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जोरू का गुलाम भाग १९२
डाक्टर गिल
१६,२०,४७७
" बंटू , बाबू , रवि और मुन्ना। "
मैंने मिसेज मल्होत्रा को उन चारों का नाम व्हाट्सऐप कर दिया इस रिवेस्ट के साथ की , कि पार्टी में इन चारों लड़कों का नाम जरूर रखें , और असेम्बली प्वाइंट भी गुड्डी वाला ही हो।
एक मोबाइल निकाले और दूसरी लड़की बिना मोबाइल पर हाथ रखे बैठे , ये इतना ही बड़ा झूठ है जितना तीन औरतें चुपचाप बैठी थीं ,
गुड्डी ने कोचिंग की सोशल मिडिया का ऐप खोल कर बंटू का पेज खोल दिया था और उसे दाने डाल रही थी , अपने ' दूसरे वाले ' फेसबुक अकाउंट ( 'ऑफिसियल ' वाले का तो उसने वैसे ही दे रखा था ) का लिंक, अपने इंस्टाग्राम का अकाउंट , और हालचाल ,... फिर बाबू को ही ,...
मिसेज मलहोत्रा का व्हाट्सऐप मेसेज तुरंत ही आगया ,
" श्योर ,पक्का, नो इशूज , एनीथिंग फॉर माई सेक्सी ननद। " मैंने गुड्डी को दिखाया और वो भी खिलखिलाने लगी ,
जवाब में उसने अपने मोबाइल से मिसेज मल्होत्रा को ढेर सारे हग्स , किसेज , लिप्पी भेज दी , " थैंक यू भौजी। "
" यार इस पार्टी में तेरा गैंग बैंग होगा , पक्का डर तो नहीं रही है मेरी ननदिया। " मैंने गुड्डी से पूछा।
" अरे भाभी अपने पास ओखली है तो मूसल से क्या डरना। गैंग बैंग तो अच्छा है न , टाइम सेवर , एक साथ कई के साथ , ... और अपुन के पास टाइम की बहुत शार्टेज है , मेरी प्यारी प्यारी भौजी के प्यारे प्यारे सैंया , फिर कोचिंग भी , अच्छा है न बजाय सीरीज में होने के पैरेलेल प्रॉसेसिंग होगी। एक साथ कई का मजा ,.. "
वो शोख हिम्मत से सीना उभार के बोली।
पर असली बात ये थी की जब वो चारों गन्ने के खेत में उसका पाटा बना के घिर्रायेंगे , ढेले पर उसका चूतड़ रगड़ा जाएगा , अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों ओर बालिश्त भर तब ये हिम्मत पता चलेगी , लेकिन अब गुड्डी रानी का उस पार्टी में जाना तय , और उन चारों का भी ,... फिर कोई वो चार थोड़े ही ,... पूरी रात ट्रेन बनेगी मेरी ननदी की। मैंने सोचा।
" अरे भौजी का सोच रही हैं , आज डागडर भौजी तो उँहा ऐसा ताला लगा देंगी की आप की ननद की चुनमुनिया पर कितने लोग सफ़ेद रंग से होली खेलें उसका कुछ नहीं बिगड़ने वाला है। पेट फूलने का कोई खतरा नहीं है।
मेरी ठुड्डी पकड़ कर वो बोली।
मैंने बात बदल दी , पेट तो मेरी ननद रानी का फूलेगा ही और फुलाने वाले उसके भइया ही होंगे अपनी सफ़ेद स्याही से , और ज्यादा देर नहीं तक इंतजार नहीं करेगी वो , मैं भूल भी जाऊं , तो मेरे उनके की सास भूलने नहीं देंगीं। एक बार उन्होंने अपने दामाद को मादर चोद बना दिया तो बस अगला आईटम उनके अजेंडे में वही है।
और आज डाक्टर गिल वाला इंतजाम हो गया तो बस दिन घडी इनकी सास तय करेंगी, और डाक्टर गिल बस उसी दिन ताम्बे का ताला खोलेंगी और रात को चोर घुसेगा, ... हम सब के सामने,... और फिर टेस्ट किट से दो तीन दिन के अंदर पक्का पता चल जाएगा, इनकी सास को,... सबसे बड़ी बात हर महीने जो पांच दिन के लिए दुकान बंद होती थी ननद रानी की वो ख़तम,... और एक बार अपने भैया से गाभिन हो गयीं तो चाहे जहाँ टांग उठायें, निहुरे,... और नौ महीने बाद सोहर और पहिलौठी का दूध लेकिन सबके लिए जरूरी था आज डाक्टर गिल के यहाँ जो कुछ होना था टाइम पे हो जाए
और तब तक डाक्टर गिल का क्लिनिक आ गया।
लेकिन बड़ा विचित्र सा लग रहा था , एक अजीब सा सन्नाटा। कोई ट्रैफिक नहीं , दुकाने भी उनके हॉस्पिटल के आस पास भी , लग रहा था , कुछ गड़बड़ घट चुका है , या घटने वाला है , तभी
चों चों चों चों
कई पुलिस की गाड़ियां लाल नीली बत्ती जलती बुझती , डाक्टर गिल के हॉस्पिटल की ओर से वापस आती हुयी ,
……………………………………………………………………………………………………..
गाडी की रफ़्तार मैंने भी धीमी कर दी।
हॉस्पिटल की बाहर भी सन्नाटा पसरा , दो पुलिस की गाड़ियां वहां अभी भी खड़ी
और चार पुलिस वाले खड़े , वो हमारी गाडी की ओर बढ़ते की हॉस्पिटल के सिक्योरटी वाले ने उन्हें रोक दिया,कुछ उसने पुलिस वाले को समझाया और मे
और हमारी गाडी के पास आके हमें पीछे की ओर पार्क करने के लिए बोला और हम लोगों को इशारा किया की हम चुप रहें। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था , गुड्डी भी थोड़ी घबड़ायी।
धीमी आवाज में वो बोला की आप लोग रिसेप्शन की ओर , ... और साथ साथ , ... वहां भी सन्नाटा पसरा था।
लाइट सारी डिम थीं, रिसेप्शन पर भी एक हलकी सी बत्ती जल रही थी. जिस हॉस्पिटल में २४ घण्टे हंगामा मचा रहता था वहां एक चिड़िया भी नहीं थी। बस दो चार हॉस्पिटल की सिक्योरटी वाले एकदम दीवाल से चिपके साये की तरह ध्यान से देखने पर नजर आ रहे थे, ... न नर्स न डाक्टर न मरीज,
गुड्डी ने घबड़ा के मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी ओर देख रही थी, उसे जैसे हिम्मत बंधाने के लिए मैंने भी उसका हाथ दबा दिया।
कोई नजर नहीं आ रहा था, बस रह रह के पुलिस सायरन की आवाजे आ रही थीं।
हम लोगों के पहुंचते ही एक बंद दरवाजा खुला , हमें इशारे से बुला के फिर दरवाजा बंद हो गया।
हेड मैटर्न और एक उसकी असिस्टेंट , उन दोनों ने भी हमें चुप रहने का इशारा किया और अपनी असिस्टेंट को बोला ,
" मेरी ननद को ले जाके कपडे उतार दो तुरंत , और ला कर वापस कर दो। "
गुड्डी ने कुछ ना नुकर करने की कोशिश की तो वो असिस्टेंट बोली , " ननदों का काम कपडे पहनना नहीं , उतारना होता है। "
और गुड्डी का हाथ पकड़ कर आपरेशन थियेटर के अंदर चल दी।
मेरे चेहरे पर मुस्कान आयी , कुछ नार्मलसी रिस्टोर होई , अब गुड्डी सारे शहर की ननद तो ही चुकी थी।
गुड्डी ने सर्जिकल गाउन पहन लिया था , और वो वहीँ से मुझे देख रही थी . हेड मेट्रन ने उसी के सामने मुझसे कहा , " आप घर चली जाइये , दो ढाई घंटे बाद आ जाइयेगा तब तक प्रोसीजर पूरा हो जाएगा।
गुड्डी का कोचिंग का टॉप , स्कर्ट , ब्रा थांग सब लेकर वो असिस्टेंट ले कर आगयी , और हेड मैट्रन मुझे छोड़ने बाहर आयी,... वही जिसे में श्वेता कहती थी और जो मिसेज गिल की ख़ास थी और मुझे सारा माजरा समझाया।
डाक्टर गिल
१६,२०,४७७
" बंटू , बाबू , रवि और मुन्ना। "
मैंने मिसेज मल्होत्रा को उन चारों का नाम व्हाट्सऐप कर दिया इस रिवेस्ट के साथ की , कि पार्टी में इन चारों लड़कों का नाम जरूर रखें , और असेम्बली प्वाइंट भी गुड्डी वाला ही हो।
एक मोबाइल निकाले और दूसरी लड़की बिना मोबाइल पर हाथ रखे बैठे , ये इतना ही बड़ा झूठ है जितना तीन औरतें चुपचाप बैठी थीं ,
गुड्डी ने कोचिंग की सोशल मिडिया का ऐप खोल कर बंटू का पेज खोल दिया था और उसे दाने डाल रही थी , अपने ' दूसरे वाले ' फेसबुक अकाउंट ( 'ऑफिसियल ' वाले का तो उसने वैसे ही दे रखा था ) का लिंक, अपने इंस्टाग्राम का अकाउंट , और हालचाल ,... फिर बाबू को ही ,...
मिसेज मलहोत्रा का व्हाट्सऐप मेसेज तुरंत ही आगया ,
" श्योर ,पक्का, नो इशूज , एनीथिंग फॉर माई सेक्सी ननद। " मैंने गुड्डी को दिखाया और वो भी खिलखिलाने लगी ,
जवाब में उसने अपने मोबाइल से मिसेज मल्होत्रा को ढेर सारे हग्स , किसेज , लिप्पी भेज दी , " थैंक यू भौजी। "
" यार इस पार्टी में तेरा गैंग बैंग होगा , पक्का डर तो नहीं रही है मेरी ननदिया। " मैंने गुड्डी से पूछा।
" अरे भाभी अपने पास ओखली है तो मूसल से क्या डरना। गैंग बैंग तो अच्छा है न , टाइम सेवर , एक साथ कई के साथ , ... और अपुन के पास टाइम की बहुत शार्टेज है , मेरी प्यारी प्यारी भौजी के प्यारे प्यारे सैंया , फिर कोचिंग भी , अच्छा है न बजाय सीरीज में होने के पैरेलेल प्रॉसेसिंग होगी। एक साथ कई का मजा ,.. "
वो शोख हिम्मत से सीना उभार के बोली।
पर असली बात ये थी की जब वो चारों गन्ने के खेत में उसका पाटा बना के घिर्रायेंगे , ढेले पर उसका चूतड़ रगड़ा जाएगा , अगवाड़ा पिछवाड़ा दोनों ओर बालिश्त भर तब ये हिम्मत पता चलेगी , लेकिन अब गुड्डी रानी का उस पार्टी में जाना तय , और उन चारों का भी ,... फिर कोई वो चार थोड़े ही ,... पूरी रात ट्रेन बनेगी मेरी ननदी की। मैंने सोचा।
" अरे भौजी का सोच रही हैं , आज डागडर भौजी तो उँहा ऐसा ताला लगा देंगी की आप की ननद की चुनमुनिया पर कितने लोग सफ़ेद रंग से होली खेलें उसका कुछ नहीं बिगड़ने वाला है। पेट फूलने का कोई खतरा नहीं है।
मेरी ठुड्डी पकड़ कर वो बोली।
मैंने बात बदल दी , पेट तो मेरी ननद रानी का फूलेगा ही और फुलाने वाले उसके भइया ही होंगे अपनी सफ़ेद स्याही से , और ज्यादा देर नहीं तक इंतजार नहीं करेगी वो , मैं भूल भी जाऊं , तो मेरे उनके की सास भूलने नहीं देंगीं। एक बार उन्होंने अपने दामाद को मादर चोद बना दिया तो बस अगला आईटम उनके अजेंडे में वही है।
और आज डाक्टर गिल वाला इंतजाम हो गया तो बस दिन घडी इनकी सास तय करेंगी, और डाक्टर गिल बस उसी दिन ताम्बे का ताला खोलेंगी और रात को चोर घुसेगा, ... हम सब के सामने,... और फिर टेस्ट किट से दो तीन दिन के अंदर पक्का पता चल जाएगा, इनकी सास को,... सबसे बड़ी बात हर महीने जो पांच दिन के लिए दुकान बंद होती थी ननद रानी की वो ख़तम,... और एक बार अपने भैया से गाभिन हो गयीं तो चाहे जहाँ टांग उठायें, निहुरे,... और नौ महीने बाद सोहर और पहिलौठी का दूध लेकिन सबके लिए जरूरी था आज डाक्टर गिल के यहाँ जो कुछ होना था टाइम पे हो जाए
और तब तक डाक्टर गिल का क्लिनिक आ गया।
लेकिन बड़ा विचित्र सा लग रहा था , एक अजीब सा सन्नाटा। कोई ट्रैफिक नहीं , दुकाने भी उनके हॉस्पिटल के आस पास भी , लग रहा था , कुछ गड़बड़ घट चुका है , या घटने वाला है , तभी
चों चों चों चों
कई पुलिस की गाड़ियां लाल नीली बत्ती जलती बुझती , डाक्टर गिल के हॉस्पिटल की ओर से वापस आती हुयी ,
……………………………………………………………………………………………………..
गाडी की रफ़्तार मैंने भी धीमी कर दी।
हॉस्पिटल की बाहर भी सन्नाटा पसरा , दो पुलिस की गाड़ियां वहां अभी भी खड़ी
और चार पुलिस वाले खड़े , वो हमारी गाडी की ओर बढ़ते की हॉस्पिटल के सिक्योरटी वाले ने उन्हें रोक दिया,कुछ उसने पुलिस वाले को समझाया और मे
और हमारी गाडी के पास आके हमें पीछे की ओर पार्क करने के लिए बोला और हम लोगों को इशारा किया की हम चुप रहें। मेरी कुछ समझ में नहीं आ रहा था , गुड्डी भी थोड़ी घबड़ायी।
धीमी आवाज में वो बोला की आप लोग रिसेप्शन की ओर , ... और साथ साथ , ... वहां भी सन्नाटा पसरा था।
लाइट सारी डिम थीं, रिसेप्शन पर भी एक हलकी सी बत्ती जल रही थी. जिस हॉस्पिटल में २४ घण्टे हंगामा मचा रहता था वहां एक चिड़िया भी नहीं थी। बस दो चार हॉस्पिटल की सिक्योरटी वाले एकदम दीवाल से चिपके साये की तरह ध्यान से देखने पर नजर आ रहे थे, ... न नर्स न डाक्टर न मरीज,
गुड्डी ने घबड़ा के मेरा हाथ पकड़ लिया और मेरी ओर देख रही थी, उसे जैसे हिम्मत बंधाने के लिए मैंने भी उसका हाथ दबा दिया।
कोई नजर नहीं आ रहा था, बस रह रह के पुलिस सायरन की आवाजे आ रही थीं।
हम लोगों के पहुंचते ही एक बंद दरवाजा खुला , हमें इशारे से बुला के फिर दरवाजा बंद हो गया।
हेड मैटर्न और एक उसकी असिस्टेंट , उन दोनों ने भी हमें चुप रहने का इशारा किया और अपनी असिस्टेंट को बोला ,
" मेरी ननद को ले जाके कपडे उतार दो तुरंत , और ला कर वापस कर दो। "
गुड्डी ने कुछ ना नुकर करने की कोशिश की तो वो असिस्टेंट बोली , " ननदों का काम कपडे पहनना नहीं , उतारना होता है। "
और गुड्डी का हाथ पकड़ कर आपरेशन थियेटर के अंदर चल दी।
मेरे चेहरे पर मुस्कान आयी , कुछ नार्मलसी रिस्टोर होई , अब गुड्डी सारे शहर की ननद तो ही चुकी थी।
गुड्डी ने सर्जिकल गाउन पहन लिया था , और वो वहीँ से मुझे देख रही थी . हेड मेट्रन ने उसी के सामने मुझसे कहा , " आप घर चली जाइये , दो ढाई घंटे बाद आ जाइयेगा तब तक प्रोसीजर पूरा हो जाएगा।
गुड्डी का कोचिंग का टॉप , स्कर्ट , ब्रा थांग सब लेकर वो असिस्टेंट ले कर आगयी , और हेड मैट्रन मुझे छोड़ने बाहर आयी,... वही जिसे में श्वेता कहती थी और जो मिसेज गिल की ख़ास थी और मुझे सारा माजरा समझाया।
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