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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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dhamakedar update , bohot hi badhiya mod diya hai aap ne kahani ko.... wese ishi bich aap ko deepa ki care ko thoda aur clear tarike se dikhana chahiye tha....

lekin sach kahun kahani bohot hi achha jaa rahi hai... keep it up...
धन्यवाद आपका सर जी।

अभी अस्पताल में कुछ और दिन बीतेंगे निशांत के और दीपा ही उसकी देखभाल करने वाली है।

साथ बने रहिए।
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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Nahi aisi baten nahi hai... Sabke apne apne taste of story hai... Jis din main unke taste ka likhunga bina kahe aa jayenge... Mere comment ka uss baat se kuchh nahi lena... Ye to bus unke smile ke liye hote hain jo likh'kar humare liye mehnat karte hain
आपकी एक कहानी हमने पढ़ी है, लेकिन आधी ही पढ़ी है। कैसा ये इश्क है..............

पहले हमने यहां अपना खाता नहीं खोला था इसलिए टिप्पणी नहीं कर पाते थे, जब खाता खोला तो आगे बढ़ने के लिए activation code मांगने लगा फोरम। बड़ी मुश्किल में खाता हमारा चालू हुआ। उसके बाद हमअपनी कहानी
मेरी मस्त बहनें लिखने में व्यस्त हो गए। उसके खत्म होने के बाद अब कहानी नियमित पढ़ना शुरू किए हैं। बहुत जल्द आपकी कहानी भी पढ़ लेंगे। आपकी कहानी भी अच्छी है सर जी।
 
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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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Pahle hi kaha tha apna hero hi jitega aur ye maine bina aage ke update dekh'kar likha tha... Isliye koi gaanv wala ye ilzam na lagaye abhi kahe deta hu
आपने तुक्का मारा था सर जी और वो ठीक निशाने पर लगा😁
 

nain11ster

Prime
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आपकी एक कहानी हमने पढ़ी है, लेकिन आधी ही पढ़ी है। कैसा ये इश्क है..............

पहले हमने यहां अपना खाता नहीं खोला था इसलिए टिप्पणी नहीं कर पाते थे, जब खाता खोला तो आगे बढ़ने के लिए activation code मांगने लगा फोरम। बड़ी मुश्किल में खाता हमारा चालू हुआ। उसके बाद हमअपनी कहानी
मेरी मस्त बहनें लिखने में व्यस्त हो गए। उसके खत्म होने के बाद अब कहानी नियमित पढ़ना शुरू किए हैं। बहुत जल्द आपकी कहानी भी पढ़ लेंगे। आपकी कहानी भी अच्छी है सर जी।
Sarita ki kahani 😍😍😍😍😍 ... Maine dekhi hai mast erotica likha hai aapne... Abhishek, Savita, Sarita aur Manisha ki kahani... Jo ki almost Abhishek aur Sarita ke encounter par based hai... Engagement hone se le'kar, shadi me delay hona aur fir ek fake I'd ka Kamal...

Baharhaal aise "Bhi padh lenge" ki koi pain lene ki jaroorat nahi hai... Aap swatantr roop se aur apni ikchha se kahani ka chunav karen na ki kisi tarah ke davab me... ..
 
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11 ster fan

Lazy villain
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बत्तीसवाँ भाग


कुलपति महोदय की बात सुनकर देवांशु और देवांशु के पिता बाहर जाने लगे, लेकिन जाते जाते वो मुझे घूरकर देखना नहीं भूले। उनके जाने के बात कुलपति महोदय ने हम दोनों से कुछ बातें की फिर उन्होंने हम दोनों को भी जाने के लिए कह दिया।

वहाँ से निकलकर हम दोनों अपनी अपनी कक्षा की ओर चल दिए। अपनी कक्षा में पहुँचकर मैंने अपना लेक्चर अटेंड किया और कॉलेज खत्म होने के बाद मैं अपने घर को चला गया।

इसी तरह दिन गुजरते रहे। देवांशु से झगड़े को लगभग 40-42 दिन बीत चुके थे। मैं और दीपा रोज समय से कॉलेज जाते, अपने क्लास को पूरी सिद्दत से करते और घर चले आते। मैं विद्यार्थियों की छोटी मोटी समस्याओं का समाधान करता रहा। इसी तरह एक दिन मैं सुबह कॉलेज गया हुआ था। मैं अपनी क्लास अटेंड करने के बाद घर जाने के लिए निकला, तभी दीपा भी अपनी क्लास खत्म कर घर जाने के लिए आ गई। आशीष भैया जब तक उसे लेने नहीं आए। दीपा ने मुझे अपने साथ रुकने के लिए कहा। आशीष भैया के आने के बाद मैं घर के लिए निकल गया।

मैं सड़क पर अपनी साइड से जा रहा था। पूरा रास्ता लगभग खाली ही पड़ा हुआ था। तभी एक लॉरी सामने से आती हुई दिखाई दी। मैं अपनी धुन में व्यस्त अपनी साइट से चला जा रहा था कि तभी लॉरी मुझसे 20 मीटर पहले ही मेरी तरफ घूम गई। जब तक मैं कुछ समझ पाता तब तक मेरी चीख वातावरण में गूँज गई। लॉरी मुझे टक्कर मारती हुई निकल गई। मैं साधो जाकर फुटपाथ के डिवाइडर से टकराया। फुटपाथ से टकराने पर मेरा सिर फट गया था, हाथ घुटने छिल गए थे। मैं वहीं जख्मी पड़ा बेहोश हो गया। फिर जैसे हर दुर्घटनाग्रस्त इंसान के साथ होता है वो मेरे साथ भी हुआ। दुर्घटना होने के बाद वहां भी कई लोग जमा हो गए। कुछ बातें कर रहे थे कि देखो तो बहुत चोट आई है लड़के को। तो कोई तस्वीर निकाल रहा था मेरी। तो कोई वीडियो बना रहा था, लेकिन मुझे अस्पताल पहुँचाने के लिए कोई भी आगे नहीं आया। लोग आते, मुझे देखते और संवेदना जताकर चले जाते।

(शायद अपने देश का दुर्भाग्य भी यही है कि आधी से ज्यादा मौत दुर्घटना के बाद घायल इंसान की सही समय पर अस्पताल न पहुँच पाने से ही हो जाती है)

बहरहाल आशीष भैया चले तो मेरे साथ ही थे, लेकिन मेरी गति ज्यादा थी तो वो मुझसे पिछड़ गए थे। आशीष भैया दीपा को लेकर मेरे पीछे ही आ रहे थे। लॉरी की टक्कर लगने के लगभग 5-7 मिनट बाद आशीष भैया वहाँ से गुजरे। उन्होंने तुरंत मुझे अस्पताल पहुँचाया और अर्जुन भैया को फोन करके सारी बात बता दी। अर्जुन भैया माँ और भाभी के साथ हाँस्पिटल पहुँचे।

जब शाम को मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि मैं अस्पताल के बिस्तर पर लेटा हूँ और मेरे अगल-बगल दीपा, आशीष भैया, अर्जुन भैया, माँ और भाभी खड़े हुए थे। माँ, भाभी और दीपा की आँखों में आँसू थे। मेरे सिर, हाथ और पैर में पट्टियाँ बधी हुई हैं। मेरी आँख खुलने पर माँ मेरे पास आई और मुझसे लिपट गई।

ये सब कैसे हुआ निशांत, तुझे आराम से बाइक चलानी चाहिए न। तुझे पता है जब मैंने ये सुना तो मुझपर क्या बीती। माँ ने मेरे चेहरे को चूमते हुए कहा।

मैं ठीक हूँ माँ। मैंने कहा।

लेकिन ये सब हुआ कैसे। क्या तुम तेज़ गाड़ी चला रहे थे। अर्जुन भैया ने कहा।

नहीं भैया मैं तो अपनी तरफ से ही आ रहा था। तभी सामने से कोई लॉरी अपनी साइड बदलकर मेरी तरफ आने लगी जब तक मैं समझ पाता। वो लॉरी मुझे टक्कर मारकर चली गई। मैंने अर्जुन भैया को जो कुछ हुआ। सबकुछ विस्तार से बता दिया।

लगता है कि तुम्हें किसी ने जान बूझकर टक्कर मारी है। नहीं तो अगर वो लॉरी अनियंत्रित होकर तुम्हारी साइड में आई होती तो वो भी दुर्घटनाग्रस्त जरूर हुई होती, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मतलब किसी ने तुम्हें मारने के लिए ही ऐसा किया है आशीष भैया ने कहा।

हां सारी स्थिति तो इसी ओर इशारा कर रही है कि ये महज एक दुर्घटना नहीं है ये किसी की सोची समझी साजिश है। अर्जुन भैया ने कहा।

तभी डॉक्टर आ गए। उन्होंने सभी को बाहर भेजा और मुझे नींद का इंजेक्शन लगा दिया। कुछ ही देर में मैं गहरी नींद में सो गया। बाहर आकर मां रोने लगी अर्जुन भैया माँ को समझने लगे।

मैंने पहले ही कहा था कि चुनाव वगैरह के लफड़े में मत पड़ो। चुपचाप पढ़ाई करो, लेकिन तुमने भी मेरी बात नहीं मानी और उसका साथ देते रहे। देखों आज उसी का नतीजा है ये कि मेरा निशांत अस्पताल में पड़ा है। देखो कैसी दुश्मनी निकाली है मेरे बेटे के साथ। मां ने रोते हुए कहा।

आप कैसी बातें कर रही हैं माँ अपना निशांत कोई गलत काम तो कर नहीं रहा है। कॉलेज के सभी विद्यार्थी निशांत के काम और व्यवहार से बहुत खुश हैं। और जो अच्छा काम करता है उसे ऐसी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। मुझे अपने भाई पर गर्व है। जो वो सबके बारे में इतना सोचता है। अर्जुन भैया ने माँ से कहा।

लेकिन मैं तो माँ हूँ न। इस दिल को कैसे समझाऊँ मैं। निशांत की ये हालात देखकर मुझपर क्या बीत रही है इसका अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते अर्जुन। मां ने कहा।

मैं समझ सकता हूँ माँ, लेकिन अभी वक्त इनसब बातों का नहीं है। कभी हमें निशांत के जल्दी ठीक हो जाने के बारे में सोचना चाहिए। अर्जुन भैया ने कहा।

तभी डॉक्टर ने आकर कहा।

देखिए अब रात बहुत हो चुकी है। कोई एक लोग मरीज़ के पास रुकें। बाकी लोग घर जाइये। कल सुबह आपलोग फिर आ सकते हैं।

डॉक्टर की बात सुनकर दीपा अस्पताल में रुकने की ज़िद करने लगी। तो मां ने उसे समझते हुए कहा।

देखो बेटी में तुम्हारी हालात समझ सकती हूँ, लेकिन तुम अभी घर जाकर थोड़ा आराम कर लो। अपनी हालत तो देखो। तुम्हारी आंखे लाल हो चुकी हैं रो रो कर। अपने आपको संभालो। यहां रात को में रुक जाती हूँ। तुम सुबह आ जाना। आशीष बेटा दीपा को घर ले जाओ।

बहुत कोशिश करने के बाद दीपा घर जाने के लिए राजी हुई। आशीष भैया दीपा को घर ले कर चले गए।

मां मैं यहां रुकता हूँ। आप अदिति के साथ घर चले जाइये। आप की भी हालत ठीक नहीं लग रही मुझे। मैं यहां रहूंगा तो अगर छोटे या डॉक्टर को किसी काम की जरूरत पड़ी तो आसानी हो जाएगी। अर्जुन भैया ने कहा।

बहुत समझने के बाद माँ और भाभी घर चले गए। अर्जुन भैया आकर मेरे बगल में बैठ गए। सुबह भोर में मेरी आँख खुली तो मैंने भैया को अपनी बगल में बैठे पाया। वो मेरे सिरहाने ही बैठे बैठे सो गए थे। अर्जुन भैया मुझे बहुत प्यार करते थे। वो रात में रोए भी थे, क्योंकि उनकी गालों पर उनकी आंखों से निकले आंसू सूख गए थे जो नज़र आ रहे थे। मैंने भैया को आवाज़ लगाई।

अरे निशांत तू उठ गया। रुक में डॉक्टर को बुलाता हूँ। अर्जुन भैया ने कहा।

नहीं भैया रहने दीजिए। अब ठीक हूँ मैं। आप रात भर ठीक से से नहीं हैं और आप रोए भी हैं रात को। मैंने भैया से कहा।

नहीं तो मैं नहीं रोया। वो तो बस आंख में कोई कीड़ा चला गया था इसलिए आंसू आ गए थे। अर्जुन भैया ने बहाना बना दिया।

मैंने भी इस बात को आगे बढ़ाना उचित नहीं समझा, क्योंकि जो हकीकत थी वो मैं भी जानता था और भैया भी। कुछ देर बाद दीपा और आशीष भैया भी आ गए। आशीष भैया के कहने पर अर्जुन भैया घर चले गए। कुछ घंटे बाद माँ और भाभी भी अस्पताल आ गई। मैंने नाश्ता किया दवा खाई और आराम करने लगा। दोपहर राहुल भैया, विक्रम भैया और उनके कुछ दोस्त और मेरे कुछ दोस्त मुझसे मिलने आए। दीपा ने सुबह राहुल भैया को फ़ोन करके मेरे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी थी।

अब तबियत कैसी है तुम्हारी निशांत। राहुल भैया ने मुझसे पूछा।

बस ठीक ही है सब बाकी सब आपके सामने ही है। मैंने कहा।

तुमने लॉरी चालक को देखा था। तुम्हें किसी पर शक है। विक्रम भैया ने पूछा।

नहीं मैंने नहीं देखा और बिना देखे किसका नाम लूँ मैं। मैंने कहा।

मुझे तो लगता है इसके पीछे उस देवांशु का ही हाथ है। राहुल भैया ने कहा।

क्या देवांशु का। मैंने चौकते हुए कहा।

क्योंकि अभी तक मेरे दिमाग में ये बात आई ही नहीं थी।




साथ बने रहिए।
Let's start the review
Ek bat to hai ye baap bete bahut harami chij hai ....aur devanshu ki tarif karni hogi ki usne badala lene ke liye intjar kiya par badla ka tarika galat tha ....ye Deepa aur devansu Wala matter itna bhi bada nhi tha ki chhote ko jaan se marna pade ..note :- isi mansikata ke larke love fail hone par girl par acid attack karte hai:-
I hate this type revenge..aapne jyada nhi likha devanshu aur uske baap ke kunthit mansikata ke bare me but jitna likha hai agar uss bat par bivechana ki jaye to aajkal ke yuva pidhi ke sanskar vikrit mansikata tatha pariwarik bhumika ka dosh samne aata hai ...ha Deepa uss attak se Bach gayi kyoki uska luck achchha tha ki wo uss din chhote ke bike par nhi baithi thi ...agar by chance baithi hoti use kuchh ho jata to devanshu aur uske baap ko Kya hasil hota kuchh bhi to nhi ...Kya jaan se maar Dena badala lene ka ekmatra shadhan hai ...aapne ye sahi likha ki log accident wale mamale me tamashabin bane rhate hai lekin ab log help karte dikh jate hai......khair chhote Bach gaya major chot nhi aayi ...ha mujhe ye Rona dhona utna pasand nhi aata hai wo bhi khaskar boys and man ka so jydatar Mai skip kar deta hu ...ha Rahul ne sahi guess kiya par ye dekhane layak seen hoga ki ab chhote and family Kya action lete hai ...aur jaha Tak mujhe lag rha hai ki aap jaldi se jaldi story end karna chah rhi hai kyoki aap bahut sari chije jyada explain nhi kar rhi but jitna likhati hai utna apne aap me bejod hota hai.....nice update keep it up
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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Sarita ki kahani 😍😍😍😍😍 ... Maine dekhi hai mast erotica likha hai aapne... Abhishek, Savita, Sarita aur Manisha ki kahani... Jo ki almost Abhishek aur Sarita ke encounter par based hai... Engagement hone se le'kar, shadi me delay hona aur fir ek fake I'd ka Kamal...

धन्यवाद आपका सर जी
हाँ सर ये वही कहानी है। खाली समय था तो हमने लिखना शुरू किया। बाकी अच्छी खराब जैसी भी थी। पूरी लिख ही दी।


Baharhaal aise "Bhi padh lenge" ki koi pain lene ki jaroorat nahi hai... Aap swatantr roop se aur apni ikchha se kahani ka chunav karen na ki kisi tarah ke davab me... ..

दबाव वाली कोई बात नहीं है सर जी। आपकी कहानी वाकई अच्छी है।

हमने पहले ही आधी पढ़ी हुई है। आईडी नहीं होने के कारण समीक्षा नहीं लिख पाए कभी। अब कहानी पढ़ रहे हैं। संजू जी की खत्म कर चुके हैं। कातिल सर की वर्तमान कहानी जहां तक उन्होंने लिखा है उसे पढ़ चुके हैं। अंकिता जी की कहानी पढ़ रहे हैं। इसके बाद आपकी ही कहानी का न. है। कहानी फिर से शुरू से पढ़ते जाएंगे और अपनी टिप्पणी लिखते जाएंगे।
 
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Mahi Maurya

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Ek bat to hai ye baap bete bahut harami chij hai ....aur devanshu ki tarif karni hogi ki usne badala lene ke liye intjar kiya par badla ka tarika galat tha ....ye Deepa aur devansu Wala matter itna bhi bada nhi tha ki chhote ko jaan se marna pade ..note :- isi mansikata ke larke love fail hone par girl par acid attack karte hai:-
I hate this type revenge..aapne jyada nhi likha devanshu aur uske baap ke kunthit mansikata ke bare me but jitna likha hai agar uss bat par bivechana ki jaye to aajkal ke yuva pidhi ke sanskar vikrit mansikata tatha pariwarik bhumika ka dosh samne aata hai ...ha Deepa uss attak se Bach gayi kyoki uska luck achchha tha ki wo uss din chhote ke bike par nhi baithi thi ...agar by chance baithi hoti use kuchh ho jata to devanshu aur uske baap ko Kya hasil hota kuchh bhi to nhi ...Kya jaan se maar Dena badala lene ka ekmatra shadhan hai ...aapne ye sahi likha ki log accident wale mamale me tamashabin bane rhate hai lekin ab log help karte dikh jate hai......khair chhote Bach gaya major chot nhi aayi ...ha mujhe ye Rona dhona utna pasand nhi aata hai wo bhi khaskar boys and man ka so jydatar Mai skip kar deta hu ...ha Rahul ne sahi guess kiya par ye dekhane layak seen hoga ki ab chhote and family Kya action lete hai ...aur jaha Tak mujhe lag rha hai ki aap jaldi se jaldi story end karna chah rhi hai kyoki aap bahut sari chije jyada explain nhi kar rhi but jitna likhati hai utna apne aap me bejod hota hai.....nice update keep it up

धन्यवाद आपका।

यहाँ मामला केवल लड़ाई वाला ही नहीं था। मत भूलिए निशांत और दीपा के कारण ही देवांशु को छात्रसंघ चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था और अभी तक ये साफ भी नहीं हुआ है कि ये देवांशु ने किया है।😊😊😊😊

कहानी खत्म करने की जल्दी में नहीं हैं, लेकिन कहानी में अब लिखने को ज्यादा है नहीं। अगर हम खींचतान कर कहानी को लंबा लिख भी देते हैं तो कहानी की रोचकता और गुणवत्ता खत्म हो जाएगी। इसलिए कहानी सही समय और सही स्थिति में समाप्त होनी चाहिए।

बाकी इसके बाद दूसरी कहानी तो लिखेंगे ही।
 

nain11ster

Prime
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चौथा भाग

मैंने पलट कर देखा। वह अपनी आंखों से इशारा कर मुझे डांस टीम में जाने के लिए बोल रही थी। साथ ही वह अपने अंगूठे से लूजर (Looser) का इशारा भी कर रही थी।

इसके बाद मैंने कुछ भी नहीं सोचा सीधा डांस ग्रुप में चला गया उसके बाद फिर जो डांस किया कि वह सबके होश उड़ा देने वाला डांस था। लोग तो पहले से लड़कियो के डांस देख कर लड़कियों के डांस को ही सबसे बेहतरीन डांस मान कर बैठे थे। लेकिन जब हम लड़कों ने डांस किया तो सब लड़कियों का डांस चीनी कम पानी हो गया था। परफॉर्म खत्म होने के बाद मैंने सभी लोगों को ध्यान से देखा सारे लोग तालियां बजा रहे थे।

" भाई लड़कों में भी दम है " बैठे उन सभी मेहमानों में से किसी एक ने बोला। उनकी बात सुनकर मेहमानों की तालियां और तेजी से बजने लगी।

" क्यों दीपा डार्लिंग मेरा डांस कैसा लगा?" मैंने दीपा के पास जाकर उसके कानों में बोला।

" तुम्हें मेरा नाम कैसे पता हुआ? " दीपा आश्चर्यचकित होकर बोल पड़ी।

" दीपा जी हम भी थोड़ा स्मार्ट है। " मैंने थोड़ा चिढ़ाने वाली स्टाइल में बोला था।

पहले उसने अपनी आंखें चढ़ा ली फिर कुछ पल बाद मुस्कुराकर अपने अंगूठे से लूजर (Looser) का इशारा कर वहां से भाग गयी।

वह जितनी बार मुझे अपने अंगूठे से लूजर बोलती थी उतनी ही बार उससे प्यार और अधिक बढ़ जाता था। क्योंकि उसी वक्त उसके चेहरे पर असली खुशी और सादगी दिखाई देती थी। मैं दीपा को वहां से जाते देख ही रहा था कि मुझे खाने की मेज की तरफ कुछ लोगों की आवाजें सुनाई पड़ी मुड़कर दूसरी तरफ देखा तो कुछ लोग एक साथ झुण्ड बना कर खड़े थे ।मैंने वहां जाकर देखा। तो सुजाता मौसी किसी के ऊपर चिल्ला रही थी।

“अरे कैसे होटल में तुम लोग शादी कर रहे हो? यहां के वेटरों को तो तमीज से बात करना भी नहीं आता है” सुजाता मौसी गुस्से में बोल रही थी।

क्या हुआ मौसी ? ” मैं वहां पहुंचते ही बोला।

“जब मैंने इस बेटर से कॉफी मांगा तो इसने बोला अभी समय लग सकता है और जब मैंने पूछा क्यों ? तो यह बदतमीजी करने लगा ” मौसी अपनी सफाई देती हुई बोली।

बेटर उसी जगह पर अपने गाल को दाहिने हाथ से पकड़कर खड़ा था। मौसी ने इस बेटर को एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया था। कुछ देर बाद वहां उस होटल का मैनेजर भी आ चुका था और वह अपने वेटर की ओर से माफी मांग रहा था।

वैसे मैं जानता था। बेटर की कोई गलती नहीं होगी बल्कि मौसी जानबूझकर ऐसा ड्रामा कर रही थी। मगर उस वक्त ये पता नहीं था कि आखिर यह सब कर के मौसी क्या साबित करना चाह रही थी ।

“ मौसी ये लोग माफी मांग रहे हैं इन्हें माफ कर दो अगली बार से ऐसा नहीं होगा” मैं मौसी को समझाते हुए बोला ।

“ क्या हुआ दीदी ? ” मेरी मां वहां पहुंचते ही सुजाता मौसी से बोली ।

“ अरे अब क्या पूछ रही हो! पहले पूछ ली होती तो इससे बढ़िया होटल और बहू तुम्हें बताती । मगर तुम लोग, तुम लोग मुझसे कभी पूछते ही कहाँ हो ?”

सुजाता मौसी यह बोलकर गुस्से से मुंह फुला कर वहां से चली गई । मौसी का यह ड्रामा देखकर वहां पर उपस्थित सभी रिश्तेदार आश्चर्य में थे।

कुछ समय बाद मैं अपने दोस्तों के साथ जयमाला वाली स्टेज के पास बैठा था। तभी उसी वक्त वहां 10-12 वर्ष की लड़की मेरे पास दौड़ी आई।

इनमें से छोटे भैया कौन है ? ” आकर बोली ।

“ मैं हूं।...क्या बात है ?... बोलो?” मैंने जवाब दिया।

“ यह लो आपके लिए दीपा दीदी ने भेजा है” उस बच्ची ने कागज का एक छोटा-सा टुकड़ा देते हुए बोली।
मैंने कागज का वह छोटा-सा टुकड़ा लेते समय इधर उधर देखा। वहां हम दोस्तों के अलावा कोई और नहीं था। मेरे सभी दोस्त उस छोटी सी बच्ची को ध्यान से देखे जा रहे थे आखिर ये लड़की हैं कौन ?

“ ये क्या है? ” मैंने उस कागज के टुकड़े को लेते हुए उस से पहले पूछा।

“ आप खुद ही खोल कर देख लो।” यह बोलकर लड़की वहां से चली गई।

मैं उस कागज के टुकड़े को खोल रहा था । मेरे सभी दोस्तों का ध्यान उसी कागज के टुकड़े पर ही टिका था। उस टुकड़े को खोलते समय मेरी दिल जोरो से धक-धक कर रहा था। उस वक्त मुझे लग रहा था किसी लड़की ने मेरे लिए लव लेटर लिख कर भेजा है। मैंने भगवान को याद कर उस कागज के टुकड़े को खोला।

“ दम है तो दूल्हे के जूते बचा लेना वरना.....”

कागज के टुकड़े में लिखा यह पढ़ कर अपनी नजर आगे की ओर किया। कुछ दूर पर कुछ लड़कियों का झुंड हम लोगों को देखकर खिलखिला कर हंस रहा था। उन लड़कियों में एक दीपा भी थी।

शाम के 6:00 बजने वाले थे। दूल्हा-दुल्हन मंडप में बैठ चुके थे। सभी मेहमान कुर्सी पर बैठे थे। पंडित मंत्रों का जाप कर रहा था और मैं भैया के सीधे थोड़ी दूरी पर बैठा था।

जहां से दीपा अच्छी तरह से दिख रही थी। उस वक्त दीपा ने हरे रंग की लहंगा-चुन्नी पहन रखा था। उस लहंगे –चुन्नी में उसकी सुंदरता उस वक्त पूरी तरह से निखर कर बाहर आई हुई थी।

उसके हसीन चेहरा से अपनी आंखें हटाने का जरा-सा भी दिल नहीं कर रहा था।

मैं जब भी उसे देखकर मुस्कुराता था, बदले में वह भी कभी-कभार थोड़ा मुस्कुरा देती थी।

जूता चुराने की धमकी मुझे अच्छी तरह से याद थी इसीलिए मैंने जूते की देखभाल के लिए अपने दोस्तों को जूते के पास ही बैठा रखा था और मैं इधर दीपा पर नजर रखे हुए था।

मैं जानता था अगर दीपा भैया का जूता छुपाने में कामयाब हो गई तो फिर हम लड़कों की बहुत बेइजती हो जाएगी । खाश कर दीपा तो लूजर (Looser)बोल-बोल कर प्राण ही ले लेगी ।

जब विवाह संपन्न हुआ तब सभी उपस्थित मेहमान-रिश्तेदार ने वर-वधू को चावल की अछत-फूल छीट कर उन्हें आशीर्वाद दिया। उसके बाद जब भैया मंडप से निकलकर अपने जूते पहने ने के लिए अपना जूता खोजा तो जूता वहां पर नहीं था।

मैंने अपने दोस्तों की ओर देखकर पूछा,- “ भाई जूता कहाँ है ? ”



साथ बने रहिए।
Hara lahanga chunni me deepa 😍😍😍😍... Mujhe film "Hum Aapke Hain Kaun" ki Madhuri Dixit ki yaad aa gayi jo hare rang ke paridhan me apni bahan ki shadi attend kar rahi thi...

Khair shadi me ladke ke jija athva fufa aur fufi ke role ko yahan par maasi nibhati hui najar aayi... Aur jis hisab se iss update ki patkatha thi aur jis prakar se Deepa ne challenge kiya tha usse dekh'kar to yahi lag raha tha ki yahan juta chori ke waqt puri sajis aur dhamal dekhne ko mikega... ..

Maine to wo jute dedo aur paise le lo ke aakhri wala palang tootne tak ke imagination me tha but koi na, dance jitne ke baad yahan haat jana koi big deal na thi.. achha update tha
 

nain11ster

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पाँचवा भाग

रस्म खत्म हो जाने के बाद जब भैया जूता पहनने के लिए आए तो जूता उस जगह पर नहीं था जहां पर उसे रखा गया था। मैंने अपने दोस्तों से भी पूछा, लेकिन वो लोग भी नहीं बता पाए कि आखिर जूता कहाँ हैं और ये जूता ग़ायब कैसे हुआ ? तभी वहां पर भैया की कुछ सालियाँ भी आ गई जिन्होंने जूता चुराया था और जूते देने की बदले में भैया से रीति-रिवाज के अनुसार पैसे मांगे।

उन लड़कियों में दीपा भी शामिल थी। यह देखकर मैं समझ गया था कि जूते का अपहरण हुआ है और अपहरणकर्ता को फिरौती में बिना पैसे दिये जूता वापस नहीं मिलेगा।

दीपा ने मेरी तरफ देख कर फिर से अंगूठे से लूजर होने की इशारा किया मगर इस बार उसके अंगूठे वाले इशारे के बदले में मैंने उसे 2-3 फ्लाइंग किस (Kiss) दे मारी।

इस पर वह शर्मा कर बोली, " चल हट "

“ यह लीजिए पैसा और मेरा जूता वापस कीजिए”

भैया ने अपनी सबसे छोटी साली को 2000 की एक नोट हाथ में देते हुए बोले।

“नहीं!... हम ₹20 हजार से ₹1 भी कम होने पर जूते वापस नहीं करेंगे” भैया की सबसे छोटी साली ने जबाब दिया।

“ भैया इतना से ज्यादा मत देना। हम 20 हजार रु से कम में ही बहुत अच्छा जूता खरीद लेगें।” मैंने दोस्तों के साथ थोड़ी ऊँची आवाज़ में बोला।

इसके बाद किसी ने जोरदार सीटी बजाई और मेरे सभी दोस्तों ने एक साथ बोला “ निशांत सही बोल रहा हैं भैया , उतने में हम नये जूते ही खरीद लेंगे ”

" आप लोग जीजा-साली के बातों के बीच मत पड़िये, हम खुद ही समझ लेंगे अपने कंजूस जीजा जी से”

भैया की दूसरी साली ने मजाकिया लहजे में बोली।

मोहतरमा साली जी वो पहले मेरे भैया हैं उसके बाद ही आपके जीजा हैं , इसलिए पहले मेरा बोलने का अधिकार है मेरी प्यारी क्यूटी साली जी”

मेरे बोलने के बाद वहां पर उपस्थित मेरे सभी दोस्त खिलखिला कर हंस पड़े।

“तो फिर आपके भैया जी के जूता नहीं मिलेंगे। आप उन्हें बोलिए बिना जूते के ही चले जाएं” इस बार दीपा भैया की सालियों की तरफ से बोली थी।

“कोई बात नहीं हम भैया के लिए एक बढ़िया सा जूता खरीद लेंगे, आप ही रखिए वो पुराने जूते” मेरे ने दोस्त कहा।

इस तरह से कुछ देर मजाकिया नोकझोंक चलने के बाद भैया ने अपनी साली की बात मानकर 2-2 हजार के 10 नोट उनके हाथों में रख दिये। उसके बाद वे खुशी-खुशी भैया के जूता लाकर दे दिये।

दो घंटे बाद लड़की विदाई की रस्म हो रही थी। लड़की की ओर से आये सभी मेहमानो और दोस्तों की आँखे नम थी। मैंने दीपा की आंखो में झांका उसकी आंखे भी नम हो चुकी थी। आंखे से निकले पानी के कुछ बूंदे उसके गालों से फिसल रहे थे।

खैर कुछ देर बाद ही लड़की की बिदाई हुई। विदाई के बाद सभी रिश्तेदार अपने-अपने घर लौट गये और हम लोग भाभी को लेकर अपने घर लौट चुके थे। घर आने के बाद मैं दीपा को बहुत मिस कर रहा था। 2 दिनों में ही मैं दीपा के काफी नजदीक आ गया था। हां ये अलग बात थी कि वह सिर्फ मुझे चिढ़ाने के लिए मेरे पास आती थी।

अगर मैं सच कहूँ तो उसका मुझसे बात करना ही मेरे लिए काफी था। वो चाहे चिढाने के लिए हो या फिर किसी और चीजों के लिए हो ।

भैया के विवाह के पूरे 4 दिनों बाद मैं कॉलेज गया था । भैया के रिसेप्शन में बजी गाने की धुन अभी तक मेरे कानों से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई थी।

कॉलेज आते ही मेरी नजर दीपा पर पड़ी वह मेरी तरफ ही आ रही थी ।

“ hello छोटे ” उसने इस बार भी मजाकिया लहजे में ही बात की थी।

“अरे यार मैं कितनी बार तुम्हें बोल चुका हूं, मुझे छोटे कह कर मत बोला करो” मैं दीपा से बोला ।

भैया के शादी-रिशेप्सन के कारण हम दोनों एक साथ अच्छा खासा समय बिता चुके थे । अब हम दोनों के बीच दोस्ती वाली बॉन्डिंग बन चुकी थी।

“ वैसे दीपा आज बहुत हॉट लग रही हो” मैंने कहा ।

“मैं पहले कौन-सी कोल्ड (cold) लगती थी ?” उसने थोड़ा इतराने वाले लहजे में बोला।

सच कहूं तो दीपा की बातें शत प्रतिशत सही थी ।
उसके होंठ, उसकी आंखें और चिकने गाल किसी फिल्मी हीरोइन से थोड़ा भी कम नहीं थे।

“ वैसे आजकल तू भी बड़ा सजीला और हैंडसम दिख रहा है, ऐसा तो नहीं भाभी के हाथों से बने खाने खा-खा के हैंडसम होते जा रहे हो” उसने फिर से मजाकिया लहजे में कहा।

भाभी तो आजकल भैया में ही बिजी रह रही हैं, चाहो तो तुम चल सकती हो मेरे घर मेरे लिए......

अरे मैं खाना बनाने की बात कर रहा हूं” इस बार मैं भी अपनी तरफ से उसे बोल्ड आउट करने के लिए गेंद फेंक चुका था

इस बार दीपा पहली दफ़ा शर्मायी थी । मेरी बातें सुनकर शर्माती हुई बोली - "अच्छा ! "

“वैसे आज तुम्हारा बॉयफ्रेंड तुम्हें कॉलेज छोड़ने आया है या नहीं ? ” मैंने इधर-उधर देखते हुए बोला ।

“क्या ? ” वह एकदम से चौंक कर बोली ।

“मैं उसी का बात कर रहा हूं जो बाइक (Bike) से तुम्हें सुबह-शाम कॉलेज छोड़ने और लेने आता है ।” मैंने ऐसे बोला जैसे उस वक्त उसकी चोरी पकड़ ली गयी हो । और साथ ही मैं अपनी आँखों के भौहों को ऊपर नीचे करता रहा ।

" अरे ....... तुम्हारा दिमाग तो खराब नही है ? ... वह मेरे बड़े भैया हैं" वह मेरे कंधो पर प्यार से मारती हुई बोली ।

“सच!” मैं बहुत खुश होते हुए पुछा ।

“ हां , वो मेरे बड़े भैया हैं ।” वह अपने चेहरे पर क्यूटनेस लाती हुई बोली ।

उस वक्त जब मुझे यह मालूम पड़ा कि वह आदमी दीपा की बॉयफ्रेंड नहीं है बल्कि उसके बड़े भैया हैं तब मेरी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा । मेरी खुशी आसमान छू रही थी ।

उस दिन के बाद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था । कॉलेज में जैसे ही ब्रेक मिलता हम दोनों कैंटीन में जाकर बातचीत शुरू कर देते थे ।



साथ बने रहिए।
Reception me baje gaane ki dhun par kya deepa bhi naachi thi... Mujhe to shayad haan lagta hai jise yahan update se nikal diya gaya... Infact reception ka pura scene hi nikal diya jahan par dono close ho rahe the...

Reception ke baad aa gaye callege aur callege me lo bhaiya badh raha hai knowledge... Padhai ka paath padhe na bhale... Je chhoda aur chhodi tou prem ka path jaroor padh lenge... Dekhte hain kya hota hai.. filhaal to Chhote aur Deepa canteen ki chhoti chhoti mulakat me khush hain
 
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