आप के सवाल कई बार सीधे लगते हुए भी उनके जवाब बड़े टेढ़े हो जाते है
आपने सारंग के बारे में जो बात कही तो मैं अपनी कहानी का वो अंश जो का त्यों उद्धृत कर देती हूँ जहाँ गुड्डी के लिए ये शब्द आया है,
" और उस किशोरी की निगाहें , बजाय बुरा मानने के , शरमा कर झुक जाने के , उन निगाहों से चार आँखों का खेल खेल रही थीं ,
वो बड़ी बड़ी चुलबुली हंसती गाती आँखे , कभी तिरछे तीर मारतीं जो सीधे दिल में घुस जाता , और कभी बड़ी बड़ी पलकें उठाकर वो मृगनयनी जब देखती , और अपनी पलकें झुका लेती तो बस वो देखने वाला कैद हो जाता। उस सारंग नयनी की बड़ी बड़ी कजरारी आँखे , न हाँ करतीं , न ना करती लेकिन जिस तरह से वो देखतीं एक उम्मीद का दीया जरूर जगा देतीं।"
तो बात उस किशोरी की आँखों की हो रही हैं,
और जिक्र उस कमसिन की आँखो का चला है तो कुछ शेर याद आ गए,... ग़ालिब का बहु प्रचलित शेर-
कोई मेरे दिल से पूछे, तेरे तीरे-नीमकश को,
ये खलिश कहाँ से होती, जो जिगर के पार होता।
या खुदा -ए सुखन मीर का ,
'मीर' इन नीमबाज आंखों में सारी मस्ती शराब की-सी है,
खिलना कम-कम कली ने सीखा है तेरी आंखों की नीमबाजी है।
1. नीमबाज - अधखुली, आधी खुली हुई आँख, नशीली आँख 2.नीमबाजी - अधखुलापन
तो बात नीमनिगाहों की है , और शब्द का अर्थ अगर उस संदर्भ में देखेंगे तो पहले ही उस नीमकश निगाह के लिए मृगनयनी शब्द का प्रयोग हो चुका इसलिए दूसरी बार मृग या हिरण के पर्यायवाची के तौर पर सारंग का इस्तेमाल हुआ, मृगनयनी = सारंग नयनी = हिरण सी आँखों वाली,...
लेकिन जैसे एक अर्थ के लिए अनेक शब्द होते हैं और उनका उपमा में दुहराव से बचने के लिए प्रयोग होता है ( मृगनयनी , सारंगनयनी ) उसी तरह एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं और यमक अलंकार में उसका प्रयोग होता है, कनक कनक ते सौ गुना सबसे सामान्य उदाहरण है,...
सारंग शब्द सूरदास जी को बहुत प्रिय है, और काव्य कौतुक के लिए या एक कूट काव्य के लिए मैं उनके के पद की कुछ पंक्तिया उद्धृत कर रही हूँ जिसमें सारंग शब्द अनेक बार आया है और हर बार अलग अर्थ में
पद के अंत में सारंग के अलग अलग अर्थ भी हैं
सारंग (१) नैन बैन बर सारंग (३ ) सारंग (३) बदन कहे छबि कोरी
सारंग (४) अधर सुघर कर सारंग (५), सारंग जाति, (६) सारंग (७) मति भोरी।
१. मृग, २, कोयल ३. चन्द्रमा ४ सुरस ५ कमलनाल ६ पद्मिनी जाति की स्त्री, ७ स्त्री
कुल १९ अर्थों में सारंग शब्द का प्रयोग हुआ है,इस पूरे पद में
पर मैंने सिर्फ मृग नैनी के पर्यायवाची के तौर पर सारंगनयनी का प्रयोग किया है।