Part 12
अपने जिस्म की नीचे फिर लगा रोंदने
अलग अलग तरीके से वो लगा चोदने
फच फच का संगीत मेरे मन को भावे
जब कस कस के देवर धक्के लगावे
भाभी ऐसी कसी है चूत तुम्हारी
जैसा चोदू मैं कोई कन्या कुंवारी
लन घुस तेरा ठोकर मारे है जहाँ तक
कोई नहीं अब तक पहुंचा वहा तक
बन जाओ भाभी तुम मेरी लुगाई
दिन रात करूंगा तुम्हारी चुदाई
छुप छुप के मिलने में ज्यादा नशा है
देवर से चुदने में कुछ ज्यादा मजा है
देवर भोग रहा था मेरी नशीली जवानी
और नीचे फर्श पे पड़ी पति की निशानी
लौड़े पे अपने फ़िर मुझको बिठाया
मम्मो को हाथो से कस के दबाया
धक्के वो नीचे से लगा मारने
लौड़े पे अपने मुझे लगा झारने
मंजिल के दोनो करीब आ गये
सम्भोग में तृप्ति को हम पा गए
उबलता हुआ लावा वो लगा झारने
मेरे चेहरे पर पिचकारिया लगा मारने
पसीन से लथ पथ बिस्तर पे पड़ी थी
मत पूछो मैं वह रात कितनी झड़ी थी
ऐसे खिल उठी थी आज मेरी जवानी
प्यासी धरती पर जैसा बरसा पानी
बरसों की आग हुई आज ठंडी
बिस्तर पे बन के देवर की रंडी