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Adultery ठाकुर ज़ालिम और इच्छाधारी नाग

आपका सबसे पसंदीदा चरित्र कौनसा है?

  • कामवती

  • रतिवती

  • रुखसाना

  • भूरी काकी

  • रूपवती

  • इस्पेक्टर काम्या

  • चोर मंगूस

  • ठाकुर ज़ालिम सिंह /जलन सिंह

  • नागेंद्र

  • वीरा

  • रंगा बिल्ला


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Garm Dudh

Bcmc Rand.DrinkMutvCum
258
348
63
चैप्टर-1 ठाकुर कि शादी, अपडेट 2
समय रात के 9बजे
स्थान काली पहाड़ी, डाकू रंगा बिल्ला का अड्डा
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Intro
रंगा बिल्ला बचपन से ही दोस्त थे, जो काम करते साथ ही करते
बचपन से ही गलत कामों मे लग गये थे, ना जाने कितना लूटा, बलात्कार, चोरी सब किया.
दोनों ही चोदने मे एक्सपर्ट थे, हो भी क्यों ना दोनों के पास ही 10इंच का भयंकर लंड था.
खास बात भी यही थी कि जिसे भी चोदते एक साथ ही चोदते.
दोनों कि hight 6.5फ़ीट, चौड़ा सीना, मजबूत भुजाये
राक्षस से कम नहीं थे बिल्कुल भी, काम से भी राक्षस और स्वभाव से भी राक्षस
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रंगा

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यार बिल्ला बहुत दिन से कोई बड़ा हाथ नहीं मारा, कब तक ऐसे ही चिल्लर से काम चालाना पड़ेगा?
बिल्ला :- हाँ यार रंगा कोई बड़ा मुर्गा मिल ही नहीं रहा साला किस्मत ही ख़राब है.
दारू भी देसी ही पीनी पड़ रही है, एक एक पैग तो बना.
रंगा ने एक गिलास मे देसी दारू डाली और दोनों चूसकने लगे और गहरी सोच मे डूब गये

तभी एक भीनी भीनी खुसबू कमरे मे फ़ैल जाती है और मधुर मीठी आवाज़ कमरे मे गूंजती है, मालिक मालिक मै खाना ले आई
और एक खबर भी है, ऐसी खबर कि आप लोग ख़ुश हो जायेंगे
रंगा बिल्ला :- आओ हमारी रखैल आओ क्या लाइ हो?
ये है रुकसाना बैगम, कामगंज गांव मे ही रहती है
कामगंज गांव के मौलवी कि विधवा बेटी,इसका पति परवेज खान बच्चा पैदा करने से पहले ही डाकुओ के हाथ मारा गया.
देखने मे एकदम गोरी, लम्बे काले बाल, गुलाबी होंठ
पूरी अप्सरा
उम्र 24साल, hight 5.5इंच
कमर 28 कि बलखाती, स्तन 34 उछाल भरते हुए, गोल गोल कोई लचीलपन नहीं
गांड 38 कि बाहर निकली हुई चलती है तो आदमियों के लंड पानी छोड़ देते है
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रुकसाना को आया देख के रंगा बिल्ला धोती के ऊपर से ही लंड सहलाने लगे, क्या खूबसूरत थी रुखसाना देखते
ही लंड खड़ा हो जाता था.

रुकसाना :-मालिक मेरे होते हुए अपने हाथो को क्यों तकलीफ देते है, ऐसा बोल के रुकसाना दोनों के बीच मे बैठ के धोती के ऊपर से ही दोनों के लंड सहलाने लगी
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"मालिक आपकी ये रंडी आपके लिए चिकन लाइ है और खबर भी"
रंगा :- क्या खबर है छिनाल?
मालिक मेरे गांव मे रहने वाले किसान रामनिवास कि लड़की कि शादी पास के गांव ठाकुर ज़ालिम सिंह से होने वाली है.
सुना है ठाकुर मंगलवार को रामनिवास के घर शादी कि तारीख फिक्स करने आएगा.
बोलते बोलते रुकसाना ने दोनों के लंड बाहर निकल लिए और खेलने लगी.
बिल्ला :- वाह क्या खबर लाइ है मेरी रांड वाह दिल ख़ुश कर दिया, आज रात भर तुझे इनाम देंगे तुझे ऐसी खबर सुनाने के लिए.
रुकसाना के चेहरे पे वासना और शर्माहाट के मिले जुले भाव थे.
उसे आज भी याद है जब वो विधवा होके अपने मायके वापस आई थी
उसकी तो दुनिया ही लूट चुकी थी.
एक दिन रंगाबिल्ला के पीछे पुलिस लगी थी और दोनों किस्मत से मौलवी साहेब के घर घुस आये थे
यही पर पहली बार रुकसाना को देखा तो देखते ही रह गये क्या जवानी थी क्या हुस्न था रुकसाना का
दोनों डाकू अपना आपा खोचुके थे, रात भर रंगा बिल्ला ने रुकसाना को जम के चोदा.
गांड चुत सब फाड़ के रख दिया
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अगले दिन जब रुखसाना उठी तो रंगा बिल्ला जा चुके थे परन्तु रुखसाना के चेहरे पे खुशी थी
उसी वो संतुष्टि मिली थी जो आज तक कभी उसके पति से भी ना मिली
दुख भरी जिंदगी मे बाहर आ चुकी थी, सावन जम चूका था
तब से ही रुखसाना रंगा बिल्ला कि सेवा मे तत्पर थी वो उन दोनों के लंड कि दीवानी थी
उसे वो दोनों लंड दिनरात अपनी चुत और गांड मे चाहिए था.
रुखसाना :-मेरे मालिकों मै तो कब से आपके इनाम कि ही राह देख रही हूँ आज जम के चोदीये मुझे
रात भर कस कस के चोदीये
रंगा :- तेरी यही अदा तो हमें दीवाना बनाती है.
रंगा बिल्ला ने अपनी धोती अपने शरीर से अलग कर दी
अब दोनों ही पूर्णतया नंगे थे
ऐसा लगता था जैसे दो काले भसण्ड राक्षसों के बीच कोई गोरी गुलामी चमड़ी कि
परी फस गई हो
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बिल्ला :- आजा मेरी जान देख कैसे ये लंड तेरे प्यार के लिए तरस रहा है.
रुखसाना तुरंत अपने घुटनो पे झुक गई और बिल्ला के लोडे को बिना हाथ लगाए ही सूंघने लगी
उसे ये खुसबू बहुत पसन्द थी, लंड कि खुसबू उसे मदहोश करती थे
रुखसाना ने धीरे से अपना सीधा हाथ बिल्ला के टट्टो पे रख लिया और सेहलाने लगी
टट्टे थे कि टेनिस बॉल, पता नहीं कितना वीर्य भरा पडा था इन टट्टो मे
रंगा :- मुँह खोल छिनाल चूस लोडे को, दारू कि चुस्की लेते लेते रंगा दोनों को देखते हुए बोल रहा था

रुखसाना भी बड़ी अदा से बिल्ला का लंड चाट रही थी जैसे कोई कुतिया हो.
अब धीरे धीरे बड़ी मादक अदा के साथ रुखसाना ने अपनी गांड रंगा कि तरफ घुमा दी और होले होले अपनी
38 कि उछलती गांड हिलाने लगी जैसे रंगा को निमंत्रण दे रही हो
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Lmba loda pura munh bhar deta hay
 
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अपडेट -65

ट्रैन दिल्ली स्टेशन छोड़ चली थी
चारो जेबकतरो की नजर काम्या पे ही थी,वो उसके हुस्न का लुत्फ़ उठा रहे थे टॉप और जीन्स के बीच से झाँकती नाभि पे बराबर नजर थी.
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बहादुर सामान को इधर उधर ज़माने मे लगा था.
धनिया :- मैडम कहाँ जाएगी आप? धनिया ने अपने पिले दाँत दिखाते हुए पूछा.
उसका मुँह खुलना था की तम्बाकू और दारू की मिली जुली गंध ने भभका मार दिया.
काम्या :- जी...जी...मै विष रूप जा रही हूँ.
ना जाने काम्या घबरा रही थी या उसे धनिया के पास से आती अजीब गंध परेशान कर रही थी.
कालिया :- लो भाई लोगो एक पैग और लो सफर मे ऐसा हुस्न हो तो मजा आ जाता है.
बहादुर :- सालो तमीज़ से बात करो,तुम्हे पता नहीं है ये कौन है?
कालिया बहादुर की गिरेबान पकड़ लेता है "साले चूहें तेरी ये औकात हमें टोकता है,जानते है ये तेरे जैसे नामर्द की हसीन बीवी है " ज्यादा बोला तो ट्रैन से बाहर फेंक दूंगा.
नहीं....नहीं....भाईसाहब मेरे पति को छोड़ दीजिये उन्हें पता नहीं है की आप से कैसे बात करनी है. काम्या घबराती हुई बीच मे बोल पडी

"साली....समझा अपने पति को और हाँ मै तेरा भाईसाहब नहीं हूँ कालिया नाम है मेरा और ये धनिया,हरिया और पीलिया है"
कालिया ने उन तीनो की तरफ ऊँगली दिखा के वाहियात परिचय दिया.
"और सुन पे चूहें हम दिल्ली के पहुचे हुए गुंडे है समझा ना"
काम्या :- जी...जी....भाई...मतलब कालिया जी मै समझ गई मै समझा दूंगी
ऐसा बोल कालिया के काले गंदे हाथ पे हाथ रख देती है.
कालिया उस गोरे हाथ का स्पर्श पा के आंनदित हो जाता है उसका गुस्सा कुछ कम होता है.
पीलिया :- साले चूहें देख तेरी बीवी कितनी समझदार है और माल भी.
चारो एक बार फिर एक भरपूर नजर काम्या को ऊपर से नीचे तक घूर लेते है.
काम्या बहादुर का हाथ पकड़े बाहर ले जाती है "क्या कर रहे हो बेवकूफ तुम?"
बहादुर :- मैडम आप... ऐसी बात कर रही है आप? अब तक तो इनकी लाश गिरा देती आप!
काम्या के चेहरे पे मुस्कान फ़ैल जाती है...उस मुस्कान मे हैवानियत भी थी और एक कामुक अदा भी थी,बहादुर पहली बार काम्या जैसी पुलिसवाली के साथ काम कर रहा था उसे कोई अंदाजा नहीं था काम्या के तौर तरीके का.
बहादुर क्या जाने एक हसीन लड़की क्या कर सकती है ऊपर से काम्या जैसी कटीली गद्दराई हवस से भरी औरत.
बहादुर सिर्फ बेबकुफ़ सा मुँह बनाये काम्या के पीछे चल देता है.
काम्या :- जी आप लोग हमें माफ़ कर दे ये अब कुछ नहीं कहेँगे. "ऐ जी आप ऊपर जा के सो जाइये ना जगह कम है तो मै यही बैठ जाती हूँ.
चारो की बांन्छे खिल जाती है उन्हें लगता है लड़की डर गई है हमारी धमकी से
काम्या और बहादुर उन खूंखार अपराधियों के बीच फस गए थे.
क्या वाकई...?

इधर फसा तो दरोगा वीरप्रताप भी था.
बेचारा अपनी ही पत्नी के सामने शर्मिंदा रस्सी से बंधा हुआ पड़ा था.
सामने उसकी बीवी का पल्लू गिराए रंगा गोरे स्तन का आनंद ले रहा था,कालावती कसमसा जरूर रही थी परन्तु विरोध ना के बराबर था बस अभी भी थोड़ी शर्म बच्ची थी अपने पति के सामने वरना तो उसे ये बेज़्ज़ती,दुत्कार कही ना कही अच्छी लग रही थी
सुलेमान से चुदते वक़्त भी कालावती उसके जानवर को जगाने के लिए अपशब्द बोलती थी ताकि सुलेमान उसे गालिया दे,जिल्लाते दे के चोदे,कुतिया बना दे.
और आज सच मे ऐसी परिस्थिति आई तो डर के साथ एक उमंग भी उसके बदन को गुदगुदा रही थी ऊपर से दरोगा के धोखे ने उसके संस्कार के बंधन को खोल दिया था.
"मम्ममममम....मुझे प्यास लगी है " कालावती का गला सुख रहा था इतने सारे उठती भावनाओं से उन्माद मे उसका बदन पसीने पसीने हो गया था.
मुझे पानी दो.
सुलेमान रसोई की और जाने लगता है.
रंगा:- साले..हरामी तुझे किसने कहा जाने को?
आज सिर्फ हम मालिक है.
इस रांड को पानी हम पिलायेंगे क्यों बिल्ला....
बिल्ला तुरंत रंगा का इशारा समझ जाता है.
रंगा बिल्ला तुरंत खड़े हो गए और एक झटके मे अपनी मैली धोती निकाल फ़ेंकी.
कालावती के सामने दो मस्त लम्बे काले मोटे लंड झूल रहे थे,कालावती का मुँह आश्चर्य से खुल गया "हे भगवान ये क्या है?
उसने आज तक सिर्फ अपने पति का मरियल लुल्ली ही देखि थी उसके बाद सुलेमान के लंड को ही वो दुनिया का आखिरी अजूबा मानती थी परन्तु ये क्या ये तो भयानक था.
मर्द के पास ऐसा लंड भी हो सकता है ये तो कालावती के कल्पना मे ही नहीं था ऊपर से रंगा बिल्ला के द्वारा एक दम से की गई हरकत से कालावती सकपका गई थी उसकी आंखे और मुँह फटा का फटा ही रह गया था.
अभी वो कुछ समझ पाती की उसके खुले मुँह मे नमकीन पानी की तेज़ धार पड़ने लगी.
इस से अच्छा मौका क्या मिलता रंगा बिल्ला को ठाकुर को जलील करने का.
कामवती अभी सदमे से बाहर निकली ही थी की उसके खुले मुँह मे रंगा बिल्ला ने एक साथ पेशाब की धार मार दी.
कालावती मारे लज्जात और बेज़्ज़ती से सरोबर हो गई.
बिल्ला :- पी रांड हमारा गर्म पानी
कालावती के मुँह पे पड़ती तेज़ पेशाब के गरम धार से वो एक दम होश गवा बैठी उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था,अचानक हुए हमले से वो सहम गई थी,जब तक मुँह बंद करती तब तक काफ़ी मात्र मे उसके हलक ने नमकीन गरम पेशाब उतर चूका था.
रंगा :- देख दरोगा तेरी रांड बीवी कैसे अपनी प्यास बुझा रही है..
कालावती मुँह बंद कर चुकी थी,दोनों का पेशाब उसके मुँह से लगता हुआ नीचे बहता जा रहा था गले से होता हुआ सीधा ब्लाउज मे दोनों स्तनों की घाटी मे समाता जा रहा था,उसके बाद सीधा नाभि को भीगाते हुए ना जाने कहाँ गायब हो जा रहा था.
कालावती मारे शर्म और बेइज़्ज़ती के अपना मुँह इधर उधर मार रही थी, हालांकि उसके लिए ये सब कुछ नया था आज तक इतनी घिनौनी हरकत सुलेमान ने भी उसके साथ नहीं की थी.
परन्तु कालावती को घिनोने पन मे ही मजा आता था उसे बदन उसका साथ छोड़ रहा था,दोनों के पेशाब का गर्मपन उसे उकसा रहा था,
नाभि से होता गर्म पेशाब सीधा चुत के दाने को छूता हुआ पैरो मे जा रहा था,इस गरम छुवन से उसकी चुत बगावत पे उतार आई थी,बगावत का नतीजा उसका मुँह खुद ही खुलता चला गया..
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अब वो खुद पेशाब की दिशा मे मुँह खोले गटा गट दोनों के पेशाब को पिए जा रही थी उसके दिल और गले को अभूतपूर्व संतुष्टि मिल रही थी,प्यासी कालावती अपना गला तर कर रही थी.
उसे अब फर्क नहीं पड़ रहा था की सामने उसका पति और प्रेमी बैठा है.उसे ये बेइज़्ज़ती लज्जात लताड़ अच्छी लग रही थी.
उसका ब्लाउज भूरी तरह गिला हो चूका था स्तन किसी हिरे की तरह चमक बिखेर रहे थे..
रंगा :- देख दरोगा तेरी गरम बीवी कैसे अपनी प्यास बुझा रही है.
बेबस दरोगा और सुलेमान अपनी बीवी और प्रेमिका का रंडीपना देख रहे थे..
ऐसा नजारा उन दोनों के लिए भी अनोखा था,ना चाहते हुए भी उनके बदन मे हलचल होने लगी थी,उनका लंड ऐसा कामुक नज़ारे को देख अंगड़ाई लेने लगा था.
दिमाग़ शर्मिंदा था परन्तु लंड बेकाबू था,चारो और हवस फैलने लगी थी.

इस हवस का अंजाम क्या होगा...
ये हवस किसकी मौत लाएगी? कालावती,दरोगा,काम्या, या फिर वो चार लफंगे?
बने रहिये...कथा जारी है....
 
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andypndy

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Aaj Aur bhi update aayenge kya. Ye to bahut chhota update diya lekhak mahoday. Ummid kayam rahegi.
वक़्त की कमी से ऐसा हुआ दोस्त लेकिन आज कई अपडेट आएंगे 👍
 

Napster

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बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट है भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

andypndy

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अपडेट -66

हवस का परचम तो ठाकुर की हवेली मे भी फैला हुआ था
रतिवती अपनी टांगे फैलाये बिल्लू,कालू,रामु को आमंत्रण दे रही थी की आओ और जीतना रस पी सकते हो पियो.
तीनो के लंड रतिवती की चुत से निकले पेशाब मिली दारू पी के तन टना गए थे,लंड ऐसा नजारा देख के फटने को आतुर थे.
रतिवती अपनी साड़ी को कमर तक उठा चुकी थी रस टपकाती चुत,चिकनी बाल रहित मुँह बाये तीनो का इंतज़ार कर रही रही.
तीनो का सब्र करना मुश्किल था बिल्लू सीधा घुटनो के बल बैठ मुँह रतिवती की जांघो के बीच घुसा देता है रतिवती इस हमले से दोहरी हो जाती है पीछे बिस्तर पे कोहनी टिका के सर पीछे कर लेती है.
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आअह्ह्हह्ह्ह्ह.....उम्म्म्म....बिल्लू
बिल्लू जीभ निकाले चुत से टपकते रस को पी रहा था कुरेद रहा था,
इस मादक छत्ते से शहद निकलना बिल्लु के अकेले के बस की बात नहीं थी, रामु और कालू भी सब्र छोड़ टूट पड़ते है.
कालू रामु रतिवती को एक एक जाँघ को चाटने लगते है.
रतिवती को ऐसा सुख ऐसा आनन्द कभी नहीं मिला था हालांकि उसने खूब चुत चाटवाई थी परन्तु आज तीन तीन तगड़े मर्द उसकी चुत चाटने की कोशिश मे थे.
बिल्लू लगातार अपनी खुर्दरी जबान से चुत के महीन रास्ते के अंदर प्रहार कर रहा था.
वही कालू रामु उसकी जाँघ को चाट चाट के गिला कर चुके थे.
रतिवती उत्तेजना के मारे कभी सर उठा के तीनो को देखती तो कभी सर पीछे पटक लेती.
बिल्लू तो सुख भोग रहा था,परन्तु कालू रामु अछूते थे उनसे रहा नहीं जा रहा था ऊपर से बिल्ला हटने नाम ही नहीं ले रहा था.
तभी रामु गुस्से मे आ के रतिवती को पकड़ के आगे की और धक्का दे देता है.
रतिवती पलंग से आगे को गिरती हुई सीधा फर्श पे पेट के बल गिर पड़ती है उसके साथ ही बिल्लू भी पीछे को पलट जाता है,
परन्तु वो इस कदर दीवाना था ऐसा मगन था चुत चाटने मे की अभी तक मुँह नहीं हटाया था.
उसका सर रतिवती की चुत के नीचे था साड़ी पूरी तरह कमर तक चढ़ गई थी.
रतिवती के पेट के बल होने से उसकी उन्नत फूली हुई बड़ी गांड खुल्ले मे आ गई.
रामु कालू को खजाना मिल गया था फिर होना क्या था दोनों एक साथ गांड के एक एक हिस्से पे टूट पडे.
रतिवती इस आक्रमण से बिकाबू हो के किसी कुतिया की तरह ऊपर मुँह उठाये चीख पडी...
आअह्ह्हह्म....उम्म्म्म.....हरामियों धीरे.
कालू :- साली रांड हमें हरामी बोलती है चाटकककक.... चाटककक...दो थप्पड़ उसकी गांड पे पड़ते है.
थप्पड़ पड़ते ही गोरी गांड लाल पड़ गई.गांड के दोनों हिस्से आपस मे कदम ताल करने लगे.
कभी गांड एक दूसरे से दूर होती तो कभी आपस मे चिपक जाती.
इस बढ़ चालू के खेल मे गांड का कामुक छिद्र कभी दिखता कभी छुपता.
ये लुका छुपी दोनों को आनंदित कर दे रही रही थी.
कालू से रहा नहीं गया वो अपनी नाक गांड के छेद मे घुसा देता है और शनिफ्फ्फ्फफ्फ्फ़....जोर दार सांस खींचता हुआ मुँह उठता है.
आअह्ह्ह....रामु क्या महक है....नीचे बिल्लू को कोई मतलब नहीं था की ऊपर क्या ही रहा है वो लगातार चुत रुपी कुए खोदे जा रहा था.
इस बार रामु भी रतिवती की गांड के दोनों पहाड़ो के बिछे सर घुसा देता है.....
आआहहहह.....कालू सच कहाँ तूने कमाल की औरत है ये.
इसी के साथ रामु अपना मुँह खोले एक बार मे ही गुदा छिद्र को मुँह मे भर छुबलाने लगता है.
रतिवती तो पागल हुए जा रही उसके आनंद की कोई सीमा ही नहीं थी.
आअह्ह्हममममममम......उम्म्म्म... चाटो खाओ घुस जाओ अंदर, फाड़ो इसे और अंदर से चाटो.
रतिवती अतिउन्माद मे ना जाने क्या क्या बड़बड़ाए जा रही थी.
रामु जब गांड से मुँह हटाता है दो देखता है की गांड का छेद गोलाई मे बाहर को आ गया है.
अब कालू भी उस छेद को अपने होंठो मे कैद कर लेता है.और जबरजस्त तरीके से अंदर ही अंदर जबान चलाने लगता है.
रतिवती की चुत ये हमला सहन ना कर सकी उसका बदन जलने लगा, शरीर कंपने लगा.
आअह्ह्ह......बिल्लू....कालू....रामु...पियो
रतिवती फट से उठ बैठी,टांगे पूरी खुली हुई थी, आअह्ह्ह...
मै गई..इतना बोलते है उसकी चुत ने फववारा छोड़ दिया फच फचम्..की आवाज़ के आठ तेज़ धार मे चुत का रस निकलने लगा पहली कुछ धार सीधा सामने बैठे तीनो के मुँह पे पड़ती..बाकि नीचे जमीन पे गिरने लगी.
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इस से भी रतिवती की गर्मी शांत ना हुई तो उसने अपना चूडियो से भरा हाथ अपनी चुत मे हथेली तक दे मारा...और जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगी..तीनो मर्द स्त्री का ये ये रूप देख के हैरान थे.
की तभी....आअह्ह्ह.....एक तेज़ धार फिर से उन तीनो के चेहरे से टकरा जाती है,लगता था जैसे रतिवती हाथ से पकड़ पकड़ के कामरस को बाहर निकाल रही है.
चाटो इसे सालो....चाटो....
ये आदेश सुनना था की तीनो जमीन पे फैले कामरस को पिने लगे,चाटने लगे अपनी लम्बी जबान निकाल निकाल के जैसे कोई कुत्ता चाट रहा हो...
तीनो कुत्ते चूतरस को चाटते चाटते झरने के मुख्य स्त्रोत तक जा पहुचे.
वापस से तीनो एक साथ चुत पे टूट पडे आअह्ह्ह........रतिवती धम..से फर्श पे बेदम गिर पडी उसका रस ख़त्म हो गया था.
वही बिल्लू कालू रामु को इस से फर्क नहीं पड़ता था,तीनो अमृत को चाटने मे लगे थे कुछ ही वक़्त पे सब तरफ फैले अमूल्य चुत शहद बिलकुल साफ हो गया था.
रतिवती की साड़ी कमर मे फांसी थी,उसकी सांसे तेज़ तेज़ चल रही थी
उसके बड़े भरी स्तन उठ गिर रहे थे...ये नजारा देख तीनो का जोश और हवस आसमान मे पहुंच गई.
अब उन्हें भी अपना कामरस निकलना था.
तीनो के हाथ नीचे लेती रतिवती के स्तनों की एयर बढ़ जाते है....

हाथ तो ठाकुर ज़ालिम सिंह भी बड़ा चूका था हवस का हाथ.
रुखसाना का हाथ थामे उसे अपने करीब बिस्तर पे बैठा देता है.
रुखसाना :- ये आप क्या कर रहे है ठाकुर साहेब?
ठाकुर :- तुम्हारी खूबसूरती की कद्र कर रहा हूँ.
ऐसा बोल ठाकुर रुखसाना के चेहरे को ऊपर कर जी भर के देखता है.
लेकिन रुखसाना इतनी आसानी से कैसे फस जाती.वो ठाकुर का हाथ झटक देती है.
रुखसाना :- ये गलत है ठाकुर साहेब हमें जाने दे. वो उठ खड़ी होती है और अपनी चुन्नी लेने के बहाने झुक जाती है
जैसे ही झुकती है उसका छोटा सा लहंगा पीछे से ऊँचा हो जाता है जिस से उसकी चुत और गांड की दरार ठाकुर को दिख जाती है,यही तो चाहती थी रुखसाना..
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नशे मे मदहोश ठाकुर ऐसा कामुक ललचाया नजारा देख बेकाबू हो गया उसके ईमान और लंड दोनों ने बगावत कर दी अब भले आसमान टूटे या जमीन फटे इस हुस्न को तो पाना ही है.
रुखसाना के खूबसूरती के जान मे ठाकुर बुरी तरह फंस चूका था.
आव देखा ना ताव ठाकुर उठा खड़ा होता है और झुकी हुई रुखसाना को पीछे से पकड़ के अपनी छोटी से लुल्ली को पाजामे के ऊपर से ही उसकी बड़ी गांड ने फ़साने लगता है और आगे पीछे होने लगता..
रुखसाना चौंक जाती है....और आगे को भागती है "ये मुर्ख तो अतिउत्तेजित हो गया ऐसे तो ये पजामे मे ही झड जायेगा फिर कहाँ से मिलेगा वीर्य? कुछ सोचना होगा.
ठाकुर की आंखे गुस्से और हवस मे लाल थी उसे बस कैसे भी अपनी आग बुझानी थी ठाकुर था ही नीरा बेवकूफ सम्भोग करना भी नहीं जनता था.
रुखसाना :- क्या कर रहे है ठाकुर साहेब
ठाकुर :- देखो चमेली तुम हमें पसंद आ गई ही जो कर रहा हूँ करने दो वरना वापस नहीं जा पाओगी इस हवेली से.
रुखसाना:-..मै...मैम.....ठाकुर साहेब...वो...वो.....ठीक है जैसे आप चाहे लेकिन मेरी एक शर्त है?
रुखसाना खूब डरने का नाटक कर रही थी,लेकिन वो जानती थी ये उल्लू का चरखा उसमे काबू मे है सम्भोग सुख के लिए मारा जा रहा है.
वैसे भी इस भाग दौड़ मे रुखसाना का दिल भी मचल उठा था उसे भी कामसुःख चाहिए था
ठाकुर :- बोलो चमेली क्या शर्त है तुम्हारी?
रुखसाना :- शर्त ये है की जैसा मै चाहु आप वैसे ही करेंगे मेरे साथ अपनी मर्ज़ी नहीं चलाएंगे.
ठाकुर :- इस मे क्या दिक्कत है जैसा तुम कहो, ठाकुर को तो सिर्फ अपनी लुल्ली को चमेली की चुत मे डालने से मतलब था अब जैसे चाहे वैसे जाये.
"हमें मंजूर है "
 
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