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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

komaalrani

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भाग ९६

ननद की सास, और सास का प्लान

Page 1005,


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भाग ५९ कबड्डी ननद और भौजाई की

हमारी टीम

९,८३,३७१



अबकी हमारी टीम एकदम अलग थी, छ वो थीं जो मेरी टीम की कोर स्ट्रेंथ थी। मैं और छुटकी। छुटकी तो जिले की कब्बडी टीम में तीन साल से थी और कुछ समय पहले स्टेट की अंडर 15 वाली टीम में बस होते होते रह गयी थी. लेकिन असली चार थीं, गुलबिया कजरी की भौजी नउनिया बहू जो पिछले साल गौने आयी थी, उमर में मेरी समौरिया,



चमेलिया, कल्लू की मेहरारू, गाँव में अकेली मेरी देवरानी, मेरे बाद जिसका गौना हुआ था, देह की बड़ी कड़ी,..




रमजनिया उमर में मुझसे थोड़ी बड़ी होगी पर हर चीज में होशियार और उसी के सहारे मैंने चंदू का किला जीता था और इन चारो में उमर में सबसे बड़ी लेकिन बहुत तगड़ी जिससे ८ -१० गाँव की ननदें नाम सुनने पे भागती थीं, अहिराने की चननिया, जो मंजू भाभी ने सजेस्ट किया था.


हम छह के अलावा टीम की कप्तान थीं मंजू भाभी, ३४-३५ की उमर की जिनके छोटे देवर चुन्नू को मैंने आज ही छोटे से बड़ा किया था, और दो और सीनियर लोग साल दो साल बड़ी, दूबे भाभी और मिश्राइन भाभी , जो जोश में और मस्ती में हम लोगों की ही टक्कर की थीं। कप्तान तो मंजू भाभी थी लेकिन हिम्मत बढानेवाली, अनुभवी और कोच कहें, मेंटर कहें मिश्राइन भौजी ही थीं तो ये हो गयी नौ।



बची दो तो वो मेरी दो जेठानियाँ,

असल में कई साल से बबुआने में नयी बहुएं तो टिकती ही नहीं थी सब मर्द के साथ नौकरी पे और साल दो साल पे कभी आएँगी लेकिन होली में तो शायद ही कोई,...


और गलती उनसे ज्यादा हमारी पट्टी के मर्दों की थीं, गलती भी क्या मन ,...हमारे गाँव के मर्द जो शहर में रहते थे, तो होली में अपनी साली सलहज के साथ ससुराल की ओर मुंह करते और बहुएं अपने मायके का, नहीं तो शहर की कालोनी की होली।

लेकिन ये दो एकदम अलग मिट्टी की बनी थीं, रज्जो और मोहिनी।




और जो दो चार थीं, जिनके मरद शहर में रहते थे वो कभी गाँव कभी शहर सबका साल भर के अंदर पेट फूल गया तो दो चार बच्चा दे देने के बाद न होली खेलने का जोश बचता न ताकत।

रज्जो भौजी के मर्द पंजाब में थे , वो भी आती जाती थीं लेकिन गौने की रात ही उन्होंने कसम दिला दी थी अगले पांच साल तक खाली कबड्डी होगी पेट नहीं फूलेगा। उनकी माँ भी बड़ी समझदार गोली खिला के और छह महीने की खुराक दे के भेजा था,... फिर उन्होंने तांबे का ताला लगवा लिया, साल में दो चार महीने मरद के पास बाकी टाइम गाँव में सास ससुर के पास, और गाँव में भी जवान होते देवरों की कोई कमी तो थी नहीं।



वही हाल मोहिनी का था, दोनों से मेरी खूब पटती थी। लेकिन होली की कबड्डी टीम में पहले उन्हें जगह नहीं मिली थी।

असल में पहले मेरी सबसे बड़ी उम्र की जेठानियाँ ही, औसत उम्र भौजाई की टीम की ३५-३६ के बीच की होती थी, आधी तो ४०-४५ पार वाली शायद ही किसी के चार पांच बच्चे न हों तो बस, और अब मेरी टीम की औसत उमर २४-२५ के बीच की होगी, हम ६ तो ( छुटकी की उमर क्या बताना )

मतलब मैं मेरी दो जेठानियाँ रज्जो और मोहिनी, कजरी की भौजी गुलबिया, कल्लू की मेहरारू, गाँव में मेरी अकेली देवरानी चमेलिया और रमजनीया तो १८ से २३ के बीच वाले, दूसरी बात आज मोटिवेशन भी जबरदस्त था जीतने के बाद रगड़ाई का जोश और कमिटमेंट भी, ... और सबसे बढ़ के हम सब में विश्वास था,.. हम होंगे कामयाब,... और नैना ननदिया की टीम में ओवरकॉन्फिडेंस इत्ते साल से जीतते आ रहे हैं,


लेकिन ननदों को नहीं मालूम था जमाना बदल गया है उनके गाँव में कोमल भौजी आ गयी है और साथ में उनकी सबसे छुटकी बहिनिया छुटकी भी है,....


और जैसा मुझे उम्मीद थी नैना ने पहले यही जिद की की छुटकी भी हमारी टीम में शामिल होगी और मैंने साफ़ मना कर दिया,... वो कोई गाँव की भौजाई थोड़े ही है अरे गाँव के लड़कों की बात है सब उसके जीजा लगेगें,... ये बात मानती हूँ लेकिन लड़कियां उसकी ननद कैसे लगेगीं,

सास सब न्यूट्रल थीं उन्होंने साफ़ कर दिया की मैं और नैना जैसे तय करें


दस मिनट तक हुज्जत हुयी आखिर मैंने कहा की ठीक है छुटकी खेलेगी लेकिन वो हमारी बारहवीं खिलाड़ी रहेगी और उनकी ओर से ११ खिलाड़ी रहेंगे, नैना तो शायद मान जाती वो इतना श्योर थी और किसी तरह आज खुले आम छुटकी की रगड़ाई करना चाहती थी पर उसके टीम की बाकी लड़कियां उसके पीछे पड़ गयीं अंत में नैना ने कहा

“आप बस मेरी एक यही बात मान लीजिये उसके बदले में आप की जो शर्त हो “





मैंने बस दो तीन बाते बताई , पहली मैच सिर्फ घंटे भर का होगा, ( पहले टाइम अनलिमिटेड होता था तो ननदें पहले तो भौजाइयों को थका देती थीं और उसके बाद आराम से रगड़ रगड़ के हराती थीं ) लेकिन नैना ने कहा डेढ़ घंटे से कम में क्या, दोनों ओर जोड़ के २२ खिलाड़ी हैं और ये सास लोगों ने बीच का रास्ता निकाला - बीस बीस मिनट के चार राउंड, पहले और तीसरे राउंड के बाद तीन तीन मिनट का और दूसरे राउंड के बाद हाफटाइम चार मिनट का। और नैना मान गयी , लेकिन सिर्फ ये शर्त लगा दी की मैच ड्रा नहींहोगा , उस समय जितने खिलाड़ी बचे होंगे उसके आधार पर फैसला हो जाएगा और ये बात मैंने मान ली।

दूसरी बात झाड़ने वाली, जो खिलाड़ीन झड़ गयी या बोल दी की वो झड़ गयी है बस वो खेल से बाहर उसे दुबारा जिन्दा नहीं कर सकते,...


और मेरे आगे कुछ बोलने के पहले नैना बोली,... सब शर्तें आप अम्पायर लोग को बता दें सब मैंने मान लिया लेकिन आज आपकी बहना की अच्छी तरह फटेगी सबके सामने,

टीम का नाम अम्पायर लोगों को बताना था और तीन लोगों में मेरी सास, एक मेरी चचिया सास, और एक और उन्ही की साथ थी,... लेकिन उन सब ने सुबह सुबह छुटकी का भोग लगाया था और मेरी सास तो मैं रात को दिन कहूं तो वो हाँ में हाँ मिलाने वाली थीं।

जो मैं सोच रही थी की गुलबिया, चमेलिया, रमजानिया और चननिया के भौजाइयों के टीम में शामिल होने ननदें बड़ी जोर से उछलेंगी पर वैसा ज्यादा कुछ नहीं हुआ जो दो चार लड़कियां उछली तो मेरे कुछ बोलने के पहले गितवा ने उन्हें आड़े हाथ लिया, होली में इ सब का,... और गितवा के भाई का तो हर पट्टी में , और गितवा की भी फुलवा की छोटकी बहिनिया से जबरदस्त दोस्ती थी और उसी के साथ और भी,... नैना को कुछ फरक नहीं पड़ता था। और असली बात ये थी की नउनिया की छुटकी बिटिया, गुलबिया की ननद कजरी तो नैना की खास थी और उसकी टीम में थी , तो अगर उसे कजरी को अपनी टीम में खिलाना था तो गुलबिया, कजरी की भौजी को कैसे मना करती, और एक बार गुलबिया आ गयी तो बाकी सब भी,...

लेकिन थोड़ी बहुत भुनभुनाई भौजाइयां ही, ज्यादातर जो इस बार टीम में नहीं थी... बबुआने में ये सब,... आज तक तो ऐसा,... लेकिन मिश्राइन भौजी ने एक बार आँखे तरेरी सब चुप और मंजू भौजी ने समझाया अरे आज एक बार बस जीत जाएँ हम लोग सबसे पहले तुंही लोग कच्ची कली क भोग लगाओगी।
 
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कबड्डी टीम नैना ननदिया की


और मैच शुरू हुआ ननद भाभी का


और सास के अम्पायर पैनल ने अनाउंस भी कर दिया दोनों ओर की टीम का नाम, छुटकी को भौजाई माना जाएगा होली के खेल के लिए , अगर जो भौजाई या ननद पांच मिनट में ( टाइम सास लोगों ने बढ़ा दिया था -चार मिनट में कउनो नहीं झड़ सकता कहके) या मान लेगा की झड़ गयी हाथ उठा के या उसकी पीठ ३ मिनट तक लगातार जमीन से लगी रही और बिना रुके उसकी ऊँगली होती रही ( ये नियम भी मेरी सास ने जोड़ा ) तो वो खिलाड़ी भी खेल से बाहर, ...

और जीतने के बाद अगर भौजाइयां जीती (मेरी मंझली ननद जोर से चिल्लाईं आज तक कभी जीती हैं का, और अबकी तो नैना भी है और सब ननदों ने जो टीम में थीं और जो बाहर थीं सबने जोर से हो हो करके हल्ला किया ) तो मिश्राइन भौजी तय करेंगी की ननदों का का होगा और




अगर ननदें जीती तो नैना।

लेकिन मैं अहिराने की चननिया और भरौटी की रमजनिया की ओर देख रही थी, उन दोनों ने जो बताया था एकदम वही हुआ, नैना ने टीम एकदम चेंज कर दी थी , चार नयी ननदें, लेकिन हम लोगों ने पंद्रह के हिसाब से सोचा था और वही चार जो इन दोनों ने बताया था वही सब उमर में कम।

रमजनिया ने मेरे कान में बोला की उन चार में से एक तो भरौटी का ही एक लौंडा है ट्रैक्टर चलाता है उस से फंसी है, वो खुद एक बार गन्ने के खेत में दोनों को पकड़ चुकी है, और उसे तो वो आसानी से निपटा देगी, लेकिन बाकी तीन की अभी तक नहीं फटी है। दोनों ने आपस में कानाफूसी कर के मुझे बताया की पूरी टीम में पांच बिनचुदी हैं,



और छह चुद रही हैं मतलब उनकी बुर और गाँड़ में मुट्ठी की जा सकती है ,

चुदी हुयी नैना और गीता के अलावा, लीला, नीलू, चम्पा और, कजरी . थीं।

लीला और नीलू की शादी हो गयी थी बस इसी साल जेठ में दोनों का गौना होना था था।



बारी कुँवारी में चार तो छुटकियाँ थीं, बेला, नीता,, पायल और कम्मो,




सब की सब छुटकी की उमर में और एक बड़ी उमर वाली रेनू, नीलू, लीला और चंपा की उम्र की पर उसका चचेरा भाई कटखना कुत्ता था किसी ने अगर देख भी लिया तो लट्ठ ले कर चढ़ दौड़ता, तो बेचारी चाह कर भी,..

तो नैना और गीता हैं जिनके बारे में सबको मालूम था पर बाकी चार की भी सारी कुंडली रमजानिया और चननिया के पास थीं, और उन चारों में कजरी भी नाउन की बिटिया , गुलबिया की ननद। वो बस एक दो बार वो भी किसी से पक्का नहीं फंसी थी.


उस टीम को औसत उम्र हमारी टीम से ६-७ साल तो कम होगी ही। कम से कम पांच तो छुटकी की ही उमर की होंगी।

मैं नैना को मान गयी उसने एकदम से यंग टीम उतारी थी और हर बार की तरह वो सोच रही थी की बड़ी उमर की सब भौजाइयां होंगी पंद्रह मिनट में हांफ जाएंगी इसलिए वो मान गयी और उसका असली निशाना छुटकी ही था। फिर आप कितना प्लानिंग करो जो खिलाड़ी कभी खेला नहीं है उसके बारे में ,क्या प्लानिंग कर सकते हो ?

नैना ने एकदम सही सोचा था की पिछले दो तीन साल से जो ननदों की टीम लगातार जीत रही है उस हर एक खिलाड़ी के बारे में , उसकी क्या ताकत है, का कमजोरी है वो क्या दांव लगाती है, उसकी क्या काट है ये सब मैंने सोचा होगा, पिछले मैचों में हारी हुयी भाभियों से पूछा होगा, इसलिए उसने आधी टीम नयी उतार दी, जिसके खेल के बारे में मुझे तो क्या गाँव में किसी को भी अंदाजा न हो। लेकिन हमने जो चननिया और रमजनिया को रखा था वो तो उड़ती चिड़िया के पर गिन लेती थीं उन सब ने मुझे अच्छी तरह एक एक के बारे में,...

और मैच शुरू हुआ ननद भाभी का।

आज हल्ला बहुत जोर से हो रहा था, जो भौजाइयां कभी उम्मीद भी नहीं करती थीं उन्हें मिश्राइन भाभी ने समझा दिया था की जीतने के बाद जो नहीं खेल रही थीं उन्हें भी कच्चे टिकोरे चखने को मिलेंगे।

और लड़कियां भी , नैना ने उन्हें ललकार रखा था कभी छुटकी का नाम ले के एक से एक गन्दी गालियां तो कभी मेरा नाम लेकर

और सच बोलूं तो मेरा मन भी, कभी नैना की टीम में कच्ची कलियों को देख रही थी कजरी की उमर वाली मतलब २८-३० साइज वाली ५-६ तो थीं ही, पांच तो बिनचुदी थीं, स्साली सब की फटेगी, ... और फिर पहले किस को भेजा जाया,...

मैंने मन ही मन स्ट्रेटजी बना ली थी, और छुटकी भी कब्बड्ढी की एक्सपर्ट वो भी तेज निगाह से देख रही थी और मेरी चार सहयोगी, गुलबिया, चननिया, चमेलिया और रमजनिया वो भी ध्यान लगा के नैना की ट्रिक देख रही थीं।

नैना की टीम सोच रही थी मैं इन चारों में से किसी को भेजूंगी लेकिन मैंने रज्जो भाभी को भेजा और समझा दिया की कुछ हो बस न मरना न मारना। खाली ऐसे चक्कर काट के आ जाना जिससे मैं उन की ट्रिक समझ के तरीके से,... और वही हुआ।
 
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कबड्डी- पहला राउंड



मैंने मन ही मन स्ट्रेटजी बना ली थी, और छुटकी भी कब्बड्ढी की एक्सपर्ट वो भी तेज निगाह से देख रही थी और मेरी चार सहयोगी, गुलबिया, चननिया, चमेलिया और रमजनिया वो भी ध्यान लगा के नैना की ट्रिक देख रही थीं। नैना की टीम सोच रही थी मैं इन चारों में से किसी को भेजूंगी लेकिन मैंने रज्जो भाभी को भेजा और समझा दिया की कुछ हो बस न मरना न मारना। खाली ऐसे चक्कर काट के आ जाना जिससे मैं उन की ट्रिक समझ के तरीके से,... और वही हुआ।

नैना ने अर्ध चंद्रकार गोला बना लिया था सबसे सेण्टर में नैना और गीता, उनके चारो और चार पांच नयी लड़कियां जो रज्जो को उकसा रही थीं अंदर आने के लिए ,... मैं समझ गयी असली खेल उन चार का है जो जाने वाले को नहीं दिख रही हैं ,.... और वो अचानक दाएं बाएं से मिल के दीवार बनाने वाली थीं रज्जो को रोकने के लिए, छुटकी ने जोर से सीटी मारी,... रज्जो वैसे भी ज्यादा अंदर नहीं घुसी थीं बस वो पलट के वापस , ...

लेकिन तबतक सामने की लड़कियों ने झप्पटा मारा , पर गिरते गिरते भी वो किसी तरह लाइन पार कर गयीं और हम लोगों ने सांस ली।


उनकी और से एक नयी कच्ची कली आयी, ...

बेला देख के मेरा मन मचल रहा था एकदम छोटे छोटे चूजे २८ भी नहीं होंगे लेकिन थी बड़ी फुर्तीली, ...




गनीमत थी मैंने सबको समझा दिया था की कोई इसके पास भी नहीं आएगा हाँ दूर दूर से , सबसे आगे छुटकी, मिश्राइन और दूबे भाभी को मैंने सबसे पीछे छुपा के रखा था और दोनों के साथ एक एक पहरेदार, रमजनिया और गुलबिया,...

बेला भी बस लाइन के आस पास ,... और वो भी लौट गयी.


दो रेड ऐसे ही निकल गए और ननदों ने समझ लिया मामला टेढ़ा है लेकिन हम लोग भी प्वाइंट स्कोर नहीं कर पा रहे थे, और पंद्रह मिनट के बाद ब्रेक होने वाला था, ...,

और मैंने छुटकी को भेजा। अबतक मैंने छुटकी को समझा के रखा था वो पीछे ही रहे,... और ज्यादा जोश न दिखाए, मैं नहीं चाहती थी ननदों को अंदाज लगे की छुटकी जिसका शिकार वो सब करना चाहते हैं हमारे ग्रुप की सबसे बड़ी शिकारी है।

अगली बार छुटकी ही गयी,...

लड़कियों ने खूब हो हल्ला किया चुदवाने आयी है मार लो इसकी,... लेकिन उन्हें छुटकी का अंदाजा नहीं था /
 
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कबड्डी-छुटकी का हमला


और मैंने छुटकी को भेजा। अबतक मैंने छुटकी को समझा के रखा था वो पीछे ही रहे,... और ज्यादा जोश न दिखाए, मैं नहीं चाहती थी ननदों को अंदाज लगे की छुटकी जिसका शिकार वो सब करना चाहते हैं हमारे ग्रुप की सबसे बड़ी शिकारी है।

अगली बार छुटकी ही गयी,...

लड़कियों ने खूब हो हल्ला किया चुदवाने आयी है मार लो इसकी,... लेकिन उन्हें छुटकी का अंदाजा नहीं था /

उन लोगों ने फिर सेमी सर्किल बनाया जैसे बहेलिया जाल फेंकता है और छुटकी ने जान के अनदेखा किया की चार तगड़ी लड़कियां साइड में हैं, पीछे से उसे दबोचने के लिए तैयार हैं,... वो कुछ देर लाइन के आस पास और फिर गजब की फुर्ती से वो एकदम उसी सेमी सर्किल के अंदर घुसी और नैना ने इशारा किया लड़किया और पीछे हो गयीं, और उधर दाएं बाएं से बिना आवाज किये उनकी सबसे चार तगड़ी लड़कियां पीछे से पकड़ने के लिए ,... रेनू, चंदा, लीला नीलू. रेनू और चंदा दायीं और और लीला और नीलू बायीं ओर।

रेनू और चंदा दायीं और और लीला और नीलू बायीं ओर।



वो सब सोच रही थीं की छुटकी मारे जोश के अंदर घुसेगी और वो सब दबोच लेंगी, ...

पर छुटकी की चार आँखे थी... अचानक वो पीछे मुड़ी और एकदम झुक के जैसे जमीन के पैरेलल, उसे पकड़ने के लिए जो लड़कियां थीं उनके हाथ में हवा लगी और छुटकी ने एक की टांग पकड़ के खींचा और वो धड़ाम से गिरी।

ये रेनू थी.




उसकी पकड़ के आगे सब भौजाइयां पानी मांगती थीं , इंटर में पढ़ती थी। फुर्तीली भी बहुत कालेज की कबड्डी टीम में भी , और उसके बैठने झुकने के अंदाज से ही छुटकी ने समझ लिया था की नैना की टीम में यही है जिसे सबसे ज्यादा दांव पेंच मालूम होंगे और तगड़ी डिफेंडर होगी , पिछले साथ ६ भौजाइयां जो पकड़ी गयी थीं उनमे से ४ को रेनू ने ही दबोचा था।

लेकिन लाइन अभी भी दूर थी और अब नैना और बाकी लड़कियां छुटकी को छापने के लिए तेजी से आगे बढ़ी।

चार जो उसे पकड़ने के लिए बढ़ी थी एक, रेनू को उसने गिरा दिया था पर दो ने फिर लपक के छुटकी को दबोचा, कन्नी काट के छुटकी बची तभी जो गिरी थी, रेनू, उसने छुटकी का पैर दबोच लिया।
लेकिन छुटकी क्राल कर के सरकते हुए लाइन तक, मुश्किल से एक बित्ता बचा था, अब तक नैना और दो और लड़कियां उसके ऊपर टूट पड़ी थीं, पर छुटकी ने हाथ बढ़ा के न सिर्फ लाइन छू दी बल्कि कोहनी तक लाइन पार हो गयी और रेफरी ने जोर से सीटी बजायी।

भौजाइयों की टीम ने पहला प्वाइंट स्कोर कर लिया था। और ननदों की टीम की एक तगड़ी खिलाड़ी जो हर बार उनकी जीत का कारण बनती थी , गेम से बाहर हो गयी थी , छुटकी ने जान बूझ के उसी को टारगेट किया था.

उसके आते ही मिश्राइन भौजी और मंजू भाभी ने एकदम गले से लगा लिया और हमारी टीम के बाकी लोगों ने, लेकिन मैं सोच रही थी फर्स्ट राउंड में ही कम से कम उनके टीम की एक खिलाड़ी परमानेंट बाहर हो जाए,...

और उनकी ओर से कजरी आयी, नाउन की बिटिया नैना की असिस्टेंट और गुलबिया की सगी छुटकी ननद।
 
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कबड्डी-कजरी ननदिया की रगड़ाई



और उनकी ओर से कजरी आयी, नाउन की बिटिया नैना की असिस्टेंट और गुलबिया की सगी छुटकी ननद।

और कजरी को देख के ही मेरे कान में एक आवाज गुंजी, ' चररर, चररर " और मैं मुस्करायी कस के आवाज मेरे मन की थी,


सच में ननद हो, होली और कपडे न फाड़े जाएँ, बड़ी ज्यादती है

अभी दो चार दिन पहले ही तो होली के दिन, मैंने इस के न सिर्फ फ्राक फाड़ी थी बल्कि ऊँगली भी की थी कचकचा के, और तभी तो पता चला था की उसकी झिल्ली किसी ने गन्ने के खेत में फाड़ दी, पर थी बहुत ही कसी और रगड़ाई में उसने कबूल भी कर लिया, फटी है लेकिन सिर्फ एक बार कोई चढ़ा है ऊपर उसके, उमर में छुटकी से भी थोड़ी छोटी ही होगी, दोनों टिकोरे लेकिन जबरदस्त, एकदम कच्चे कड़े कड़े,

और आज तो सबके सामने अगर इस स्साली के कपडे न फटे टिकोरे न मसले गए,

और मेरी नाउन की बहु, कजरी की भौजी गुलबिया से मेरी नजरे मिलीं और तय हो गया स्साली की ले लेनी है बच के न जाने पाए अब बहुत हो गया चोर सिपहिया।

और प्लान बन गया.



गुलबिया कजरी को ललकारने लगी, " आओ छू लो आओ न , ननद रानी काहें डर रही हो " और गुलबिया ने चारों ओर देख के बोल दिया,

" हे कोई ओर नहीं पकड़ेगा मेरी ननद को "






और सब लोग दूर दूर हो गए , लेकिन ये इशारा पहले से तय था मतलब बाकी तीन मेरी टीम की तगड़ी चमेलिया, चननिया और रमजनिया साथ में छुटकी एकदम लाइन के पास

पर गीता और नैना उस पार से देख रही थीं , और वही से कजरी को समझाने लगीं ,...

हे कजरी नहीं नहीं अंदर मत जाओ , वापस वापस लाइन के पास,



लेकिन गुलबिया अब खुद उसके पास आ गयी थी और ननद को भौजाई को हराने का सुनहला मौका था पर कजरी जैसे उसे छूने के लिए बढ़ती गुलबिया कन्नी काट के कभी दाएं कभी बाएं, खुद अपना हाथ बढ़ा के कजरी की ओर छू न , छू न

कभी एक इंच कभी दो इंच दूर बस और जित्ती बार कजरी झप्पटा मारती उसके हाथ हवा लगती,

लेकिन लाइन उस पार गीता और नैना हम लोगों की ट्रिक समझ रही थीं बार बार बोल रही थीं ,

कजरी वापस आ , वापस आ,... लेकिन उन को भी नहीं अंदाज था क्या होने वाला है,...

मैंने गुलबिया को आँख मार के इशारा किया।

और अब जैसे ही कजरी ने झप्पटा मारा, गुलबिया ने उसे छू लेने दिया और उस का हाथ पकड़ने की कोशिश की लेकिन कजरी भी कम खिलाड़ी नहीं थी , छू के कन्नी काट के वो वापस आने के लिए मुड़ी और तेजी से अपनी लाइन की ओर, लेकिन सामने दीवाल थी, मोहिनी , रमजानिया, चमेलिया और चननिया , इन से पार पाना मुश्किल था और ये चारो एक दूसरे का हाथ पकडे चेन बना के,

अब उनको पार कर के लाइन पार करना मुश्किल था, पर मैं मान गयी कजरिया को पल भर में वो दाएं से बाएं मुड़ी बिजली की तेजी से बस मुश्किल से पांच कदम दूर थी लाइन सेकेंडो में वो पार करती और गुलबिया अपनी भौजी जिसको उसने छू दिया था गेम से बाहर हो जाती, कजरी और लाइन के बीच में कोई नहीं था

पर कजरी को छुटकी का अंदाज नहीं था, .... दो बार अंडर 15 उसने अपने जिले की टीम को कबड्डी चैम्पियन बनाया था, बिजली की तेजी से वो साइड से आयी,




कजरी उसके हाथ की पकड़ से बचने के लिए झुकी पर छुटकी का असली निशाना कजरी की लम्बी टाँगे थी और छुटकी ने जो टांग फँसायी की कजरी धड़ाम से

लेकिन छुटकी ने असली चाल दिखाई वो खुद लाइन और कजरी के बीच में गिरी की कहीं गिरते गिरते कजरी लाइन न छू ले और तबतक चमेलिया कल्लू की मेहरारू, गांव मेँ मेरी अकेली देवरानी ने कजरी की टांग पकड़ के पीछे की ओर और छुटकी कजरी के ऊपर,



चररर चररर और छुटकी ने कजरी की फ्राक फाड़ दी

मारे ख़ुशी के मेरा सीना ३४ सी ३८ डी हो गया, ... और चमेलिया ने उसी फटी फ्राक को पूरी ताकत से खींच फाड़ के चार टुकड़े कर के सब भौजाइयों में बाँट दिया ,

कजरी के छोटे छोटे उभार अब सब के सामने थे क्या मस्त कच्ची अमिया थी, ... कजरी को भौजी गुलबिया भी आ गयी और उसने अब सीधे अपनी ननद की जाँघों में फंसी छोटी सी चड्ढी पे हाथ लगाया ,

लेकिन ज्यादा देर तक हम देख नहीं पाए क्योंकि चमेलिया ने ननद के कच्चे उभार हाथ में लेकर दबाना मसलना शुरू कर दिया, पर कजरी देखने में छोटी थी ताकत गजब थी उधर लाइन उस पार से नैना जोर जोर से चिल्ला रही थी

कजरी पलट पलट ,

कजरी कसमसा रही थी फिर वो जैसे गोल हुयी उसने पानी टांगो को मोड़ के एक जबरदस्त धक्का चमेलिया को दिया, चमेलिया की पकड़ से तो वो नहीं निकल पायी लेकिन पलट गयी और अब कजरी पेट के बल, चड्ढी उसकी अभी भी फटी नहीं थी हाँ थोड़ा सरक जरूर गयी थी, और कजरी ने कस के जमीन में उगी घास को पकड़ लिया था।

गुलबिया कजरी की भौजी एक बार फिर से मैदान में आगयी लेकिन कजरी जानती थी क्या होगा और उसने कस के अपनी दोनों टांगें एक दूसरे में फंसा ली और गुलबिया लाख कोशिश करे वो टाँगे न छुड़ा पाए और चमेलिया उसे पलटने की कोशिश कर रही थी,


टाइम निकल रहा था मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ, एक साथ दो से ज्यादा, गिरने के बाद किसी को नहीं पकड़ सकते थे. अब भाभियों का हल्ला धीमा पड़ गया था और नैना की टीम जोर जोर से चिल्ला रही थी कजरी कजरी।

लेकिन एक्स्पीरिएन्स का कोई जवाब नहीं होता, ... और मिश्राइन भाभी ने जोर से आवाज लगायी
 
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कबड्डी- भौजाई २ प्वाइंट



टाइम निकल रहा था मेरी समझ में नहीं आ रहा था क्या करूँ, एक साथ दो से ज्यादा, गिरने के बाद किसी को नहीं पकड़ सकते थे. अब भाभियों का हल्ला धीमा पड़ गया था और नैना की टीम जोर जोर से चिल्ला रही थी कजरी कजरी।

लेकिन एक्स्पीरिएन्स का कोई जवाब नहीं होता, ... और मिश्राइन भाभी ने जोर से आवाज लगायी

" अरे चमेलिया मत पलट उसे , गाँड़ मार ले छिनार की कोहनी तक पेलना, उस छिनार का मन गाँड़ मरवाने का है अपने गांडू भाइयों की तरह इसलिए चूतड़ ऊपर कर के लेटी हैं, पेल दे मुट्ठी गाँड़ में "





चमेलिया गुलबिया दोनों ने एक साथ कजरी के चूतड़ में फंसी चड्ढी को पकड़ के खींचना शुरू कर दिया, और अब कजरी घबड़ायी कसमसाई। बस यही मौका तो चाहिए था और चमेलिया गुलबिया दोनों ने मिल के कजरी को पलट दिया और अब जबतक कजरी टाँगे समेटने की कोशिश करे , उसकी भौजी गुलबिया ने दोनों टाँगे फैला के अपने दोनों घुटने बीच में धंसा दिया और चमेलिया के दोनों पैर कजरी के हाथों पर।

चमेलिया ने साड़ी समेटी कमर तक और अपनी बुर सीधे कजरी के मुँह पे रख के हड़काया

" अरे चाट, आज ननद सब हार जाएंगी न थोड़ी देर में तो सब भौजाई इतना चटवाएंगी की आँख बंद कर के चाट के चूस के भी भौजाई को पहचाना जायेगी। "



एक पल के लिए चमेलिया ने नाक दबायी, कजरी ने मुंह खोला सांस के लिए और और चमेलिया ने अपनी बुर फैला के सीधे मुंह पे,...

कजरी अब छटपटा रही थी और अब भौजाइयां चिल्ला रही थीं

" फाड़ दो फाड़ दो "

चमेलिया और गुलबिया दोनों ने मिल के कजरी की चड्ढी फाड़ दी और मेरी ओर फेंक दी, अब वो निसूती, छोटी छोटी झांटे खूब कसी चूत गोरी गुलाबी , और टाँगे जाँघे अच्छी तरह फैली , एक पल के लिए गुलबिया ने अपनी ननद की कसी चूत सबकी दिखाया





और फिर पूरी ताकत से नाउन की बहुरिया ने अपनी ननद की चूत में ऊँगली पेल दी

गच्चाक'



चमेलिया कस कस के अपनी बुर कजरी के मुंह पे रगड़ रही थी , घुटने से कस के उसके दोनों हाथों को दबोचे, लेकिन कजरी ने फिर एक बार छुड़ाने की कोशिश शुरू कर दी पर गुलबिया ने पूरी ऊँगली तिरछे करके मोड़ के घुसेड़ी थी और चमेलिया जो अभी तक कच्चे टिकोरों का मजा ले रही थी उसने भी क्लिट को रगड़ना शुरू कर दिया

पर मैं जानती थी ये इतनी आसानी से नहीं झाड़ेगी और मैं जानती थी चूसने में चमेलिया का चूसने में जवाब नहीं, मैंने हवा में चुम्मी लेकर चमेलिया को इशारा किया और अब वो झुक के क्लिट चूसने लगी , थोड़ी देर में कजरी की मस्ती से हालत खराब

अम्पायर सब घडी देख रही थी एक मिनट दो मिनट

कजरी की भौजी ने कितनी बार अपनी ननद की ऊँगली की होगी पर आज सबके सामने एकदम खुले में

और चमेलिया भी कस के चूस रही थी

तीन मिनट



लगातार ऊँगली और चूसने से कजरी झड़ने लगी अब कजरी मस्ती से पागल हो गयी खुद चूतड़ उठाने लगी

वो झड़ती रही , ... और पहली बार ननदों की टीम की पहली खिलाड़ी गेम से परमानेंटली बाहर हो गयी,...

बाहर बैठी भौजाइयों के के हल्ला और गाली का ठिकाना नहीं था। पहली बार भौजाइयां दो प्वाइंट से आगे, अब तक जो मान के बैठीं थी, ननदें ज्यादा जवान तगड़ी है उन्हें जीतना ही है, वो सबसे ज्यादा जोश में थी और साथ में बैठी ननदों का नाम ले ले के गरिया रही थीं।
 
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komaalrani

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फर्स्ट ब्रेक - भौजाइयां २ ननदें १





लगातार ऊँगली और चूसने से कजरी झड़ने लगी अब कजरी मस्ती से पागल हो गयी खुद चूतड़ उठाने लगी

वो झड़ती रही , ... और पहली बार ननदों की टीम की पहली खिलाड़ी गेम से परमानेंटली बाहर हो गयी,...


हल्ला और गाली का ठिकाना नहीं था।


लेकिन हम लोगों की ख़ुशी देर तक नहीं रही, पंद्रह मिनट के ब्रेक के ठीक पहले हमारी ओर से रज्जो भाभी गयी और पकड़ी गयी.

रज्जो भाभी मेरी जेठानी, मुझसे थोड़ी ही बड़ी,... और पड़ोस की भी,... वैसे तगड़ी थीं, बहुत स्थूल भी नहीं,..





. लेकिन पकड़ी गयीं साड़ी के चक्कर में, साड़ी हम सब लोगों ने कमर में लपेट के बाँध रखी थी और ब्लाउज भी ढंका, ... बस साड़ी पेटीकोट में फंसी, और जब चारो की दीवाल ने उन्हें लौटानी में घेरा, उन्होंने कन्नी काटी लेकिन एक छुटकी बस पीछे से उसने बजाय उन्हें दबोचने के उनकी साड़ी पेटीकोट में जो फंसी थी खींच ली, उसको बचाने उस छुटकी के हाथ से उन्होंने साड़ी खींची तबतक एक किसी ने लंगड़ी फंसा दी और वो धड़ाम,...

पर गिरते गिरते भी वो लाइन के पास आ जाती लेकिन गितवा पास ही थी उसने उनका पैर पकड़ के पूरी ताकत से अंदर की ओर खींचा और उन चारों में से दो ने सीधे कपड़ों पे हमला बोला, एक ने ब्लाउज फाड़ के तार तार कर दिया, और दूसरी ने पेटीकोट खींच के उतार दिया,... और जिधर गाँव की ननदें बैठ के हो हो कर रही थीं, भौजाइयों को उनके मायके का नाम ले ले के गालियां दे रही थीं उधर उछाल के फेंक दिया।

नैना और उसकी टीम वाली हम लोगो ने भी दो हाथ आगे, साड़ी पेटीकोट ब्लाउज सब चीथड़े,...

और जब गीता उनके मुँह पे बैठी




और एक कच्ची कली को नैना ने आगे किया ऊँगली करने के लिए तो रज्जो ने हाथ उठा के हार मान ली, तब भी उस लड़की ने तीन ऊँगली एक साथ पेल दी।

ननदों का हल्ला हम लोगो से भी तेज था।



पहले ब्रेक के समय हम लोग एक प्वाइट से आगे थे, ननदो की टीम के दो खिलाडी खेल से बाहर थे और हमारी ओर से एक, नंदों की एक तगड़ी खिलाड़ी को छुटकी ने उनके पाले में जा कर छू के मारा था और कजरी हमारे इलाके में रगड़ी गयी।

पांच मिनट के इस ब्रेक में मैंने छुटकी, चननिया और मिश्राइन भाभी के साथ क्विक स्ट्रेटजी सेशन किया।

रमजानिया ने नैना की टीम के एक एक मेंबर का हाल खुलासा बताया। सबसे तगड़ी थीं वो चार जो पकडने का काम करती थीं, लीला, नीलू, चंदा, और रेनू।

चारों उमर में बड़ी थीं, दो की तो शादी हो गयी थी, गौना नहीं हुआ था, लीला और नीलू, .




चंदा थोड़ी स्थूल थी. इस चारों का पिछले चार साल से कबड्डी में भौजाइयों को हराने में उन का बड़ा हिस्सा था।

रेनू बिनचुदी थी हालांकि १२ वे पहुँच गयी थी,... और उसी का चचेरा भाई कटखने कुत्ते की तरह दौड़ता था अगर कोई उसके बहन को इशारा भी करे।




रेनू और चंदा बायीं साइड पे रहती थीं और नीलू और लीला दायीं ओर।

नैना और गीता दोनों सेण्टर में, लेकिन जैसे ही कोई अपनी ओर वाली घुसती थी पहले तो दोनों अपनी बगल में खड़ी नई उमर वालियों को इशारा करके,... और उसके आगे बढ़ने पर नैना दायीं ओर और गीता बायीं ओर का मोर्चा सम्हालती। जब रज्जो भाभी वापस आयीं और उन्होंने देखा लीला नीलू, चंदा खड़ी है तो बायीं ओर से बच निकलने के लिए कन्नी काट के, पर गीता पहले से अंदाज लगा लेती थी की आने वाली बच के कन्नी काट के किधर से,...





वो वहीँ पे और उस के साथ एक दो छुटकियाँ, उसी में से एक ने उनकी साड़ी पर हाथ मारा बस उसे बचाने के चक्कर में,... वो तब भी बच जातीं एक ने लंगड़ी मारी , गिर वो लाइन की ओर रही थीं और हाथ उन्होंने लम्बा कर लिया था ऐसे क्रिकेट में बैट्समेन रन आउट से बचने के लिए डाइव मारता है,... पर गीता ने समझ लिया था पहले ही और उनके गिरते ही उनकी टांग पकड़ के घसीट लिया।

अब बची पांच छुटकियाँ, सब की सब अपनी छुटकी की उमर की एक दो और भी कच्ची। कजरी को छोड़ के बाकी सब की सब कोरी।


मान गयी मैं नैना ननदिया को, वो सोच रही थीं की पिछले साल जैसे गितवा ने भौजाइयों के साथ ये ट्रिक चली थी,.. आधी तो उस के भाई अरविंदवा की चोदी,... और अरविंदवा ने सबका हाल खुलासा गीता को बता रखा था कौन कब कैसे चुदी, बस वो कान में यही बोलती थी, कहो भौजी सुना दूँ अरविन्द भैया के साथ अमराई में का हुआ था, और सामने सबकी सास बैठीं,... बस जहाँ तीन चार भौजाइयां टूटीं, ... घंटे भर में उसने मैदान मार लिया। बस इसी से बचने के लिए , और उन्ही पांचो को वो भेजती थी, सब की सब दुबली छरहरी बहुत फुर्तीली,... और हम अगर उनको पकड़ भी लेते तो उनके किसी राज़ की बात उनके कान में नहीं बोल सकते थे,... जो मैंने रमजनिया को टीम में जोड़ के सोचा था की सब ननदों का हाल चाल मिलेगा वो फायदा आधा रह गया था।



ये पांचो तीर के फल की तरह उसका शीर्ष धंसने वाला हिंसा, ... हमला करने भी वही आती, और जो हमारी टीम की ओर से जाती, उसे भी ललचाती, चिढ़ाती खूब अंदर तक और जैसे ही वो चारों,... लीला, नीलू, चंदा और रेनू रास्ता रोक लेती इन पाँचों में से भी दो दाएं की ओर, दो बाएं की और साइड से खड़ी, जिधर भौजाई कन्नी काट के निकले बस वही लंगड़ी मार के गिराने में,... फुर्तीली तो सब थीं ही और एक जो बची रहती वो जिधर भौजाई मुड़ती उसके दूसरे ओर की कहीं आखिरी मिनट पर कोई कन्नी काट के, और नैना भी उसी के साथ,

कजरी के अलावा बाकी चार थीं,... कम्मो, नीता, बेला और पायल।

पहले राउंड में छुटकी ने ताड़ लिया था की ये चार ही सबसे घातक होंगी,... जो दाएं बाएं है और दीवाल बना लेती हैं और उसने उनमे से एक रेनू को निपटा दिया था. कजरी आ के फंस गयी थी। पर अब रेनू की जगह ज गीता झप्पट के ले लेती।

पर जो चीज मैं देख के भी नहीं देख पा रही थी वो छुटकी और मिश्राइन भाभी ने देख लिया था, कपडे।

वो पांच जिनके जिम्मे हमले का काम था, ललचा के भाभियों को अंदर तक ले जाने का काम था, कम्मो, चंदा, बेला और पायल सब की सब या तो फ्राक में थीं वो भी बहुत टाइट, या टॉप और लेगिंग में,... जिससे उन्हें भागने दौड़ने में कोई दिक्कत नहीं थी. जो चार रोकने का काम कर रही थीं उनमे एक दो टॉप लेगिंग में और दो शलवार सूट में,... हमारी ओर से छुटकी ही सिर्फ टॉप और एक छोटे से सफ़ेद शार्ट में थी, बाकी सब साड़ी में, हालांकि रज्जो भाभी के गिरते ही हम सब ने साड़ी ब्लाउज पर से हटा के फेंटे की तरह बाँध लिया था, पर फिर भी,... एक दो झिझक रही थी की फेंटे की तरह बांधने में ब्लाउज खुल जाएगा, जोबन दिखने लगेगा,... तो मैंने समझाया

" अरे अपने टिकोरे दिखा रही हैं तो हम लोगों को क्या,... " और मिश्राइन भाभी ने बोला साड़ी उतार दो अगर ज्यादा झंझट है,...

 
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motaalund

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तब तो कोमल जी हमारी जरूर सुनेंगी

सादर
निवेदन करना हमारा अधिकार...
स्वीकार करना न करना .. उनका अधिकार....
 

motaalund

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पहले तो देर से उत्तर देर के लिए खेद, और तारीफ़ के लिए बहुत बहुत आभार

ये सब आपकी ज़र्रानवाज़ी है.

हाँ ये बात सही है की इसके पहले सगे रिश्तों का इन्सेस्ट मैंने कभी नहीं लिखा,... शायद वो मेरी स्ट्रेंथ भी नहीं है, गाँव से जुडी कहानियां, रीत रिवाज, त्यौहार खास तौर से होली, शादी अक्सर मेरी कहानियां इसी पृष्ठभूमि में घूमती रहती है, और मैं फर्स्ट पर्सन में ज्यादातर लिखती हूँ तो ननद भाभी की छेड़खानी या पति पत्नी के श्रृंगारिक संबंध और रोमांस,

इस प्रकार के रिश्तों के बारे में क्षेपक के तौर पे मैंने इस कहानी में पैर रखा, सम्हलते सम्हलते,... इस लिए नहीं की यह विधा इस फोरम में बहुत पॉपुलर है बल्कि इस लिए की मेरे पाठक मेरे मित्र होते हैं जो जिंदगी की आपधापी में किसी तरह समय काट कर , न सिर्फ पढ़ते है बल्कि आज कल बार बार उचक उचक के आने वाले विज्ञापनों से बच कर कमेंट भी करते है, और उनकी बात का आदर न करना कहानी का आदर न करना होता।

पर कमिया मेरी हैं ,

हाँ मैं धीमी आंच वाली हूँ चाह के भी इंस्टेंट टाइप नहीं पेश कर पाती इसलिए थोड़ा सिडक्शन, और पढ़ने में भी मुझे वही कहानियां ज्यादा अच्छी लगती हैं जहाँ ये पता तो चले की दिन है की रात मौसम बारिश का है की जाड़े का

इस लिए लिखने में भी मेरी पोस्ट्स स्लो हो जाती हैं

एक बार फिर से आभार।

और इंस्टा में अगर आपने कुछ इस्तेमाल किया है तो ये तो मेरी कहानी के लिए गर्व की बात है , लिंक तो यहाँ देना मना है पर आप कभी चाहें तो उसे कोट कर सकते हैं।

🙏🙏🙏🙏
जग में हर तरह के व्यक्ति होते हैं...
जिसमें कुछ लोग तो ऐसे अवश्य होंगे जो आपके धीमी आंच वाले.. सिडक्टिव कहानी व उसके अंतर्निहित मर्म को समझते हुए .. उसका रस लेते होंगे...
Request you to write with your own pace and style.
 

motaalund

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ekdm sahi kaha aapne ye kahani pure and hardcore erotica hai aur jis kahanai ka sequel hain

मजा पहली होली का, ससुराल में


vo ek hard core densely packed erotica thi to us ka sequel bhi usi tarah ka
विविधता के साथ रसीले, मीठे.. मनमोहक डाय्लोग्स आपकी विशिष्टता है...
 
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