चोंच मार रहे होंगे
पर कड़े और तने इतने की ब्रा तो छोड़िये बिना ब्लाउज के सपोर्ट के भी एकदम तने कड़े ,
और पहनती भी मेरी सास ब्लाउज एकदम चिपका , गोरा गोरा ,.. एकदम छलकता रहता ,
Champa bai

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एकदम, सासू माँ की खातिरदारी तो जबरदस्त होगी।

पहले तो मैं इन्सेस्ट लिखती नहीं थी, अब आप सबके जोश दिलाने पर एक तो शुरू कर दिया है और दूसरे छुटकी की कहानी में माँ बेटे की भी कहानी भाई बहन के साथ आ गयी

तो फिर सासू माँ ही क्यों बचें और इनकी सास की भी इच्छा है की उनकी समधन उनके सामने, इनकी सास के दामाद का मूसल,...

और सब कुछ जान बूझ के सासू माँ आएँगी तो फिर, ... जेठानी की जैसी खातिरदारी हुयी उससे भी जबरदस्त

सासू माँ की सेवा के समय तो तो इनकी सास और मंजू भी रहेंगी मेरे साथ

और फिर आपने जो नया थ्रेड शुरू किया है उसे पे भी एक से एक पिक्स है तो बस,... लेकिन मौका आने पर
 

Shetan

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पर वो कल


ये नहीं की आज ये दोनों सो जाएंगे , न मैं सोऊंगी न सोने दूंगी

और न उसकी फटने दूंगी ,न उसके भइया को झड़ने दूंगी।

आज की रात ,
एक ओर मैं और दूसरी ओर उनकी कुँवारी बहना ,
बीच में वो सैंडविच बने।

उनकी तो हालत खराब होनी है आज रात ,



एक ओर उस कुँवारी किशोरी के मीठे मीठे चुम्मे ,नए आये जुबना की रगड़ घिस्स

और दूसरी ओर से मैं भी अपनी उँगलियों से कभी उनकी छाती पर ,कभी उनके निपल्स पर

कभी मेरे होंठ उनके ईयर लोब्स पर ,




और उनका तन्नाया बौराया खूंटा, उनकी बहिनिया के, मुंह में
हिलने नहीं दूंगी उन्हें सूत भर भी

मैं ऊपर चढ़ कर, आज चुदेँगे वो चोदूगी मैं। हचक हचक कर ,ज़रा उनकी बहना देखे ,सीखे




हाँ बस झड़ने नहीं दूंगी उन्हें।

पर झडेंगी हम दोनों , और सबसे पहले उनकी बहना।

आखिर इतने मुश्किल से उसे पटा के ले चल रही हूँ ,कब से अपनी वो चुनमुनिया बचा के बैठी है ,मेरी छुटकी ननदिया।

और उसे झाड़ेंगे उसे उसके 'सीधे साधे भैया " बचपन से उसके आशिक। उसकी कच्ची अमिया के दीवाने ,

पहले तो ब्लाइंडफोल्ड ,




फिर उसके बचपन के आशिक की उँगलियाँ ,... गुड्डी रानी के किशोर उभार और कटाव ,

ऊंचाइयां और गहराइयाँ , जिस जिस जगह पर छूने से उनकी ममेरी बहिनिया मजे से पागल हो जाये।

सिसक सिसक के ,तड़प तड़प के ,
सिर्फ उनकी ऊँगली ,कभी हलके से छू लेंगे वो तो बस कभी रेशम की तरह हलके से सहला देंगे और कभी कस के मीज मसल देंगे ,

और फिर एक पंख या ,... या ,... या इनका सिल्कन स्कार्फ ,

अगन जगाती वो हलकी सी छुअन।

उस बिचारी को नहीं मालूम पडेगा , अगली छुअन , वो स्पर्श कहाँ किस जगह आने वाला है ,जिस जगह वो एकदम उम्मीद नहीं कर रही होगी सीधे वहीँ।
वो सिसकती रहेगी ,तड़पती रहेगी , ... और यही तड़पन , यही सिसक देखने के लिए तो मैं तड़प रही थी ,..
और फिर आइस क्यूब्स ,



इनके हाथों में बल्कि होंठों में , ...एकदम जादू ,..


गुड्डी के होंठों पर ,गालों पर, नए नए आये गदराये जुबना पर,

गुड्डी रानी के कंचे की तरह कड़े निप्स पर

और ,... और ,.. नीचे ,... और नीचे ,
दोनों गुलाबी दरवाजों पर , हलके से प्रेस कर गुड्डी की चुनमुनिया की चोंच पर




लेकिन बस मैं उसे झड़ने नहीं दूंगी ,जब वो आलमोस्ट किनारे पर पहुँच जायेगी ,..



असली मजा तो उसे तड़पाने में आएगा।

और जब तड़प तड़प कर ,.. वो खुद बोलेगी , बार बार बोलेगी तो ,



वही उसके भैया , अपने होंठो से कभी अपनी बहना के जुबना पर , तो कभी सीधे क्लिट पर ,



उनकी जीभ कुंवारे निचले दरवाजे पर , एक बार दो बार तीन बार



जब वो झड़ झड़ के थेथर हो जायेगी ,लथपथ हो जायेगी ,

तब ,... और उसके बाद एक बार और झाड़ के ही ,...

गुड्डी की लम्बी लम्बी गहरी साँसे , हार कर थक कर रस से लथपथ ,... वो किशोरी ,...



और उसके बाद उनके अनुभवी ,मंजू बाई और मम्मी के ट्रेन किये गए होंठ
गुड्डी की भौजाई की प्यास बुझाएंगे , उन की बहन के बगल में

लेकिन वो

वो ऐसे ही भूखे प्यासे ,... कल रात तक ,

और फिर अबतक की सबसे जबरदस्त कुश्ती होगी जब वो फाड़ेंगे अपनी बहना की कच्ची कुँवारी चूत ,वो भी इस तरह की

वो चीखेगी ,चिल्लायेगी, रोयेगी
पर ,...



पर वो कल।
…………………………………………………………………..
Kya wards use kiye he. Jaan nikal li meri. Bas img kar ke hi. Kachi nandiya wow.

ये नहीं की आज ये दोनों सो जाएंगे , न मैं सोऊंगी न सोने दूंगी

और न उसकी फटने दूंगी ,न उसके भइया को झड़ने दूंगी।

आज की रात ,
एक ओर मैं और दूसरी ओर उनकी कुँवारी बहना ,
बीच में वो सैंडविच बने।

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और सब कुछ जान बूझ के सासू माँ आएँगी तो फिर, ... जेठानी की जैसी खातिरदारी हुयी उससे भी जबरदस्त

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और फिर आपने जो नया थ्रेड शुरू किया है उसे पे भी एक से एक पिक्स है तो बस,... लेकिन मौका आने पर
Me bhi vahi intjar kar rahi hu. Dhire dhire aage badh rahi hu
 
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