अपडेट -66
हवस का परचम तो ठाकुर की हवेली मे भी फैला हुआ था
रतिवती अपनी टांगे फैलाये बिल्लू,कालू,रामु को आमंत्रण दे रही थी की आओ और जीतना रस पी सकते हो पियो.
तीनो के लंड रतिवती की चुत से निकले पेशाब मिली दारू पी के तन टना गए थे,लंड ऐसा नजारा देख के फटने को आतुर थे.
रतिवती अपनी साड़ी को कमर तक उठा चुकी थी रस टपकाती चुत,चिकनी बाल रहित मुँह बाये तीनो का इंतज़ार कर रही रही.
तीनो का सब्र करना मुश्किल था बिल्लू सीधा घुटनो के बल बैठ मुँह रतिवती की जांघो के बीच घुसा देता है रतिवती इस हमले से दोहरी हो जाती है पीछे बिस्तर पे कोहनी टिका के सर पीछे कर लेती है.
आअह्ह्हह्ह्ह्ह.....उम्म्म्म....बिल्लू
बिल्लू जीभ निकाले चुत से टपकते रस को पी रहा था कुरेद रहा था,
इस मादक छत्ते से शहद निकलना बिल्लु के अकेले के बस की बात नहीं थी, रामु और कालू भी सब्र छोड़ टूट पड़ते है.
कालू रामु रतिवती को एक एक जाँघ को चाटने लगते है.
रतिवती को ऐसा सुख ऐसा आनन्द कभी नहीं मिला था हालांकि उसने खूब चुत चाटवाई थी परन्तु आज तीन तीन तगड़े मर्द उसकी चुत चाटने की कोशिश मे थे.
बिल्लू लगातार अपनी खुर्दरी जबान से चुत के महीन रास्ते के अंदर प्रहार कर रहा था.
वही कालू रामु उसकी जाँघ को चाट चाट के गिला कर चुके थे.
रतिवती उत्तेजना के मारे कभी सर उठा के तीनो को देखती तो कभी सर पीछे पटक लेती.
बिल्लू तो सुख भोग रहा था,परन्तु कालू रामु अछूते थे उनसे रहा नहीं जा रहा था ऊपर से बिल्ला हटने नाम ही नहीं ले रहा था.
तभी रामु गुस्से मे आ के रतिवती को पकड़ के आगे की और धक्का दे देता है.
रतिवती पलंग से आगे को गिरती हुई सीधा फर्श पे पेट के बल गिर पड़ती है उसके साथ ही बिल्लू भी पीछे को पलट जाता है,
परन्तु वो इस कदर दीवाना था ऐसा मगन था चुत चाटने मे की अभी तक मुँह नहीं हटाया था.
उसका सर रतिवती की चुत के नीचे था साड़ी पूरी तरह कमर तक चढ़ गई थी.
रतिवती के पेट के बल होने से उसकी उन्नत फूली हुई बड़ी गांड खुल्ले मे आ गई.
रामु कालू को खजाना मिल गया था फिर होना क्या था दोनों एक साथ गांड के एक एक हिस्से पे टूट पडे.
रतिवती इस आक्रमण से बिकाबू हो के किसी कुतिया की तरह ऊपर मुँह उठाये चीख पडी...
आअह्ह्हह्म....उम्म्म्म.....हरामियों धीरे.
कालू :- साली रांड हमें हरामी बोलती है चाटकककक.... चाटककक...दो थप्पड़ उसकी गांड पे पड़ते है.
थप्पड़ पड़ते ही गोरी गांड लाल पड़ गई.गांड के दोनों हिस्से आपस मे कदम ताल करने लगे.
कभी गांड एक दूसरे से दूर होती तो कभी आपस मे चिपक जाती.
इस बढ़ चालू के खेल मे गांड का कामुक छिद्र कभी दिखता कभी छुपता.
ये लुका छुपी दोनों को आनंदित कर दे रही रही थी.
कालू से रहा नहीं गया वो अपनी नाक गांड के छेद मे घुसा देता है और शनिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....जोर दार सांस खींचता हुआ मुँह उठता है.
आअह्ह्ह....रामु क्या महक है....नीचे बिल्लू को कोई मतलब नहीं था की ऊपर क्या ही रहा है वो लगातार चुत रुपी कुए खोदे जा रहा था.
इस बार रामु भी रतिवती की गांड के दोनों पहाड़ो के बिछे सर घुसा देता है.....
आआहहहह.....कालू सच कहाँ तूने कमाल की औरत है ये.
इसी के साथ रामु अपना मुँह खोले एक बार मे ही गुदा छिद्र को मुँह मे भर छुबलाने लगता है.
रतिवती तो पागल हुए जा रही उसके आनंद की कोई सीमा ही नहीं थी.
आअह्ह्हममममममम......उम्म्म्म... चाटो खाओ घुस जाओ अंदर, फाड़ो इसे और अंदर से चाटो.
रतिवती अतिउन्माद मे ना जाने क्या क्या बड़बड़ाए जा रही थी.
रामु जब गांड से मुँह हटाता है दो देखता है की गांड का छेद गोलाई मे बाहर को आ गया है.
अब कालू भी उस छेद को अपने होंठो मे कैद कर लेता है.और जबरजस्त तरीके से अंदर ही अंदर जबान चलाने लगता है.
रतिवती की चुत ये हमला सहन ना कर सकी उसका बदन जलने लगा, शरीर कंपने लगा.
आअह्ह्ह......बिल्लू....कालू....रामु...पियो
रतिवती फट से उठ बैठी,टांगे पूरी खुली हुई थी, आअह्ह्ह...
मै गई..इतना बोलते है उसकी चुत ने फववारा छोड़ दिया फच फचम्..की आवाज़ के आठ तेज़ धार मे चुत का रस निकलने लगा पहली कुछ धार सीधा सामने बैठे तीनो के मुँह पे पड़ती..बाकि नीचे जमीन पे गिरने लगी.
इस से भी रतिवती की गर्मी शांत ना हुई तो उसने अपना चूडियो से भरा हाथ अपनी चुत मे हथेली तक दे मारा...और जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगी..तीनो मर्द स्त्री का ये ये रूप देख के हैरान थे.
की तभी....आअह्ह्ह.....एक तेज़ धार फिर से उन तीनो के चेहरे से टकरा जाती है,लगता था जैसे रतिवती हाथ से पकड़ पकड़ के कामरस को बाहर निकाल रही है.
चाटो इसे सालो....चाटो....
ये आदेश सुनना था की तीनो जमीन पे फैले कामरस को पिने लगे,चाटने लगे अपनी लम्बी जबान निकाल निकाल के जैसे कोई कुत्ता चाट रहा हो...
तीनो कुत्ते चूतरस को चाटते चाटते झरने के मुख्य स्त्रोत तक जा पहुचे.
वापस से तीनो एक साथ चुत पे टूट पडे आअह्ह्ह........रतिवती धम..से फर्श पे बेदम गिर पडी उसका रस ख़त्म हो गया था.
वही बिल्लू कालू रामु को इस से फर्क नहीं पड़ता था,तीनो अमृत को चाटने मे लगे थे कुछ ही वक़्त पे सब तरफ फैले अमूल्य चुत शहद बिलकुल साफ हो गया था.
रतिवती की साड़ी कमर मे फांसी थी,उसकी सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी
उसके बड़े भरी स्तन उठ गिर रहे थे...ये नजारा देख तीनो का जोश और हवस आसमान मे पहुंच गई.
अब उन्हें भी अपना कामरस निकलना था.
तीनो के हाथ नीचे लेती रतिवती के स्तनों की एयर बढ़ जाते है....
हाथ तो ठाकुर ज़ालिम सिंह भी बड़ा चूका था हवस का हाथ.
रुखसाना का हाथ थामे उसे अपने करीब बिस्तर पे बैठा देता है.
रुखसाना :- ये आप क्या कर रहे है ठाकुर साहेब?
ठाकुर :- तुम्हारी खूबसूरती की कद्र कर रहा हूँ.
ऐसा बोल ठाकुर रुखसाना के चेहरे को ऊपर कर जी भर के देखता है.
लेकिन रुखसाना इतनी आसानी से कैसे फस जाती.वो ठाकुर का हाथ झटक देती है.
रुखसाना :- ये गलत है ठाकुर साहेब हमें जाने दे. वो उठ खड़ी होती है और अपनी चुन्नी लेने के बहाने झुक जाती है
जैसे ही झुकती है उसका छोटा सा लहंगा पीछे से ऊँचा हो जाता है जिस से उसकी चुत और गांड की दरार ठाकुर को दिख जाती है,यही तो चाहती थी रुखसाना..
नशे मे मदहोश ठाकुर ऐसा कामुक ललचाया नजारा देख बेकाबू हो गया उसके ईमान और लंड दोनों ने बगावत कर दी अब भले आसमान टूटे या जमीन फटे इस हुस्न को तो पाना ही है.
रुखसाना के खूबसूरती के जान मे ठाकुर बुरी तरह फंस चूका था.
आव देखा ना ताव ठाकुर उठा खड़ा होता है और झुकी हुई रुखसाना को पीछे से पकड़ के अपनी छोटी से लुल्ली को पाजामे के ऊपर से ही उसकी बड़ी गांड ने फ़साने लगता है और आगे पीछे होने लगता..
रुखसाना चौंक जाती है....और आगे को भागती है "ये मुर्ख तो अतिउत्तेजित हो गया ऐसे तो ये पजामे मे ही झड जायेगा फिर कहाँ से मिलेगा वीर्य? कुछ सोचना होगा.
ठाकुर की आंखे गुस्से और हवस मे लाल थी उसे बस कैसे भी अपनी आग बुझानी थी ठाकुर था ही नीरा बेवकूफ सम्भोग करना भी नहीं जनता था.
रुखसाना :- क्या कर रहे है ठाकुर साहेब
ठाकुर :- देखो चमेली तुम हमें पसंद आ गई ही जो कर रहा हूँ करने दो वरना वापस नहीं जा पाओगी इस हवेली से.
रुखसाना:-..मै...मैम.....ठाकुर साहेब...वो...वो.....ठीक है जैसे आप चाहे लेकिन मेरी एक शर्त है?
रुखसाना खूब डरने का नाटक कर रही थी,लेकिन वो जानती थी ये उल्लू का चरखा उसमे काबू मे है सम्भोग सुख के लिए मारा जा रहा है.
वैसे भी इस भाग दौड़ मे रुखसाना का दिल भी मचल उठा था उसे भी कामसुःख चाहिए था
ठाकुर :- बोलो चमेली क्या शर्त है तुम्हारी?
रुखसाना :- शर्त ये है की जैसा मै चाहु आप वैसे ही करेंगे मेरे साथ अपनी मर्ज़ी नहीं चलाएंगे.
ठाकुर :- इस मे क्या दिक्कत है जैसा तुम कहो, ठाकुर को तो सिर्फ अपनी लुल्ली को चमेली की चुत मे डालने से मतलब था अब जैसे चाहे वैसे जाये.
"हमें मंजूर है "