शाम को जब वो घर पहुँचा तो काफ़ी थका हुआ था,काम की वजह से
नही,बल्कि ट्रेफिक की वजह से,प्राची तो आज ऑफीस गयी नही थी,
इसलिए दरवाजा उसी ने खोला.और हमेशा की तरह अंदर आते ही उसने
उसका बेग लिया और गले लगाकर किस्स किया
प्राची : "उम्म्म्म आ गये आप...आज बड़ी देर कर दी...''
अजय : "यार, आज तो ट्रॅफिक ने परेशान करके रख दिया...''
प्राची : "पता है सुबह से रिया कितनी बार पूछ चुकी है आपके बारे में ...पता
नही एक ही दिन मे क्या जादू कर दिया है आपने मेरी भोली भली बहन पर..''
ये बोलते हुए उसके चेहरे पर कुटिल सी मुस्कान थी,जो हर उस पत्नी के चेहरे पर
होती है जब वो अपने पति से किसी और औरत के बारे में बात करती है.
रिया का नाम सुनते ही अजय चोंक गया...वैसे भी आज पूरा दिन ऑफीस में
वो उसके बारे में ही सोचता रहा था और रास्ते में आते हुए भी वो रिया के
बारे में ही सोच रहा था..और घर आते ही अपनी बीबी से उसका नाम सुनने
को मिलेगा, ये उसे अंदाज़ा नही था..पर जो भी था, रिया की बात सुनकर
उसका लंड फिर से खड़ा हो गया.
अजय ने चौंकते हुए कहा : "रिया...उसे क्या हुआ..उसको भला मुझसे क्या
काम है जो मेरे बारे में पूछ रही थी ..''
प्राची : "अब ये तो वो ही जाने...या उसके प्यारे जीजू जाने...हम भला कैसे
बताएँ..''
वो अपनी उसी मुस्कान के साथ फिर से उसके करीब आ गयी..अजय तब तक
सोफे पर बैठ चुका था..
अजय : "तुम सच में बड़ी शक्की हो...अपनी बहन को भी नही छोड़ा..''
प्राची : "होना पड़ता है जनाब, और ख़ासकर तब, जब पति इतना हेंडसम हो...''
इतना कहते -2 प्राची आकर अजय की गोद में बैठ गयी और अपनी बाहें
उसकी गर्दन में लपेट दी..
उसके नर्म कूल्हे अजय की जाँघ पर रेंग रहे उसके खड़े हुए लंड से आ टकराए..और
उसकी आँखे आश्चर्या से फैल गयी और बोली : "अच्छा जी, तो साली का
नाम सुनते ही आपका ये छोटा शेर खड़ा हो गया है...''
वो अजय को टीज कर रही थी रिया का नाम ले-लेकर..
अजय : "ओफफो...तुम भी ना...ये तो तुम्हे देखकर अकड़ रहा है...पता है कल भी
तुम ऐसे ही सो गयी थी..और मेरा इतना मन कर रहा था..''
प्राची : "ओल्ले मेला बैबी...तो मुझे उठा देते ना...आपको तो पता है ,सेक्स
जितना आपको पसंद है उतना ही मुझे भी...''
अजय ने उसके मुम्मे दबाते हुए कहा : "पता है जान, पर कल तुम इतना थकी हुई
थी की मुझसे तुम्हे उठाया ही नही गया..''
प्राची ने अजय के हाथ पर हाथ रखकर अपना मुम्मा ज़ोर से दबा दिया और
सिसकारी मारने के बाद बोली : "उम्म ...हाँ , वो तो है, कल मै शायद
ज़्यादा ही थक गयी थी...और नींद भी मुझे गहरी वाली आई...और मेरी वजह
से मेरे बैबी को ऐसे ही सोना पड़ा...''
अब वो बेचारी भला क्या जानती थी की उसे वो गहरी वाली नींद कैसे
आई थी...और अजय को ऐसे ही नही सोना पड़ा था..उसकी मौसी ने रात
अच्छी तरह से सेवा करी थी अपने दामाद की , और दामाद ने भी उनकी
गांड मारकर भेजा है वापिस मुंबई उन्हे..
प्राची : "पर कोई बात नही...कल की कमी ,मैं अभी पूरी कर देती हूँ ...''
और इतना कहते ही प्राची टूट पड़ी अजय के चेहरे पर...और अजय भी उसके मुम्मे
मसलता हुआ उसके नर्म होंठों को चूसने लगा..
ऐसा अक्सर होता नही था, क्योंकि दोनों एक साथ ही ऑफीस से घर आते
थे, इसलिए सेक्स सिर्फ़ रात को ही कर पाते थे, नयी शादीशुदा जिंदगी में
एक दिन का गैप भी उत्तेजना भर जाता है...और यही हो रहा था इस वक़्त
प्राची के साथ ...और वैसे भी अपने पति को बिना सेक्स के रखने का मतलब
उसे बाहर की दुनिया का रास्ता दिखाना , जहाँ जाकर वो अपनी इच्छा
की पूर्ति कर सके, ये मौका प्राची नही देना चाहती थी अजय को...
इसलिए उसने अजय के घर आने से पहले से ही ये सोच रखा था की आज उसके
आने के साथ ही वो चुदाई करवाएगी..रात वाली शिफ्ट बाद में लगाएगी
और यही कर रही थी वो इस वक़्त...
प्राची ने सूट और सलवार पहनी हुई थी...अजय ने उसके उपर की कमीज़ उतार
दी और एक हाथ से उसकी ब्रा भी खोल दी..
उसके दोनो कबूतर फड़फड़ाते हुए बाहर आ गये..
और प्राची ने एक कबूतर की
गर्दन पकड़ कर अजय के मुँह में अपना निप्पल दे दिया , और अजय भी किसी
प्यासे जानवर की तरह उसपर टूट पड़ा और ज़ोर-2 से चुभलाते हुए उसे चूसने
लगा..निकालने लगा उसके अंदर जमीं मिठास को
''आआआआआहह ऊओ मेरा बैबी......पी ले.....मम्मा का दूध पी ले...''
ऐसा अक्सर बोला करती थी प्राची..जिसे सुनकर वो ज़्यादा उत्तेजित हो
जाया करता था.
प्राची : "आआआआआहह धीरे बैबी ....धीरे....मम्मा को दर्द होता
है.....अहह......''
अजय के सिर पर हाथ फेरती हुई प्राची ने अजय की पेंट की जीप खोल
दी...और उसके लंड की गर्दन पकड़कर बाहर खींच लिया..
उसके लंड को देखते ही वो नागिन की तरह लहराती हुई नीचे बैठ गयी उसके
कदमों में , और उसे पकड़ कर अपनी जीभ से सहलाया...उसे पुचकारा ...और
फिर एक गहरी साँस लेकर उसे निगल लिया..
''आआआआआआआआहह प्राची ...........ओ मेरी
जान..............एसस्स्स्स्स्स्स्सस्स..... .सकक्क मी.....''
अजय उसके रेशमी बालों पर दबाव देकर अपने लंड को उसके मुँह के और अंदर
धकेल रहा था...और वो भी अपने पंजों पर बैठकर अपने पति के छोटे भाई की
सेवा अपनी गर्म जीभ से कर रही थी...
उसकी थूक से अजय का लंड नहा गया....अजय ने अपनी बेल्ट खोलकर अपनी
पेंट को थोड़ा नीचे खिसका दिया जिसकी वजह से उसका लंड अब पूरी
तरह से बाहर निकल आया था...
और अब प्राची उसके लंड के साथ-2 उसकी बॉल्स को भी चाट पा रही थी...
और बॉल्स को चूसना और चाटना प्राची की स्पेशॅलिटी थी...अजय
जानता था की ये काम उससे अच्छा कोई और कर ही नही सकता इस
दुनिया में ...
अजय ने आँखे मूंद ली और वो रिया को इमेजिन करने लगा...क्योंकि सुबह से
वही उसके दिमाग़ पर कब्जा जमाए हुए थी, इसलिए उसे फिर से अपनी बंद
आँखो के पीछे बुलाना मुश्किल नही था...अब माहौल ये था की लंड तो
प्राची चूस रही थी उसका, पर वो बंद आँखो से ये महसूस कर रहा था की
रिया चूस रही है इस वक़्त वो लंड..
अजय का लंड अब पूरी तरह से तैयार था...उसने अपनी आँखे खोल दी..और उसने
प्राची को उपर की तरफ खींचकर नंगी होने का आदेश दिया, यानी चुदाई
का वक़्त आ गया था..
प्राची खड़ी हुई और उसने अपनी सलवार निकाल दी...और अँग्रेज़ी
फिल्मों की तरह अपनी गांड अजय की तरफ करके अपनी पेंटी भी उतार
दी...और नीचे झुकने के बाद वो अपनी गोल मटोल गांड लेकर कुछ देर तक
उसी पोज़ में खड़ी भी रही...
अजय उसकी मांसल गांड को देखकर अपने लंड को रगड़ता रहा तब तक..
और बोला : "अब आ भी जा प्राची....कम ऑन ....''
प्राची उसकी तरफ पलटी,पूरी नंगी...
और धीरे-2 चलती हुई उसके करीब आई..
और तभी उनके रंग मे भंग डालते हुए बाहर की डोर बेल ज़ोर-2 से बजने लगी..
दोनो के चेहरे पर गुस्सा आ गया..
प्राची : "उफ़फ्फ़ इस वक़्त कौन आ गया....ईडियट...''
अजय ने फ़ौरन अपने लंड को वापिस पेंट के अंदर ठूसा और प्राची ने भी अपने
फेले हुए कपड़े लिए और बाथरूम की तरफ भागी और बोली : "आप प्लीज़
देखो ना कौन है...और हो सके तो बाहर से ही टरका देना,चाहे जो भी हो...''
आख़िर उसकी चूत में भी तो आग लगी हुई थी इस वक़्त..
अजय भी झुंझलाते हुए दरवाजे तक गया, तब तक बेल लगातार बजती ही जा
रही थी..
अजय : "अरे आ रहा हू बाबा...रूको एक मिनट ...''
अजय ने दरवाजा खोला तो उसका सारा गुस्सा एक ही पल में गायब हो
गया...बाहर रिया खड़ी थी.
अजय : "अरे...रिया तुम.....आओ अंदर आओ...''
पिंक कलर के सूट में वो कमाल की लग रही थी
रिया : "मैने दीदी को बोला था की जैसे ही जीजू आए तो मुझे बता
देना...वो तो मैने आपकी कार देख ली बाहर खड़े हुए,तब पता चला मुझे की
आप आ चुके हो ...''
अजय ने अपने चेहरे पर फिर से वही नाराज़गी वाले एक्स्प्रेशन लगा दिए..और
दरवाजा बंद करके उसकी बात का जवाब दिए बिना ही अंदर आ गया..
रिया समझ गयी की उसके जीजू अभी तक नाराज़ है...
रिया (बड़े ही प्यार भरे स्वर मे) : "जीजू...वो मैं क्या कह रही थी...की
....मुझे माफ़ कर दो प्लीज़...सुबह वाली बात के लिए...''
अजय (नाटक करते हुए) : "कौनसी बात ...मुझे तो कोई बात याद भी नही है...''
अजय ने बड़े सपाट स्वर में उसे देखे बिना ये बोला था, रिया समझ गयी की
उन्हे मनाना आसान नही होगा...
और इसी बीच अंदर बाथरूम में नंगी खड़ी हुई प्राची उनकी बातें सुनने की
कोशिश कर रही थी...उसे ये तो पता चल गया था की रिया आई है, और उसे
गुस्सा भी बहुत आ रहा था उसके इस वक़्त आने का...पर अजय ने उसे बाहर से
ही क्यों वापिस नही भेज दिया...इसलिए उसपर भी गुस्सा आ रहा था
प्राची को...बाथरूम थोड़ा दूर था इसलिए उनकी बातें नही सुन पा रही
थी वो...उसने झक्क मारकर अपने कपड़े पहनने शुरू कर दिए..
इसी बीच रिया घूमकर अजय के सामने आई और ठीक उसके सामने अपने कान
पकड़कर खड़ी हो गयी...इतने करीब की उसके नन्हे-2 बूब्स अजय को टच कर रहे थे..
रिया उपर मुँह करके धीरे से बोली : "ओके बाबा...सॉरी ...ये लो ...कान
पकड़ कर सॉरी...और सुबह वाली बात के लिए आप मुझसे कुछ भी करवा
लो...मैं मना नही करूँगी....''
अजय का लंड अभी तक खड़ा हुआ था, और रिया को इतने करीब खड़ा देखकर
वो उभरकर उसकी जांघे छूने के लिए मचल उठा..अजय भी थोड़ा आगे बड़ा,
उसने रिया की दोनो बाहों को पकड़ा और अपने से और सटा लिया, ऐसा
करते हुए उसकी नर्म छातियाँ तो उसके सीने में धँस ही गयी, उसके खड़े हुए
लंड को भी अपनी मुराद पूरी करने का मौका मिल गया,उसने रिया की
नर्म जांघों को छू लिया..
रिया तो सकपका सी गयी,अपने जीजू द्वारा ऐसे पकड़े जाने के बाद, पर
वो उन्हे कुछ बोलकर फिर से नाराज़ नही करना चाहती थी, इसलिए चुप
चाप खड़ी रही..
अजय ने उसकी बात दोहराते हुए कहा : "कुछ भी करवा लूँ ...''
रिया के होंठ फड़फडा उठे जवाब देते हुए : ''हाँ जीजू....कुछ भी...''
उसकी गर्म साँसें अजय को अपने चेहरे पर महसूस ही रही थी...उसका तो मन
किया की अभी के अभी उसके गुलाबी होंठों का रस पी जाए, उसे दबोच ले
और एक गहरी स्मूच कर दे..
पर तभी उसे बाथरूम में खड़ी प्राची का ख़याल आया और उसने रिया को
एक झटके में छोड़ दिया...
और उसकी किस्मत देखिए ज़रा, ठीक उसी वक़्त बाथरूम का दरवाजा
खोलकर प्राची बाहर निकली...तब तक रिया अपनी सांसो पर नियंत्रण
पाकर सामान्य हो चुकी थी और अजय ने भी थपकीयाँ देकर अपने लंड को
वापिस सुला दिया था.
प्राची : "अरे रिया...तुम....मैं तुझे फोन करने ही वाली थी...अजय बस अभी
आएँ है...चल कर ले इनसे वो अपनी ज़रूरी वाली बात, तब तक मैं अजय के लिए
चाय बनाकर लाती हूँ ...''
रिया को देखकर अंदर ही अंदर वो जल भुन तो काफ़ी रही थी ...पर आख़िर
थी तो उसकी कजन सिस्टर ही ना, इसलिए मन मारकर रह गयी
बेचारी..और चुदाई को उसने रात के लिए टाल दिया..
रिया : "दीदी, वो तो बस मैं जीजू से ये पूछना चाहती थी की ये मेरा
एडमिशन कहाँ करवाएँगे, मुझे एडमिशन से पहले अपनी कंप्यूटर नॉलेज इम्प्रूव
करनी है...''
अजय : "तुम चिंता ना करो, मैने कहा था ना,मैं करवा दूँगा...तुम चाहो तो
कल ही चलना मेरे साथ..''
प्राची उनकी बातें सुनती हुई किचन में चली गयी..
उसके जाते ही रिया ने अजय से दबे स्वर मे कहा : "जीजू...आपने मुझे माफ़ कर
दिया न...''
अजय भी दबे स्वर में बोला : "इसका फ़ैसला तब होगा जब तुम अपनी सज़ा
पूरी कर लोगी...''
अजय ने उसकी कुछ देर पहले कही हुई बात का हवाला दिया..
रिया भोली ज़रूर थी पर इतनी भी नही की ऐसे कही हुई बातों को समझ ना सके..
बेचारी का दिल जोरों से धड़कने लगा की पता नही उसके जीजू उसे कैसी
सज़ा देंगे..
वो बेचारी ये सोच ही रही थी की प्राची वापिस आ गयी, चाय
लेकर..और सभी सोफे पर बैठकर बातें करने लगे और चाय पीने लगे.
प्राची : "अरे, तू एकदम से इतनी परेशन क्यो हो गयी ...बोल तो रहे है तेरे जीजू
की कल चलेंगे तेरे साथ...''
रिया : "वो ...दीदी ...मैं तो सोच रही थी की..पता नही मुझे ढंग के कॉलेज
में एडमिशन मिलेगा भी या नही..''
प्राची : " अरे, तू फ़िक्र ना कर...तेरे जीजू को सभी इन्स्टिट्यूट और कॉलेजस
के बारे में पता है अच्छी तरह से..पूजा का एडमिशन भी तो इन्होने करवाया
था..तू फ़िक्र ना कर..और वैसे भी आजकल तो सारी इंफोर्मेशन नेट पर मिल
ही जाती है...ये सब देख लेंगे..''
अब भला प्राची को वो कैसे समझती की उसे अपने एडमिशन की नही
बल्कि जीजू की कही हुई बात की चिंता सता रही है..
पर उसने भी मन में ठान लिया था की चाहे कुछ भी हो जाए,जीजू तो
उसकी हेल्प ही कर रहे हैं ना..ऐसे में उन्हे नाराज़ करके वो नही रख सकती..
और दूसरी तरफ अजय के दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था...वो इस हाथ आए
मौके का फायदा अच्छी तरह से उठाना चाहता था..रिया तो उसके लिए
कोई चुनोती नही थी, उसका दिमाग़ तो पूजा की तरफ चल रहा था, और
अपनी योजना के अनुसार वो रिया का इस्तेमाल करके पूजा को जाल में
फंसाना चाहता था..
चाय ख़त्म होते ही प्राची वापिस किचन में चली गयी और अजय ने दबे स्वर
में रिया से कहा : "अब तुम जाओ...मैं थोड़ी देर में वहीं आता हूँ ..और जो मै
कहूं वो चुपचाप मानती रहना, कोई आर्गुमेंट नही,वरना अपनी डील कैंसल
..समझी...''
रिया बेचारी को कुछ समझ नही आया की आख़िर अजय क्या करवाना
चाहता है उससे...बुरे से बुरा तो वो यही समझ रही थी की शायद उसके जीजू
उसके साथ कुछ ग़लत काम...यानी किस्स वगेरह या कुछ और करेंगे...पर उनकी
बातों से तो ऐसा कुछ लग ही नही रहा था...और वैसे भी उसने इतना तो
सोच ही लिया था की ये छोटे-मोटे काम के लिए वो उन्हे नही टोकेगी,पर
हद से आगे भी नही बढ़ने देगी...
वो चुपचाप सी सिर हिला कर अजय की बात मानती हुई उठी और वापिस
चली गयी..
उसके जाने के बाद अजय वापिस किचन में गया,जहाँ प्राची काम कर रही
थी और उसकी उभरी हुई गांड में अपना लंड फँसा कर खड़ा हो गया..और
अपने हाथ उपर करते हुए उसके बूब्स दबाने लगा..
और उसके कानो को मुँह में लेकर धीरे से बोला : "चलो ना...जो काम अधूरा
छोड़ा था वो पूरा करते हैं...''
प्राची (थोड़ा गुस्से में ) : "रहने दो...मैने कहा था ना उस वक़्त की जो भी
हो उसे वापिस भेज देना, पता है मैं बाथरूम में नंगी खड़ी थी , फिर भी आपने
रिया को अंदर कैसे आने दिया..अब मेरा मूड नही है कुछ भी करने का..''
अजय : "अरे,तुम्हारी बहन है,मैं उसे कैसे मना कर सकता हूँ अपने घर आने से...और
अपने मूड का ज़ोर मुझपर ना चलाया करो...... समझी...''
और अजय भी गुस्सा होते हुए बाहर निकल गया.
प्राची बेचारी अपना सिर पीटकर रह गयी...शायद गुस्सा दिखाने के
चक्कर में उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया और अजय को नाराज़ कर
दिया..और वो अच्छी तरह से समझती थी की सेक्स के मामले में ठुकराया हुए
इंसान को बाहर मुँह मारने में देर नही लगती...वैसे भी पहले पूजा और अब
रिया ने आकर माहौल को कुछ ज़्यादा ही गरम कर दिया है...ऐसे मे अगर
अजय को वो खुश ना रख पाई तो ऐसा ना हो की वो उसकी बहनों की
तरफ आकर्षित हो जाए...जिसका पूरा-पूरा चांस था...
और ये सोचने के साथ ही वो भागकर बाहर आई..पर तब तक अजय बाहर
निकल चुका था..
वो समझ गयी की अब अजय को मनाना थोड़ा मुश्किल होगा...पता नही
कहाँ गया होगा वो..
पर उसे क्या पता था की वो तो वहां से निकल कर सीधा अपने पड़ोस में
यानी अपने ससुराल जा पहुँचा था..