Shubam goel
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बहुत जल्दी, हो सकता है कल। अभी लिख रही हूँ, बस थोड़ा सा बचा हैUpdate kab aayga
अरे नहीं साढे तीन घंटे का टाइम मिला था किचेन टीम को, और चार बैगन में डेढ़ नहीं तो दो घंटे,बीस मिनट एक बैंगन.. तो चार बैंगन अस्सी मिनट...
ये तो पूरे नाइंसाफी है.. टाईम बहुत कम है... क्या एक साथ दो-दो...
" स्साली छिनार लोढ़ा पकड़ना सीख ले, लौंड़ा पकड़ना अपने आप आ जायेगा, "
गीता ने सोलहो आना सच बोला
किचन की सही ट्रेनिंग मिल रही है गुड्डी को..
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गुड्डी को मालूम है कौन से ऑफर का क्या असर होगा, उसी की उमर की टीनेजर बल्कि कुछ तो और भी कच्ची उमर वाली, कौन भाई इस ऑफर के बाद छोड़ता, एकदम क्लियरेंस सेलगुड्डी का ललचाना जारी..
और रीनू भी हड़काती हुई इंस्ट्रक्शन पे इंस्ट्रक्शन
" करो न भैय्या " गुड्डी से नहीं रहा गया, वो बड़ी मुश्किल से बोली,
" अरे पेल न अपना मोटा लौंडा अपनी बहिनिया की गाँड़ में " गुड्डी चीख के बोली और उसके बाद कौन भाई रुकता है।
" स्साले, तेरी महतारी के भोंसडे में मेरे बचपन के यार का लंड, खबरदार जो लंड आपने निकाला " गुड्डी मुस्करा के बोली और इससे ज्यादा कौन बहन अपने भाई को उकसा सकती थी।
" अरे भैया तो मैं कौन सा ताला लगा के रखती हूँ, चल तूने अपने मन की बात बता दी न, अब मैं अपनी सहेलियों को भी बुला के लाऊंगी, सब एक से एक मस्त माल हैं, " गुड्डी ने जबरदस्त ऑफर दिया।
बहुत तगड़ा ऑफर मिल गया...
प्रतिभा और ट्रेनिंग का संजोग, गीता ऐसी सिखाने वाली जो मिली, मसाले से लेकर ८४ आसन तक सब सिखा दियाकिचन के साथ-साथ .. सारे पोजीशंस का ज्ञान...
इसकी प्रतिभा तो बेजोड़ है....
सचमुच डॉक्टर बनने के काबिल...
क्या पता सेक्स स्पेस्लिस्ट हीं आगे बनना लिखा हो...
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सच में गुड्डी की खैर नहीं लेकिन वो चाहती भी नहीं की उसकी खैर हो और ऊपर से रीनू ऐसी उत्प्रेरकरोगन जोश ने जोश बढ़ा दिया...
और टाईम भी है...
तो भाई-बहन इसे जाया क्यों होने दें...
उधर रोगन जोश बर्तन में
तो भाई का मटन पीस अपनी ओखली में धीमी आंच में...
" भैया लेकिन मैं निहुरंगी नहीं, "
" अरे स्साली, मैं खड़े खड़े तेरी गाँड़ मार लूंगा " अब वो आपे से बाहर हो गए थे।
अब तो खैर नहीं...
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एकदम असल अपने भौजाई की ननद है" बस बहना, घबड़ा मत तेरे प्यारे मोटू का सुपाड़ा अंदर चला गया है, अब तो रास्ता वो बना लेगा, बस दो मिनट और बर्दास्त कर ले"
साली छिनार सारे दांव पेंच जानती है...
कैसे भाई को बुआ का नाम लेके छेड़ना है ..
और फिर मस्त पेलाई चालू..
और गुड्डी का, इनका तो आम का पुराना रिश्ता है, आप को तो याद ही होगा, आम की बड़ी बड़ी दो फांको पर उसके भैया की मलाई, कैसे प्रेम से उसे खिलाई गयी थीक्या हीं मसालेदार डिश तैयार किया है...
साथ में स्वीट डिश की चाशनी...
लगता है लंच के साथ हीं मस्ती का लॉन्च पैड तैयार हो गया...
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यही तो ये प्यास बढ़ती ही रहती हैGuddi ka man nhi bhara abhi, or pyas badh gyi h
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एकदम बहन हो तो ऐसी और न सिर्फ अपनी सहेलियों को बल्कि दर्जा नौ और दस वाली कच्ची अमिया का भी स्वाद चखाएगी, लेकिन टर्म्स एंड कंडीशंस अप्लाईGuddi to maje kar degi abhi bhaiya ke. Coaching ki nayi nayi kaliya
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