बहुत ही खुबसुरत और लाजवाब मदमस्त अपडेट है मजा आ गयाअभी तक आपने पढा की लीला ने रुपा को चौराहे पर जाकर अपने पिशाब से राजु के लण्ड को धोकर उसे भी राजु के पिशाब से अपनी चुत को धुलवाने के लिये मना लिया था जिससे चौराहे पर आकर रुपा ने राजु के लण्ड को तो अपने मुत से धो दिया था मगर ये सब करते करते उसकी हालत खराब हो गयी थी अब उसके आगे....
टोटके के हिशाब से अब राजु को रुपा की चुत पर पिशाब करके उसे धोना था इसलिये अनायास ही रुपा की नजर अब राजु के लण्ड पर चली गयी, जो की उसके पिशाब से भीगकर अलग ही चमक सा रहा था और उत्तेजना के मारे हल्के हल्के झटके से खा रहा था। एक नजर राजु के लण्ड की ओर देख...
"चल अब तु भी पिशाब करके धो दे यहाँ..!" ये कहते हुवे रुपा अब राजु के पास आकर खङी हो गयी जिससे...
"क्.क्.क्या्..?" राजु को जैसे अपने कानो पर यकिन नही हुवा की उसकी जीज्जी ने उसे ये क्या कह दिया है इसलिये हैरानी के मारे उसने रुपा के चेहरे की ओर देखते हुवे पुछा।
"त्. तु्म्हे् भी मेरे उपर पिशाब करके हाथ से यहाँ धोना है..!" शरम हया के मारे रुपा ने अपनी चुत का नाम तो नही लिया मगर हाथ से अपनी चुत की ओर इशारा करते हुवे कहा, मगर राजु को ये सुनकर ही जैसे साँप सा सुँघ गया...
लीला ने उसे जो कुछ कहा था उन बातो का मतलब उसे अब समझ आ रहा था इसलिये वो एकदम सुन्न सा होकर रह गया...
"ओ्य् राजु्..! क्या हुवा..? चल जल्दी कर फिर घर चलते है..!" रुपा ने अब खुद ही अपनी कमर को थोङा आगे करके अपनी चुत को राजु के लण्ड के पास लाते हुवे कहा जिससे...
राजु ने भी अब अपने लण्ड को दबाकर पहले तो उसे सीधा किया, फिर अपनी पिशाब की थैली की माँशपेशियो से लण्ड पर जोर लगाया तो उसके लण्ड से निकलकर मुत की मोटी धार सीधा रुपा की चुत से टकराने लगी... अपने लण्ड से मुत की धार छोङते छोङते उसने अब रुपा की चुत को धोने के लिये डरते डरते अपना एक हाथ उसकी ओर बढाया ही था की तब तक अपनी चुत पर गर्म गर्म पिशाब की इतनी तेज धार के टकराने से रुपा सुबक सी उठी और...
"ओय्.ह् ईश्श्.." करके वो तुरन्त पीछे हट गयी...
रुपा के पीछे हटने से राजु भी अब सकते मे आ गया इसलिये वो उसकी चुत पर बस थोङा सा ही मुतकर रुक गया, मगर अपनी चुत पर राजु का गर्म गर्म पिशाब के पङने से रुपा की चुत सुलग सी उठी थी। अपनी प्यासी चुत पर राजु के लण्ड से निकलकर पङने वाली गर्म गर्म मुत की धार को महसूस करके कही ना कही रुपा को भी अच्छा लगा था। वैसे भी उसे ये टोटका पुरा करना था इसलिये एक बार तो वो पीछे हटी मगर फिर...
"ले अब कर...!" ये कहते हुवे उसने वापस आगे होकर अपनी चुत को राजु के लण्ड के पास कर लिया।
राजु ने भी अब फिर से उसकी चुत पर मुतना शुरु कर दिया तो एक बार फिर डरते डरते अपना हाथ भी उसकी जाँघो के बीच ले जाकर उसकी चुत पर रख दिया, जिससे रुपा अब फिर से सुबक सी उठी, मगर इस बार वो पीछे नही हटी, बल्की अपना जो खाली हाथ था उससे राजु के कन्धे को पकङकर उसने अपनी जाँघो को थोङा फैला दिया ताकी राजु का हाथ उसकी चुत पर अच्छे से पहुँच सके...!
राजु ने पहली बार किसी की नँगी चुत को छुआ था इसलिये चुत की कोमल त्वचा के छुवन से ही उसके बदन मे सिँहरन की एक लहर सी दौङ गयी। उसने रुपा की चुत को पहले तो टटोलकर देखा, फिर उस पर अपने लण्ड से मुत की धार छोङते हुवे हल्के हाथ से धीरे धीरे मलना शुरु कर दिया जिससे रुपा की साँसे और भी तेज हो गयी...
राजु पहली बार चुत को छु रहा था इसलिये रुपा की चुत को मलने के बहाने वो अपने हाथ की उँगलियो से ही उसकी पुरी चुत को टटोलकर धीरे धीरे उसका मुआईना सा करने लगा जिससे रुपा की साँसे जोरो से उपर नीचे होने लगी, वो रपहले ही उत्तेजना महसूस कर रही थी अब अपनी चुत पर राजु की उँगलियों के स्पर्श से उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारीयाँ सी भी फुटना शुरु हो गयी..
वैसे भी बस माचिस की डिब्बिया के समान रुपा की चुत छोटी सी ही तो थी जिससे राजु की उँगलियाँ उसकी पुरी चुत पर घुम रही थी। राजु ने पहले तो रुपा की चुत को उपर उपर से ही टटोलकर उसे उँगलियों से मल रहा था, मगर उसे जब चुत की फाँको का अहसास हुवा तो उसने अपनी उँगलियों को चुत की फाँको के बीच उतार दिया जिससे रुपा को अब अपने पुरे बदन मे सिँहरन सी महसूस होने लगी...
राजु अपनी उँगलियो को उसकी चुत की फाँको के बीच के भाग को मलते मलते धीरे धीरे नीचे उसके प्रवेशद्वार की ओर बढा रहा था जिससे रुपा के दिल की धङकन अब बढ सी गयी। उसे नही मालुम था की चुत का प्रवेशद्वार कहाँ पर और कैसा होता है, मगर जैसे जैसे वो अपनी उँगलियो को नीचे की ओर बढा रहा था वैसे वैसे ही उसे अपनी उँगलियों पर चुत की गर्मी का अहसासा हो रहा था जिससे रुपा के दिल की धङकन भी बढती जा रही थी तो उसकी साँसे भी फुल सी आई थी मगर वो कुछ बोल नही पा रही थी इसलिए चुत की फाँके के बीच के भाग को मलते मलते अबकी बार जैसे ही राजु ने अपनी उँगलियों को थोङा और नीचे तक लेकर गया, उसकी बीच वाली उँगली का पौरा मुङकर "गप्प्.." से उसकी चुत मे उतर गया जिससे उत्तेजना के वश...
"ईश्श्श्..ओय्.ह्..!" की सित्कार सी भरकर रुपा जोरो से सिसक उठी और स्वतः ही उसकी जाँघे कँपकँपाकर बन्द हो गयी।
राजु को कुछ भी नही मालुम था की ये क्या हुवा और क्यो हुवा..? मगर रुपा के सित्कारने से वो एकदम डर सा गया और उसने तुरन्त अपने हाथ को खीँचकर उसकी चुत पर से हटा लिया। उत्तेजना व आनन्द के के मारे रुपा मानो जैसे आसमान मे उड सी रही थी मगर अब राजु के डरकर उसे ऐसे छोङ देने से रुपा को ऐसा लगा मानो वो आसमान मे उङते उङते अचानक धरातल पर आ गीरी हो जिससे...
"अ्ह्.ह्.हा.ओ..हो गया...?" उत्तेजना के कारण रुपा हाँफ सी रही थी इसलिये उसने अब अपनी उखङती साँसो को काबु मे करते हुवे पुछा। वैसे भी तब तक राजु के पिशाब की धार कमजोर पङ गयी थी इसलिये रुपा को छोङकर वो अब पीछे हट गया और...
"अ्.ह्.हाँ..ज्.जिज्जी.ई.!" राजु की साँसे भी जोरो चल रही थी इसलिये उसने भी अपनी साँसो को रोकते हुवे कहा।
रुपा अब कुछ देर तो ऐसे ही वही खङे खङे हाँफती सी रही, फिर...
"चल तो अब घर चलते..!" रुपा ने अब वापस अपने हाथ से अपनी चुत को छुपाते हुवे कहा जिससे राजु भी अपना एक हाथ अपने लण्ड को छुपाकर चुपचाप आगे होकर घर के लिये चलने लगा तो रुपा भी एक हाथ से अपनी चुँचियो को तो दुसरे हाथ से अपनी चुत छिपाकर उसके पीछे पीछे ही चलकर घर आ गयी।
बहुत ही शानदार और जानदार मदमस्त अपडेट है भाई मजा आ गयालीला उनका घर के दरवाजे पर ही इन्तजार कर रही थी।राजु आगे था और रुपा उसके पीछे इसलिये लीला की नजर अब राजु पर गयी तो उसकी आँखो मे एक चमक सी आ गयी, क्योंकि वैसे तो राजु एक हाथ से अपने लण्ड को छुपाये हवे था मगर उसके लण्ड का फुला हुवा सुपाङा उसके हाथ से छुपाने के बावजूद भी हल्का हल्का नजर आ रहा था जिसे देख लीला को भी अपने बदन मे अब एक बार तो सिँहरन सी महसूस हुई मगर तब तक राजु सीधे कमरे मे घुस गया इसलिये एक नजर राजु की ओर देख...
"हो गया सब ठीक से..?" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे पुछा, जिससे...
"हू्ऊ्म्म्..." कहते हुवे रुपा भी कमरे मे आ गयी।
कमरे मे आकर राजु अब अपने कपङे पहनने लगा था। वैसे तो कमरे का बल्ब बन्द था जिससे वहाँ अन्धेरा ही था मगर दरवाजे से जो चाँद की रोशनी अन्दर आ रही थी उससे थोङा बहुत तो नजर आ ही रहा था। लीला भी रुपा के पीछे ही तब तक कमरे मे आ गयी थी इसलिये उसने अब राजु को कपङे पहनते देखा तो.....
"अभी कपङे नही पहनने..! रात भर तुम्हे ऐसे ही रहना है..!" लीला ने उसे अब रोकते हुवे कहा।
अभी अभी उसके व रुपा के बीच ये जो कुछ भी हुवा था उससे वो अभी तक एकदम सुन्न सा हो रखा था इसलिये वो अब चुपचाप ऐसे ही पलँग पर दुसरी ओर मुँह करके लेट गया। नँगे बदन उसे थोङी ठण्ड सी लग रही थी इसलिये उसने उपर से पास ही रखी चद्दर को ओढ लिया।
"चलो तुम दोनो अब सो जाओ..! मै खेत मे जा रही हुँ..!" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे कहा जिससे..
"अभी इतनी रात मे..? रुपा ने टोकते हुवे पुछा।
"तो क्या हुवा..? आँवारा पशु रात को खेत मे घुसकर फसल खराब करे, इससे अच्छा मै जाकर देख तो लुँगी..!, चल तु बाहर आकर घर का दरवाजा अन्दर से बन्द कर ले..!" ये कहते हुवे लीला अब कमरे से बाहर आ गयी जिससे लीला तो खेत मे चली गयी और रुपा दरवाजे की कुण्डी लगाकर वापस कमरे मे आ गयी..!
Shaandar hot Kamuk updateलीला उनका घर के दरवाजे पर ही इन्तजार कर रही थी।राजु आगे था और रुपा उसके पीछे इसलिये लीला की नजर अब राजु पर गयी तो उसकी आँखो मे एक चमक सी आ गयी, क्योंकि वैसे तो राजु एक हाथ से अपने लण्ड को छुपाये हवे था मगर उसके लण्ड का फुला हुवा सुपाङा उसके हाथ से छुपाने के बावजूद भी हल्का हल्का नजर आ रहा था जिसे देख लीला को भी अपने बदन मे अब एक बार तो सिँहरन सी महसूस हुई मगर तब तक राजु सीधे कमरे मे घुस गया इसलिये एक नजर राजु की ओर देख...
"हो गया सब ठीक से..?" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे पुछा, जिससे...
"हू्ऊ्म्म्..." कहते हुवे रुपा भी कमरे मे आ गयी।
कमरे मे आकर राजु अब अपने कपङे पहनने लगा था। वैसे तो कमरे का बल्ब बन्द था जिससे वहाँ अन्धेरा ही था मगर दरवाजे से जो चाँद की रोशनी अन्दर आ रही थी उससे थोङा बहुत तो नजर आ ही रहा था। लीला भी रुपा के पीछे ही तब तक कमरे मे आ गयी थी इसलिये उसने अब राजु को कपङे पहनते देखा तो.....
"अभी कपङे नही पहनने..! रात भर तुम्हे ऐसे ही रहना है..!" लीला ने उसे अब रोकते हुवे कहा।
अभी अभी उसके व रुपा के बीच ये जो कुछ भी हुवा था उससे वो अभी तक एकदम सुन्न सा हो रखा था इसलिये वो अब चुपचाप ऐसे ही पलँग पर दुसरी ओर मुँह करके लेट गया। नँगे बदन उसे थोङी ठण्ड सी लग रही थी इसलिये उसने उपर से पास ही रखी चद्दर को ओढ लिया।
"चलो तुम दोनो अब सो जाओ..! मै खेत मे जा रही हुँ..!" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे कहा जिससे..
"अभी इतनी रात मे..? रुपा ने टोकते हुवे पुछा।
"तो क्या हुवा..? आँवारा पशु रात को खेत मे घुसकर फसल खराब करे, इससे अच्छा मै जाकर देख तो लुँगी..!, चल तु बाहर आकर घर का दरवाजा अन्दर से बन्द कर ले..!" ये कहते हुवे लीला अब कमरे से बाहर आ गयी जिससे लीला तो खेत मे चली गयी और रुपा दरवाजे की कुण्डी लगाकर वापस कमरे मे आ गयी..!
Nice update broलीला उनका घर के दरवाजे पर ही इन्तजार कर रही थी।राजु आगे था और रुपा उसके पीछे इसलिये लीला की नजर अब राजु पर गयी तो उसकी आँखो मे एक चमक सी आ गयी, क्योंकि वैसे तो राजु एक हाथ से अपने लण्ड को छुपाये हवे था मगर उसके लण्ड का फुला हुवा सुपाङा उसके हाथ से छुपाने के बावजूद भी हल्का हल्का नजर आ रहा था जिसे देख लीला को भी अपने बदन मे अब एक बार तो सिँहरन सी महसूस हुई मगर तब तक राजु सीधे कमरे मे घुस गया इसलिये एक नजर राजु की ओर देख...
"हो गया सब ठीक से..?" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे पुछा, जिससे...
"हू्ऊ्म्म्..." कहते हुवे रुपा भी कमरे मे आ गयी।
कमरे मे आकर राजु अब अपने कपङे पहनने लगा था। वैसे तो कमरे का बल्ब बन्द था जिससे वहाँ अन्धेरा ही था मगर दरवाजे से जो चाँद की रोशनी अन्दर आ रही थी उससे थोङा बहुत तो नजर आ ही रहा था। लीला भी रुपा के पीछे ही तब तक कमरे मे आ गयी थी इसलिये उसने अब राजु को कपङे पहनते देखा तो.....
"अभी कपङे नही पहनने..! रात भर तुम्हे ऐसे ही रहना है..!" लीला ने उसे अब रोकते हुवे कहा।
अभी अभी उसके व रुपा के बीच ये जो कुछ भी हुवा था उससे वो अभी तक एकदम सुन्न सा हो रखा था इसलिये वो अब चुपचाप ऐसे ही पलँग पर दुसरी ओर मुँह करके लेट गया। नँगे बदन उसे थोङी ठण्ड सी लग रही थी इसलिये उसने उपर से पास ही रखी चद्दर को ओढ लिया।
"चलो तुम दोनो अब सो जाओ..! मै खेत मे जा रही हुँ..!" लीला ने अब रुपा की ओर देखते हुवे कहा जिससे..
"अभी इतनी रात मे..? रुपा ने टोकते हुवे पुछा।
"तो क्या हुवा..? आँवारा पशु रात को खेत मे घुसकर फसल खराब करे, इससे अच्छा मै जाकर देख तो लुँगी..!, चल तु बाहर आकर घर का दरवाजा अन्दर से बन्द कर ले..!" ये कहते हुवे लीला अब कमरे से बाहर आ गयी जिससे लीला तो खेत मे चली गयी और रुपा दरवाजे की कुण्डी लगाकर वापस कमरे मे आ गयी..!
Erotic update. Rupa chudne ke liye tayyar hai.अभी तक आपने पढा की लीला ने रुपा को चौराहे पर जाकर अपने पिशाब से राजु के लण्ड को धोकर उसे भी राजु के पिशाब से अपनी चुत को धुलवाने के लिये मना लिया था जिससे चौराहे पर आकर रुपा ने राजु के लण्ड को तो अपने मुत से धो दिया था मगर ये सब करते करते उसकी हालत खराब हो गयी थी अब उसके आगे....
टोटके के हिशाब से अब राजु को रुपा की चुत पर पिशाब करके उसे धोना था इसलिये अनायास ही रुपा की नजर अब राजु के लण्ड पर चली गयी, जो की उसके पिशाब से भीगकर अलग ही चमक सा रहा था और उत्तेजना के मारे हल्के हल्के झटके से खा रहा था। एक नजर राजु के लण्ड की ओर देख...
"चल अब तु भी पिशाब करके धो दे यहाँ..!" ये कहते हुवे रुपा अब राजु के पास आकर खङी हो गयी जिससे...
"क्.क्.क्या्..?" राजु को जैसे अपने कानो पर यकिन नही हुवा की उसकी जीज्जी ने उसे ये क्या कह दिया है इसलिये हैरानी के मारे उसने रुपा के चेहरे की ओर देखते हुवे पुछा।
"त्. तु्म्हे् भी मेरे उपर पिशाब करके हाथ से यहाँ धोना है..!" शरम हया के मारे रुपा ने अपनी चुत का नाम तो नही लिया मगर हाथ से अपनी चुत की ओर इशारा करते हुवे कहा, मगर राजु को ये सुनकर ही जैसे साँप सा सुँघ गया...
लीला ने उसे जो कुछ कहा था उन बातो का मतलब उसे अब समझ आ रहा था इसलिये वो एकदम सुन्न सा होकर रह गया...
"ओ्य् राजु्..! क्या हुवा..? चल जल्दी कर फिर घर चलते है..!" रुपा ने अब खुद ही अपनी कमर को थोङा आगे करके अपनी चुत को राजु के लण्ड के पास लाते हुवे कहा जिससे...
राजु ने भी अब अपने लण्ड को दबाकर पहले तो उसे सीधा किया, फिर अपनी पिशाब की थैली की माँशपेशियो से लण्ड पर जोर लगाया तो उसके लण्ड से निकलकर मुत की मोटी धार सीधा रुपा की चुत से टकराने लगी... अपने लण्ड से मुत की धार छोङते छोङते उसने अब रुपा की चुत को धोने के लिये डरते डरते अपना एक हाथ उसकी ओर बढाया ही था की तब तक अपनी चुत पर गर्म गर्म पिशाब की इतनी तेज धार के टकराने से रुपा सुबक सी उठी और...
"ओय्.ह् ईश्श्.." करके वो तुरन्त पीछे हट गयी...
रुपा के पीछे हटने से राजु भी अब सकते मे आ गया इसलिये वो उसकी चुत पर बस थोङा सा ही मुतकर रुक गया, मगर अपनी चुत पर राजु का गर्म गर्म पिशाब के पङने से रुपा की चुत सुलग सी उठी थी। अपनी प्यासी चुत पर राजु के लण्ड से निकलकर पङने वाली गर्म गर्म मुत की धार को महसूस करके कही ना कही रुपा को भी अच्छा लगा था। वैसे भी उसे ये टोटका पुरा करना था इसलिये एक बार तो वो पीछे हटी मगर फिर...
"ले अब कर...!" ये कहते हुवे उसने वापस आगे होकर अपनी चुत को राजु के लण्ड के पास कर लिया।
राजु ने भी अब फिर से उसकी चुत पर मुतना शुरु कर दिया तो एक बार फिर डरते डरते अपना हाथ भी उसकी जाँघो के बीच ले जाकर उसकी चुत पर रख दिया, जिससे रुपा अब फिर से सुबक सी उठी, मगर इस बार वो पीछे नही हटी, बल्की अपना जो खाली हाथ था उससे राजु के कन्धे को पकङकर उसने अपनी जाँघो को थोङा फैला दिया ताकी राजु का हाथ उसकी चुत पर अच्छे से पहुँच सके...!
राजु ने पहली बार किसी की नँगी चुत को छुआ था इसलिये चुत की कोमल त्वचा के छुवन से ही उसके बदन मे सिँहरन की एक लहर सी दौङ गयी। उसने रुपा की चुत को पहले तो टटोलकर देखा, फिर उस पर अपने लण्ड से मुत की धार छोङते हुवे हल्के हाथ से धीरे धीरे मलना शुरु कर दिया जिससे रुपा की साँसे और भी तेज हो गयी...
राजु पहली बार चुत को छु रहा था इसलिये रुपा की चुत को मलने के बहाने वो अपने हाथ की उँगलियो से ही उसकी पुरी चुत को टटोलकर धीरे धीरे उसका मुआईना सा करने लगा जिससे रुपा की साँसे जोरो से उपर नीचे होने लगी, वो रपहले ही उत्तेजना महसूस कर रही थी अब अपनी चुत पर राजु की उँगलियों के स्पर्श से उसके मुँह से हल्की हल्की सिसकारीयाँ सी भी फुटना शुरु हो गयी..
वैसे भी बस माचिस की डिब्बिया के समान रुपा की चुत छोटी सी ही तो थी जिससे राजु की उँगलियाँ उसकी पुरी चुत पर घुम रही थी। राजु ने पहले तो रुपा की चुत को उपर उपर से ही टटोलकर उसे उँगलियों से मल रहा था, मगर उसे जब चुत की फाँको का अहसास हुवा तो उसने अपनी उँगलियों को चुत की फाँको के बीच उतार दिया जिससे रुपा को अब अपने पुरे बदन मे सिँहरन सी महसूस होने लगी...
राजु अपनी उँगलियो को उसकी चुत की फाँको के बीच के भाग को मलते मलते धीरे धीरे नीचे उसके प्रवेशद्वार की ओर बढा रहा था जिससे रुपा के दिल की धङकन अब बढ सी गयी। उसे नही मालुम था की चुत का प्रवेशद्वार कहाँ पर और कैसा होता है, मगर जैसे जैसे वो अपनी उँगलियो को नीचे की ओर बढा रहा था वैसे वैसे ही उसे अपनी उँगलियों पर चुत की गर्मी का अहसासा हो रहा था जिससे रुपा के दिल की धङकन भी बढती जा रही थी तो उसकी साँसे भी फुल सी आई थी मगर वो कुछ बोल नही पा रही थी इसलिए चुत की फाँके के बीच के भाग को मलते मलते अबकी बार जैसे ही राजु ने अपनी उँगलियों को थोङा और नीचे तक लेकर गया, उसकी बीच वाली उँगली का पौरा मुङकर "गप्प्.." से उसकी चुत मे उतर गया जिससे उत्तेजना के वश...
"ईश्श्श्..ओय्.ह्..!" की सित्कार सी भरकर रुपा जोरो से सिसक उठी और स्वतः ही उसकी जाँघे कँपकँपाकर बन्द हो गयी।
राजु को कुछ भी नही मालुम था की ये क्या हुवा और क्यो हुवा..? मगर रुपा के सित्कारने से वो एकदम डर सा गया और उसने तुरन्त अपने हाथ को खीँचकर उसकी चुत पर से हटा लिया। उत्तेजना व आनन्द के के मारे रुपा मानो जैसे आसमान मे उड सी रही थी मगर अब राजु के डरकर उसे ऐसे छोङ देने से रुपा को ऐसा लगा मानो वो आसमान मे उङते उङते अचानक धरातल पर आ गीरी हो जिससे...
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Dono nange ek kamre me band hain. Action to yoga,.लीला उनका घर के दरवाजे पर ही इन्तजार कर रही थी।राजु आगे था और रुपा उसके पीछे इसलिये लीला की नजर अब राजु पर गयी तो उसकी आँखो मे एक चमक सी आ गयी, क्योंकि वैसे तो राजु एक हाथ से अपने लण्ड को छुपाये हवे था मगर उसके लण्ड का फुला हुवा सुपाङा उसके हाथ से छुपाने के बावजूद भी हल्का हल्का नजर आ रहा था जिसे देख लीला को भी अपने बदन मे अब एक बार तो सिँहरन सी महसूस हुई मगर तब तक राजु सीधे कमरे मे घुस गया इसलिये एक नजर राजु की ओर देख...
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"हू्ऊ्म्म्..." कहते हुवे रुपा भी कमरे मे आ गयी।
कमरे मे आकर राजु अब अपने कपङे पहनने लगा था। वैसे तो कमरे का बल्ब बन्द था जिससे वहाँ अन्धेरा ही था मगर दरवाजे से जो चाँद की रोशनी अन्दर आ रही थी उससे थोङा बहुत तो नजर आ ही रहा था। लीला भी रुपा के पीछे ही तब तक कमरे मे आ गयी थी इसलिये उसने अब राजु को कपङे पहनते देखा तो.....
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