बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गयारात को खाना खाने के बाद अब लीला और रुपा एक ही कमरे मे सो रही थी मगर दोनो मे से ना तो किसी को नीँद नही आ रही थी और ना ही कोई बात कर रही थी। रुपा जहाँ ये सोच सोचकर परेशान थी की, उसका पति अगर दुसरी शादी कर लेगा तो उसका क्या होगा..?, वही लीला भी ये सोच रही थी की अपनी बेटी के घर को उजङने से कैसे बचाये..?
लीला अच्छे से जान रही थी की अगर जल्दी ही रुपा पेट से नही हुई तो उसका घर उजङने से कोई नही बचा सकता, क्योकि चार साल होने को आये थे रुपा की शादी को, मगर बच्चा तो दुर, अभी तक उसे कभी उम्मीद तक नही बँधी थी। शादी के एक डेढ साल तो किसी ने भी इतना ध्यान नही दिया, मगर अब तो हर कोई पुछता रहता है की रुपा को बच्चा क्यो नही हो रहा.? पहले तो ये बात कभी कभी ही आती थी जिससे रुपा रुठकर अपने मायके मे आ जाती थी मगर अब तो रुपा की सास जैसे रट ही लगाकर बैठ गयी थी।
पिछले तीन महिने मे ये दुसरी बार था जब रुपा इस तरह रुठकर मायके मे आई थी। ऐसा नही था की लीला ने अपनी बेटी को बच्चा होने की कोई दवा नही दिलवाई..! आस पङोस के लगभग सभी गाँवो के नीम हकीमो व झाङफुक वालो से उसने रुपा को दवा से लेकर पुजा पाठ के सभी काम करवा लिये थे मगर अभी तक रुपा को उम्मीद नही बँधी थी।
गुस्से गुस्से मे रुपा ने जो कुछ भी अपने पति के बारे मे बताया था उससे ये तो मालुम पङ रहा था की रुपा मे कोई कमी नही, कमी उसके पति मे ही है इसलिये रुपा को दवा दिलवाने से कुछ नही होने वाला। उसके पति का ही कुछ करना होगा... पर उसका भी वो करे.. तो क्या करे..? क्योंकि वो तो कभी ये मानने को तैयार नही होगा की उसमे कोई कमी है। बात उसकी मर्दानगी पर नही आ जायेगी..?
रुपा ने जो कही थी उसमे ये बात तो सही थी की जब जमीन मे बीज ही अच्छा नही डालोगे तो फिर जमीन चाहे कितनी भी उपजाऊ हो..उसमे फसल कहाँ से होगी..? लीला ये सोच ही रही थी की तभी.. "अगर बीज ही कोई दुसरा डाल दे तो..?" एक बार तो लीला के दिल मे आया मगर फिर... "नही नही ये कैसे हो सकता है, वो कैसे अपनी बेटी को किसी दुसरे के साथ सोने के लिये कह सकती है..! और अगर कहे भी तो क्या वो मानेगी...? उल्टा उसे ही शर्मीँदा नही होना पङ जायेगा..!"
लीला के दिमाग मे एक साथ अब काफी सारी बाते चल रही थी, क्योंकि कैसे भी करके लीला को अपनी बेटी का घर बाचाना था, पर उसे कुछ समझ नही आ रहा था की वो अब करे तो क्या करे..? रुपा ने जो कहा था उससे अब ये तो तय था की अगर रुपा को अपना घर बचाना है तो उसे किसी दुसरे के साथ सोना होगा, पर ये बात वो अब रुपा कैसे बताये, और ये सब करे भी तो किसके साथ करे जिससे उसका घर भी बस जाये और किसी को कुछ पता भी ना चले...! उसे कुछ समझ नही आ रहा था, तभी...
"बुवा..! मै खेत पर जा रहा हुँ...!" बाहर से राजु की आवाज सुनाई दी।
"हाँ..हाँ..! ठीक है सुबह जल्दी आ जाना...!" लीला ने राजु को जवाब देते हुवे कहा, मगर तभी उसके दिमाग मे तुरन्त अब राजु का ख्याल उभर आया।
वैसे तो वो राजु को अभी बच्चा ही समझती थी मगर वो जिस तरह रशोई से रुपा को पिशाब करते हुवे देख रहा था तब से ही लीला के दिमाग मे कही ना कही ये बात खटक सी रही थी इसलिये...
"अरे..अरे...! मै भी ये क्या सोच रही हुँ, कभी भाई बहन मे भी ऐसा होता है...?" लीला ने एक बार तो खुद का माथा ही पिट लिया मगर फिर...
"पर ये कौन सा दोनो सगे भाई बहन है...? बस मामा का ही तो लङका है..." लीला ने मन मे ही सोचा।
"हाँ... हाँ... ये सही रहेगा..!, रुपा का घर भी बच जायेगा और किसी को कोई शक भी नही होगा..!"
"पर ये सब होगा कैसे...? इसके लिये वो रुपा को कैसे बतायेगी..? और ये बात वो रुपा को कहेगी भी तो कैसे..?
"कोई और हो तो भी ठीक है, पर राजु से वो सगे भाई से भी ज्यादा प्यार करती है....! फिर रुपा को ये बात वो कैसे समझायेगी...?" लीला ये बात काफी देर तक सोचती रही.. फिर मन ही मन मे कुछ सोचकर उसने कस कर अपने हाथो की मुट्ठी भीँच ली और करवट बदलककर दुसरी ओर मुँह करके लेट गयी...
लिला रुपा को मां बनाने के लिये कोई पक्का निर्णय ले ली हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा