दस ग्यारह बजे तक घर के सब निपटाकर वो अब नहा धोकर तैयार हो गयी और रुपा को फकीर बाबा के पास जाने का बोलकर बस अड्ढे पर आ गयी। बस अड्डे से बस पकङकर वो अब किसी फकीर बाबा के पास नही गयी, बल्कि शहर आकर उसने ऐसे ही घर की जरुरत के लिये छोटा मोटा सामान खरीदा और वापस घर आ गयी। घर पर रुपा उसका बेसब्री से इन्तजार कर रही थी इसलिये...
"आ गयी माँ तुम.. क्या बताया फकीर बाबा ने...?" रुपा ने लीला को देखते ही पुछा जिससे...
"अरे..मुझे भीतर तो आने दे...चल भीतर चल.., फिर बैठकर बात करते है..!" ये कहते हुवे लीला कमरे मे घुस गयी और पलँग पर जाकर बैठ गयी।
रुपा भी अपनी माँ के पीछे पीछे ही थी इसलिये वो भी कमरे मे आ गयी और...
"अब तो बता..! क्या बताया बाबा ने...?" ये कहते हुवे रुपा भी उसके पास ही पलँग पर उसकी बगल मे बैठ गयी..
लीला: तुम पर दोष बताया है, तुने शादी से पहले कभी गलती से किसी कब्र पर पिशाब कर दिया था उसका दोष तेरी कोख डस रहा है। वो अब जीन्न बनकर तेरे पीछे पङा हुवा है जो तेरी गोद भी नही भरने दे रहा, और तो और, वो तेरा अब घर भी तोङना चाह रहा है इसलिये उसने दामाद जी को भी अपने वश मे कर लिया है।
लीला ये सब झूठ बोल रही थी, वो किसी भी फकीर बाबा के पास नही गयी थी मगर फिर भी उसने ये इतने विश्वास और इस अन्दाज के साथ कहा की रुपा को बिल्कुल भी इसमे कुछ गलत नही लगा और..
रुपा: हाँ सही कहा..! ये बात तो सही है माँ, पहले वो कभी कुछ नही कहते थे, पर अब तो वो भी अपनी माँ की ओर बोलने लगे है, अब क्या होगा माँ..?
लीला: कुछ नही होगा, सब ठीक हो जायेगा। बस कुछ टोने टोटके है जो तुझे करने होँगे, पहले तुझ पर जो कब्र पर पिशाब करने का जो दोष है चौराहे पर जाकर कुछ टोटके करके उसे उतारना होगा, उससे वो जिन्न तेरा पीछा छोङ देता है तो ठीक..! नही तो तुझे पहाङी वाले लिँगा बाबा पर भी दीया जलाकर कर आना पङेगा..!
रुपा: पर माँ उनके साथ पहले गयी तो थी मै दीया जलाने पहाङी वाले बाबा पर..?
लीला: हाँ..! पर बाबा बोल रहे थे की चौराहे वाले टोटके से उस जिन्न ने तेरा पीछा नही छोङा तो तुझे फिर से वहाँ दीया जलकार आना होगा..!, मगर इस बार दामाद जी के साथ नही जाना किसी और के साथ जाना होगा..!
"दामाद जी तो अब उसी जिन्न के वश मे है उनके साथ तो तु ये टोने टोटके कर नही सकती इसलिये किसी दुसरे मर्द के साथ तुझे ये टोटके करने होँगे..!
रुपा: पर माँ.., उनके साथ नही, तो फिर किसके साथ करुँगी ..? और पहाङी वाले बाबा पर किसके साथ जाऊँगी
लीला: और किसके साथ जयेगी...? राजु को साथ मे ले जाना..!
राजु के साथ पहाङी वाले बाबा पर दीया जलाकर आने की बात रुपा को अब अजीब लगी, क्योंकि लिँगा बाबा पर औरते अपने पति के साथ ही दीया जलाने जाती है इसलिये...
रुपा: पर माँ राजु तो मेरा भाई है, उसके साथ मै कैसे..?
रुपा ने दुखी सी होते हुवे पुछा।
लीला: अरे.. मैने पुछा था बाबा से..., बोल रहे थे ये टोटके है जो किसी मर्द के साथ ही करने है, और राजु है तो मर्द ही ना..!
"वो तु बाद मे देखना, पहले तो तुझ पर जो कब्र पर पिशाब करने का दोष है उसे तो उतारना है। बाबा जी बोल रहे थे की अगर ये दोष उतरने से वो जीन्न तेरा पीछा छोङ देता है तो बाकी के टोटके करने की जरुरत नही पङेगी..!
रुपा: अ.हा्. हाँ.. फिर तो ठीक है..पर इसके लिये क्या करना है..?
रुपा ने अब थोङा खुश होते हुवे उत्सुकता से पुछा जिससे...
लीली: शनिवार की रात बारह बजे तुझे चौराहे पर जाकर अपने सारे कपङे उतारकर वही छोङकर आने है और तुझे अपने यहाँ किसी मर्द से इस पर (चुत पर) पिशाब करवाकर उसके हाथ से इसे धुलवाना होगा...
लीला ने सीधे सीधे चुत का नाम तो नही लिया मगर उसने नीचे रुपा की चुत की ओर इशारा करते हुवे कहा जिससे रुपा भी समझ गयी और..
रुपा: क्या्आ्आ्.....?
लीला: हाँआ्आ्..! तभी तेरा ये कब्र पर पिशाब करने का दोष मिटेगा..!
रुपा: पर माँ, ये सब तो मै बस उनके साथ ही कर सकती हुँ..!
रुपा अब आगे कुछ बोलती तब तक...
लीला: नही..!, दामाद जी तो अब उस जीन्न के ही वश मे है, उनके साथ तो चाहे तु सो, या कुछ भी कर, उससे कुछ फर्क नही पङने वाला, ये सब टोटके तुझे किसी दुसरे मर्द के साथ करने होँगे तब जा के तेरा ये दोष दुर होगा..!
रुपा: पर माँ..! किसी दुसरे मर्द के साथ मै ये सब कैसे कर सकती हुँ..?
लीला: अब फकीर बाबा ने तो यही बताय है की तुझे ये किसी दुसरे मर्द के साथ ही करना होगा..?
रुपा: पर माँ, ये सब तो औरत बस अपने पति के साथ ही कर सकती है, जब उनके साथ नही कर सकती तो फिर किसके साथ करुँगी..?
लीला: तुझे बताया तो, राजु के साथ, और किसके साथ करेगी..?
रुपा: पर माँ राजु के साथ ये सब करते शरम नही आयेगी, और उसके साथ ये सब करते मै अच्छी लगुँगी क्या, वो क्या सोचेगा मेरे बारे मे..?
लीला: इसमे क्या सोचेगा, उसे इतनी समझ भी है जो कुछ सोचेगा..? और ये सब टोने टोटके है जो ऐसे ही करने पङते है..! पहले तुम दोनो नँगे होकर साथ मे नहाते भी तो थे, अब कुछ देर उसके साथ नँगी होकर ये सब कर लेगी तो क्या हो जायेगा..?
रुपा: पर माँ तब की बात और थी, वो छोटा था, पर अब ये सब उसके साथ कैसे कर सकती हुँ..?
लीला: अभी वो कौन सा इतना बङा हो गया..? ठीक से अभी दाढी मुँछ भी निकले नही उसके..!
रुपा: पर माँ...!
लीला: देख ले बेटी..! अब बाबा जी ने तो यही बताया है की तुझे ये टोटके किसी दुसरे मर्द के साथ ही करने है, अगर तु किसी और के साथ मे करना चाहती है तो वो देख ले..? पर तुझे जल्दी करना होगा, नही तो बाबा ने बताया है की तुझ पर दोष का असर बढता जा रहा है जिससे दामाद जी भी अब उसके वश मे आ गये है..!
रुपा: मै अब क्या कहुँ.. ये सब किसी और के साथ कैसे..?
लीला: वैसे राजु नही तो, तु कहे तो पङोस वाले गप्पु से कहुँ..., पर किसी दुसरे का क्या भरोसा..? वैसे ही वो लफँगा है, पता नही बाद मे गाँव मे क्या क्या कहता फिरेगा..! और दुसरे को कोई भरोसा भी तो नही... राजु तो फिर भी घर का है...! देख ले, तु कहे तो मै गप्पु से बात कर लेती हुँ..?
रुपा: नही.. उससे अच्छा तो मै राजु के साथ ही ना कर लुँगी..!
लीला: यही तो मै भी बोल रही हुँ, तु राजु के साथ ही कर ले..! और मै तो बोल रही हुँ तु ये आज रात ही कर ले, आज शनिवार भी है, जब राजु के साथ ही करने है तो फिर किस लिये देर करना..!
रुपा: मै अब क्या कहुँ, मुझे कुछ समझ नही आ रहा..?
लीला ने दोष का असर बढने की बात कही तो रुपा का भी अब मन बदलने लगा था।
लीला: इसमे क्या समझ नही आ रहा..! वैसे भी बस कुछ देर की तो बात है..!
लीला ने रुपा पर दबाव बनाते हुवे कहा जिससे अब...
रुपा: ठीक है क्या करना होगा..?
रुपा ने अब बेमन से कहा, जिससे...
लीला: कुछ नही करना..?, बस रात मे बारह बजे तुम दोनो को चौराहे पर जाकर तुम्हे अपने सारे कपङे उतारकर वही रख देने है, फिर राजु के नीचे उस पर (लण्ड पर) पिशाब करके पहले तो तुझे हाथ से उसके उसे (लण्ड को) अच्छे से धो देना है। ऐसे ही फिर राजु भी तेरे नीचे यहाँ इस पर (चुत पर) पिशाब करके इसे (चुत को) हाथ से अच्छे से धो देगा ताकी तुझ पर जो कब्र पर पिशाब करने का दोष है वो उतर सके..!
"पर माँ राजु के साथ मै इतना सब कैसे करूँगी..? शरम नही आयेगी उसके साथ ये सब करते, नही..नही..! राजु के साथ मै ये सब नही कर सकती..? वो क्या सोचेगा..?" लीला आगे कुछ बताती रुपा दुखी सा होते हुवे बीच मे ही बोल पङी जिससे....
लीला: इसमे क्या सोचेगा.. ? और सोचता है तो सोचने दे, रात के अन्धेरे मे सब हो जायेगा..! उसके बाद दोनो ऐसे ही नँगे आकर रात मे जोङे के साथ सो जाना..!
रुपा : क्या..? यहाँ आकर रातभर उसके साथ बिना कपङो के रहना भी है..?
रुपा ने अब घबराते हुवे कहा जिससे...
लीला: अरे.. तो मै तुझे कौन सा उसके साथ कुछ करने को बता रही हुँ, बस सुबह तक उसके साथ बिना कपङो के ऐसे ही रहना है..!
रुपा: पर इससे क्या होगा माँ..?
लीला: अरे..! तभी तो तेरा कब्र पर पिशाब करने का दोष दुर होगा और वो जीन्न तेरा पीछा छोङेगा...!
"कोई भी मर्द अपनी औरत को किसी दुसरे के साथ सोने देता है क्या..? कोई भी मर्द चाहेगा की उसकी औरत किसी दुसरे मर्द के समाने नँगी हो और ये सब करे...?"
रुपा एकदम चुपचाप टकटकी लगाये लीला की ओर देखे जा रही थी इसलिये...
"अरे बोल ना... " लीला ने रुपा की ओर देखते हुवे कहा जिससे..
रुपा: नही...
लीला: यही बताया है फकीर बाबा ने, अब तेरा पति तो उस जीन्न के वश मे है उसके साथ तु चाहे जो कर, उससे उस जीन्न पर कोई असर नही होगा, मगर जब तुम किसी दुसरे मर्द के सामने ऐसे नँगी रहेगी तभी तो वो जिन्न चीढकर तेरा पीछा छोङकर जायेगा..!
रुपा अब गर्दन झुकाकर बैठ गयी और..
रुपा: पर माँ ये सब मै राजु को करने के लिये मै कैसे कहुँगी...?
रुपा ने दुखी सी होते हुवे कहा जिससे
लीला: उसकी चिँता तु छोङ दे, रात मे जाने से पहले मै उसे अपने आप समझा दुँगी, जैसा तु कहेगी वो चुपचाप बिना कुछ पुछे कर लेगा...
"देखना इसी से तेरे सारे दोष मिट जायेँगे..! अगर ये टोटका ही अच्छे से हो गया तो तुझे पहाङी वाले बाबा पर भी जाने की जरूरत नही पङेगी..!
"जा तु अब चाय बना ले तब तक मै थोङा आराम कर लेती हुँ, फिर दुध भी निकालना है..!" ये कहते हुवे लीला अब पलँग पर लेट गयी और रुपा चाय बनाने के लिये रशोई मे चली गयी।
जिस अन्दाज मे लीला ने रुपा को कब्र पर पिशाब करने का दोष व उस दोष को दुर करने के टोने टोटके के बारे मे बताया, उस पर रुपा को पुरा विश्वास आ गया था मगर राजु के साथ ये सब करने मे उसे बहुत ही अजीब लग रहा था इसलिये वो अब रशोई मे आकर चुपचाप चाय बनाने लग गयी।
दोनो माँ बेटी ने अब साथ मे ही बैठकर चाय पी, फिर लीला तो पशुओं को चारा डालने व उनका दुध निकालने मे लग गयी और रुपा घर के छोटे मोटे काम जैसे झाङु आदि निकालकर रात के खाने की तैयारी मे लग गयी। इस दौरान लीला उसे ये टोटके राजु के साथ करने के लिये समझाती भी रही जिससे रुपा भी अब राजु के साथ टोटके करने के लिये मान गयी...