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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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बढ़िया अपडेट, अब देखते है आशीष कितना गुस्से वाला नाटक करता है।
धन्यवाद आपका।
साथ बने रहिए।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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बहुत ही बढ़िया अपडेट । आखिरकार देवांशु की हकीकत दीपा के सामने आ ही गई । दीपा ओर निशांत दोनो के घरवाले मिलकर दोनो की फिरकी ले रहे है।
धन्यवाद आपका।

साथ बने रहिए।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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प्रतीक्षा रहेगी।
बस कुछ ही देर में अगला भाग लिख देंगे।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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nice update ..😍..maa ne nishant ko ek jhatka dene ka socha hai 😁..
aur ye devanshu lagta hai maar khakar hi maanega ,,pyar ki baat kar raha tha aur deepa ke naa kehne par apni aukaat dikha di 😡..
maa aur bhaiya ne deepa ke bhai se shadi ki baat kar di 🤩..
aur ab uske bhai ne dono ko ghar pe bula liya aur gusse me bhi lag rahe hai ..

par ye gussa asli hai yaa nakli dekhte hai 😁😁..
धन्यवाद आपका सर जी।
देखते हैं आगे क्या होता है।

साथ बने रहिए।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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सत्ताईसवाँ भाग


आशीष भैया ने दीपा को तुरंत घर आने के लिए कहा और साथ में मुझे भी साथ में ले आने के लिए कहा।

दीपा ने तुरंत मुझको फ़ोन किया और बाहर बुलाया।

क्या बात है दीपा। तुमने अचानक से मुझे बाहर क्यों बुलाया। मैंने बाहर आने के बाद कहा।

भैया का फ़ोन आया था वो बहुत गुस्से में थे। उन्होंने तुरंत घर आने के लिए कहा है साथ में तुमको भी बुलाया है। पता नहीं क्या बात है। दीपा ने कहा।

अब वो तो वहां जाने के बाद ही पता चलेगा कि क्या बात है। मैंने कहा।

मैंने जाकर अपनी बाइक निकली और दीपा को पीछे बैठाकर उसके घर की तरफ चल पड़ा।

उधर घर पर माँ ने आशीष भैया से पूछा।

क्या हुआ बेटा तुमने कोई जवाब नहीं दिया। क्या तुम्हें इस रिश्ते से इनकार है।

नहीं माँ जी ऐसी बात नहीं है। मेरी दीपा की तो किस्मत ही खुल जाएगी आपके घर की बहू बनकर। लेकिन मुझे ये रिश्ता बेमेल लग रहा है। आप लोग इतने हर मामले में मुझसे बड़े(अमीर) हैं, इसलिए मैं जवाब नहीं दे पा रहा हूँ। आशीष भैया ने कहा।

ये कैसी बातें कर रहे हो बेटा। बड़े तो तुम हो। क्योंकि देने वाला हमेशा मांगने वाले से बड़ा होता है। और ये अमीर गरीब का भेदभाव मुझे करना नहीं आता। दीपा जैसी संस्कारी लड़की जिस घर में हो वो लोग कभी गरीब हो ही नहीं सकते। माँ ने कहा।

ठीक है माँ जी जैसा आपको ठीक लगे, फिर भी मैं एक बार इस बारे में दीपा से बात करना चाहता हूँ। आशीष भैया ने कहा।

जब मैं दीपा के घर पहुंचा तो वहाँ पर अपनी माँ और भैया भाभी को देखकर मैं बहुत खुश हुआ। दीपा ने सबको प्रणाम कर माँ के पैर छुए और अपने भाई के पास जाकर खड़ी हो गई।

क्या बात है भैया। आपने मुझे इतनी जल्दी किसलिए बुलाया कॉलेज से। दीपा ने कहा।

ये क्या सुन रहा हूँ मैं। तुम्हारे और निशांत के बारे में क्या तुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हो। आशीष भैया ने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा।

हाँ भैया मैं दीपा से बहुत प्यार करता हूँ और शादी भी करना चाहता हूँ। दीपा के बदले मैंने जवाब दिया।

मैं तुमसे बात नहीं कर रहा हूँ निशांत मैं दीपा से जानना चाहता हूँ। बोलो दीपा क्या मैंने जो सुना है वो सच है। आशीष भैया ने दीपा से फिर पूछा।

हाँ भैया ये सच है। दीपा ने अपना सिर झुकाकर धीरे से कहा।

मैं तुमको कॉलेज इसीलिए भेजता हूँ कि तुम पढ़ाई छोड़कर ये सब करो। तुमने मेरा भरोसा तोड़ा है दीपा। आशीष भैया ने दीपा की तरफ अपनी पीठ करते हुए कहा।

आशीष भैया की बात सुनकर दीपा की आंखों में आंसू आ गए। साथ मे माँ और भैया भी चकित थे, पर हल्का हल्का मुस्कुरा रहे थे आशीष भैया की बात सुनकर, मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं और मेरा हाल तो पूछो ही मत। माँ के मानने के बाद जो उम्मीद जगी थी मेरे मन मे दीपा से शादी को लेकर, आशीष भैया की बात सुनकर वो धूमिल पड़ने लगी।

भैया आप नाराज़ मत हो मुझसे। मैं निशांत से बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन आप से ज्यादा नहीं। दीपा ने आशीष भैया का हाथ पकड़ते हुए कहा।

नहीं दीपा तुमने मुझे निराश किया है दुःख पहुचाया है तुमने मुझे। मैंने तुम्हें पढ़ने के लिए कॉलेज भेजा था, लेकिन तुम तो पढ़ाई छोड़कर प्यार करने लगी और अब शादी भी करना चाहती हो। आशीष भैया ने कहा।

मुझे माफ़ कर दो भैया। मैं आपको दुःखी नहीं देख सकती। ये सच है भैया कि मैं निशांत से प्यार करती हूँ और शादी भी करना चाहती हूँ, लेकिन आपको नाराज़ करके नहीं। मेरे लिए आप निशांत से ऊपर हैं। दीपा ने रोते हुए कहा।

तुम निशांत से शादी करना चाहती हो, लेकिन मैं इस शादी के खिलाफ हूँ, मैंने तुम्हारे रिश्ते के लिए कहीं और जुबान दे चुका हूँ। आशीष भैया ने कहा।

आशीष भैया की बात सुनकर मुझे और दीपा को विश्वास नहीं हुआ। कहाँ तो मैं दीपा से शादी करना चाहता था। बड़ी मुश्किल से माँ को मनाया था, लेकिन आशीष भैया तो दीपा की शादी कहीं और करना चाहते थे। मुझसे ये बर्दास्त नहीं हो रहा था।

लेकिन भैया जब हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं तो आपको इस शादी से क्या दिक्कत है। आप वो रिश्ता तोड़ दीजिए। मैंने आशीष भैया से कहा।

अब इसका निर्णय दीपा को लेना है कि वो क्या चाहती है। अपने भाई की मान-मर्यादा और इज़्ज़त ये तुम्हारा प्यार। आशीष भैया ने कहा।

आप जैसा कहेंगे भैया मैं वैसा करूँगी। आप जहाँ मेरा रिश्ता करना चाहते हैं मैं तैयार हूं उसके लिए, लेकिन भैया आप मुझसे नाराज़ मत होइये। मैं निशांत से ज्यादा आपसे प्यार करती हूँ भैया। अगर आप ही मुझसे नाराज़ हो गए तो मैं बर्दास्त नहीं कर पाऊँगी। आप ही मेरे सबकुछ हैं भैया। दीपा ने रोते हुए आशीष भैया से कहा।

ये तुम क्या कह रही हो दीपा। तुम प्यार मुझसे करती हो तो शादी किसी और से कैसे कर सकती हो। तुम इतनी आसानी से मुझे भूल सकती हो क्या। मैं दीपा की कही हुई पिछली सारी बाते भूलते हुए उससे कहा।

मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकती निशांत, लेकिन मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि मैं तुम्हारे लिए सबकुछ छोड़ सकती हूँ, लेकिन अपने भैया को नहीं छोड़ सकती। मैं अपने भैया की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ तुमसे शादी नहीं कर सकती। मेरे भैया की इज़्ज़त और मान-मर्यादा के सामने मेरा प्यार मेरे लिए कुछ भी नहीं। तुम मुझे भूल जाओ निशांत। मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती। दीपा ने आशीष भैया का हांथ चूमते हुए मुझसे कहा।

दीपा इतना कहकर रोते हुए घर के अंदर चली गई। सभी उसे जाता हुआ देखते रहे।

अब तो तुमने दीपा का फैसला सुन लिया न। अब तुम अपने कॉलेज जाओ। मुझे तुम्हारी माँ और भाई से कुछ बात करनी है। आशीष भैया मेरी तरफ मुखातिब होते हुए बोले

उनकी बात सुनकर मैं सिर झुकाकर उनके घर से निकल गया। अब मेरे पास आशीष भैया से कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। वहां से निकलकर मैं एक पार्क में जाकर बैठ गया और अपनी किस्मत को कोसने लगा। उधर आशीष भैया के घर का माहौल अगल था।

ये सब क्या था आशीष। क्या तुम्हें सच में ये रिश्ता पसंद नहीं है। माँ ने कहा।

कैसी बात कर रही हैं आप माँ जी। आपके घर मेरी दीपा का रिश्ता हो रहा है ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं बहुत खुश हूं अपनी दीपा के लिए। आशीष भैया ने कहा।

तो फिर ये सब क्या था जो अभी कुछ देर पहले यहां घटा। मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। माँ ने कहा।

कुछ नहीं माँ जी। मुझे दीपा पर पूरा विश्वास था, परन्तु मैं बस ये देखना चाहता था कि निशांत से प्यार करने के बाद दीपा अभी भी वैसे ही अपने भाई का सम्मान करती है जैसे पहले करती थी या उसमे बदलाव आ गया है जो अक्सर प्यार करने वाले लड़के लड़कियों में आता है। और मुझे खुशी है कि आज भी दीपा के लिए मेरे मान-सम्मान से बढ़कर कुछ भी नहीं है। उस दिन जब मैंने मैं घर पर नहीं था तो निशांत रात को यहीं रुका था, तभी मुझे इन दोनों पर शक हुआ था कि शायद दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। आशीष भैया ने गर्व रुंधे हुए गले से कहा।

इसीलिए तो मुझे दीपा बहुत पसंद है। इतने अच्छे संस्कारों वाली लड़की कहाँ मिलेगी मुझे अपने निशांत के लिए। माँ ने कहा।

लेकिन अभी मैंने अपनी दीपा को रुला दिया है तो पहले उसे मानना हैं मुझे और माफी भी मांगनी है। आशीष भैया ने कहा।

फिर आशीष भैया उठकर दीपा के कमरे में चले गए। दीपा अपने बिस्तर पर पेट के बल लेटकर रो रही थी। भैया की आवाज़ सुनकर उसने अपने आंसू पोछ लिए और उठकर बैठ गई।

मुझे माफ़ कर दो दीपा। मैंने तुम्हारा दिल दुखाया है। आशीष भैया ने कहा।

आप क्यों माफ़ी मांग रहे हैं भैया। माफी तो मुझे मांगनी चाहिए। जो मैंने अपने भाई को नाराज़ किया गलती करके। दीपा ने कहा।

तुमने कोई गलती नहीं कि दीपा। तुमने तो प्यार किया है सच्चा प्यार। और मुझे अपनी दीपा पर नाज़ है। आशीष भैया ने कहा।

भैया की बात सुनकर दीपा आश्चर्यचकित रह गई। वो अचरज भारी नज़रों से भैया को देखने लगी।

ऐसे क्या देख रही हो दीपा। मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। मैंने तुम्हारे लिए कोई रिश्ता नहीं देखा है, मैं तो मज़ाक कर रहा था। निशांत जैसा अच्छा लड़का मेरी दीपा के लिए मुझे कहाँ मिलेगा भला। आशीष भैया ने हँसते हुए कहा।

आशीष भैया की बात सुनकर दीपा बहुत खुश हुई और वो दौड़कर आशीष भैया के गले लग गई और सिसकती हुई शिकायती लहज़े में बोली।

आपने तो मुझे डरा ही दिया था आप बहुत गंदे हो भैया।


साथ बने रहिए।
 

mashish

BHARAT
8,032
25,910
218
सत्ताईसवाँ भाग


आशीष भैया ने दीपा को तुरंत घर आने के लिए कहा और साथ में मुझे भी साथ में ले आने के लिए कहा।

दीपा ने तुरंत मुझको फ़ोन किया और बाहर बुलाया।

क्या बात है दीपा। तुमने अचानक से मुझे बाहर क्यों बुलाया। मैंने बाहर आने के बाद कहा।

भैया का फ़ोन आया था वो बहुत गुस्से में थे। उन्होंने तुरंत घर आने के लिए कहा है साथ में तुमको भी बुलाया है। पता नहीं क्या बात है। दीपा ने कहा।

अब वो तो वहां जाने के बाद ही पता चलेगा कि क्या बात है। मैंने कहा।

मैंने जाकर अपनी बाइक निकली और दीपा को पीछे बैठाकर उसके घर की तरफ चल पड़ा।

उधर घर पर माँ ने आशीष भैया से पूछा।

क्या हुआ बेटा तुमने कोई जवाब नहीं दिया। क्या तुम्हें इस रिश्ते से इनकार है।

नहीं माँ जी ऐसी बात नहीं है। मेरी दीपा की तो किस्मत ही खुल जाएगी आपके घर की बहू बनकर। लेकिन मुझे ये रिश्ता बेमेल लग रहा है। आप लोग इतने हर मामले में मुझसे बड़े(अमीर) हैं, इसलिए मैं जवाब नहीं दे पा रहा हूँ। आशीष भैया ने कहा।

ये कैसी बातें कर रहे हो बेटा। बड़े तो तुम हो। क्योंकि देने वाला हमेशा मांगने वाले से बड़ा होता है। और ये अमीर गरीब का भेदभाव मुझे करना नहीं आता। दीपा जैसी संस्कारी लड़की जिस घर में हो वो लोग कभी गरीब हो ही नहीं सकते। माँ ने कहा।

ठीक है माँ जी जैसा आपको ठीक लगे, फिर भी मैं एक बार इस बारे में दीपा से बात करना चाहता हूँ। आशीष भैया ने कहा।

जब मैं दीपा के घर पहुंचा तो वहाँ पर अपनी माँ और भैया भाभी को देखकर मैं बहुत खुश हुआ। दीपा ने सबको प्रणाम कर माँ के पैर छुए और अपने भाई के पास जाकर खड़ी हो गई।

क्या बात है भैया। आपने मुझे इतनी जल्दी किसलिए बुलाया कॉलेज से। दीपा ने कहा।

ये क्या सुन रहा हूँ मैं। तुम्हारे और निशांत के बारे में क्या तुम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हो। आशीष भैया ने थोड़ा गुस्सा करते हुए कहा।

हाँ भैया मैं दीपा से बहुत प्यार करता हूँ और शादी भी करना चाहता हूँ। दीपा के बदले मैंने जवाब दिया।

मैं तुमसे बात नहीं कर रहा हूँ निशांत मैं दीपा से जानना चाहता हूँ। बोलो दीपा क्या मैंने जो सुना है वो सच है। आशीष भैया ने दीपा से फिर पूछा।

हाँ भैया ये सच है। दीपा ने अपना सिर झुकाकर धीरे से कहा।

मैं तुमको कॉलेज इसीलिए भेजता हूँ कि तुम पढ़ाई छोड़कर ये सब करो। तुमने मेरा भरोसा तोड़ा है दीपा। आशीष भैया ने दीपा की तरफ अपनी पीठ करते हुए कहा।

आशीष भैया की बात सुनकर दीपा की आंखों में आंसू आ गए। साथ मे माँ और भैया भी चकित थे, पर हल्का हल्का मुस्कुरा रहे थे आशीष भैया की बात सुनकर, मगर उन्होंने कुछ कहा नहीं और मेरा हाल तो पूछो ही मत। माँ के मानने के बाद जो उम्मीद जगी थी मेरे मन मे दीपा से शादी को लेकर, आशीष भैया की बात सुनकर वो धूमिल पड़ने लगी।

भैया आप नाराज़ मत हो मुझसे। मैं निशांत से बहुत प्यार करती हूँ, लेकिन आप से ज्यादा नहीं। दीपा ने आशीष भैया का हाथ पकड़ते हुए कहा।

नहीं दीपा तुमने मुझे निराश किया है दुःख पहुचाया है तुमने मुझे। मैंने तुम्हें पढ़ने के लिए कॉलेज भेजा था, लेकिन तुम तो पढ़ाई छोड़कर प्यार करने लगी और अब शादी भी करना चाहती हो। आशीष भैया ने कहा।

मुझे माफ़ कर दो भैया। मैं आपको दुःखी नहीं देख सकती। ये सच है भैया कि मैं निशांत से प्यार करती हूँ और शादी भी करना चाहती हूँ, लेकिन आपको नाराज़ करके नहीं। मेरे लिए आप निशांत से ऊपर हैं। दीपा ने रोते हुए कहा।

तुम निशांत से शादी करना चाहती हो, लेकिन मैं इस शादी के खिलाफ हूँ, मैंने तुम्हारे रिश्ते के लिए कहीं और जुबान दे चुका हूँ। आशीष भैया ने कहा।

आशीष भैया की बात सुनकर मुझे और दीपा को विश्वास नहीं हुआ। कहाँ तो मैं दीपा से शादी करना चाहता था। बड़ी मुश्किल से माँ को मनाया था, लेकिन आशीष भैया तो दीपा की शादी कहीं और करना चाहते थे। मुझसे ये बर्दास्त नहीं हो रहा था।

लेकिन भैया जब हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं तो आपको इस शादी से क्या दिक्कत है। आप वो रिश्ता तोड़ दीजिए। मैंने आशीष भैया से कहा।

अब इसका निर्णय दीपा को लेना है कि वो क्या चाहती है। अपने भाई की मान-मर्यादा और इज़्ज़त ये तुम्हारा प्यार। आशीष भैया ने कहा।

आप जैसा कहेंगे भैया मैं वैसा करूँगी। आप जहाँ मेरा रिश्ता करना चाहते हैं मैं तैयार हूं उसके लिए, लेकिन भैया आप मुझसे नाराज़ मत होइये। मैं निशांत से ज्यादा आपसे प्यार करती हूँ भैया। अगर आप ही मुझसे नाराज़ हो गए तो मैं बर्दास्त नहीं कर पाऊँगी। आप ही मेरे सबकुछ हैं भैया। दीपा ने रोते हुए आशीष भैया से कहा।

ये तुम क्या कह रही हो दीपा। तुम प्यार मुझसे करती हो तो शादी किसी और से कैसे कर सकती हो। तुम इतनी आसानी से मुझे भूल सकती हो क्या। मैं दीपा की कही हुई पिछली सारी बाते भूलते हुए उससे कहा।

मैं तुम्हें कभी नहीं भूल सकती निशांत, लेकिन मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि मैं तुम्हारे लिए सबकुछ छोड़ सकती हूँ, लेकिन अपने भैया को नहीं छोड़ सकती। मैं अपने भैया की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ तुमसे शादी नहीं कर सकती। मेरे भैया की इज़्ज़त और मान-मर्यादा के सामने मेरा प्यार मेरे लिए कुछ भी नहीं। तुम मुझे भूल जाओ निशांत। मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती। दीपा ने आशीष भैया का हांथ चूमते हुए मुझसे कहा।

दीपा इतना कहकर रोते हुए घर के अंदर चली गई। सभी उसे जाता हुआ देखते रहे।

अब तो तुमने दीपा का फैसला सुन लिया न। अब तुम अपने कॉलेज जाओ। मुझे तुम्हारी माँ और भाई से कुछ बात करनी है। आशीष भैया मेरी तरफ मुखातिब होते हुए बोले

उनकी बात सुनकर मैं सिर झुकाकर उनके घर से निकल गया। अब मेरे पास आशीष भैया से कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था। वहां से निकलकर मैं एक पार्क में जाकर बैठ गया और अपनी किस्मत को कोसने लगा। उधर आशीष भैया के घर का माहौल अगल था।

ये सब क्या था आशीष। क्या तुम्हें सच में ये रिश्ता पसंद नहीं है। माँ ने कहा।

कैसी बात कर रही हैं आप माँ जी। आपके घर मेरी दीपा का रिश्ता हो रहा है ये तो मेरे लिए सौभाग्य की बात है। मैं बहुत खुश हूं अपनी दीपा के लिए। आशीष भैया ने कहा।

तो फिर ये सब क्या था जो अभी कुछ देर पहले यहां घटा। मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है। माँ ने कहा।

कुछ नहीं माँ जी। मुझे दीपा पर पूरा विश्वास था, परन्तु मैं बस ये देखना चाहता था कि निशांत से प्यार करने के बाद दीपा अभी भी वैसे ही अपने भाई का सम्मान करती है जैसे पहले करती थी या उसमे बदलाव आ गया है जो अक्सर प्यार करने वाले लड़के लड़कियों में आता है। और मुझे खुशी है कि आज भी दीपा के लिए मेरे मान-सम्मान से बढ़कर कुछ भी नहीं है। उस दिन जब मैंने मैं घर पर नहीं था तो निशांत रात को यहीं रुका था, तभी मुझे इन दोनों पर शक हुआ था कि शायद दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। आशीष भैया ने गर्व रुंधे हुए गले से कहा।

इसीलिए तो मुझे दीपा बहुत पसंद है। इतने अच्छे संस्कारों वाली लड़की कहाँ मिलेगी मुझे अपने निशांत के लिए। माँ ने कहा।

लेकिन अभी मैंने अपनी दीपा को रुला दिया है तो पहले उसे मानना हैं मुझे और माफी भी मांगनी है। आशीष भैया ने कहा।

फिर आशीष भैया उठकर दीपा के कमरे में चले गए। दीपा अपने बिस्तर पर पेट के बल लेटकर रो रही थी। भैया की आवाज़ सुनकर उसने अपने आंसू पोछ लिए और उठकर बैठ गई।

मुझे माफ़ कर दो दीपा। मैंने तुम्हारा दिल दुखाया है। आशीष भैया ने कहा।

आप क्यों माफ़ी मांग रहे हैं भैया। माफी तो मुझे मांगनी चाहिए। जो मैंने अपने भाई को नाराज़ किया गलती करके। दीपा ने कहा।

तुमने कोई गलती नहीं कि दीपा। तुमने तो प्यार किया है सच्चा प्यार। और मुझे अपनी दीपा पर नाज़ है। आशीष भैया ने कहा।

भैया की बात सुनकर दीपा आश्चर्यचकित रह गई। वो अचरज भारी नज़रों से भैया को देखने लगी।

ऐसे क्या देख रही हो दीपा। मुझे तुमसे कोई शिकायत नहीं है। मैंने तुम्हारे लिए कोई रिश्ता नहीं देखा है, मैं तो मज़ाक कर रहा था। निशांत जैसा अच्छा लड़का मेरी दीपा के लिए मुझे कहाँ मिलेगा भला। आशीष भैया ने हँसते हुए कहा।

आशीष भैया की बात सुनकर दीपा बहुत खुश हुई और वो दौड़कर आशीष भैया के गले लग गई और सिसकती हुई शिकायती लहज़े में बोली।

आपने तो मुझे डरा ही दिया था आप बहुत गंदे हो भैया।



साथ बने रहिए।
lovely update
 
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mashish

BHARAT
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waiting for next
 
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nice and beautiful update ...

great writing skills ..
 
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