धन्यवाद आपका सर जी।awesome super update
साथ बने रहिए।
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अगला भाग कल दोपहर बाद लिख देंगे।waiting for next
okअगला भाग कल दोपहर बाद लिख देंगे।
lovely updateउन्तीसवाँ भाग
माँ के बुलाने पर मैं बुझे मन से घर की तरफ चल पड़ा। मैंने निश्चय कर लिया था कि मैं उस लड़की से अपने और दीपा के रिश्ते के बारे में साफ साफ बता दूंगा।
थोड़ी देर बाद मैं घर पर पहुँचा तो माँ, भैया और भाभी हॉल में बैठे मेरा इंतज़ार कर रहे थे। मेरे घर मे घुसने के बाद माँ ने कहा।
जल्दी से जाकर फ्रेश हो जाओ लड़की बहू के कमरे में बैठी हुई है। जाकर उससे मिलो। उसे देखो और एक दूसरे को समझने की कोशिश करो।
लेकिन माँ मैं दीपा से शादी करना चाहता हूँ। फिर आप लोग क्यों मेरे साथ जबरदस्ती कर रहे हैं। मैंने कहा।
देखो तुम्हारे कहने पर ही हमने आशीष से दीपा के रिश्ते की बात की थी, परंतु आशीष ने मना कर दिया। तो अब किसी न किसी से तो तुम्हे शादी करनी ही है। अब ज्यादा बहस नहीं करो और जाकर फ्रेश होकर उस लड़की से मिलो। माँ ने कहा।
माँ की बात सुनकर मैं बुझे मन से अपने कमरे में चल गया और फ्रेश होकर अपने बिस्तर पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे से निकलकर भाभी के कमरे की तरफ चल पड़ा। आज मेरे पांव मेरा साथ ही नहीं दे रहे थे। मैं भगवान से कामना कर रहा था कि कुछ ऐसा हो जाए कि मैं भाभी के कमरे तक पहुँच ही न पाऊँ।
लेकिन उस समय भगवान भी मेरे साथ नहीं थे। जब मैं भाभी के कमरे में पहुँच गया तो देखा कि एक लड़की मेरी तरफ पीठ करके बैठी हुई है। मैंने उसको देखना नहीं चाहता था इसलिए मैंने भी उसकी तरफ अपनी पीठ कर ली और उससे कहा।
सुनिए मुझे तुमसे कुछ कहना है।
हां मुझे पता है कि आप क्या कहना चाहते हैं। उसने मेरी तरफ पलटते हुए कहा।
तुम्हें कैसे पता कि मुझे क्या कहना है। मैंने उससे कहा।
मुझे आपकी मम्मी ने सब बताया है। उसने कहा।
क्या बताया है मेरी माँ ने तुमको। मैंने कहा।
आपकी माँ ने बताया है कि आप मुझसे शादी करने के लिए तैयार हैं। उस लड़की ने कहा।
बिल्कुल नहीं। मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता। मैं किसी और से प्यार करता हूँ कर उसी से शादी करूँगा। तुम इस रिश्ते के लिए माँ को मना कर दो। मैंने उससे कहा।
लेकिन आपकी मम्मी ने तो बताया था कि उसके भाई को ये रिश्ता पसंद नहीं है। इसलिए उन्होंने आज मुझे तुमसे मिलवाने के लिए बुलाया है। उस लड़की ने कहा।
मैं उन्हें इस शादी के लिए मना लूंगा। बस तुम इस शादी से मना कर दो। बोल दो कि मैं तुम्हें पसंद नहीं। मैंने कहा।
लेकिन मुझे तो आप बहुत पसंद हैं। मैं मना क्यों करूँ। वैसे मैं भी उस लड़की से कम सुंदर नहीं हूँ। एक बार देखो मुझे। तुम उसे भूल जाओगे। उस लड़की ने कहा।
मैंने कहा न मुझे तुमसे शादी नहीं करनी। और मेरे लिए मेरी दीपा से ज्यादा सुंदर लड़की और कोई नहीं है। तुम भी नहीं। मैंने उस लड़की से कहा।
ऐसे कैसे। अभी तक तुमने मुझे देखा ही नहीं। जब से आए हो मुंह घुमाकर खड़े हुए हो। उस लड़की ने कहा।
जब मुझे तुमसे शादी करनी ही नहीं है तो तुम्हें देखने का कोई मतलब ही नहीं है। वैसे भी दीपा तुमसे हर मामले में अच्छी है। सूरत में भी और सीरत में भी समझी। मैंने तुमसे शादी नहीं करनी। मैंने कहा।
उसके बाद मैं भाभी के कमरे से वापस आने लगा, तभी उसकी बात सुनकर मेरे पैर वहीं रुक गए।
वो कैसी है मुझे पता है। ना सूरत से है न सीरत से है। सुना है उसका कॉलेज के किसी लड़के के साथ चक्कर चल रहा है, वो तुम्हें धोखा दे रही है और तुम उसके पीछे पागल हो। उस लड़की ने कहा।
उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया मैंने अपनी मुट्ठी भींज ली और उसकी तरफ पलट कर बोला।
तेरी तो मैं….………
इसके आगे के शब्द मेरे मुंह में ही रह गए। कारण, सामने दीपा खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी। मैं उसे देख कर हक्का बक्का राह गया। मेरी तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि ये सब हो क्या रहा है और दीपा यहां क्या कर रही है।
तभी पीछे से मुझे तालियों की आवाज़ सुनाई दी। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो माँ, अर्जुन भैया और अदिति भाभी के साथ आशीष भैया भी खड़े थे और सभी मेरी हालत का मज़ा लेते हुए मुस्कुरा रहे थे।
क्यों निशांत क्या हुआ। अर्जुन भैया ने कहा।
ये सब क्या है भैया। मतलब दीपा यहां क्या, कैसे। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।
दीपा यहां का क्या मतलब है तेरा। दीपा ही तो वो लड़की है जिससे मैंने तुम्हारे लिए पसंद किया है। माँ ने कहा।
मां की बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ। लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आशीष भैया कैसे मान गए।
लेकिन आशीष भैया तो तैयार नहीं हैं मेरी और दीपा की शादी के लिए। मैंने मां से कहा।
किसने कहा कि मुझे इस रिश्ते से ऐतराज़ है। अरे मैं तो बहुत ज्यादा खुश हूं कि तुम दोनों की शादी हो रही है। आशीष भैया ने कहा।
और नहीं तो क्या। तुम्हारे लिए कोई लड़की वड़की माँ जी ने नहीं देखी है। तुम्हारे लिए दीपा से अच्छी लड़की कोई हो ही नहीं सकती। अदिति भाभी ने कहा।
तो फिर वो सब क्या था जो इतने दिन से हो रहा था। मैंने आश्चर्य से पूछा।
वो सब मेरा प्लान था तुझे परेशान करने का। क्योंकि तू मेरी बात नहीं मानता था, इसलिये मुझे ये करना पड़ा, आखिर तुझे भी तो पता चलना चाहिए की मां से पंगा लेने का क्या नतीजा होता है। माँ ने इस बार हंसते हुए कहा।
मतलब आप सब ने मिलकर मुझे परेशान किया इतने दिन और दीपा तुम भी इन सब लोगों के साथ मिली हुई हो और आवाज़ बदलकर मुझे गुमराह कर रही थी। मैंने कहा।
दीपा को ये सब करने के लिए मैंने ही कहा था। माँ ने कहा।
मां की बात सुनकर मुझे इस बात का सुकून हो गया कि दीपा के साथ मेरी शादी में अब कोई रुकावट नहीं है। मैंने दौड़कर मां को गले लगा लिया।
आप सब बहुत खराब हो, आपको पता है इन दिनों मुझपर क्या गुजरी है। मैंने मां के गले लगे हुए शिकायती लहज़े में कहा।
चलो जो भी हुआ अच्छा ही हुआ। कम से कम इसी बहाने हमें तुम दोनों की प्यार की गहराई और सच्चाई का आभास तो हुआ। आशीष भैया ने कहा।
इसके बाद कुछ देर रहने के बाद दीपा अपने भाई के साथ अपने घर चली गई। मेरे लिए आज का दिन दोपहर बाद बहुत खुशनुमा रहा और इसी खुशी में आज का सारा दिन बीत गया।
सुबह मैं फ्रेश होकर नाश्ता किया और कॉलेज चला गया। सारी क्लास अटेंड करने के बाद मैं घर वापस आ गया। इसी तरह दिन गुजरते रहे। मैं रोज कॉलेज जाता। दीपा से मिलता। बहुत सारी बातें होती और मैं घर वापस आ जाता। सब कुछ अच्छे से चल रहा था।
फिर माँ ने आशीष भैया से मिलकर 3 दिन बाद मेरी और दीपा की सगाई का दिन निर्धारित कर दिया। मैं और दीपा बहुत खुश हुए। मैंने राहुल भैया, विक्रम भैया और अपने कुछ सहपाठियों को सगाई में आमंत्रित किया। दीपा ने भी अपनी कुछ सहेलियों को सगाई में बुलाया। राहुल भैया और विक्रम भैया मेरी और दीपा की सगाई की बात सुनकर बहुत खुश हुए।
तीसरे दिन सगाई का एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें मेरे कुछ रिश्तेदार और दोस्त शामिल हुए। दीपा की तरफ से भी उसके कुछ रिश्तेदार और उसकी कुछ सहेलियां शामिल हुई।।
सगाई बहुत अच्छी और धूमधाम से हुई। मेरे और दीपा के सभी दोस्तों ने हम दोनों को शुभकामनाएं दी। सगाई खत्म हो जाने के बाद मेरे और दीपा के सभी दोस्त अपने अपने घर चले गए।
मैं और दीपा बहुत खुश थे, क्योंकि हम दोनों ने जो सपना देखा था वो पूरा होने जा रहा था। मैंने देखा था कि प्यार करने वाले बहुत से प्रेमियों को अपनी मंज़िल नहीं मिलती। लेकिन मेरे और दीपा के घरवालों ने हैम दोनों को अपनी मंज़िल तक पहुचाया था।
अगले दिन हम दोनों कॉलेज नहीं गए, बल्कि मैं दीपा को लेकर एक लवर पॉइंट पर गया। वहाँ पहुचकर हम दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए।
मैं बहुत खुश हूं छोटे। दीपा ने कहा।
मैं भी बहुत खुश हूं दीपा। तुम्हे पता है जब आशीष भैया ने इनकार किया था तो मैं कितना ज्यादा परेशान हो गया था और उनको मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो मां ही नहीं रहे थे। वो तो बाद में पता चला कि वो नाटक कर रहे थे और तुम भी उन सब के साथ मिली हुई थी। मैंने कहा।
मैं क्या करती निशांत। माँ ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा था। तो मुझे करना पड़ा। दीपा ने कहा।
उसके बाद मैं और दीपा एक दूसरे की आंखों में देखने लगे। हम दोनों की आंखों में एक दूसरे के लिए प्यार था। मैं दीपा की आंखों में देखते देखते उसमे डूब गया और अपना होंठ उसके चेहरे की तरफ बढाने लगा। दीपा ने भी मुझे रोकने की कोशिश नहीं की। कुछ पल बाद मेरे होंठ दीपा के होंठों पर चिपक गए। मैं और दीपा पूरी सिद्दक्त से एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे।
लगभग 10 मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूसने के बाद हम एक दूसरे से अलग हुए। हम दोनों के चेहरे पर मुस्कान थी और दिल मे एक सुकून था। थोड़ी देर बैठने के बाद हम दोनों वहां से निकल गए। मैंने दीपा को उनके घर छोड़कर अपने घर चला गया।
साथ बने रहिए।
Update is really outstanding to finally chhote ko uski dipu mil hi gayi sab kuchh kitna achchha chal rha hai inke life me .......par Sala pata nhi kyo Mera man kah ye chhote aur dipu ke barbadi ke just pahle ke aakhari kuchh khushnuma pal hai .... let's see what happens in next updateउन्तीसवाँ भाग
माँ के बुलाने पर मैं बुझे मन से घर की तरफ चल पड़ा। मैंने निश्चय कर लिया था कि मैं उस लड़की से अपने और दीपा के रिश्ते के बारे में साफ साफ बता दूंगा।
थोड़ी देर बाद मैं घर पर पहुँचा तो माँ, भैया और भाभी हॉल में बैठे मेरा इंतज़ार कर रहे थे। मेरे घर मे घुसने के बाद माँ ने कहा।
जल्दी से जाकर फ्रेश हो जाओ लड़की बहू के कमरे में बैठी हुई है। जाकर उससे मिलो। उसे देखो और एक दूसरे को समझने की कोशिश करो।
लेकिन माँ मैं दीपा से शादी करना चाहता हूँ। फिर आप लोग क्यों मेरे साथ जबरदस्ती कर रहे हैं। मैंने कहा।
देखो तुम्हारे कहने पर ही हमने आशीष से दीपा के रिश्ते की बात की थी, परंतु आशीष ने मना कर दिया। तो अब किसी न किसी से तो तुम्हे शादी करनी ही है। अब ज्यादा बहस नहीं करो और जाकर फ्रेश होकर उस लड़की से मिलो। माँ ने कहा।
माँ की बात सुनकर मैं बुझे मन से अपने कमरे में चल गया और फ्रेश होकर अपने बिस्तर पर बैठ गया। थोड़ी देर बाद मैं अपने कमरे से निकलकर भाभी के कमरे की तरफ चल पड़ा। आज मेरे पांव मेरा साथ ही नहीं दे रहे थे। मैं भगवान से कामना कर रहा था कि कुछ ऐसा हो जाए कि मैं भाभी के कमरे तक पहुँच ही न पाऊँ।
लेकिन उस समय भगवान भी मेरे साथ नहीं थे। जब मैं भाभी के कमरे में पहुँच गया तो देखा कि एक लड़की मेरी तरफ पीठ करके बैठी हुई है। मैंने उसको देखना नहीं चाहता था इसलिए मैंने भी उसकी तरफ अपनी पीठ कर ली और उससे कहा।
सुनिए मुझे तुमसे कुछ कहना है।
हां मुझे पता है कि आप क्या कहना चाहते हैं। उसने मेरी तरफ पलटते हुए कहा।
तुम्हें कैसे पता कि मुझे क्या कहना है। मैंने उससे कहा।
मुझे आपकी मम्मी ने सब बताया है। उसने कहा।
क्या बताया है मेरी माँ ने तुमको। मैंने कहा।
आपकी माँ ने बताया है कि आप मुझसे शादी करने के लिए तैयार हैं। उस लड़की ने कहा।
बिल्कुल नहीं। मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता। मैं किसी और से प्यार करता हूँ कर उसी से शादी करूँगा। तुम इस रिश्ते के लिए माँ को मना कर दो। मैंने उससे कहा।
लेकिन आपकी मम्मी ने तो बताया था कि उसके भाई को ये रिश्ता पसंद नहीं है। इसलिए उन्होंने आज मुझे तुमसे मिलवाने के लिए बुलाया है। उस लड़की ने कहा।
मैं उन्हें इस शादी के लिए मना लूंगा। बस तुम इस शादी से मना कर दो। बोल दो कि मैं तुम्हें पसंद नहीं। मैंने कहा।
लेकिन मुझे तो आप बहुत पसंद हैं। मैं मना क्यों करूँ। वैसे मैं भी उस लड़की से कम सुंदर नहीं हूँ। एक बार देखो मुझे। तुम उसे भूल जाओगे। उस लड़की ने कहा।
मैंने कहा न मुझे तुमसे शादी नहीं करनी। और मेरे लिए मेरी दीपा से ज्यादा सुंदर लड़की और कोई नहीं है। तुम भी नहीं। मैंने उस लड़की से कहा।
ऐसे कैसे। अभी तक तुमने मुझे देखा ही नहीं। जब से आए हो मुंह घुमाकर खड़े हुए हो। उस लड़की ने कहा।
जब मुझे तुमसे शादी करनी ही नहीं है तो तुम्हें देखने का कोई मतलब ही नहीं है। वैसे भी दीपा तुमसे हर मामले में अच्छी है। सूरत में भी और सीरत में भी समझी। मैंने तुमसे शादी नहीं करनी। मैंने कहा।
उसके बाद मैं भाभी के कमरे से वापस आने लगा, तभी उसकी बात सुनकर मेरे पैर वहीं रुक गए।
वो कैसी है मुझे पता है। ना सूरत से है न सीरत से है। सुना है उसका कॉलेज के किसी लड़के के साथ चक्कर चल रहा है, वो तुम्हें धोखा दे रही है और तुम उसके पीछे पागल हो। उस लड़की ने कहा।
उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा आ गया मैंने अपनी मुट्ठी भींज ली और उसकी तरफ पलट कर बोला।
तेरी तो मैं….………
इसके आगे के शब्द मेरे मुंह में ही रह गए। कारण, सामने दीपा खड़ी हुई मुस्कुरा रही थी। मैं उसे देख कर हक्का बक्का राह गया। मेरी तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि ये सब हो क्या रहा है और दीपा यहां क्या कर रही है।
तभी पीछे से मुझे तालियों की आवाज़ सुनाई दी। मैंने पीछे मुड़कर देखा तो माँ, अर्जुन भैया और अदिति भाभी के साथ आशीष भैया भी खड़े थे और सभी मेरी हालत का मज़ा लेते हुए मुस्कुरा रहे थे।
क्यों निशांत क्या हुआ। अर्जुन भैया ने कहा।
ये सब क्या है भैया। मतलब दीपा यहां क्या, कैसे। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है।
दीपा यहां का क्या मतलब है तेरा। दीपा ही तो वो लड़की है जिससे मैंने तुम्हारे लिए पसंद किया है। माँ ने कहा।
मां की बात सुनकर मैं बहुत खुश हुआ। लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आशीष भैया कैसे मान गए।
लेकिन आशीष भैया तो तैयार नहीं हैं मेरी और दीपा की शादी के लिए। मैंने मां से कहा।
किसने कहा कि मुझे इस रिश्ते से ऐतराज़ है। अरे मैं तो बहुत ज्यादा खुश हूं कि तुम दोनों की शादी हो रही है। आशीष भैया ने कहा।
और नहीं तो क्या। तुम्हारे लिए कोई लड़की वड़की माँ जी ने नहीं देखी है। तुम्हारे लिए दीपा से अच्छी लड़की कोई हो ही नहीं सकती। अदिति भाभी ने कहा।
तो फिर वो सब क्या था जो इतने दिन से हो रहा था। मैंने आश्चर्य से पूछा।
वो सब मेरा प्लान था तुझे परेशान करने का। क्योंकि तू मेरी बात नहीं मानता था, इसलिये मुझे ये करना पड़ा, आखिर तुझे भी तो पता चलना चाहिए की मां से पंगा लेने का क्या नतीजा होता है। माँ ने इस बार हंसते हुए कहा।
मतलब आप सब ने मिलकर मुझे परेशान किया इतने दिन और दीपा तुम भी इन सब लोगों के साथ मिली हुई हो और आवाज़ बदलकर मुझे गुमराह कर रही थी। मैंने कहा।
दीपा को ये सब करने के लिए मैंने ही कहा था। माँ ने कहा।
मां की बात सुनकर मुझे इस बात का सुकून हो गया कि दीपा के साथ मेरी शादी में अब कोई रुकावट नहीं है। मैंने दौड़कर मां को गले लगा लिया।
आप सब बहुत खराब हो, आपको पता है इन दिनों मुझपर क्या गुजरी है। मैंने मां के गले लगे हुए शिकायती लहज़े में कहा।
चलो जो भी हुआ अच्छा ही हुआ। कम से कम इसी बहाने हमें तुम दोनों की प्यार की गहराई और सच्चाई का आभास तो हुआ। आशीष भैया ने कहा।
इसके बाद कुछ देर रहने के बाद दीपा अपने भाई के साथ अपने घर चली गई। मेरे लिए आज का दिन दोपहर बाद बहुत खुशनुमा रहा और इसी खुशी में आज का सारा दिन बीत गया।
सुबह मैं फ्रेश होकर नाश्ता किया और कॉलेज चला गया। सारी क्लास अटेंड करने के बाद मैं घर वापस आ गया। इसी तरह दिन गुजरते रहे। मैं रोज कॉलेज जाता। दीपा से मिलता। बहुत सारी बातें होती और मैं घर वापस आ जाता। सब कुछ अच्छे से चल रहा था।
फिर माँ ने आशीष भैया से मिलकर 3 दिन बाद मेरी और दीपा की सगाई का दिन निर्धारित कर दिया। मैं और दीपा बहुत खुश हुए। मैंने राहुल भैया, विक्रम भैया और अपने कुछ सहपाठियों को सगाई में आमंत्रित किया। दीपा ने भी अपनी कुछ सहेलियों को सगाई में बुलाया। राहुल भैया और विक्रम भैया मेरी और दीपा की सगाई की बात सुनकर बहुत खुश हुए।
तीसरे दिन सगाई का एक छोटा सा कार्यक्रम आयोजित हुआ। जिसमें मेरे कुछ रिश्तेदार और दोस्त शामिल हुए। दीपा की तरफ से भी उसके कुछ रिश्तेदार और उसकी कुछ सहेलियां शामिल हुई।।
सगाई बहुत अच्छी और धूमधाम से हुई। मेरे और दीपा के सभी दोस्तों ने हम दोनों को शुभकामनाएं दी। सगाई खत्म हो जाने के बाद मेरे और दीपा के सभी दोस्त अपने अपने घर चले गए।
मैं और दीपा बहुत खुश थे, क्योंकि हम दोनों ने जो सपना देखा था वो पूरा होने जा रहा था। मैंने देखा था कि प्यार करने वाले बहुत से प्रेमियों को अपनी मंज़िल नहीं मिलती। लेकिन मेरे और दीपा के घरवालों ने हैम दोनों को अपनी मंज़िल तक पहुचाया था।
अगले दिन हम दोनों कॉलेज नहीं गए, बल्कि मैं दीपा को लेकर एक लवर पॉइंट पर गया। वहाँ पहुचकर हम दोनों एक पेड़ के नीचे बैठ गए।
मैं बहुत खुश हूं छोटे। दीपा ने कहा।
मैं भी बहुत खुश हूं दीपा। तुम्हे पता है जब आशीष भैया ने इनकार किया था तो मैं कितना ज्यादा परेशान हो गया था और उनको मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो मां ही नहीं रहे थे। वो तो बाद में पता चला कि वो नाटक कर रहे थे और तुम भी उन सब के साथ मिली हुई थी। मैंने कहा।
मैं क्या करती निशांत। माँ ने मुझे ऐसा करने के लिए कहा था। तो मुझे करना पड़ा। दीपा ने कहा।
उसके बाद मैं और दीपा एक दूसरे की आंखों में देखने लगे। हम दोनों की आंखों में एक दूसरे के लिए प्यार था। मैं दीपा की आंखों में देखते देखते उसमे डूब गया और अपना होंठ उसके चेहरे की तरफ बढाने लगा। दीपा ने भी मुझे रोकने की कोशिश नहीं की। कुछ पल बाद मेरे होंठ दीपा के होंठों पर चिपक गए। मैं और दीपा पूरी सिद्दक्त से एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे।
लगभग 10 मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूसने के बाद हम एक दूसरे से अलग हुए। हम दोनों के चेहरे पर मुस्कान थी और दिल मे एक सुकून था। थोड़ी देर बैठने के बाद हम दोनों वहां से निकल गए। मैंने दीपा को उनके घर छोड़कर अपने घर चला गया।
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