Gary1511
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Sexyगुलबिया , अच्छी वाली मीठी मीठी ,प्यारी भौजी
और पांच बजे जब दरवाजा खुला , गुलबिया चाय ले के अंदर आयी ,मैं तब तक सो रही थी। गाढ़ी नींद में।
मम्मी तब तक नहीं आयी थीं।
गुलबिया भी न , एकदम ,... गुलबिया , मेरी अच्छी वाली मीठी मीठी ,प्यारी भौजी।
उसने झट से चददर उठा के फेंक दिया , उसे इस बात का कोई फरक नहीं था की मैं उघारे सो रही थी। उसके होंठ मेरे होंठों पर ,
खूब मीठी वाली मीठी मीठी चुम्मी , एक दो नहीं पूरी दस , और हाथ मेरी भौजी के कहाँ ,
मेरी कच्ची अमिया पे ,सहलाते ,दुलराते।
टुक्क से मैंने आँखे खोल दी। टुकुर टुकुर अपनी भौजी को देखती मुस्कराती ,
और चुम्मे के बदला चुम्मा , माना गुलबिया जिस स्कूल की मास्टराइन थी मैं ने उसमें अभी अभी दाखिला लिया था ,
लेकिन थी तो अपनी भौजी की असली छुटकी ननदिया ,
मेरी कच्ची अमिया खुली थी तो मैं अपनी भौजी के दूध के कटोरे क्यों बंद छोड़ देती और झट झट , चुटपुटिया बटन
चुट पुट चुट पुट , गुलबिया के उभार भी मेरे हाथ में ,और कोई पहली बार तो मैं उसकी चूँची नहीं दबा रही थी ,
कितनी बार रतजगे में मैं दुल्हन बनती थी और गुलबिया दूल्हा , ममी और गाँव की सब औरतो के सामने ,बल्कि वही सबसे ज्यादा ललकारतीं थी
" कइसन भौजी हो ऊपर झापर से मजा ले रही हो और खोल दो न ,एह गाँव की कुल ननदे सब पक्की ,... "
असल में निशाने पर बुआ होती थीं मेरी मम्मी की ननद ,और सिर्फ असली वाली नहीं ,गाँव के रिश्ते की कोई भी जो पकड़ में आ जायँ।
और आज तो मैं गन्ने के खेत में सच मच की कबड्डी खेल के आयी थी।
जितनी जोर से वो दबाती उतनी जोर से मैं भी , मैच बराबरी पर छूटा।
फिर मेरी भौजी नाश्ता कराने में जुट गयी , और गालियों को झड़ी साथ में।
हलवा पूरे कटोरे भर था , घी ऊपर तक तैर रहा था , बादाम ,काजू ,किशमिश भरे ,...
" अरे हलवा नहीं खाओगी तो ई गाँव के लौंडे , मेरे देवर ,मेरी इस छिनार ननंद का हलवा कैसे बनाएंगे , और न खाना हो न खाओ मुंह से ,मैं इहि कलछुल से तोहरी गंडिया में डाल दूंगी , जाएगा तो तोहरे पेट्वे में , "
पूरा का पूरा खिला के दम लिया उसने। दूध भी दो इंच मलाई डाल के।
और उ भौजाई कौन जो ननद की बिल क हाल चाल न पूछे , बस गपाक से दो ऊँगली एक साथ , रोकते रोकते भी मेरी चीख निकल गयी।
" अबहियों बहुत कसी हो , रोज चोदवावा ,कम से कम ७-८ लौंड़न क धक्का ई खायी तब जाइ के ,.. "
गोल गोल घुमाती बोली और उस की निगाह ताखे पे पड़ी और मुझ पे डांट पड़ गयी।
ताखे में वो एक बड़ी सी बोतल में कुछ दिन पहले गाय का कच्चा घी रख गयी थी , इस हुकुम के साथ की रोज सोने से पहले अपनी चुनमुनिया में अंदर बाहर दोनोंउसकी मालिश करूँ।
पर बोतल में घी उतने का उतना था।
" लगईलू की ना "
" एक दो दिन , ... " अपनी गलती मानते हुए हलके से मैं बोली।
उसने घूर कर देखा , बोतल उतारी और एक कहीं से एक पुड़िया खोली , फिटकरी का चूरन था। बोतल से घी निकाल के उसने , फिटकरी उसमें मिलाई बहुत ज़रा सी और सीधे मेरी बिल में , और साथ में ज्ञान भी।
" सबसे बड़ा बिटामिन बुरिया के लिए मरद क मलाई है। एह लिए एकदम निचोड़ के एक एक बूँद , और ओकरे बाद ई गाय क सुद्ध कच्चा घी , आज से रोज बिना नागा सौवे क पहिले , एक चम्मच अंदर ,दोनों ऊँगली डार के ,... और ओकरे बाद एक चम्मच बाहर , फिर बुरिया कस के भींच के सोइ जा। सबेरे नहाय के बाद स्कूल जाय से से पहिले ,कम से कम डेढ़ दो चम्मच घी ,लेकिन कुल अंदर और ओकरे बाद कम से कम दस मिनट तक ओके भींच के , हाँ और अबकी नागा हुआ न तो रोज रात में आइके हमखुदे लगाय के जॉब अपनी ननदिया के ,.. "
साथ में उसने वार्निंग भी दे दी।
घबड़ा के मैं तुरंत हामी भरी दी, " नहीं भौजी एकदम रोज लगाउंगी बिना नागा पक्का।"
तबतक नीचे से मम्मी के आने की आवाज आयी और सब बरतन समेट के बोतल ताखे पर रख के गुलबिया धड़धड़ सीढ़ी से नीचे।
तबतक नीचे से मम्मी के आने की आवाज आयी और सब बरतन समेट के बोतल ताखे पर रख के गुलबिया धड़धड़ सीढ़ी से नीचे।
और मैंने भी झट्ट से एक फ्राक पहन ली ,किताबें खोल के पढ़ने बैठ गयी ,क्या पता मम्मी कब ऊपर आ जाएँ।
खैर मम्मी तो नहीं आयीं ,गुलबिया उनकी भी चहेती थी। गुलबिया का बोलना काफी था मैं स्कूल के होमवर्क से जूझ रही हूँ ,खाना ऊपर ही खाउंगी।
खाना लेकर गुलबिया न सिर्फ आयी ,बल्कि अपने हाथ से ही खिलाया भी और दूध भी और सुबह की तरह फिर उसमे कच्ची हल्दी ,शतावर ,शहद और न जाने क्या क्या पड़ा।
साथ में बताती भी रही , टाँगे फैलाने और उठाने के बारे में ,मरदों से कैसे ज्यादा से ज्यादा मजा लिया जाए ,उन्हें उकसा के और चुदाई में जितना मर्द का रोल है उससे भी ज्यादा औरत का।
थकान तो गायब ही हो गयी थी रात भर मैं एक नींद सोई ,हाँ सोने के पहले एक चमच घी अंदर और एक चम्मच बाहर लगाना नहीं भूली।
सुबह उठी तो एकदम फ्रेश।