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Incest ठरकी दामाद की हवस

Raja maurya

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अपने माँ -बाप को स्टेशन छोड़ने के बाद तो रिया के चेहरे की रंगत बदल सी
गयी, उसके चेहरे पर आई खुशी और चंचलता देखते ही बनती थी, ऐसा लग रहा
था जैसे वो अपने आप को आज़ाद सा फील कर रही थी..
अजय भी उसके साथ इधर - उधर की बातें चोदता रहा, उसको ये एहसास
दिलाता रहा ही वो उसके दोस्त जैसा है, कभी भी, कोई भी ज़रूरत हो तो
वो उसके साथ अपनी फीलिंग शेयर कर सकती है, पैसो की ज़रूरत हो या
कही जाने की,वो उसे कह सकती है वगेरहा वगेरहा...
वो उसे अपनी बोतल मे उतारने की कोशिश कर रहा था, ताकि बाद में
उसके साथ जब वो मज़े ले तो आसानी से काम बन जाए..
और रिया भी अबोध बालिका की तरह उसकी हर बात पर खुश होती चली
जा रही थी..और अंदर ही अंदर सोच रही थी की उसके जीजू कितने अच्छे हैं,
उसका कितना ध्यान रख रहे है अभी से..
पर उसे क्या पता था की उसके ठरकी जीजू के इरादे क्या है.
वो बातें करते हुए जा ही रहे थे की उनकी कार एक रेड लाइट पर रुकी ,जो
करीब 4 मिनट लम्बी थी , अचानक रिया चिल्लाई : "देखो जीजू....आपके
मतलब की लड़कियाँ...''
अजय ने उस तरफ देखा जहाँ रिया ने इशारा किया था तो देखा की दो
लड़कियां स्कूल ड्रेस में जा रही है, शायद 12th की होंगी..

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पर उन्हे देखकर
अजय को कुछ समझ नही आया,उसने अपनी आँखे नचाते हुए रिया की तरफ देखा
वो हंसते हुए बोली : "अरे जीजू...आपने ही तो कहा था की आपको छोटे
बूब्स वाली लड़कियाँ पसंद है...ज़रा देखो इन लड़कियों को..मेरे से भी छोटे
हैं इनके तो...''
वो हँसती हुई ऐसी उत्तेजना से भरी बात बड़े आराम से करती चली जा रही
थी, और ये भी नही सोच रही थी की अजय और उसके लंड पर इसका क्या
प्रभाव पड़ेगा..
और प्रभाव पड़ भी गया, अजय के लंड ने पेंट में अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी..जैसे
गर्दन बाहर निकाल कर वो भी उन छोटे बूब्स वाली लड़कियों को देखना
चाहता हो..
अजय तो खुद ही इतनी देर से सोच रहा था की कैसे उस तरह की बातें शुरू करे
रिया के साथ,पर यहाँ उसने खुद ही मौका दे दिया था..
बस फिर क्या था, हमारे ठरकी महाशय शुरू हो गये..
अजय : "अरे नही...इतने भी छोटे नही ...थोड़े तो बड़े होने चाहिए ना..वो
देखो..उस लेडी की तरह..वैसे पसंद है मुझे..''
उसने रोड के साइड से जा रही एक लड़की की तरफ इशारा किया, जिसने रेड
कलर की एक ग़ज़ब की शार्ट ड्रेस पहनी हुई थी,

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और जिसमे उसकी मोटी
जांघे साफ़ चमक रही थी और उसके बूब्स जो बिल्कुल पर्फेक्ट्ली ब्रा में क़ैद
थे वो दूर से ही चमक रहे थे....
रिया ने उस तरफ देखा और बोली : "वाव जीजू, नोट बेड ...आपकी चाय्स
वाकई में अच्छी है...''
अजय : "पसंद तो मुझे तुम्हारे भी है...इन्फेक्ट इस लेडी से भी ज़्यादा...''
और अजय ने हिम्मत करते हुए अपना हाथ आगे किया और होले से उसके बूब्स के
नीचे लगाकर उसे सहला दिया..
रिया चिहुंक पड़ी : "ऊऊ जीजू .....आप भी ना, सबके सामने मुझे ऐसे छेड़ रहे हो ...''
उसके अल्फ़ाज़ तो नाराज़गी वाले थे, पर आवाज़ में एक दबी हुई सी खुशी
और चंचलता थी..
रिया ने दूसरी कार मे बैठे एक बुड्ढे को देखा जो उन्हे ही देख रहा था : "वो
देखो ज़रा उन अंकल को...हमे कैसे घूरकर देख रहे है...''
अजय ने अपनी दाँयी तरफ देखा, और सच मे उस कार में बैठा बूढ़ा उन्हे ही घूर
रहा था..अजय ने रेड लाइट की तरफ देखा, वहाँ काउंटडाउन चल रहा था, और
अभी भी 2 मिनट और थे, काफ़ी लंबी लाइट थी ये तो..और इसी का
फायदा उठाते हुए अजय के दिमाग़ में एक तरकीब आई..
वो रिया से बोला : "ऐसे बुड्ढे लोगो की ये आदत हमेशा से रहती है...दूसरो
की बीबी और गर्लफ्रेंड को देखकर साले ललचाते रहते हैं,तुम मेरा साथ दो
तो इसको और तड़पाया जा सकता है...''
अजय ने उसे आँख मारते हुए ये बात कही..
रिया ने तो सोचा भी नही था की उसका जीजा ऐसी शरारती बातें भी
सोच सकता है...ऐसी हरकतें तो उसके स्कूल की लड़कियाँ किया करती थी
अक्सर...अपने प्रोफेसर की तरफ देखकर मुस्कुराना,उनके सामने अपनी स्कर्ट
थोड़ा उपर कर लेना या उनके आगे से मटकते हुए निकल जाना...पर रिया वो
कभी नही कर पाई थी...उसकी कभी हिम्मत ही नही हुई वो सब करने
की...और आज उसके जीजू ये सब करने के लिए कह रहे हैं तो वो झट से मान
गयी आख़िर उसकी भी इच्छा थी की ऐसे किसी को तरसाए...तड़पाये ...

उसकी हाँ मिलते ही अजय ने रिया को पकड़ कर अपनी तरफ खिसका
लिया..उसकी पतली कमर मे हाथ डालते ही अजय के लंड की नसें तन सी
गयी...और फिर वो रिया की तरफ झुकते हुए उसके कान के पास अपने होंठ ले
गया और अपनी जीभ से उसे छू लिया..
रिया तो पता नही क्या सोच रही थी, पर अजय के ऐसा करते ही उसका
शरीर अकड़ने सा लगा,और पूरे बदन में झुरजुरी सी दौड़ गयी...आख़िर ऐसा
कोई पहली बार जो कर रहा था उसके साथ...
उसके रेशमी बाल,जो खुले हुए थे,अजय के चेहरे पर आ गये थे और उनमे से आ रही
शेंपू की भीनी खुश्बू में वो खो सा गया, शायद एक पल के लिए वो ये भी
भूल गया था की इस वक़्त वो कहाँ है और किसके साथ है...उसने अपनी जीभ
निकाल कर रिया की गर्दन को चाट लिया..


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''आआआआआआआआहह जीजू .......क्या कर रहे हो आप ....''
अब वो उसकी गिरफ़्त से निकलने के लिए कसमसा रही थी..और अजय को
भी एहसास हो गया की वो शायद कुछ ज़्यादा ही आगे निकल गया है..वो
बात संभालते हुए बोला : "अरे पगली, ये सब तो उन अंकल को दिखाने के लिए
कर रहा हूँ ...ज़रा देख तो, वो क्या कर रहे हैं...''
रिया ने अजय के कंधे पर सिर रखते हुए दूसरी तरफ देखा तो उसकी हँसी
निकल गयी...वो बुड्ढा अपनी आँखे फाड़कर लगातार उन्हे देखे जा रहा था
और उसका एक हाथ नीचे की तरफ था और उपर नीचे हो रहा था...वो समझ
गयी की वो अपने लंड को उपर नीचे करते हुए मुठ मार रहा है..
और ये देखते ही वो ज़ोर-2 से हँसने लगी..
अजय : "क्या हुआ...हंस क्यो रही हो...''
और उसकी हँसी का फायदा उठाते हुए वो अपने गीले होंठों से उसकी गर्दन
पर किस्स भी करता जा रहा था..
रिया (हंसते हुए) : "जीजू, उसका चेहरा देखने लायक है, कही ऐसा ना हो की
हमे ऐसे देखकर उन्हे हार्ट अटैक आ जाए...हा हा....और वो अपने हाथ से नीचे
की तरफ.....हा हा...''
अजय तो एक पल मे ही समझ गया की वो क्या कहना चाहती है, फिर भी
उसकी गर्दन को चूमता हुआ बोला : "क्या...नीचे की तरफ क्या...''
पर वो कुछ बोल पाती इससे पहले ही ग्रीन लाइट हो गयी और पीछे की
तरफ से गाड़ियों के हॉर्न बजने लगे..और अजय ने झक मारते हुए अपनी गाड़ी
आगे बड़ा दी...और वो बेचारे अंकल वही खड़े रह गये, उनके तो हाथ काँप रहे थे
दोबारा सेल्फ़ मारते हुए..
और उनकी हालत की बात करते-2 दोनो काफ़ी देर तक हंसते रहे..
रिया : "यार जीजू...आप सच में बड़े बदमाश हो....''
अजय : "बदमाश तो तुम भी हो...सेक्सी वाली बदमाश हो तुम....'
अपने लिए सेक्सी वर्ल्ड सुनकर रिया थोड़ा सा शरमा गयी और बोली :
"ऐवें ही ...आप भी ना...मैं तो सिंपल सी हूँ ...पता नही आपको कहाँ से
सेक्सी लग गयी...''
उसके होंठ लरजा रहे थे वो सब बोलते हुए, और अजय ने बॅक व्यू मिरर को उसके
चेहरे की तरफ कर लिया था, ताकि उसके चेहरे के एक्शप्रेशन देख सके..
उसके गालों की रंगत बदल चुकी थी...लाल हो चुका था उसका चेहरा और
होंठों पर गुलाबीपन भी आ गया था..
अजय : "वैसे एक बात और बोलू, आई लाइक यूर स्मेल...''
और अब ये बात सुनकर तो वो और भी ज्यादा शरमा गयी, और धीरे से
बोली : "स्मेल भी भला होती है किसी में ...आप भी ना...''
अजय : "अरे , होती है भई...हर इंसान की अपनी खुश्बू होती है..तू भी जल्द ही
जान जाएगी...''
वो बेचारी सोचती रह गयी की ऐसा कैसे हो सकता है..
अजय : "चल छोड़ ये सब, वो अंकल क्या कर रहे थे अपने हाथ से...''
रिया : "जीजूउुउउ....आप भी ना...आप को पता है की मर्द क्या करते है अपने
हाथ से...''
अजय (मुस्कुराते हुए) : "कसम से...मुझे नही पता...''
रिया (आँखे गोल करते हुए) : "आप की जगह कोई और होता तो मान भी
लेती, पर आपको ये नही पता ,मैं मान ही नही सकती...आजकल हर किसी
को पता होता है की मास्टरबेट कैसे करते हैं....''
और ये बात बोलते ही वो फिर से शरमा गयी और उसने झट से मुँह दूसरी तरफ
कर लिया....अजय उसे देखकर मुस्कुराता रहा...अजय उसके उपर नीचे हो रहे
सीने को देख रहा था,शायद ऐसा बोलते हुए वो एक्साइटिड हो रही थी..
अजय ने धीरे से पुछा : ''तुम करती हो....??''
अजय की ये बात सुनते ही रिया की हालत खराब हो गयी...थोड़ी देर बाद
वो धीरे से बोली : "जीजू...प्लीज़....मुझसे ऐसी बातें मत करो...''
अजय ने भी अपने आप को कोसा की कैसे वो एकदम से पहले दिन ही रिया से
मूठ मारने की बातें कर रहा है...
उसने धीरे से सॉरी बोला और उसके बाद बिना कोई बात किए वो घर पहुँच गये...
अजय जान बूझकर अब रिया की तरफ देख भी नही रहा था, और अपना फेस
भी उसने काफ़ी सीरियस सा बना लिया था...
कुछ देर बाद वो तैयार होकर ऑफीस के लिए निकल गया..और जाते हुए भी
उसने रिया की तरफ देखा भी नही..रिया समझ गयी की उसके प्यारे जीजू
उससे नाराज़ हो गये हैं..
पर ऑफीस में पूरा दिन वो कार वाली घटना के बारे में ही सोचता
रहा...उसकी खुश्बू तो उसके जहन में बस चुकी थी...वो अभी भी गहरी साँस
लेता तो ऐसा लग रहा था की जैसे रिया उसके चेहरे के सामने बाल खोलकर
खड़ी है और वो उसकी खुश्बू सूंघ रहा है...
ऐसा करते-2 कब शाम हो गयी और कब वो घर पहुँच गया उसे भी पता नही चला...
पर उसे नही मालूम था की उसकी नाराज़ होने की एक्टिंग का कितना
बड़ा फायदा होने वाला है उसे..
Mast update Bhai
 
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Jash1990

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शाम को जब वो घर पहुँचा तो काफ़ी थका हुआ था,काम की वजह से
नही,बल्कि ट्रेफिक की वजह से,प्राची तो आज ऑफीस गयी नही थी,
इसलिए दरवाजा उसी ने खोला.और हमेशा की तरह अंदर आते ही उसने
उसका बेग लिया और गले लगाकर किस्स किया
प्राची : "उम्म्म्म आ गये आप...आज बड़ी देर कर दी...''
अजय : "यार, आज तो ट्रॅफिक ने परेशान करके रख दिया...''
प्राची : "पता है सुबह से रिया कितनी बार पूछ चुकी है आपके बारे में ...पता
नही एक ही दिन मे क्या जादू कर दिया है आपने मेरी भोली भली बहन पर..''
ये बोलते हुए उसके चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान थी,जो हर उस पत्नी के चेहरे पर
होती है जब वो अपने पति से किसी और औरत के बारे में बात करती है.
रिया का नाम सुनते ही अजय चोंक गया...वैसे भी आज पूरा दिन ऑफीस में
वो उसके बारे में ही सोचता रहा था और रास्ते में आते हुए भी वो रिया के
बारे में ही सोच रहा था..और घर आते ही अपनी बीबी से उसका नाम सुनने
को मिलेगा, ये उसे अंदाज़ा नही था..पर जो भी था, रिया की बात सुनकर
उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.
अजय ने चौंकते हुए कहा : "रिया...उसे क्या हुआ..उसको भला मुझसे क्या
काम है जो मेरे बारे में पूछ रही थी ..''
प्राची : "अब ये तो वो ही जाने...या उसके प्यारे जीजू जाने...हम भला कैसे
बताएँ..''
वो अपनी उसी मुस्कान के साथ फिर से उसके करीब आ गयी..अजय तब तक
सोफे पर बैठ चुका था..
अजय : "तुम सच में बड़ी शक्की हो...अपनी बहन को भी नही छोड़ा..''
प्राची : "होना पड़ता है जनाब, और ख़ासकर तब, जब पति इतना हेंडसम हो...''
इतना कहते -2 प्राची आकर अजय की गोद में बैठ गयी और अपनी बाहें
उसकी गर्दन में लपेट दी..
उसके नर्म कूल्हे अजय की जाँघ पर रेंग रहे उसके खड़े हुए लंड से आ टकराए..और
उसकी आँखे आश्चर्या से फैल गयी और बोली : "अच्छा जी, तो साली का
नाम सुनते ही आपका ये छोटा शेर खड़ा हो गया है...''
वो अजय को टीज कर रही थी रिया का नाम ले-लेकर..
अजय : "ओफफो...तुम भी ना...ये तो तुम्हे देखकर अकड़ रहा है...पता है कल भी
तुम ऐसे ही सो गयी थी..और मेरा इतना मन कर रहा था..''
प्राची : "ओल्ले मेला बैबी...तो मुझे उठा देते ना...आपको तो पता है ,सेक्स
जितना आपको पसंद है उतना ही मुझे भी...''


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अजय ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा : "पता है जान, पर कल तुम इतना थकी हुई
थी की मुझसे तुम्हे उठाया ही नही गया..''
प्राची ने अजय के हाथ पर हाथ रखकर अपना मुम्मा ज़ोर से दबा दिया और
सिसकारी मारने के बाद बोली : "उम्म ...हाँ , वो तो है, कल मै शायद
ज़्यादा ही थक गयी थी...और नींद भी मुझे गहरी वाली आई...और मेरी वजह
से मेरे बैबी को ऐसे ही सोना पड़ा...''
अब वो बेचारी भला क्या जानती थी की उसे वो गहरी वाली नींद कैसे
आई थी...और अजय को ऐसे ही नही सोना पड़ा था..उसकी मौसी ने रात
अच्छी तरह से सेवा करी थी अपने दामाद की , और दामाद ने भी उनकी
गांड मारकर भेजा है वापिस मुंबई उन्हे..
प्राची : "पर कोई बात नही...कल की कमी ,मैं अभी पूरी कर देती हूँ ...''
और इतना कहते ही प्राची टूट पड़ी अजय के चेहरे पर...और अजय भी उसके मुम्मे
मसलता हुआ उसके नर्म होंठों को चूसने लगा..


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ऐसा अक्सर होता नही था, क्योंकि दोनों एक साथ ही ऑफीस से घर आते
थे, इसलिए सेक्स सिर्फ़ रात को ही कर पाते थे, नयी शादीशुदा जिंदगी में
एक दिन का गैप भी उत्तेजना भर जाता है...और यही हो रहा था इस वक़्त
प्राची के साथ ...और वैसे भी अपने पति को बिना सेक्स के रखने का मतलब
उसे बाहर की दुनिया का रास्ता दिखाना , जहाँ जाकर वो अपनी इच्छा
की पूर्ति कर सके, ये मौका प्राची नही देना चाहती थी अजय को...
इसलिए उसने अजय के घर आने से पहले से ही ये सोच रखा था की आज उसके
आने के साथ ही वो चुदाई करवाएगी..रात वाली शिफ्ट बाद में लगाएगी
और यही कर रही थी वो इस वक़्त...
प्राची ने सूट और सलवार पहनी हुई थी...अजय ने उसके उपर की कमीज़ उतार
दी और एक हाथ से उसकी ब्रा भी खोल दी..
उसके दोनो कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर आ गये..

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और प्राची ने एक कबूतर की
गर्दन पकड़ कर अजय के मुँह में अपना निप्पल दे दिया , और अजय भी किसी
प्यासे जानवर की तरह उसपर टूट पड़ा और ज़ोर-2 से चुभलाते हुए उसे चूसने
लगा..निकालने लगा उसके अंदर जमीं मिठास को
''आआआआआहह ऊओ मेरा बैबी......पी ले.....मम्मा का दूध पी ले...''
ऐसा अक्सर बोला करती थी प्राची..जिसे सुनकर वो ज़्यादा उत्तेजित हो
जाया करता था.
प्राची : "आआआआआहह धीरे बैबी ....धीरे....मम्मा को दर्द होता
है.....अहह......''
अजय के सिर पर हाथ फेरती हुई प्राची ने अजय की पेंट की जीप खोल
दी...और उसके लंड की गर्दन पकड़कर बाहर खींच लिया..
उसके लंड को देखते ही वो नागिन की तरह लहराती हुई नीचे बैठ गयी उसके
कदमों में , और उसे पकड़ कर अपनी जीभ से सहलाया...उसे पुचकारा ...और
फिर एक गहरी साँस लेकर उसे निगल लिया..


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''आआआआआआआआहह प्राची ...........ओ मेरी
जान..............एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स..... .सकक्क मी.....''
अजय उसके रेशमी बालों पर दबाव देकर अपने लंड को उसके मुँह के और अंदर
धकेल रहा था...और वो भी अपने पंजों पर बैठकर अपने पति के छोटे भाई की
सेवा अपनी गर्म जीभ से कर रही थी...
उसकी थूक से अजय का लंड नहा गया....अजय ने अपनी बेल्ट खोलकर अपनी
पेंट को थोड़ा नीचे खिसका दिया जिसकी वजह से उसका लंड अब पूरी
तरह से बाहर निकल आया था...
और अब प्राची उसके लंड के साथ-2 उसकी बॉल्स को भी चाट पा रही थी...
और बॉल्स को चूसना और चाटना प्राची की स्पेशॅलिटी थी...अजय
जानता था की ये काम उससे अच्छा कोई और कर ही नही सकता इस
दुनिया में ...
अजय ने आँखे मूंद ली और वो रिया को इमेजिन करने लगा...क्योंकि सुबह से
वही उसके दिमाग़ पर कब्जा जमाए हुए थी, इसलिए उसे फिर से अपनी बंद
आँखो के पीछे बुलाना मुश्किल नही था...अब माहौल ये था की लंड तो
प्राची चूस रही थी उसका, पर वो बंद आँखो से ये महसूस कर रहा था की
रिया चूस रही है इस वक़्त वो लंड..
अजय का लंड अब पूरी तरह से तैयार था...उसने अपनी आँखे खोल दी..और उसने
प्राची को उपर की तरफ खींचकर नंगी होने का आदेश दिया, यानी चुदाई
का वक़्त आ गया था..
प्राची खड़ी हुई और उसने अपनी सलवार निकाल दी...और अँग्रेज़ी
फिल्मों की तरह अपनी गांड अजय की तरफ करके अपनी पेंटी भी उतार
दी...और नीचे झुकने के बाद वो अपनी गोल मटोल गांड लेकर कुछ देर तक
उसी पोज़ में खड़ी भी रही...


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अजय उसकी मांसल गांड को देखकर अपने लंड को रगड़ता रहा तब तक..
और बोला : "अब आ भी जा प्राची....कम ऑन ....''
प्राची उसकी तरफ पलटी,पूरी नंगी...
और धीरे-2 चलती हुई उसके करीब आई..
और तभी उनके रंग मे भंग डालते हुए बाहर की डोर बेल ज़ोर-2 से बजने लगी..
दोनो के चेहरे पर गुस्सा आ गया..
प्राची : "उफ़फ्फ़ इस वक़्त कौन आ गया....ईडियट...''
अजय ने फ़ौरन अपने लंड को वापिस पेंट के अंदर ठूसा और प्राची ने भी अपने
फेले हुए कपड़े लिए और बाथरूम की तरफ भागी और बोली : "आप प्लीज़
देखो ना कौन है...और हो सके तो बाहर से ही टरका देना,चाहे जो भी हो...''
आख़िर उसकी चूत में भी तो आग लगी हुई थी इस वक़्त..
अजय भी झुंझलाते हुए दरवाजे तक गया, तब तक बेल लगातार बजती ही जा
रही थी..
अजय : "अरे आ रहा हू बाबा...रूको एक मिनट ...''
अजय ने दरवाजा खोला तो उसका सारा गुस्सा एक ही पल में गायब हो
गया...बाहर रिया खड़ी थी.
अजय : "अरे...रिया तुम.....आओ अंदर आओ...''
पिंक कलर के सूट में वो कमाल की लग रही थी
रिया : "मैने दीदी को बोला था की जैसे ही जीजू आए तो मुझे बता
देना...वो तो मैने आपकी कार देख ली बाहर खड़े हुए,तब पता चला मुझे की
आप आ चुके हो ...''
अजय ने अपने चेहरे पर फिर से वही नाराज़गी वाले एक्स्प्रेशन लगा दिए..और
दरवाजा बंद करके उसकी बात का जवाब दिए बिना ही अंदर आ गया..
रिया समझ गयी की उसके जीजू अभी तक नाराज़ है...
रिया (बड़े ही प्यार भरे स्वर मे) : "जीजू...वो मैं क्या कह रही थी...की
....मुझे माफ़ कर दो प्लीज़...सुबह वाली बात के लिए...''
अजय (नाटक करते हुए) : "कौनसी बात ...मुझे तो कोई बात याद भी नही है...''
अजय ने बड़े सपाट स्वर में उसे देखे बिना ये बोला था, रिया समझ गयी की
उन्हे मनाना आसान नही होगा...
और इसी बीच अंदर बाथरूम में नंगी खड़ी हुई प्राची उनकी बातें सुनने की
कोशिश कर रही थी...उसे ये तो पता चल गया था की रिया आई है, और उसे
गुस्सा भी बहुत आ रहा था उसके इस वक़्त आने का...पर अजय ने उसे बाहर से
ही क्यों वापिस नही भेज दिया...इसलिए उसपर भी गुस्सा आ रहा था
प्राची को...बाथरूम थोड़ा दूर था इसलिए उनकी बातें नही सुन पा रही
थी वो...उसने झक्क मारकर अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए..
इसी बीच रिया घूमकर अजय के सामने आई और ठीक उसके सामने अपने कान
पकड़कर खड़ी हो गयी...इतने करीब की उसके नन्हे-2 बूब्स अजय को टच कर रहे थे..
रिया उपर मुँह करके धीरे से बोली : "ओके बाबा...सॉरी ...ये लो ...कान
पकड़ कर सॉरी...और सुबह वाली बात के लिए आप मुझसे कुछ भी करवा
लो...मैं मना नही करूँगी....''
अजय का लंड अभी तक खड़ा हुआ था, और रिया को इतने करीब खड़ा देखकर
वो उभरकर उसकी जांघे छूने के लिए मचल उठा..अजय भी थोड़ा आगे बड़ा,
उसने रिया की दोनो बाहों को पकड़ा और अपने से और सटा लिया, ऐसा
करते हुए उसकी नर्म छातियाँ तो उसके सीने में धँस ही गयी, उसके खड़े हुए
लंड को भी अपनी मुराद पूरी करने का मौका मिल गया,उसने रिया की
नर्म जांघों को छू लिया..
रिया तो सकपका सी गयी,अपने जीजू द्वारा ऐसे पकड़े जाने के बाद, पर
वो उन्हे कुछ बोलकर फिर से नाराज़ नही करना चाहती थी, इसलिए चुप
चाप खड़ी रही..
अजय ने उसकी बात दोहराते हुए कहा : "कुछ भी करवा लूँ ...''
रिया के होंठ फड़फडा उठे जवाब देते हुए : ''हाँ जीजू....कुछ भी...''
उसकी गर्म साँसें अजय को अपने चेहरे पर महसूस ही रही थी...उसका तो मन
किया की अभी के अभी उसके गुलाबी होंठों का रस पी जाए, उसे दबोच ले
और एक गहरी स्मूच कर दे..
पर तभी उसे बाथरूम में खड़ी प्राची का ख़याल आया और उसने रिया को
एक झटके में छोड़ दिया...
और उसकी किस्मत देखिए ज़रा, ठीक उसी वक़्त बाथरूम का दरवाजा
खोलकर प्राची बाहर निकली...तब तक रिया अपनी सांसो पर नियंत्रण
पाकर सामान्य हो चुकी थी और अजय ने भी थपकीयाँ देकर अपने लंड को
वापिस सुला दिया था.
प्राची : "अरे रिया...तुम....मैं तुझे फोन करने ही वाली थी...अजय बस अभी
आएँ है...चल कर ले इनसे वो अपनी ज़रूरी वाली बात, तब तक मैं अजय के लिए
चाय बनाकर लाती हूँ ...''
रिया को देखकर अंदर ही अंदर वो जल भुन तो काफ़ी रही थी ...पर आख़िर
थी तो उसकी कजन सिस्टर ही ना, इसलिए मन मारकर रह गयी
बेचारी..और चुदाई को उसने रात के लिए टाल दिया..
रिया : "दीदी, वो तो बस मैं जीजू से ये पूछना चाहती थी की ये मेरा
एडमिशन कहाँ करवाएँगे, मुझे एडमिशन से पहले अपनी कंप्यूटर नॉलेज इम्प्रूव
करनी है...''
अजय : "तुम चिंता ना करो, मैने कहा था ना,मैं करवा दूँगा...तुम चाहो तो
कल ही चलना मेरे साथ..''
प्राची उनकी बातें सुनती हुई किचन में चली गयी..
उसके जाते ही रिया ने अजय से दबे स्वर मे कहा : "जीजू...आपने मुझे माफ़ कर
दिया न...''
अजय भी दबे स्वर में बोला : "इसका फ़ैसला तब होगा जब तुम अपनी सज़ा
पूरी कर लोगी...''
अजय ने उसकी कुछ देर पहले कही हुई बात का हवाला दिया..
रिया भोली ज़रूर थी पर इतनी भी नही की ऐसे कही हुई बातों को समझ ना सके..
बेचारी का दिल जोरों से धड़कने लगा की पता नही उसके जीजू उसे कैसी
सज़ा देंगे..
वो बेचारी ये सोच ही रही थी की प्राची वापिस आ गयी, चाय
लेकर..और सभी सोफे पर बैठकर बातें करने लगे और चाय पीने लगे.
प्राची : "अरे, तू एकदम से इतनी परेशन क्यो हो गयी ...बोल तो रहे है तेरे जीजू
की कल चलेंगे तेरे साथ...''
रिया : "वो ...दीदी ...मैं तो सोच रही थी की..पता नही मुझे ढंग के कॉलेज
में एडमिशन मिलेगा भी या नही..''
प्राची : " अरे, तू फ़िक्र ना कर...तेरे जीजू को सभी इन्स्टिट्यूट और कॉलेजस
के बारे में पता है अच्छी तरह से..पूजा का एडमिशन भी तो इन्होने करवाया
था..तू फ़िक्र ना कर..और वैसे भी आजकल तो सारी इंफोर्मेशन नेट पर मिल
ही जाती है...ये सब देख लेंगे..''
अब भला प्राची को वो कैसे समझती की उसे अपने एडमिशन की नही
बल्कि जीजू की कही हुई बात की चिंता सता रही है..
पर उसने भी मन में ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो जाए,जीजू तो
उसकी हेल्प ही कर रहे हैं ना..ऐसे में उन्हे नाराज़ करके वो नही रख सकती..
और दूसरी तरफ अजय के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था...वो इस हाथ आए
मौके का फायदा अच्छी तरह से उठाना चाहता था..रिया तो उसके लिए
कोई चुनोती नही थी, उसका दिमाग़ तो पूजा की तरफ चल रहा था, और
अपनी योजना के अनुसार वो रिया का इस्तेमाल करके पूजा को जाल में
फंसाना चाहता था..
चाय ख़त्म होते ही प्राची वापिस किचन में चली गयी और अजय ने दबे स्वर
में रिया से कहा : "अब तुम जाओ...मैं थोड़ी देर में वहीं आता हूँ ..और जो मै
कहूं वो चुपचाप मानती रहना, कोई आर्गुमेंट नही,वरना अपनी डील कैंसल
..समझी...''
रिया बेचारी को कुछ समझ नही आया की आख़िर अजय क्या करवाना
चाहता है उससे...बुरे से बुरा तो वो यही समझ रही थी की शायद उसके जीजू
उसके साथ कुछ ग़लत काम...यानी किस्स वगेरह या कुछ और करेंगे...पर उनकी
बातों से तो ऐसा कुछ लग ही नही रहा था...और वैसे भी उसने इतना तो
सोच ही लिया था की ये छोटे-मोटे काम के लिए वो उन्हे नही टोकेगी,पर
हद से आगे भी नही बढ़ने देगी...
वो चुपचाप सी सिर हिला कर अजय की बात मानती हुई उठी और वापिस
चली गयी..
उसके जाने के बाद अजय वापिस किचन में गया,जहाँ प्राची काम कर रही
थी और उसकी उभरी हुई गांड में अपना लंड फँसा कर खड़ा हो गया..और
अपने हाथ उपर करते हुए उसके बूब्स दबाने लगा..
और उसके कानो को मुँह में लेकर धीरे से बोला : "चलो ना...जो काम अधूरा
छोड़ा था वो पूरा करते हैं...''
प्राची (थोड़ा गुस्से में ) : "रहने दो...मैने कहा था ना उस वक़्त की जो भी
हो उसे वापिस भेज देना, पता है मैं बाथरूम में नंगी खड़ी थी , फिर भी आपने
रिया को अंदर कैसे आने दिया..अब मेरा मूड नही है कुछ भी करने का..''
अजय : "अरे,तुम्हारी बहन है,मैं उसे कैसे मना कर सकता हूँ अपने घर आने से...और
अपने मूड का ज़ोर मुझपर ना चलाया करो...... समझी...''
और अजय भी गुस्सा होते हुए बाहर निकल गया.
प्राची बेचारी अपना सिर पीटकर रह गयी...शायद गुस्सा दिखाने के
चक्कर में उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया और अजय को नाराज़ कर
दिया..और वो अच्छी तरह से समझती थी की सेक्स के मामले में ठुकराया हुए
इंसान को बाहर मुँह मारने में देर नही लगती...वैसे भी पहले पूजा और अब
रिया ने आकर माहौल को कुछ ज़्यादा ही गरम कर दिया है...ऐसे मे अगर
अजय को वो खुश ना रख पाई तो ऐसा ना हो की वो उसकी बहनों की
तरफ आकर्षित हो जाए...जिसका पूरा-पूरा चांस था...
और ये सोचने के साथ ही वो भागकर बाहर आई..पर तब तक अजय बाहर
निकल चुका था..
वो समझ गयी की अब अजय को मनाना थोड़ा मुश्किल होगा...पता नही
कहाँ गया होगा वो..
पर उसे क्या पता था की वो तो वहां से निकल कर सीधा अपने पड़ोस में
यानी अपने ससुराल जा पहुँचा था..
 

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शाम को जब वो घर पहुँचा तो काफ़ी थका हुआ था,काम की वजह से
नही,बल्कि ट्रेफिक की वजह से,प्राची तो आज ऑफीस गयी नही थी,
इसलिए दरवाजा उसी ने खोला.और हमेशा की तरह अंदर आते ही उसने
उसका बेग लिया और गले लगाकर किस्स किया
प्राची : "उम्म्म्म आ गये आप...आज बड़ी देर कर दी...''
अजय : "यार, आज तो ट्रॅफिक ने परेशान करके रख दिया...''
प्राची : "पता है सुबह से रिया कितनी बार पूछ चुकी है आपके बारे में ...पता
नही एक ही दिन मे क्या जादू कर दिया है आपने मेरी भोली भली बहन पर..''
ये बोलते हुए उसके चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान थी,जो हर उस पत्नी के चेहरे पर
होती है जब वो अपने पति से किसी और औरत के बारे में बात करती है.
रिया का नाम सुनते ही अजय चोंक गया...वैसे भी आज पूरा दिन ऑफीस में
वो उसके बारे में ही सोचता रहा था और रास्ते में आते हुए भी वो रिया के
बारे में ही सोच रहा था..और घर आते ही अपनी बीबी से उसका नाम सुनने
को मिलेगा, ये उसे अंदाज़ा नही था..पर जो भी था, रिया की बात सुनकर
उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.
अजय ने चौंकते हुए कहा : "रिया...उसे क्या हुआ..उसको भला मुझसे क्या
काम है जो मेरे बारे में पूछ रही थी ..''
प्राची : "अब ये तो वो ही जाने...या उसके प्यारे जीजू जाने...हम भला कैसे
बताएँ..''
वो अपनी उसी मुस्कान के साथ फिर से उसके करीब आ गयी..अजय तब तक
सोफे पर बैठ चुका था..
अजय : "तुम सच में बड़ी शक्की हो...अपनी बहन को भी नही छोड़ा..''
प्राची : "होना पड़ता है जनाब, और ख़ासकर तब, जब पति इतना हेंडसम हो...''
इतना कहते -2 प्राची आकर अजय की गोद में बैठ गयी और अपनी बाहें
उसकी गर्दन में लपेट दी..
उसके नर्म कूल्हे अजय की जाँघ पर रेंग रहे उसके खड़े हुए लंड से आ टकराए..और
उसकी आँखे आश्चर्या से फैल गयी और बोली : "अच्छा जी, तो साली का
नाम सुनते ही आपका ये छोटा शेर खड़ा हो गया है...''
वो अजय को टीज कर रही थी रिया का नाम ले-लेकर..
अजय : "ओफफो...तुम भी ना...ये तो तुम्हे देखकर अकड़ रहा है...पता है कल भी
तुम ऐसे ही सो गयी थी..और मेरा इतना मन कर रहा था..''
प्राची : "ओल्ले मेला बैबी...तो मुझे उठा देते ना...आपको तो पता है ,सेक्स
जितना आपको पसंद है उतना ही मुझे भी...''


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अजय ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा : "पता है जान, पर कल तुम इतना थकी हुई
थी की मुझसे तुम्हे उठाया ही नही गया..''
प्राची ने अजय के हाथ पर हाथ रखकर अपना मुम्मा ज़ोर से दबा दिया और
सिसकारी मारने के बाद बोली : "उम्म ...हाँ , वो तो है, कल मै शायद
ज़्यादा ही थक गयी थी...और नींद भी मुझे गहरी वाली आई...और मेरी वजह
से मेरे बैबी को ऐसे ही सोना पड़ा...''
अब वो बेचारी भला क्या जानती थी की उसे वो गहरी वाली नींद कैसे
आई थी...और अजय को ऐसे ही नही सोना पड़ा था..उसकी मौसी ने रात
अच्छी तरह से सेवा करी थी अपने दामाद की , और दामाद ने भी उनकी
गांड मारकर भेजा है वापिस मुंबई उन्हे..
प्राची : "पर कोई बात नही...कल की कमी ,मैं अभी पूरी कर देती हूँ ...''
और इतना कहते ही प्राची टूट पड़ी अजय के चेहरे पर...और अजय भी उसके मुम्मे
मसलता हुआ उसके नर्म होंठों को चूसने लगा..


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ऐसा अक्सर होता नही था, क्योंकि दोनों एक साथ ही ऑफीस से घर आते
थे, इसलिए सेक्स सिर्फ़ रात को ही कर पाते थे, नयी शादीशुदा जिंदगी में
एक दिन का गैप भी उत्तेजना भर जाता है...और यही हो रहा था इस वक़्त
प्राची के साथ ...और वैसे भी अपने पति को बिना सेक्स के रखने का मतलब
उसे बाहर की दुनिया का रास्ता दिखाना , जहाँ जाकर वो अपनी इच्छा
की पूर्ति कर सके, ये मौका प्राची नही देना चाहती थी अजय को...
इसलिए उसने अजय के घर आने से पहले से ही ये सोच रखा था की आज उसके
आने के साथ ही वो चुदाई करवाएगी..रात वाली शिफ्ट बाद में लगाएगी
और यही कर रही थी वो इस वक़्त...
प्राची ने सूट और सलवार पहनी हुई थी...अजय ने उसके उपर की कमीज़ उतार
दी और एक हाथ से उसकी ब्रा भी खोल दी..
उसके दोनो कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर आ गये..

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और प्राची ने एक कबूतर की
गर्दन पकड़ कर अजय के मुँह में अपना निप्पल दे दिया , और अजय भी किसी
प्यासे जानवर की तरह उसपर टूट पड़ा और ज़ोर-2 से चुभलाते हुए उसे चूसने
लगा..निकालने लगा उसके अंदर जमीं मिठास को
''आआआआआहह ऊओ मेरा बैबी......पी ले.....मम्मा का दूध पी ले...''
ऐसा अक्सर बोला करती थी प्राची..जिसे सुनकर वो ज़्यादा उत्तेजित हो
जाया करता था.
प्राची : "आआआआआहह धीरे बैबी ....धीरे....मम्मा को दर्द होता
है.....अहह......''
अजय के सिर पर हाथ फेरती हुई प्राची ने अजय की पेंट की जीप खोल
दी...और उसके लंड की गर्दन पकड़कर बाहर खींच लिया..
उसके लंड को देखते ही वो नागिन की तरह लहराती हुई नीचे बैठ गयी उसके
कदमों में , और उसे पकड़ कर अपनी जीभ से सहलाया...उसे पुचकारा ...और
फिर एक गहरी साँस लेकर उसे निगल लिया..


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''आआआआआआआआहह प्राची ...........ओ मेरी
जान..............एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स..... .सकक्क मी.....''
अजय उसके रेशमी बालों पर दबाव देकर अपने लंड को उसके मुँह के और अंदर
धकेल रहा था...और वो भी अपने पंजों पर बैठकर अपने पति के छोटे भाई की
सेवा अपनी गर्म जीभ से कर रही थी...
उसकी थूक से अजय का लंड नहा गया....अजय ने अपनी बेल्ट खोलकर अपनी
पेंट को थोड़ा नीचे खिसका दिया जिसकी वजह से उसका लंड अब पूरी
तरह से बाहर निकल आया था...
और अब प्राची उसके लंड के साथ-2 उसकी बॉल्स को भी चाट पा रही थी...
और बॉल्स को चूसना और चाटना प्राची की स्पेशॅलिटी थी...अजय
जानता था की ये काम उससे अच्छा कोई और कर ही नही सकता इस
दुनिया में ...
अजय ने आँखे मूंद ली और वो रिया को इमेजिन करने लगा...क्योंकि सुबह से
वही उसके दिमाग़ पर कब्जा जमाए हुए थी, इसलिए उसे फिर से अपनी बंद
आँखो के पीछे बुलाना मुश्किल नही था...अब माहौल ये था की लंड तो
प्राची चूस रही थी उसका, पर वो बंद आँखो से ये महसूस कर रहा था की
रिया चूस रही है इस वक़्त वो लंड..
अजय का लंड अब पूरी तरह से तैयार था...उसने अपनी आँखे खोल दी..और उसने
प्राची को उपर की तरफ खींचकर नंगी होने का आदेश दिया, यानी चुदाई
का वक़्त आ गया था..
प्राची खड़ी हुई और उसने अपनी सलवार निकाल दी...और अँग्रेज़ी
फिल्मों की तरह अपनी गांड अजय की तरफ करके अपनी पेंटी भी उतार
दी...और नीचे झुकने के बाद वो अपनी गोल मटोल गांड लेकर कुछ देर तक
उसी पोज़ में खड़ी भी रही...


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अजय उसकी मांसल गांड को देखकर अपने लंड को रगड़ता रहा तब तक..
और बोला : "अब आ भी जा प्राची....कम ऑन ....''
प्राची उसकी तरफ पलटी,पूरी नंगी...
और धीरे-2 चलती हुई उसके करीब आई..
और तभी उनके रंग मे भंग डालते हुए बाहर की डोर बेल ज़ोर-2 से बजने लगी..
दोनो के चेहरे पर गुस्सा आ गया..
प्राची : "उफ़फ्फ़ इस वक़्त कौन आ गया....ईडियट...''
अजय ने फ़ौरन अपने लंड को वापिस पेंट के अंदर ठूसा और प्राची ने भी अपने
फेले हुए कपड़े लिए और बाथरूम की तरफ भागी और बोली : "आप प्लीज़
देखो ना कौन है...और हो सके तो बाहर से ही टरका देना,चाहे जो भी हो...''
आख़िर उसकी चूत में भी तो आग लगी हुई थी इस वक़्त..
अजय भी झुंझलाते हुए दरवाजे तक गया, तब तक बेल लगातार बजती ही जा
रही थी..
अजय : "अरे आ रहा हू बाबा...रूको एक मिनट ...''
अजय ने दरवाजा खोला तो उसका सारा गुस्सा एक ही पल में गायब हो
गया...बाहर रिया खड़ी थी.
अजय : "अरे...रिया तुम.....आओ अंदर आओ...''
पिंक कलर के सूट में वो कमाल की लग रही थी
रिया : "मैने दीदी को बोला था की जैसे ही जीजू आए तो मुझे बता
देना...वो तो मैने आपकी कार देख ली बाहर खड़े हुए,तब पता चला मुझे की
आप आ चुके हो ...''
अजय ने अपने चेहरे पर फिर से वही नाराज़गी वाले एक्स्प्रेशन लगा दिए..और
दरवाजा बंद करके उसकी बात का जवाब दिए बिना ही अंदर आ गया..
रिया समझ गयी की उसके जीजू अभी तक नाराज़ है...
रिया (बड़े ही प्यार भरे स्वर मे) : "जीजू...वो मैं क्या कह रही थी...की
....मुझे माफ़ कर दो प्लीज़...सुबह वाली बात के लिए...''
अजय (नाटक करते हुए) : "कौनसी बात ...मुझे तो कोई बात याद भी नही है...''
अजय ने बड़े सपाट स्वर में उसे देखे बिना ये बोला था, रिया समझ गयी की
उन्हे मनाना आसान नही होगा...
और इसी बीच अंदर बाथरूम में नंगी खड़ी हुई प्राची उनकी बातें सुनने की
कोशिश कर रही थी...उसे ये तो पता चल गया था की रिया आई है, और उसे
गुस्सा भी बहुत आ रहा था उसके इस वक़्त आने का...पर अजय ने उसे बाहर से
ही क्यों वापिस नही भेज दिया...इसलिए उसपर भी गुस्सा आ रहा था
प्राची को...बाथरूम थोड़ा दूर था इसलिए उनकी बातें नही सुन पा रही
थी वो...उसने झक्क मारकर अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए..
इसी बीच रिया घूमकर अजय के सामने आई और ठीक उसके सामने अपने कान
पकड़कर खड़ी हो गयी...इतने करीब की उसके नन्हे-2 बूब्स अजय को टच कर रहे थे..
रिया उपर मुँह करके धीरे से बोली : "ओके बाबा...सॉरी ...ये लो ...कान
पकड़ कर सॉरी...और सुबह वाली बात के लिए आप मुझसे कुछ भी करवा
लो...मैं मना नही करूँगी....''
अजय का लंड अभी तक खड़ा हुआ था, और रिया को इतने करीब खड़ा देखकर
वो उभरकर उसकी जांघे छूने के लिए मचल उठा..अजय भी थोड़ा आगे बड़ा,
उसने रिया की दोनो बाहों को पकड़ा और अपने से और सटा लिया, ऐसा
करते हुए उसकी नर्म छातियाँ तो उसके सीने में धँस ही गयी, उसके खड़े हुए
लंड को भी अपनी मुराद पूरी करने का मौका मिल गया,उसने रिया की
नर्म जांघों को छू लिया..
रिया तो सकपका सी गयी,अपने जीजू द्वारा ऐसे पकड़े जाने के बाद, पर
वो उन्हे कुछ बोलकर फिर से नाराज़ नही करना चाहती थी, इसलिए चुप
चाप खड़ी रही..
अजय ने उसकी बात दोहराते हुए कहा : "कुछ भी करवा लूँ ...''
रिया के होंठ फड़फडा उठे जवाब देते हुए : ''हाँ जीजू....कुछ भी...''
उसकी गर्म साँसें अजय को अपने चेहरे पर महसूस ही रही थी...उसका तो मन
किया की अभी के अभी उसके गुलाबी होंठों का रस पी जाए, उसे दबोच ले
और एक गहरी स्मूच कर दे..
पर तभी उसे बाथरूम में खड़ी प्राची का ख़याल आया और उसने रिया को
एक झटके में छोड़ दिया...
और उसकी किस्मत देखिए ज़रा, ठीक उसी वक़्त बाथरूम का दरवाजा
खोलकर प्राची बाहर निकली...तब तक रिया अपनी सांसो पर नियंत्रण
पाकर सामान्य हो चुकी थी और अजय ने भी थपकीयाँ देकर अपने लंड को
वापिस सुला दिया था.
प्राची : "अरे रिया...तुम....मैं तुझे फोन करने ही वाली थी...अजय बस अभी
आएँ है...चल कर ले इनसे वो अपनी ज़रूरी वाली बात, तब तक मैं अजय के लिए
चाय बनाकर लाती हूँ ...''
रिया को देखकर अंदर ही अंदर वो जल भुन तो काफ़ी रही थी ...पर आख़िर
थी तो उसकी कजन सिस्टर ही ना, इसलिए मन मारकर रह गयी
बेचारी..और चुदाई को उसने रात के लिए टाल दिया..
रिया : "दीदी, वो तो बस मैं जीजू से ये पूछना चाहती थी की ये मेरा
एडमिशन कहाँ करवाएँगे, मुझे एडमिशन से पहले अपनी कंप्यूटर नॉलेज इम्प्रूव
करनी है...''
अजय : "तुम चिंता ना करो, मैने कहा था ना,मैं करवा दूँगा...तुम चाहो तो
कल ही चलना मेरे साथ..''
प्राची उनकी बातें सुनती हुई किचन में चली गयी..
उसके जाते ही रिया ने अजय से दबे स्वर मे कहा : "जीजू...आपने मुझे माफ़ कर
दिया न...''
अजय भी दबे स्वर में बोला : "इसका फ़ैसला तब होगा जब तुम अपनी सज़ा
पूरी कर लोगी...''
अजय ने उसकी कुछ देर पहले कही हुई बात का हवाला दिया..
रिया भोली ज़रूर थी पर इतनी भी नही की ऐसे कही हुई बातों को समझ ना सके..
बेचारी का दिल जोरों से धड़कने लगा की पता नही उसके जीजू उसे कैसी
सज़ा देंगे..
वो बेचारी ये सोच ही रही थी की प्राची वापिस आ गयी, चाय
लेकर..और सभी सोफे पर बैठकर बातें करने लगे और चाय पीने लगे.
प्राची : "अरे, तू एकदम से इतनी परेशन क्यो हो गयी ...बोल तो रहे है तेरे जीजू
की कल चलेंगे तेरे साथ...''
रिया : "वो ...दीदी ...मैं तो सोच रही थी की..पता नही मुझे ढंग के कॉलेज
में एडमिशन मिलेगा भी या नही..''
प्राची : " अरे, तू फ़िक्र ना कर...तेरे जीजू को सभी इन्स्टिट्यूट और कॉलेजस
के बारे में पता है अच्छी तरह से..पूजा का एडमिशन भी तो इन्होने करवाया
था..तू फ़िक्र ना कर..और वैसे भी आजकल तो सारी इंफोर्मेशन नेट पर मिल
ही जाती है...ये सब देख लेंगे..''
अब भला प्राची को वो कैसे समझती की उसे अपने एडमिशन की नही
बल्कि जीजू की कही हुई बात की चिंता सता रही है..
पर उसने भी मन में ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो जाए,जीजू तो
उसकी हेल्प ही कर रहे हैं ना..ऐसे में उन्हे नाराज़ करके वो नही रख सकती..
और दूसरी तरफ अजय के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था...वो इस हाथ आए
मौके का फायदा अच्छी तरह से उठाना चाहता था..रिया तो उसके लिए
कोई चुनोती नही थी, उसका दिमाग़ तो पूजा की तरफ चल रहा था, और
अपनी योजना के अनुसार वो रिया का इस्तेमाल करके पूजा को जाल में
फंसाना चाहता था..
चाय ख़त्म होते ही प्राची वापिस किचन में चली गयी और अजय ने दबे स्वर
में रिया से कहा : "अब तुम जाओ...मैं थोड़ी देर में वहीं आता हूँ ..और जो मै
कहूं वो चुपचाप मानती रहना, कोई आर्गुमेंट नही,वरना अपनी डील कैंसल
..समझी...''
रिया बेचारी को कुछ समझ नही आया की आख़िर अजय क्या करवाना
चाहता है उससे...बुरे से बुरा तो वो यही समझ रही थी की शायद उसके जीजू
उसके साथ कुछ ग़लत काम...यानी किस्स वगेरह या कुछ और करेंगे...पर उनकी
बातों से तो ऐसा कुछ लग ही नही रहा था...और वैसे भी उसने इतना तो
सोच ही लिया था की ये छोटे-मोटे काम के लिए वो उन्हे नही टोकेगी,पर
हद से आगे भी नही बढ़ने देगी...
वो चुपचाप सी सिर हिला कर अजय की बात मानती हुई उठी और वापिस
चली गयी..
उसके जाने के बाद अजय वापिस किचन में गया,जहाँ प्राची काम कर रही
थी और उसकी उभरी हुई गांड में अपना लंड फँसा कर खड़ा हो गया..और
अपने हाथ उपर करते हुए उसके बूब्स दबाने लगा..
और उसके कानो को मुँह में लेकर धीरे से बोला : "चलो ना...जो काम अधूरा
छोड़ा था वो पूरा करते हैं...''
प्राची (थोड़ा गुस्से में ) : "रहने दो...मैने कहा था ना उस वक़्त की जो भी
हो उसे वापिस भेज देना, पता है मैं बाथरूम में नंगी खड़ी थी , फिर भी आपने
रिया को अंदर कैसे आने दिया..अब मेरा मूड नही है कुछ भी करने का..''
अजय : "अरे,तुम्हारी बहन है,मैं उसे कैसे मना कर सकता हूँ अपने घर आने से...और
अपने मूड का ज़ोर मुझपर ना चलाया करो...... समझी...''
और अजय भी गुस्सा होते हुए बाहर निकल गया.
प्राची बेचारी अपना सिर पीटकर रह गयी...शायद गुस्सा दिखाने के
चक्कर में उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया और अजय को नाराज़ कर
दिया..और वो अच्छी तरह से समझती थी की सेक्स के मामले में ठुकराया हुए
इंसान को बाहर मुँह मारने में देर नही लगती...वैसे भी पहले पूजा और अब
रिया ने आकर माहौल को कुछ ज़्यादा ही गरम कर दिया है...ऐसे मे अगर
अजय को वो खुश ना रख पाई तो ऐसा ना हो की वो उसकी बहनों की
तरफ आकर्षित हो जाए...जिसका पूरा-पूरा चांस था...
और ये सोचने के साथ ही वो भागकर बाहर आई..पर तब तक अजय बाहर
निकल चुका था..
वो समझ गयी की अब अजय को मनाना थोड़ा मुश्किल होगा...पता नही
कहाँ गया होगा वो..
पर उसे क्या पता था की वो तो वहां से निकल कर सीधा अपने पड़ोस में
यानी अपने ससुराल जा पहुँचा था..
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Jash1990

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रिया वापिस . जाकर गुमसुम सी होकर सोफे पर बैठ गयी थी,और उसे ऐसे
बैठा देखकर पूजा उसके पास आई, पूजा अभी घर पर अकेली थी,उसके मम्मी-
पापा मार्किट गए हुए थे, और बोली : "क्या हुआ रिया...तू तो जीजू से
मिलने गयी थी ना...क्या बोला उन्होने...''
पर वो चुपचाप सी बैठी रही...पूजा के तेज दिमाग़ में एक विचार कोंधा की
कहीं जीजू ने उसके साथ कोई ऐसी-वैसी हरकत तो नही कर दी ना,वैसे भी
पूजा और रिया आपस मे कुछ ज़्यादा ही क्लोज़ थे,और पूजा तो उसे अपनी
सग़ी बहन से भी बढ़कर मानती थी,इसलिए उसकी काफ़ी केयर करती थी.
पूजा : "बोल ना रिया, क्या हुआ...जीजू ने कुछ ग़लत किया क्या तेरे साथ...''
रिया : "अर्रे नही....जीजू भला ऐसा क्या करेंगे...वो तो बस...''
और तभी बाहर की बेल बज उठी...पूजा ने उठ कर दरवाजा खोला और सामने
अजय को खड़ा देखकर वो चौंक गयी, अभी एक मिनट पहले ही रिया वहाँ से
आई है और अब उसके जीजू भी उसके पीछे-2 आ गये, कुछ तो गड़बड़ है...
पर थे तो उसके जीजू ही ना, इसलिए मुस्कुरा कर उन्हे अंदर बुलाया और सोफे
पर बिठा कर पानी लेने चली गयी..
अजय ने रिया को देखा और उसे अपने पास आकर बैठने को कहा..वो चुपचाप
आकर बैठ गयी...अजय उसके चेहरे को देखकर ही समझ गया था की वो उसकी
बात से परेशान हो रही है,इसलिए उसे धीमी आवाज़ में नॉर्मल रहने को
कहा,और अपनी डील की याद भी दिलाई..
वो थोड़ा मुस्कुराते हुए नॉर्मल होने की एक्टिंग करने लगी..
तब तक पूजा भी पानी लेकर आ गयी
पूजा : "ये क्या जीजू...आप तो नयी साली के आने के बाद अपनी पुरानी
साली को भूल ही गये...और इसे भी आपने पता नही क्यों नाराज़ सा कर
दिया है, देखो तो ज़रा,अभी जाने से पहले इसका चेहरा बिल्कुल खिला
हुआ सा था और अब मुरझा गया है...''
अजय : "अरे पूजा डार्लिंग, तुम्हे मैं कैसे भूल सकता हूँ ,और ये मेरी वजह से नही
बल्कि तुम्हारी दीदी की वजह से परेशान लग रही है,उसने इसे डांट दिया
की मेरे आते ही अपना काम लेकर आ गयी है...है ना रिया..''
वो रिया की तरफ देखता हुआ बोला, और रिया तो उसकी गुलाम बन चुकी
थी,इसलिए वो भी मुस्कुराते हुए अजय का साथ देने लगी और पूजा से बोली
: "हाँ पूजा, मैं भी तुझे यही कहने वाली थी,जीजू की वजह से नही बल्कि
दीदी की वजह से अपसेट थी मैं ...''
पूजा : "अरे मेरी प्यारी बहन, तू भी ना, भला बड़ी बहन के डाँटने पर भी कोई
ऐसे बिहेव करता है भला...और दीदी भी सही है अपनी जगह , उनका पति
सुबह का थका हुआ घर आया है और तुम उसी वक़्त पहुँच गयी उनके पास,उन्हे
तंग करने...थोड़ा तो सोचना चाहिए था भला...''
वो शरारती हँसी हंसते हुए ये बात बोल रही थी...और उसकी बात का मतलब
अजय तो समझ रहा था पर भोली भाली रिया उल्लू जैसा चेहरा बना कर
उन दोनो को देखे जा रही थी..वो समझ तो चुकी थी की पूजा का इशारा
किस तरफ है..
इसलिए वो बोली : ''अब इसमे क्या प्राब्लम है...जीजू तो अभी-2 घर आए
थे...और वो काम तो रात को ही होते है ना...''
उसकी बात सुनकर पूजा तो एकदम से झेंप ., उसे उम्मीद नही थी की रिया
ऐसी बात बिना सोचे समझे बोल देगी...और अजय तो जैसे इसी मौके की
ताक में बैठा था,वो बोला : "अरे मेरी भोली साली साहिबा,जब तुम्हारी
शादी होगी ना अब पता चलेगा की ये रात वाले काम दिन में करने में
कितने मज़े आते हैं..और ख़ासकर तब जब तुम्हे मेरे जैसा ठरकी पति मिलेगा..''
ठरकी बोलते हुए वो पूजा को ही देख रहा था,जो शायद उसे दुनिया का
सबसे बड़ा ठरकी समझती थी...और आज उसके सामने ये बात कबूल कर वो
उसके चेहरे के एक्शप्रेशन देखना चाहता था..
पहले तो रिया और अब अजय की ऐसी बात सुनकर पूजा तो पानी-2 हुई जा
रही थी...उसे रिया के बारे में तो पता था की उसे ऐसी बातों की कुछ
ज़्यादा समझ नही है,पर अजय ने उसकी बात पकड़कर जो फायदा उठाया है
वो उसे बिल्कुल अक्चा नही लगा था,पर वो कर भी क्या सकती थी
भला,आख़िर ऐसी बात करनी तो रिया ने ही शुरू की थी ना...
पूजा कुछ बोलने ही वाली थी रिया को की तभी रिया ने एक और
धमाका किया : "ये ठरकी क्या होता है...मैं हमेशा से सुनती आ रही हू,स्कूल
में भी कई लड़कियाँ हमारे टीचर्स को या दूसरे बाय्स को ठरकी बोला
करती थी..पर इसका मतलब मैं आजतक नही समझ सकी हूँ ...बताओ ना
जीजू..क्या मतलब होता है इसका...''
उसकी ये बात सुनकर अजय के साथ -2 पूजा की भी हँसी निकल गयी....और
दोनो अपना पेट पकड़ कर हंसते-2 दोहरे हो गये...और बेचारी रिया उन दोनो
को ऐसे हंसता देखकर अपनी कही हुई बात का मतलब समझने की कोशिश कर
रही थी की उसने ऐसा क्या बोल दिया आख़िर..
और हँसी रुकने के बाद पूजा बोली : "रिया...तुझे ना अभी बहुत कुछ सीखना
बाकी है...वैसे भी आज से तू मेरे कमरे में ही सोएगी,तुझे ट्रेनिंग देना मेरी
ज़िम्मेदारी है अब...''
अजय भी मौके का फायदा उठाकर बोला : "और कोई एडवांस ट्रेनिंग
चाहिए तो बंदा हाजिर है...''
पूजा उसकी बात का मतलब समझकर शरमा गयी...और रिया की तरफ से वो
खुद बोल पड़ी और वो भी मंद-2 मुस्कुराते हुए : "नो थेंक्स जीजू...आप अपनी
सर्विस हमारी दीदी तक ही रखे तो ही अच्छा होगा..''
अजय (बुरा सा मुँह बनाते हुए) : "अरे उन्हे सर्विस देने की कोशिश ही कर रहा
था की रिया बीच में आ गयी और आपकी दीदी का मूड ऑफ हो गया...''
अब पूजा समझ गयी की क्यों प्राची ने रिया को डाँटा होगा...भले ही
ऐसा कुछ हुआ नही था, पर अजय ने सभी बातों को ऐसे जोड़ कर कहानी
बना दी की पूजा को भी उसकी बातों का विश्वास हो गया..
पूजा : "अच्छा ...तो इसका मतलब है सच में कुछ चल रहा था ..''
अजय : "और नही तो क्या, मैं झूट बोल रहा हूँ ...चाहो तो अपनी बहन से
जाकर पूछ लो...''
पूजा फिर से शरमा गई, कैसे वो और उसके जीजू सेक्स की बातें ऐसे कर रहे
थे,और वो लोग क्या सच में सेक्स कर रहे थे...ये सोचकर ही उसका शरीर तपने
लगा था..और उसने खुद ही नोट किया की उसके निप्पल बाहर की तरफ
निकल कर उभर आए हैं...



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पूजा : ''आप बैठो,मैं आपके लिए कुछ लेकर आती हूँ ...''
और इतना कहकर वो भागकर किचन में आ गयी...क्योंकि अजय की ठरक भरी
नजरों ने उसकी छाती में लगे बल्ब जलते हुए देख लिए थे...
अंदर जाकर उसने बड़ी मुश्किल से अपनी तेज सांसो को नियंत्रित किया
और धीरे से बोली : "ये जीजू कितने शरारती है...सच में ...इनसे तो रिया को
बचाकर रखना होगा...वरना पता नही क्या होगा..''
और दूसरी तरफ अंदर बैठा हुआ अजय रिया को कल के बारे में समझा रहा था
और उसके डॉक्युमेंट्स को रेडी रखकर अगले दिन का . फिक्स कर रहा था.
पूजा जब बाहर आई तो उन्हे ऐसे बातें करता देखकर उसे पता नही क्यो अंदर
ही अंदर रिया के लिए डर सा सताने लगा..क्योंकि जितनी भोली उसकी
कजिन थी उतने ही चालक उसके जीजू थे..ऐसे में वो अकेले में रहकर उसका
कितना फायदा उठा सकते है ये बताने की ज़रूरत नही थी..
उसने भी निश्चय कर लिया की वो आज रात से ही रिया को अच्छे से
ट्रैनिंग देनी शुरू कर देगी..और ज़्यादा से ज़्यादा रिया के साथ रहने की
कोशिश करेगी ताकि उसके जीजू या और भी कोई उसका कोई ग़लत
फायदा ना उठा सके..
और अंदर ही अंदर पता नही क्यों पर पूजा को अपने जीजू पर पहला हक
उसका खुद का लग रहा था...क्योंकि रिया के आने से पहले भी उसके जीजू
उसके साथ छेड़ छाड़ करते रहते थे, भले ही उपर से वो थोड़ा बहुत गुस्सा
दिखाती थी पर अंदर ही अंदर उसे वो सब कब अच्छा लगने लग गया था वो
भी नही जानती थी...और अब रिया के साथ जब उसके जीजू वही सब
शरारतें कर रहे है तो वो अपने आप को पीछे छूटता हुआ महसूस कर रही थी...
अजय कुछ देर तक बैठा रहा और फिर चला गया...और वहां से निकल कर वो
अपने घर नही गया बल्कि एक दोस्त से मिलने चला गया,क्योंकि अभी
अपनी बीबी को वो थोड़ा और गुस्सा दिखाना चाहता था..उसे पता
था की ऐसी बीबियों को ठीक करने का यही तरीका है
और उसके जाने के बाद पूजा ने रिया को समझाया की ऐसे बिना सोचे
समझे कोई भी बात हर किसी के आगे नही बोलनी चाहिए...और क्या-2
नही बोलना चाहिए इसकी ट्रेनिंग आज रात को वो उसको देगी...
रात को पूजा जब अपने कमरे में पहुँची तो रिया पहले से ही उसके बेड पर आ
चुकी थी...उसने सिल्क की स्ट्रेप वाली शमीज़ और उसी कपड़े की छोटी
सी निक्कर पहनी हुई थी...

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बिल्कुल बेबी डॉल लग रही थी वो उसमे...और
बड़ी ही सेक्सी...
पूजा ने उसे देखकर सोचा 'ऐसे मे अगर जीजू ने इसको देख लिया तो अभी
इसके साथ सुहागरात मना डालेंगे...'
और अपनी बात पर उसे खुद ही हँसी आ गयी...ये सोचकर भी की कैसे अब हर
बात में वो जीजू के बारे में सोचने लगी है..
उसे ऐसे दरवाजे पर खड़ा हुआ मुस्कुराता हुआ देखकर रिया बोली : "अरे
दीदी...क्या हुआ...आप वहां खड़े हुए क्या सोचकर मुस्कुरा रहे हो...आओ ना
यहाँ पर जल्दी...''
उसे शायद अपनी ट्रैनिंग स्टार्ट करने की जल्दी थी.
पूजा ने वही शाम वाली टी शर्ट और जीन्स पहना हुआ था...अब उसके पास
रिया जैसी कोई सेक्सी नाइट ड्रेस तो थी नही..पर फिर भी वो अपने आप
को उससे कम नही दिखाना चाहती थी...इसलिए अंदर आते ही पूजा ने
दरवाजा बंद किया और शीशे के सामने खड़े होकर कुछ देर तक अपना फिगर
देखती रही और फिर एक ही झटके मे अपनी टी शर्ट उतार कर साइड में रख
दी ..और अब वो सिर्फ़ एक ब्रा में खड़ी थी शीशे के सामने...


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दूर बैठी रिया उसे ऐसे करता देखकर हैरान रह गयी...क्योंकि पूजा तो खुद
ही उसे ढंग से रहने के और कपड़े सही से पहनने के तरीके बताती थी...ऐसे में वो
खुद ही उसके सामने सिर्फ ब्रा में खड़ी होकर शीशे में अपना फिगर देखकर
इतरा रही थी,ये थोड़ा अजीब सा लगा उसे...पर वो उस झटके से उबर भी
नही पाई थी की एक और झटका देते हुए पूजा ने अपनी जीन्स भी उतार
दी...और अब वो मेचिंग पेंटी में खड़ी थी उसके सामने...

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पीछे बैठी हुई रिया
तो उसकी भरी हुई गांड देखकर हैरान रह गयी...क्योंकि ऐसी गांड तो वो
खुद की ही चाहती थी...इतनी भरी हुई सी और गूदेदार ....
पूजा भी धड़कते दिल से शायद पहली बार ये सब कर रही थी...उसने आज तक
ये काम अकेले में नही किए थे जो वो इतनी निडरता के साथ रिया के सामने
कर रही थी...
फिर वो अपनी अलमारी की तरफ गयी और उसमे से झुककर कुछ ढूँढने
लगी...और फिर काफ़ी देर बाद उसे वो मिल ही गया जो तलाश कर रही
थी वो...वो एक रेपरोन था..जो बिल्कुल झीने कपड़े का बना हुआ था...उसने
वो पहना और ऐसे ही चलती हुई बेड तक आ गयी...

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और सच में अब वो रिया से
भी सेक्सी लग रही थी..
रिया : "दीदी ....ये क्या हो गया है आपको...मैने तो आज तक आपको ऐसे
कपड़ो में नही देखा...और आपने अभी उपर भी कुछ नही पहना..यानी
...सिर्फ़ ब्रा ही तो है...''
पूजा : "देख गुड़िया....तुझे अब मेरे साथ रोज सोना है तो तू ये बात जान ले, मैं
ऐसे ही सोती हू...बिना टॉप के....और कभी-2 तो टॉपलेस होकर भी....''
वो मुस्कुराती हुई बोली ...
रिया तो उसकी ये बात सुनकर वो इमेजिन ही करने लगी की पूजा नंगी सी
होकर सो रही है इस बेड पर...


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पूजा : "पर इसका मतलब ये नही है की मैं बाहर भी ऐसी हू...तू तो जानती है,
मैं बाहर काफ़ी संभलकर रहती हू...और कपड़े भी ढंग के ही पहनती हू...ताकि
कोई अपनी गंदी नज़रों से मुझे ना चोद सके...''
उसने ''चोद'' शब्द का इस्तेमाल बड़ी आसानी से रिया के सामने कर दिया..
रिया (मुंह गोल करते हुए) : "चोद सके ???? कोई भला नज़रों से कोई कैसे चोद
सकता है दीदी ??''
पूजा : "तू सच में बड़ी भोली है मेरी प्यारी बहना...इसलिए तो मैने तुझे अपने
साथ सुलाने का फ़ैसला किया है ...अब से तू हमेशा मेरे साथ रहा कर...और
जैसा मैं समझाऊ ,वो समझकर ही चला कर...''
उसकी बात सुनकर थोड़ी देर तक तो वो कुछ सोचती रही और फिर एकदम से
उसने भी अपनी वो सेक्सी सी शमीज़ उतार कर साइड में फेंक दी...और अंदर
तो उसने जो ब्रा पहनी हुई थी वो और भी ज़्यादा सेक्सी थी...जिसमे
फंसी हुई उसकी नर्म मुलायम छातियाँ बड़ी ही सेक्सी लग रही थी..


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पूजा : "अरे...ये क्या कर रही है पगली ???''
रिया : "अरे दीदी...आपने ही तो कहा ना अभी...जैसा आप कहेंगी ,वो
समझा करू....तो आप जब बिना टॉप के हैं तो मैं भला क्यों ऐसे रहु....''
बेचारी पूजा अपनी ही बात में खुद फँस गयी थी..
खैर, पूजा ने नाइट बल्ब जलाया और बेड पर आ गयी...
और शाम को हुई जीजू के सामने वाली बात छेड़ दी...जिसमे वो ठरकी का
मतलब जानने की कोशिश कर रही थी..
और अब पूजा ने उसे विस्तार से बताया की असल में ठरकी किसे कहते हैं
पूजा : "देख रिया...वैसे तो हर आदमी में ठरक होती है...इन्फेक्ट लड़कियों में
भी, पर वो ज़्यादा दिखाती नही है...आदमी के सामने कोई भी जवान
लड़की या औरत आती है तो वो उसे ऐसी नज़रों से देखता है जैसे वो वही
उसका रेप कर देगा...वैसे तो उनका ऐसा देखना ग़लत होता है पर कई
लड़किया इसे भी एंजाय करती है...और मैं नही चाहती की तू भी उनमे से
हो...हम लड़कियों को थोड़ी अकड़ में रहना पड़ता है, ताकि ऐसे लड़के हमारे
आगे पीछे घूमे,नही तो हमारी वैल्यू कुछ भी नही रहेगी...''
रिया तो उसकी बातें ऐसे सुन रही थी जैसे कोई प्रवचन चल रहा हो...वो
सुनती रही और फिर लास्ट मे बोली : "पर दीदी...आपने जैसा कहा की ये
ठरक हमारे अंदर भी होती है...तो हमेशा ऐसा क्यो होता है की लड़के ही
वो सब मज़ा ले, हमे भी तो हक है अपने अंदर की भावनाओ को व्यक्त करने
का...आई मीन जो काम वो कर सकते हैं वही काम हम करे तो इसमे भला क्या
ग़लत है...''
धाक के तीन पात...इतनी देर से जो बात पूजा उसको समझाने की कोशिश
कर रही थी,वो उससे उल्टा ही सोच रही थी अब तक....
फिर उसने रिया को उसके हिसाब से समझना : "देख रिया, कभी-2 तो
चलता है पर हमेशा अपनी भावनाए व्यक्त नही करनी चाहिए...जैसा की
अभी हम दोनो अपने कमरे में बिना टॉप के सो रही है, पर बाहर जाने के लिए
तो हमे कुछ पहनना ही होगा ना, ऐसे ही आपस में तो हम भले ही कुछ भी कर
ले या बोल ले, पर बाहर की दुनिया को हमे अपना दूसरा रूप ही दिखाना
होता है...''
रिया कुछ नही बोली...वो उसकी भारी भरकम बातों के जाल से बचना
चाहती थी...इसलिए उसने बात ही बदल दी, वो बोली : "चलो छोड़ो
दीदी ये सब बातें....मैं बाहर तो रह लूँगी आपके हिसाब से, पर आप तो मुझे
जीजू के सामने भी ऐसी बातें करने से रोक रही थी...वो तो अपने ही है
ना...मेरा इतना ध्यान भी रखते हैं...उनसे भला क्या प्राब्लम.."
अब भला पूजा उसे सॉफ-2 कैसे कहती की वही तो दुनिया का सबसे बड़ा
ठरकी है जिससे बचने के लिए वो ये सब भाषण दे रही है...पर वो बोल नही
पाई...अपने ही जीजू को वो बदनाम भी नही करना चाहती थी..और वो
भी रिया के सामने,जिसे इतनी भी समझ नही है की कोई बात सुनकर उसे
अपने तक ही रख ले, क्या पता कल जाकर वो प्राची दीदी को ही ये सब
बक दे की पूजा उनके पति के बारे में कैसी-2 पट्टियां पड़ा रही है उसे...
आज पहला दिन था वैसे भी, इसलिए उसे और समझाकर वो रिया पर भी
ज़्यादा बोझ नही डालना चाहती थी...इसलिए बस मुस्कुरा कर रह गयी
और थोड़ी देर और इधर-2 की बातें करने के बाद वो सो गये...कल कुछ और
सीखने की बात करके...
और रिया तो अगले दिन अपने जीजू के साथ बाहर जाने की बात पर बड़ी
एक्ससाइटेड थी...और उसने सोच भी लिया था की अब अपनी किसी भी
बेवकूफी से वो अपने प्यारे जीजू को नाराज़ नही करेगी..
 

Raja maurya

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शाम को जब वो घर पहुँचा तो काफ़ी थका हुआ था,काम की वजह से
नही,बल्कि ट्रेफिक की वजह से,प्राची तो आज ऑफीस गयी नही थी,
इसलिए दरवाजा उसी ने खोला.और हमेशा की तरह अंदर आते ही उसने
उसका बेग लिया और गले लगाकर किस्स किया
प्राची : "उम्म्म्म आ गये आप...आज बड़ी देर कर दी...''
अजय : "यार, आज तो ट्रॅफिक ने परेशान करके रख दिया...''
प्राची : "पता है सुबह से रिया कितनी बार पूछ चुकी है आपके बारे में ...पता
नही एक ही दिन मे क्या जादू कर दिया है आपने मेरी भोली भली बहन पर..''
ये बोलते हुए उसके चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान थी,जो हर उस पत्नी के चेहरे पर
होती है जब वो अपने पति से किसी और औरत के बारे में बात करती है.
रिया का नाम सुनते ही अजय चोंक गया...वैसे भी आज पूरा दिन ऑफीस में
वो उसके बारे में ही सोचता रहा था और रास्ते में आते हुए भी वो रिया के
बारे में ही सोच रहा था..और घर आते ही अपनी बीबी से उसका नाम सुनने
को मिलेगा, ये उसे अंदाज़ा नही था..पर जो भी था, रिया की बात सुनकर
उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.
अजय ने चौंकते हुए कहा : "रिया...उसे क्या हुआ..उसको भला मुझसे क्या
काम है जो मेरे बारे में पूछ रही थी ..''
प्राची : "अब ये तो वो ही जाने...या उसके प्यारे जीजू जाने...हम भला कैसे
बताएँ..''
वो अपनी उसी मुस्कान के साथ फिर से उसके करीब आ गयी..अजय तब तक
सोफे पर बैठ चुका था..
अजय : "तुम सच में बड़ी शक्की हो...अपनी बहन को भी नही छोड़ा..''
प्राची : "होना पड़ता है जनाब, और ख़ासकर तब, जब पति इतना हेंडसम हो...''
इतना कहते -2 प्राची आकर अजय की गोद में बैठ गयी और अपनी बाहें
उसकी गर्दन में लपेट दी..
उसके नर्म कूल्हे अजय की जाँघ पर रेंग रहे उसके खड़े हुए लंड से आ टकराए..और
उसकी आँखे आश्चर्या से फैल गयी और बोली : "अच्छा जी, तो साली का
नाम सुनते ही आपका ये छोटा शेर खड़ा हो गया है...''
वो अजय को टीज कर रही थी रिया का नाम ले-लेकर..
अजय : "ओफफो...तुम भी ना...ये तो तुम्हे देखकर अकड़ रहा है...पता है कल भी
तुम ऐसे ही सो गयी थी..और मेरा इतना मन कर रहा था..''
प्राची : "ओल्ले मेला बैबी...तो मुझे उठा देते ना...आपको तो पता है ,सेक्स
जितना आपको पसंद है उतना ही मुझे भी...''


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अजय ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा : "पता है जान, पर कल तुम इतना थकी हुई
थी की मुझसे तुम्हे उठाया ही नही गया..''
प्राची ने अजय के हाथ पर हाथ रखकर अपना मुम्मा ज़ोर से दबा दिया और
सिसकारी मारने के बाद बोली : "उम्म ...हाँ , वो तो है, कल मै शायद
ज़्यादा ही थक गयी थी...और नींद भी मुझे गहरी वाली आई...और मेरी वजह
से मेरे बैबी को ऐसे ही सोना पड़ा...''
अब वो बेचारी भला क्या जानती थी की उसे वो गहरी वाली नींद कैसे
आई थी...और अजय को ऐसे ही नही सोना पड़ा था..उसकी मौसी ने रात
अच्छी तरह से सेवा करी थी अपने दामाद की , और दामाद ने भी उनकी
गांड मारकर भेजा है वापिस मुंबई उन्हे..
प्राची : "पर कोई बात नही...कल की कमी ,मैं अभी पूरी कर देती हूँ ...''
और इतना कहते ही प्राची टूट पड़ी अजय के चेहरे पर...और अजय भी उसके मुम्मे
मसलता हुआ उसके नर्म होंठों को चूसने लगा..


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ऐसा अक्सर होता नही था, क्योंकि दोनों एक साथ ही ऑफीस से घर आते
थे, इसलिए सेक्स सिर्फ़ रात को ही कर पाते थे, नयी शादीशुदा जिंदगी में
एक दिन का गैप भी उत्तेजना भर जाता है...और यही हो रहा था इस वक़्त
प्राची के साथ ...और वैसे भी अपने पति को बिना सेक्स के रखने का मतलब
उसे बाहर की दुनिया का रास्ता दिखाना , जहाँ जाकर वो अपनी इच्छा
की पूर्ति कर सके, ये मौका प्राची नही देना चाहती थी अजय को...
इसलिए उसने अजय के घर आने से पहले से ही ये सोच रखा था की आज उसके
आने के साथ ही वो चुदाई करवाएगी..रात वाली शिफ्ट बाद में लगाएगी
और यही कर रही थी वो इस वक़्त...
प्राची ने सूट और सलवार पहनी हुई थी...अजय ने उसके उपर की कमीज़ उतार
दी और एक हाथ से उसकी ब्रा भी खोल दी..
उसके दोनो कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर आ गये..

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और प्राची ने एक कबूतर की
गर्दन पकड़ कर अजय के मुँह में अपना निप्पल दे दिया , और अजय भी किसी
प्यासे जानवर की तरह उसपर टूट पड़ा और ज़ोर-2 से चुभलाते हुए उसे चूसने
लगा..निकालने लगा उसके अंदर जमीं मिठास को
''आआआआआहह ऊओ मेरा बैबी......पी ले.....मम्मा का दूध पी ले...''
ऐसा अक्सर बोला करती थी प्राची..जिसे सुनकर वो ज़्यादा उत्तेजित हो
जाया करता था.
प्राची : "आआआआआहह धीरे बैबी ....धीरे....मम्मा को दर्द होता
है.....अहह......''
अजय के सिर पर हाथ फेरती हुई प्राची ने अजय की पेंट की जीप खोल
दी...और उसके लंड की गर्दन पकड़कर बाहर खींच लिया..
उसके लंड को देखते ही वो नागिन की तरह लहराती हुई नीचे बैठ गयी उसके
कदमों में , और उसे पकड़ कर अपनी जीभ से सहलाया...उसे पुचकारा ...और
फिर एक गहरी साँस लेकर उसे निगल लिया..


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''आआआआआआआआहह प्राची ...........ओ मेरी
जान..............एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स..... .सकक्क मी.....''
अजय उसके रेशमी बालों पर दबाव देकर अपने लंड को उसके मुँह के और अंदर
धकेल रहा था...और वो भी अपने पंजों पर बैठकर अपने पति के छोटे भाई की
सेवा अपनी गर्म जीभ से कर रही थी...
उसकी थूक से अजय का लंड नहा गया....अजय ने अपनी बेल्ट खोलकर अपनी
पेंट को थोड़ा नीचे खिसका दिया जिसकी वजह से उसका लंड अब पूरी
तरह से बाहर निकल आया था...
और अब प्राची उसके लंड के साथ-2 उसकी बॉल्स को भी चाट पा रही थी...
और बॉल्स को चूसना और चाटना प्राची की स्पेशॅलिटी थी...अजय
जानता था की ये काम उससे अच्छा कोई और कर ही नही सकता इस
दुनिया में ...
अजय ने आँखे मूंद ली और वो रिया को इमेजिन करने लगा...क्योंकि सुबह से
वही उसके दिमाग़ पर कब्जा जमाए हुए थी, इसलिए उसे फिर से अपनी बंद
आँखो के पीछे बुलाना मुश्किल नही था...अब माहौल ये था की लंड तो
प्राची चूस रही थी उसका, पर वो बंद आँखो से ये महसूस कर रहा था की
रिया चूस रही है इस वक़्त वो लंड..
अजय का लंड अब पूरी तरह से तैयार था...उसने अपनी आँखे खोल दी..और उसने
प्राची को उपर की तरफ खींचकर नंगी होने का आदेश दिया, यानी चुदाई
का वक़्त आ गया था..
प्राची खड़ी हुई और उसने अपनी सलवार निकाल दी...और अँग्रेज़ी
फिल्मों की तरह अपनी गांड अजय की तरफ करके अपनी पेंटी भी उतार
दी...और नीचे झुकने के बाद वो अपनी गोल मटोल गांड लेकर कुछ देर तक
उसी पोज़ में खड़ी भी रही...


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अजय उसकी मांसल गांड को देखकर अपने लंड को रगड़ता रहा तब तक..
और बोला : "अब आ भी जा प्राची....कम ऑन ....''
प्राची उसकी तरफ पलटी,पूरी नंगी...
और धीरे-2 चलती हुई उसके करीब आई..
और तभी उनके रंग मे भंग डालते हुए बाहर की डोर बेल ज़ोर-2 से बजने लगी..
दोनो के चेहरे पर गुस्सा आ गया..
प्राची : "उफ़फ्फ़ इस वक़्त कौन आ गया....ईडियट...''
अजय ने फ़ौरन अपने लंड को वापिस पेंट के अंदर ठूसा और प्राची ने भी अपने
फेले हुए कपड़े लिए और बाथरूम की तरफ भागी और बोली : "आप प्लीज़
देखो ना कौन है...और हो सके तो बाहर से ही टरका देना,चाहे जो भी हो...''
आख़िर उसकी चूत में भी तो आग लगी हुई थी इस वक़्त..
अजय भी झुंझलाते हुए दरवाजे तक गया, तब तक बेल लगातार बजती ही जा
रही थी..
अजय : "अरे आ रहा हू बाबा...रूको एक मिनट ...''
अजय ने दरवाजा खोला तो उसका सारा गुस्सा एक ही पल में गायब हो
गया...बाहर रिया खड़ी थी.
अजय : "अरे...रिया तुम.....आओ अंदर आओ...''
पिंक कलर के सूट में वो कमाल की लग रही थी
रिया : "मैने दीदी को बोला था की जैसे ही जीजू आए तो मुझे बता
देना...वो तो मैने आपकी कार देख ली बाहर खड़े हुए,तब पता चला मुझे की
आप आ चुके हो ...''
अजय ने अपने चेहरे पर फिर से वही नाराज़गी वाले एक्स्प्रेशन लगा दिए..और
दरवाजा बंद करके उसकी बात का जवाब दिए बिना ही अंदर आ गया..
रिया समझ गयी की उसके जीजू अभी तक नाराज़ है...
रिया (बड़े ही प्यार भरे स्वर मे) : "जीजू...वो मैं क्या कह रही थी...की
....मुझे माफ़ कर दो प्लीज़...सुबह वाली बात के लिए...''
अजय (नाटक करते हुए) : "कौनसी बात ...मुझे तो कोई बात याद भी नही है...''
अजय ने बड़े सपाट स्वर में उसे देखे बिना ये बोला था, रिया समझ गयी की
उन्हे मनाना आसान नही होगा...
और इसी बीच अंदर बाथरूम में नंगी खड़ी हुई प्राची उनकी बातें सुनने की
कोशिश कर रही थी...उसे ये तो पता चल गया था की रिया आई है, और उसे
गुस्सा भी बहुत आ रहा था उसके इस वक़्त आने का...पर अजय ने उसे बाहर से
ही क्यों वापिस नही भेज दिया...इसलिए उसपर भी गुस्सा आ रहा था
प्राची को...बाथरूम थोड़ा दूर था इसलिए उनकी बातें नही सुन पा रही
थी वो...उसने झक्क मारकर अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए..
इसी बीच रिया घूमकर अजय के सामने आई और ठीक उसके सामने अपने कान
पकड़कर खड़ी हो गयी...इतने करीब की उसके नन्हे-2 बूब्स अजय को टच कर रहे थे..
रिया उपर मुँह करके धीरे से बोली : "ओके बाबा...सॉरी ...ये लो ...कान
पकड़ कर सॉरी...और सुबह वाली बात के लिए आप मुझसे कुछ भी करवा
लो...मैं मना नही करूँगी....''
अजय का लंड अभी तक खड़ा हुआ था, और रिया को इतने करीब खड़ा देखकर
वो उभरकर उसकी जांघे छूने के लिए मचल उठा..अजय भी थोड़ा आगे बड़ा,
उसने रिया की दोनो बाहों को पकड़ा और अपने से और सटा लिया, ऐसा
करते हुए उसकी नर्म छातियाँ तो उसके सीने में धँस ही गयी, उसके खड़े हुए
लंड को भी अपनी मुराद पूरी करने का मौका मिल गया,उसने रिया की
नर्म जांघों को छू लिया..
रिया तो सकपका सी गयी,अपने जीजू द्वारा ऐसे पकड़े जाने के बाद, पर
वो उन्हे कुछ बोलकर फिर से नाराज़ नही करना चाहती थी, इसलिए चुप
चाप खड़ी रही..
अजय ने उसकी बात दोहराते हुए कहा : "कुछ भी करवा लूँ ...''
रिया के होंठ फड़फडा उठे जवाब देते हुए : ''हाँ जीजू....कुछ भी...''
उसकी गर्म साँसें अजय को अपने चेहरे पर महसूस ही रही थी...उसका तो मन
किया की अभी के अभी उसके गुलाबी होंठों का रस पी जाए, उसे दबोच ले
और एक गहरी स्मूच कर दे..
पर तभी उसे बाथरूम में खड़ी प्राची का ख़याल आया और उसने रिया को
एक झटके में छोड़ दिया...
और उसकी किस्मत देखिए ज़रा, ठीक उसी वक़्त बाथरूम का दरवाजा
खोलकर प्राची बाहर निकली...तब तक रिया अपनी सांसो पर नियंत्रण
पाकर सामान्य हो चुकी थी और अजय ने भी थपकीयाँ देकर अपने लंड को
वापिस सुला दिया था.
प्राची : "अरे रिया...तुम....मैं तुझे फोन करने ही वाली थी...अजय बस अभी
आएँ है...चल कर ले इनसे वो अपनी ज़रूरी वाली बात, तब तक मैं अजय के लिए
चाय बनाकर लाती हूँ ...''
रिया को देखकर अंदर ही अंदर वो जल भुन तो काफ़ी रही थी ...पर आख़िर
थी तो उसकी कजन सिस्टर ही ना, इसलिए मन मारकर रह गयी
बेचारी..और चुदाई को उसने रात के लिए टाल दिया..
रिया : "दीदी, वो तो बस मैं जीजू से ये पूछना चाहती थी की ये मेरा
एडमिशन कहाँ करवाएँगे, मुझे एडमिशन से पहले अपनी कंप्यूटर नॉलेज इम्प्रूव
करनी है...''
अजय : "तुम चिंता ना करो, मैने कहा था ना,मैं करवा दूँगा...तुम चाहो तो
कल ही चलना मेरे साथ..''
प्राची उनकी बातें सुनती हुई किचन में चली गयी..
उसके जाते ही रिया ने अजय से दबे स्वर मे कहा : "जीजू...आपने मुझे माफ़ कर
दिया न...''
अजय भी दबे स्वर में बोला : "इसका फ़ैसला तब होगा जब तुम अपनी सज़ा
पूरी कर लोगी...''
अजय ने उसकी कुछ देर पहले कही हुई बात का हवाला दिया..
रिया भोली ज़रूर थी पर इतनी भी नही की ऐसे कही हुई बातों को समझ ना सके..
बेचारी का दिल जोरों से धड़कने लगा की पता नही उसके जीजू उसे कैसी
सज़ा देंगे..
वो बेचारी ये सोच ही रही थी की प्राची वापिस आ गयी, चाय
लेकर..और सभी सोफे पर बैठकर बातें करने लगे और चाय पीने लगे.
प्राची : "अरे, तू एकदम से इतनी परेशन क्यो हो गयी ...बोल तो रहे है तेरे जीजू
की कल चलेंगे तेरे साथ...''
रिया : "वो ...दीदी ...मैं तो सोच रही थी की..पता नही मुझे ढंग के कॉलेज
में एडमिशन मिलेगा भी या नही..''
प्राची : " अरे, तू फ़िक्र ना कर...तेरे जीजू को सभी इन्स्टिट्यूट और कॉलेजस
के बारे में पता है अच्छी तरह से..पूजा का एडमिशन भी तो इन्होने करवाया
था..तू फ़िक्र ना कर..और वैसे भी आजकल तो सारी इंफोर्मेशन नेट पर मिल
ही जाती है...ये सब देख लेंगे..''
अब भला प्राची को वो कैसे समझती की उसे अपने एडमिशन की नही
बल्कि जीजू की कही हुई बात की चिंता सता रही है..
पर उसने भी मन में ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो जाए,जीजू तो
उसकी हेल्प ही कर रहे हैं ना..ऐसे में उन्हे नाराज़ करके वो नही रख सकती..
और दूसरी तरफ अजय के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था...वो इस हाथ आए
मौके का फायदा अच्छी तरह से उठाना चाहता था..रिया तो उसके लिए
कोई चुनोती नही थी, उसका दिमाग़ तो पूजा की तरफ चल रहा था, और
अपनी योजना के अनुसार वो रिया का इस्तेमाल करके पूजा को जाल में
फंसाना चाहता था..
चाय ख़त्म होते ही प्राची वापिस किचन में चली गयी और अजय ने दबे स्वर
में रिया से कहा : "अब तुम जाओ...मैं थोड़ी देर में वहीं आता हूँ ..और जो मै
कहूं वो चुपचाप मानती रहना, कोई आर्गुमेंट नही,वरना अपनी डील कैंसल
..समझी...''
रिया बेचारी को कुछ समझ नही आया की आख़िर अजय क्या करवाना
चाहता है उससे...बुरे से बुरा तो वो यही समझ रही थी की शायद उसके जीजू
उसके साथ कुछ ग़लत काम...यानी किस्स वगेरह या कुछ और करेंगे...पर उनकी
बातों से तो ऐसा कुछ लग ही नही रहा था...और वैसे भी उसने इतना तो
सोच ही लिया था की ये छोटे-मोटे काम के लिए वो उन्हे नही टोकेगी,पर
हद से आगे भी नही बढ़ने देगी...
वो चुपचाप सी सिर हिला कर अजय की बात मानती हुई उठी और वापिस
चली गयी..
उसके जाने के बाद अजय वापिस किचन में गया,जहाँ प्राची काम कर रही
थी और उसकी उभरी हुई गांड में अपना लंड फँसा कर खड़ा हो गया..और
अपने हाथ उपर करते हुए उसके बूब्स दबाने लगा..
और उसके कानो को मुँह में लेकर धीरे से बोला : "चलो ना...जो काम अधूरा
छोड़ा था वो पूरा करते हैं...''
प्राची (थोड़ा गुस्से में ) : "रहने दो...मैने कहा था ना उस वक़्त की जो भी
हो उसे वापिस भेज देना, पता है मैं बाथरूम में नंगी खड़ी थी , फिर भी आपने
रिया को अंदर कैसे आने दिया..अब मेरा मूड नही है कुछ भी करने का..''
अजय : "अरे,तुम्हारी बहन है,मैं उसे कैसे मना कर सकता हूँ अपने घर आने से...और
अपने मूड का ज़ोर मुझपर ना चलाया करो...... समझी...''
और अजय भी गुस्सा होते हुए बाहर निकल गया.
प्राची बेचारी अपना सिर पीटकर रह गयी...शायद गुस्सा दिखाने के
चक्कर में उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया और अजय को नाराज़ कर
दिया..और वो अच्छी तरह से समझती थी की सेक्स के मामले में ठुकराया हुए
इंसान को बाहर मुँह मारने में देर नही लगती...वैसे भी पहले पूजा और अब
रिया ने आकर माहौल को कुछ ज़्यादा ही गरम कर दिया है...ऐसे मे अगर
अजय को वो खुश ना रख पाई तो ऐसा ना हो की वो उसकी बहनों की
तरफ आकर्षित हो जाए...जिसका पूरा-पूरा चांस था...
और ये सोचने के साथ ही वो भागकर बाहर आई..पर तब तक अजय बाहर
निकल चुका था..
वो समझ गयी की अब अजय को मनाना थोड़ा मुश्किल होगा...पता नही
कहाँ गया होगा वो..
पर उसे क्या पता था की वो तो वहां से निकल कर सीधा अपने पड़ोस में
यानी अपने ससुराल जा पहुँचा था..
Bahot behtreen update Bhai
 
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