Kapil Bajaj
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Mast update Bhaiअपडेट -11 contd...
रतीवती पर्दा हटने से चौक जाती है लेकिन जैसे ही सामने असलम को खड़ा देखती है उसका डर उत्तेजना मे तब्दील हो जाता है, उठने को हो चुकी रतीवती धम से वापस बैठ जाती है.... छापक कर के गांड पानी मे पड़ती है.
वापस से ऊँगली अन्दर बाहर होने लगती है. रतीवती मुस्कुराती असलम के तन तानाये लंड को घूरति रहती है जो उसकी कल्पना मे था वो सामने आ चूका था नियति पूरी तरह मेहरबान थी दोनों पर.
डॉ. असलम तो ये नजारा, ये कामुक दृश्य देख के दंग रह गये थे उनके सामने एक जवानी के चरम पे पहुंची औरत धकाधक अपनी चुत मे ऊँगली मारे जा रही थी....
औरत का ये रूप ये यौवन ऐसी कामुकता देख के असलम हैराम थे. हाथो मे चूड़ी, गले मे मंगलसूत्र, माथे पे बिंदी... ओर नीचे पानी बाहती चिकनी गोरी चुत... जिसमे खुद वो स्त्री खुद ऊँगली डाले कुछ ढूंढ रही थी... रातीवति अपनी चुत मे सुख ढूंढ रही थी, आनन्द ढूंढ़ रही थी जो बरसो से नहीं मिला था, उसे चरम सुख कि तलाश थी जो ऊँगली से ढूंढे नहीं मिल रहा था..... इस चरम सुख को तलाश करने का एक ही सहारा था जो परदे के पार मुस्लिम टोपी, गंजी पहने... नीचे से नंगा हैरान खड़ा था.
असलम ये सब कुछ पहली बार देख रहा था.... उसके कदम बाथरूम कि ओर बढ़ चलते है, सुध बुध खो चूका था.
उसे कल रात वाला सुख चाहिए था... उस से कम मे कोई समझौता नहीं.
रतीवती तो इस कदर उत्तेजना से घिरी थी कि उसे ये भी भान नहीं था कि वो किस अवस्था मे है वो जिस चीज को अपनी चुत मे ऊँगली डाले तलाश कर रही थी वो बाहर खड़ा था... असलम के रूप मे.
असलम अब अंदर बिल्कुल नीचे बैठी रतीवती के सामने खड़ा हो चूका था... उसका लंड सीधा रतीवती के लाल होंठो के सामने हिल रहा था.
उस से निकलती गंध रतीवती को ओर ज्यादा मदहोश कर देती है.
वो अपने घुटने के बल बैठ जाती है ओर एक बार मे ही पूरा लंड निगल लेती है.... आअह्ह्ह..... इस अहसास से असलम अपने पंजो पे खड़ा हो जाता है.
कल रात जैसा ही था या उस से भी बढकर.
असलम हैरान परेशान रतीवती कि कला का प्रदर्शन देखे जा रहा था... आज रतीवती को कोई रोकने वाला नहीं था.
लप लप... धचा धच.... मुँह चलाती रतीवती लंड को निगले जा रही थी...
ऐसी चटाई ऐसे मुख मैथुन से असलम घन घना गये थे... उन्हें आज कुछ ओर चाहिए था इस से भी ज्यादा.
उन्हें भी औरत कि चुत का रस पीना था...
असलम एक झटके से रतीवती को पीछे धक्का दे देते है... रतीवती चिहुक के पीछे कि ओर पीठ के बल गिर पड़ती है जिसकारण उसकी टांगे हवा मेउठ जाती है, टांगे दोनों दिशाओ मे फ़ैल जाती है.... अब असलम के सामने फूली हुई रस टपकाती चिकनी गोरी चुत थी जो उसे बुला रही थी... आओ असलम आओ.... आपके लिए ही है.
मदहोशी मे होश खोया असलम तुरंत चुत पे टूट पड़ता है ओर एक बार मे ही पूरी चुत को मुँह मे भर के चूस लेता है.
असलम अनाड़ी था उसे कामक्रीड़ा के बारे मे कुछ नहीं पता था, बस उसे आज चुत खानी थी अंदर का रस पी जाना था..
असलम चुत को मुँह मे भरे चूस रहा था अपने होंठो के साथ खिंचता हुआ अंदर से कुछ निकाल लेना चाहता था.... खींच खींच के चुत चूस रहा था.
रतीवती इस चुसाई से सातवे आसमान मे थी.... ऐसी चुसाई तो कभी रामनिवास ने भी नहीं कि थी.
वैसे रामनिवास चुत चाटता भी नहीं था वो तो कभी रतीवती बेकाबू होती तो नशे कि हालत मे सोये रामनिवास के मुँह पे अपनी नंगी चुत ले के चढ़ जाती थी..
अपनी चुत पे वो शराब गिरा लेती जिस वजह से रामनिवास खूब चाटाचट चुत चाट लेता था.. बस यही सुख ले पति थी रतीवती अपने नामर्द शराबी पति से.
लेकिन आज जैसे असलम चाट रहा था जैसे बरसो का भूखा हो, खा ही जायेगा चुत....
इतने मे असलम को चुत का दाना मिल जाता है वो उसे ही मुँह मे ले के चुबलाने लगता है.... रतीवती इस हमले से मर ही जाती है अपनी गांड उठा उठा के पटकने लगती है गीली जमीन पे, असलम बरसो कि प्यास बुझा रहा था उसे चुत का पानी चाहिए था... फिर कभी मिले या ना मिले आज ही पी लेना था.
रतीवती कि हालत ख़राब थी उसे ऐसा उन्माद कभी नहीं चढ़ा था. उसकी हालत बिगड़ती ही जा रही थी.
वोअसलम के सीने पे पैर रख जोर से धक्का दे के जमीन पे गिरा देती है ओर तुरंत असलम का लंड पकड़ के वापस अपने हलक मे डाल लेती है.
ये कुश्ती का खेल जैसा था बस यहाँ नियम थोड़े अलग थे, हारता कोई भी लेकिन जीत का जश्न दोनों मनाते.
यहाँ हार जीत मायने नहीं रखती थी ये खेल था ही कुछ ऐसा, हवस से भरा खेल....
डॉ. असलम ऐसा कामुक बदन, कामुक मुँह पा के पागल हो चूका था वो जानवरो कि तरह रतीवती का सर पकडे धका धक... गले तक़ पेले जा रहा था.
गु गुह.. गुह्म.... कि आवाज़ गूंज रही थी, टट्टे जोर जोर से आ के रतीवती के होंठ पे लग रहे थे.
रतीवती एकदम से खड़ी हो जाती है उसे सहन नहीं हो रहा था वो तुरंत बाथरूम के गीली जमीन पे लेट जाती है बिल्कुल नंगी टांग फैलाये टप टपाती चुत खोले जमीन पे पड़ी थी...
असलम रतीवती के इस कृत्य से हैरान था कि उसे क्या हुआ एकदम, परन्तु जैसे ही उसकी नजर रतीवती कि फूली चुत पे पड़ती है उसका तो दिल ही मुँह को आ जाता है. बिल्कुल कसी चुत टांग फैलाये भी सिर्फ लकीर दिख रही थी.
इसी पगडंडी पे असलम को खुदाई करनी थी, यही पे उसे चौड़ा रास्ता बनाना था
थूक से स्तन सने हुए थे, हाथो मे चूड़ी मांग मे सिंदूर पहने.... एक कामुक औरत पानी से भीगी जमीन पे टांग फैलाये अपना सर इधर उधर पटक रही थी.
रतीवती :- असलम ज़ी अब सहन नहीं होता प्यास बुझाइये मेरी, पहली बार रतीवती मुँह से कुछ बोल पाई थी, उत्तेजना चरम पे थी.
असलम अपनी शर्ट उतार देता है रतीवती टांगे फैलाये स्वागत के लिए तैयार थी
असलम रतीवती कि दोनों जांघो के बीच बैठ जाता है ओर अपना लंड उस पतली लकीर पे चलाने लगता है, यही वो पतला महीन रास्ता था तो आज तक कभी असलम को मिल ही नहीं पाया.
असलम लंड चुत पे टिकाये आगे को झुकता है लेकिन चुत इतनी गीली थी कि लंड फिसल के दाने को रगड़ता ऊपर को निकल जाता है. ऊपर से असलम ठहरा अनाड़ी इसके लिए तो ये सुख ही स्वर्ग से कम नहीं था... परन्तु रतीवती स्वर्ग कि अप्सरा थी वो तो इस सुख का आनंद जानती थी.
वो अपना हाथ नीचे ले जा के असलम का भारी मोटा लंड पकड़ लेती है, लंड पकड़ते ही एक बिजली दोनों के शरीर मे कोंध जाती है..
रतीवती लंड पकड़ के अपने चुत के मुहने पे रख देती है ओर पीछे से अपनी टांग से असलम कि गांड पे दबाव डालती है कि.... है वीर भेद तो लक्ष्य तुम्हरे सामने है.
असलम ठहरा अनाड़ी जोर से अपनी गांड नीचे को कर देता है.... आअह्ह्ह....... लंड चुत को चिरता हुआ पूरा जड़ तक समा जाता है. असली योद्धा एक बार मे ही लक्ष्य को भेद देते है असलम भी असली लड़ाका निकला.
रतीवती दर्द से बिलबिला जाती है, उसकी बरसो से सुखी चुत मे अजगर समा गया था. उसे क्या पता था कि असलम एक बार मे ही गच गचा देगा.
रतीवती कि चीख अभी पूरी भी नहीं हुई थी कि असलम लंड हल्का सा बाहर निकाल के वापस जड़ तक ठोंक देता है.
रतीवती कि तो सांस ही अटक गई थी... ऐसा मुसल लंड एक बार मे ही अंदर जा के बच्चेदानी को भेद गया था.
आअह्ह्ह.... असलम... असलममम... बस यही निकला मुँह से.
असलम तो जानवर बन गया था उसे ये सब पहली बार मिला था उसे कुछ नहीं कहना था ना सुनना था.... बस धचा धच... धचा धच..... चुत मारे जा रहा था, उसे इस सम्भोग का आनंद उठा लेना था.
रतीवती पहली बार ऐसी चुदाई झेल रही थी उसकी चुत ने असलम के लंड को पूरी तरह जकड लिया था, जैसे ही असलम लंड को बाहर निकलता चुत उसी के साथ खींची चली जाती, जैसे ही अंदर डालता चुत पूरी कि पूरी अंदर को चली जाती ...
आअह्ह्ह..... क्या मजा था रतिवती उस मजे मे खोने लगी थी. आह्हः.... असलम ओर जोर से असलम ओर जोर से.... ओर अंदर ओर अंदर...
रतीवती कि ये विनती ये चितकार असलम का हौसला बढ़ा रही थी असलन एक पैर घुटने तक मोड के रतीवती के स्तन पे रख देता है ओर दे धचा धच .... लंड मारे जाता है.
रतीवती तो मरने के कगार पे थी.... उसे अब ये उत्तेजना ये गर्मी सहन नहीं हो पा रही थी... वो अपनी गांड उछल उछाल के असलम के लंड पे पटकने लगती है.
नतीजा 5 मिनट बाद ही सामने आता है असलम चुत कि गर्मी पा के भलभला के चुत मे ही झड़ने लगता है अनाड़ी जो ठहरा.... रतीवती भी वीर्य कि गर्मी पा के पिघलने लगी ओर एक के बाद एक झटके के साथ उसकी चुत असलम के वीर्य को पीने लगी....
दोनों हांफ रहे थे, सांसे दुरुस्त कर रहे थे.... दोनों एक साथ जीते थे, ये जीत हवस पे थी. सालो बाद कि हवस बरसो पुराना अकाल खत्म हो चूका था, वीर्य कि बारिश से चुत रुपी जमीन लहरा गई थी, चमन मे नई बहार आ गई थी.
इतने मे ही कमरे केबाहर से कामवती कि आवाज़ अति है.आवाज़ सुन के असलम जल्दी से खड़ा होता है पोक कि आवाज़ का साथ असलम का लंड रतीवती कि चुत खिंचता हुआ बाहर निकल जाता है परन्तु ये क्या वीर्य का कोई नामोनिशान नहीं.... सारा वीर्य रतीवती कि चुत ने सोख लिया था,
गजब औरत थी.... असलम को तो दिन पर दिन आश्चर्य घेरे जा रहा था, औरत नाम का अध्याय उसे हैरान कर रहा था.
कमवती : - माँ माँ... कहाँ है आप? अभी तक नहाई नहीं क्या?
रतीवती असलम को पीछे के दरवाजे से बाहर निकाल देती है, असलम गली से होता हुआ अपने कमरे मे पहुंच जाता है.
उसे तो कुछ कहने सुनने का मौका ही नहीं मिला था.... वो अभी अभी हुए सम्भोग पे यकीन ही नहीं कर पा रहा था.
इधर रतीवती तुरंत अपना हुलिया सुधारती है ओर दरवाज़ा खोल देती है.
कामवती :-माँ खरीदारी पे नहीं चलना क्या?
रतीवती :- हाँ बेटा चलते है पहले डॉ. असलम को खाना तो खा लेने दे, तू जा तब तक तैयार हो जा...
कामवती चली जाती है तैयार होने.
रतीवती भी खूब अच्छे से लाल सारी, लाल चूड़ी, लाल सिदुर पहने तैयार हो जाती है, शादी इसकी बेटी कि है लेकिन लगता है जैसे रतीवती कि ही शादी है, अब भले शादी ना हो परन्तु सुहागरात तो मन ही रही थी.
रतीवती को देख के कोई माई का लाल ये नहीं बता सकता था कि ये अभी अभी चीख चीख के चुद रही थी ओर अभी भी असलम का वीर्य अपनी चुत मे समेटे गांड मटकाती जा रही है.
रतीवती असलम को खाना देने चल पड़ती है....
असलम अपनी ही दुनिया मे खोया अपने साथ हुए घटना को सोच रहा था.... तभी उसके नाथूनो मे वही जानी पहचानी कामुक गंध पहुँचती है, वो अपने विचारों से बाहर आता है.... दरवाजे पे रतीवती खड़ी थी...
लगता था इन दो दिनों मे असलम को मार के ही छोड़ेगी, लाल ब्लाउज, लाल साड़ी मे क्या गजब कामुक लग रही थी, ब्लाउज से झाकते गोरे मोटे स्तन वापस से असलम के होश उड़ा रहे थे
वो अभी अभी इस कामुक औरत के चोद के हटा था फिर भी ऐसा लग रहा था जैसे पहली बार देख रह हो .... ये अहसास पक्का असलम कि जान ले लेगा ..... जिन्दा नहीं जाने का असलम.
रतीवती :- ये लीजिये असलम ज़ी खाना खा लीजिये, भूख लगी होंगी मैंने आपसे खमाखां सुबह सुबह मेहनत करा ली....
अब असलम को औरत कि संगत का अनुभव तो था नहीं
असलम :-...मै.. मै....क्या.....मेहनत कौनसी मेहनत?
रतीवती :- आप तो ऐसे हकला रहे है जैसे पहली बार किसी औरत के साथ सम्भोग किया हो.
रतीवती पूरी तरह खुल चुकी थी वो अब शब्दों से भी सुख पाना चाहती थी परन्तु अपने असलम मियां इन मामलो मे अनाड़ी ही थे..
डॉ. असलम:- ज़ी ज़ी ज़ी.... मेरा पहली बार ही है...
रतीवती :- हाहाहाहा..... क्या असलम मियां आप भी.
चलिए खाना खा के तैयार हो जाइये खरीदी पे चलना है. उसके बाद फिर रात मे खड्डा खोदना है
ऐसा बोल के रतीवती अपनी बड़ी सी गांड मटकाती कमरे से बाहर निकल जाती है.
असलम ठगा सा देखता ही रह जाता है, क्या औरत है किसी ने सही कहाँ है औरत हवस पे आ जाये तो मर्द के छक्के छुड़ा दे...
कथा जारी रहेगी, बने रहिये....
Nice update Bhaiचैप्टर -1 ठाकुर कि शादी, अपडेट -12
असलम, रतीवती ओर कामवती खरीद दारी के लिए बाजार निकल जाती है.
तांगे पे बैठे रतीवती अपनी अदाओ हरकतों से बाज़ नहीं आ रही थी. असलम मियां तो हैरान परेशान हक्के बक्के बाजार जल्दी पहुंचने कि दुआ कर रहे थे..
दूर गांव के बाहर रामनिवास आज दबा के शराब पिए जा रहा था... पिए भी क्यों ना ठाकुर साहेब मोटी रकम जो दे गये थे.
वही पास कि टेबल पे बैठे दो आदमी अपना मुँह ढके लगातार रामनिवास को देख रहे थे.... एक के बाद एक पैग मारे जा रहा था.
जब बिल्कुल नशे मे टुल्ल हो गया दो दोनों नकाबपोश व्यक्ति उठ के रामनिवास के पास आ बैठे.
पहला :- ओर भई रामनिवास आज बहुत दिनों बाद दिखे, क्या बात है बहुत चहक रहे हो आज?
रामनिवास को सब धुंधला दिख रहा था, उसे लगा उसके ही गांव का कोई दोस्त होगा
रामनिवास :- अरे भई खुशी का मौका है लो तुम भी पियो.
दूसरा :- लेकिन पैसे???
रामनिवास :- दोस्त के रहते पैसे कि चिंता करते हो, बहुत पैसा है मेरे पास, नशे मे शेखी बखार रहा था.
पहला :- वैसे खुशी कि क्या बात है दोस्त?
रामनिवास :- मेरी बेटी....हिक्क... हिक्क... मेरी बेटी का रिश्ता तय हो गया है वो हिक.... हिक्क.... अब ठकुराइन बनेगी.... हिक्क ठकुराइन....
रामनिवास नशे मे बेसुध था.
दूसरा :- अच्छा तो वहाँ से मिला है मोटा माल? कहाँ किस से हो रही है शादी?
रामनिवास :- अपने ठाकुर है ना विष रूप वाले हिक्क... ठाकुर ज़ालिम सिंह उनसे.
सारी बाते बताता चला जाता है कि कब शादी है, कब विदाई है, बेवकूफ रामनिवास.
बहुत अमीर है वो खूब पैसा है उनके पास.
ये बात सुन दोनों कि आंखे चौड़ी हो जाती है, मुस्कुराहट चेहरे पे तैर जाती है.
दोनों रामनिवास से विदा ले के निकल जाते है.
रास्ते मे
यार रंगा ये ठाकुर तो वाकई मोटी आसामी है, रुखसाना कि खबर पक्की है,इसे लूट लिया तो जिंदगी बन जाएगी.
रंगा :- हाँ बिल्ला योजना बनानी होंगी चल अड्डे पे, हमारे पास टाइम कम है.
. रंगा बिल्ला कम्बल से मुँह ढके वहाँ से निकल जाते है
परन्तु इन सब मे किसी कि नजर बराबर रामनिवास ओर रंगा बिल्ला कि बातचीत पे बनी हुई थी.
एक दुबला पतला लड़का, हलकी मुछे रखे वही आस पास टहल रहा था. चेहरे से इतना मासूम कि प्यार आ जाये गोरा चिट्टा... जैसे कोई राजकुमार हो...
लेकिन ये है चोर मंगूस... एकदम शातिर चोर.
रूप बदलने मे माहिर, चुत मारने मे दुगना माहिर
चोरी भले चुत कि हो या सोने चांदी कि सब चुरा लेता है.
आजतक इसे कोई पकड़ नहीं पाया पकड़ेगा क्या खाक जब कोई इसे देख ही नहीं पाया.
कब आता है कब चला जाता है कुछ पता नहीं...
चोर मंगूस सारी बाते सुन लेता है... उसकी योजना तुरंत तैयार हो चुकी थी
अब उसे भी ठाकुर कि शादी का इंतज़ार था..
विष रूप ओर कामगंज के बीच मौजूद जंगली इलाके मे एक शख्स टहल रहा था, उसके हाव भाव से लग रहा था जैसे कि वो किसी का इंतज़ार कर रहा हो.
तभी पता नहीं कहाँ अँधेरे मे से एक साया निकल के उस व्यक्ति के सामने खड़ा हो जाता है...
व्यक्ति :- कहो खबरी क्या खबर लाये हो?
साया :- मालिक खबर मिली है कि विष रूप के ठाकुर ज़ालिम सिंह, कामगंज के रामनिवास कि बेटी से शादी कर रहे है ओर मंगलवार को बारात आएगी उसी रात विदा भी हो जाएगी.
व्यक्ति :- इसका मतलब यही मौका है उन्हें पकड़ने का?
साया :- ज़ी दरोगा साहेब रंगा बिल्ला कि योजना ठाकुर को विदाई के वक़्त लूट लेने कि है जब ठाकुर कीमती सामानो के साथ वापस जा रहा होगा, उसकी दुल्हन सोने चांदी से लदी होंगी.
ज़ी हां ये है इस इलाके के दरोगा वीरप्रताप सिंह है जैसा नाम वैसा काम वीर पुरुष तो है लेकिन कभी किसी चोर डाकू को पकड़ नहीं पाए.
उम्र लगभग 40कि होंगी ऊँचा लम्बा कद है इनकी एक खूबसूरत बीवी कलावती भी है जो गांव से दूर शहर मे रहती है.
काम ओर जिम्मेदारी मे इस कदर डूबे है कि सम्भोग कि इच्छा ही ख़त्म सी हो गई है बीवी को हाथ लगाए बरसो बीत गये.
ना जाने इनकी बीवी कैसे रहती होंगी.
कलावती ने कई बार जिद्द कि मुझे भी अपने साथ ले चलो लेकिन यहाँ डाकुओ का खतरा था इसलिए साथ मे लाये नहीं.
वीरप्रताप :- चोर मंगूस कि कोई खबर?
खबरी :- नहीं मालिक उसकी ना तो कोई खबर मिलती है ना ही उसका हुलिया, कहाँ से आता है कहाँ जाता है कुछ पता नहीं है.
वीरप्रताप :- खेर कोई बात नहीं पहले रंगा बिल्ला को हो दबोच लेता हूँ फिर उस चोर मंगूस कि भी खबर लूंगा.
अब तुम जाओ कोई खबर हो तो यही मिलना
साया अँधेरे मे विलुप्त हो जाता है जैसे आया था वैसे ही गायब.
वीरप्रताप गहरी सोच मे डूब जाता है " ऊपर से निर्देश आ चुके है ये मेरा लास्ट मौका है रंगा बिल्ला को नहीं पकड़ा तो ससपेंड कर दिया जाऊंगा "
नहीं नहीं.... ये मौका मुझे गवाना नहीं है.
ठाकुर कि शादी का इंतज़ार करना होगा...दरोगा के दिमाग़ मे योजना तैयार हो चुकी थी.
सोचते सोचते वो जंगल के बाहर खड़ी गाड़ी कि ओर बढ़ जाते है.
यहाँ सभी को ठाकुर कि शादी का ही इंतज़ार था.
कैसी होंगी शादी?
हो भी पायेगी या नहीं?
बने रहिये... कथा जारी है...
सब शादी के लिए तैयार है... आप भी इंतज़ार कीजिये ठाकुर कि शादी का.
Nice update Bhaiचैप्टर -1 ठाकुर कि शादी, अपडेट -13
सबकी योजना तैयार थी.....
ठाकुर ज़ालिम सिंह भी अपने गांव विष रूप पहुंच चुके थे, उनके गांव मे उत्सव का माहौल था.
ठाकुर :- भूरी काकी शादी कि तैयारी करो, रिश्ता तय कर आया हूँ, अब हवेली कि रौनक फिर लौट आएगी.
बहुत ख़ुश थे ठाकुर साहेब.....
भूरी :- कैसी है कामवती?
ठाकुर :- बहुत सुन्दर
वो तीनो नामुराद कहाँ मर गये है जब से दिख नहीं रहे
भूरी उन तीनो का जिक्र सुनते ही घन घना जाती है, रात भर का सारा दृश्य एक बार मे ही जहाँ मे दौड़ जाता है,भूरी कि चुत पनियाने लगती है.
ठाकुर :- कहाँ खो गई काकी? तबियत तो ठीक है ना?
कहाँ है वो तीनो हरामी
तभी तीनो पीछे से एक साथ आते है
कालू :- ज़ी ठाकुर साहेब आदेश दीजिये?
ठाकुर :- कहाँ मर गये थे तुम लोग? सालो सिर्फ मुफ्त कि खाते हो.
बिल्लू :- मालिक वो... वो.... कल रात काकी ने बहुत मेहनत करवाई तो सुबह देर से उठे.
बिल्लू डर से जो मुँह मे आया बोल देता है.
भूरी चौक जाती है
ठाकुर :- कैसी मेहनत?
कालू :-ज़ी ठाकुर साहेब वो कल रात बारिश बहुत तेज़ थी हवेली मे पानी जमा हो गया था तो रात भर पानी ही निकलते रहे. क्यों भूरी काकी? कालू बात संभाल लेता है.
भूरी :- ज़ी ज़ी... ठाकुर साहेब तीनो ने अच्छे से पानी निकाला.
ठाकुर :- अच्छा अच्छा ठीक है जाओ काम पे लगो अब.
गांव के पंडित को बुलावा भेज दो, हलवाई को बुला लाओ.
ओर हवेली कि साज सज्जा का प्रोग्राम करो.
डॉ. असलम 2दिन मे आ जायेंगे तो बाकि का प्रबंध वो देख लेंगे.
चलो दफा हो लो अब हरामी साले....
शादी कि तैयारी जारी थी.
इन सब के बीच हवेली के तहखने मे एक शख्स ये सब बाते सुन रहा था, उसके कान बहुत तेज़ थे.... वो कामवती का नाम सुन के तन तना जाता है.
"कही कही... ये वही कामवती तो नहीं जिसका मै हज़ारो सालो से इंतज़ार कर रहा हूँ? यही वो कामवती तो नहीं जो मेरी नय्या प्यार लगाएगी "
मुझे भी ठाकुर कि शादी मे जाना होगा. मंगलवार का इंतज़ार है बस...
ये शख्स कौन था जो कामवती को जनता था?
कामवती कैसे नय्या पार लगाएगी?
वक़्त बताएगा
इधर गांव कामगंज मे
बाजार मे खूब रौनक थी कामवती ओर रतीवती कि मौजूदगी से, सभी कि नजर माँ बेटी पे ही थी उनकी दोनों कि खूबसूरती के बीच डॉ. असलम जैसे कुरूप को कोई देख ही नहीं पा रहा था, कहाँ असलन नाटा काल ओर कहाँ रतीवती कामवती सुन्दर सुडोल लम्बी.
असलम ने दिल खोल के खर्चा किया, ठाकुर साहेब के कहे अनुसार शादी मे कोई कमी नहीं रहनी चाहिए थी.
कामवती भी असलम से काफ़ी घुलमिल गई थी.
लेकिन असलम रतीवती के साथ अभी तक असहज थे.
वो दो बार रतीवती के संपर्क से निकल. चुके भी फिर भी ना जाने क्यों उनको रतीवती के साथ होने से खलबली मच जाती थी,रतीवती का हाथ कभी छू जाता तो सीधा करंट लंड पे जा के ही रुकता, फिर भी बाजार मे होने के कारण उसे अपने ऊपर काबू रखना था.
खेर इस खींचा तानी मौज मस्ती मे खरीददारी होती रही.
रतीवती ने एक लाल चटक सारी ली
रतीवती :- असलम ज़ी कैसी है ये साड़ी?
असलम : अ... अ.... अच्छी है रतीवती ज़ी
रतीवती :- कब तक शर्माएंगे असलम ज़ी आप, आप के लिए ही ले रही हूँ, आखिर अपने ही कद्र कि है मेरी.
ऐसा कह के मुस्कुरा देती है. असलम फिर से लजा जाये है.
दिन भर कि मेहनत के बाद तीनो शाम होने पे घर लौट पड़ते है, अंधेरा घिर चूका था..
घर पहुंच जाते है, रामनिवास अभी तक घर नहींआया था रतीवती को चिंता सताने लगी थी
कामवती अपने कमरे मे सामान रखने चली जाती है.
कामवती :- माँ मै सामान रख के आती हूँ फिर खाना बना लेती हूँ आप आराम कीजिये.
असलम भी अपने कमरे कि ओर निकल जाता है.
रतीवती अपने कमरे मे जाते ही लाल साड़ी पहन के देखने लगती है, सारे कपडे उतार के बिल्कुल नंगी हो जाती है.उसे जल्दी से तैयार हो के असलम को अपना रूप दिखाना था.
वो असलम आश्चर्य चकित चेहरे को देखना चाहती थी.
क्या मादक शरीर था रतीवती का बिल्कुल नक्कसी किया हुआ गोरा बदन
वो अपनी कमर के चारो तरफ साड़ी लपेट लेती है, ओर जैसे ही वो ब्लाउज उठाती है पहनने के लिए बाहर धममम.... से किसी के गिरने कि आवाज़ अति है.
रतीवती सब भूल के जल्दी से उसी अवस्था मे सिर्फ साड़ी लपेटे ही बाहर को भागती है.
बाहर आ के देखती है कि रामनिवास मुँह के बल गिरा पड़ा था.
रतीवती :- इस हरामी को दारू से ही फुर्सत नहीं आज बेवड़ा ज्यादा पी आया.
भागती हुई रामनिवास को उठाने जाती है... उतने मे असलम भी आवाज़ सुन के कमरे से बाहर आता है ओर जैसे ही दरवाजे कि ओर देखता है दंग रह जाता है.
या अल्लाह.... ये क्या हो रहा है मेरे साथ? कैसे कैसे नज़ारे लिख दिए तूने मेरे जीवन मे. शुक्रिया
असलम देखता है कि रतीवती झुकी हुई रामनिवास को उठाने कि कोशिश कर रही है इस कोशिश मे उसकी गांड पूरी बाहर को निकली हिल रही थी साड़ी का कुछ हिस्सा गांड कि बीच दरार मे घुस गया था.
आह्हः.... क्या गांड है रतीवती कि अपने लंड को मसलते रतीवती कि कामुक गांड को ही निहारते रहते है.
जैसे ही उनकी नजर आगे को बढ़ती है उनका मुँह से हलकी सिसकारी निकल पड़ती है.... ब्लाउज ना पहनने कि वजह से रतीवती के स्तन बाहर को निकल पड़े थे साड़ी तो कबका हट चुकी थी.
हलकी सिसकरी सुन रतीवती पीछे देखती है तो असलम मुँह खोले हाथ मे लंड पकडे मन्त्र मुग्ध खड़ा था.
रतीवती :-अरे असलम ज़ी मदद कीजिये? रतीवती मुस्कुरा देते है उसे असलम कि इसी हालत पे तो मजा आता था.
असलम रतीवती के पास आता है ओर रामनिवास को उठाने मे मदद करता है
इस मदद मे दोनों के शरीर रगड़ खा जाते है, रतीवती तो थी ही कामुक औरत हमेशा उत्तेजना से भरी रहती है, निप्पल कड़क हो जाते है असलम कि रगड़ से.
रतीवती :- असलम से अच्छे से उठाइये, ये तो इनका रोज़ का काम है
असलम अब समझ चूका था कि क्यों रतीवती इतनी कामुक ओर हमेशा गरम क्यों रहती है, उसकी चुत हमेशा क्यों पानी छोड़ती है, जिसका पति ऐसा हो उसकी औरत ओर क्या करे...
किस्मत ने ही मुझे रतीवती से मिलाया है. उनके दिल मे रतीवती के लिए हमदर्दी जगती है क्युकी वो खुद भी बरसो से सम्भोग नहीं कर पाया था, रतीवती ही थी जिसने उसका इस सुख से परिचय करवाया.
असलम मन ही मन रतीवती को धन्यवाद देता है.
अब तक असलम रतीवती मिल कर रामनिवास को कमरे मे ला के बिस्तर पे पटक चुके थे...
रतीवती सीधी खड़ी हो जाती है उसकी साड़ी स्तन से पूरी हट चुकी थी,बस उसके बाल ही बमुश्किल स्तन ढके हुए थे. नीचे सपाट पेट, गहरी नाभि, माथे पे बिंदी
गजब कि काया पाई है रतीवती ने
आह्हः.... कितनी खूबसूरत है रतीवती असलम बहुत कुछ कहना चाहते थे.
परन्तु कामवती रसोई से आवाज़ लगा देती है, माँ खाना बन गया है आ जाओ, ओर असलम काका को भी बोल दो.
असलम कि तंद्रा टूटती है, वो बाहर को जाने लगता है
रतीवती :- धन्यवाद असलम ज़ी आपकी वजह से है सब हो पाया
असलम समझ नहीं पाता कि किस बात का धन्यवाद
आंखे बड़ी किये प्रश्नभरी निगाहो से रतीवती कि तरफ देखता है.
रतीवती :- आज रात इंतज़ार रहेगा आपका ओर मुस्कुरा देती है...
Mast update Bhaiअपडेट -13 contd...
रात हो चुकी थी, अंधेरा गहराने लगा था आसमान मे काले बादल छाने लगे थे.
मौसम पूरी तरह रूहानी बन चूका है गांव कि बरसाती रात ऐसी ही होती है. कामवती दिन भर कि तैयारी से थक हार कर कबका सो चुकी थी.
लेकिन इस घर मे दो लोग जगे हुए थे जो आग मे जल रहे थे काम कि आग मे
असलम अपने कमरे मे नंगा लेटा अपना लंड मसल रहा था ओर उसके जीवन मे आये बदलाव के बारे मे सोच रहा था कहाँ तो चुत नसीब नहीं थी लेकिन जब मिली तो ऐसी मिली कि इतने वर्षो कि कमी पूरी होने लगी.... वो निर्णय ले लेता है कि खुदा के इस फैसले का स्वागत करेगा ओर जम के सम्भोग आनंद उठाएगा.
असलम :- ये सब रतीवती ज़ी के कारण ही संभव हो पाया है उसे धन्यवाद देना ही चाहिए ऐसा सोच के वो कमरे से बाहर निकल रतीवती के कमरे कि ओर चल पड़ता है
रतीवती के कमरे मे रतीवती पूर्णतया नंगी कांच के सामने बैठी अपने हुस्न को निहार रही थी.चूड़ी पहने, माथे पे बिंदी खूबसूरत लग रही थी.
जब से उसने असलम का लंड चूसा है उनके वीर्य का स्वाद चखा है तबसे उत्तेजना शांत होने का नाम ही नहीं लेती थी, हमेशा चुत मे आग लगी रहती थी अभी भी कांच के सामने नंगी बैठी अपनी चुत मसल रही थी
उसे असलम का इंतज़ार था... लेकिन सब्र नहीं था.
उसे एक विचार आता है, वो कमरे मे कुछ ढूंढने लगती है, थोड़ी सी मेहनत के बाद ही उसे शराब से भरी बॉटल मिल जाती है,
वो बोत्तल पकड़ी रामनिवास के बगल मे लेट के टांग फैला लेती है... रामनिवास नशे मे बेसुध फैला पड़ा था.
रतीवती शराब कि बोत्तल उठा के अपनी फैली टांगो के बीच चुत मे पेल देती है, शराब गटा गट चुत मे सामने लगती है ना जाने कितनी गहरी चुत थी रतीवती कि, पूरी बोत्तल कि शराब चुत मे समा जाती है, शराब कि गर्मी से रतीवती चितकार उठती है, आअह्ह्ह....... असलम जल्दी आओ.
ऐसा बोल के रतीवती पास मे लेटे रामनिवास के खुले मुँह पे बैठ जाती है.
रामनिवास नशे मे बेसुध मुँह खोले सोया पड़ा था उसके मुँह पे जैसे ही दबाव बनता है वो अपना मुँह ऊपर नीचे करता है,ऊपर बैठी रतीवती अपने स्तन मसलती हुई अपनी चुत थोड़ी सी खोलती है जिस से शराब चुत से रिसती हुई रामनिवास के मुँह मे जाने लगती है.. रतीवती हद से ज्यादा गरम थी वो असलम के आने का इंतज़ार भी नहीं कर पाई थी.
रामनिवास पक्का शराबी था... अब शराबी को ओर क्या चाहिए शराब ही ना... उठते सोते सिर्फ शराब.
रामनिवास के मुँह मे दारू जाने लगती है तभी रतीवती अपनी चुत जोर लगा के बंद कर लेती है दारू रुक जाती है...
रामनिवास बेचैन हो जाता है वो जीभ निकाल निकाल के शराब ढूंढने लगता है आंख बंद किये बेसुध.
रामनिवास कि लपलापती जीभ रतीवती कि चुत पे चल रही थी, जिस वजह से रतीवती का मजा बढ़ता ही जा रहा था,उत्तेजना चरम पे पहुंच रही थी.... वो अपने स्तन को रगड़े मसले जा रही थी. वो जोर जोर से अपनी गांड रामनिवास के मुँह पे रगड़ रही थी कभी कभी चुत थोड़ी सी खोल के शराब गिरा देती, रामनिवास लालच मे आ के ओर जोर से जीभ लप लपाता... क्या खेल था वाह..
चुत से ले के गांड के छेद तक रतीवती चाटवाये जा रही थी.
तभी कमरे का दरवाजा धीरे से खुलता है, रतीवती कम्मोउत्तेजना मे पीछे मुड़ के देखती है असलम बिल्कुल नंगा दरवाजे पे खड़ा था सिर्फ मुसलमानी टोपी पहने, 9 इंच का लंड बिल्कुल तना हुआ झूल रहा था
हो भी क्यों ना जब भी असलम रतीवती से मिलता कुछ ऐसी ही स्थति मे मिलता वो बहुत सी बाते करना चाहता था लेकिन रतीवती का नंगा कामुक बदन बातो कि इजाजत कहाँ देता था वो सिर्फ सम्भोग चाहता था ओर शायद अब असलम भी यही चाहता था बिना बोले..
रतीवती असलम को देखते ही ख़ुश हो जाती है ओर दुगने जोश से गांड रामनिवास के मुँह पे घिसने लगती है जैसे घिस घिस के जिन्न ही निकाल देगी
असलम तो ये दृश्य देख के ही सन्न रह जाता है, वो जब भी सोचता कि बस एक औरत इतना ही कर सकती है तभी रतीवती उसका भ्रम तोड़ देती, बता देती कि स्त्री कि कामुकता का कोई अंत नहीं होता बरखुरदार.
आज असलम ये बात अच्छे से जान गया था.
रतीवती अपनी एक ऊँगली से असलम को अन्दर आने का इशारा करती है फिर वही ऊँगली अपनी गांड को पीछे सरका के गांड के छेद ने डाल देती है.
असलम इस रंडीपने इस कामुकता से हैरान था कि ऐसा भी होता है.... उसका लंड फटने लगा था.
वो तुरंत दरवाजा बंद कर रतीवती के बिस्तर पे चढ़ जाता है ओर अपना लंड पकड़े सीधा रतीवती कि उभरी गांड मे पेल देता है.
आआहहहहह..... असलम मार डाला.
ऐसा नहीं था कि रतीवती पहली बार गांड मे ले रही थी शादी के पहले ही वो अपनी गांड खुलवा चुकी थी गांव के लड़को से.
शादी के बाद गांड चुदाई का सुख आज मिलने वाला था
गांड मे लंड जड़ तक घुसने से चुत से शराब छलक पड़ती है, नीचे रामनिवास लेटा नशे मे लपा लप शराब पिए जा रहा था.
असलम के लिए ये गांड चुदाई का पहला मौका था वो सुबह ही रतीवती कि रसीली चुत पेल चूका था, लेकिन गांड का मजा दुगना था उसे समझते देर ना लगी.
अब हालत ये थे कि असलम पीछे से रतीवती के स्तन पकडे धका धक लंड गांड मे पेले जा रहा था, नीचे रामनिवास नशे मे चुत से शराब निकाल निकाल के पिए जा रहा था..
. रतीवती तो कामवासना से मजे मे पागल थी उसके जिंदगी मे ऐसी चुदाई कि बाहर कभी नहीं आई थी, अपने नामर्द पति के सामने चुदावाने का मजा ही अलग था.
पीछे असलम जानवर बन चूका था, वो भूल गया था कि रामनिवास नीचे लेटा हुआ है. स्तन पकड़े रतीवती के होंठो को अपने होंठ मे कैद किया चूसे जा रहा था गजब का स्वाद था रतीवती के लबों मे प्यास बुझा रहा था बरसो कि काम कि प्यास
वो तो स्तन का मर्दन किये गांड फाडे जा रहा था.... बरसाती रात मे रतीवती कि चीतकार सिसकारिया खोती जा रही थी... असलम जगह जगह काटे जा रहा था
रतीवती तो थी ही काम से भरी कामुक औरत उसे तो इस मे भी मजा था.
रतीवती आज अपने आपे मे नहीं थी... यहाँ बरसो कि प्यास बुझाई जा रही थी जो सुबह तक चली.
गांड मे सटा सट लंड जा रहा था, मोटा काला भयानक लंड... रतीवती कि बरसो कि प्यास बुझ रही थी गांड रुपी सुखी नदी मे बाढ़ आ गई थी लंड कि बाढ़
रात भर चुत गांड फाड़वाती रही रतीवती खुल के धन्यवाद बोल देना चाहती थी असलम को.
चुत से पूरी शराब निकल के रामनिवास के हलक मे उतर चुकी थी ओर असलम का वीर्य रतीवती के हलक, गांड, चुत मे चला गया था कितना गया पता नहीं.
सभी छेद लबा लब भर गए थे. दोनों छेद खुल के दोगुने चोड़े हो गये थे.
सुबह हो चुकी थी.... असलम कब का जा चूका था रतीवती नहा धो के तैयार हो गई थी.... रामनिवास ने रात भर दारू पी थी तो अभी तक सोया पड़ा था.
आज असलम का अंतिम दिन था
खूब खरीदारी हुई, सारे इंतेज़ाम कर चूका था, कोई कमी नहीं रह गई थी.... परन्तु आज अंतिम दिन मे रतीवती ओर असलम को कोई मौका नहीं मिल पाया सम्भोग का जिस वजह से रतीवती थोड़ी उखड़ी हुई थी... उसके बाद असलम अपने गांव विष रूप लौट गये.
आज मंगलवार था
ठाकुर कि शादी का दिन, जिस दिन का सभी को इंतज़ार था.
ठाकुर :- अरे हरामखोरो कमीनो कहाँ मर गये सालो सब....जल्दी चलो आज ही वापस आना है वरना विदाई नहीं हो पायेगी... फिर मुहर्त नहीं है
ठाकुर बड़बड़ये जा रहा था.
भूरी :- चिंता मत कीजिये ठाकुर साहेब सब तैयारी हो गई है,उन तीनो ने सब सामान लाद दिया है घोड़ा गाड़ी मे. आप कामवती को ब्याह के लाये बाकि तैयारी मै देख लुंगी.
कालू बिल्लू रामु तीनो ही तैयारी मे व्यस्थ थे, एक पल का चैन नहीं था....शादी मे सब लोग इतना बिजी रहे कि वापस भूरी को पाने का मौका ही नहीं मिला था किसी को भी.
कालू :-चलो भाइयों नई ठकुराइन लेने, वो आएगी तो ठाकुर साहेब थोड़ा व्यस्त हो जायेंगे ओर हमें भी कुछ मौका मिल जायेगा भूरी काकी कि लेने का हाहाहा....
तीनो हस पड़ते है
पीछे से हरामखोरों यहाँ हस रहे हो चलना नहीं है.
ठाकुर साहेब कि रोबदार आवाज़ से तीनो को सिट्टी पिट्टी गुम हो जाती है लेकिन शुक्र है कि काकी वाली बात नहीं सुन पाए ठाकुर साहेब
रामु :- ज़ी मालिक सब तैयारी ही गई है आप आदेश दे निकाल जाते है.
ठाकुर :- बस डॉ. असलम आ जाये निकलते ही है..
डॉ. असलम ओर बाकि मेहमान कुछ गांव वाले सब आ जाते है...
इन सब के बीच चुपके से कोई रेंगता हुआ सामान लदी घोड़ा गाड़ी मे चढ़ चूका था, " आखिर वो घड़ी आ ही गई, मै भी तो देखु कौन सी कामवती है ये "
बारात निकल चली थी,खूब गाजे बाजे के साथ ठाकुर कि बरात निकल चली थी...
चैप्टर -1 ठाकुर कि शादी
समाप्त
चैप्टर -2 नागवंश और घुड़वंश कि दुश्मनी
आरम्भ...
बने रहिये कथा जारी है...
Nice update Bhaiचैप्टर -2, नागवंश और घुड़वंश कि दुश्मनी अपडेट -14
विषरूप से ठाकुर कि बारात धूम धाम से निकल रही रही.
कामगंज अभी दूर था.. दरोगा वीर प्रताप रास्ते मे निगरानी के लिए ग्रामीण वेश मे बारात मे शामिल हो चुके थे.
इधर रंगा बिल्ला का प्लान भी तैयार था, बिल्ला अपने कुछ आदमियों क साथ जंगल मे छुपे बैठे थे लाठी डंडोऔर विस्फोटक हथियारों से लेस थे,
रंगा ठाकुर कि बारात मे शामिल हो गया था, सामान उठाये मजदूरों कि टोली मे घुस चूका था..
देखना तो कौन कामयाब होता है?
वीरप्रताप या रंगा बिल्ला....
रामनिवास के घर चोर मंगूस सुबह से ही साज सज्जा वाले मजदूर का वेश बनाये अपनी नजरें बनाये हुए था.
सुबह से ही मेहमानों का आना जारी था,कामवती कि सखियाँ उसे तैयार कर रही थी, कोई छेड़ रहा था, गहनो के अम्बार लगे थे...
चोर मंगूस कामवती के कमरे मे दाखिल होता है..
मंगूस :- दीदी बाउजी ने कमरा सजाने के लिए बोला था, इज़ाज़त हो तो काम करू..
सहेलियां चौंक जाती है.
एक सहेली :- क्या भैया अभी दुल्हन तैयार हो रही है बाद मे आना, हम खुद बुला लेंगी आपको.
चोर मंगूस दिखने मे था ही इतना मासूम कि उसपे कोई गुस्सा ही नहीं कर पाता था
जाते जाते मंगूस कि नजर कामवती के जेवरो पे पड़ती है
वाह वाह ठाकुर ने बहुत माल दिया लगता है रामनिवास को, खूब गहने लिए है कामवती के लिए.
बला कि सुन्दर स्त्री है कामवती ठाकुर तेरे तो मजे है...
मंगूस वापस काम मे लग जाता है, याका यक उसके मन मे विचार आता है यदि अभी मैंने ये गहने चुरा लिए तो बेचारी कि शादी नहीं हो पायेगी? बढ़ा बुरा होगा
मै बुरा इंसान नहीं हूँ... मै ऐसा नहीं कर सकता.
लेकिन हूँ तो मै चोर ही.... शादी के बाद चुरा लूंगा.
हाहाहाहाबा.......
मन ही मन हसता वो घर के पीछे मूतने चल देता है... वो धोती उतार के मूत ही रहा था कि उसे अपने पीछे कुछ खन खानने कि आवाज़ आती है. वो चौक के देखता है तो उसे एक खुली खिड़की दिखती है..
कोतुहल वस वो खिड़की से अंदर झाँकता है..... अरे दादा... उसके तो होश ही उड़ जाते है.
रतीवती अंदर अपने कमरे मे पूर्णत्या नंगी सिर्फ सोने के गहने पहने आदम कद शीशे के सामने खुद को निहार रही थी, गोल सुडोल स्तन के बीच झूलता हार माथे का मांगटिका,रतीवती साक्षात् काम देवी लग रही थी.
चोर मंगूस ऐसी खूबसूरती, ऐसा यौवन, ऐसी काया देख के हैरान था, रतीवती कि मादकता से लबरेज बदन ने उसके पैरो मे किले ठोंक दिए थे वो अपनी जगह से हिल भी नहीं पा रहा था वो एकटक उस बला कि सुन्दर स्त्री को देखे जा रहा था.
क्या बदन था माथे पे बिंदी, गले मे हार, कमर मे चमकती हुई कमर बंद, हाथो मे चुडिया....
कमरबंद नाभि के नीचे बँधी हुई खूबसूरती पे चार चाँद लगा रही थी,
उसके नीचे पतली सी चुत रुपी लकीर, जो कि रतीवती कि कामुकता और यौवन का परिचय दे रही थी
ऐसा चोरी का माल तो उसने कभी देखा ही नहीं था ये तो चुराना ही है चाहे जो हो जाये... जो उसे चाहिए था वो दोनों ही चीज रतीवती के पास थी.
सोना भी और सोने जैसा बदन भी...
अंदर रतीवती इन सभी बातो से बेखबर खुद को निहार रही रही, या यु कहे वो आत्ममुग्ध थी.
अपना नंगा बदन देख उसे असलम कि याद सताने लगती है आखिर इतने दिन बाद वो फिर से असलम को देखने वाली थी वही डॉ. असलम जिसे उसके यौवन और बदन कि कद्र है, जिसने उसकी कामुकता का सही मूल्य पहचाना....
रतीवती को ये सब बाते याद आते ही स्वतः ही अपनी चुत पे हाथ चला देती है.... इतने मे ही चुत छल छला जाती है रसजमीन पे टपक पड़ता है.... तापप्पाकककक.... कि शब्दहीन आवाज़ थी लेकिन ये आवाज़ चोर मंगूस कि कानो मे घंटे कि तरह सुनाई दे..
मंगूस :- हे भगवान... क्या स्त्री है ऐसी कामुकता
मेरी जिंदगी कि शानदार चोरी होंगी, भले जान जाये
इतने मे कामवती के दरवाजे पे आहट होती है.
अरी भाग्यवान कब तक तैयार होंगी, बारात आती ही होंगी.. रामनिवास था.
रतीवती :- बस आई कम्मो के बापू
उसे कुछ सरसराहत कि आवाज़ आती है वो पीछे मुड़ के देखती है, कोई नहीं था...
चोर मंगूस छालावे कि तरह गायब हो चूका था.
कामगंज से 30Km दूर एक गांव स्थित था
गांव घुड़पुर
यहाँ रहते हे ठाकुर भानुप्रताप
वो गुस्से मे अपनी आलीशान हवेली कि बैठक मे इधर उधर टहल रहे थे भून भुना रहे थे.
भानुप्रताप :- मै कैसा बाप हूँ, वो हरामी ज़ालिम सिंह मेरी बेटी का घर उजाड़ के दूसरी शादी करने चला है.
और मै कुछ कर भी नहीं सकता...
पास बैठी उनकी बेटी उन्हें ढानढस बँधाती है,
बेटी :-आप चिंता ना करे पिताजी ज़ालिम सिंह से पाई पाई का हिसाब लिया जायेगा, उसकी तो 7 पीढ़ियों को खून क आँसू रोने होंगे.
भानुप्रताप :- पर कैसे? कैसे होगा रूपवती ये सब?
क्या सोचा है तुमने?
ज़ी हाँ ये रूपवती कि ही हवेली है, भानु प्रताप उनके पिता है जो कि बूढ़े हो चुके है, चुप चाप अपनी बेटी का घर उजड़ते देख रहे है तो काफ़ी उदास और परेशान है.
बाप बेटी के बीच होती बात हवेली कि बैठक कि दिवार से लगे किसी के कान तक पहुंच रही थी.
परन्तु जैसे ही कामवती का जिक्र आया उसके कान खड़े हो गये... " ये कामवती..? किस कामवती कि बात कर रहे है? कही वही कामवती तो नहीं जिसकी मुझे हज़ारो सालो से तलाश है "
" देखना होगा, आज रात ही गांव कामगंज जाना होगा, ठाकुर कि शादी मे "
भानुप्रताप :- और ये हमारा लाडला कहाँ मर गया है? कहाँ है वो आजकल?
रूपवती :- पिताजी आप तो जानते ही है हमारा छोटाभाई विचित्र सिंह हाथ से निकल गया है रात रात भर गायब ही रहता है, सुबह ही आता है.
मुझे तो लगता है कि किसी गलत संगत का शिकार हो गया है हमारा भाई ...
भानुप्रताप :- क्या करे विचित्र सिंह का?
बड़बड़ता हुआ अपने कमरे कि और निकल जाता है.
रूपवती अपने छोटे भाई के बारे मे सोचने लगती है...
ठाकुर विचित्र सिंह
जैसा नाम वैसा काम
उम्र 21 साल, बिल्कुल मासूम गोरा चेहरा
जब 10 साल के थे तो गांव मे नौटंकी आई थी, अभिनय के ऐसे दीवाने हुए, ऐसे प्रभावित हुए कि नौटंकी कि टोली क साथ ही हो लिए 10 साल तक गांव गांव शहर शहर घूम घूम के खूब अभिनय किया, खूब चेहरे बदले..
अचानक घर कि याद आई तो वापस आ गये... इस बीच रूपवती कि शादी ज़ालिम सिंह से हो चुकी थी, पिताजी अकेले थे तो हवेली मे रहने का ही फैसला किया.
विचित्र सिंह अभिनय, रूप बदलने, आवाज़ बदलने मे खूब माहिर अभिनयकर्ता है..... इनको बचपन मे चोरी कि आदत थी अब पता नहीं सुधरे कि नहीं..
वक़्त ही जाने
वैसे है कहाँ विचित्र सिंह आज सुबह से ही गायब है...
रूपवती :- ये लड़का भी अजीब है कब आता है कब जाता है पता ही नहीं चलता
वो भी अपने कमरे मे बिस्तर पे जा गिरती है.... आज आँखों मे नींद नहीं थी, बल्कि यु कहिये रूपवती जब से तांत्रिक उलजुलूल से मिल के लोटी है उसकी आँखों से नींद कोषहो दूर थी, जब से वीर्य रुपी आशीर्वाद ग्रहण किया है रूपवती के बदन मे कामुकता का संचार हो गया है, वो जब से लोटी है तब से हमेशा हर वक़्त उत्तेजित रहती है.. चुत से मादक रस टपकता ही रहता है,उसे अब लंड चाहिए था, बड़ा लंड तांत्रिक उलजुलूल जैसा जो उसकी बरसो कि प्यास, हवस बुझा सके....
रूपवती कमरे मे काम अग्नि और बदले कि भावना से जल रही थी...
इधर हवेली से निकल के तूफान कि गति से टपा टप... टपा टप.... रूपवती का वफादार घोड़ा "वीरा " गांव कामगंज कि और दौड़ा जा रहा था....ऐसी गति से कोई साधारण घोड़ा तो नहीं दौड़ सकता....?
तो कौन है ये वीरा?
क्या कहानी है इसकी?
और क्या विचित्र सिंह और चोर मंगूस का कोई रिश्ता है?
सवाल बहुत है...
जवाब के लिए बने रहिये.. कथा जारी है
आपका दोस्त andy pndy
Mamme jaise mere baap ke tatte hay sale keये कहानी है पुराने भारत की, वो भारत जो गांव मे बसता था.. जब रियासत ठकुराइ चला करती थी. हालांकि भारत आज़ाद हो चूका था फिर भी ठाकुर जमींदारों का दबदबा बराबर बना हुआ था.
उत्तरप्रदेश का एक बड़ा सा गांव "विषरूप"
कहते है कभी यहाँ इच्छाधारी नागो कि बस्ती थी.
अब ये बात सच है या झूठ ये तो वक़्त ही बताएगा.
अब यहाँ ठाकुर ज़ालिम सिंह का दबदबा है.
गांव शुरुआत मे ही एक हवेलीनुमा बिल्डिंग है जो कि ठाकुर ज़ालिम सिंह का रिहाईशि इलाका है.
है तो हवेली ही लेकिन भव्यता का अहसास समय के साथ
खो गया.
आते है कहानी पर
सन 1952
पात्र परिचय
1. ठाकुर ज़ालिम सिंह
बड़ी बड़ी मुछे, रौबदार चेहरा, उम्र 46
Hight 6फ़ीट
लेकिन किस्मत कि मार देखो लुल्ली सिर्फ 3इंच कि.
परन्तु ये इसे अपनी कमी नहीं मानते उल्टा घमंड मे रहते है.
2. डॉ असलम खान
ठाकुर साहेब के दोस्त सलाहकार मित्र सब यही है.
Hight 5फीट, दिखने मे चौमू
सूरत से काले, इस वजह से कभी इनकी शादी ही नहीं हो पाई.
लेकिन प्रकृति ने लंड तूफानी दिया है पुरे 9 इंच का मोटा जैसे कोई छोटी लोकि लगा के घूमते हो.
परन्तु सब बेकार कोई औरत लड़की इनके पास फटकती भी नहीं है.
हाय रे किस्मत
3. इच्छाधारी नाग नागेंद्र
ये हवेली के नीचे ही रहता है या यु कहिये कि इसके घर
के ऊपर ही हवेली बनी है
कहानी मे इसकी डिटेल मिलेगी रहस्यमय प्राणी है ये
कहानी का.
.4. ठकुराइन रूपवाती
उम्र 35 साल, ठाकुर साहेब कि पहली पत्नी
नाम रूपवती लेकिन असल मे मोटी काली कलूटी
साइज 40-34-42
चलती है तो गांड धचक धचक के हिलती है
ठाकुर साहेब रंग और मोटापे कि वजह से रूपवती
को छोड़ चुके है
4. ठकुराइन कामवती
उम्र 21साल,नाम कामवती लेकिन काम क्रीड़ा से बिल्कुल अनजान.
साइज बिल्कुल जानलेवा 34-28-34
लेकिन इसे क्या पता कि कितनी जानलेवा है, कभी खुद को
अच्छे से देखा ही नहीं.
सब किस्मत के मारे किसी को कुछ दिया तो उसका उपयोग छीन लिया.
क्या खेल है नियति का.
क्या ये नियति बदलेंगी? क्या क्या खेल दिखाएगी?
पता करेंगे इस कालजायी सफर मे
और भी चरित्र है कहानी के जो समय के साथ प्रस्तुत होंगे
अपडेट के लिए बस थोड़ा इंतज़ार
चैप्टर-1,ठाकुर कि शादी
समय 9:0am, दिन सोमवार, ठाकुर कि हवेली
डॉ असलम- ठाकुर साहेब अब आपको शादी कर लेनी चाहिए, ठकुराइन रूपवती को गये साल भर होने को आया.
ठाकुर :- अरे रे ये किसका नाम ले लिया, उस काली कलूटी का नाम लेना जरुरी था? उसका
नाम सुन के ही घिन आती है मुझे, साली एक बच्चा तक ना दे सकी मुझे.
असलम जनता था कि कमी ठाकुर साहेब मे ही है लेकिन वो मानने को तैयार नहीं थे,
जबकि असलियत ही यही थी कि ठाकुर साहेब का 3इंच का लंड कभी ठकुराइन रूपवती कि योनि को भेद ही नहीं पाया.
तो बच्चा क्या खाक होता.
लेकिन ठहरे ठाकुर जमींदार ऐसे कैसे खुद को कमजोर मान ले.
ठाकुर:- अच्छा असलम तुम बता रहे थे कि कोई लड़की देखि है पास के गांव मे?
डॉ असलम :- हाँ ठाकुर साहेब पास के ही गांव "कामगंज" मे ही रामनिवास किसान है उसकी ही
एकलौती बेटी है कामवती, बहुत सुन्दर है आप देखेंगे तो मना नहीं कर पाएंगे शादी को.
ठाकुर :- अच्छा ऐसी बात है, अपने लंड को मसलते हुए कुछ सोचने लगे मुझे अपना वंश बढ़ाने के लिए ही शादी करनी है
अब ठाकुर साहेब को कौन बताये भले कितनी ही शादी कर लो वंश नहीं बढ़ने का.
खेर निश्चय हुआ कि अगले मंगलवार को अच्छा मुहर्त देख के लड़की देखने चला जाये
संदेशा भिजवा दिया जाये रामनिवास किसान के घर
गांव कामगंज
रामनिवास का घर
दिन बुधवार
तीन सदस्य ही रहते है घर मे,
1.रामनिवास
उम्र 50 साल
एक गरीब किसान है, शराब का आदि लंड अब खड़ा भी नहीं होता
इसने जीवन मे सिर्फ एक ही अच्छा काम किया है कि कामवती को पैदा किया
2. रतिवती
उम्र 45साल
ये है रामनिवास कि पत्नी और कामवती कि माँ
दिखने मे एकदम गोरी,बिल्कुल सुडोल वक्ष स्थल गोलाकार गांड
गांव मे बहुत लोग दीवाने है इनके.
स्वभाव से चंचल प्रकृति कि है
साइज 36-30-40
कामवती को ये रूप अपनी माँ से ही मिला.
रतिवती का सपना था खूब पैसे वाले से शादी हो, खूब चुदाई हो
लेकिन हाय रे किस्मत कुछ ना मिला जवानी ऐसे ही धूल खाते निकल रही है
घोड़े पे बैठा एक संदेश वाहक एक कच्चे पक्के मकान कि तरफ बढ़ा जा
रहा था.
घर के मुख्य द्वार पे पहुंच के आवाज़ लगाई
राम निवास अरे राम निवास
अंदर से बड़बड़ाती हुई रतिवती बाहर आई "ये आदमी दिन मे भी शराब पी के पडा रहता है घर बार कि कोई चिंता ही नहीं है.
दरवाजा खोलते हुए "हाँ भैया क्या काम है बताइये?"
संदेश वाहक - आपके लिए ठाकुर ज़ालिम सिंह का संदेशा आया है.
इतना सुनते ही रतिवती थर थर कापने लगी, क्युकी ठाकुर ज़ालिम सिंह कि आस पास के गांव मे बहुत धाक थी
ठाकुर के आदमियों ने ऐसी दहशत बना रखी थी कि सभी को लगता था ठाकुर ज़ालिम सिंह वाकई कुर्र किस्म का इंसान है.
रतिवती भागती हुई, बदहास अंदर आई अरे उठ जा कामवती के बापू, उठ जा क्या कर आया तू? ठाकुर साहेब का संदेशा आया है..
उठ हरामी मरवा दिया तेरी शराब ने आज हम सबको, हे भगवान बचा ले हमें
रामनिवास:- अरी क्यों मरी जा रही है? क्या हुआ? भूकंप आ गया क्या?
रतिवती :- हरामखोर होश मे आ ठाकुर साहेब के यहाँ से संदेशा आया है, देखो क्या लिखा है
इतना सुनते है रामनिवास का सारा नशा काफूर हो गया हाथ कापने लगे, जल्दी से पलंग से उठ बैठा
और संदेश रतिवती के हाथ से छीन के पढ़ने लगा.
जैसे जैसे पढ़ता गया वैसे वैसे हवा मे उड़ने लगा, बांन्छे खिलने लगी.
मारे खुशी के जोर जोर से हॅसने लगा
हाहाहाहाहाहाहाहाहा हाहाहाह्हहा
मजा आ गया..
मजा आ गया
रतिवती अपने पति को इस तरह देख के अचंभित होती है कि इन्हे क्या हो गया है
कभी शराब पी के ऐसी हरकत तो नहीं कि
रतिवती :- अरे क्या हुआ कामवती के बापू ये पागल जैसे क्यों हस रहे हो? ऐसा क्या लिखा है?
रामनिवास :- अरी कामवती कि अम्मा सुनोगी तो तुम भी पागल हो जाओगी.
रतिवती :- ऐसा क्या लिखा है?.
रामनिवास :- ठाकुर साहेब अपनी कम्मो से शादी करना चाहते है, हमारी तो किस्मत खुल गई कम्मो कि अम्मा.
ऐस सुन के रतिवती खुशी से झूम उठी
वाह वाह हमारी किस्मत ऐसा रंग लाएगी ऐसा सोचा नहीं था कभी.
रामनिवास :- ठाकुर साहेब लिखते है कि वो अगले मंगलवार को हमारे घर आएंगे कम्मो (कामवती) को देखने.
रतिवती :- हे भगवान आपका लाख लाख धन्यवाद अपने हमारी कम्मो कि किस्मत मे ये सुख लिखा.
परन्तु ये खबर... सिर्फ रामनिवास तक ही नहीं दो और लोगो तक पहुंच चुकी थी
डाकू रंगा बिल्ला... जो कि आस पास के गांव के खूंखार डाकू थे
इनका काम ही था आस पास केगांव मे शादी ब्याह उत्सव पे नजर रखना ताकि शादी के वक़्त लूट पाट मचा सके
अब ये रंगा बिल्ला कौन है?क्या शादी रोक देंगे ठाकुर कि
या हो के ही रहेगी ठाकुर ज़ालिम सिंह कि शादी?
कहानी जारी है