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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

mashish

BHARAT
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आठवाँ भाग

अरे हां मैं उसी की बात कर रही हूं। मुझे तो उसका रहन-सहन बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है। पता नहीं कैसी लड़की है?"

सुजाता मौसी कटुता भरे स्वर में बोली।

"दीदी आप उसके बारे में गलत सोच रही है।
दीपा बहुत अच्छी लड़की है और आपको पता है ना ! वह अपनी बहू के बहन की दोस्त है ।"

माँ सुजाता मौसी को समझाती हुई बोली।

" हूं...! " मौसी मुंह बनाकर दूसरी तरफ अपना चेहरा करके बैठ गई।

उस वक्त कमरे में कुछ पल तक भयानक खामोशी पसर गई । सब कुछ खामोश था। कमरे के दरवाजे , टेबल पर रखा गुलदस्ता , दीवार पर टंगी तस्वीरें और अलमारी में सजी मोटी-मोटी किताबें और ये सभी मौसी के खडूस चेहरे को निहार रहें थे।

तभी कमरे का दरवाजे धीरे से खुलने की आवाज आई और उसके साथ ही कमरे में दीपा आते हुए बोली, "

समोसा, गरमा - गरम । मौसी और आंटी आप दोनों जल्द से जल्द हाथ मुंह धो कर आइए मैं समोसा बनाकर ले आई हूं"

" बेटी आप लोग समोसे खा लो । हम दोनों बाद में समोंसे खा लेंगे" मेरी मां दीपा से बोली।

" नहीं आंटी हम सब एक ही साथ समोसे खाएंगे। वैसे भी अगर आप लोग अभी नहीं खाएंगे तब समोसे ठंडे पड़ जाएगे" दीपा बोली

मां कुछ बोलती इससे पहले ही कमरे में मैं और आदिति भाभी आ गए।

" निशांत और आदिती दी देखिए ना मौसी और आंटी समोसे खाने को तैयार नहीं है । हम लोगों ने कितने प्यार से बनाए हैं।" दीपा हम लोगों के कमरे में प्रवेश करते ही बच्चों जैसे बोल पड़ी।

" क्यों माँ जी ! आप क्यों समोसे नहीं खाएंगे ?" आदिती भाभी बोली।

" अरे यह लड़की भी ना ! ..... थोड़े से ही में पूरे घर को सर पर उठा लेती है" मां दीपा को देख कर बोली । हम सभी मुस्कुराने लगे।

कुछ देर बाद हम सभी समोसे और आम के चटनी पर धावा बोल चुके थे। दीपा , अदिति भाभी, सुजाता मौसी , माँ और मै सभी एक साथ बैठ कर समोसे खा रहे थे। सब लोग एक के बाद दूसरा समोसा उठाने में बिल्कुल भी समय नही लगा रहे थे।

"वाह ! वाकई में समोसा बहुत स्वादिष्ट बना है।" मां बोली।

" यह सब दीपा के हाथों का जादू है माँ जी ।'' भाभी दीपा को देखती हुई मुस्कुरा कर बोली।

" नहीं ... नहीं आंटी , यह सब आदिति दी का ही कमाल है।" दीपा बोली ।

" . ना दीपा और ना आदिती भाभी , माँ यह सब मेरे हाथों के कमाल है।" मैंने भाभी की तरफ देख कर मजाक से बोला । सभी लोगों ने मेरी तरफ देखा और सब खिलखिला कर हंस पड़े।

अभी सब लोगों की हंसी भी ना रूकी थी कि सुजाता मौसी बोली, " हूं..यह कोई समोसा है ! लगता है घी में नहीं बल्कि सिर्फ तवे पर घिसकर पका दिया गया है। इससे ज्यादा अच्छा समोसा तो मेरी शिल्पा बनाती है , एकदम से कुरकुरे।"

सुजाता मौसी की यह कड़वाहट भरे शब्द पूरे कमरे में फैल गया और फिर से एक बार पूरा कमरा खामोश हो गया।

दिल तो कई बार किया था कि मौसी को बोल दूं , " मेरे घर में बार-बार ये अपनी शिल्पा को मत लाया करो , वह किसी सम्राट की महारानी बिटिया नहीं है जिसका बार-बार गुणगान करती फिरती हो और वह थोड़े ना कोई जादू की छड़ी है, जो हर काम में परफेक्ट हो।
जब देखो, जहां देखो,शिल्पा - शिल्पा करती रहती हो।''

मगर मैं आज तक मौसी को यह सब नहीं बोल पाया था । मैं उस वक्त कुछ बोलता उससे पहले ही भाभी चुपचाप उस कमरे से निकलकर किचन के तरफ चली गई और साथ ही उसके पीछे -पीछे दीपा भी चली गई।

" देखती हो बहना तुम्हारी बहू गुस्से से कैसे निकली ?

मैंने उसे अभी क्या बोला ? कुछ तो नहीं बोला।" सुजाता मौसी मेरी मां को देख कर बोली।

" अरे ... वो ...।"

" मैं जानती हूं विमला तुम्हें अपनी बहू में कोई दिक्कत नहीं दिखेगी ।

अभी तुम यही बोलोगी कि बहू गुस्से से बाहर नहीं गई थी।" सुजाता मौसी मेरी मां की बातों को बीच में ही काटती हुई बोली ।

शाम के 7:15 बज चुके थे और दीपा अपने घर जाने के लिए दीदी से जिद कर रही थी।

आदिती दी, मैं घर चली जाऊंगी ना ! प्लीज जाने दीजिए घर पर भैया इंतजार कर रहे होंगे।" दीपा बोली।

" दीपा देखो , अंधेरा होने वाला है इतनी शाम को जाना अच्छी बात नहीं है । सुबह चले जाना। " आदिती भाभी बोलीं।

"घर पर भैया परेशान हो रहे होंगे। मेरे घर में उनके लिए कोई खाना बनाने वाली भी तो नहीं है। मुझे घर जाना ही होगा दी ( दीदी)। " दीपा बोली।

'' निशांत इसे अब आप ही समझाओ कि आज रात यहीं रुक जाये | कल सुबह चली जायेगी।" आदिती भाभी मुझे देखते हुए बोली।

" दीपा प्लीज रूक जाओ । सब लोग रूकने को बोल रहे हैं। सुबह यही से साथ कॉलेज चले जाएंगे" में बोला I

मेरे बोलने के कुछ सेकंड बाद ही अर्जुन भैया ऑफिस से वापस आ गए ।

"भाई किसे रोका जा रहा है ? मुझे भी तो कोई रोको।" भैया आते ही मजाकिया लहजे में बोले।

" जीजा जी
नमस्ते।" दीपा अर्जुन भैया से बोली।



साथ बने रहिए।
very nice update
 

Qaatil

Embrace The Magic Within
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Again, Very Good Update Mahi Maurya :applause:
just a suggestion, aap ho sake to update ki length badha dijiye, like 2500-3000 words ka ho to padhne me or bhi zyada maza ajayega, baat kare aaj ke Update ki to kafi shandar tha, jesa ke mene kaha tha ke Nishant ki maa ko Dipa se koi pareshani nahi he, ye mausi kuch zyada hi khadus he, har baar Shilpa ka zikr karna zaruri nahi he, Dipa ka character waqayi lajawab he, Dipa ghar ke har sadasya se ghul milkar baate karti he, or baki sab bhi use apne pariwar ka hissa hi maan ne lage he, ab dekhte he, Dipa ko sablog aaj ki raat wahi rukne ke liye mana pate he ya nahi? Eagerly Waiting For Next Update ❤️
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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nice update ..samose aur chatni sunkar hi mooh me paani aa jata hai 😁..
mausi to bas chugli karna jaanti hai ..
par uski koi galti bhi najar nahi aati ,,usne usko maa baap marne ke baad paala hai to sujata mausi sochti hogi ki uski shadi achche ghar me ho ..
wo ek maa ki tarah hi soch rahi hai ..


aur ye reality bhi hai ki bachche kitne bhi bure kyu naa ho maa baap chahte hai ki unki shadi achche partner se ho ..
धन्यवाद आपका सर जी।

समोसे तो मेरे भी पसंदीदा हैं लेकिन चटनी के साथ नहीं मिर्च के साथ।

मौसी की बातें और हरकतें समझ से परे हैं। बिना मतलब हर बात में टाँग अड़ाती हैं।

हो सकता है कि यही कारण हो शिल्पा का रिश्ता अर्जुन भैया से न हो पाने का या कोई और कारण है।

साथ बने रहिए।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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Again, Very Good Update Mahi Maurya :applause:
just a suggestion, aap ho sake to update ki length badha dijiye, like 2500-3000 words ka ho to padhne me or bhi zyada maza ajayega, baat kare aaj ke Update ki to kafi shandar tha, jesa ke mene kaha tha ke Nishant ki maa ko Dipa se koi pareshani nahi he, ye mausi kuch zyada hi khadus he, har baar Shilpa ka zikr karna zaruri nahi he, Dipa ka character waqayi lajawab he, Dipa ghar ke har sadasya se ghul milkar baate karti he, or baki sab bhi use apne pariwar ka hissa hi maan ne lage he, ab dekhte he, Dipa ko sablog aaj ki raat wahi rukne ke liye mana pate he ya nahi? Eagerly Waiting For Next Update ❤
धन्यवाद आपका सर जी।

माफ़ी चाहती हूं सर जी कि
समयाभाव के कारण ज्यादा लंबा भाग नहीं लिख पा रही हूँ। उसका कारण ये है कि अकेला महोदय ने वर्तनी में बहुत ज्यादा त्रुटियां की हैं।

त्रुटियां सुधारने के बाद जिस जगह मुझे लगता है कि ये शब्द यहां उपयुक्त नहीं हैं उसे वहां से हटाकर उपयुक्त शब्द जोड़ती हूँ। उसके बाद कुछ अपनी पसंद की पंक्तियां जोड़ती हूँ

इसमे इतना ज्यादा समय लग जाता है उतने समय मे तो हम खुद 1 पेज से ज्यादा लिख ले।
ये मैं अकेला महोदय की गलतियां नहीं गिना रही हूँ उन्होंने जैसा लिखा है अपने हिसाब से ठीक लिखा है।

लेकिन अब चूंकि ये कहानी अधूरी है और इसे पूरी करनी है तो मैं कुछ अपने हिसाब से फेर बदल कर रही हूँ ताकि कहानी पूरी करने में मुझे काम से कम परेशानी हो।

फिर भी अगर जिस दिन ज्यादा समय मिला और लंबा भाग लिखूँगी।

जहां तक कहानी की बात है तो अभी बहुत से ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब आना बाकी है।

साथ बने रहिएगा।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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कहानी बहुत ही अच्छी तरह चल रही है ।एकदम फिल्मी स्टाइल में
धन्यवाद आपका।
कहानी फिल्मी स्टाइल में ही चलेगी और अंत भी वैसा ही करने का सोचा है मैंने।

साथ बने रहिए।
 
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nain11ster

Prime
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पहला भाग


हमारी आंखें अक्सर उसी के ख्वाब देखती हैं जिसे पाना हमारी हाथों के लकीरों में नहीं होता है। मगर इन आंखों को कहां पता होता है कि हमारी 1भूल की वजह से दिल को सारी उम्र तड़पना पड़ सकता है।

कॉलेज का पहला दिन मुझे आज भी याद है जब मेरी आँखों ने उसे पहली बार देखा था। एक ऐसा पल, जिस पल को याद कर, आज मैं जिंदगी के हर पल को जी रहा हूं।

मैं कॉलेज के कोरिडोर से अपने क्लास रूम के अंदर जा रहा था। मन में एक अलग सी उमंग थी । सारी दुनिया को जीत लेने की , सारी दुनिया को समझ लेने की , एक अलग पहचान बनाने का, मगर वह पहचान कैसी होगी यह तो उस वक्त मुझे भी पता नहीं था । मैं धीमे-धीमे अपने क्लास रूम के नजदीक पहुंचने ही वाला था कि मेरे पीछे से किसी लड़की की बहुत ही कोमल आवाज मेरे कानो में पड़ी।

" हेल्लो"

ये प्यारी सी आवाज मेरे कानों को किसी मॉडर्न संगीत सा लगा। मैंने पीछे मुड़कर देखा।

गुलाबी समीज पर पीले रंग का मखमली दुपट्टा , आंखों में काजल, होठों पर हल्के लाल रंग की लिपस्टिक लगायी बहुत ही खूबसूरत लड़की ने मुझे आवाज दी थी । खिड़की से आती सूरज की किरणें उसके गालों से रिफ्लेक्स होकर सतरंगी इंद्रधनुष बना रही थी । उसकी कातिलाना मुस्कान मेरे दिल को बेध गई थी। मैं उसे देखकर कहीं खो सा गया था। मेरी सांसे थम सी गई थी कि तभी उसने दूसरी दफ़ा उसने आवाज दी।

" हेलो , मैं आप ही को बोल रही हूं"

इस बार उसने ये बात अपने हाथ को मेरी आंखों के सामने हिलाते हुए बोली थी।

मैं ख़ुद को ख्बाव वाली दुनियां से बाहर निकाल कर लड़खड़ाते हुए बोला " जी ... जी बोलिए ।"

“ रूम नंबर R014 कहां है ? प्लीज मेरी हेल्प कीजिये उसे ढूढने में। क्योंकि आज मेरा कॉलेज का पहला दिन है और मुझे अपने क्लास रूम के बारे में कोई जानकारी नहीं ” उस लड़की ने कोमल स्वर में बोली।

“ आप यहां से सीधे जाकर राइट ले लीजियेगा कुछ कदम चलने पर ही आपको अपन क्लास रूम दिख जाएगा ” मैंने उसे हाथ से इशारा करते हुए बोला।

मेरी बात सुनकर लड़की ने हल्की मुस्कान के साथ थैंक्स बोला और फिर कमरे की तरफ चली गई । सच बोलूं तो मुझे भी उस कमरे के बारे में पहले से कोई जानकारी नहीं थी , कुछ देर पहले जब मैं अपनी क्लास रूम ढूंढ रहा था उसी वक्त मैंने वह क्लास रूम देखा था।

उस लड़की के वहां से चले जाने के बाद भी मैं उसे कुछ समय तक देखता रहा । वह पीछे से भी देखने में उतनी ही खूबसूरत लग रही थी जितना की अभी आगे से देखने में मुझे लगी थी।(इसका कोई गलत मतलब मत निकालियेगा मित्रों)

उस लड़की के जाने के बाद मैं भी अपने क्लास रुम के अंदर चला गया क्लास रूम के अंदर बहुत सारे लड़के लड़कियां थे उन सभी लोगों का भी आज इस कॉलेज में पहला दिन ही था। सबके आंखों में कुछ सपने थे ,कुछ सीखने का जज्बा और जिंदगी को खुलकर जीने का आत्मविश्वास कूट-कूट कर भरा पड़ा था।

शायद सब लोगों को यही लग रहा होगा कि कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद जिंदगी संवर जाएगी और उनकी जिंदगी खूबसूरत हो जाएगी, लेकिन इस भीड़ के बीच शायद मैं ही एक ऐसा व्यक्ति था जिसे कॉलेज के पहले दिन ही जिंदगी मिल गई थी या यूं कहें कि जिंदगी सवर गई थी। वह पीली दुपट्टे वाली लड़की मेरे दिल-ओ-दिमाग में घर कर गई थी मैं उससे कभी मिला नहीं था और ना ही उसके बारे में कुछ जानता था। यहां तक कि मैं उससे कुछ ज्यादा बातें भी नहीं कर पाया था। लेकिन जिस वक्त उसे पहली दफा देखा था । उसी वक्त मेरे दिल से एक आवाज आयी थी ।

यार ! यही तुम्हरी जिन्दगी हैं , तुम्हे इसके साथ ही जिंदगी बितानी है। हमेशा साथ रहेगी तुम्हारे हर कदम पर , जिन्दगी के हर मोड़ पर।

मुझे लगा आज से यही मेरी रूह है और यही मेरी आशिकी। खैर कुछ समय के लिए इन बातों को भुला कर मैंने अपना ध्यान किताबों पर टिकाया ।

क्लास खत्म होने के बाद मैं फिर उसी जगह पर जाकर खड़ा हो गया जहां मुझे वह पीले दुपट्टे वाली लड़की मुझे मिली थी। मुझे उम्मीद था वह लड़की वापस यहीं से होकर गुजरेगी और मुझे देख कर एक बार फिर मुस्कुराएगी । लेकिन सभी विद्यार्थियों के कॉलेज से बाहर निकलने के बाद भी उसके आने का कोई अता-पता ना चला।

जब उसके आने की कोई उम्मीद मुझे ना दिखी तब मैंने सोचा - “शायद मुझे क्लास से निकलने में देर हो गई हो उसके पहले ही वह निकल चुकी होगी।”

मैं उदासीन चेहरा बनाकर कॉलेज से बाहर निकल गया। वैसे हम लड़कों को अक्सर यही होता है। कोई लड़की एक बार मुस्कुराकर बात क्या कर लेती है, हम लडके उसे अपना दिल दे बैठते हैं और यही गलतफहमी लोगों को हमेशा होती रहती है लेकिन शायद मेरे साथ ऐसा पहली बार हुआ था।

मैं अभी कुछ सोच ही रहा था कि वह पीले दुपट्टे वाली लड़की दिखी। वह किसी हट्टे कट्टे डील डौल वाले लड़के के साथ बाइक पर बैठकर वहां से निकल रही थी। उसे किसी दूसरे लड़के के साथ बाइक पर बैठा देख मेरा कलेजा बैठ-सा गया। मेरी आंखें में मिचौलिया खाने लगी, मेरी आंखे औंध–सी गयी।

साला एक लड़की भी पसंद आई तो वो भी किसी और की निकली।” मैंने खुद से बुदबुदा कर बोला।

शाम को ठीक 6:00 बजे मैं घर पहुंच चुका था और अपने सोफे पर बैठकर 90’s (नाइनटीज ) के पसंदीदा गाने सुन रहा था ।

“ तू प्यार है किसी और का तुझे चाहता कोई और है ”
Sony Max पर यह गाना आ रहा था।

वैसे यह गाना उस वक्त मुझ पर सूट नहीं कर रहा था। यह गाना खत्म होकर कोई अगला गाना आता कि उससे पहले वहां पर मेरे बड़े भैया आ पहुचें । फ़िलहाल उस वक्त भैया पापा की कंपनी संभाल रहे थे और अगले हफ्ते ही इनकी शादी भी होने वाली थी।

“ छोटे, आज कॉलेज का पहला दिन कैसा रहा ?

” भैया अपनी टाई को खोलते हुए बोले।

“बस ठीक-ठाक” मैंने कहा।

“ ठीक-ठाक से क्या मतलब !

” उन्होंने कंधे उचकाते हुए बोला।

भैया अभी कॉलेज में कोई दोस्त वगैरह नहीं ना है, इसलिए अभी ठीक-ठाक ही लगा शायद बाद में ठीक लगने लगे” मैंने कहा।

अब उन्हें कैसे बताऊं कि कॉलेज के पहले दिन ही मुझे एक लड़की पसंद आ गई है और वह भी एक ऐसी लड़की जिसका बॉयफ्रेंड पहले से ही है।


साथ बने रहे।।।।।

Max par pahla nasha pahla khumar aana chahiye abhi ke situation se hisab se ...

Baharhaal first day first class and life frist epic incidence... Wonderful... Fboulous expression and good imagination ...

Waise sad end ki story mai prefer nahi karta ... But try to read this one.. Keepyour good work continue....
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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नौवाँ भाग

अच्छा आप हैं! क्यों जी इतनी जल्दी क्यों जाना चाह रही हैं ? थोड़ा मेरे तरफ से भी रुक जाइए।" अर्जुन भैया बोले।

उस दिन भैया की बात से पता चल रहा था कि उस दिन भैया काफी अच्छे मूड में थे।

मैंने दीपा को अपनी आंखों से रुक जाने की इशारा किया। मगर उसने अपनी जुबांन ( जीभ) बाहर निकाल कर आंखों को तिरेरते हुए मुझे चुप रहने का इशारा कर दिया।

ये इशारेबाजी भैया ने देख ली और मुस्कुराने लगे।
" आप दोनों क्या गुटरगू करने में लगे हो?" भैया अपनी टाइ खोलते हुए हम दोनों से बोले।

" कुछ नहीं जीजा जी ! बस सोच रही थी आज अगर घर नहीं गई तो भैया गुस्सा करेंगे। " दीपा ने घबराकर भैया की ओर देखते हुए जवाब दिया।

" रुको मैं तुम्हारे भैया से बात करती हूं" आदिति भाभी इतना बोल कर अपने फोन से नंबर डायल करने लगी दीपा ने रोकने की कोशिश की, लेकिन तब तक फ़ोन उठ चुका था।

" हेल्लो ! मै आदिति बोल रही हूं"

"हां बोलो आदिति" दीपा के भैया आशीष ने कहा।

" भैया मैं दीपा को आज अपने घर रुकने को बोल रही हूं तो वह नहीं मान रही है । और वापस घर जाने की जिद कर रही है। आप बोलिए ना दीपा को कि आज यहीं रुक जाए" अदिति भाभी बोली l


जरा मेरी दीपा से बात कराओ। मैं उसे बोल देता हूं कि तुम रात में वहीं रुक जाओ। वैसे भी वह अनजान के घर थोड़े ना रुक रही है। अरे वह तो तुम्हारे घर में रुक रही है तो मुझे चिंता किस बात की होगी।" दीपा के भैया आशीष ने कहा।

अदिति भाभी ने फोन दीपा को थमा दिया। दीपा अपने भैया से बात करने के बाद मेरे घर पर ही रुक गई।

दीपा का मेरे घर पर रूकने से सब लोग काफी खुश थे । खाश कर मैं l मैं तो उस दिन कुछ ज्यादा ही खुश था।

सभी लोग रात के डिनर करने के बाद अपने-अपने कमरे में सोने चले गये। माँ के बगल के कमरे में दीपा सो रही थी जबकि मैं दूसरी मंजिल के सबसे शानदार कमरे में मैं सो रहा था।

रात को 11:00 बज रहे थे मगर मेरी आंखों से नींद गायब हो चुकी थी और उधर दीपा भी अपने कमरे में करवटें बदल रही थी।

सच ही कहा है किसी ने कि अगर प्यार सच्चा हो और महबूब आस-पास ही हो तो ये जुदाई किसी सितम से कम नही है।

हम दोनों अलग-अलग कमरे में जरूर थे मगर हम दोनों व्हाट्सएप वीडियो कॉल से एक दूसरे के पास ही मौजूद थे। लेकिन इसमें वो मज़ा कहाँ जो एक दूसरे से मिल कर बात करने में है।

" यार नींद बिल्कुल ही ना आ रही है। क्या करूँ?" मै बोला।

" अभी सोने का टाइम कहां हुआ है छोटे! " दीपा हंसती हुई बोली।

" दीपा तुम्हें तो हर समय मज़ाक ही सूझता है। हर समय मस्ती के मूड में रहती हो। सच में नींद नहीं आ रही है यार, ऐसा करो तुम भी छ्त पर ही आ जाओ । एक साथ बैठ कर कुछ बातें करते हैं । " मैनें कहा ।

तुम न पागल हो गए हो, तुम्हारा दिमाग खिसक गया
है। अगर मैं वहां आई और इतनी रात को अगर हम दोनो को एक साथ आदिती दी (दीदी) या कोई और देख लेगा तब बवाल हो जायेगा।" दीपा मुझे समझाती हुई बोली।

" अरे तुम भी ना खाम-खा डर रही हो। अब तक तो सारे लोग सो चुके होगे" मैंने कहा ।

नहीं मैं नहीं आऊंगी, मैं ये खतरा मोल नहीं ले सकती।
तुम्हारा क्या है। तुम तो मर्द हो कोई कुछ नहीं कहेगा, लेकिन मेरा सोचो। में तो बदनाम हो जाऊंगी। और अगर ये बात भैया को पता चल गई। तो मैं उन्हें क्या जवाब दूंगी। दीपा ने कहा।

अरे यार। तुम न डरती बहुत हो। अरे यार जब प्यार किया तो डरना क्या। मैं सेखी बघारते हुए बोला।

अच्छा छोटे। अब याद आ रहा है "जब प्यार किया तो डरना क्या" वो दिन भूल गए जब मुझसे प्यार का इज़हार करने में तुम्हारी बोलती बंद हो गई थी और आखिर में मजबूरन मुझे प्यार का इज़हार करना पड़ा था। दीपा ने कहा।

क्या यार दीपा। अब उस बात को लेकर कब तक मुझे छेड़ती रहोगी। अरे कुछ समझा करो उस समय मैं नासमझ बच्चा था। मैं मजाकिया लहजे में बोला।

अरे वाह इतना बड़ा और नासमझ बच्चा पहली बार देख रही हूँ। दीपा ने कहा।

अच्छा अब ये सब बातें छोड़ो और छत पर आ जाओ। वहीं बैठकर बात करते हैं। मैंने कहा।

तुम फिर से ज़िद कर रहे हो। किसी ने देख लिया मुझे आते हुए तो क्या जवाब दूंगी उन्हें। विडीयो कॉल से ही सही है बात तो हो रही है न। मैं कोई रिस्क नहीं ले सकती , कहीं कुछ गड़बड़ हो गया तब।दीपा ने अपना डर जाहिर करते हुए कहा।

" अरे कुछ नहीं होगा मेरी भोली-भाली दीपा। आओ तो सही।" मैने मुस्कुराते हुए बोला।

इस बार मेरी बात सुनकर दीपा भी हंस पड़ी।

" ओके ! ठीक है बाबा । चलो मैं छत पर ही आती हूँ।" यह बोलकर कॉल डिस्कनेक्ट कर दी।


साथ बने रहिए।
 
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