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Erotica जोरू का गुलाम उर्फ़ जे के जी

Random2022

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. गपागप, सटासट, ....खड़े खड़े
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यही तो गुड्डी सुनना चाहती थी और गुड्डी से ज्यादा उनकी साली रीनू, वो वहीँ से बोली, " जीजू छोड़ना मत इस रंडी को, कड़ाही मैं देख लुंगी "

बस, न उनकी ताकत में कोई कमी थी न आसन के ज्ञान में, रीनू के जीजा ने अपनी बहन की दोनों टांगों के बैच अपनी टाँगे डाल के फैलाया और गुड्डी की की जाँघे नितम्ब सब फ़ैल गए, फिर एक ऊँगली पर दूसरी ऊँगली चढ़ाकर एक साथ जड़ तक गुड्डी की गाँड़ में पेल दी।

" उयी उह्ह्ह उईईईईई नहीं भैया "

गुड्डी कुछ दर्द से चीखी कुछ अपने भैया को जोश दिलाने के लिए, लेकिन गुड्डी भी जब से जवानी का पहला पानी चढ़ा था उसके ऊपर तभी से अपने भैया को देख के चींटिया काटती थीं, और अब भैया का साथ दिलाने के लिए, गुड्डी ने अपने दोनों नितम्ब पूरी ताकत से फैला लिए और बस इतना मौका काफी थी,

उँगलियाँ बाहर, सुपाड़ा अंदर, और अबकी गुड्डी वास्तव में दर्द से चिलायी



" ओह्ह भैया, नहीं, उफ्फ्फ, भैया तेरा कित्ता मोटा है, ओह्ह बहुत दर्द हो रहा है "

लेकिन अब उसका भाई उसके दर्द की चिंता नहीं कर रहा था उसे बस मस्ती की पड़ी थी, अगला धक्का और जोरदार और सुपाड़ा अंदर "

" बस बहना, घबड़ा मत तेरे प्यारे मोटू का सुपाड़ा अंदर चला गया है, अब तो रास्ता वो बना लेगा, बस दो मिनट और बर्दास्त कर ले"

और कचकचा के गुड्डी के मालपुआ वैसे गाल उन्होंने काट लिए, निपल पे पिंच कर लिया, एक हाथ बुलबुल को सहला रहा था

जैसे मछली को तैरना नहीं सिखाना पड़ता वैसे ननदों को छिनरपन नहीं सिखाना पड़ता, और गुड्डी तो छिनार में छिनार, उसने खुद एक टांग फैला के थोड़ी ऊपर दीवाल के सहारे, और भैया उसके इशारा समझने लग गए थे।



रस्ता थोड़ा चौड़ा हुआ और घुड़सवार दौड़ पड़ा, सामने खैबर का दर्रा था, एकदम संकरा, लेकिन उसके पार थी मस्ती की घाटी। सवार ने घोड़े को एड मारी और घुसा दिया दर्रे में,

उयी उयी नहीं ऑगगग उफ्फफ्फ्फ़ गुड्डी चीख रही थी, उसकी चीख कान बेध रही थी, लगा रहा था जैसे कसी भोंथरे चाकू से नन्हे मेमंने को हलाल किया जा रहा हो।

लेकिन यही चीखें तो और ऐड लगाती है घोड़े को, बिना घुड़सवार के कहे घोडा सुन के जोश में आ जाता है, खैबर का दर्रा पार हुआ और धीरे धीरे पूरा अंदर,

वो ठेलते गए, पेलते गए, ढकेलते गए, बहना चीखती रही, जल बिन मीन की तरह तड़पती रही, लेकिन उनकी जबरदस्त पकड़। मछली तड़प सकती थी, फिसल सकती थी, चंगुल से बाहर नहीं निकल सकती थी।

जब मंजिल तक, पूरे एक बित्ते उनकी बहन का यार, उनका मोटू अंदर घुस गया जड़ तक तब वो रुके और कुछ देर बाद गुड्डी की चीखे बंद हुयी, पहले सुबकियों में बदलीं फिर सिसकियों में।



और अब उनकी दो ऊँगली भी गुलाबो के अंदर और वो लंड से कम मजा नहीं दे रही थीं उन्हें एक एक नर्व एंडिंग जी प्वाइंट सब मालूम था

कभी गोल गोल कभी चम्मच की तरह मोड़ के, और दो मिनिट में ही बहिनिया पिघलने लगी, मस्ती बुर में आ रही थी और सिकोड़ वो गाँड़ रही थी,


लेकिन तभी एक चीख की आवाज सुनाई पड़ी, गुड्डी की कोमल भाभी की, उस खिड़की से लिविंग रूम काफी कुछ दिखता था जिसमे गुड्डी की भाभी और उनके दोनों जीजू, और उस चीख के बाद कमल जीजू की हलकी सी आवाज,

और भाभी और उनके जीजू भी हलके से दिखे, मतलब भाभी की भी उनके जीजू खड़े खड़े ले रहे थे .

गुड्डी एकदम सोच के गरमा गयी

लेकिन उससे ज्यादा असर उसके भैया पर पड़ा, वो धक्के उन्होंने अपनी बहिनिया के पिछवाड़े मारने शुरू किये की जैसे आज गुड्डी की गाँड़ का गोदाम बना के ही छोड़ेंगे, हर धक्का जड़ तक, पूरा बांस बाहर तक निकाल के एक धक्के में और ये चौथी बार थी जो आज गुड्डी की उसके भैया ले रहे थे तो गुदा सुरंग में जहाँ कहीं भी छिला था, चमड़ी खुली थी, फटी थी, उसे दरेरते रगड़ते




गुड्डी अब थोड़ा झुक गयी थी, खिड़की पकड़ के

और उसको भी आराम हो गया था और उसके यार और भतार को भी, धक्के और धुआंधार हो गए थे, लेकिन गुड्डी भी अब गुदा द्वार का मजा लेना मरवा मरवा के एक दिन के अंदर सीख गयी थी, कभी सिकोड़ती, कभी फैलाती कभी खुद धक्के मारती तो कभी भाई को उकसाती,

" हाँ भैया ऐसे ही, सच्ची तुझे अपने कोचिंग वालियों की अपनी सहेलियों की भी दिलवाऊंगी, एकदम कच्ची कलियाँ, दर्जा नौ दस वाली, दोनों ओर बिन फटी, अगवाड़े की भी झिल्ली फाड़ना और पिछवाड़े की भी, स्साली चिचियायेंगी बहुत लेकिन मैं रहूंगी न हाथ पैर पकड़ के, और एक बात बताऊँ राज की, लेकिन एकदम अपने तक रखना, "

" बोल न, " कमर पकड़ के सुपाड़ा ऑलमोस्ट बाहर निकाल के उसके भैया बोले,

" स्साला एक बार मादरचोद, तेरा पानी जिस लौंडिया के पिछवाड़े गिरा न, खुद हाथ पैर जोड़ेगी, अपनी छोटी बहनों को सहेलियों को ले आएगी बहुत असर है मेरे प्यारे अच्छे भैया के पानी में " मस्त बहन बोली और खुद पीछे धक्का मारा



और खूंटा फिर अंदर, गप्प

बस आगे दोनों ऊँगली बिल में और लंड बहन की गाँड़ में थोड़ी देर में गुड्डी झड़ रही थी, पर उन्होंने ऊँगली बाहर नहीं निकाली और निकाली तो बहन के मुंह में और पीछे के धक्को की स्पीड बढ़ा दी, पांच सात मिनट के बाद जब वो बहन की गाँड़ में झड़े तो गुड्डी भी दुबारा झड़ रही थी।



लेकिन अब उन दोनों के पास बहुत टाइम नहीं था, रीनू की आवाज आयी, हे बहनचोद, भाई चोद, अब आधे घंटे टाइम मुश्किल से बचा है, मेरी बिरयानी तैयार हो गयी है, चलो काम पे लग जाओ।
Very hot update. Guddi or uske bhai , dono ka pichwade ka chaska lag gya
 

Random2022

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स्वीट डिश
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" हे रंडी रानी, अभी तुझे स्वीट डिश बनानी है, टेबल सेट करनी है " रीनू ने गुड्डी के चूतड़ों पे प्यार से एक हाथ कस के मारते हुए बोला,

और गुड्डी के पिछवाड़े से एक कतरा भाई की मलाई का निकल पड़ा, वो मीठी निगाह से अपने भाई की ओर देखते, बोली, " मीठी भाभी, चल मैं तो रंडी हूँ, लेकिन वो रंडी का भाई क्या हुआ ?"

" भंडुआ, बहन का दल्ला और क्या " हँसते हुए रीनू बोली,

" हे भंडुए चल जरा अपनी बहन की हेल्प कर, वो पांच छ दसहरी आम निकाल के उनकी लम्बी लम्बी स्लाइस काट ले, " गुड्डी ने अपने भैया को स्वीट डिश बनाने के काम पे लगा दिया और बाकी काम में वो खुद,

" थोड़ा मैरीनेट तो करा दे भैया ज्यादा टैंगी हो जाएगा, भैया मेरे "


गुड्डी ने अपनी चम्पाकली की दोनों फांको को फैला के अपने भाई को लुहकाया और कौन भाई छोड़ देता तो बस एक साथ दो तीन लम्बी लम्बी आम की फांके गुड्डी रानी की चूत में,

" चल फ़ास्ट मैरीनेट करा देता हूँ "

हँसते हुए उसके भाई ने बोला और गुड्डी की सीधे क्लिट चूसने लगा और साथ में उँगलियों से दोनों फांको को रगड़ने लगा, और चासनी निकलने लगी, आम की फांके चूत रस में भीग उठीं।


भाई बहन की ये टीम, भाई के जिम्मे अभी भुना गोश्त बनाना बाकी था। अपनी चूत में आम की फांके घुसाए गुड्डी अपने भैया के के लिए सब मसाले, 2-3, तेज पत्ता, 4 लौंग, लंबी ,¼ इंच दालचीनी छड़ी, 2-3 हरी मिर्च, आधी तोड़ी हुई, हरी मिर्च, 4 मध्यम प्याज, कटा हुआ, प्याज. 1 बड़ा चम्मच नरम धनिया का तना, मोटा कटा हुआ, धनिया के दाने,1 ½ बड़ा चम्मच धनिया पाउडर,1 छोटा चम्मच देगी लाल मिर्च पाउडर, दे, गी लाल मिर्च पाउडर½ छोटा चम्मच हल्दी पाउडर, हल्दी पाउडर, 1 चम्मच अदरक लहसुन का पेस्ट

जिस काम में दस पंद्रह मिनट लगता, भाई बहन ने मिल के ५ मिनट में निबटा दिया और फिर जब तक उसका भाई गोश्त भुनने में लगा था गुड्डी स्वीट डिश के बाकी काम में

चल भैया तुझे स्वीट डिश टेस्ट कराती हूँ, गुड्डी उछल के भाई के बगल में ,

क्या मस्त स्वीट डिश थी, भाई स्पेशल,

गुड्डी ने अपनी कसी चूत में आम की लम्बी फांके, खोंस रखी थी और उसके ऊपर क्रीम, ढेर सारी लथेड़ दी थी। और उसके भाई चूस चाट रहे थे। आम की सारी फांके भाई के मुंह में और क्रीम चेहरे पे



रीनू अपने जीजू की मस्ती देख रही थी और गुड्डी की हेल्प में स्वीट डिश सेट कर रही थी, वाइन के प्याले में क्रीम , मैंगो की लम्बी लम्बी फांके, ग्रेप्स के टुकड़े और सबसे ऊपर गारिंश के लिए एक चेरी।

जब तक गुड्डी और रीनू ने मिल के टेबल सेट की, भुना गोश्त और रोगन जोश भी तैयार था। बैगन की कलौंजी रीनू ने पहले ही तैयार कर दी थी।


लेकिन गुड्डी की हालत खराब थी, वो चल नहीं पा रही थी, कभी दीवाल का सहारा लेती तो कभी टेबल का, सुबह से चार बार उसके पिछवाड़े मोटा बांस जा चका था और किचेन में तो और रगड़ के ली गयी, फिर चार मोटे बैगन भी, एकदम जड़ तक, जोर जोर की चिल्ख उठ रही थी.
और थोड़ी देर में सभी लोग लंच के लिए टेबल पे, टंकी सब की खाली हो गयी थी, दो दो राउंड मलाई निकल गयी थी, दिन अभी बाकी था।

हांडी चिकेन,



भुना गोश्त,


रोगनजोश, बैगन की कलौंजी, बिरयानी


और गुड्डी की पेसल स्वीट डिश

लंच के समय भी मस्ती चलती रही।
Waiting for update
 

arushi_dayal

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स्वीट डिश
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" हे रंडी रानी, अभी तुझे स्वीट डिश बनानी है, टेबल सेट करनी है " रीनू ने गुड्डी के चूतड़ों पे प्यार से एक हाथ कस के मारते हुए बोला,

और गुड्डी के पिछवाड़े से एक कतरा भाई की मलाई का निकल पड़ा, वो मीठी निगाह से अपने भाई की ओर देखते, बोली, " मीठी भाभी, चल मैं तो रंडी हूँ, लेकिन वो रंडी का भाई क्या हुआ ?"

" भंडुआ, बहन का दल्ला और क्या " हँसते हुए रीनू बोली,

" हे भंडुए चल जरा अपनी बहन की हेल्प कर, वो पांच छ दसहरी आम निकाल के उनकी लम्बी लम्बी स्लाइस काट ले, " गुड्डी ने अपने भैया को स्वीट डिश बनाने के काम पे लगा दिया और बाकी काम में वो खुद,

" थोड़ा मैरीनेट तो करा दे भैया ज्यादा टैंगी हो जाएगा, भैया मेरे "


गुड्डी ने अपनी चम्पाकली की दोनों फांको को फैला के अपने भाई को लुहकाया और कौन भाई छोड़ देता तो बस एक साथ दो तीन लम्बी लम्बी आम की फांके गुड्डी रानी की चूत में,

" चल फ़ास्ट मैरीनेट करा देता हूँ "

हँसते हुए उसके भाई ने बोला और गुड्डी की सीधे क्लिट चूसने लगा और साथ में उँगलियों से दोनों फांको को रगड़ने लगा, और चासनी निकलने लगी, आम की फांके चूत रस में भीग उठीं।


भाई बहन की ये टीम, भाई के जिम्मे अभी भुना गोश्त बनाना बाकी था। अपनी चूत में आम की फांके घुसाए गुड्डी अपने भैया के के लिए सब मसाले, 2-3, तेज पत्ता, 4 लौंग, लंबी ,¼ इंच दालचीनी छड़ी, 2-3 हरी मिर्च, आधी तोड़ी हुई, हरी मिर्च, 4 मध्यम प्याज, कटा हुआ, प्याज. 1 बड़ा चम्मच नरम धनिया का तना, मोटा कटा हुआ, धनिया के दाने,1 ½ बड़ा चम्मच धनिया पाउडर,1 छोटा चम्मच देगी लाल मिर्च पाउडर, दे, गी लाल मिर्च पाउडर½ छोटा चम्मच हल्दी पाउडर, हल्दी पाउडर, 1 चम्मच अदरक लहसुन का पेस्ट

जिस काम में दस पंद्रह मिनट लगता, भाई बहन ने मिल के ५ मिनट में निबटा दिया और फिर जब तक उसका भाई गोश्त भुनने में लगा था गुड्डी स्वीट डिश के बाकी काम में

चल भैया तुझे स्वीट डिश टेस्ट कराती हूँ, गुड्डी उछल के भाई के बगल में ,

क्या मस्त स्वीट डिश थी, भाई स्पेशल,

गुड्डी ने अपनी कसी चूत में आम की लम्बी फांके, खोंस रखी थी और उसके ऊपर क्रीम, ढेर सारी लथेड़ दी थी। और उसके भाई चूस चाट रहे थे। आम की सारी फांके भाई के मुंह में और क्रीम चेहरे पे



रीनू अपने जीजू की मस्ती देख रही थी और गुड्डी की हेल्प में स्वीट डिश सेट कर रही थी, वाइन के प्याले में क्रीम , मैंगो की लम्बी लम्बी फांके, ग्रेप्स के टुकड़े और सबसे ऊपर गारिंश के लिए एक चेरी।

जब तक गुड्डी और रीनू ने मिल के टेबल सेट की, भुना गोश्त और रोगन जोश भी तैयार था। बैगन की कलौंजी रीनू ने पहले ही तैयार कर दी थी।


लेकिन गुड्डी की हालत खराब थी, वो चल नहीं पा रही थी, कभी दीवाल का सहारा लेती तो कभी टेबल का, सुबह से चार बार उसके पिछवाड़े मोटा बांस जा चका था और किचेन में तो और रगड़ के ली गयी, फिर चार मोटे बैगन भी, एकदम जड़ तक, जोर जोर की चिल्ख उठ रही थी.
और थोड़ी देर में सभी लोग लंच के लिए टेबल पे, टंकी सब की खाली हो गयी थी, दो दो राउंड मलाई निकल गयी थी, दिन अभी बाकी था।

हांडी चिकेन,



भुना गोश्त,


रोगनजोश, बैगन की कलौंजी, बिरयानी


और गुड्डी की पेसल स्वीट डिश

लंच के समय भी मस्ती चलती रही।
बचपन में जो बहना अपने भैया की गोद में खेली थी

आज वही छोटी बहना भैया ने अपने लंड से पेली थी

बचपन में जो भैया बहना के लिए लॉलीपॉप है लाता

आज वही भैया उस बहना को अपना लंड है चुसवाता

रूठी बहना देखके विचलित हो जाताथा जिसका मन

आज उसकी बहना की चूत में डाल रहा है अपना लन

जिस प्यारी बहना से आजतक उसने राखी है बंधवाई

उसी नटखट बहन की पूरी रात ही हुई है आज चुदाई

बचपन में नहीं थकती थी वोजिसको कहते कहते भैया

उसके लंड पर कूद रही है मन से मान के उसको सैया

डॉक्टर की छोटी सी सुई से जो लड़की थी डर जाती

भैया का मोटा लंड लेने से अब वो कभी नहीं घबराती

जिस भैया ने खाई कसम करेगा योवन की रखवाली

आज उसी भैया को बहना ने अपनी गांड भी है दे डाली

भैया की छुई चीज को लेने से जो करती थी अनाकानी

आज उसी भैया के लंड से निकला वो पीगई पूरा पानी
 

komaalrani

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टाईम मिलता नहीं निकालना पड़ता है..
एकदम सही कहा आपने, और कमेंट देने वाले की प्रायरिटी पर डिपेंड करता है, अगर उसे १०० कमेंट करने हैं तो शुरू कहाँ से करता है,

आखिर मैं भी तो तीन कहानी एक साथ लिख रही हूँ, पोस्ट कर रही हूँ और कुछ कहानियों पर नियमित कमेंट्स भी देती हूँ,

अगर व्यूज न हो, कमेंट न हो, तो लिखने का फायदा ही क्या,
 

komaalrani

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औरतों की लालसा मर्दों से कई गुना ज्यादा होती है..
लेकिन वो शब्दों या अपने एक्शन से व्यक्त नहीं करती...
औरतें अपनी भावनाएं कई ढंग से व्यक्त करती हैं ( विमल साडी के विज्ञापन की एक पुरानी टैग लाइन )
 

komaalrani

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क्या पता.. किसका किसका नंबर लगेगा...
लेकिन नंबर लगेगा ये तो तय है, जैसे दाने दाने पर खाने वाले का नाम लिखा होता है, वैसे ही,
 

komaalrani

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कोर्स के साथ साथ सास ने किचन में अमली शिक्षा देकर नॉन वेज में भी पारंगत कर दिया...
कोचिंग वालों के लिए सेल्फी भी.. साथ में हुकुम...
अब तो कोचिंग के लड़के लाइक डालने के साथ कुछ और भी डालने के लिए खड़ा कर चुके होंगे...
उफ्फ बैंगन की कलौंजी भी...
असली ट्रेनिंग तो सास ने ही दी और झिझक भी ख़तम की, साथ में मंजू और गीता भी
 

komaalrani

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स्पेशल बैंगन तो चूत में हीं मैरिनेट होगी...
कडुआ तेल से ज्यादा चिकनाई का इस्तेमाल हुआ..
साजन के न बोल पाने का यही इलाज है कि हाजिरजवाबी की भी ट्रेनिंग और कोचिंग हो...
मटन पीस बैंगन के साइज का.. गुड्डी तो किचन में भी मटन पीस को रेडी करके रख दी...
ये भौजाइयों की ननदो के लिए खास रेसिपी है, और उसका जादुई असर होता है, ननद को भी मजा और उसके भाई को भी,

ननद की ट्रेनिंग मेरी पहली लम्बी कहानी में भी ऐसी ही मैरीनेट किये बैगन की पकौड़ी ननद के भाई ने खायी थी

लेकिन इस बार चिकनाई भी भाई ने बनायी चूस चाट के, शुद्ध आर्गेनिक और बैगन घुसा भी उनके सामने,

असर तो ननद के भैया पे होना ही था,
 
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