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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
27,937
56,311
304
अट्ठाईसवाँ भाग


दीपा आशीष भैया के गले लग गई और उनसे शिकायती लहज़े में बोली।

आप बहुत गंदे हो भैया आपने तो मुझे डरा ही दिया था।

अब तो खुश हो न तुम। अब तुम्हारी शादी तुम्हारी पसन्द के लड़के से होगी। आशीष भैया ने कहा।

मैं बहुत खुश हूं भैया और ये खुशी मुझे आपने दी है। थैंक यू सो मच भैया। दीपा ने कहा।

चल ज्यादा मस्का मत लगा, निशांत की माँ तुमसे कुछ बात करना चाहती हैं मैं उन्हें यहीं भेज रहा हूँ। आशीष भैया ने कहा।

इतना कहकर आशीष भैया कमरे से बाहर चले गए। थोड़ी दे बाद माँ कमरे में गई। दीपा उन्हें देखकर शर्माने लगी।

दीपा बेटी। माँ ने दीपा को आवाज़ दी।

दीपा माँ से शर्मा रही थी इसलिए उसने माँ को कोई जवाब नहीं दिया।

क्या बात है दीपा। तुम बोल क्यों नहीं रही हो। माँ ने कहा।

दीपा ने इसबार भी कोई जवाब नहीं दिया।

लगता है तुम्हें मेरा निशांत पसंद नहीं है। कोई बात नहीं चलती हूँ मैं। माँ ने कहा।

इतना कहकर माँ बाहर जाने लगी तो दीपा ने कहा।

ऐसी बात नहीं है माँ। मुझे निशांत बहुत पसंद है।
इतना कहकर दीपा फिर शरमाने लगी।

अच्छा इतना पसंद है निशांत तुम्हें। तो ये बताओ उसके लिए क्या कर सकती हो तुम। माँ ने कहा।

मैं निशांत के लिए कुछ भी कर सकती हूँ, बस अपने भाई के खिलाफ नहीं जा सकती, उसके अलावा कुछ भी। दीपा ने कहा।

ठीक है। मैं तुम्हारी शादी निशांत से करवाने के लिए तैयार हूँ, लेकिन उसके पहले तुम्हें मेरे लिए कुछ करना होगा। माँ ने कहा।

मुझे क्या करना होगा माँ। दीपा ने मां को देखते हुए पूछा।

उसके बाद माँ ने दीपा को कुछ बाते बताई। जिसे सुनने के बाद दीपा मुस्कुराने लगी।

ये करना जरूरी है क्या माँ जी। छोटे अभी बहुत परेशान है। उसे और परेशान करने की क्या जरूरत है। दीपा ने कहा।

वाह क्या बात है। अभी शादी हुई भी नहीं है और अभी से इतनी तरफ़दारी। पता नहीं शादी के बाद क्या होगा। माँ ने दीपा को छेड़ते हुए कहा।

माँ की बात सुनकर दीपा शर्मा गई और मुस्कुराते हुए अपना सिर नीछे झुक लिया।

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है माँ। मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी। दीपा ने कहा।

अब मैं सास बनने वाली हूँ तुम्हारी तो तुम्हे मेरी बात माननी होगी। मां ने कहा।

ठीक है माँ जी जैसा आप कहें। दीपा ने कहा।

उधर मैं उदास मन से पार्क में बैठा था और सोच रहा था कि कब आगे मुझे क्या करना है। एक मन कहता कि दीपा को भगाकर शादी कर लूं, लेकिन मैं जानता था कि दीपा इसके लिए कभी तैयार नहीं होगी। एक मन कहता कि मुझे किसी भी तरह आशीष भैया को शादी के लिए मनाना ही होगा। मुझे वहां बैठे बैठे शाम हो गई। उसके बाद में सीधे घर के लिए निकल गया।

घर पहुँच कर मैं सीधे अपने कमरे में चला गया। कुछ देर बाद खाना खाने की मेज पर सभी लोग बैठकर खाना खाने लगे। मैं अभी भी खामोश ही था किसी से बात नहीं कर रहा था।

क्या बात है छोटे। तू बात क्यों नहीं कर रहा है किसी से। अर्जुन भैया ने मुझसे पूछा।

कोई बात नहीं है भैया। बस कुछ ठीक नहीं लग रहा है। मैंने कहा।

देखो निशांत हमने तुम्हारी बात मानीं और दीपा के घर भी गए, लेकिन आशीष को इस रिश्ते से आपत्ति है। तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। माँ ने कहा।

मैंने जल्दी जल्दी खाना खत्म किया और अपने कमरे में चल गया। सुबह उठकर मैं नहा धोकर कॉलेज चला गया, भोजनावकाश के समय मेरी मुलाकात दीपा से हुई।

क्या बात है निशांत तुम बहुत उदास लग रहे हो। दीपा ने मुझसे पूछा।

सब कुछ जानकर भी अनजान मत बनो दीपा। तुम्हे अच्छे से पता है कि मैं क्यों उदास हूँ। मैंने दीपा से कहा।

जानकर तो तुम अनजान बन रहे हो निशांत, मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि अपने भाई के अलावा तुम्हारे प्यार के लिए मैं कुछ भी करूँगी, लेकिन जब भैया ही राजी नहीं हैं तो मैं उनके खिलाफ तो नहीं जाऊँगी। दीपा ने कहा।

कोई तो रास्ता होगा जिससे मेरी शादी तुम्हारे साथ हो जाए। मैंने कहा।

एक रास्ता है, अगर भैया मान जाएँ इस शादी के लिए तो। तुम्हें कुछ भी करके भैया को मनाना होगा अपनी शादी के लिए। दीपा ने कहा।

ठीक है। मैं पूरी कोशिश करूँगा कि आशीष भैया जल्दी मान जाएँ इस शादी के लिए। मैंने कहा।

उसके बाद हम दोनों अपनी अपनी कक्षा में चले गए। कॉलेज खत्म होने के बाद मैं और दीपा अपने अपने घर को चले गए।

इसी तरह दिन बीतने लगे। मैं एक हफ्ते तक कभी आशीष भैया से मिलकर उन्हें शादी के लिए मनाता तो कभी फ़ोन पर बात करके, लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं थे। इधर कॉलेज में जो भी विद्यार्थी इन दिनों अपनी समस्याएं लेकर आते थे। मैं राहुल भैया और विक्रम भैया के साथ मिलकर अगर संभव होता तो हम लोग ही उन समस्याओं का समाधान कर देते। नहीं तो कुलपति महोदय से मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान करते।

एक दिन में कॉलेज में भोजनावकाश के समय बैठा हुआ था कि तभी देवांशु वहां आ गया।

और क्या हाल चाल हैं नेता जी। सुना है आजकल बहुत अच्छे अच्छे काम कर रहे हो विद्यार्थियों के लिए। मेरी भी एक समस्या है। छात्रनेता होने के कारण उसे दूर करना तुम्हारा फ़र्ज़ है। देवांशु ने मुझपर तंज़ कसते हुए कहा।

मैं उससे बात करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था, लेकिन उसने समस्या की बात की तो मैंने अपना फ़र्ज़ समझकर उसकी समस्या के बारे में पूछा।

हां। क्यों नहीं। बताओ, मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करूँगा।

बात ये है कि मेरी गर्लफ्रैंड को एक कमीना मुझसे छीनना चाहता है। मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं है। मैं इस समस्या को अपने तरीके से खुद सुलझा सकता हूँ और उसके हाथ पैर तुड़वा सकता हूँ, लेकिन मैंने सोचा पहले अपने नेता जी की मदद ले लेता हूँ। हो सकता है तुम ही इसका कोई समाधान कर दो। अगर तुमसे भी नहीं हो पाएगा तो मैं अपने तरीके से इस समस्या का समाधान करूँगा। देवांशु ने आखिरी पंक्ति दांत पीसते हुए कही।

उसकी बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया, मैं समझ गया कि ये मेरी और दीपा की ही बात कर रहा है, लेकिन मुझे राहुल भैया की बात याद थी कि जितना हो सके देवांशु से उलझने की कोशिश मत करना। नही तो छात्रों के बीच तुम्हारी छवि खराब होगी इसलिए मैंने शान्त भाव से कहा।

देखो देवांशु, ये तुम्हारा व्यक्तिगत मामला है, इसमें में तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता। मैं एक छात्रनेता हूँ। तुम्हें कोई कॉलेज की समस्या हो। कैम्पस में कोई समस्या हो। प्रोफेसर ठीक से क्लास न ले रहे हों तो मुझे बताओ। में उसका समाधान करूँगा।

देखा दोस्तों मैं न कहता था कि ये लातों का भूत है। ये बातों से नहीं मानने वाला। अब तू अपनी उलटी गिनती गिनना शुरू कर दे, क्योंकि बहुत जल्द तू इतिहास बनकर रह जाएगा। देवांशु मुझे चेतावनी देते हुए बोला।

तुझको जो करना है कर ले। मैं तेरे से डरता नहीं हूँ। अगर मैं अपने पे आ गया तो तुझे बहुत भारी पड़ेगा। मैंने देवांशु से कहा।

इसके बाद देवांशु मुझे देख लेने की धमकी देते हुए चला गया। मेरा मूड खराब हो चुका था, इसलिए मैं घर जाने के लिए सोचा और पार्किंग की तरफ जाने लगा, तभी मेरा फोन बजने लगा।

हां माँ बताइये। मैंने कहा।

तुम जहां कहीं भी हो तुरंत घर आओ। माँ ने कहा।

मैं घर ही आ रहा हूँ, कोई खास बात है क्या। मैंने कहा।

तेरे लिए खुशखबरी है। मैंने जिस लड़की से तेरे रिश्ते की बात की थी वो लोग आए हुए हैं तो तू जल्दी घर आ जा और एक बार लड़की से मिल ले। माँ ने कहा।

माँ की बात सुनकर मैं उदास हो गया। मैं माँ को मना भी नहीं कर सकता था, क्योंकि अभी तक आशीष भैया मेरी और दीपा की शादी के लिए हां नहीं की थी, और दीपा के अलावा किसी और लड़की से शादी करना भी नहीं चाहता था। तो मैंने निर्णय लिया कि मैं उस लड़की से साफ साफ अपने और दीपा के बारे में बता दूंगा। शायद उसे मेरी बात समझ आ जाए और वो खुद इस रिश्ते के लिए इनकार कर दे। यही सब सोचकर मैंने पार्किंग से अपनी मोटरसायकल निकली और घर की तरफ चल पड़ा।



साथ बने रहिए।
 
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mashish

BHARAT
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अट्ठाईसवाँ भाग


दीपा आशीष भैया के गले लग गई और उनसे शिकायती लहज़े में बोली।

आप बहुत गंदे हो भैया आपने तो मुझे डरा ही दिया था।

अब तो खुश हो न तुम। अब तुम्हारी शादी तुम्हारी पसन्द के लड़के से होगी। आशीष भैया ने कहा।

मैं बहुत खुश हूं भैया और ये खुशी मुझे आपने दी है। थैंक यू सो मच भैया। दीपा ने कहा।

चल ज्यादा मस्का मत लगा, निशांत की माँ तुमसे कुछ बात करना चाहती हैं मैं उन्हें यहीं भेज रहा हूँ। आशीष भैया ने कहा।

इतना कहकर आशीष भैया कमरे से बाहर चले गए। थोड़ी दे बाद माँ कमरे में गई। दीपा उन्हें देखकर शर्माने लगी।

दीपा बेटी। माँ ने दीपा को आवाज़ दी।

दीपा माँ से शर्मा रही थी इसलिए उसने माँ को कोई जवाब नहीं दिया।

क्या बात है दीपा। तुम बोल क्यों नहीं रही हो। माँ ने कहा।

दीपा ने इसबार भी कोई जवाब नहीं दिया।

लगता है तुम्हें मेरा निशांत पसंद नहीं है। कोई बात नहीं चलती हूँ मैं। माँ ने कहा।

इतना कहकर माँ बाहर जाने लगी तो दीपा ने कहा।

ऐसी बात नहीं है माँ। मुझे निशांत बहुत पसंद है।
इतना कहकर दीपा फिर शरमाने लगी।

अच्छा इतना पसंद है निशांत तुम्हें। तो ये बताओ उसके लिए क्या कर सकती हो तुम। माँ ने कहा।

मैं निशांत के लिए कुछ भी कर सकती हूँ, बस अपने भाई के खिलाफ नहीं जा सकती, उसके अलावा कुछ भी। दीपा ने कहा।

ठीक है। मैं तुम्हारी शादी निशांत से करवाने के लिए तैयार हूँ, लेकिन उसके पहले तुम्हें मेरे लिए कुछ करना होगा। माँ ने कहा।

मुझे क्या करना होगा माँ। दीपा ने मां को देखते हुए पूछा।

उसके बाद माँ ने दीपा को कुछ बाते बताई। जिसे सुनने के बाद दीपा मुस्कुराने लगी।

ये करना जरूरी है क्या माँ जी। छोटे अभी बहुत परेशान है। उसे और परेशान करने की क्या जरूरत है। दीपा ने कहा।

वाह क्या बात है। अभी शादी हुई भी नहीं है और अभी से इतनी तरफ़दारी। पता नहीं शादी के बाद क्या होगा। माँ ने दीपा को छेड़ते हुए कहा।

माँ की बात सुनकर दीपा शर्मा गई और मुस्कुराते हुए अपना सिर नीछे झुक लिया।

नहीं ऐसी कोई बात नहीं है माँ। मैं तो बस ऐसे ही कह रही थी। दीपा ने कहा।

अब मैं सास बनने वाली हूँ तुम्हारी तो तुम्हे मेरी बात माननी होगी। मां ने कहा।

ठीक है माँ जी जैसा आप कहें। दीपा ने कहा।

उधर मैं उदास मन से पार्क में बैठा था और सोच रहा था कि कब आगे मुझे क्या करना है। एक मन कहता कि दीपा को भगाकर शादी कर लूं, लेकिन मैं जानता था कि दीपा इसके लिए कभी तैयार नहीं होगी। एक मन कहता कि मुझे किसी भी तरह आशीष भैया को शादी के लिए मनाना ही होगा। मुझे वहां बैठे बैठे शाम हो गई। उसके बाद में सीधे घर के लिए निकल गया।

घर पहुँच कर मैं सीधे अपने कमरे में चला गया। कुछ देर बाद खाना खाने की मेज पर सभी लोग बैठकर खाना खाने लगे। मैं अभी भी खामोश ही था किसी से बात नहीं कर रहा था।

क्या बात है छोटे। तू बात क्यों नहीं कर रहा है किसी से। अर्जुन भैया ने मुझसे पूछा।

कोई बात नहीं है भैया। बस कुछ ठीक नहीं लग रहा है। मैंने कहा।

देखो निशांत हमने तुम्हारी बात मानीं और दीपा के घर भी गए, लेकिन आशीष को इस रिश्ते से आपत्ति है। तो इसमें हम कुछ नहीं कर सकते। माँ ने कहा।

मैंने जल्दी जल्दी खाना खत्म किया और अपने कमरे में चल गया। सुबह उठकर मैं नहा धोकर कॉलेज चला गया, भोजनावकाश के समय मेरी मुलाकात दीपा से हुई।

क्या बात है निशांत तुम बहुत उदास लग रहे हो। दीपा ने मुझसे पूछा।

सब कुछ जानकर भी अनजान मत बनो दीपा। तुम्हे अच्छे से पता है कि मैं क्यों उदास हूँ। मैंने दीपा से कहा।

जानकर तो तुम अनजान बन रहे हो निशांत, मैंने तुमसे पहले ही कहा था कि अपने भाई के अलावा तुम्हारे प्यार के लिए मैं कुछ भी करूँगी, लेकिन जब भैया ही राजी नहीं हैं तो मैं उनके खिलाफ तो नहीं जाऊँगी। दीपा ने कहा।

कोई तो रास्ता होगा जिससे मेरी शादी तुम्हारे साथ हो जाए। मैंने कहा।

एक रास्ता है, अगर भैया मान जाएँ इस शादी के लिए तो। तुम्हें कुछ भी करके भैया को मनाना होगा अपनी शादी के लिए। दीपा ने कहा।

ठीक है। मैं पूरी कोशिश करूँगा कि आशीष भैया जल्दी मान जाएँ इस शादी के लिए। मैंने कहा।

उसके बाद हम दोनों अपनी अपनी कक्षा में चले गए। कॉलेज खत्म होने के बाद मैं और दीपा अपने अपने घर को चले गए।

इसी तरह दिन बीतने लगे। मैं एक हफ्ते तक कभी आशीष भैया से मिलकर उन्हें शादी के लिए मनाता तो कभी फ़ोन पर बात करके, लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं थे। इधर कॉलेज में जो भी विद्यार्थी इन दिनों अपनी समस्याएं लेकर आते थे। मैं राहुल भैया और विक्रम भैया के साथ मिलकर अगर संभव होता तो हम लोग ही उन समस्याओं का समाधान कर देते। नहीं तो कुलपति महोदय से मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान करते।

एक दिन में कॉलेज में भोजनावकाश के समय बैठा हुआ था कि तभी देवांशु वहां आ गया।

और क्या हाल चाल हैं नेता जी। सुना है आजकल बहुत अच्छे अच्छे काम कर रहे हो विद्यार्थियों के लिए। मेरी भी एक समस्या है। छात्रनेता होने के कारण उसे दूर करना तुम्हारा फ़र्ज़ है। देवांशु ने मुझपर तंज़ कसते हुए कहा।

मैं उससे बात करने के मूड में बिल्कुल भी नहीं था, लेकिन उसने समस्या की बात की तो मैंने अपना फ़र्ज़ समझकर उसकी समस्या के बारे में पूछा।

हां। क्यों नहीं। बताओ, मुझसे जो बन पड़ेगा मैं करूँगा।

बात ये है कि मेरी गर्लफ्रैंड को एक कमीना मुझसे छीनना चाहता है। मैंने उसे बहुत समझाया लेकिन वो मानने को तैयार ही नहीं है। मैं इस समस्या को अपने तरीके से खुद सुलझा सकता हूँ और उसके हाथ पैर तुड़वा सकता हूँ, लेकिन मैंने सोचा पहले अपने नेता जी की मदद ले लेता हूँ। हो सकता है तुम ही इसका कोई समाधान कर दो। अगर तुमसे भी नहीं हो पाएगा तो मैं अपने तरीके से इस समस्या का समाधान करूँगा। देवांशु ने आखिरी पंक्ति दांत पीसते हुए कही।

उसकी बात सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया, मैं समझ गया कि ये मेरी और दीपा की ही बात कर रहा है, लेकिन मुझे राहुल भैया की बात याद थी कि जितना हो सके देवांशु से उलझने की कोशिश मत करना। नही तो छात्रों के बीच तुम्हारी छवि खराब होगी इसलिए मैंने शान्त भाव से कहा।

देखो देवांशु, ये तुम्हारा व्यक्तिगत मामला है, इसमें में तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता। मैं एक छात्रनेता हूँ। तुम्हें कोई कॉलेज की समस्या हो। कैम्पस में कोई समस्या हो। प्रोफेसर ठीक से क्लास न ले रहे हों तो मुझे बताओ। में उसका समाधान करूँगा।

देखा दोस्तों मैं न कहता था कि ये लातों का भूत है। ये बातों से नहीं मानने वाला। अब तू अपनी उलटी गिनती गिनना शुरू कर दे, क्योंकि बहुत जल्द तू इतिहास बनकर रह जाएगा। देवांशु मुझे चेतावनी देते हुए बोला।

तुझको जो करना है कर ले। मैं तेरे से डरता नहीं हूँ। अगर मैं अपने पे आ गया तो तुझे बहुत भारी पड़ेगा। मैंने देवांशु से कहा।

इसके बाद देवांशु मुझे देख लेने की धमकी देते हुए चला गया। मेरा मूड खराब हो चुका था, इसलिए मैं घर जाने के लिए सोचा और पार्किंग की तरफ जाने लगा, तभी मेरा फोन बजने लगा।

हां माँ बताइये। मैंने कहा।

तुम जहां कहीं भी हो तुरंत घर आओ। माँ ने कहा।

मैं घर ही आ रहा हूँ, कोई खास बात है क्या। मैंने कहा।

तेरे लिए खुशखबरी है। मैंने जिस लड़की से तेरे रिश्ते की बात की थी वो लोग आए हुए हैं तो तू जल्दी घर आ जा और एक बार लड़की से मिल ले। माँ ने कहा।

माँ की बात सुनकर मैं उदास हो गया। मैं माँ को मना भी नहीं कर सकता था, क्योंकि अभी तक आशीष भैया मेरी और दीपा की शादी के लिए हां नहीं की थी, और दीपा के अलावा किसी और लड़की से शादी करना भी नहीं चाहता था। तो मैंने निर्णय लिया कि मैं उस लड़की से साफ साफ अपने और दीपा के बारे में बता दूंगा। शायद उसे मेरी बात समझ आ जाए और वो खुद इस रिश्ते के लिए इनकार कर दे। यही सब सोचकर मैंने पार्किंग से अपनी मोटरसायकल निकली और घर की तरफ चल पड़ा।



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awesome super update
 
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DARK WOLFKING

Supreme
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best update ..deepa bhi saasu maa ki baat maanke nishant ko uljha rahi hai 🤣🤣..
aur hero bhi abhi tak aashish bhaiya ko mana nahi paya kyunki wo natak kar rahe hai 😁..

is devanshu ka koi sahi samadhan karna padega hero ko tabhi wo line pe aayega 🤩..
ek do baar pit jaaye nishant se to akal thikane aa jayegi uski 😁😁.

ab maa ne kya plan kiya hai jo nishant ko ghar bulaya dekhte hai 😁😁..
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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best update ..deepa bhi saasu maa ki baat maanke nishant ko uljha rahi hai 🤣🤣..
aur hero bhi abhi tak aashish bhaiya ko mana nahi paya kyunki wo natak kar rahe hai 😁..

is devanshu ka koi sahi samadhan karna padega hero ko tabhi wo line pe aayega 🤩..
ek do baar pit jaaye nishant se to akal thikane aa jayegi uski 😁😁.

ab maa ne kya plan kiya hai jo nishant ko ghar bulaya dekhte hai 😁😁..
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सर जी।

बहुत जल्द देवांशु का नम्बर भी लगने वाला है पिटाई में। और माँ का क्या प्लान है वो तो अगले भाग में पता चलेगा।

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