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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

komaalrani

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मटन जोस. अरे ये भोजन की नहीं उसके बाद सोजन की तैयारी है.

गुड्डी रानी कही भी अपने भईया को चुकने नहीं दे रही. उनके बचपन का माल हेना. जो रीनू को नहीं पता वो सब उसे पता है.

अपनी साली के दीवाने वो तो वो साली छिनार नांदिया गुड्डी भी पक्की वाली हो गई. मिट्ठी भाभी मिट्ठी भाभी बोल कर चिपकी जा रही है. क्यों ना हो. आखिर उसके यार से नथ जो उतरवाई. भाभी तो ससुराल की भगवान होती है.

साली ने मटन वाले सहीद को बस फोन किया. तुरंत बढ़िया बढ़िया पीस आ गए. बोलना कितने यार है.
बाकि तो टाइम पास है. यार तो बस एक ही है. उसका भईया कोमलिया का सैया.

नहीं नहीं बावर्ची खानदान की नहीं. रंडी ही है. बस ग्राहकों को खुश करने के लिए बढ़िया बनाते सिख गई.


रतनजोत. पहाड़ो मे बर्फ पिघलने के बाद खोद के निकली जाती है. लाल जडे. सुखाकर कई दवाइयों मे भी इस्तेमाल होती है.

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सही कहा आपने रोगन जोश, जोश बढ़ा देगा,

लेकिन रीनू और गुड्डी की चाल दूसरी थी, अभी भी टाइम था, रोगन जोश पकता रहेगा और मस्ती होती रहेगी।
 

komaalrani

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वाह भईया रोगन जोश मटन पका रहा है. और उसकी कमसिन कवारी बहन बैठ कर उसका खुटा चूस रही है. भईया कुछ नहीं बिगड़ सकता ये वो जानती है. इस बार छिनार नांदिया उनकी बहन उनको तड़पा रही है.
अमेज़िंग क्रिएट किया है ये सीन. अमूमन उल्टा होता है. फीमेल खाना पका रही होती है. और मेल सेक्सुअल छेड छाड़ करता है. पर आप ने कुछ नया किया. सुपर्ब.

साली तो घरवाली से भी खुले दिल वाली है. क्या डायलॉग है.
जीजू पेलो कस के, चोद दो मेरी इस रंडी ननदिया का मुंह, बहुत गर्मायी है
उनका भी डायलॉग मुजे बड़ा मस्त लगा.
क्यों बहुत गरमा रही थीं न, लो, घोंटो जड़ तक। अभी गाँड़ में घुसा था तो ऐसे चिल्ला रही थी जैसे कोई मोटा लकड़ी का चैला घुस गया हो चूस कस कस के

साली छिनार अपने भईया को दिखा दिखा के ललचा रही है. जबरदस्त इरोटिक. सूपरब. और पिछवाडा भी दिखा रही है.

डायलॉग भी उसका क्या कामुख डाला है. माझा ही आ गया कोमलजी.

हल्के से गर्दन को जुम्बिश दे के अपने भाई से बोली,

" जो मेरे पीछे आएगा, वो अपनी माँ, "और कुछ रुक के हलके से जोड़ा, " चोदेगा,... और वो भी मेरे सामने। "

वाह रीनू. तू ना होती तो ये घु घु ही होते. चोदेगा. और तेरे ही सामने तेरी तरह अपनी महतारी को भी चोदेगा.

साली कभी छिनार पिछवादा दिखा रही कभी अपनी गुलाबीय. और पूछ रही है. चाहिये. तो उन्होंने भी मुँह खोल दिया. बाहनिया तेरी गांड चाहिये. वो टूट पड़े कोमलिया अपने जीजू कमल के साथ सब देख भी रही है. जबरदस्त.

क्या जबरदस्त कोमलजी. जबरदस्त डायलॉग दिया है छिनार को. अति कामुख.
अच्छा भैया मैंने कहा था की जो मेरे पीछे आएगा, वो अपनी माँ चोदेगा, तो सोच ले, चोदेगा मेरी बुआ को मेरे सामने,? पीछे तो तुम आ गए अब पक्का बोलो और साफ़ साफ़ "


अच्छा क्या सुन ना चाहती है छिनार. मै हा ना करू तो क्या करेगा. मतलब छिनार नंदिता जबरदस्ती अपने भईया से गांड का बलात्कार करवाना चाहती है.

जबरदस्त इंक्सास्ट अपडेट. Incast मे मुजे अब तक का सबसे ज्यादा एरिटिक यही अपडेट लगा.


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एकदम,

तड़पाना, छेड़ना, उकसाना, ललचाना और पास आने पर नखड़े बनाना, इसी से तो आग और भड़कती है।
 

komaalrani

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हम्म्म्म.... यही सुन ना चाहती थी रंडी छिनार. अपनी महतारी तेरी बुआ को भी पेलेगा. और तेरी महतारी को भी पेलेगा. अरे रीनू को भी यही सुन ना था. आखिर अपने जीजू को ट्रेनिंग किस चीज की दी है. अपनी माँ बहेना को पेलवाने की ना.

और अब चीला रही है. छट पटा रही है. नहीं भईया आप का मोटा है. छिनार नांदिया. तुम तो हो रंडी. और रंडी को मोटे लम्बे से कोई फरक नहीं पड़ता समझी.

भईया को बहेना की बड़ी फिकर हो रही है. घबड़ा मत टोपा चले गया. बस घोंट ती जा. खड़े खड़े ही बहेना की गांड चुदाई.

वाह तुम खड़े खड़े अपनी बहेनिया की लो. वहां तुम्हारी कोमलिया भी खड़े खड़े अपने जीजू. कमल जीजू का वाह...

वाह अपने भईया को रिस्वत. अपने सहेलियां भी पिवाएगी पर राज़ क्या बताएगी. राज तो जबरदस्त है. अमेज़िंग डायलॉग


स्साला एक बार मादरचोद, तेरा पानी जिस लौंडिया के पिछवाड़े गिरा न, खुद हाथ पैर जोड़ेगी, अपनी छोटी बहनों को सहेलियों को ले आएगी बहुत असर है मेरे प्यारे अच्छे भैया के पानी में " मस्त बहन बोली और खुद पीछे धक्का मारा

इतने कामुख डायलॉग आप कैसे सोच लेती हो. जबरदस्त इरोटिक फीलिंग्स है इसमें.

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remove duplicates from text file
खाना बनाने में जो स्वाद मसाले जोड़ते हैं न बस वही स्वाद इस तरह की बातचीत जोड़ती है, असल जिंदगी में भी और कहानी में भी
 

komaalrani

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वाह रंडी स्विडिश बना रही है या फिर क्रीम डिश. बात तो सही है. जब रीनू ने छिनार को रंडी कहा तो उसका पूछना जायज़ है. मै रंडी तो मेरा भैया क्या हुआ.
भडुआ, दल्ला.

दोनों भाई बहन रीनू का हुकम पूरा मानते है. अच्छे बच्चे की तरह.

लम्बी आम की फाके. मेरे भईया वो मेरे भैया ये. खेर जाने दो. अभी वो बात नहीं है.
लम्बी फाके सीधा गुड्डी के टांगो के बिच. रियल टेंग.

आम की फांके चूत रस में भीग उठीं। वाओ.... जबरदस्त इरोटिक.

ये तो स्वीट डिश के नाम पर अपने भईया को चुत डिश खिला रही है.और दोनों भाई बहन का खेला रीनू देख कर मज़े ले रही है. चुत मे छिनारिया के क्या क्या. बेंगन तो कभी आम तो कभी विप क्रीम. क्या भोजन तैयार किया है. दोनों भाई बहन ने मिलाकर.

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ऐसी स्वीट डिश, का स्वाद ही अलग है।
 

Random2022

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गुड्डी और बैगन के मजे


" वाह भैया, सब आप अपने साइज के छांटे हैं, कोई भी एक बित्ते से कम नहीं है "

गुड्डी खिलखिलाते हुए अपने बचपन के यार से बोली।

( वैसे असली बात ये थी की गुड्डी ने सच में अपने भैया का नापा था, इंच टेप ले के, इंच में भी, सेंटीमीटर में भी, लम्बाई भी मोटाई भी, ...इसलिए बोल रही थी )




रीनू ने अपनी ननद को मजेदार चिढ़ाती हुयी आँखों से गुड्डी को देखते हुआ बोला,

" अब इसे मैरीनेट करना पड़ेगा, हर बैगन को कम से कम १५-२० मिनट तक "


" कैसे "

ये पैदायशी बुद्धू पूछ बैठे। लेकिन गुड्डी को कुछ कुछ अंदाजा अब हो गया था, सुबह इन्ही उसकी मीठी भाभी ने खुद अपने हाथ से मोटा खीरा छील के उसकी बिल में पेला था, और उसी की सैंडविच,


रीनू ने बुद्धू जीजू को नजरअंदाज कर दिया और गुड्डी से बोली, " चल स्साली रंडी, ऊपर, और टाँगे फैला ले और थांग बस सरका ले "

गुड्डी, रीनू की चमची, झट्ट से उछल कर किचेन के स्लैब पे, और टाँगे फैला के, गुलाबी गुलाबी चुनमुनिया खोल के , दोनों फांको ने कस के दरवाजा बंद कर के रखा था, बस बड़ी मुश्किल से कसी कसी पतली दरार दिखती थी उस इंटर वाली टीनेजर की।




" चल अब अपने भैया को बोल आगे क्या करना है"


रीनू ने अपने जीजू को एक बैगन जो उन्होंने छांटा था पकड़ाते हुए गुड्डी को बोलै।

" भैया, इसे मेरी, " और उसकी बात पूरी भी नहीं हुयी थी की रीनू ने आग्नेय नेत्रों से घूरा और कस के हड़काया, " स्साली, रंडी, ये होती है रंडी की जुबान, " और गुड्डी सच में एकदम से

" हे मेरे बचपन के यार, चल इधर आ और पेल दे इसे अपनी बहन की बुरिया में " गुड्डी उन्हें अपनी ओर इशारा करके बुला के बोली




लेकिन बैगन मोटा था, कुछ चिकनाई भी नहीं लगी और सबसे बड़ी बात की थांग घुटनो के पास फंसी तो वो टीनेजर अपनी मखमली जाँघे भी पूरी तरह नहीं फैला सकती थी, पर उसके भैया भी १७० + आई क्यू वाले और सबसे बड़ी बात चूत चाटने के रसिया और चूत कुँवारी इंटर वाली छुटकी बहिनिया की हो तो कौन भाई मौका छोड़ता है। तो वो भी बस लग गए,

" हे पांच मिनट के अंदर बैगन घुस जाना चाहिए, भाई बहन की रास लीला के लिए टाइम नहीं है बहुत काम है किचेन में "

रीनू ने हड़काया।



जीभ भाई की कभी बहन की बुर के ऊपर सपड़ सपड़ तो कभी अंदर घुस के जिस चूत की झिल्ली कुछ दिन पहले ही उन्होंने फाड़ी थी, उसकी हाल चाल लेती।


गुड्डी भी अपने भाई का पूरा हाथ बटा रही थी, कस के उनका सर पकड़ के अपनी चूत पे चिपका, कभी खुद निचले होंठों को उनके होंठों पर रगड़ के



" उय्य्यी, हाँ भैया, हां बहुत मजा आ रहा है, ओह्ह्ह ऐसे ही चूस न स्साले, ओह्ह "





वो सिसक रही थी अपनी चंद्रमुखी को उनके मुंह पे रगड़ रही थी। और थोड़ी देर में एक तार की चासनी निकलनी शुरू हो गयी और वैसे, जैसे उसके भैया को इशारा था गेयर चेंज करने के लिए। जीभ का साथ देने के लिए दोनों उँगलियाँ भी आ गयी। उँगलियाँ भरतपुर स्टेशन के अंदर घुस गयी दोनों और जीभ स्टेशन के बाहर लगे सिग्नल को , गुड्डी की क्लिट को, और फिर दोनों होंठ। होंठ क्लिट को कस कस के चूसते,जीभ उसे फ्लिक करती और बुर के अंदर दोनों उँगलियाँ लंड को मात कर रही थीं।



बस थोड़ी देर में झरना फूट पड़ा, चूत एकदम गीली आस पास भी, और गुड्डी के भैया ने बैगन पकड़ के पुश करना शुरू कर दिया। गुड्डी ने भी अपने दोनों हाथों से अपनी फांको को पकड़ के फ़ैलाने की कोशिश की और बैगन की टिप घुस गयी लेकिन रीनू की आवाज

" स्साले गंडुए, पेलना नहीं आता क्या, खाली पेलवाना जानते हो। पेल कस के एक मिनट टाइम है बस, वरना मैं आती हूँ और बैगन की जगह अपनी मुट्ठी पेलूँगी पूरी कोहनी तक। "




और उन्होंने पूरी ताकत से ठेलना धकेलना, शुरू किया। दर्द के मारे गुड्डी की जांघें फटी पड़ रही थी लेकिन वो जानती थी की एक चीख और उसके भैया के बस का कुछ नहीं होगा, उसका क्या वो किसी का दर्द नहीं बरदाश्त कर सकते। गुड्डी ने स्लैब कस के पकड़ लिया और बूँद बूँद कर के दर्द पी गयी।

कभी गोल गोल घुमा के कभी ताकत से ठेल के अपनी बहन की बुर में ऑलमोस्ट पूरा बैगन वो ठेल के माने।




और रीनू ने आगे का इंस्ट्रक्शन दे दिया



" गुड गर्ल, चल अब अपनी थांग ठीक कर और कस के इसे १५ मिनट अपने अंदर भींच के रखना, निकलने न पाए और मुझे बिरयानी का मसाला निकाल के दे "

काम का बटवारा ये था की, रीनू को हैदराबादी बिरयानी बनानी थी, भुना गोश्त और हांडी चिकेन इनके जिम्मे, स्वीट डिश गुड्डी के जिम्मे और गुड्डी हर काम में इन दोनों लोगों की हेल्प भी करती।


बदमाशी शुरू की गुड्डी ने ही।

कुछ तो उस इंटर वाली टीनेजर की बिल में जो मोटा बैगन धंसा था उसका दोष, चूत रिस रही थी, बूँद बूँद कर के और उतनी ही तेज चींटिया भी काट रही थीं, अंदर। दूसरे उसे अपने भैया को छेड़ने में बहुत मजा आता था, बेचारे आधे टाइम बोल ही नहीं पाते थे और अभी तो उनके दोनों हाथ फंसे थे, इसलिए कुछ कर भी नहीं सकते थे।

वो दोनों हाथों से चिकेन वाश कर रहे थे, रगड़ रगड़ कर, गुड्डी उन्हें हेल्प कर रही थी,सबसे पहले अभी हांडी चिकेन ही बनाना था।





लेकिन गुड्डी का एक हाथ तो खाली था और उस शोख, चुलबुली टीनेजर ने हाथ का सही इस्तेमाल किया जो हर बहन बचपन से करना चाहती है।



भैया के बॉक्सर शार्ट में हाथ डाल के अपनी फेवरेट ' मटन पीस ' को पकड़ लिया और बस हलके हलके, न दबाया, न रगड़ा, बस बहुत धीरे धीरे सहलाना शुरू कर दिया, छू के ही मन डोल रहा था।

अब तक गुड्डी तीन मर्दों का घोंट चुकी थी, अपने भैया के अलावा, भाभी के दोनों जीजू, और अगले हफ्ते कोचिंग की पार्टी में पता नहीं कितने, उसकी सहेली रानी का एक पार्टी में ६ का, ६ बार नहीं ६ लड़कों का रिकार्ड था और वो तो उसे तोड़ना ही था। फिर मीठी भाभी तो गली मोहल्ले के भी कितने लौंडो पे दाना डलवा रही थीं, रोज के लिए चार पांच का इंतजाम, मीठी भाभी सच में बहुत अच्छी हैं।

लेकिन जो मजा भैया में है, हर चीज में,... उन्हें छेड़ने में, उकसाने में, चिढ़ाने में, वो किसी में नहीं। पहले भी उनके बारे में सोच सोच के गुड्डी की चूत में चींटी काटती थी और अब जब घोंट लिया भैया का तो और,... भैया के बारे में सोच के बुरिया में आग लग जाती है

लेकिन गुड्डी अकेले नहीं थी, जवान होती हर टीनेजर बहन की यही हालत होती है, भाई के और ' भाई का ' सोच के।



" हे गुड्डी क्या कर रही है " उन्होंने झिड़का। दोनों हाथ तो मटन को पकडे थे, कुछ कर तो सकते नही थे और गुड्डी भी इस बात को जानती थी। अब वो खुल के मुठियाते बोली,


" क्या कर रही हूँ ? जो एक बहन का हक़ है, वो कररही हूँ। नहीं अच्छा लग रहा हो मना कर दीजिये " अपनी शोख अदा में आँख नचा के उस शैतान ने चिढ़ाया।

" मेरे हाथ खाली होने दो तो बताता हूँ "

वो भी अब मूड में आ रहे थे, लेकिन गुड्डी जानती थी आज उसके भैया के जिम्मे बहुत काम है इसलिए उसका ज्यादा कुछ वो बिगाड़ नहीं पाएंगे इसलिए और उकसा रही थी। और गुड्डी ने अपनी बात ही आगे बढ़ाई,

" और भैय्या, मना करियेगा न तो आपके मना करने से कौन मैं मानने वाली हूँ ? करुँगी तो अपने मन की और हाथ खाली हो के भी आप का कर लेंगे मेरा ? उस टीनेजर ने अब खुल के चैलेन्ज दिया।

" भूल गयी अभी, दो दो बार सुबह से, " हिम्मत से वो बोले।

लेकिन गुड्डी की भाभी से तो कभी जीत नहीं पाए और अब उन्ही भाभी की सिखाई पढ़ाई ननदिया से भी जीतना मुश्किल था,
Guddi ka man nhi bhara abhi, or pyas badh gyi h
 

komaalrani

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फागुन के दिन चार - भाग १७ --रसिया को नार बनाउंगी पृष्ठ 234

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Random2022

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गुड्डी का गोलकुंडा




रीनू की निगाहें भी ननद के गोल दरवाजे से चिपकी लेकिनी उससे ज्यादा वो गुड्डी के भैया, अपने जीजू को देख रही थी, कैसे उस सेक्सी टीनेजर के गोलकुंडा के लिए ललचा रहे थे। यही तो वो चाहती थी, इन्हे पिछवाड़े का न सिर्फ मजा आने लगे बल्कि गोलकुंडा के जबरदस्त दीवाने हो जाएँ। रीनू ने गुड्डी को ललकारा

" गुड्डी यार मत देना, जबतक ये न बोले क्या चाहिए "

" बोल न भैया, मेरे प्यारे अच्छे भैया क्या चाहिए बस एक बार खुल के बोल दो, तेरी बहन कभी मना नहीं करेगी, मन की बात बोल देनी चाहिए " गुड्डी भी बड़ी मीठी सेक्सी आवाज में प्यार से दुलराते, हस्की सेक्सी आवाज में बोली।

" तेरा, तेरी, वो तेरा गोल, " किसी तरह थूक निगलते वो बोले और गुड्डी ने हड़काया

" साफ़ साफ़ बोलो न भैया मैं तुझे अच्छी नहीं लगती, तेरा लेने का मन नहीं कर रहा, नाम लेने में तो तेरी फट रही है लोगे क्या, लास्ट चांस "

और ये कह के गुड्डी ने अपना पिछवाड़ा एक इंच चौड़ी थांग से ढक लिया,




" नहीं नहीं, अपनी, अपनी गाँड़ " हिम्मत कर के वो बोले।

" अरे तो गाँड़ मारने का मन कर रहा है अपनी छुटकी बहिनिया का तो साफ़ साफ़ बोलो न, मैं मना थोड़े ही करुँगी और वैसे भी बुरिया में तो स्साले तूने बैगन घुसेड़ दिया है बस अब पिछवाड़ा बचा है, ले ले न लेकिन जरा प्यार दुलार से, ऐसे नहीं "

और ग्रीन सिग्नल की तरह उसी तरह झुके झुके उस टीनेजर ने अपनी थांग एक बार सरका दी।

एकदम टाइट गोल गोल छेद, बस बहुत हल्का सा, जैसी दो पहाड़ियों के बीच पतली पगडंडी हो, देख के ही लग रहा था ऊँगली भी नहीं घुस सकती, बस एक हलकी सी दरार, और गुड्डी ने दोनों हाथों से अपने दोनों चूतड़ों को फैला के गोलकुण्डा का दरवाजा भैया को दिखाया,




खूंटा पागल हो रहा था, शार्ट से बाहर लेकिन उनकी स्साली ने भी गुड्डी वाली बात दुहरायी,

" पहले प्यार दुलार, चुम्मा चाटी, फिर खुल के मांगो तब देगी मेरी ननद, वो कोई ५ रूपये वाली रंडी नहीं है की जब चाहा जैसे चाहा ठोंक दिया "

और प्यार दुलार में तो उनका कोई मुकाबला नहीं, बस भैया ने अपनी बहिन के पैरों को सीधे टखनों से चूमना चाटना शुरू कर दिया और उनके हाथ भी कभी सहलाते, कभी छू के छोड़ देर कभी उँगलियाँ सीधे गोल गोल नितम्बो तक, लेकिन फिर सरक के घुटनों के पास,

गुड्डी के लिए एक नया अनुभव था, कल शाम को ही तीन बार उसकी गाँड़ मारी गयी थी लेकिन इस तरह से मान मनौवल के बाद, पहली बार. वो सिसक रही थी, पागल हो रही थी,

" हाँ भैया, हाँ उह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है ओह्ह करो न, ले लो भैया, "

और अब उसके भैया के होंठ उस टीनेजर के, मिडल आफ टीन, वाली बहिनिया के गोल गोल चूतड़ों पर पहुंच गए थे, वो नितम्बो पर चुंबन की बारिश कर रहे थे। चुम्मे धीरे धीरे उस गोल दरवाजे के पास और अपनी लम्बी जीभ निकाल के गोलकुंडा के गोल दरवाजे की गुड्डी के भैया ने, सांकल खड़का दी।
--




गुड्डी को जैसे ४४० वाल्ट का करेंट लगा हो, उसकी पूरी देह तड़प उठी, क्या कोई मछली पानी से बाहर निकलने के बाद उछलती होगी उस तरह से वो किशोरी पागल हो गयी जब पहली बार भैया की जीभ ने वहां टच किया

" भैया, मेरे भैय्या " बस यही निकल पाया मुंह से।

इनकी सास ने अपनी बड़ी बड़ी गाँड़ चटवा के इन्हे रीमिंग में ट्रेन कर दिया था और आज उस पढ़ाई का फायदा अपनी बहन के साथ ये उठा रहे थे।

जीभ कभी दरार से ऊपर नीचे होती बस जस्ट छूती हुयी तो कभी सपड़ सपड़ जैसे लड़कियां चाट ख़तम होने के बाद भी पत्ते को चाटती हैं उस तरह, चाटती,

और फिर होंठ भी मैदान में आ गए, उँगलियों से हलके से गुड्डी के भैया ने अपनी बहन के गोल छेद को फैलाया और खुले छेद पर अपने होंठ चिपका दिए, और ढेर सारा थूक जीभ के सहारे अंदर धकेल दिया। फिर क्या कोई वैक्यूम क्लीनर सक करेगा जिस तरह से उनके होंठ सक कर रहे थे,




गुड्डी जोरजोर से चूतड़ पटक रही थी, बस उसका एक मन कर रहा था, बस भैया पेल दें, ठेल दें, वो भी अपने हाथों से अपने दोनों चूतड़ों को पकड़ के फैला रही थी,

मन तो उनका भी कर रहा था गुड्डी की गाँड़ लेने का लेकिन आज अपनी बहन को सारा मजा वो देना चाहते थे, खूंटा उनका भी फनफना रहा था और अब उन्होंने सुपाड़ा गुड्डी की गाँड़ में लगाया,

गुड्डी सोच रही थी अब घुसेगा तब घुसेगा, वो कमल जीजू और अजय जीजू का भी घोंट चुकी, एक बार पिछले दरवाजे के पास पहुँचने के बाद कोई मरद अपने को रोक नहीं पाता, बस ठेलने के धकेलने के चक्कर में रहता है, लेकिन ये बार बार खड़े सुपाड़े को पिछवाड़े के छेद पर बार बार रगड़ के और आग लगा रहे थे साथ में होंठ कभी कमर पे चुम्मा लेते तो कभी कंधे पे,



" करो न भैय्या " गुड्डी से नहीं रहा गया, वो बड़ी मुश्किल से बोली,

जवाब में उसके भैया ने बहिनिया के नमकीन गाल पे एक कस के चुम्मा लिया और पीठ पे जीभ से सहलाते पूछा

" का करूँ बोल न मेरी बहिनिया "

" अरे पेल न अपना मोटा लौंडा अपनी बहिनिया की गाँड़ में " गुड्डी चीख के बोली और उसके बाद कौन भाई रुकता है।

गप्पाक
----


रीनू देख रही थी, मुस्करा रही थी, अब स्साला मेरा जीजू सच में पिछवाड़े का रसिया बन गया है, उसके चेहरे से और धक्के के जोर से लग रहा है।



पिछवाड़े का बेसिक फंडा ननद के भैया ने सीख लिया, पेलना, ठेलना, और धकेलना, न की आगे पीछे करते हुए चोदना। और दूसरी बात जिसकी मारी जा रही हो, उसके तड़पने, चीखने चिल्लाने की एकदम परवाह न करना,

गुड्डी निहुरि हुयी थी, और उसके भैया उसकी पतली २४ इंच की कमर पकडे, हचक के धक्के मार रहे थे, घुसेड़ रहे थे, ठेल रहे थे, पेल रहे थे । लेकिन चार पांच धक्को के बाद वो रुक गए, वो भी समझ गए और उनकी छिनार बहिनिया भी,... की अब होगा असली इम्तहान, गांड का छल्ला, खैबर का दर्रा, जिसको दरेरते हुए, छीलते हुए जब खूंटा अंदर घुसता है तो एक से एक पुराने गांडू भी चीख पड़ते हैं,

" उई ईई नहीं ओह्ह्ह भैया, मेरे अच्छे भैया, नहीं भैया, जान गयी, बस एक मिनट रुक जाओ, ओह्ह " गुड्डी चीख पड़ी




लेकिन वो अब सीख गए थे, ये मौका पेलने का है, ठेलने का है, मजा लेने का है और कमर पकड़ के दूनी जोर से धक्का मारा की छल्ला पार , लेकिन जिस तरह दरेरते, फाड़ते रगड़ते घुसा, गुड्डी चीख पड़ी,

" उह्ह्ह नहीं भैया, तुम बहुत गंदे हो, बदमाश, एक मिनट, बस एक मिनट "

अगर एक मिनट का इन्तजार मारने वाला करे न तो न किसी लौंडे की गाँड़ मारी जाए न लौंडिया की, और उन्होंने भी नहीं किया बस ठेलते रहे , और दो चार मिनट में भाला अंदर जड़ तक धंस गया। और अब गुड्डी, उनकी बहन सिसक रही थी, मजे ले रही थी, कौन बहन नहीं खुश होगी अगर उसके भैया का बित्ते भर का खूंटा उसके पिछवाड़ा धंसा होगा,

" ओह्ह भैया बहुत अच्छा लग रहा है, तुम बहुत अच्छे हो, मेरे प्यारे भइया "


झुक के प्यार से उन्होंने उस टीनेजर के गुलाबी गोरे गोरे गाल कचकचा के काटते चिढ़ाया,

" क्या अच्छा लग रहा है मेरी प्यारी मीठी बहिनिया को, बोल न "

" धत्त " वो इंटर वाली वो किशोरी, एकदम मिडिल ऑफ़ टीन्स, शरमा गयी।

" बोल न, नहीं तो मैं निकाल लूंगा, " उन्होंने धमकाया और कस के बहन के कच्चे टिकोरों को मसल दिया, निप्स पकड़ के पुल कर लिया।

गुड्डी उनसे भी दो हाथ आगे थी ऊपर से रीनू की संगत, और गालियों की अच्छी ट्रेनिंग उसकी मीठी भाभी ने दी थी,

" स्साले, तेरी महतारी के भोंसडे में मेरे बचपन के यार का लंड, खबरदार जो लंड आपने निकाला " गुड्डी मुस्करा के बोली और इससे ज्यादा कौन बहन अपने भाई को उकसा सकती थी।
---




क्या मस्त गाँड़ मारी उन्होंने अपनी बहन की, धक्के पे धक्के, साथ में छोटी छोटी चूँचियों की रगड़ाई। और गुड्डी भी उसी तरह कभी चीखती सिसकती कभी उन्हें गरियाती,


पर बित्ते भर के औजार और लम्बी रेस के घोड़े होने के साथ एक और गुण था उनमे जो, एक बार उनके साथ सोया वो जिंदगी भर के लिए उनका दीवाना हो जाता था, और वो था किस लड़की के देह में कौन काम बिंदु है उन्हें मिनट भर में मालूम हो जाता था फिर उन जगहों पर भी,


तो गुड्डी के साथ भी, कभी वो अपने बहन की चूँची रगड़ते कभी, जाँघों को छूते सहलाते और उनकी उँगलियाँ गुड्डी की बिल में घुसे मोटे बैगन पे पड़ गयी, बस उनकी बदमाश उँगलियाँ बस।

बैगन ने बहिनिया की बुर में बगावत मचा रही थी। कलाई से मोटा बैगन, बित्ते से लंबा, बहिनिया की बुर में बच्चेदानी तक घुसा, अटका, बुर एकदम फैली, जैसे फट रही हो, रुक रुक कर गुड्डी बहिनिया की बुरिया में चींटिया काट रही थी,

जब तक पिछवाड़े वाले छेद में गुड्डी के भैया के मूसल ने तूफ़ान मचा रखा था, गुड्डी बैगन को भूल गयी थी, लेकिन अब भैया ने अपना मूसल गाँड़ में जड़ तक पेल के छोड़ दिया था और बहिन के अगवाड़े ध्यान लगा दिया था और एक बार फिर से बिलिया में आग लग गयी थी।


बस अपने दाएं हाथ से बहन के बुर में घुसे बैगन को उन्होंने पकड़ के धीरे धीरे आगे पीछे घुमाना शुरू किया




और वो इंटर वाली टीनेजर सिसकने लगी,

" ओह्ह उफ्फ्फ, भैया, मेरे प्यारे भैया, ओह्ह करो न और जोर से करो न, सब ताकत चूस ली है किसी ने क्या, करो न भैया कस कस के "

कौन भाई अपनी उस बहन की बात ठुकरा सकता है जो बचपन से कलाई पे राखी बाँध रही हो,


बस कस कस के उन्होंने बैगन को आगे पीछे करना शुरू कर दिया और बायां हाथ बहन के कच्चे टिकोरे, उम्र ही क्या था, एकदम मिडल आफ टीन्स, गाल भी कचकचा के काट रहे थे,

" क्यों बहिनिया मजा आ रहा है " कस के गाल काट के उन्होंने गुड्डी से पुछा,

" हाँ भैया, हाँ ऐसे ही करते रहो, ओह्ह बहुत अच्छा लग रहा है "



लेकिन वो पक्के बदमाश, उनको अंदाज लग गया था की उनकी बहिनीया एकदम झड़ने के कगार पे है बस एक बार बैगन उन्होंने जड़ तक पेला और अपना मोटा लंड, बहन के पिछवाड़े से धीरे धीरे सरका के निकाला, पूरा नहीं, सुपाड़ा अभी भी अंदर तक धंसा, लेकिन करीब ६ इंच से ज्यादा मूसल पिछवाड़े के बाहर,

और अब आगे उन्होंने बैगन को आलमोस्ट बाहर निकाल के बस दो चार बार गोल गोल घुमा के छोड़ दिया,

" करो न भैया, प्लीज भैया, बस मैं एकदम कगार पे हूँ, बस दो मिनट भैया " गुड्डी एकदम झड़ने के किनारे पे बार बार अपने भैया इ गुहार कर रही थी, निहोरा कर रही थी।

लेकिन वो बदमाशी पे, गुड्डी के कान में वो बोले फिर साफ़ साफ़,

" तू भी कर न, बस थोड़ी देर "




मज़बूरी गुड्डी की और अब गुड्डी खुद अपने मोटे मोटे चूतड़ पीछे पुश कर के अपने भैया का मोटा लंड धीरे धीरे घोंट रही थी, इंच इंच लंड अंदर जा रहा था, लेकिन वो सिर्फ अपनी बहन की कमर पकडे थे घोंटे का काम बहन ही कर रही थी।

" यार बहुत मजा आता है तेरी गाँड़ मारने में " आज अपनी मन की बात उन्होंने प्यारी बहन की गालों को चूम कर के कह दिया।

" पहले तो कभी गोल दरवाजे की ओर झांकते भी नहीं थे और अब " गुड्डी ने चिढ़ाया और एक धक्का मारा पीछे और अब आधा से ज्यादा खूंटा गुड्डी की गाँड़ में,



" अब बहुत अच्छा लगता है गोल दरवाजे वाली गली में , " हलके से धक्के मारते हुए वो भी बोले,

" अरे भैया तो मैं कौन सा ताला लगा के रखती हूँ, चल तूने अपने मन की बात बता दी न, अब मैं अपनी सहेलियों को भी बुला के लाऊंगी, सब एक से एक मस्त माल हैं, " गुड्डी ने जबरदस्त ऑफर दिया।
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' लेकिन वो पिछवाड़े, " गुड्डी के भैया ने अपना शक जाहिर किया,

" अरे मैं पहले बोल दूंगी, अगवाड़े चाहिए तो पिछवाड़े पहले घोंटना पडेगा, और न मानेगी स्साली तो जबरदस्ती पेल देना, तुम भी भइया,एक तो तूने बात कही " गुड्डी बोली और गुड्डी की बात से खुश होके उन्होंने कस के बैगन को एक बार फिर से गुड्डी की बिल में आगे पीछे करना शरू कर दिया और थोड़ी देर में गुड्डी झड़ने लगी, लेकिन उन्होंने बुर की चोदाई नहीं रोकी,

" हाँ भैया हाँ, ओह्ह बहुत अच्छा लगा रहा है "



गुड्डी दो बार झड़ गयी उसके बाद ही वो रुके लेकिन फिर उन्होंने पिछवाड़े ह्च्चक ह्च्चक के, लेकिन उनके जोश के साथ उनकी बहन भी पूरा साथ दे रही थी, कभी कस के खूंटा निचोड़ लेती तो कभी धक्के का जवाब धक्के से देती तो कभी गरियाती तो कभी लालच देती,

" हाँ भैया, हाँ ऐसे ही, बहुत मजा आ रहा है, बोल लेना है मेरी सहेलियों की, मेरी कोचिंग वालियों की, "

" एकदम, नेकी और पूछ पूछ लेकिन मुझे ये लेना है उन सबकी " और ये कह के कस के दोनों जोबन पकड़ के अपनी बहन के पिछवाड़े धक्का मारते,

" अबे स्साले, साफ़ काहें नहीं कहता की गाँड़ मारनी है, एकदम दिलवाऊंगी, और सिर्फ मेरी क्लास वालियां ही नहीं है, एक से एक माल है कोचिंग में, अब नौवीं दसवीं वाली भी आती हैं, एकदम चूँचिया उठान, और चूतड़ ऐसे छोटे छोटे की लौंडे भी मात, मुंह खोल के बोल, आता हैं न मजा, "

गुड्डी ने और उकसाया।




"एकदम यार सच में बहुत मजा आ रहा है तेरी गाँड़ मारने में, एक बार दिलवा दे न,... उन सबकी गाँड़ मारूंगा, ओह्ह्ह उफ़ "

वो बोले और अब वो भी झड़ने के कगार पे थे, और जब झड़े थे तो खूंटा उन्होंने अंदर धकेल रखा था, गुड्डी ने कस के भींच रखा था वो भी झड़ रही थी।




चार पांच मिनट बाद जब उन्होंने निकाला, तो उन्हें याद आया हांडी चिकेन, और उनकी निगाह घडी की ओर पड़ी, लेकिन गुड्डी उन्हें छेड़ने से कैसे छोड़ती, उनकी ओर अपने ब्वाइश चूतड़ दिखा के दोनों नितम्बो को फैलाया, और धीरे धीरे उसके भैया का वीर्य, सरसराता हुआ बहन की गाँड़ से सरकता हुआ बूँद बूँद बहन की जांघ पे


मन तो उनका कर रहा था की पटक के बहन की गाँड़ दुबारा मार ले लेकिन घड़ी रानी कह रही थी बस दो मिनट बचे हैं हांडी चिकेन उतरने में

गुड्डी और उन्होंने मिल के हांडी चिकेन उतार लिया उसकी महक पूरे किचेन में फ़ैल रही थी , और रीनू ने आके गुड्डी की बिल से बैगन निकाल लिया और बोला की बिरयानी में अभी भी करीब पौन घंटे से लेकर एक घंटे लगेगें,
Guddi to maje kar degi abhi bhaiya ke. Coaching ki nayi nayi kaliya
 

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मस्ती बहन भाई की


गुड्डी खूब गरमाई हुयी थी, शुरआत अबकी भी उसकी उँगलियों ने की,

जब उसके भैया रोगन जोश चला रहे थे तो कुछ देर तक तो उनके बॉक्सर शार्ट के ऊपर से उसने उनके खूंटे को रगड़ा मसला,




और जब तम्बू तन गया तो शार्ट को सरका के नीचे, बम्बू बाहर और छुटकी बहिनिया की मुट्ठी में, लेकिन वो मुठिया नहीं रही थी बस आराम आराम से दबा रही थी, हलके हलके अपने भैया के मूसल की मोटाई कड़ाई का मजा ले रही थी।

और वो जानती थी की बेचारे उसके भइआ इस समय उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते।

उनका ध्यान इस समय पूरी तरह रोगन जोश पर है, मटन के एक एक टुकड़े पर, और गुड्डी एक अच्छी बहन की तरह भाई के पैरों के बीच बैठ गयी और गप्प, खूब बड़ा सा मुंह खोल के भैया का मुट्ठी ऐसा मोटा गरम, मांसल सुपाड़ा अपने मुंह मे। गुड्डी हलके हलके चूस रही थी, जीभ से चाट रही थी, सुपाड़े के बीच पेशाब के छेद को जीभ की टिप से सुरसुरा रही थी और अपनी कोमल उँगलियों से गुड्डी रानी भैया के बॉल्स को कभी सहलाती, कभी हलके से दबाती।



कोई भी भाई हो उसकी सुन्दर सी सेक्सी कमसिन जस्ट जिसने इंटर पास किया हो ऐसी बहन उसके सुपाड़े को मुंह में लेकर चुभलायेगी चूसेगी तो क्या हालत होगी उसकी,

हालत उनकी खराब हो रही थी और जैसे ही उन्होंने रोगन जोश को ढंक दिया और तय था की अब अगले बीस पचीस मिनट तक कुछ नहीं करना है

तो वो भी जोश में आ गए और बहन का सर पकड़ के, नहीं गुड्डी को अपनी बहन को चुसवा नहीं रहे थे, हचक हचक के उसका मुंह चोद रहे थे, डीप फक, थोड़ी देर में सुपाड़ा गुड्डी के हलक पे ठोकर मार रहा था और उनको सपोर्ट करने उनकी साली रीनू भी बगल में खड़ी थी,

" जीजू पेलो कस के, चोद दो मेरी इस रंडी ननदिया का मुंह, बहुत गर्मायी है "

साली बोले और वो भी रीनू जैसे, तो कौन जीजा नहीं मानेगा, गुड्डी के बाल को कस के पकड़ के हचक के ठेलते रीनू के जीजा, गुड्डी के भैया बोले,

" क्यों बहुत गरमा रही थीं न, लो, घोंटो जड़ तक। अभी गाँड़ में घुसा था तो ऐसे चिल्ला रही थी जैसे कोई मोटा लकड़ी का चैला घुस गया हो चूस कस कस के "



गुड्डी गों गों कर रही थी, आँखे उबली पड़ रही थीं, अच्छा तो लग रहा था लेकिन लग रहा था भैया बस पल भर के लिए निकाल ले , पर साली के उकसाने के बाद कौन मरद अपनी बहन को छोड़ता है, लेकिन गुड्डी का दिमाग, उसने कड़ाही की ओर इशारा किया और उसके भाई का दिमाग उधर, और गुड्डी को मौका मिल गया, छुड़ा के खड़ा होने का

और थोड़ी दूर खड़ी होके वो एक बार फिर से अपने भाई को उकसा रही थी, चढ़ा रही थी चिढ़ा रही थी।


एक तो छोटा सा एप्रन जो मुश्किल से गुड्डी के ३२ सी कड़क बूब्स को ढक रहा था और फिर दो इंच की पतली सी थांग




जो उसकी चुनमुनिया को ढकने की कोशिश कर रहा था , और ऊपर से गुड्डी महा शैतान और उसे रीनू की शह मिली थी।


थांग को सरका के गुड्डी ने अपनी गुलाबी गुलाबो की दोनों फांको के बीच फंसा लिया था। और अपने भाई को चिढ़ाती निगाहो से देखने का,

" किसी को कुछ चाहिए का ? " उकसाते हुए वो बोली,


और जब तक उसका भाई कुछ जवाब देता वो पीछे मुड़ के खड़ी हो गयी,

पीछे से तो वो और सेक्सी माल लग रही थी, एप्रन की सिर्फ एक डोरी गले में बंधी, बाकी गोरी केले के पत्ते की तरह चिकनी पीठ उस किशोरी की, मुट्ठी में आ जाए ऐसी पतली कटीली कमरिया और बड़े बड़े खुले दावत देते मांसल मटकते कूल्हे, और आगे तो थांग दो इंच की थी भी, पीछे बस एक डोरी की तरह, पतली सूत की तरह बस किसी तरह नितम्बों में फंसी,


पीछे मुड़ के वो मुस्करायी, ऊँगली मोड़ के उस षोडसी ने अपने पीछे आने की दावत दी और नितम्बो को मटकाते, सारंगनयनी, हंस की चल से ठुमकते और,



हल्के से गर्दन को जुम्बिश दे के अपने भाई से बोली,

" जो मेरे पीछे आएगा, वो अपनी माँ, "और कुछ रुक के हलके से जोड़ा, " चोदेगा,... और वो भी मेरे सामने। "





जवाब उनकी साली ने दिया, " अरे चोद देगा अपनी माँ ये, तेरे लिए, तेरे सामने ही चोद देगा, मेरा जीजू रंडी रानी "

गुड्डी हलके से ठहरी, और फिर पीछे मुड़ के अपने पीछे आते भाई को देखा और बड़े भोलेपन से बोली,

" क्यों भैया सोच ले, मादरचोद बनना है तो मेरे पीछे आओ, लास्ट चांस, फिर मैं न छोडूंगी न मेरी भाभी, तुझे, तेरी, ..." और अपनी बात हवा में छोड़ के हलके से दो कदम बढ़ी,


भाई उसके पीछे पीछे, आगे बढ़ा



और गुड्डी फिर ठुमक के रुक गयी, पिछवाड़ा उसके भाई की ओर ही था। आराम से उसने अपनी थांग सरकायी, दोनों हाथों से नितम्बो को फैला के अपने गोल दरवाजे का रसीला द्वार, अपने भैया को दिखाते, ललचाते, हलके से गरदन घुमा के, फ्लाईंग किस ले के पूछा




" क्यों भैया चाहिए ? "

" हाँ, एकदम,... एकदम चाहिए, " उसके भैया किसी तरह थूक घोंटते जोश में बोले,


" स्साले, नाम तो ले नहीं पा रहा है, इसे क्या ले पायेगा, "

बिना पिछवाड़े थांग के ढक्कन को बंद किये, पिछवाड़े के छेद को दिखाते हड़काते वो बोली, और दो कदम आगे चली, पीछे से उसका भाई चिल्लाया,

" तेरी गाँड़, तेरी गाँड़ लूंगा, मारूंगा, एक बार और मार लेने दे बस " और पीछे पीछे गुड्डी के,

तबतक गुड्डी किचेन की खिड़की के पास पहुँच गयी थी और रुक के वो पलट गयी, और अपनी थांग को आगे से सरका के अपनी गुलाबो को दिखाती,





दोनों फांको को हथेली से रगड़ती वो टीनेजर बोली,


" भैया ये ले लो, पिछवाड़े का मजा तो तूने सुबह से तीन बार ले लिया है " और यह कह के एक बार फिर पीछे मुड़ गयी। उसके गोल गोल एकदम खुले नितम्ब, बबल बॉटम, उसके भैया की हालत खराब थी।



गुड्डी खिड़की से बाहर झाँक रही थी, वहां से लिविंग रूम साफ़ दिखता था और लिविंग रूम में उसकी कोमल भाभी और कमल जीजू खड़े खड़े ,



तबतक उसके भैया ने आके गुड्डी को पीछे से दबोच लिया, खूंटा तो खुला ही था खड़ा भी और वो बहिनिया के नितम्बो के बीच में रगड़ खा रहा था,

" नहीं भैया इधर नहीं, आगे वाली ले ले न, इधर बहुत दुःख रहा है " गुड्डी ने बहाना बनाया।


" स्साली चाहे तेरी दुखे या फ़टे मैं तो तेरी गाँड़ मार के रहूँगा "

थांग सरका के दरारों के बीच अपना मोटा मूसल सटाते वो बोले और उनकी साली रीनू के दिल में ठंडक पहुँच गयी,

यही तो वो चाहती थी की उसके जीजू गोल छेद के पक्के रसिया बन जाए, और इस समय वो भी अपनी बहन के गोल छेद में पेलने के लिए बेताब थे।

और बहन भी आज उन्हें तड़पा रही थी, और क्यों न तड़पाये, दर्जा नौ से हाथ में लेकर टहल रही थी, रोज झांट साफ़ करके, और इंटरकोर्स,.. इंटर का रिजल्ट निकलने के हफ्ते भर बाद हुआ, फिर चित्तोड गढ़,... कितना तो इन्ही भैया के आगे रोज चूतड़ मटका मटका के टहलती थी। एक बार भरतपुर बहन का लूट लेने के बाद, बहन के बुलबुल के तो दीवाने हो गए लेकिन गोल दरवाजे की ओर झाँका तक नहीं, छेद तो वो भी है।



" हे गुड्डी दे न इधर वाला" वो दोनों नितम्बो को सहलाते, बहन की पिछवाड़े की दरार रगड़ते चिरौरी कर रहे थे,

"नहीं भैया, वो नहीं, बहुत मन कर रहा है तो मेरी गुलाबो को ले ले, पिछवाड़े तो तुम तीन बार ले चुके हो सुबह से, अब एकदम सूज गयी है तेरे मोटू का धक्के खा खा के, ले लो न आगे की। आज से पहले तो उसी के पीछे पड़े रहते थे, माना तेरा कस के खड़ा है लेकिन दे तो रही हूँ न " उस शोख ने और तड़पाया।

अब उन की समझ में नहीं आ रहा था क्या करे, लेकिन अब ऊँगली की जगह उनका मोटू बहन की गांड की दरार रगड़ रहा था और मन तो अब गुड्डी का भी पिछवाड़े का कर रहा था लेकिन वो थोड़ा और तंग करना चाहती थी अपने भैया कम यार को, हँसते हुए बोली,


" अच्छा भैया मैंने कहा था की जो मेरे पीछे आएगा, वो अपनी माँ चोदेगा, तो सोच ले, चोदेगा मेरी बुआ को मेरे सामने,? पीछे तो तुम आ गए अब पक्का बोलो और साफ़ साफ़ "




" चोद दूंगा, एक बार तो हाँ कर दे, अरे यार जो बहन चोद बन गया वो मादरचोद भी बन जायेगा, गुड्डी दे न "

अब गुड्डी भी जान बुझ के अपनी पिछवाड़े की कसी दरार भैया के मोटे सुपाड़े पे रगड़ रही थी और सोच रही थी, इस स्साले मेरे भाई में सब बात अच्छी है, केयरिंग है, हैंडसम है, औजार जबरदस्त है, बस सीधा थोड़ा ज्यादा है, और फिर उसे चढाती हुयी खिलखिलाती वो किशोरी बोली,

" भैया मैं हाँ न करू तो क्या करेगा तू , "



" तो जबरदस्ती मार लूंगा तेरी गाँड़, " अब जोश में गुड्डी का भाई बोला, अब उससे रहा नहीं जा रहा था, लंड जोश में फटा जा रहा था, कस कस के वो अपनी बहन की, उस षोडसी की दोनों छोटी छोटी ३२ सी वाली चूँचियाँ दबा रहा था,

गुड्डी के मन में आया, फिर स्साले पूछता क्यों हैं मार ले न, गाँड़ होती क्यों हैं मारने के लिए ही न और वो भी मस्त टीनेजर बहन की गाँड़ लेकिन फुस्फसुसाते हुए बोली,

" भैया लेकिन मैं निहुरंगी नहीं, "

" अरे स्साली, मैं खड़े खड़े तेरी गाँड़ मार लूंगा " अब वो आपे से बाहर हो गए थे।
Wahan kamal jiju bhi komal ki khade khade or yahan guddi
 

rajkomal

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आपकी कहानी रीडर्स को पात्रों के बातचीत के कारन ही पसंद आती है वरना चुदाई में केवल डालना और निकलना ही होता है | आप अपने पति के मोबाइल से अपनी सास को whatsappp चैट से हॉट हॉट बातचीत करिए और आपके पति को पता भी नहीं है की क्या हो रहा है | और आपकी सास अपना मुन्ना समझ कर हॉट हॉट बातचीत करे और अपनी पिक्स भेजे जिससे उनके बीच भी ice ब्रेक हो | और फिर आप राजीव को चैट दिखा दे और आगे राजीव खुद चैट करे | बाकी तो आप इतनी बड़ी राइटर है , मैं क्या कहूँ | योर रीडर सींचे 2008.
 
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