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Incest ठरकी दामाद की हवस

Raja maurya

Well-Known Member
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पूरी रात वो सो नही पाया...सुबह प्राची ने उसे 9 बजे ही उठा दिया...घर
पर मेहमान जो आए हुए थे, बेचारा मन मारकर उठ ही गया..और धीरे -2 चलता
हुआ बाहर आया..वो लोग जिस बेडरूम में थे वहाँ का दरवाजा खुला हुआ था
और बाहर से ही उसे मौसा जी सोते हुए दिख गये...उन्हे ऐसे घोड़े बेचकर
सोता हुआ देखकर अजय सोचने लगा की ऐसे सोए भी क्यो नही आख़िर
अपनी साली की गांड मारकर ऐसी ही नींद आएगी जनाब को..
प्राची किचन में सभी के लिए नाश्ता बनाने में लगी हुई थी और उसकी
मौसी कहीं दिख नही रही थी..अचानक अजय को कुछ याद आया और वो
दबे क़दमों से उस बेडरूम में आ गया,बेड की साइड ड्रॉयर को खोलकर देखा तो
उसकी आँखे चमक उठी..उसे वो शीशी दिख गयी जो मौसाजी अपने साथ
लाए थे,बेहोशी की दवाई थी वो जिसे सूँघाकार नीलम मौसी को गहरी
नींद में सुला दिया गया था और उनकी बहन की गांड बजा दी गयी
थी..अजय ने तुरंत वो शीशी अपनी जेब में रख ली.
तभी कमरे में बाथरूम से निकल कर मौसीजी आ गयी, वो नहा कर आई
थी..उन्होने एक टावल अपने बदन पर और दूसरा अपने सिर पर लपेटा हुआ
था..



images-1
और पुर बदन पर पानी की बूंदे मोती की तरह चमक रही थी और उनके
चिकने शरीर से फिसल कर नीचे गिर रही थी.अजय तो सेक्स की देवी को
ऐसी हालत में देखकर दंग ही रह गया, वैसे देखने में वो भी बुरी नही थी...वैसे
भी वो उसकी सास की छोटी बहन थी और दोनो में 2 साल का अंतर
था..और नहाने के बाद तो ये उसकी सास से भी सेक्सी लग रही थी उसे, उनसे
थोड़ी गोरी भी थी और इनका शरीर थोड़ा मांसल भी था..जैसा की अजय को पसंद था.
अजय उनके बेडरूम में होगा ये शायद उन्होने सोचा भी नही था....अजय को
ऐसे अपनी छातियों की तरफ घूरता देखकर कुछ देर के लिए तो वो सकपका
गयी पर अगले ही पल उनके चेहरे पर अजीब सी कातिलाना मुस्कान आ
गयी...बेचारा अजय खुद ही झेंप गया उन्हे ऐसे मुस्कुराते हुए देखकर...वो समझ
गया की उसकी चोरी पकड़ी गयी है.
अजय : "वो ...बस मैं .....देखने आया था की आप लोग उठे है की नही....''
नीलम मौसी उनके करीब आई और बोली : "मैं तो उठ कर नहा भी ली
अजय...इन्हे देखिए ये तो ऐसे सो रहे है जैसे पूरी रात जागकर निकाली हो..''
अब अजय उन्हे कैसे बताता की उन्हे बेहोश करके उनके पति ने उनकी बहन की
गांड मारी है,और ऐसी उम्र में इतनी मेहनत करके ऐसी ही नींद आती है..
अजय को उनके जिस्म से गुलाब के साबुन की खुश्बू आ रही थी, जो कुछ दिन
पहले ही वो प्राची के लिए लाया था...वो भी जब नहा कर निकलती थी
तो उसके बदन से भी ऐसी ही खुशबु निकलती है और अजय उसे अक्सर बाथरूम
से निकलते ही दबोच लेता था और कुछ देर तक उसके जिस्म से लिपट कर
मदहोशी के आलम में डूबा रहता था.उसे चूमता रहता था
पर अभी तो ये नही कर सकता था ना वो मौसी के साथ...बस एक गहरी
साँस लेकर रह गया..
मौसी को तो जैसे उसकी उपस्थिति से कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था...वो
बड़ी ही बेफिक्री से अपने बेग की तरफ गयी और उसे खोलकर अपने कपड़े
निकालने लगी जो उन्होने आज पहनने थे, और अंत मे उन्होने अपनी पेंटी और
ब्रा भी निकाल कर बेड पर रख दी...दोनो मेचिंग कलर की थी और अजय
की नज़रें उन्हे देखकर कामुक होने लगी...वो ठरकी वहीं खड़ा रहा ..और
बेशार्मों की तरह उनकी ब्रा पेंटी को घूरता रहा..
नीलम ने उसे ऐसा करते हुए देखा और वही पहले वाली मुस्कान फिर से उनके
चेहरे पर आ गयी..अजय को लगा की ऐसे में उनके साथ कुछ ट्राइ किया जाए
तो शायद बात बन सकती है..
वो कुछ बोलने ही वाला था की मौसी जी खुद ही बोल पड़ी : "अजय...तुम
ज़रा बाहर जाओगे...मुझे कपड़े पहनने है...''
अजय के कान लाल हो गये ये सुनकर...बेचारा अपना सिर झुका कर बाहर
निकल आया..
और सीधा अपने कमरे में जाकर बैठ गया..उसके लंड का बुरा हाल था वो
स्टील रोड की तरह खड़ा था..
वो सोच रहा था की उस बंद दरवाजे के पीछे इस वक़्त नीलम मौसी अपना
टावल उतार कर नंगी खड़ी होगी और एक-एक करके अपने कपड़े पहन रही होगी...
अजय ने अपनी आँखे बंद कर ली और दरवाजे के पीछे खड़ी नीलम मौसी को
इमेजीन करने लगा..और तकिये के नीचे अपना हाथ लेजाकर अपने खड़े हुए लंड
को मसलने लगा.
तभी उसके कानों में एक सुरीली आवाज़ टकराई : "गुड मॉर्निंग जीजू....''
उसने तुरंत अपनी आँखे खोल दी...उसने सोचा की उसकी साली पूजा आई
है..पर ये तो रिया थी,नीलम मौसी की बेटी..
अजय : "गुड मॉर्निंग रिया...कैसी नींद आई तुम्हे कल रात...''
रिया : "बड़ी मस्त आई जीजू...अभी-2 उठी हूँ बस..पूजा तो अभी तक सो रही है ''
और इतना कहते-2 वो उनके बेड पर ही औंधी होकर लेट गयी, अजय की तरफ
मुँह करके..और अपनी कोहनियां बिस्तर पर टीकाकार अजय से बातें करने लगी..
और ये एक ऐसा पोज़ था की अजय को उसने पूरा हिला कर रख
दिया..रिया ने एक जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी..और टी शर्ट का गला
गोल और गहरा था,और ऐसी पोज़िशन में लेटने की वजह से उसके अंदर का
सीन अजय को सिर्फ़ 2 फीट की दूरी से साफ़ दिख रहा था.उसकी टी शर्ट
भी शॉर्ट थी इसलिए उसकी कमर वाला हिस्सा भी पूरा नंगा था.



images-2
रिया की उम्र 19 के करीब थी और उसने अभी अपनी जवानी की दहलीज
पर कदम रखा ही था...उसके बूब्स भले ही छोटे थे पर थे पूरी गोलाई लिए
हुए..ये अजय ने अभी-2 जाना क्योंकि उसने अंदर कोई ब्रा नही पहनी हुई
थी..वो उसके निप्पल्स के घेरे तक अच्छी तरह से देख पा रहा था यानी
सिवाए निप्पल के उसकी दोनों गोलाइयाँ उसके परोसी पड़ी थी ,
वो भले
ही 19 की हो चुकी थी पर उसकी हरकतों से लग रहा था की उसका
बचपना अभी तक नही गया है..किसी के सामने कैसे बैठना है और अपने
''अंगों'' को कैसे छुपा कर रखना है इसका तरीका उसे अभी तक नही था..
वो बड़ी ही बेबाकी से उसके बेड पर उल्टी लेटी हुई थी और बोले ही जा रही
थी..अजय सिर्फ़ हाँ - हूँ करके उसकी बातों का उत्तर देता रहा ...उसकी
नज़रें तो उसके बूब्स को भेदने में लगी थी...कुछ दिनों पहले तक वो अपनी
सास का दीवाना था, फिर अपनी साली का हो गया...आज सुबह वो
अपनी सास की बहन को देखकर उत्तेजित हुआ तो अब वो उनकी कमसिन
बेटी को अपनी आँखो से चोदने में लगा हुआ था...सच मे अजय की ठरक दिन ब
दिन बढ़ती ही चली जा रही थी...उसके सामने जो-2 आ रहा था वो उनपर
अपनी गंदी नज़रें डाल कर अपने ठरकीपन से उनका चक्षुचोदन करने में लगा
हुआ था..
वो ये सोच ही रहा था की रिया की थोड़ी तेज आवाज़ आई उसके कानों
में : ''हेल्लओ ......जीजू.....आप सुन भी रहे हैं मैने क्या कहा ....''
अजय जैसे नींद से जागा, उसकि नजरें अभी तक उसकी क्लिवेज देखने में लगी
थी और वो झल्ली रिया को अब भी पता नही चल पा रहा था की अजय
की नज़रें उसकी नन्ही कलियों को देखकर मदहोश हो रही हैं ..
अजय : "ओह्ह्ह ....सॉरी ....मैं कुछ सोच रहा था....बोलो...क्या कहा तुमने ....''
रिया : "मैं ये कह रही थी की आप मुझे कोई कंप्यूटर कोर्स सजेस्ट करो
ना...मैने 6 महीने बाद इंजिनियरिंग का एंट्रेन्स देना है और मुझे कंप्यूटर में
सिर्फ़ नॉर्मल ऑपरेट करना ही आता है...''
अजय की नजरें उसकी टी शर्ट के अंदर थी पर ध्यान अब उसकी तरफ ही आ
चुका था, वो बोला : "कोई बात नही,मैं बता दूँगा तुम्हे...''
रिया : "बता नही दोगे, मेरा एडमिशन भी करवाओगे ...''
अजय : "एडमिशन ...पर तुम तो मुंबई में करोगी ना ये कोर्स ...''
रिया : "सर्प्राइज़.....मैं यहीं रहूंगी अब से...दिल्ली में , मौसी के घर ''
उसकी ये बात सुनकर अजय चोंक गया.
रिया : "आपको नही पता था ना...देखा,सर्प्राइज़ दिया ना आपको
भी...मैने यहाँ आने से पहले ही डेड को बोल दिया था की मैं इंजिनियरिंग
दिल्ली से ही करूँगी...यहाँ की वॅल्यू कुछ अलग ही है...''
वो बोले जा रही थी और अजय की बाँछे खिलती चली जा रही थी ये
सुनकर...एक तरफ उसकी सास...दूसरी तरफ उसकी साली...और अब ये एक और
साली...उसकी किस्मत में तो दिन ब दिन नया माल आता ही चला जा रहा है...
वो ये सोच ही रहा था की कमरे में प्राची आ गयी और रिया को ऐसे अजय
के सामने लेटा हुआ देखकर ना जाने उसके दिमाग़ में क्या आया की वो
घूमकर अजय की तरफ आकर खड़ी हो गयी...और वहाँ से उसने जब देखा की
रिया का गला कितना खुलकर अपने अंगों का प्रदर्शन कर रहा है तो वो
भड़क सी गयी और बोली : "रिया...ये क्या तरीका है अपने जीजाजी के
सामने लेटने का ,तुम्हे कुछ समझ है या नही...चलो उठो...और बाहर आओ मेरे साथ...''
रिया बेचारी को तो कुछ समझ ही नही आया की उसकी कजन दीदी उसे
ऐसे क्यो डांट रही है...अपने जीजू के सामने लेटने का भी कोई तरीका होता है क्या ..
अब उस बेचारी को कौन समझाए की जब जीजा ऐसा ठरकी हो तो हर
चीज़ का तरीका होता है..
खैर, वो मायूस सा चेहरा लेकर बाहर निकल आई और प्राची उसे लेकर सीधा
किचन में चली गयी..अजय भी चुपके से उठकर बाहर आ गया और किचन के
बाहर खड़ा होकर उनकी बातें सुनने लगा..
क्योंकि उसे अपनी बीबी का नेचर पता था,वो अपने पति को लेकर काफ़ी
पोस्सेसिव थी और ऐसे कोई भी लड़की आकर अगर उसे बहकाने की कोशिश
करेगी तो वो रिएक्ट तो करेगी ही ना भले ही वो उसकी खुद की कजन सिस्टर हो.
प्राची : "तुझे तो अभी तक किसी चीज़ की समझ नही आई...एकदम बुद्धू है तू
अभी भी...तुझे समझ नही थी की आपसे अपने जीजू के सामने लेटने से तेरी
ब्रेस्ट दिख रही थी उन्हे...'' प्राची ने उसकी गोलाईयों की तरफ इशारा
करते हुए कहा.
रिया ने अपनी छातियों को देखा और बड़े ही भोलेपन से बोली : "पर
दीदी, ऐसे तो मैं अक्सर लेटा करती हू..पापा के सामने भी...मम्मी ने तो
कभी कुछ नही कहा...और ना ही अभी जीजू ने मुझे टोका ...''
उसकी ये बात सुनकर बाहर खड़े अजय की हँसी निकल गयी..और अंदर खड़ी
प्राची की भी...वो हंसते हुए बोली : "मेरी प्यारी गुड़िया, तू सच में बड़ी
भोली है...ये बातें बोली नही जाती बल्कि खुद समझी जाती है...देख, मर्द
को ये सब देखने में बड़ा मज़ा आता है, चाहे वो तेरे पापा हो या जीजू ,
इसलिए वो कभी नही टोकेंगे , तुझे खुद ही अपना समान उनकी नजरों से
बचा कर रखना पड़ेगा...''
वो बड़ी गंभीरता से उसे समझा रही थी...
रिया : "पर दीदी, मुझे अभी क्या ज़रूरत है अपने बूब्स छुपाने की, ये तो
छोटे-2 से है अभी...और मर्दों को तो बड़े-2 पसंद आते है...जैसे की आपके हैं''
प्राची (आँखे तरेर कर) : "तुझे कैसे पता...''
रिया : "वो मेरे स्कूल में कोई भी लड़का मुझे नही देखता था...मेरी दूसरी
फ्रेंड्स को देखकर उन्हे छेड़ते थे,मैने एक दिन अपनी फ्रेंड्स से पूछा तो उसने ये
बताया की लड़के बड़ी ब्रेस्ट वाली लड़कियो को ज़्यादा पसंद करते हैं...''
प्राची : "वो तेरे स्कूल की बात थी...अब तू बड़ी हो गयी है...और तेरे बूब्स भी..समझी..''
रिया की आँखे चमक उठी : "सच दीदी...आपको लगता है की मेरे बूब्स बड़े हो
गये हैं...मुझे तो ऐसा लगा ही नहीं कभी ,जितने पिछले साल थे,उतने ही लगते हैं ''
वो दोनो हाथों से उन्हे थामकर उनका वजन नापने लगी.
प्राची : "ओफफो...तू बिल्कुल झल्ली है...मैं तुझे क्या समझने की कोशिश कर
रही हू और तू है की मुझे ही अपनी बातों मे उलझा रही है...चल छोड़ ये सब
और आगे से मेरी ये बात ध्यान रखना..''
पर वो सुन रही होती तो ध्यान रखती ना...वो तो ये सोचकर खुशी से
दोहरी हो रही थी की उसकी दीदी ने उसकी बड़ी हुई ब्रेस्ट को नोटिस
किया है..और अब उसे भी लड़के देखा करेंगे, जैसे उसकी फ्रेंड्स को देखा करते थे.
प्राची फिर से काम पर लग गयी और वो चमकती आँखो से बाहर निकल आई..
अजय भी फ़ौरन जाकर सोफे पर बैठ गया और अख़बार पड़ने लगा.
रिया उसके सामने आकर बैठ गयी , वो अभी तक अपनी दीदी की बातों में
खोई हुई थी.
अजय : "क्या हुआ रिया, क्या सोच रही हो...दीदी क्यो डांट रही थी तुम्हे...''
रिया बिना सोचे समझे बोल पड़ी : "देखो ना जीजू, दीदी मुझे बोल रही
थी की मैं आपके सामने ऐसे ना लेटू , मेरे बूब्स दिखेंगे आपको...अब आप ही
बताओ,दीदी के बड़े बूब्स छोड़कर भला आप मेरे क्यो देखोगे...दीदी भी ना..''
अजय को उसके भोलेपन पर दया सी आ गयी,मुंबई मे रहकर भी वो ऐसी
झल्लियो जैसी बातें कर रही थी उसे तो यकीन ही नही हुआ..वो उसके साथ
आकर उसी सोफे पर बैठ गया और बोला : "तुम्हारी दीदी को इन बातों की
समझ नही है ना इसलिए वो ऐसा बोल रही थी...लेकिन एक बात
बोलू,दीदी से तो नही कहोगी ना...''
रिया ने भोलेपन से उत्तर दिया : "कहो ना जीजू, नही बोलूँगी दीदी से,
मम्मी की कसम..''
उसने अपने गले पर हाथ लगाकर कहा.
अजय ने हिम्मत करते हुए मंद-2 मुस्कुराते हुए धीरे से कहा : "मुझे ना सच में
तुम्हारे बूब्स बड़े पसंद आए...और सच कहु,मुझे ऐसे ही साइज़ के पसंद आते
हैं...मम्मी की कसम''
उसने भी रिया की तरह अपने गले पर चुटकी काटकर उतने ही भोलेपन से कहा.
और अपने जीजू को अपने बूब्स की तारीफ करते देखकर रिया का चेहरा चमक
उठा : "वाउ...सच में जीजू....मुझे तो लगा था की मर्दों को बड़े-2 पसंद आते हैं
...जैसे प्राची दीदी के हैं...मेरी माँ के हैं...मौसीजी के हैं...मेरी फ्रेंड नाज़िया हैं ''
वो सारे मोटे मुम्मों वालियों के नाम गिनवाने लगी...
अजय ने उसे बीच मे ही टोकते हुए कहा : "हाँ ...पर हर कोई एक जैसा नही
होता ना...किसी को बड़े पसंद आते हैं और किसी को छोटे...और मुझे छोटे
ही पसंद है...तुम्हारे जैसे...''
और उसने थोड़ी और हिम्मत करते हुए अपनी हथेली को उसकी दाँयी तरफ
की ब्रेस्ट के नीचे लगाकर उसका वजन नाप लिया...और अजय की इस हरकत
से पहली बार अजय ने उसकी आँखो में शर्म के भाव देखे ..
रिया : "ये क्या कर रहे हैं जीजू ....''
अजय : "ओह...सॉरी....बस बता रहा था की ये सच में बड़े सुंदर हैं....''
वो कुछ बोल पाती तभी बाहर से पूजा अंदर आ गयी...
उसने अपने जीजू को ऐसे अपनी कजन के इतने करीब बैठे हुए देखा तो उसका
माथा ठनक गया...वो तो अच्छी तरह जानती थी अपने ठरकी जीजू की
आदतों को..उस दिन वो उसकी माँ को घूर रहे थे और अब उसकी छोटी कजन रिया को...
वो करीब आई और बोली : "रिया की बच्ची , तू मुझे सोता छोड़कर अकेली
यहाँ आ गयी...मुझे भी ले आती..''
अजय ने पूजा की तरफ देखा और उसके चेहरे के भाव देखकर वो समझ गया की
उसके मन में क्या चल रहा है..शायद वो जेलिस फील कर रही थी..
और ये ख़याल आते ही अजय के दिमाग़ में एक बात आई...
वो रिया का इस्तेमाल करके पूजा को अपने जाल में फँसा सकता है...
क्योंकि अब तो रिया वहीं रहने वाली थी...और रिया अपनी कजन पूजा
की तरह चालक नही थी, उसे वो आसानी से अपने जाल में फँसा सकता
था..और रिया के थ्रू वो पूजा तक भी पहुँच सकता था...
उसके टार्गेट्स बढ़ते जा रहे थे...सासू माँ , मौसी जी, पूजा और अब
रिया...पता नही कैसे करेगा वो..पर ठरकी अजय को अपने उपर पूरा यकीन
था की वो ये काम कर ही लेगा..
कुछ ही देर में मौसी जी भी बाहर आ गयी...और उसकी सासू माँ भी उनके
घर आ गयी, सबने मिलकर नाश्ता किया, और नाश्ता करते-2 ही मौसीजी
ने रिया के वहीं दिल्ली में रहकर इंजिनियरिंग करने की बात बताई...उनकी
बहन रजनी तो पहले से ही ये बात जानती थी..इन्फेक्ट सभी लोग जानते थे,
सिर्फ़ अजय को ही नही मालूम था ये..
अगली सुबह मौसाजी और मौसीजी को निकलना था मुंबई के लिए और
इससे पहले अजय एक बार मौसीजी पर और ट्राइ करके देखना चाहता था
की जो उसे आज सुबह उनके बारे में लगा था वो सच है या नही..अगर उसकी
पारखी नज़रें सही है तो वो अपनी तरफ से कोई रोक-टोक नही करेंगी...और
इसके लिए अजय के पास कुछ ही घंटे बचे थे.
अजय ने नोट किया की उसकी नज़रें जब भी रिया या मौसीजी की तरफ
जाती है तो उसकी साली पूजा की नज़रें उसे घूरने लगती थी,मानो उसे सब
पता चल चुका था की अजय के मन में क्या चल रहा है..उसकी शक्की बीबी
क्या कम थी जो अब ये उसकी बहन भी उसकी हरकतों पर नज़र रखने लगी
है...पर अजय भी बड़ा ढीठ किस्म का बंदा था,एक बार जो ठरक चढ़ गयी
थी उसपर अब तो वो उसे पूरा करके ही रहेगा...वैसे भी शादी के बाद उसमे
काफ़ी चेंज आ चुका था,वो पहले से काफ़ी बोल्ड हो गया था, ऐसा अगर
वो शादी से पहले हुआ करता तो अपने मोहल्ले की ना जाने कितनी
भाभियाँ वो अब तक चोद चुका होता..पर अब जो मौका उसके ससुराल में
उसे मिल रहा था,वो उसे खोना नही चाहता था..
नाश्ते के बाद सबने शॉपिंग जाने का प्रोग्राम बनाया...अजय का मन नही
कर रहा था,इसलिए उसने पहले ही मना कर दिया,क्योंकि वो घर पर रहकर
इंडिया-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देखना चाहता था..इसलिए उसको
छोड़कर सभी लोग मार्केट चले गये..दिन में तो वैसे भी कुछ होने वाला नही
था, इसलिए अजय को रात का ही इंतजार था..शाम को 8 बजे जब वो सभी
घर वापिस आए तो बाहर से ही खाना मंगवा लिया क्योंकि प्राची
काफ़ी थकी हुई थी..और अगली सुबह मौसा-मौसी को वापिस भी जाना
था इसलिए आज घर पर भी ज्याद गप्पे नही मारी गयी,10 बजे तक सभी
सोने के लिए चले गये..
अजय का दिमाग़ तो मौसीजी की तरफ ही लगा हुआ था..क्योंकि डिन्नर
टेबल पर भी उसने उनकी छातियों की तरफ घूरना नही छोड़ा था और उसने
नोट भी किया था की उनके निप्पल्स वो अटेन्षन पाकर उभर भी रहे
हैं...और उनके होंठों पर वही कातिलाना मुस्कान भी उसने देखी जो सुबह
नोट की थी उसने..
प्राची तो घूमकर थकी हुई थी, और उसकी बगल में लेटने के साथ ही वो
खर्राटे भरने लगी..दूसरे कमरे में क्या हो रहा होगा ये जानना भी ज़रूरी
था..पर जाने से पहले वो एक काम कर लेना चाहता था,उसने अपनी पॉकेट से
वही बेहोशी वाली दवाई निकाली और उसे प्राची की नाक के पास
लेजाकर उसे सूँघा दिया..नींद में ही वो थोड़ी सी कसमसाई और गहरी नींद
में डूबती चली गयी...अब अजय उसकी तरफ से निश्चिंत था, भले ही आज की
रात वो कुछ कर पाए या नही पर अपनी बीबी की तरफ का डर अब ख़त्म हो
चुका था..
और जैसे ही वो अपने बेड से उठा,कमरे में नीलम मौसी खुद आ गयी...और उन्हे
वहां देखकर एक पल के लिए अजय भी चोंक गया..



अब आगे कैसे अजय मौसीजी की चुदाई करेगा ये जानने के लिए थोड़ा इंतजार कीजिये
Mind-blowing update Bhai
 
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पूरी रात वो सो नही पाया...सुबह प्राची ने उसे 9 बजे ही उठा दिया...घर
पर मेहमान जो आए हुए थे, बेचारा मन मारकर उठ ही गया..और धीरे -2 चलता
हुआ बाहर आया..वो लोग जिस बेडरूम में थे वहाँ का दरवाजा खुला हुआ था
और बाहर से ही उसे मौसा जी सोते हुए दिख गये...उन्हे ऐसे घोड़े बेचकर
सोता हुआ देखकर अजय सोचने लगा की ऐसे सोए भी क्यो नही आख़िर
अपनी साली की गांड मारकर ऐसी ही नींद आएगी जनाब को..
प्राची किचन में सभी के लिए नाश्ता बनाने में लगी हुई थी और उसकी
मौसी कहीं दिख नही रही थी..अचानक अजय को कुछ याद आया और वो
दबे क़दमों से उस बेडरूम में आ गया,बेड की साइड ड्रॉयर को खोलकर देखा तो
उसकी आँखे चमक उठी..उसे वो शीशी दिख गयी जो मौसाजी अपने साथ
लाए थे,बेहोशी की दवाई थी वो जिसे सूँघाकार नीलम मौसी को गहरी
नींद में सुला दिया गया था और उनकी बहन की गांड बजा दी गयी
थी..अजय ने तुरंत वो शीशी अपनी जेब में रख ली.
तभी कमरे में बाथरूम से निकल कर मौसीजी आ गयी, वो नहा कर आई
थी..उन्होने एक टावल अपने बदन पर और दूसरा अपने सिर पर लपेटा हुआ
था..



images-1
और पुर बदन पर पानी की बूंदे मोती की तरह चमक रही थी और उनके
चिकने शरीर से फिसल कर नीचे गिर रही थी.अजय तो सेक्स की देवी को
ऐसी हालत में देखकर दंग ही रह गया, वैसे देखने में वो भी बुरी नही थी...वैसे
भी वो उसकी सास की छोटी बहन थी और दोनो में 2 साल का अंतर
था..और नहाने के बाद तो ये उसकी सास से भी सेक्सी लग रही थी उसे, उनसे
थोड़ी गोरी भी थी और इनका शरीर थोड़ा मांसल भी था..जैसा की अजय को पसंद था.
अजय उनके बेडरूम में होगा ये शायद उन्होने सोचा भी नही था....अजय को
ऐसे अपनी छातियों की तरफ घूरता देखकर कुछ देर के लिए तो वो सकपका
गयी पर अगले ही पल उनके चेहरे पर अजीब सी कातिलाना मुस्कान आ
गयी...बेचारा अजय खुद ही झेंप गया उन्हे ऐसे मुस्कुराते हुए देखकर...वो समझ
गया की उसकी चोरी पकड़ी गयी है.
अजय : "वो ...बस मैं .....देखने आया था की आप लोग उठे है की नही....''
नीलम मौसी उनके करीब आई और बोली : "मैं तो उठ कर नहा भी ली
अजय...इन्हे देखिए ये तो ऐसे सो रहे है जैसे पूरी रात जागकर निकाली हो..''
अब अजय उन्हे कैसे बताता की उन्हे बेहोश करके उनके पति ने उनकी बहन की
गांड मारी है,और ऐसी उम्र में इतनी मेहनत करके ऐसी ही नींद आती है..
अजय को उनके जिस्म से गुलाब के साबुन की खुश्बू आ रही थी, जो कुछ दिन
पहले ही वो प्राची के लिए लाया था...वो भी जब नहा कर निकलती थी
तो उसके बदन से भी ऐसी ही खुशबु निकलती है और अजय उसे अक्सर बाथरूम
से निकलते ही दबोच लेता था और कुछ देर तक उसके जिस्म से लिपट कर
मदहोशी के आलम में डूबा रहता था.उसे चूमता रहता था
पर अभी तो ये नही कर सकता था ना वो मौसी के साथ...बस एक गहरी
साँस लेकर रह गया..
मौसी को तो जैसे उसकी उपस्थिति से कोई फ़र्क ही नही पड़ रहा था...वो
बड़ी ही बेफिक्री से अपने बेग की तरफ गयी और उसे खोलकर अपने कपड़े
निकालने लगी जो उन्होने आज पहनने थे, और अंत मे उन्होने अपनी पेंटी और
ब्रा भी निकाल कर बेड पर रख दी...दोनो मेचिंग कलर की थी और अजय
की नज़रें उन्हे देखकर कामुक होने लगी...वो ठरकी वहीं खड़ा रहा ..और
बेशार्मों की तरह उनकी ब्रा पेंटी को घूरता रहा..
नीलम ने उसे ऐसा करते हुए देखा और वही पहले वाली मुस्कान फिर से उनके
चेहरे पर आ गयी..अजय को लगा की ऐसे में उनके साथ कुछ ट्राइ किया जाए
तो शायद बात बन सकती है..
वो कुछ बोलने ही वाला था की मौसी जी खुद ही बोल पड़ी : "अजय...तुम
ज़रा बाहर जाओगे...मुझे कपड़े पहनने है...''
अजय के कान लाल हो गये ये सुनकर...बेचारा अपना सिर झुका कर बाहर
निकल आया..
और सीधा अपने कमरे में जाकर बैठ गया..उसके लंड का बुरा हाल था वो
स्टील रोड की तरह खड़ा था..
वो सोच रहा था की उस बंद दरवाजे के पीछे इस वक़्त नीलम मौसी अपना
टावल उतार कर नंगी खड़ी होगी और एक-एक करके अपने कपड़े पहन रही होगी...
अजय ने अपनी आँखे बंद कर ली और दरवाजे के पीछे खड़ी नीलम मौसी को
इमेजीन करने लगा..और तकिये के नीचे अपना हाथ लेजाकर अपने खड़े हुए लंड
को मसलने लगा.
तभी उसके कानों में एक सुरीली आवाज़ टकराई : "गुड मॉर्निंग जीजू....''
उसने तुरंत अपनी आँखे खोल दी...उसने सोचा की उसकी साली पूजा आई
है..पर ये तो रिया थी,नीलम मौसी की बेटी..
अजय : "गुड मॉर्निंग रिया...कैसी नींद आई तुम्हे कल रात...''
रिया : "बड़ी मस्त आई जीजू...अभी-2 उठी हूँ बस..पूजा तो अभी तक सो रही है ''
और इतना कहते-2 वो उनके बेड पर ही औंधी होकर लेट गयी, अजय की तरफ
मुँह करके..और अपनी कोहनियां बिस्तर पर टीकाकार अजय से बातें करने लगी..
और ये एक ऐसा पोज़ था की अजय को उसने पूरा हिला कर रख
दिया..रिया ने एक जीन्स और टी शर्ट पहनी हुई थी..और टी शर्ट का गला
गोल और गहरा था,और ऐसी पोज़िशन में लेटने की वजह से उसके अंदर का
सीन अजय को सिर्फ़ 2 फीट की दूरी से साफ़ दिख रहा था.उसकी टी शर्ट
भी शॉर्ट थी इसलिए उसकी कमर वाला हिस्सा भी पूरा नंगा था.



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रिया की उम्र 19 के करीब थी और उसने अभी अपनी जवानी की दहलीज
पर कदम रखा ही था...उसके बूब्स भले ही छोटे थे पर थे पूरी गोलाई लिए
हुए..ये अजय ने अभी-2 जाना क्योंकि उसने अंदर कोई ब्रा नही पहनी हुई
थी..वो उसके निप्पल्स के घेरे तक अच्छी तरह से देख पा रहा था यानी
सिवाए निप्पल के उसकी दोनों गोलाइयाँ उसके परोसी पड़ी थी ,
वो भले
ही 19 की हो चुकी थी पर उसकी हरकतों से लग रहा था की उसका
बचपना अभी तक नही गया है..किसी के सामने कैसे बैठना है और अपने
''अंगों'' को कैसे छुपा कर रखना है इसका तरीका उसे अभी तक नही था..
वो बड़ी ही बेबाकी से उसके बेड पर उल्टी लेटी हुई थी और बोले ही जा रही
थी..अजय सिर्फ़ हाँ - हूँ करके उसकी बातों का उत्तर देता रहा ...उसकी
नज़रें तो उसके बूब्स को भेदने में लगी थी...कुछ दिनों पहले तक वो अपनी
सास का दीवाना था, फिर अपनी साली का हो गया...आज सुबह वो
अपनी सास की बहन को देखकर उत्तेजित हुआ तो अब वो उनकी कमसिन
बेटी को अपनी आँखो से चोदने में लगा हुआ था...सच मे अजय की ठरक दिन ब
दिन बढ़ती ही चली जा रही थी...उसके सामने जो-2 आ रहा था वो उनपर
अपनी गंदी नज़रें डाल कर अपने ठरकीपन से उनका चक्षुचोदन करने में लगा
हुआ था..
वो ये सोच ही रहा था की रिया की थोड़ी तेज आवाज़ आई उसके कानों
में : ''हेल्लओ ......जीजू.....आप सुन भी रहे हैं मैने क्या कहा ....''
अजय जैसे नींद से जागा, उसकि नजरें अभी तक उसकी क्लिवेज देखने में लगी
थी और वो झल्ली रिया को अब भी पता नही चल पा रहा था की अजय
की नज़रें उसकी नन्ही कलियों को देखकर मदहोश हो रही हैं ..
अजय : "ओह्ह्ह ....सॉरी ....मैं कुछ सोच रहा था....बोलो...क्या कहा तुमने ....''
रिया : "मैं ये कह रही थी की आप मुझे कोई कंप्यूटर कोर्स सजेस्ट करो
ना...मैने 6 महीने बाद इंजिनियरिंग का एंट्रेन्स देना है और मुझे कंप्यूटर में
सिर्फ़ नॉर्मल ऑपरेट करना ही आता है...''
अजय की नजरें उसकी टी शर्ट के अंदर थी पर ध्यान अब उसकी तरफ ही आ
चुका था, वो बोला : "कोई बात नही,मैं बता दूँगा तुम्हे...''
रिया : "बता नही दोगे, मेरा एडमिशन भी करवाओगे ...''
अजय : "एडमिशन ...पर तुम तो मुंबई में करोगी ना ये कोर्स ...''
रिया : "सर्प्राइज़.....मैं यहीं रहूंगी अब से...दिल्ली में , मौसी के घर ''
उसकी ये बात सुनकर अजय चोंक गया.
रिया : "आपको नही पता था ना...देखा,सर्प्राइज़ दिया ना आपको
भी...मैने यहाँ आने से पहले ही डेड को बोल दिया था की मैं इंजिनियरिंग
दिल्ली से ही करूँगी...यहाँ की वॅल्यू कुछ अलग ही है...''
वो बोले जा रही थी और अजय की बाँछे खिलती चली जा रही थी ये
सुनकर...एक तरफ उसकी सास...दूसरी तरफ उसकी साली...और अब ये एक और
साली...उसकी किस्मत में तो दिन ब दिन नया माल आता ही चला जा रहा है...
वो ये सोच ही रहा था की कमरे में प्राची आ गयी और रिया को ऐसे अजय
के सामने लेटा हुआ देखकर ना जाने उसके दिमाग़ में क्या आया की वो
घूमकर अजय की तरफ आकर खड़ी हो गयी...और वहाँ से उसने जब देखा की
रिया का गला कितना खुलकर अपने अंगों का प्रदर्शन कर रहा है तो वो
भड़क सी गयी और बोली : "रिया...ये क्या तरीका है अपने जीजाजी के
सामने लेटने का ,तुम्हे कुछ समझ है या नही...चलो उठो...और बाहर आओ मेरे साथ...''
रिया बेचारी को तो कुछ समझ ही नही आया की उसकी कजन दीदी उसे
ऐसे क्यो डांट रही है...अपने जीजू के सामने लेटने का भी कोई तरीका होता है क्या ..
अब उस बेचारी को कौन समझाए की जब जीजा ऐसा ठरकी हो तो हर
चीज़ का तरीका होता है..
खैर, वो मायूस सा चेहरा लेकर बाहर निकल आई और प्राची उसे लेकर सीधा
किचन में चली गयी..अजय भी चुपके से उठकर बाहर आ गया और किचन के
बाहर खड़ा होकर उनकी बातें सुनने लगा..
क्योंकि उसे अपनी बीबी का नेचर पता था,वो अपने पति को लेकर काफ़ी
पोस्सेसिव थी और ऐसे कोई भी लड़की आकर अगर उसे बहकाने की कोशिश
करेगी तो वो रिएक्ट तो करेगी ही ना भले ही वो उसकी खुद की कजन सिस्टर हो.
प्राची : "तुझे तो अभी तक किसी चीज़ की समझ नही आई...एकदम बुद्धू है तू
अभी भी...तुझे समझ नही थी की आपसे अपने जीजू के सामने लेटने से तेरी
ब्रेस्ट दिख रही थी उन्हे...'' प्राची ने उसकी गोलाईयों की तरफ इशारा
करते हुए कहा.
रिया ने अपनी छातियों को देखा और बड़े ही भोलेपन से बोली : "पर
दीदी, ऐसे तो मैं अक्सर लेटा करती हू..पापा के सामने भी...मम्मी ने तो
कभी कुछ नही कहा...और ना ही अभी जीजू ने मुझे टोका ...''
उसकी ये बात सुनकर बाहर खड़े अजय की हँसी निकल गयी..और अंदर खड़ी
प्राची की भी...वो हंसते हुए बोली : "मेरी प्यारी गुड़िया, तू सच में बड़ी
भोली है...ये बातें बोली नही जाती बल्कि खुद समझी जाती है...देख, मर्द
को ये सब देखने में बड़ा मज़ा आता है, चाहे वो तेरे पापा हो या जीजू ,
इसलिए वो कभी नही टोकेंगे , तुझे खुद ही अपना समान उनकी नजरों से
बचा कर रखना पड़ेगा...''
वो बड़ी गंभीरता से उसे समझा रही थी...
रिया : "पर दीदी, मुझे अभी क्या ज़रूरत है अपने बूब्स छुपाने की, ये तो
छोटे-2 से है अभी...और मर्दों को तो बड़े-2 पसंद आते है...जैसे की आपके हैं''
प्राची (आँखे तरेर कर) : "तुझे कैसे पता...''
रिया : "वो मेरे स्कूल में कोई भी लड़का मुझे नही देखता था...मेरी दूसरी
फ्रेंड्स को देखकर उन्हे छेड़ते थे,मैने एक दिन अपनी फ्रेंड्स से पूछा तो उसने ये
बताया की लड़के बड़ी ब्रेस्ट वाली लड़कियो को ज़्यादा पसंद करते हैं...''
प्राची : "वो तेरे स्कूल की बात थी...अब तू बड़ी हो गयी है...और तेरे बूब्स भी..समझी..''
रिया की आँखे चमक उठी : "सच दीदी...आपको लगता है की मेरे बूब्स बड़े हो
गये हैं...मुझे तो ऐसा लगा ही नहीं कभी ,जितने पिछले साल थे,उतने ही लगते हैं ''
वो दोनो हाथों से उन्हे थामकर उनका वजन नापने लगी.
प्राची : "ओफफो...तू बिल्कुल झल्ली है...मैं तुझे क्या समझने की कोशिश कर
रही हू और तू है की मुझे ही अपनी बातों मे उलझा रही है...चल छोड़ ये सब
और आगे से मेरी ये बात ध्यान रखना..''
पर वो सुन रही होती तो ध्यान रखती ना...वो तो ये सोचकर खुशी से
दोहरी हो रही थी की उसकी दीदी ने उसकी बड़ी हुई ब्रेस्ट को नोटिस
किया है..और अब उसे भी लड़के देखा करेंगे, जैसे उसकी फ्रेंड्स को देखा करते थे.
प्राची फिर से काम पर लग गयी और वो चमकती आँखो से बाहर निकल आई..
अजय भी फ़ौरन जाकर सोफे पर बैठ गया और अख़बार पड़ने लगा.
रिया उसके सामने आकर बैठ गयी , वो अभी तक अपनी दीदी की बातों में
खोई हुई थी.
अजय : "क्या हुआ रिया, क्या सोच रही हो...दीदी क्यो डांट रही थी तुम्हे...''
रिया बिना सोचे समझे बोल पड़ी : "देखो ना जीजू, दीदी मुझे बोल रही
थी की मैं आपके सामने ऐसे ना लेटू , मेरे बूब्स दिखेंगे आपको...अब आप ही
बताओ,दीदी के बड़े बूब्स छोड़कर भला आप मेरे क्यो देखोगे...दीदी भी ना..''
अजय को उसके भोलेपन पर दया सी आ गयी,मुंबई मे रहकर भी वो ऐसी
झल्लियो जैसी बातें कर रही थी उसे तो यकीन ही नही हुआ..वो उसके साथ
आकर उसी सोफे पर बैठ गया और बोला : "तुम्हारी दीदी को इन बातों की
समझ नही है ना इसलिए वो ऐसा बोल रही थी...लेकिन एक बात
बोलू,दीदी से तो नही कहोगी ना...''
रिया ने भोलेपन से उत्तर दिया : "कहो ना जीजू, नही बोलूँगी दीदी से,
मम्मी की कसम..''
उसने अपने गले पर हाथ लगाकर कहा.
अजय ने हिम्मत करते हुए मंद-2 मुस्कुराते हुए धीरे से कहा : "मुझे ना सच में
तुम्हारे बूब्स बड़े पसंद आए...और सच कहु,मुझे ऐसे ही साइज़ के पसंद आते
हैं...मम्मी की कसम''
उसने भी रिया की तरह अपने गले पर चुटकी काटकर उतने ही भोलेपन से कहा.
और अपने जीजू को अपने बूब्स की तारीफ करते देखकर रिया का चेहरा चमक
उठा : "वाउ...सच में जीजू....मुझे तो लगा था की मर्दों को बड़े-2 पसंद आते हैं
...जैसे प्राची दीदी के हैं...मेरी माँ के हैं...मौसीजी के हैं...मेरी फ्रेंड नाज़िया हैं ''
वो सारे मोटे मुम्मों वालियों के नाम गिनवाने लगी...
अजय ने उसे बीच मे ही टोकते हुए कहा : "हाँ ...पर हर कोई एक जैसा नही
होता ना...किसी को बड़े पसंद आते हैं और किसी को छोटे...और मुझे छोटे
ही पसंद है...तुम्हारे जैसे...''
और उसने थोड़ी और हिम्मत करते हुए अपनी हथेली को उसकी दाँयी तरफ
की ब्रेस्ट के नीचे लगाकर उसका वजन नाप लिया...और अजय की इस हरकत
से पहली बार अजय ने उसकी आँखो में शर्म के भाव देखे ..
रिया : "ये क्या कर रहे हैं जीजू ....''
अजय : "ओह...सॉरी....बस बता रहा था की ये सच में बड़े सुंदर हैं....''
वो कुछ बोल पाती तभी बाहर से पूजा अंदर आ गयी...
उसने अपने जीजू को ऐसे अपनी कजन के इतने करीब बैठे हुए देखा तो उसका
माथा ठनक गया...वो तो अच्छी तरह जानती थी अपने ठरकी जीजू की
आदतों को..उस दिन वो उसकी माँ को घूर रहे थे और अब उसकी छोटी कजन रिया को...
वो करीब आई और बोली : "रिया की बच्ची , तू मुझे सोता छोड़कर अकेली
यहाँ आ गयी...मुझे भी ले आती..''
अजय ने पूजा की तरफ देखा और उसके चेहरे के भाव देखकर वो समझ गया की
उसके मन में क्या चल रहा है..शायद वो जेलिस फील कर रही थी..
और ये ख़याल आते ही अजय के दिमाग़ में एक बात आई...
वो रिया का इस्तेमाल करके पूजा को अपने जाल में फँसा सकता है...
क्योंकि अब तो रिया वहीं रहने वाली थी...और रिया अपनी कजन पूजा
की तरह चालक नही थी, उसे वो आसानी से अपने जाल में फँसा सकता
था..और रिया के थ्रू वो पूजा तक भी पहुँच सकता था...
उसके टार्गेट्स बढ़ते जा रहे थे...सासू माँ , मौसी जी, पूजा और अब
रिया...पता नही कैसे करेगा वो..पर ठरकी अजय को अपने उपर पूरा यकीन
था की वो ये काम कर ही लेगा..
कुछ ही देर में मौसी जी भी बाहर आ गयी...और उसकी सासू माँ भी उनके
घर आ गयी, सबने मिलकर नाश्ता किया, और नाश्ता करते-2 ही मौसीजी
ने रिया के वहीं दिल्ली में रहकर इंजिनियरिंग करने की बात बताई...उनकी
बहन रजनी तो पहले से ही ये बात जानती थी..इन्फेक्ट सभी लोग जानते थे,
सिर्फ़ अजय को ही नही मालूम था ये..
अगली सुबह मौसाजी और मौसीजी को निकलना था मुंबई के लिए और
इससे पहले अजय एक बार मौसीजी पर और ट्राइ करके देखना चाहता था
की जो उसे आज सुबह उनके बारे में लगा था वो सच है या नही..अगर उसकी
पारखी नज़रें सही है तो वो अपनी तरफ से कोई रोक-टोक नही करेंगी...और
इसके लिए अजय के पास कुछ ही घंटे बचे थे.
अजय ने नोट किया की उसकी नज़रें जब भी रिया या मौसीजी की तरफ
जाती है तो उसकी साली पूजा की नज़रें उसे घूरने लगती थी,मानो उसे सब
पता चल चुका था की अजय के मन में क्या चल रहा है..उसकी शक्की बीबी
क्या कम थी जो अब ये उसकी बहन भी उसकी हरकतों पर नज़र रखने लगी
है...पर अजय भी बड़ा ढीठ किस्म का बंदा था,एक बार जो ठरक चढ़ गयी
थी उसपर अब तो वो उसे पूरा करके ही रहेगा...वैसे भी शादी के बाद उसमे
काफ़ी चेंज आ चुका था,वो पहले से काफ़ी बोल्ड हो गया था, ऐसा अगर
वो शादी से पहले हुआ करता तो अपने मोहल्ले की ना जाने कितनी
भाभियाँ वो अब तक चोद चुका होता..पर अब जो मौका उसके ससुराल में
उसे मिल रहा था,वो उसे खोना नही चाहता था..
नाश्ते के बाद सबने शॉपिंग जाने का प्रोग्राम बनाया...अजय का मन नही
कर रहा था,इसलिए उसने पहले ही मना कर दिया,क्योंकि वो घर पर रहकर
इंडिया-पाकिस्तान का क्रिकेट मैच देखना चाहता था..इसलिए उसको
छोड़कर सभी लोग मार्केट चले गये..दिन में तो वैसे भी कुछ होने वाला नही
था, इसलिए अजय को रात का ही इंतजार था..शाम को 8 बजे जब वो सभी
घर वापिस आए तो बाहर से ही खाना मंगवा लिया क्योंकि प्राची
काफ़ी थकी हुई थी..और अगली सुबह मौसा-मौसी को वापिस भी जाना
था इसलिए आज घर पर भी ज्याद गप्पे नही मारी गयी,10 बजे तक सभी
सोने के लिए चले गये..
अजय का दिमाग़ तो मौसीजी की तरफ ही लगा हुआ था..क्योंकि डिन्नर
टेबल पर भी उसने उनकी छातियों की तरफ घूरना नही छोड़ा था और उसने
नोट भी किया था की उनके निप्पल्स वो अटेन्षन पाकर उभर भी रहे
हैं...और उनके होंठों पर वही कातिलाना मुस्कान भी उसने देखी जो सुबह
नोट की थी उसने..
प्राची तो घूमकर थकी हुई थी, और उसकी बगल में लेटने के साथ ही वो
खर्राटे भरने लगी..दूसरे कमरे में क्या हो रहा होगा ये जानना भी ज़रूरी
था..पर जाने से पहले वो एक काम कर लेना चाहता था,उसने अपनी पॉकेट से
वही बेहोशी वाली दवाई निकाली और उसे प्राची की नाक के पास
लेजाकर उसे सूँघा दिया..नींद में ही वो थोड़ी सी कसमसाई और गहरी नींद
में डूबती चली गयी...अब अजय उसकी तरफ से निश्चिंत था, भले ही आज की
रात वो कुछ कर पाए या नही पर अपनी बीबी की तरफ का डर अब ख़त्म हो
चुका था..
और जैसे ही वो अपने बेड से उठा,कमरे में नीलम मौसी खुद आ गयी...और उन्हे
वहां देखकर एक पल के लिए अजय भी चोंक गया..



अब आगे कैसे अजय मौसीजी की चुदाई करेगा ये जानने के लिए थोड़ा इंतजार कीजिये
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Jash1990

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नीलम : "अरे अजय,ये प्राची सो गयी क्या, मुझे इससे कुछ काम था...''
अजय : "हाँ , ये शायद काफ़ी थकी हुई थी,आते ही सो गयी..''
नीलम : "इसके मौसा का भी यही हाल है...कमरे में घुसते ही सो गये...और
यहाँ ये भी सो रही है...अब कैसे होगा...''
उनके चेहरे पर थोड़ी चिंता के भाव आ गये...
अजय :"आप मुझे बताइए, क्या काम था, शायद मैं कोई मदद कर सकूँ ...''
नीलम के चेहरे पर वही मुस्कान एक बार फिर से लौट आई...और वो बोली :
"नही ...रहने दे...मैं सुबह पूछ लूँगी...''
अजय अब ये मौका नही छोड़ना चाहता था...वैसे भी वो खुद उनके रूम की
तरफ जाने वाला था और बात करने का कोई बहाना ढूंढता बाद में ,यहाँ
तो उसका काम पहले से ही बन चुका था.
अजय : "अरे ,आप मुझे अपना नही समझती क्या...बोलिए ना..''
नीलम (थोड़ा शरमाते हुए) : "वो मैं पैकिंग कर रही थी अपने कपड़ो की...और
मैने अपने अंडरगार्मेंट्स आज मॉर्निंग में वॉशिंग मशीन में डाले थे,धोने के
लिए,पर अब वो वहां नही है,शायद प्राची ने उन्हे अपने कपड़ो के साथ ही
रख लिया है...''
मौसी ने जिस अंदाज से ''अंडरगार्मेंट्स'' बोला था, वो अजय के लंड को पूरी
तरह से तन्ना गया..और उसने उनके सामने ही अपने लंड को एडजस्ट करते हुए
कहा : "ओहो....तो ये बात है...यानी कल पहनने के लिए भी आपके पास कुछ
नही है अब...''
नीलम का चेहरा ये सुनकर लाल सुर्ख हो गया , वो बोली : "बदमाश ....ऐसे
बोलते है क्या...''
और फिर से उसके दोनो नन्हे निप्पल उभर कर प्रकट हो गये...
मर्दों का लंड खड़ा होता है और औरतों के निप्पल..और दोनो को छुपाना
संभव नही होता ..
अजय : "सॉरी, मेरी तो मज़ाक करने की आदत है ...आप तो जानती ही है...''
नीलम : "अरे, इसमे सॉरी क्यो बोल रहे हो...मैं तो इसलिए कह रही थी की
कहीं प्राची ना उठ जाए...''
उसने प्राची की तरफ इशारा करते हुए कहा..
यानी उसे अजय की बात बिल्कुल बुरी नही लगी थी...और ये अजय के लिए
ग्रीन सिग्नल था.
अजय :"आप इसकी चिंता मत करिए...इस वक़्त तो मैं इसके साथ कुछ कर भी लू
तो भी ये नही उठेगी...''
नीलम ने आँखे नचा कर कहा : "ऐसा भी नही होता कोई...''
अजय ने अपनी बात साबित करने के लिए प्राची के गाल पर जाकर एक गहरी
किस्स कर दी...जिसे देखकर मौसी की आँखे फिर से गोल हो गयी..
नीलम : "अच्छा मान ली तेरी बात...अब रुक जा...नही तो तू मेरे सामने ही
शुरू हो जाएगा इसके साथ...''
अजय : "अब क्या करू मौसीजी...मन तो बड़ा कर रहा था आज भी पर ये
इतनी थकी हुई थी की आते ही सो गयी...''
अजय के हाथ लगातार अपने लंड को सहला रहे थे...
नीलम : "हम्म्म सही है...नयी शादी का यही तो फयडा होता है...हमे तो
अब कभी-2 ही मौका मिलता है...''
अब वो धीरे-2 खुलने लगी थी...
अजय : "ओहो...यानी आप लोग अभी भी करते हैं ....सही है...''
नीलम : "चुप कर ....तू सच में बड़ा बदमाश है....रजनी सही कहती है तेरे बारे में ...''
अपनी सास का नाम आते ही अजय चौंक गया, वो बोला : "क्या कहती है...बताइए ना...''
नीलम : "वो हमारी आपस की बात है...तुझे बताने की ज़रूरत नही है...चल अब
मुझे उसकी अलमारी से मेरी ब्रा - पेंटी निकाल दे,मुझे पैकिंग करनी है..''
''अंडरगार्मेंट्स'' से ''ब्रा-पेंटी'' पर उतर आई थी अब वो..अजय का लंड फिर से
एक जोरदार झटके लगाकर अपने जलवे दिखाने लगा.
अजय उठा और उसने तुरंत प्राची की अलमारी खोल दी...और ब्रा-पेंटी
वाली ड्रॉयर खोल कर उसने अंदर के सारे कपड़े उठाकर एक ही बार में बाहर
रख दिए..जिसमे प्राची की रंग बिरंगी,नेट वाली,डिज़ाइनर ब्रा-पेंटी भरी पड़ी थी..
मौसीजी के चेहरे पर फिर से शरारती हँसी उभर आई..: "ये सब क्यों निकाल
रहा है...मुझे तो मेरी वाली ही आएगी ना...''
अजय ने एक ब्रा उठाकर देखी और फिर मौसीजी की छातियों को घूरकर
देखा और बोला : "वैसे ट्राइ करके देख लो आप, शायद ये भी आ ही जाएँ...''
वो थोड़ा करीब आई ...और अजय के हाथ से ब्रा लेकर बोली : "मेरी उम्र अब
ये बच्चियों वाली ब्रा पहनने की नही रही...सामान भी बड़ गया है उम्र के साथ...''
अजय : "पर मुझे तो नही लगता...की आपकी उम्र कुछ ज़्यादा है..और ना ही सामान...''
दोनो बेशर्मी पर उतर आए थे...
नीलम : "तेरी प्राची के 34 से ज़्यादा नही है...और मेरे 38 प्लस है...''
अजय (जानबूझकर) : "क्या ??''
नीलम और करीब आई और उसकी आँखो मे आँखे डालकर बोली : "मेरी ब्रेस्ट
का साइज़...अब इतना भी बच्चा नही है तू जो ना समझे की मैं किस बारे में
बात कर रही हूँ ...''
अजय खिसियानी हँसी हंसते हुए बोला : "वैसे मुझे बड़े ही अच्छे लगते हैं...''
और ये बात करते हुए उसे अपने कमीनेपन पर ही हँसी आ रही थी...क्योंकि
आज सुबह ही वो उनकी बेटी रिया को ये बोल रहा था की उसे छोटी
ब्रेस्ट पसंद है...एक ही दिन में दोनो माँ-बेटी से उनकी ब्रेस्ट के बारे में बात
करना कोई छोटी बात नही होती..
उसकी बात सुनकर नीलम बोली : "पता है मुझे....की तुम्हे बड़े पसंद है...''
अजय फिर से चोंक गया ये सुनकर, उसने पूछा : "आपको कैसे पता...?''
नीलम : "अभी बताया था ना मैने...रजनी ने बोला मुझे ये...''
अजय का सिर चकरा गया ये सुनकर...यानी उसकी सास ने भी नोट किया
था की वो उनकी छातियों को घूरता रहता है...और उन्होने ये बात अपनी
बहन को भी बता दी...
नीलम : "और मैने भी नोट किया है कल से कई बार...तुम्हारी नज़रें जिस तरह
से मेरी ब्रेस्ट को घूर रही थी,मुझे अच्छी तरह पता है की क्या देख रहे थे तुम...''
अजय समझ गया की अब बात बन सकती है...
नीलम ने उस ढेर में से अपनी ब्रा-पेंटी खोजनी शुरू कर दी..और जल्द ही उसे
अपने दोनो सेट मिल गये उनके बीच...पर वो बिल्कुल नॉर्मल से थे...क्रीम कलर
के...बिना कोई डिज़ाइन और कंपनी के...


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अजय : "ओहो...मौसी जी ..आप इतने पुराने स्टाइल के पहनती हो...एक काम
करो...ये पहन कर देखो...''
कहते हुए अजय ने एक जोड़ा निकाल कर रख दिया नीलम के हाथ में ..
नीलम ने उसे देखा और बोली : "वैसे देखा जाए तो रिश्ते में मैं भी तेरी सास
ही लगती हूँ ...और तू अपनी सास समान औरत को अपनी बीबी की ब्रा-
पेंटी दे रहा है...चक्कर क्या है...''
अजय : "कुछ नही...आपके उपर ये सही लगेगी...इसलिए बोला मैं ...और वैसे भी
ये स्ट्रेचएबल कपड़ा है..आपको आ भी जाएगी..''
उसने ब्रा के कपड़े को खींचकर दोनो तरफ फेला कर दिखाया..और नीलम
की हँसी निकल गयी.
''तुम तो ऐसे दिखा रहे हो जैसे मैं किसी शॉप पर आई हू और तुम सेल्समेन हो इनके..''
अजय : "आप मुझे सेल्समेन ही समझ लो...पर आपको इनमे देखने का बड़ा मन कर
रहा है...''
उसकी ये बात सुनकर उसने अपनी भौहें उपर उठा ली और बोली : "मुझ
बुढ़िया को देखकर भला तुम्हे क्या मिलेगा...तुम्हारी उम्र तो अभी
जवानी लूटने की है...''
उसने एक बार फिर से सोती हुई प्राची की तरफ इशारा किया.
अजय : "सिर्फ़ जवानी ही नही एक्सपीरियन्स नाम की भी कोई चीज़
होती है...उसका भी मज़ा लेना चाहिए..''
अजय की हाजिरजवाबी देखकर वो मुस्कुरा दी और उसके हाथ से ब्रा-पेंटी
लेकर वो उन्ही के बाथरूम की तरफ चल दी...अजय ने भी नही रोका उन्हे..
और अंदर जाकर उन्होने दरवाजा बंद कर लिया.
अजय का दिल जोरो से धड़क रहा था...उसने तो सोचा भी नही था की ये
सब इतनी आसानी से होता चला जाएगा... उसने जो चांस लिया था वो
सफल होता दिख रहा था..और कुछ और मेहनत की जाए तो इनकी चूत भी
मारने को मिल सकती है अभी...पर साथ ही साथ उसे मौसा जी की भी
चिंता हो रही थी...वो फ़ौरन उनके कमरे में गया और जेब से वही शीशी
निकाल कर उनको सूँघा दी...वो भी थोड़ा कसमसाए और गहरी नींद में चले
गए ...उनके ही हथियार से उन्हे बेहोश कर दिया था अजय ने..और फिर वो
भागकर वापिस अपने कमरे में आ गया..प्राची अभी तक उसी पोज़ में थी
और गहरी नींद में डूबी हुई थी..उसे पता भी नही था की उसका पति इस
वक़्त क्या करने में लगा हुआ है..
और तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और अजय की नज़रें उस तरफ चली गयी...
और एक पल के लिए तो उसे लगा की समय थम सा गया है...


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क्योंकि इतनालबाबदार माल उसने अपनी जिंदगी में कभी नही देखा था...
नीलम मौसी सिर्फ़ ब्रा पेंटी में बाहर आकर खड़ी थी, और उनका शरीर
थोड़ा भारी तो था ही पर एकदम गोरी चिट्टी होने की वजह से वो
कमाल की लग रही थी...ब्रा-पेंटी का साइज़ छोटा होने की वजह से वो
बड़ी मुश्किल से आई थी उन्हे.. कपड़ा पूरी तरह से स्ट्रेच हो चुका था और
ट्रांसपेरेंट सा लग रहा था, इसलिए अजय को उनके खरबूजों के उपर लगे बीज
और जांघों के बीच का चीरा दूर खड़े होकर सॉफ दिख रहा था..
और वो भी बड़ी ही बेशर्मी और बेफिक्री से खड़ी होकर अपना जलवा
दिखा रही थी..
नीलम : "मैने कहा था ना की ये मुझे नही आएगी....देखो कितनी टाइट है...''
अजय उनके करीब आया और गोर से उनके हर अंग को निहारने लगा...ब्रा के
कप भी काफ़ी छोटे थे जो उनकी बड़ी-2 ब्रेस्ट को ढक नही पा रहे थे,
इसलिए उनकी लगभग नंगी छातियाँ देखकर उससे रहा नही गया और उसने
पयज़ामे के उपर से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया...
और वो जब घूमकर उनके पीछे पहुँचा तो नीलम की चौड़ी गांड देखकर उसका
धैर्य जवाब दे गया और वो पीछे से जाकर उनसे लिपट गया...और अपना
स्टील रोड जैसा लंड उनके नितंबो के बीच लगाकर ज़ोर से दबा दिया..
नीलम : "आआहह ....ये क्या कर रहे हो अजय....''
उनकी आवाज़ भी नशे मे डूबी हुई सी लग रही थी...और रोकने जैसा तो कुछ
लगा ही नही अजय को...इसलिए उसने अपने हाथ उपर करते हुए उनके दोनो
मुम्मे अपने हाथों में उठा लिए और ज़ोर से दबा दिया...


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''आआआआआहह अजय..........ये सही नही है.....प्राची मेरी बेटी जैसी है...और
तुम उसके पति हो...''
अजय उनके कान मे फुसफुसाया : "वो देख रही होती तब सही नही होता....ये
जो भी होगा हमारे बीच उसे पता भी नही चलेगा....और वैसे भी अब
आपको छोड़ना मेरे बस में नही है....मुझे तो अपना लंड आपकी चूत में डालकर
ही रहना है आज ...''
और अजय का दाँया हाथ फिसलकर उनकी चूत पर आया और उसने उसे ज़ोर से
दबा दिया..


fingering-at-ponderousrobot
और उसे ऐसा लगा की चाशनी से भीगा हुआ बड़ा सा बंगाली
रसगुल्ला दबा दिया है उसने...उसके हाथ में उनकी चूत से निकला पानी भर गया..
वो एकदम से पलटी और अजय को अपने गले से लगा लिया...''अहह....यानी अब
तुम नही मनोगे...''
''नही..''
''ओक....रूको ...मैं उन्हे देखकर आती हू ज़रा...कहीं वो उठ ना गये हो...''
अजय उन्हे रोकना चाहता था पर तब तक वो बाहर निकल गयी...
कल वो बेहोशी में थी और उसके पति ने अपनी साली की गांड मारी थी
उसके ही सामने...आज वो बेहोश है तो उसकी बीबी की भी वहीं मारनी
चाहिए ना, उसके सामने...ये सोचते-2 वो उनके कमरे की तरफ ही चल
दिया...जहाँ नीलम अपने पति के चेहरे को गोर से देखकर ये जानने की
कोशिश कर रही थी की वो गहरी नींद में है या कच्ची में ..
अजय : "वो अब सुबह से पहले नही उठेंगे...मैने उनको कुछ सूँघा दिया है...''
इतना कहकर अजय ने अपनी पॉकेट से वो शीशी निकाल कर दिखाई..
अजय : "और प्राची को भी मैने ये सूँघा दी थी...अब इनके सामने जितना भी
चिल्लओ ये नही उठने वाले...''
नीलम तो हैरान रह गयी, उसने तो सोचा भी नही था की अजय इतना
चालाक भी हो सकता है...
''यानी, ये सब तुमने पहले से सोच रखा था...''
''सोचा तो नही था,पर हा चांस ज़रूर लिया...और सफल भी हो गया...''
नीलम : "सच मे...बड़े कामीने हो तुम.....''
अजय : "कमीना नहीं, ठरकी , हा हा ''
अजय ने एक ही झटके में अपना पायजामा नीचे कर दिया और अपना लंड
लहरा दिया उनके सामने : "मुझसे बड़ा कमीना तो ये है, जो मुझसे ऐसे काम
करवाता है...''


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नीलम इतने लंबे लंड को देखकर भोचक्की रह गयी....उसके पति का ना तो
इतना लंबा था और ना ही इतना सख़्त...
वो अपने होंठों पर जीभ फेरती हुई उसकी तरफ चल दी.
अजय के लिए ये रात एक यादगार होने वाली थी..
मौसी की नज़रें अजय के लंड पर थी और अजय की उनके लपलपाते हुए होंठों
पर...जैसे ही वो नीचे झुकने लगी ,अजय ने उन्हे बीच मे ही दबोच लिया और
अपनी छाती से लगा कर जोरों से भींच दिया..
''आआआआआआहह ........ धीरे अजय......तुम तो मुझे निचोड़ रहे हो...''
अजय : "अभी कहा मौसी, निचोड़ूँगा तो अब....''
और इतना कहकर उसने अपने होंठों उनके होंठों पर रख दिए और पागलों की
तरह उन्हे चूसने लगा..


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ऐसी मस्त औरत के लिप्स भी बड़े मीठे होते हैं, ये बात अजय को आज मालूम
हुई थी..एक तो इतने मोटे होंठ और उपर से उनमे से निकल रहा मीठा पानी,
अजय तो उन्हे चूसता ही रह गया.
प्राची के होंठ काफ़ी पतले थे, पर चूस्टी वो भी कमाल की थी, आज अजय
ने अपनी बीबी के अलावा पहली बार किसी और के लिप्स चूसे थे, इसलिए
भी वो काफ़ी मजेदार लग रहे थे, वैसे भी आदमी को घर के खाने के बाद
यकायक बाहर का खाना मिल जाए तो स्वाद तो लगेगा ही.
अजय इतनी तेज़ी और ज़ोर से उन्हे चूस रहा था की मौसी की हालत खराब
हो गयी...उसके बूड़े पति ने शायद अपनी पूरी जिंदगी मे उसे इतना नही चूसा
होगा जितना आज अजय चूस रहा था...और ऐसा करवाते हुए उन्हे मज़ा भी
आ रहा था..तभी तो ऐसी आंटियाँ जवान मर्दों की दीवानी होती है..
अजय ने बड़ी ही बेदर्दी से अपनी ही बीबी के अंडरगार्मेंट्स, जो इस वक़्त
नीलम मौसी ने पहने हुए थे, फाड़ डाले...ब्रा इतनी बेदर्दी से फाड़ी की
पीछे के हुक कहां गये उनका तो पता नही, आगे के कप भी फाड़कर अलग कर
दिए...और उन्हे उछाल कर उसने जानबूझकर सोए हुए मौसा जी के चेहरे की
तरफ फेंका..और जब कच्छी फटी तो उसकी सुरीली छररर की आवाज़ सुनकर
वो कुछ ज़्यादा ही भावना में बह गया और उस फटी हुई पेंटी को पहले उसने
सूँघा और फिर अपनी जीभ निकाल कर उस गीली कच्छी को चाट
लिया...और ये था उसकी जिंदगी का दूसरा चूतामृत, पहला उसकी बीबी
का और अब अपनी बीबी की मौसी का...और इसमे प्राची के मुकाबले कुछ
ज़्यादा नमकीनपन था..जो अजय को शायद ज़्यादा ही अक्चा
लगा..इसलिए उसने अपनी दो उंगलियाँ उनकी चूत में डाली और निकाल
कर चूस ली...



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और अब नीलम मौसी खड़ी थी उसके सामने, पूरी मदरजात नंगी होकर...
और वो भी बड़े गर्व से अपना नंगा बदन उभार-2 कर दिखा रही थी...और
दिखाए भी क्यो ना...उसका नशीला बदन था ही ऐसा..और जब ऐसी
बॉडी होती है तो औरत मे एक अलग ही कॉन्फिडेंस आ जाता है, क्योंकि
उसे पता होता है की सामने वाला मर्द उसकी तारीफ ही करेगा...


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मौसी भी अपने दामाद के इस जंगलिपन को देखकर उपर वाले का धन्यवाद
कर रही थी क्योंकि ऐसे जोशीले मर्द से चुदवाने में जो मज़ा आने वाला था
वो तो वही जानती थी.
नीलम भी उसके साथ-2 उसकी तरह जंगली हरकतों पर उतर आई...और उसने
अपनी गर्म जीभ से उसके चेहरे को पूरा चाटना शुरू कर दिया...जैसे कोई
कुतिया अपने मालिक को चाटती है..
नीलम : "आआआआहह अजय ................ तूने तो मेरे अंदर आग लगा दी है
रे.....आआआअहह''
अजय : "ओह मौसी.....आग मैने लगाई है तो बुझाऊँगा भी मैं ही....''
इतना कहते-2 उसने अपने भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए....और कुछ ही देर में वो
पूरा नंगा होकर नीलम के सामने था...
नीलम : "आआआआआहह अजय.............कितना लंबा है रे तेरा.....''
अजय ने अपने लड को हिलाते हुए कहा : "क्या मौसीजी .....''
ये सुनकर वो शरमा गयी....उसके निप्पल और ब्रेस्ट तनी हुई थी...और चूत से
आग के गोले भभक-2 कर निकल रहे थे...अजय के दोबारा पूछने पर वो धीरे से
बोली : "तुम्हारा....ल ..लंड ....''
अजय का लंड भी अपनी तारीफ सुनकर मौसी को थेंक यू बोल गया मन ही मन में ...
अजय ने भी बड़ी बेबाकी से कहा : "और आप भी कमाल की हो
मौसी...आपको देखकर पता ही नही चल रहा की आपकी एक जवान बेटी भी है...''
जवान बेटी बोलते हुए अजय के दिमाग़ मे उसकी बेटी रिया का जिस्म नाच
उठा...और अपनी कल्पना में ही उसने उसे नंगा भी कर दिया..
पर अभी रिया के बारे में सोचने का नही, उसकी माँ को चोदने का समय था...
वो आगे बड़ा और उसने अपनी शक्तिशाली बुझाओं में मौसी जी को उठा
लिया...उनका वजन 60 के करीब था, फिर भी उसने उन्हे बड़ी आसानी से
उपर उठा लिया और उन्होने भी अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट कर अपना
शरीर अजय के उपर टीका दिया...और अजय उन्हे चूमता हुआ सा दीवार की
तरफ ले गया और उनकी पीठ वहाँ टीकाकार अपना मुँह नीचे करते हुए उनके
रसीले पपीते चूसने लगा...


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''आआआआआआआआहह ......उम्म्म्मममममममममममम....... आआआआअहह मज़ा
आ रहा है......... आआआआआअहह......''
मज़ा तो अजय को भी आ रहा था...इन्ही मुम्मों को देखकर उसने दो दिनों
तक अपनी जीभ होंठों पर फेरी थी...आज उन्हे चूसने का मौका आया तो
अपने दांतो से उनपर चित्रकारी करने लगा...उन्हे काटने लगा,नोचने
लगा...निप्पलों पर तो उसने ऐसा कहर बरपाया जैसे उन्हे उघाड़ ही
देगा..अपने मुँह को पूरी ताक़त से उनकी बड़ी ब्रेस्ट पर मार सा रहा था वो...
और मौसी भी उसके इस जंगलिपन को सहन करती हुई मज़े से सिसकारियाँ
लेती हुई उसे बढ़ावा दे रही थी..
''आआआआआआआआअहह हाआाआअन्णन्न् ऐसे ही ............खा जा इन्हे
अजय........खा जा.......काट ले इनको....चूस मेरे निप्पलो को...........आआह मेरा
बच्चा .............''
और ऐसी चूसम चुसाई में अचानक मौसी को एहसास हुआ की नीचे से अजय
का लंड उनकी चूत से नाममात्र की दूरी पर ही है...और अगले ही पल उसके लंड
का सुपाड़ा उनकी चूत से आ टकराया..शायद उनके वजन की वजह से उनका
शरीर धीरे-2 नीचे आ रहा था...और जैसे ही उन दोनो को ये एहसास
हुआ,दोनो रुक से गये...और एक दूसरे की आँखों में देखने लगे...
और अगले ही पल नीलम ने अपनी बाहें पूरी ताकत से उसकी गर्दन में लपेटी ,
अपनी आँखे बंद की , होंठ उसके होंठों से चिपकाए, और अपना रहा -सहा
भार भी नीचे की तरफ खिसका दिया...
और अजय का पठानी लंड सरसराता हुआ सा नीलम की चूत के अंदर घुसता
चला गया...किसी रॉकेट की तरह...


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''आआआआआआआआआआआआआआआहह उम्म्म्ममममममममममममममममम.....
ओह अजय ......................सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''
एक तो वो इतना मोटा और उपर से लंबा भी काफ़ी...इसलिए रुक-
रुककर,अटकता हुआ सा वो अंदर जा रहा था...और उसके लंड पर अपनी चूत के
भार उतर रही नीलम को तो ऐसा लग रहा था की जैसे ये सफ़र कभी ख़त्म
ही नही होगा....एक-एक इंच पर उसकी चूत नयी करवटें बदल रही थी...इतने
सालो से एक ही लंड से चुदने के बाद जब मोटे लंड का आगमन होता है तो अंदर
की दीवारें ऐसे ही खिसकती है...पर उस खिसकन में जो रोमांच और मज़ा
फील होता है वो तो उसे महसूस करने वाली ही जान सकती है...जो इस
वक़्त नीलम को महसूस हो रहा था...
अपने मुँह खोले हुए वो अपनी चूत के थ्रू अजय के लंड को निगले जा रही
थी...निगले ही जा रही थी..
और आधे से ज़्यादा अंदर जाने के बाद अजय को भी थोड़ी टाइटनेस महसूस
होने लगी, जो उसके लंड की अकड़ को और बढ़ावा दे रही थी....और फिर एक
वक़्त ऐसा भी आया जब उसका पूरा लंड नीलम की चूत में धंसा पड़ा
था...

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और वहाँ पहुँचकर दोनो कुछ देर के लिए रुक गये और गहरी साँसे लेने
लगे...और गहरी साँसे लेते हुए कब वो गहरी स्मूचे लेने लगे, उन्हे भी पता नही
चला...और फिर अजय ने एक बार फिर से अपनी शक्तिशाली बाजुओं का
परिचय देते हुए उसकी जाँघों के नीचे अपने हाथ रखे और उसे उपर नीचे करते हुए
चोदने लगा...
''आआआअहह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ़ उफफफफफ्फ़ आअsssssssssssss हाआँ ऐसे
आआअहह ही ............ बड़ा ...मज़ा आ रहा ....है अजय ....अहह उम्म्म्ममममम
ज़ोर से ....करो .......और ज़ोर से .....''
अजय समझ गया की वो मस्ता चुकी है....इसलिए उसकी रेलगाड़ी बना कर
चुदाई करनी पड़ेगी...इसलिए उसने लेजाकर बेड पर पटक दिया...और ऐसा
करते हुए उसका लंड भी बाहर निकल आया जो उसकी चाशनी में नहाकर
बुरी तरह से चमक रहा था...
नीलम ने ये मौका नही छोड़ा और झपटकर बेड पर बैठ गयी और उसके लंड को
पकड़कर सीधा अपने मुँह मे डाल लिया...और ज़ोर-2 से चूसने लगी..


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अपनी ही चूत का रस चाटा पहले तो उसने और फिर एक-दो बूंदे उसके लंड से
जो निकल रही थी उन्हे भी चाट गयी और तभी उसने सोच लिया की उसके
रस को अपनी चूत में नही बल्कि मुँह मे निकलवाएगी, इतना टेस्टी जो था वो...
वो उसके रस को बाद मे पीने की सोच रही थी और अजय कुछ और सोच रहा
था...ये वही पलंग था जिसपर इस वक़्त मौसा जी गहरी नींद में सो रहे थे,
और जहाँ पर कल यही नीलम मौसी बेहोशी में सो रही थी..उसने अपने कमरे
से यहाँ आते हुए ही सोच लिया था की वो यहाँ आकर वही करेगा जो कल
मौसा ने उसकी सास के साथ किया था...
 

Ek number

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नीलम : "अरे अजय,ये प्राची सो गयी क्या, मुझे इससे कुछ काम था...''
अजय : "हाँ , ये शायद काफ़ी थकी हुई थी,आते ही सो गयी..''
नीलम : "इसके मौसा का भी यही हाल है...कमरे में घुसते ही सो गये...और
यहाँ ये भी सो रही है...अब कैसे होगा...''
उनके चेहरे पर थोड़ी चिंता के भाव आ गये...
अजय :"आप मुझे बताइए, क्या काम था, शायद मैं कोई मदद कर सकूँ ...''
नीलम के चेहरे पर वही मुस्कान एक बार फिर से लौट आई...और वो बोली :
"नही ...रहने दे...मैं सुबह पूछ लूँगी...''
अजय अब ये मौका नही छोड़ना चाहता था...वैसे भी वो खुद उनके रूम की
तरफ जाने वाला था और बात करने का कोई बहाना ढूंढता बाद में ,यहाँ
तो उसका काम पहले से ही बन चुका था.
अजय : "अरे ,आप मुझे अपना नही समझती क्या...बोलिए ना..''
नीलम (थोड़ा शरमाते हुए) : "वो मैं पैकिंग कर रही थी अपने कपड़ो की...और
मैने अपने अंडरगार्मेंट्स आज मॉर्निंग में वॉशिंग मशीन में डाले थे,धोने के
लिए,पर अब वो वहां नही है,शायद प्राची ने उन्हे अपने कपड़ो के साथ ही
रख लिया है...''
मौसी ने जिस अंदाज से ''अंडरगार्मेंट्स'' बोला था, वो अजय के लंड को पूरी
तरह से तन्ना गया..और उसने उनके सामने ही अपने लंड को एडजस्ट करते हुए
कहा : "ओहो....तो ये बात है...यानी कल पहनने के लिए भी आपके पास कुछ
नही है अब...''
नीलम का चेहरा ये सुनकर लाल सुर्ख हो गया , वो बोली : "बदमाश ....ऐसे
बोलते है क्या...''
और फिर से उसके दोनो नन्हे निप्पल उभर कर प्रकट हो गये...
मर्दों का लंड खड़ा होता है और औरतों के निप्पल..और दोनो को छुपाना
संभव नही होता ..
अजय : "सॉरी, मेरी तो मज़ाक करने की आदत है ...आप तो जानती ही है...''
नीलम : "अरे, इसमे सॉरी क्यो बोल रहे हो...मैं तो इसलिए कह रही थी की
कहीं प्राची ना उठ जाए...''
उसने प्राची की तरफ इशारा करते हुए कहा..
यानी उसे अजय की बात बिल्कुल बुरी नही लगी थी...और ये अजय के लिए
ग्रीन सिग्नल था.
अजय :"आप इसकी चिंता मत करिए...इस वक़्त तो मैं इसके साथ कुछ कर भी लू
तो भी ये नही उठेगी...''
नीलम ने आँखे नचा कर कहा : "ऐसा भी नही होता कोई...''
अजय ने अपनी बात साबित करने के लिए प्राची के गाल पर जाकर एक गहरी
किस्स कर दी...जिसे देखकर मौसी की आँखे फिर से गोल हो गयी..
नीलम : "अच्छा मान ली तेरी बात...अब रुक जा...नही तो तू मेरे सामने ही
शुरू हो जाएगा इसके साथ...''
अजय : "अब क्या करू मौसीजी...मन तो बड़ा कर रहा था आज भी पर ये
इतनी थकी हुई थी की आते ही सो गयी...''
अजय के हाथ लगातार अपने लंड को सहला रहे थे...
नीलम : "हम्म्म सही है...नयी शादी का यही तो फयडा होता है...हमे तो
अब कभी-2 ही मौका मिलता है...''
अब वो धीरे-2 खुलने लगी थी...
अजय : "ओहो...यानी आप लोग अभी भी करते हैं ....सही है...''
नीलम : "चुप कर ....तू सच में बड़ा बदमाश है....रजनी सही कहती है तेरे बारे में ...''
अपनी सास का नाम आते ही अजय चौंक गया, वो बोला : "क्या कहती है...बताइए ना...''
नीलम : "वो हमारी आपस की बात है...तुझे बताने की ज़रूरत नही है...चल अब
मुझे उसकी अलमारी से मेरी ब्रा - पेंटी निकाल दे,मुझे पैकिंग करनी है..''
''अंडरगार्मेंट्स'' से ''ब्रा-पेंटी'' पर उतर आई थी अब वो..अजय का लंड फिर से
एक जोरदार झटके लगाकर अपने जलवे दिखाने लगा.
अजय उठा और उसने तुरंत प्राची की अलमारी खोल दी...और ब्रा-पेंटी
वाली ड्रॉयर खोल कर उसने अंदर के सारे कपड़े उठाकर एक ही बार में बाहर
रख दिए..जिसमे प्राची की रंग बिरंगी,नेट वाली,डिज़ाइनर ब्रा-पेंटी भरी पड़ी थी..
मौसीजी के चेहरे पर फिर से शरारती हँसी उभर आई..: "ये सब क्यों निकाल
रहा है...मुझे तो मेरी वाली ही आएगी ना...''
अजय ने एक ब्रा उठाकर देखी और फिर मौसीजी की छातियों को घूरकर
देखा और बोला : "वैसे ट्राइ करके देख लो आप, शायद ये भी आ ही जाएँ...''
वो थोड़ा करीब आई ...और अजय के हाथ से ब्रा लेकर बोली : "मेरी उम्र अब
ये बच्चियों वाली ब्रा पहनने की नही रही...सामान भी बड़ गया है उम्र के साथ...''
अजय : "पर मुझे तो नही लगता...की आपकी उम्र कुछ ज़्यादा है..और ना ही सामान...''
दोनो बेशर्मी पर उतर आए थे...
नीलम : "तेरी प्राची के 34 से ज़्यादा नही है...और मेरे 38 प्लस है...''
अजय (जानबूझकर) : "क्या ??''
नीलम और करीब आई और उसकी आँखो मे आँखे डालकर बोली : "मेरी ब्रेस्ट
का साइज़...अब इतना भी बच्चा नही है तू जो ना समझे की मैं किस बारे में
बात कर रही हूँ ...''
अजय खिसियानी हँसी हंसते हुए बोला : "वैसे मुझे बड़े ही अच्छे लगते हैं...''
और ये बात करते हुए उसे अपने कमीनेपन पर ही हँसी आ रही थी...क्योंकि
आज सुबह ही वो उनकी बेटी रिया को ये बोल रहा था की उसे छोटी
ब्रेस्ट पसंद है...एक ही दिन में दोनो माँ-बेटी से उनकी ब्रेस्ट के बारे में बात
करना कोई छोटी बात नही होती..
उसकी बात सुनकर नीलम बोली : "पता है मुझे....की तुम्हे बड़े पसंद है...''
अजय फिर से चोंक गया ये सुनकर, उसने पूछा : "आपको कैसे पता...?''
नीलम : "अभी बताया था ना मैने...रजनी ने बोला मुझे ये...''
अजय का सिर चकरा गया ये सुनकर...यानी उसकी सास ने भी नोट किया
था की वो उनकी छातियों को घूरता रहता है...और उन्होने ये बात अपनी
बहन को भी बता दी...
नीलम : "और मैने भी नोट किया है कल से कई बार...तुम्हारी नज़रें जिस तरह
से मेरी ब्रेस्ट को घूर रही थी,मुझे अच्छी तरह पता है की क्या देख रहे थे तुम...''
अजय समझ गया की अब बात बन सकती है...
नीलम ने उस ढेर में से अपनी ब्रा-पेंटी खोजनी शुरू कर दी..और जल्द ही उसे
अपने दोनो सेट मिल गये उनके बीच...पर वो बिल्कुल नॉर्मल से थे...क्रीम कलर
के...बिना कोई डिज़ाइन और कंपनी के...


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अजय : "ओहो...मौसी जी ..आप इतने पुराने स्टाइल के पहनती हो...एक काम
करो...ये पहन कर देखो...''
कहते हुए अजय ने एक जोड़ा निकाल कर रख दिया नीलम के हाथ में ..
नीलम ने उसे देखा और बोली : "वैसे देखा जाए तो रिश्ते में मैं भी तेरी सास
ही लगती हूँ ...और तू अपनी सास समान औरत को अपनी बीबी की ब्रा-
पेंटी दे रहा है...चक्कर क्या है...''
अजय : "कुछ नही...आपके उपर ये सही लगेगी...इसलिए बोला मैं ...और वैसे भी
ये स्ट्रेचएबल कपड़ा है..आपको आ भी जाएगी..''
उसने ब्रा के कपड़े को खींचकर दोनो तरफ फेला कर दिखाया..और नीलम
की हँसी निकल गयी.
''तुम तो ऐसे दिखा रहे हो जैसे मैं किसी शॉप पर आई हू और तुम सेल्समेन हो इनके..''
अजय : "आप मुझे सेल्समेन ही समझ लो...पर आपको इनमे देखने का बड़ा मन कर
रहा है...''
उसकी ये बात सुनकर उसने अपनी भौहें उपर उठा ली और बोली : "मुझ
बुढ़िया को देखकर भला तुम्हे क्या मिलेगा...तुम्हारी उम्र तो अभी
जवानी लूटने की है...''
उसने एक बार फिर से सोती हुई प्राची की तरफ इशारा किया.
अजय : "सिर्फ़ जवानी ही नही एक्सपीरियन्स नाम की भी कोई चीज़
होती है...उसका भी मज़ा लेना चाहिए..''
अजय की हाजिरजवाबी देखकर वो मुस्कुरा दी और उसके हाथ से ब्रा-पेंटी
लेकर वो उन्ही के बाथरूम की तरफ चल दी...अजय ने भी नही रोका उन्हे..
और अंदर जाकर उन्होने दरवाजा बंद कर लिया.
अजय का दिल जोरो से धड़क रहा था...उसने तो सोचा भी नही था की ये
सब इतनी आसानी से होता चला जाएगा... उसने जो चांस लिया था वो
सफल होता दिख रहा था..और कुछ और मेहनत की जाए तो इनकी चूत भी
मारने को मिल सकती है अभी...पर साथ ही साथ उसे मौसा जी की भी
चिंता हो रही थी...वो फ़ौरन उनके कमरे में गया और जेब से वही शीशी
निकाल कर उनको सूँघा दी...वो भी थोड़ा कसमसाए और गहरी नींद में चले
गए ...उनके ही हथियार से उन्हे बेहोश कर दिया था अजय ने..और फिर वो
भागकर वापिस अपने कमरे में आ गया..प्राची अभी तक उसी पोज़ में थी
और गहरी नींद में डूबी हुई थी..उसे पता भी नही था की उसका पति इस
वक़्त क्या करने में लगा हुआ है..
और तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और अजय की नज़रें उस तरफ चली गयी...
और एक पल के लिए तो उसे लगा की समय थम सा गया है...


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क्योंकि इतनालबाबदार माल उसने अपनी जिंदगी में कभी नही देखा था...
नीलम मौसी सिर्फ़ ब्रा पेंटी में बाहर आकर खड़ी थी, और उनका शरीर
थोड़ा भारी तो था ही पर एकदम गोरी चिट्टी होने की वजह से वो
कमाल की लग रही थी...ब्रा-पेंटी का साइज़ छोटा होने की वजह से वो
बड़ी मुश्किल से आई थी उन्हे.. कपड़ा पूरी तरह से स्ट्रेच हो चुका था और
ट्रांसपेरेंट सा लग रहा था, इसलिए अजय को उनके खरबूजों के उपर लगे बीज
और जांघों के बीच का चीरा दूर खड़े होकर सॉफ दिख रहा था..
और वो भी बड़ी ही बेशर्मी और बेफिक्री से खड़ी होकर अपना जलवा
दिखा रही थी..
नीलम : "मैने कहा था ना की ये मुझे नही आएगी....देखो कितनी टाइट है...''
अजय उनके करीब आया और गोर से उनके हर अंग को निहारने लगा...ब्रा के
कप भी काफ़ी छोटे थे जो उनकी बड़ी-2 ब्रेस्ट को ढक नही पा रहे थे,
इसलिए उनकी लगभग नंगी छातियाँ देखकर उससे रहा नही गया और उसने
पयज़ामे के उपर से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया...
और वो जब घूमकर उनके पीछे पहुँचा तो नीलम की चौड़ी गांड देखकर उसका
धैर्य जवाब दे गया और वो पीछे से जाकर उनसे लिपट गया...और अपना
स्टील रोड जैसा लंड उनके नितंबो के बीच लगाकर ज़ोर से दबा दिया..
नीलम : "आआहह ....ये क्या कर रहे हो अजय....''
उनकी आवाज़ भी नशे मे डूबी हुई सी लग रही थी...और रोकने जैसा तो कुछ
लगा ही नही अजय को...इसलिए उसने अपने हाथ उपर करते हुए उनके दोनो
मुम्मे अपने हाथों में उठा लिए और ज़ोर से दबा दिया...


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''आआआआआहह अजय..........ये सही नही है.....प्राची मेरी बेटी जैसी है...और
तुम उसके पति हो...''
अजय उनके कान मे फुसफुसाया : "वो देख रही होती तब सही नही होता....ये
जो भी होगा हमारे बीच उसे पता भी नही चलेगा....और वैसे भी अब
आपको छोड़ना मेरे बस में नही है....मुझे तो अपना लंड आपकी चूत में डालकर
ही रहना है आज ...''
और अजय का दाँया हाथ फिसलकर उनकी चूत पर आया और उसने उसे ज़ोर से
दबा दिया..


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और उसे ऐसा लगा की चाशनी से भीगा हुआ बड़ा सा बंगाली
रसगुल्ला दबा दिया है उसने...उसके हाथ में उनकी चूत से निकला पानी भर गया..
वो एकदम से पलटी और अजय को अपने गले से लगा लिया...''अहह....यानी अब
तुम नही मनोगे...''
''नही..''
''ओक....रूको ...मैं उन्हे देखकर आती हू ज़रा...कहीं वो उठ ना गये हो...''
अजय उन्हे रोकना चाहता था पर तब तक वो बाहर निकल गयी...
कल वो बेहोशी में थी और उसके पति ने अपनी साली की गांड मारी थी
उसके ही सामने...आज वो बेहोश है तो उसकी बीबी की भी वहीं मारनी
चाहिए ना, उसके सामने...ये सोचते-2 वो उनके कमरे की तरफ ही चल
दिया...जहाँ नीलम अपने पति के चेहरे को गोर से देखकर ये जानने की
कोशिश कर रही थी की वो गहरी नींद में है या कच्ची में ..
अजय : "वो अब सुबह से पहले नही उठेंगे...मैने उनको कुछ सूँघा दिया है...''
इतना कहकर अजय ने अपनी पॉकेट से वो शीशी निकाल कर दिखाई..
अजय : "और प्राची को भी मैने ये सूँघा दी थी...अब इनके सामने जितना भी
चिल्लओ ये नही उठने वाले...''
नीलम तो हैरान रह गयी, उसने तो सोचा भी नही था की अजय इतना
चालाक भी हो सकता है...
''यानी, ये सब तुमने पहले से सोच रखा था...''
''सोचा तो नही था,पर हा चांस ज़रूर लिया...और सफल भी हो गया...''
नीलम : "सच मे...बड़े कामीने हो तुम.....''
अजय : "कमीना नहीं, ठरकी , हा हा ''
अजय ने एक ही झटके में अपना पायजामा नीचे कर दिया और अपना लंड
लहरा दिया उनके सामने : "मुझसे बड़ा कमीना तो ये है, जो मुझसे ऐसे काम
करवाता है...''


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नीलम इतने लंबे लंड को देखकर भोचक्की रह गयी....उसके पति का ना तो
इतना लंबा था और ना ही इतना सख़्त...
वो अपने होंठों पर जीभ फेरती हुई उसकी तरफ चल दी.
अजय के लिए ये रात एक यादगार होने वाली थी..
मौसी की नज़रें अजय के लंड पर थी और अजय की उनके लपलपाते हुए होंठों
पर...जैसे ही वो नीचे झुकने लगी ,अजय ने उन्हे बीच मे ही दबोच लिया और
अपनी छाती से लगा कर जोरों से भींच दिया..
''आआआआआआहह ........ धीरे अजय......तुम तो मुझे निचोड़ रहे हो...''
अजय : "अभी कहा मौसी, निचोड़ूँगा तो अब....''
और इतना कहकर उसने अपने होंठों उनके होंठों पर रख दिए और पागलों की
तरह उन्हे चूसने लगा..


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ऐसी मस्त औरत के लिप्स भी बड़े मीठे होते हैं, ये बात अजय को आज मालूम
हुई थी..एक तो इतने मोटे होंठ और उपर से उनमे से निकल रहा मीठा पानी,
अजय तो उन्हे चूसता ही रह गया.
प्राची के होंठ काफ़ी पतले थे, पर चूस्टी वो भी कमाल की थी, आज अजय
ने अपनी बीबी के अलावा पहली बार किसी और के लिप्स चूसे थे, इसलिए
भी वो काफ़ी मजेदार लग रहे थे, वैसे भी आदमी को घर के खाने के बाद
यकायक बाहर का खाना मिल जाए तो स्वाद तो लगेगा ही.
अजय इतनी तेज़ी और ज़ोर से उन्हे चूस रहा था की मौसी की हालत खराब
हो गयी...उसके बूड़े पति ने शायद अपनी पूरी जिंदगी मे उसे इतना नही चूसा
होगा जितना आज अजय चूस रहा था...और ऐसा करवाते हुए उन्हे मज़ा भी
आ रहा था..तभी तो ऐसी आंटियाँ जवान मर्दों की दीवानी होती है..
अजय ने बड़ी ही बेदर्दी से अपनी ही बीबी के अंडरगार्मेंट्स, जो इस वक़्त
नीलम मौसी ने पहने हुए थे, फाड़ डाले...ब्रा इतनी बेदर्दी से फाड़ी की
पीछे के हुक कहां गये उनका तो पता नही, आगे के कप भी फाड़कर अलग कर
दिए...और उन्हे उछाल कर उसने जानबूझकर सोए हुए मौसा जी के चेहरे की
तरफ फेंका..और जब कच्छी फटी तो उसकी सुरीली छररर की आवाज़ सुनकर
वो कुछ ज़्यादा ही भावना में बह गया और उस फटी हुई पेंटी को पहले उसने
सूँघा और फिर अपनी जीभ निकाल कर उस गीली कच्छी को चाट
लिया...और ये था उसकी जिंदगी का दूसरा चूतामृत, पहला उसकी बीबी
का और अब अपनी बीबी की मौसी का...और इसमे प्राची के मुकाबले कुछ
ज़्यादा नमकीनपन था..जो अजय को शायद ज़्यादा ही अक्चा
लगा..इसलिए उसने अपनी दो उंगलियाँ उनकी चूत में डाली और निकाल
कर चूस ली...



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और अब नीलम मौसी खड़ी थी उसके सामने, पूरी मदरजात नंगी होकर...
और वो भी बड़े गर्व से अपना नंगा बदन उभार-2 कर दिखा रही थी...और
दिखाए भी क्यो ना...उसका नशीला बदन था ही ऐसा..और जब ऐसी
बॉडी होती है तो औरत मे एक अलग ही कॉन्फिडेंस आ जाता है, क्योंकि
उसे पता होता है की सामने वाला मर्द उसकी तारीफ ही करेगा...


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मौसी भी अपने दामाद के इस जंगलिपन को देखकर उपर वाले का धन्यवाद
कर रही थी क्योंकि ऐसे जोशीले मर्द से चुदवाने में जो मज़ा आने वाला था
वो तो वही जानती थी.
नीलम भी उसके साथ-2 उसकी तरह जंगली हरकतों पर उतर आई...और उसने
अपनी गर्म जीभ से उसके चेहरे को पूरा चाटना शुरू कर दिया...जैसे कोई
कुतिया अपने मालिक को चाटती है..
नीलम : "आआआआहह अजय ................ तूने तो मेरे अंदर आग लगा दी है
रे.....आआआअहह''
अजय : "ओह मौसी.....आग मैने लगाई है तो बुझाऊँगा भी मैं ही....''
इतना कहते-2 उसने अपने भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए....और कुछ ही देर में वो
पूरा नंगा होकर नीलम के सामने था...
नीलम : "आआआआआहह अजय.............कितना लंबा है रे तेरा.....''
अजय ने अपने लड को हिलाते हुए कहा : "क्या मौसीजी .....''
ये सुनकर वो शरमा गयी....उसके निप्पल और ब्रेस्ट तनी हुई थी...और चूत से
आग के गोले भभक-2 कर निकल रहे थे...अजय के दोबारा पूछने पर वो धीरे से
बोली : "तुम्हारा....ल ..लंड ....''
अजय का लंड भी अपनी तारीफ सुनकर मौसी को थेंक यू बोल गया मन ही मन में ...
अजय ने भी बड़ी बेबाकी से कहा : "और आप भी कमाल की हो
मौसी...आपको देखकर पता ही नही चल रहा की आपकी एक जवान बेटी भी है...''
जवान बेटी बोलते हुए अजय के दिमाग़ मे उसकी बेटी रिया का जिस्म नाच
उठा...और अपनी कल्पना में ही उसने उसे नंगा भी कर दिया..
पर अभी रिया के बारे में सोचने का नही, उसकी माँ को चोदने का समय था...
वो आगे बड़ा और उसने अपनी शक्तिशाली बुझाओं में मौसी जी को उठा
लिया...उनका वजन 60 के करीब था, फिर भी उसने उन्हे बड़ी आसानी से
उपर उठा लिया और उन्होने भी अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट कर अपना
शरीर अजय के उपर टीका दिया...और अजय उन्हे चूमता हुआ सा दीवार की
तरफ ले गया और उनकी पीठ वहाँ टीकाकार अपना मुँह नीचे करते हुए उनके
रसीले पपीते चूसने लगा...


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''आआआआआआआआहह ......उम्म्म्मममममममममममम....... आआआआअहह मज़ा
आ रहा है......... आआआआआअहह......''
मज़ा तो अजय को भी आ रहा था...इन्ही मुम्मों को देखकर उसने दो दिनों
तक अपनी जीभ होंठों पर फेरी थी...आज उन्हे चूसने का मौका आया तो
अपने दांतो से उनपर चित्रकारी करने लगा...उन्हे काटने लगा,नोचने
लगा...निप्पलों पर तो उसने ऐसा कहर बरपाया जैसे उन्हे उघाड़ ही
देगा..अपने मुँह को पूरी ताक़त से उनकी बड़ी ब्रेस्ट पर मार सा रहा था वो...
और मौसी भी उसके इस जंगलिपन को सहन करती हुई मज़े से सिसकारियाँ
लेती हुई उसे बढ़ावा दे रही थी..
''आआआआआआआआअहह हाआाआअन्णन्न् ऐसे ही ............खा जा इन्हे
अजय........खा जा.......काट ले इनको....चूस मेरे निप्पलो को...........आआह मेरा
बच्चा .............''
और ऐसी चूसम चुसाई में अचानक मौसी को एहसास हुआ की नीचे से अजय
का लंड उनकी चूत से नाममात्र की दूरी पर ही है...और अगले ही पल उसके लंड
का सुपाड़ा उनकी चूत से आ टकराया..शायद उनके वजन की वजह से उनका
शरीर धीरे-2 नीचे आ रहा था...और जैसे ही उन दोनो को ये एहसास
हुआ,दोनो रुक से गये...और एक दूसरे की आँखों में देखने लगे...
और अगले ही पल नीलम ने अपनी बाहें पूरी ताकत से उसकी गर्दन में लपेटी ,
अपनी आँखे बंद की , होंठ उसके होंठों से चिपकाए, और अपना रहा -सहा
भार भी नीचे की तरफ खिसका दिया...
और अजय का पठानी लंड सरसराता हुआ सा नीलम की चूत के अंदर घुसता
चला गया...किसी रॉकेट की तरह...


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''आआआआआआआआआआआआआआआहह उम्म्म्ममममममममममममममममम.....
ओह अजय ......................सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''
एक तो वो इतना मोटा और उपर से लंबा भी काफ़ी...इसलिए रुक-
रुककर,अटकता हुआ सा वो अंदर जा रहा था...और उसके लंड पर अपनी चूत के
भार उतर रही नीलम को तो ऐसा लग रहा था की जैसे ये सफ़र कभी ख़त्म
ही नही होगा....एक-एक इंच पर उसकी चूत नयी करवटें बदल रही थी...इतने
सालो से एक ही लंड से चुदने के बाद जब मोटे लंड का आगमन होता है तो अंदर
की दीवारें ऐसे ही खिसकती है...पर उस खिसकन में जो रोमांच और मज़ा
फील होता है वो तो उसे महसूस करने वाली ही जान सकती है...जो इस
वक़्त नीलम को महसूस हो रहा था...
अपने मुँह खोले हुए वो अपनी चूत के थ्रू अजय के लंड को निगले जा रही
थी...निगले ही जा रही थी..
और आधे से ज़्यादा अंदर जाने के बाद अजय को भी थोड़ी टाइटनेस महसूस
होने लगी, जो उसके लंड की अकड़ को और बढ़ावा दे रही थी....और फिर एक
वक़्त ऐसा भी आया जब उसका पूरा लंड नीलम की चूत में धंसा पड़ा
था...

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और वहाँ पहुँचकर दोनो कुछ देर के लिए रुक गये और गहरी साँसे लेने
लगे...और गहरी साँसे लेते हुए कब वो गहरी स्मूचे लेने लगे, उन्हे भी पता नही
चला...और फिर अजय ने एक बार फिर से अपनी शक्तिशाली बाजुओं का
परिचय देते हुए उसकी जाँघों के नीचे अपने हाथ रखे और उसे उपर नीचे करते हुए
चोदने लगा...
''आआआअहह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ़ उफफफफफ्फ़ आअsssssssssssss हाआँ ऐसे
आआअहह ही ............ बड़ा ...मज़ा आ रहा ....है अजय ....अहह उम्म्म्ममममम
ज़ोर से ....करो .......और ज़ोर से .....''
अजय समझ गया की वो मस्ता चुकी है....इसलिए उसकी रेलगाड़ी बना कर
चुदाई करनी पड़ेगी...इसलिए उसने लेजाकर बेड पर पटक दिया...और ऐसा
करते हुए उसका लंड भी बाहर निकल आया जो उसकी चाशनी में नहाकर
बुरी तरह से चमक रहा था...
नीलम ने ये मौका नही छोड़ा और झपटकर बेड पर बैठ गयी और उसके लंड को
पकड़कर सीधा अपने मुँह मे डाल लिया...और ज़ोर-2 से चूसने लगी..


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अपनी ही चूत का रस चाटा पहले तो उसने और फिर एक-दो बूंदे उसके लंड से
जो निकल रही थी उन्हे भी चाट गयी और तभी उसने सोच लिया की उसके
रस को अपनी चूत में नही बल्कि मुँह मे निकलवाएगी, इतना टेस्टी जो था वो...
वो उसके रस को बाद मे पीने की सोच रही थी और अजय कुछ और सोच रहा
था...ये वही पलंग था जिसपर इस वक़्त मौसा जी गहरी नींद में सो रहे थे,
और जहाँ पर कल यही नीलम मौसी बेहोशी में सो रही थी..उसने अपने कमरे
से यहाँ आते हुए ही सोच लिया था की वो यहाँ आकर वही करेगा जो कल
मौसा ने उसकी सास के साथ किया था...
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नीलम : "अरे अजय,ये प्राची सो गयी क्या, मुझे इससे कुछ काम था...''
अजय : "हाँ , ये शायद काफ़ी थकी हुई थी,आते ही सो गयी..''
नीलम : "इसके मौसा का भी यही हाल है...कमरे में घुसते ही सो गये...और
यहाँ ये भी सो रही है...अब कैसे होगा...''
उनके चेहरे पर थोड़ी चिंता के भाव आ गये...
अजय :"आप मुझे बताइए, क्या काम था, शायद मैं कोई मदद कर सकूँ ...''
नीलम के चेहरे पर वही मुस्कान एक बार फिर से लौट आई...और वो बोली :
"नही ...रहने दे...मैं सुबह पूछ लूँगी...''
अजय अब ये मौका नही छोड़ना चाहता था...वैसे भी वो खुद उनके रूम की
तरफ जाने वाला था और बात करने का कोई बहाना ढूंढता बाद में ,यहाँ
तो उसका काम पहले से ही बन चुका था.
अजय : "अरे ,आप मुझे अपना नही समझती क्या...बोलिए ना..''
नीलम (थोड़ा शरमाते हुए) : "वो मैं पैकिंग कर रही थी अपने कपड़ो की...और
मैने अपने अंडरगार्मेंट्स आज मॉर्निंग में वॉशिंग मशीन में डाले थे,धोने के
लिए,पर अब वो वहां नही है,शायद प्राची ने उन्हे अपने कपड़ो के साथ ही
रख लिया है...''
मौसी ने जिस अंदाज से ''अंडरगार्मेंट्स'' बोला था, वो अजय के लंड को पूरी
तरह से तन्ना गया..और उसने उनके सामने ही अपने लंड को एडजस्ट करते हुए
कहा : "ओहो....तो ये बात है...यानी कल पहनने के लिए भी आपके पास कुछ
नही है अब...''
नीलम का चेहरा ये सुनकर लाल सुर्ख हो गया , वो बोली : "बदमाश ....ऐसे
बोलते है क्या...''
और फिर से उसके दोनो नन्हे निप्पल उभर कर प्रकट हो गये...
मर्दों का लंड खड़ा होता है और औरतों के निप्पल..और दोनो को छुपाना
संभव नही होता ..
अजय : "सॉरी, मेरी तो मज़ाक करने की आदत है ...आप तो जानती ही है...''
नीलम : "अरे, इसमे सॉरी क्यो बोल रहे हो...मैं तो इसलिए कह रही थी की
कहीं प्राची ना उठ जाए...''
उसने प्राची की तरफ इशारा करते हुए कहा..
यानी उसे अजय की बात बिल्कुल बुरी नही लगी थी...और ये अजय के लिए
ग्रीन सिग्नल था.
अजय :"आप इसकी चिंता मत करिए...इस वक़्त तो मैं इसके साथ कुछ कर भी लू
तो भी ये नही उठेगी...''
नीलम ने आँखे नचा कर कहा : "ऐसा भी नही होता कोई...''
अजय ने अपनी बात साबित करने के लिए प्राची के गाल पर जाकर एक गहरी
किस्स कर दी...जिसे देखकर मौसी की आँखे फिर से गोल हो गयी..
नीलम : "अच्छा मान ली तेरी बात...अब रुक जा...नही तो तू मेरे सामने ही
शुरू हो जाएगा इसके साथ...''
अजय : "अब क्या करू मौसीजी...मन तो बड़ा कर रहा था आज भी पर ये
इतनी थकी हुई थी की आते ही सो गयी...''
अजय के हाथ लगातार अपने लंड को सहला रहे थे...
नीलम : "हम्म्म सही है...नयी शादी का यही तो फयडा होता है...हमे तो
अब कभी-2 ही मौका मिलता है...''
अब वो धीरे-2 खुलने लगी थी...
अजय : "ओहो...यानी आप लोग अभी भी करते हैं ....सही है...''
नीलम : "चुप कर ....तू सच में बड़ा बदमाश है....रजनी सही कहती है तेरे बारे में ...''
अपनी सास का नाम आते ही अजय चौंक गया, वो बोला : "क्या कहती है...बताइए ना...''
नीलम : "वो हमारी आपस की बात है...तुझे बताने की ज़रूरत नही है...चल अब
मुझे उसकी अलमारी से मेरी ब्रा - पेंटी निकाल दे,मुझे पैकिंग करनी है..''
''अंडरगार्मेंट्स'' से ''ब्रा-पेंटी'' पर उतर आई थी अब वो..अजय का लंड फिर से
एक जोरदार झटके लगाकर अपने जलवे दिखाने लगा.
अजय उठा और उसने तुरंत प्राची की अलमारी खोल दी...और ब्रा-पेंटी
वाली ड्रॉयर खोल कर उसने अंदर के सारे कपड़े उठाकर एक ही बार में बाहर
रख दिए..जिसमे प्राची की रंग बिरंगी,नेट वाली,डिज़ाइनर ब्रा-पेंटी भरी पड़ी थी..
मौसीजी के चेहरे पर फिर से शरारती हँसी उभर आई..: "ये सब क्यों निकाल
रहा है...मुझे तो मेरी वाली ही आएगी ना...''
अजय ने एक ब्रा उठाकर देखी और फिर मौसीजी की छातियों को घूरकर
देखा और बोला : "वैसे ट्राइ करके देख लो आप, शायद ये भी आ ही जाएँ...''
वो थोड़ा करीब आई ...और अजय के हाथ से ब्रा लेकर बोली : "मेरी उम्र अब
ये बच्चियों वाली ब्रा पहनने की नही रही...सामान भी बड़ गया है उम्र के साथ...''
अजय : "पर मुझे तो नही लगता...की आपकी उम्र कुछ ज़्यादा है..और ना ही सामान...''
दोनो बेशर्मी पर उतर आए थे...
नीलम : "तेरी प्राची के 34 से ज़्यादा नही है...और मेरे 38 प्लस है...''
अजय (जानबूझकर) : "क्या ??''
नीलम और करीब आई और उसकी आँखो मे आँखे डालकर बोली : "मेरी ब्रेस्ट
का साइज़...अब इतना भी बच्चा नही है तू जो ना समझे की मैं किस बारे में
बात कर रही हूँ ...''
अजय खिसियानी हँसी हंसते हुए बोला : "वैसे मुझे बड़े ही अच्छे लगते हैं...''
और ये बात करते हुए उसे अपने कमीनेपन पर ही हँसी आ रही थी...क्योंकि
आज सुबह ही वो उनकी बेटी रिया को ये बोल रहा था की उसे छोटी
ब्रेस्ट पसंद है...एक ही दिन में दोनो माँ-बेटी से उनकी ब्रेस्ट के बारे में बात
करना कोई छोटी बात नही होती..
उसकी बात सुनकर नीलम बोली : "पता है मुझे....की तुम्हे बड़े पसंद है...''
अजय फिर से चोंक गया ये सुनकर, उसने पूछा : "आपको कैसे पता...?''
नीलम : "अभी बताया था ना मैने...रजनी ने बोला मुझे ये...''
अजय का सिर चकरा गया ये सुनकर...यानी उसकी सास ने भी नोट किया
था की वो उनकी छातियों को घूरता रहता है...और उन्होने ये बात अपनी
बहन को भी बता दी...
नीलम : "और मैने भी नोट किया है कल से कई बार...तुम्हारी नज़रें जिस तरह
से मेरी ब्रेस्ट को घूर रही थी,मुझे अच्छी तरह पता है की क्या देख रहे थे तुम...''
अजय समझ गया की अब बात बन सकती है...
नीलम ने उस ढेर में से अपनी ब्रा-पेंटी खोजनी शुरू कर दी..और जल्द ही उसे
अपने दोनो सेट मिल गये उनके बीच...पर वो बिल्कुल नॉर्मल से थे...क्रीम कलर
के...बिना कोई डिज़ाइन और कंपनी के...


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अजय : "ओहो...मौसी जी ..आप इतने पुराने स्टाइल के पहनती हो...एक काम
करो...ये पहन कर देखो...''
कहते हुए अजय ने एक जोड़ा निकाल कर रख दिया नीलम के हाथ में ..
नीलम ने उसे देखा और बोली : "वैसे देखा जाए तो रिश्ते में मैं भी तेरी सास
ही लगती हूँ ...और तू अपनी सास समान औरत को अपनी बीबी की ब्रा-
पेंटी दे रहा है...चक्कर क्या है...''
अजय : "कुछ नही...आपके उपर ये सही लगेगी...इसलिए बोला मैं ...और वैसे भी
ये स्ट्रेचएबल कपड़ा है..आपको आ भी जाएगी..''
उसने ब्रा के कपड़े को खींचकर दोनो तरफ फेला कर दिखाया..और नीलम
की हँसी निकल गयी.
''तुम तो ऐसे दिखा रहे हो जैसे मैं किसी शॉप पर आई हू और तुम सेल्समेन हो इनके..''
अजय : "आप मुझे सेल्समेन ही समझ लो...पर आपको इनमे देखने का बड़ा मन कर
रहा है...''
उसकी ये बात सुनकर उसने अपनी भौहें उपर उठा ली और बोली : "मुझ
बुढ़िया को देखकर भला तुम्हे क्या मिलेगा...तुम्हारी उम्र तो अभी
जवानी लूटने की है...''
उसने एक बार फिर से सोती हुई प्राची की तरफ इशारा किया.
अजय : "सिर्फ़ जवानी ही नही एक्सपीरियन्स नाम की भी कोई चीज़
होती है...उसका भी मज़ा लेना चाहिए..''
अजय की हाजिरजवाबी देखकर वो मुस्कुरा दी और उसके हाथ से ब्रा-पेंटी
लेकर वो उन्ही के बाथरूम की तरफ चल दी...अजय ने भी नही रोका उन्हे..
और अंदर जाकर उन्होने दरवाजा बंद कर लिया.
अजय का दिल जोरो से धड़क रहा था...उसने तो सोचा भी नही था की ये
सब इतनी आसानी से होता चला जाएगा... उसने जो चांस लिया था वो
सफल होता दिख रहा था..और कुछ और मेहनत की जाए तो इनकी चूत भी
मारने को मिल सकती है अभी...पर साथ ही साथ उसे मौसा जी की भी
चिंता हो रही थी...वो फ़ौरन उनके कमरे में गया और जेब से वही शीशी
निकाल कर उनको सूँघा दी...वो भी थोड़ा कसमसाए और गहरी नींद में चले
गए ...उनके ही हथियार से उन्हे बेहोश कर दिया था अजय ने..और फिर वो
भागकर वापिस अपने कमरे में आ गया..प्राची अभी तक उसी पोज़ में थी
और गहरी नींद में डूबी हुई थी..उसे पता भी नही था की उसका पति इस
वक़्त क्या करने में लगा हुआ है..
और तभी बाथरूम का दरवाजा खुला और अजय की नज़रें उस तरफ चली गयी...
और एक पल के लिए तो उसे लगा की समय थम सा गया है...


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क्योंकि इतनालबाबदार माल उसने अपनी जिंदगी में कभी नही देखा था...
नीलम मौसी सिर्फ़ ब्रा पेंटी में बाहर आकर खड़ी थी, और उनका शरीर
थोड़ा भारी तो था ही पर एकदम गोरी चिट्टी होने की वजह से वो
कमाल की लग रही थी...ब्रा-पेंटी का साइज़ छोटा होने की वजह से वो
बड़ी मुश्किल से आई थी उन्हे.. कपड़ा पूरी तरह से स्ट्रेच हो चुका था और
ट्रांसपेरेंट सा लग रहा था, इसलिए अजय को उनके खरबूजों के उपर लगे बीज
और जांघों के बीच का चीरा दूर खड़े होकर सॉफ दिख रहा था..
और वो भी बड़ी ही बेशर्मी और बेफिक्री से खड़ी होकर अपना जलवा
दिखा रही थी..
नीलम : "मैने कहा था ना की ये मुझे नही आएगी....देखो कितनी टाइट है...''
अजय उनके करीब आया और गोर से उनके हर अंग को निहारने लगा...ब्रा के
कप भी काफ़ी छोटे थे जो उनकी बड़ी-2 ब्रेस्ट को ढक नही पा रहे थे,
इसलिए उनकी लगभग नंगी छातियाँ देखकर उससे रहा नही गया और उसने
पयज़ामे के उपर से अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया...
और वो जब घूमकर उनके पीछे पहुँचा तो नीलम की चौड़ी गांड देखकर उसका
धैर्य जवाब दे गया और वो पीछे से जाकर उनसे लिपट गया...और अपना
स्टील रोड जैसा लंड उनके नितंबो के बीच लगाकर ज़ोर से दबा दिया..
नीलम : "आआहह ....ये क्या कर रहे हो अजय....''
उनकी आवाज़ भी नशे मे डूबी हुई सी लग रही थी...और रोकने जैसा तो कुछ
लगा ही नही अजय को...इसलिए उसने अपने हाथ उपर करते हुए उनके दोनो
मुम्मे अपने हाथों में उठा लिए और ज़ोर से दबा दिया...


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''आआआआआहह अजय..........ये सही नही है.....प्राची मेरी बेटी जैसी है...और
तुम उसके पति हो...''
अजय उनके कान मे फुसफुसाया : "वो देख रही होती तब सही नही होता....ये
जो भी होगा हमारे बीच उसे पता भी नही चलेगा....और वैसे भी अब
आपको छोड़ना मेरे बस में नही है....मुझे तो अपना लंड आपकी चूत में डालकर
ही रहना है आज ...''
और अजय का दाँया हाथ फिसलकर उनकी चूत पर आया और उसने उसे ज़ोर से
दबा दिया..


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और उसे ऐसा लगा की चाशनी से भीगा हुआ बड़ा सा बंगाली
रसगुल्ला दबा दिया है उसने...उसके हाथ में उनकी चूत से निकला पानी भर गया..
वो एकदम से पलटी और अजय को अपने गले से लगा लिया...''अहह....यानी अब
तुम नही मनोगे...''
''नही..''
''ओक....रूको ...मैं उन्हे देखकर आती हू ज़रा...कहीं वो उठ ना गये हो...''
अजय उन्हे रोकना चाहता था पर तब तक वो बाहर निकल गयी...
कल वो बेहोशी में थी और उसके पति ने अपनी साली की गांड मारी थी
उसके ही सामने...आज वो बेहोश है तो उसकी बीबी की भी वहीं मारनी
चाहिए ना, उसके सामने...ये सोचते-2 वो उनके कमरे की तरफ ही चल
दिया...जहाँ नीलम अपने पति के चेहरे को गोर से देखकर ये जानने की
कोशिश कर रही थी की वो गहरी नींद में है या कच्ची में ..
अजय : "वो अब सुबह से पहले नही उठेंगे...मैने उनको कुछ सूँघा दिया है...''
इतना कहकर अजय ने अपनी पॉकेट से वो शीशी निकाल कर दिखाई..
अजय : "और प्राची को भी मैने ये सूँघा दी थी...अब इनके सामने जितना भी
चिल्लओ ये नही उठने वाले...''
नीलम तो हैरान रह गयी, उसने तो सोचा भी नही था की अजय इतना
चालाक भी हो सकता है...
''यानी, ये सब तुमने पहले से सोच रखा था...''
''सोचा तो नही था,पर हा चांस ज़रूर लिया...और सफल भी हो गया...''
नीलम : "सच मे...बड़े कामीने हो तुम.....''
अजय : "कमीना नहीं, ठरकी , हा हा ''
अजय ने एक ही झटके में अपना पायजामा नीचे कर दिया और अपना लंड
लहरा दिया उनके सामने : "मुझसे बड़ा कमीना तो ये है, जो मुझसे ऐसे काम
करवाता है...''


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नीलम इतने लंबे लंड को देखकर भोचक्की रह गयी....उसके पति का ना तो
इतना लंबा था और ना ही इतना सख़्त...
वो अपने होंठों पर जीभ फेरती हुई उसकी तरफ चल दी.
अजय के लिए ये रात एक यादगार होने वाली थी..
मौसी की नज़रें अजय के लंड पर थी और अजय की उनके लपलपाते हुए होंठों
पर...जैसे ही वो नीचे झुकने लगी ,अजय ने उन्हे बीच मे ही दबोच लिया और
अपनी छाती से लगा कर जोरों से भींच दिया..
''आआआआआआहह ........ धीरे अजय......तुम तो मुझे निचोड़ रहे हो...''
अजय : "अभी कहा मौसी, निचोड़ूँगा तो अब....''
और इतना कहकर उसने अपने होंठों उनके होंठों पर रख दिए और पागलों की
तरह उन्हे चूसने लगा..


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ऐसी मस्त औरत के लिप्स भी बड़े मीठे होते हैं, ये बात अजय को आज मालूम
हुई थी..एक तो इतने मोटे होंठ और उपर से उनमे से निकल रहा मीठा पानी,
अजय तो उन्हे चूसता ही रह गया.
प्राची के होंठ काफ़ी पतले थे, पर चूस्टी वो भी कमाल की थी, आज अजय
ने अपनी बीबी के अलावा पहली बार किसी और के लिप्स चूसे थे, इसलिए
भी वो काफ़ी मजेदार लग रहे थे, वैसे भी आदमी को घर के खाने के बाद
यकायक बाहर का खाना मिल जाए तो स्वाद तो लगेगा ही.
अजय इतनी तेज़ी और ज़ोर से उन्हे चूस रहा था की मौसी की हालत खराब
हो गयी...उसके बूड़े पति ने शायद अपनी पूरी जिंदगी मे उसे इतना नही चूसा
होगा जितना आज अजय चूस रहा था...और ऐसा करवाते हुए उन्हे मज़ा भी
आ रहा था..तभी तो ऐसी आंटियाँ जवान मर्दों की दीवानी होती है..
अजय ने बड़ी ही बेदर्दी से अपनी ही बीबी के अंडरगार्मेंट्स, जो इस वक़्त
नीलम मौसी ने पहने हुए थे, फाड़ डाले...ब्रा इतनी बेदर्दी से फाड़ी की
पीछे के हुक कहां गये उनका तो पता नही, आगे के कप भी फाड़कर अलग कर
दिए...और उन्हे उछाल कर उसने जानबूझकर सोए हुए मौसा जी के चेहरे की
तरफ फेंका..और जब कच्छी फटी तो उसकी सुरीली छररर की आवाज़ सुनकर
वो कुछ ज़्यादा ही भावना में बह गया और उस फटी हुई पेंटी को पहले उसने
सूँघा और फिर अपनी जीभ निकाल कर उस गीली कच्छी को चाट
लिया...और ये था उसकी जिंदगी का दूसरा चूतामृत, पहला उसकी बीबी
का और अब अपनी बीबी की मौसी का...और इसमे प्राची के मुकाबले कुछ
ज़्यादा नमकीनपन था..जो अजय को शायद ज़्यादा ही अक्चा
लगा..इसलिए उसने अपनी दो उंगलियाँ उनकी चूत में डाली और निकाल
कर चूस ली...



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और अब नीलम मौसी खड़ी थी उसके सामने, पूरी मदरजात नंगी होकर...
और वो भी बड़े गर्व से अपना नंगा बदन उभार-2 कर दिखा रही थी...और
दिखाए भी क्यो ना...उसका नशीला बदन था ही ऐसा..और जब ऐसी
बॉडी होती है तो औरत मे एक अलग ही कॉन्फिडेंस आ जाता है, क्योंकि
उसे पता होता है की सामने वाला मर्द उसकी तारीफ ही करेगा...


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मौसी भी अपने दामाद के इस जंगलिपन को देखकर उपर वाले का धन्यवाद
कर रही थी क्योंकि ऐसे जोशीले मर्द से चुदवाने में जो मज़ा आने वाला था
वो तो वही जानती थी.
नीलम भी उसके साथ-2 उसकी तरह जंगली हरकतों पर उतर आई...और उसने
अपनी गर्म जीभ से उसके चेहरे को पूरा चाटना शुरू कर दिया...जैसे कोई
कुतिया अपने मालिक को चाटती है..
नीलम : "आआआआहह अजय ................ तूने तो मेरे अंदर आग लगा दी है
रे.....आआआअहह''
अजय : "ओह मौसी.....आग मैने लगाई है तो बुझाऊँगा भी मैं ही....''
इतना कहते-2 उसने अपने भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए....और कुछ ही देर में वो
पूरा नंगा होकर नीलम के सामने था...
नीलम : "आआआआआहह अजय.............कितना लंबा है रे तेरा.....''
अजय ने अपने लड को हिलाते हुए कहा : "क्या मौसीजी .....''
ये सुनकर वो शरमा गयी....उसके निप्पल और ब्रेस्ट तनी हुई थी...और चूत से
आग के गोले भभक-2 कर निकल रहे थे...अजय के दोबारा पूछने पर वो धीरे से
बोली : "तुम्हारा....ल ..लंड ....''
अजय का लंड भी अपनी तारीफ सुनकर मौसी को थेंक यू बोल गया मन ही मन में ...
अजय ने भी बड़ी बेबाकी से कहा : "और आप भी कमाल की हो
मौसी...आपको देखकर पता ही नही चल रहा की आपकी एक जवान बेटी भी है...''
जवान बेटी बोलते हुए अजय के दिमाग़ मे उसकी बेटी रिया का जिस्म नाच
उठा...और अपनी कल्पना में ही उसने उसे नंगा भी कर दिया..
पर अभी रिया के बारे में सोचने का नही, उसकी माँ को चोदने का समय था...
वो आगे बड़ा और उसने अपनी शक्तिशाली बुझाओं में मौसी जी को उठा
लिया...उनका वजन 60 के करीब था, फिर भी उसने उन्हे बड़ी आसानी से
उपर उठा लिया और उन्होने भी अपनी टांगे उसकी कमर मे लपेट कर अपना
शरीर अजय के उपर टीका दिया...और अजय उन्हे चूमता हुआ सा दीवार की
तरफ ले गया और उनकी पीठ वहाँ टीकाकार अपना मुँह नीचे करते हुए उनके
रसीले पपीते चूसने लगा...


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''आआआआआआआआहह ......उम्म्म्मममममममममममम....... आआआआअहह मज़ा
आ रहा है......... आआआआआअहह......''
मज़ा तो अजय को भी आ रहा था...इन्ही मुम्मों को देखकर उसने दो दिनों
तक अपनी जीभ होंठों पर फेरी थी...आज उन्हे चूसने का मौका आया तो
अपने दांतो से उनपर चित्रकारी करने लगा...उन्हे काटने लगा,नोचने
लगा...निप्पलों पर तो उसने ऐसा कहर बरपाया जैसे उन्हे उघाड़ ही
देगा..अपने मुँह को पूरी ताक़त से उनकी बड़ी ब्रेस्ट पर मार सा रहा था वो...
और मौसी भी उसके इस जंगलिपन को सहन करती हुई मज़े से सिसकारियाँ
लेती हुई उसे बढ़ावा दे रही थी..
''आआआआआआआआअहह हाआाआअन्णन्न् ऐसे ही ............खा जा इन्हे
अजय........खा जा.......काट ले इनको....चूस मेरे निप्पलो को...........आआह मेरा
बच्चा .............''
और ऐसी चूसम चुसाई में अचानक मौसी को एहसास हुआ की नीचे से अजय
का लंड उनकी चूत से नाममात्र की दूरी पर ही है...और अगले ही पल उसके लंड
का सुपाड़ा उनकी चूत से आ टकराया..शायद उनके वजन की वजह से उनका
शरीर धीरे-2 नीचे आ रहा था...और जैसे ही उन दोनो को ये एहसास
हुआ,दोनो रुक से गये...और एक दूसरे की आँखों में देखने लगे...
और अगले ही पल नीलम ने अपनी बाहें पूरी ताकत से उसकी गर्दन में लपेटी ,
अपनी आँखे बंद की , होंठ उसके होंठों से चिपकाए, और अपना रहा -सहा
भार भी नीचे की तरफ खिसका दिया...
और अजय का पठानी लंड सरसराता हुआ सा नीलम की चूत के अंदर घुसता
चला गया...किसी रॉकेट की तरह...


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''आआआआआआआआआआआआआआआहह उम्म्म्ममममममममममममममममम.....
ओह अजय ......................सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स.....''
एक तो वो इतना मोटा और उपर से लंबा भी काफ़ी...इसलिए रुक-
रुककर,अटकता हुआ सा वो अंदर जा रहा था...और उसके लंड पर अपनी चूत के
भार उतर रही नीलम को तो ऐसा लग रहा था की जैसे ये सफ़र कभी ख़त्म
ही नही होगा....एक-एक इंच पर उसकी चूत नयी करवटें बदल रही थी...इतने
सालो से एक ही लंड से चुदने के बाद जब मोटे लंड का आगमन होता है तो अंदर
की दीवारें ऐसे ही खिसकती है...पर उस खिसकन में जो रोमांच और मज़ा
फील होता है वो तो उसे महसूस करने वाली ही जान सकती है...जो इस
वक़्त नीलम को महसूस हो रहा था...
अपने मुँह खोले हुए वो अपनी चूत के थ्रू अजय के लंड को निगले जा रही
थी...निगले ही जा रही थी..
और आधे से ज़्यादा अंदर जाने के बाद अजय को भी थोड़ी टाइटनेस महसूस
होने लगी, जो उसके लंड की अकड़ को और बढ़ावा दे रही थी....और फिर एक
वक़्त ऐसा भी आया जब उसका पूरा लंड नीलम की चूत में धंसा पड़ा
था...

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और वहाँ पहुँचकर दोनो कुछ देर के लिए रुक गये और गहरी साँसे लेने
लगे...और गहरी साँसे लेते हुए कब वो गहरी स्मूचे लेने लगे, उन्हे भी पता नही
चला...और फिर अजय ने एक बार फिर से अपनी शक्तिशाली बाजुओं का
परिचय देते हुए उसकी जाँघों के नीचे अपने हाथ रखे और उसे उपर नीचे करते हुए
चोदने लगा...
''आआआअहह ओफ्फ्फ्फ्फ्फ़ उफफफफफ्फ़ आअsssssssssssss हाआँ ऐसे
आआअहह ही ............ बड़ा ...मज़ा आ रहा ....है अजय ....अहह उम्म्म्ममममम
ज़ोर से ....करो .......और ज़ोर से .....''
अजय समझ गया की वो मस्ता चुकी है....इसलिए उसकी रेलगाड़ी बना कर
चुदाई करनी पड़ेगी...इसलिए उसने लेजाकर बेड पर पटक दिया...और ऐसा
करते हुए उसका लंड भी बाहर निकल आया जो उसकी चाशनी में नहाकर
बुरी तरह से चमक रहा था...
नीलम ने ये मौका नही छोड़ा और झपटकर बेड पर बैठ गयी और उसके लंड को
पकड़कर सीधा अपने मुँह मे डाल लिया...और ज़ोर-2 से चूसने लगी..


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अपनी ही चूत का रस चाटा पहले तो उसने और फिर एक-दो बूंदे उसके लंड से
जो निकल रही थी उन्हे भी चाट गयी और तभी उसने सोच लिया की उसके
रस को अपनी चूत में नही बल्कि मुँह मे निकलवाएगी, इतना टेस्टी जो था वो...
वो उसके रस को बाद मे पीने की सोच रही थी और अजय कुछ और सोच रहा
था...ये वही पलंग था जिसपर इस वक़्त मौसा जी गहरी नींद में सो रहे थे,
और जहाँ पर कल यही नीलम मौसी बेहोशी में सो रही थी..उसने अपने कमरे
से यहाँ आते हुए ही सोच लिया था की वो यहाँ आकर वही करेगा जो कल
मौसा ने उसकी सास के साथ किया था...
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