आरुषि जी का बहुत-बहुत आभार..और आप की बात आरुषि जी ने मान ली
यह कविता अब जीजा साली पर ही और यहाँ साथ साथ कहानी में भी अगले आठ दस प्रकरण जीजा साली के ही रहेंगे, आरुषि जी की कविता की संगत
उन्होंने ये सम्मान देकर हम सब को गौरवान्वित किया...
आरुषि जी का बहुत-बहुत आभार..और आप की बात आरुषि जी ने मान ली
यह कविता अब जीजा साली पर ही और यहाँ साथ साथ कहानी में भी अगले आठ दस प्रकरण जीजा साली के ही रहेंगे, आरुषि जी की कविता की संगत
और आरुषि जी के शब्द रस की खान की तरह हैं...ekdam sahi kaha aapne aur meri dono kahaniyon men bhi Jija saali aur devar bhabhi dono hi rishte hain
बहुत नहीं तो थोड़ा-थोड़ा....आरुषि जी की संगत में आपने भी कविता के इलाके में कदम रख दिया
I think she has very vast knowledge in almost every field.Bohot hi sahi kaha aapne komaalrani ji
Aur apne vicharo ke saath aapne jo meri gyaan mein vriddhi ki uske liye dhayavaad
Ye to pata tha ke is tarah ke rishe aur shaadiya pehle se chali aa rahi hain..
Lekin isey sororal polygyny kehte hn conceptually ye nahi pata tha..
Shukriya..
Aur haan is rishte main jesa aapne kaha badi hi shararat aur maza hota hai beshak...
Jiju ka lund hamesha khada rehta hai saali ke liye
Aur saali agar thodi bhi shararti ho to wo bhi jija ke liye apni taangein aur pichhwada kholne mein kami nahi krti
Aur ab Arushi ji ismein apni kalam ke jaadu se jo humein nazare dikhayengi..usse hamara lund bhi khada rhega..
बेताबी तो सचमुच बढ़ जाती है...Is weekend ka update kaha hai komal ji. Bina update k weekend kaise ktega. Sara xforum bhatak liya achhi story ke liye lekin ghoom fir kar apka hi sahara hai.
आग दोनों तरफ बराबर की लगी है...Part 2
जीजा जी आप फ्रेश हो जाइये मैं कुछ खाने को लाती हूँ अदरक और इलाइची वाली कड़क से चाय पिलाती हूँ
दूध से भरे ये मम्मे तेरे क्या फिर भी चाय पिलाओगी
दुर से अपना योवन दिखला के क्या जीजू को तरसोगी
जीजा जी ऐसे मत बोलो बीवी नहीं आपकी साली हूं
दबी चिंगारी मत सुलगाओ मुश्किल से खुद को संभाली हूं
मत कुचलो अपनी इच्छाए खुलकर इनको जीने दो
अपनी इन कोमल चुचो से अमृत रस मुझे पीने दो
आओ मेरे पास तुम बैठो और हाथ में मेरा लौड़ा लेलो अपनी चूत मुझे चटाओ और तुम मेरे लौड़े से खेलो
खींच लिया फिर साली को गोद में अपने बिठा लिया
होठ से होठ मिले दोनों को हाथ चुचो में घुसा दिया
खींच के नाडा मैंने जल्दी से सलवार कर दी ढीली
पैंटी में हाथ घुसाया तो उसकी चूत पूरी थी गीली
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मैंने भी नीचे को खिसका दी अपनी पतलून
चोदने का साली को अब छा गया था जुनून
खोल के उसका नाडा अभी बस सोफे पर ही पटका था किस्मत ने दे दिया धोखा बाहर का दरवाजा खटका था
पकड़ा था जो उसने लौड़ा हाथ से उसका छूट गया
बुना था जो स्वपन सुहाना पल भर में वो टूट गया
वापस स्वागत है आपका, आपके कमेंट्स के बिना कहानी अधूरी सी लगती थी लेकिन जीवन की आपधापी में कई बार सब थम जाता है, .. एक बार फिर से स्वागतक्या खुबसूरत ताका झांकी चल रही है...
जीजा साली में...
ऐसे में किसी भी जीजा का मन बेईमान हो जाएगा...
ऐसे मौके पर आने वाला.. विलेन से ज्यादा खतरनाक होता है...ये क्या हुआ ऐन मौके पर कौन आ गया जीजा साली के बीच
और अब आप आ गए हैं तो वो भी आ जाएंगीसचमुच.. आरुषि जी के उपस्थिति मात्र से हमलोगों के दिल गुदगुदा उठते हैं...
ये तो उनकी (आरुषि जी) जादूगरी है...Bhaut khub