• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest "टोना टोटका..!"

Napster

Well-Known Member
5,186
14,166
188
रात को खाना खाने के बाद अब लीला और रुपा एक ही कमरे मे सो रही थी मगर दोनो मे से ना तो किसी को नीँद नही आ रही थी और ना ही कोई बात कर रही थी। रुपा जहाँ ये सोच सोचकर परेशान थी की, उसका पति अगर दुसरी शादी कर लेगा तो उसका क्या होगा..?, वही लीला भी ये सोच रही थी की अपनी बेटी के घर को उजङने से कैसे बचाये..?

लीला अच्छे से जान रही थी की अगर जल्दी ही रुपा पेट से नही हुई तो उसका घर उजङने से कोई नही बचा सकता, क्योकि चार साल होने को आये थे रुपा की शादी को, मगर बच्चा तो दुर, अभी तक उसे कभी उम्मीद तक नही बँधी थी। शादी के एक डेढ साल तो किसी ने भी इतना ध्यान नही दिया, मगर अब तो हर कोई पुछता रहता है की रुपा को बच्चा क्यो नही हो रहा.? पहले तो ये बात कभी कभी ही आती थी जिससे रुपा रुठकर अपने मायके मे आ जाती थी मगर अब तो रुपा की सास जैसे रट ही‌ लगाकर बैठ गयी थी।

पिछले तीन महिने मे ये दुसरी बार था जब रुपा इस तरह रुठकर मायके मे आई थी। ऐसा नही था की लीला ने अपनी बेटी को बच्चा होने की कोई दवा नही दिलवाई..! आस पङोस के लगभग सभी गाँवो के नीम हकीमो व झाङफुक वालो से उसने रुपा को दवा से लेकर पुजा पाठ के सभी काम करवा लिये थे मगर अभी तक रुपा को उम्मीद नही बँधी थी।

गुस्से गुस्से मे रुपा ने जो कुछ भी अपने पति के बारे मे बताया था उससे ये तो मालुम पङ रहा था की रुपा मे कोई कमी नही, कमी उसके पति मे ही है इसलिये रुपा को दवा दिलवाने से कुछ नही होने वाला। उसके पति का ही कुछ करना होगा... पर उसका भी वो करे.. तो क्या करे..? क्योंकि वो तो कभी ये मानने को तैयार नही होगा की उसमे कोई कमी है। बात उसकी मर्दानगी पर नही आ जायेगी..?

रुपा ने जो कही थी उसमे ये बात तो सही थी की जब जमीन मे बीज ही अच्छा नही डालोगे तो फिर जमीन चाहे कितनी भी उपजाऊ हो..उसमे फसल कहाँ से होगी..? लीला ये सोच ही रही थी की तभी.. "अगर बीज ही कोई दुसरा डाल दे तो..?" एक बार तो लीला के दिल मे आया मगर फिर... "नही नही ये कैसे हो सकता है, वो कैसे अपनी बेटी को किसी दुसरे के साथ सोने के लिये कह सकती है..! और अगर कहे भी तो क्या वो मानेगी...? उल्टा उसे ही शर्मीँदा नही होना पङ जायेगा..!"

लीला के दिमाग मे एक साथ अब काफी सारी बाते चल रही थी‌, क्योंकि कैसे भी करके लीला को अपनी बेटी का घर बाचाना था, पर उसे कुछ समझ नही आ रहा था की वो अब करे तो क्या करे..? रुपा ने जो‌ कहा था उससे अब ये तो तय था की अगर रुपा को अपना घर बचाना है तो उसे किसी दुसरे के साथ सोना होगा, पर ये बात वो अब रुपा कैसे बताये, और ये सब करे भी तो किसके साथ करे जिससे उसका घर भी बस जाये और किसी को कुछ पता भी ना चले...! उसे कुछ समझ नही आ रहा था, तभी...

"बुवा..! मै खेत पर जा रहा हुँ...!" बाहर से राजु की आवाज सुनाई दी।

"हाँ..हाँ..! ठीक है सुबह जल्दी आ जाना...!" लीला ने राजु को जवाब देते हुवे कहा, मगर तभी उसके दिमाग मे तुरन्त अब राजु का ख्याल उभर आया।

वैसे तो वो राजु को अभी बच्चा ही समझती थी मगर वो जिस तरह रशोई से रुपा को पिशाब करते हुवे देख रहा था तब से ही लीला के दिमाग मे कही ना कही ये बात खटक सी रही थी इसलिये...

"अरे..अरे...! मै भी ये क्या सोच रही हुँ, कभी भाई बहन मे भी ऐसा होता है...?" लीला ने एक बार तो खुद‌ का माथा ही पिट लिया मगर फिर...

"पर ये कौन सा दोनो सगे भाई बहन है...? बस मामा का ही तो लङका है..." लीला ने मन मे ही सोचा।

"हाँ... हाँ... ये सही रहेगा..!, रुपा का घर भी बच जायेगा और किसी को कोई शक भी नही होगा..!"

"पर ये सब होगा कैसे...? इसके लिये वो रुपा को कैसे बतायेगी..? और ये बात वो रुपा को कहेगी भी तो कैसे..?

"कोई और हो तो भी ठीक है, पर राजु से वो सगे भाई से भी ज्यादा प्यार करती है....! फिर रुपा को ये बात वो कैसे समझायेगी...?" लीला ये बात काफी देर तक सोचती रही.. फिर मन ही मन मे कुछ सोचकर उसने कस कर अपने हाथो की मुट्ठी भीँच ली और करवट बदलककर दुसरी ओर मुँह करके लेट गयी...
बहुत ही जबरदस्त और लाजवाब अपडेट है भाई मजा आ गया
लिला रुपा को मां बनाने के लिये कोई पक्का निर्णय ले ली हैं
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

Ek number

Well-Known Member
8,462
18,259
173
N
रात को खाना खाने के बाद अब लीला और रुपा एक ही कमरे मे सो रही थी मगर दोनो मे से ना तो किसी को नीँद नही आ रही थी और ना ही कोई बात कर रही थी। रुपा जहाँ ये सोच सोचकर परेशान थी की, उसका पति अगर दुसरी शादी कर लेगा तो उसका क्या होगा..?, वही लीला भी ये सोच रही थी की अपनी बेटी के घर को उजङने से कैसे बचाये..?

लीला अच्छे से जान रही थी की अगर जल्दी ही रुपा पेट से नही हुई तो उसका घर उजङने से कोई नही बचा सकता, क्योकि चार साल होने को आये थे रुपा की शादी को, मगर बच्चा तो दुर, अभी तक उसे कभी उम्मीद तक नही बँधी थी। शादी के एक डेढ साल तो किसी ने भी इतना ध्यान नही दिया, मगर अब तो हर कोई पुछता रहता है की रुपा को बच्चा क्यो नही हो रहा.? पहले तो ये बात कभी कभी ही आती थी जिससे रुपा रुठकर अपने मायके मे आ जाती थी मगर अब तो रुपा की सास जैसे रट ही‌ लगाकर बैठ गयी थी।

पिछले तीन महिने मे ये दुसरी बार था जब रुपा इस तरह रुठकर मायके मे आई थी। ऐसा नही था की लीला ने अपनी बेटी को बच्चा होने की कोई दवा नही दिलवाई..! आस पङोस के लगभग सभी गाँवो के नीम हकीमो व झाङफुक वालो से उसने रुपा को दवा से लेकर पुजा पाठ के सभी काम करवा लिये थे मगर अभी तक रुपा को उम्मीद नही बँधी थी।

गुस्से गुस्से मे रुपा ने जो कुछ भी अपने पति के बारे मे बताया था उससे ये तो मालुम पङ रहा था की रुपा मे कोई कमी नही, कमी उसके पति मे ही है इसलिये रुपा को दवा दिलवाने से कुछ नही होने वाला। उसके पति का ही कुछ करना होगा... पर उसका भी वो करे.. तो क्या करे..? क्योंकि वो तो कभी ये मानने को तैयार नही होगा की उसमे कोई कमी है। बात उसकी मर्दानगी पर नही आ जायेगी..?

रुपा ने जो कही थी उसमे ये बात तो सही थी की जब जमीन मे बीज ही अच्छा नही डालोगे तो फिर जमीन चाहे कितनी भी उपजाऊ हो..उसमे फसल कहाँ से होगी..? लीला ये सोच ही रही थी की तभी.. "अगर बीज ही कोई दुसरा डाल दे तो..?" एक बार तो लीला के दिल मे आया मगर फिर... "नही नही ये कैसे हो सकता है, वो कैसे अपनी बेटी को किसी दुसरे के साथ सोने के लिये कह सकती है..! और अगर कहे भी तो क्या वो मानेगी...? उल्टा उसे ही शर्मीँदा नही होना पङ जायेगा..!"

लीला के दिमाग मे एक साथ अब काफी सारी बाते चल रही थी‌, क्योंकि कैसे भी करके लीला को अपनी बेटी का घर बाचाना था, पर उसे कुछ समझ नही आ रहा था की वो अब करे तो क्या करे..? रुपा ने जो‌ कहा था उससे अब ये तो तय था की अगर रुपा को अपना घर बचाना है तो उसे किसी दुसरे के साथ सोना होगा, पर ये बात वो अब रुपा कैसे बताये, और ये सब करे भी तो किसके साथ करे जिससे उसका घर भी बस जाये और किसी को कुछ पता भी ना चले...! उसे कुछ समझ नही आ रहा था, तभी...

"बुवा..! मै खेत पर जा रहा हुँ...!" बाहर से राजु की आवाज सुनाई दी।

"हाँ..हाँ..! ठीक है सुबह जल्दी आ जाना...!" लीला ने राजु को जवाब देते हुवे कहा, मगर तभी उसके दिमाग मे तुरन्त अब राजु का ख्याल उभर आया।

वैसे तो वो राजु को अभी बच्चा ही समझती थी मगर वो जिस तरह रशोई से रुपा को पिशाब करते हुवे देख रहा था तब से ही लीला के दिमाग मे कही ना कही ये बात खटक सी रही थी इसलिये...

"अरे..अरे...! मै भी ये क्या सोच रही हुँ, कभी भाई बहन मे भी ऐसा होता है...?" लीला ने एक बार तो खुद‌ का माथा ही पिट लिया मगर फिर...

"पर ये कौन सा दोनो सगे भाई बहन है...? बस मामा का ही तो लङका है..." लीला ने मन मे ही सोचा।

"हाँ... हाँ... ये सही रहेगा..!, रुपा का घर भी बच जायेगा और किसी को कोई शक भी नही होगा..!"

"पर ये सब होगा कैसे...? इसके लिये वो रुपा को कैसे बतायेगी..? और ये बात वो रुपा को कहेगी भी तो कैसे..?


"कोई और हो तो भी ठीक है, पर राजु से वो सगे भाई से भी ज्यादा प्यार करती है....! फिर रुपा को ये बात वो कैसे समझायेगी...?" लीला ये बात काफी देर तक सोचती रही.. फिर मन ही मन मे कुछ सोचकर उसने कस कर अपने हाथो की मुट्ठी भीँच ली और करवट बदलककर दुसरी ओर मुँह करके लेट गयी...
Nice update
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
42,885
111,449
304
जैसा की आपने अभी तक पढा की रुपा बच्चा नही हो पाने‌ के अपनी सास के तानो से तँग आकर अपने मायके‌ मे आई हुई थी जिसे आँगन मे पिशाब करते राजु रशोई‌ की
खिङकी से देख रहा था तो लीला‌ ने उसे पकङ लिया था जिससे घबराकर..

"म्.म्. मै गप्पु के घर जाकर आता हुँ...!" राजु ने नजरे चुराते हुवे कहा और तुरन्त टमाटर की थैली को रशोई मे रखकर बाहर भाग गया..!

अब उसके आगे.....

राजु का रुपा को पिशाब करते देखना, व उसका इस तरह घबराकर बाहर जाना लीला को थोङा अजीब लगा, मगर ये सब काम एक साथ व इतनी जल्दी हुवे की लीला को कुछ समझ ही नही आ सका, इसलिये वो भी ये सोचकर रह गयी की, "हो सकता है ये सब गलती से हुवा होगा..!" और वो चुपचाप खाना बनाने मे लग गयी।

पिशाब करने के बाद रुपा भी हाथ मुँह धोकर रशोई मे‌ ही आ गयी जिससे...

"हाथ मुँह धो लिये तो आ जा तु रोटी खा‌ले..." लीला ने रोटी बेलते कहा।

"नही भुख नही मै बाद मे खा लुँगी..! " ये कहते हुवे रुपा भी लीला के पास वही फर्स पर बैठ गयी और...

"ला..रोटी मै सेक दुँ..?" उसने लीला का हाथ बँटाने के इरादे से पुछा।

"नही रहने दे मै सेक लुँगी, तु रोटी खाले..! और तु चिँता मत कर, मै जा रही ना कल वैध जी के पास, वो कुछ ना कुछ दवा दारू या समाधान जरुर बतायेँगे..?" लीला ने रुपा को तसल्ली देते हुवे कहा, मगर...

"दवा से क्या होगा...? उस बुड्ढे के कुछ बस की बात तो है नही.... वो जो वैद जी से तुमने पहले एक बार दवा लाकर दी थी वो दवा जिस रात उसके दुध मे मिला देती हुँ तो मेरे पास आ जाता है, नही तो उसके बस मे तो ये भी नही की बिना दवा के मेरे पास आ सके...!,

"जब बीज ही सही नही होगा, तो जमीन मे चाहे कितनी भी खाद्द डालते रहो..! अच्‍छी फसल लेने के लिये खेतो मे अच्छा बीज डाला जाता है, किसान की बेटी हुँ इतना तो मै भी समझती हुँ। उस बुड्ढे के बस की बात तो है नही, अब मै चाहे कितनी भी दवा खाती रहो...?" अपनी माँ से रुपा ने इस तरह की बात पहली बार की थी इसलिये वो ये सब एक ही साँस मे कह गयी।

लीला एक तेज तरार औरत थी। रुपा की बात को वो अच्छे से समझ गयी थी की वो क्या कहना चाह रही है मगर वो अब कुछ कहती तब तक राजु वापस आ गया इसलिये दोनो माँ बेटी चुप हो गये। वो नही चाहती थी की राजु को कुछ पता चले इसलिये लीला चुपचाप रोटी बनाने मे लग गयी तो रुपा एक प्लेट मे सब्जी डालकर रोटी खाने लगी।

रशोई मे जो हुवा था उससे राजु अभी भी लीला‌ से कतरा रहा था‌ इसलिये उसने लीला से तो नजरे नही मिलाई‌ मगर‌...


"अरे...! जीज्जी.. आप खाना भी खाने लग गयी... चलो मै भी आपके साथ ही खा लेता हुँ..!" ये कहते हुवे वो भी रुपा के साथ ही खाने लग गया...
रात को खाना खाने के बाद अब लीला और रुपा एक ही कमरे मे सो रही थी मगर दोनो मे से ना तो किसी को नीँद नही आ रही थी और ना ही कोई बात कर रही थी। रुपा जहाँ ये सोच सोचकर परेशान थी की, उसका पति अगर दुसरी शादी कर लेगा तो उसका क्या होगा..?, वही लीला भी ये सोच रही थी की अपनी बेटी के घर को उजङने से कैसे बचाये..?

लीला अच्छे से जान रही थी की अगर जल्दी ही रुपा पेट से नही हुई तो उसका घर उजङने से कोई नही बचा सकता, क्योकि चार साल होने को आये थे रुपा की शादी को, मगर बच्चा तो दुर, अभी तक उसे कभी उम्मीद तक नही बँधी थी। शादी के एक डेढ साल तो किसी ने भी इतना ध्यान नही दिया, मगर अब तो हर कोई पुछता रहता है की रुपा को बच्चा क्यो नही हो रहा.? पहले तो ये बात कभी कभी ही आती थी जिससे रुपा रुठकर अपने मायके मे आ जाती थी मगर अब तो रुपा की सास जैसे रट ही‌ लगाकर बैठ गयी थी।

पिछले तीन महिने मे ये दुसरी बार था जब रुपा इस तरह रुठकर मायके मे आई थी। ऐसा नही था की लीला ने अपनी बेटी को बच्चा होने की कोई दवा नही दिलवाई..! आस पङोस के लगभग सभी गाँवो के नीम हकीमो व झाङफुक वालो से उसने रुपा को दवा से लेकर पुजा पाठ के सभी काम करवा लिये थे मगर अभी तक रुपा को उम्मीद नही बँधी थी।

गुस्से गुस्से मे रुपा ने जो कुछ भी अपने पति के बारे मे बताया था उससे ये तो मालुम पङ रहा था की रुपा मे कोई कमी नही, कमी उसके पति मे ही है इसलिये रुपा को दवा दिलवाने से कुछ नही होने वाला। उसके पति का ही कुछ करना होगा... पर उसका भी वो करे.. तो क्या करे..? क्योंकि वो तो कभी ये मानने को तैयार नही होगा की उसमे कोई कमी है। बात उसकी मर्दानगी पर नही आ जायेगी..?

रुपा ने जो कही थी उसमे ये बात तो सही थी की जब जमीन मे बीज ही अच्छा नही डालोगे तो फिर जमीन चाहे कितनी भी उपजाऊ हो..उसमे फसल कहाँ से होगी..? लीला ये सोच ही रही थी की तभी.. "अगर बीज ही कोई दुसरा डाल दे तो..?" एक बार तो लीला के दिल मे आया मगर फिर... "नही नही ये कैसे हो सकता है, वो कैसे अपनी बेटी को किसी दुसरे के साथ सोने के लिये कह सकती है..! और अगर कहे भी तो क्या वो मानेगी...? उल्टा उसे ही शर्मीँदा नही होना पङ जायेगा..!"

लीला के दिमाग मे एक साथ अब काफी सारी बाते चल रही थी‌, क्योंकि कैसे भी करके लीला को अपनी बेटी का घर बाचाना था, पर उसे कुछ समझ नही आ रहा था की वो अब करे तो क्या करे..? रुपा ने जो‌ कहा था उससे अब ये तो तय था की अगर रुपा को अपना घर बचाना है तो उसे किसी दुसरे के साथ सोना होगा, पर ये बात वो अब रुपा कैसे बताये, और ये सब करे भी तो किसके साथ करे जिससे उसका घर भी बस जाये और किसी को कुछ पता भी ना चले...! उसे कुछ समझ नही आ रहा था, तभी...

"बुवा..! मै खेत पर जा रहा हुँ...!" बाहर से राजु की आवाज सुनाई दी।

"हाँ..हाँ..! ठीक है सुबह जल्दी आ जाना...!" लीला ने राजु को जवाब देते हुवे कहा, मगर तभी उसके दिमाग मे तुरन्त अब राजु का ख्याल उभर आया।

वैसे तो वो राजु को अभी बच्चा ही समझती थी मगर वो जिस तरह रशोई से रुपा को पिशाब करते हुवे देख रहा था तब से ही लीला के दिमाग मे कही ना कही ये बात खटक सी रही थी इसलिये...

"अरे..अरे...! मै भी ये क्या सोच रही हुँ, कभी भाई बहन मे भी ऐसा होता है...?" लीला ने एक बार तो खुद‌ का माथा ही पिट लिया मगर फिर...

"पर ये कौन सा दोनो सगे भाई बहन है...? बस मामा का ही तो लङका है..." लीला ने मन मे ही सोचा।

"हाँ... हाँ... ये सही रहेगा..!, रुपा का घर भी बच जायेगा और किसी को कोई शक भी नही होगा..!"

"पर ये सब होगा कैसे...? इसके लिये वो रुपा को कैसे बतायेगी..? और ये बात वो रुपा को कहेगी भी तो कैसे..?


"कोई और हो तो भी ठीक है, पर राजु से वो सगे भाई से भी ज्यादा प्यार करती है....! फिर रुपा को ये बात वो कैसे समझायेगी...?" लीला ये बात काफी देर तक सोचती रही.. फिर मन ही मन मे कुछ सोचकर उसने कस कर अपने हाथो की मुट्ठी भीँच ली और करवट बदलककर दुसरी ओर मुँह करके लेट गयी...
Shaandar Mast Lajwab Update 🔥 🔥 🔥
 
  • Like
Reactions: Shetan and Napster

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
9,566
37,057
219
राजू की सुहागरात मनवाकर ही मानेगी उसकी बुआ

कहीं ऐसा ना हो कि बेटी से पहले मॉं के साथ ही सुहागरात मन जाए :D
 

Jangali107

Jangali
163
199
43
Mast
रात को खाना खाने के बाद अब लीला और रुपा एक ही कमरे मे सो रही थी मगर दोनो मे से ना तो किसी को नीँद नही आ रही थी और ना ही कोई बात कर रही थी। रुपा जहाँ ये सोच सोचकर परेशान थी की, उसका पति अगर दुसरी शादी कर लेगा तो उसका क्या होगा..?, वही लीला भी ये सोच रही थी की अपनी बेटी के घर को उजङने से कैसे बचाये..?

लीला अच्छे से जान रही थी की अगर जल्दी ही रुपा पेट से नही हुई तो उसका घर उजङने से कोई नही बचा सकता, क्योकि चार साल होने को आये थे रुपा की शादी को, मगर बच्चा तो दुर, अभी तक उसे कभी उम्मीद तक नही बँधी थी। शादी के एक डेढ साल तो किसी ने भी इतना ध्यान नही दिया, मगर अब तो हर कोई पुछता रहता है की रुपा को बच्चा क्यो नही हो रहा.? पहले तो ये बात कभी कभी ही आती थी जिससे रुपा रुठकर अपने मायके मे आ जाती थी मगर अब तो रुपा की सास जैसे रट ही‌ लगाकर बैठ गयी थी।

पिछले तीन महिने मे ये दुसरी बार था जब रुपा इस तरह रुठकर मायके मे आई थी। ऐसा नही था की लीला ने अपनी बेटी को बच्चा होने की कोई दवा नही दिलवाई..! आस पङोस के लगभग सभी गाँवो के नीम हकीमो व झाङफुक वालो से उसने रुपा को दवा से लेकर पुजा पाठ के सभी काम करवा लिये थे मगर अभी तक रुपा को उम्मीद नही बँधी थी।

गुस्से गुस्से मे रुपा ने जो कुछ भी अपने पति के बारे मे बताया था उससे ये तो मालुम पङ रहा था की रुपा मे कोई कमी नही, कमी उसके पति मे ही है इसलिये रुपा को दवा दिलवाने से कुछ नही होने वाला। उसके पति का ही कुछ करना होगा... पर उसका भी वो करे.. तो क्या करे..? क्योंकि वो तो कभी ये मानने को तैयार नही होगा की उसमे कोई कमी है। बात उसकी मर्दानगी पर नही आ जायेगी..?

रुपा ने जो कही थी उसमे ये बात तो सही थी की जब जमीन मे बीज ही अच्छा नही डालोगे तो फिर जमीन चाहे कितनी भी उपजाऊ हो..उसमे फसल कहाँ से होगी..? लीला ये सोच ही रही थी की तभी.. "अगर बीज ही कोई दुसरा डाल दे तो..?" एक बार तो लीला के दिल मे आया मगर फिर... "नही नही ये कैसे हो सकता है, वो कैसे अपनी बेटी को किसी दुसरे के साथ सोने के लिये कह सकती है..! और अगर कहे भी तो क्या वो मानेगी...? उल्टा उसे ही शर्मीँदा नही होना पङ जायेगा..!"

लीला के दिमाग मे एक साथ अब काफी सारी बाते चल रही थी‌, क्योंकि कैसे भी करके लीला को अपनी बेटी का घर बाचाना था, पर उसे कुछ समझ नही आ रहा था की वो अब करे तो क्या करे..? रुपा ने जो‌ कहा था उससे अब ये तो तय था की अगर रुपा को अपना घर बचाना है तो उसे किसी दुसरे के साथ सोना होगा, पर ये बात वो अब रुपा कैसे बताये, और ये सब करे भी तो किसके साथ करे जिससे उसका घर भी बस जाये और किसी को कुछ पता भी ना चले...! उसे कुछ समझ नही आ रहा था, तभी...

"बुवा..! मै खेत पर जा रहा हुँ...!" बाहर से राजु की आवाज सुनाई दी।

"हाँ..हाँ..! ठीक है सुबह जल्दी आ जाना...!" लीला ने राजु को जवाब देते हुवे कहा, मगर तभी उसके दिमाग मे तुरन्त अब राजु का ख्याल उभर आया।

वैसे तो वो राजु को अभी बच्चा ही समझती थी मगर वो जिस तरह रशोई से रुपा को पिशाब करते हुवे देख रहा था तब से ही लीला के दिमाग मे कही ना कही ये बात खटक सी रही थी इसलिये...

"अरे..अरे...! मै भी ये क्या सोच रही हुँ, कभी भाई बहन मे भी ऐसा होता है...?" लीला ने एक बार तो खुद‌ का माथा ही पिट लिया मगर फिर...

"पर ये कौन सा दोनो सगे भाई बहन है...? बस मामा का ही तो लङका है..." लीला ने मन मे ही सोचा।

"हाँ... हाँ... ये सही रहेगा..!, रुपा का घर भी बच जायेगा और किसी को कोई शक भी नही होगा..!"

"पर ये सब होगा कैसे...? इसके लिये वो रुपा को कैसे बतायेगी..? और ये बात वो रुपा को कहेगी भी तो कैसे..?


"कोई और हो तो भी ठीक है, पर राजु से वो सगे भाई से भी ज्यादा प्यार करती है....! फिर रुपा को ये बात वो कैसे समझायेगी...?" लीला ये बात काफी देर तक सोचती रही.. फिर मन ही मन मे कुछ सोचकर उसने कस कर अपने हाथो की मुट्ठी भीँच ली और करवट बदलककर दुसरी ओर मुँह करके लेट गयी...
Mast update
 
  • Like
Reactions: Shetan and Napster
Top