तैंतीसवाँ भाग
राहुल भैया के मुंह से देवांशु का नाम सुनकर मैं चौंक गया। मैंने तो इस बारे में अभी तक सोचा ही नहीं था कि वो इतना बड़ा खतरनाक कदम उठा सकता है।
नहीं भैया मुझे नहीं लगता कि इनमें उस देवांशु का हाथ हो सकता है। मैंने राहुल भैया से कहा।
तुम्हें क्या लगता है मैं ऐसे ही कह रहा हूँ। मैंने बहुत से मामले ऐसे देखे हुए हैं। वो तुमसे चुनाव में हार गया। वो दीपा एकतरफा प्यार करता है, लेकिन दीपा तुमसे प्यार करती है। उसे लगता है कि तुम्हारे कारण ही दीपा उसे प्यार नहीं करती। और ऊपर से तुम दोनों की लड़ाई। इतना काफी है उसे ऐसा खतरनाक कदम उठाने को मजबूर करने के लिए। राहुल भैया ने कहा।
तब तो उसके खिलाफ थाने में रिपोर्ट लिखवानी चाहिए फिर। अर्जुन भैया ने कहा।
लेकिन मैंने न तो लॉरी चालक को देखा है और न ही गाड़ी का नम्बर ही देखा है, फिर कैसे उसके खिलाफ रिपोर्ट लिखा सकते हैं। मैंने कहा।
देवांशु सही कह रहा है। पुलिस सबसे पहले यही सवाल करेगी कि लॉरी चालक को देखा है तुमने क्या गाड़ी का नम्बर नोट किया है तुमने। राहुल भैया ने कहा।
अभी हम बातचीत कर ही रहे थे कि डॉक्टर एक पुलिस इंस्पेक्टर के साथ वहां आया।
यहीं हैं सर जिनके साथ कल दुर्घटना घटी थी। डॉक्टर ने इंस्पेक्टर से कहा।
अच्छा। क्या नाम है आपका। इंस्पेक्टर ने मुझसे पूछा।
निशांत। मैंने जवाब दिया।
मुझे कल ही डॉक्टर साहब ने बता दिया था, लेकिन कुछ बहुत जरूरी केस के सिलसिले में व्यस्त था। इसलिए कल आना नहीं हुआ, खैर ये बताइये की ये दुर्घटना हुई कैसे। इंस्पेक्टर ने मुझसे पूछा।
मैंने पूरी घटना सिलसिलेवार इंस्पेक्टर को बता दी। पूरी बात सुनने के बाद इंस्पेक्टर ने कहा।
मुझे लगता है ये दुर्घटना जानबूझ कर कराई गई है। क्या तुमने लॉरी चालक या उसका नम्बर देखा था। इंस्पेक्टर ने मुझसे पूछा।
नहीं सर दुर्घटना के बाद में तो बेहोश हो गया था। मैंने इंस्पेक्टर से कहा।
क्या तुम्हारी किसी से दुश्मनी है। या तुमको किसी पर शक है। इंस्पेक्टर ने कहा।
नहीं सर ऐसा कुछ भी नहीं है। मैंने जवाब दिया।
झूठ क्यों बोल रहे हो निशांत। सच क्यों नहीं बता रहे हो। दीपा ने बीच में बोलते हुए कहा।
आप कौन हैं और किस सच की बात कर रही हैं। इंस्पेक्टर ने दीपा से पूछा।
मैं इनकी मंगेतर हूँ। बहुत जल्द हम दोनों शादी करने वाले हैं। मेरे साथ एक लड़का पढ़ता है। नाम है देवांशु। कॉलेज के छात्रसंघ चुनाव में वो भी उम्मीदवार था। मैं उसके साथ चुनाव में प्रचार करती थी, लेकिन उसकी नियत मेरे लिए ठीक नहीं थी। इसलिए निशांत के चुनाव में खड़े होने के बाद मैंने उसका साथ छोड़ दिया और निशांत के लिए प्रचार करने लगी।
चुनाव में वो निशांत से हार गया। जिसकी बौखलाहट में उसने मेरे साथ बदतमीज़ी करने की कोशिश की। तो निशांत की उससे मारपीट हो गई। हो सकता है उसी का बदला लेने के लिए उसने ये दुर्घटना करवाई हो। दीपा ने कहा।
हां ये हो सकता है, लेकिन बिना किसी ठोस आधार के हम किसी के खिलाफ कार्रवाई भी नहीं कर सकते। अगर इन्होंने लोरी का नम्बर भी देखा होता तो उसकी जानकारी निकालकर कुछ पता किया जा सकता था। इंस्पेक्टर ने कहा।
लेकिन देवांशु के खिलाफ रिपोर्ट तो दर्ज कराई जा सकती है ना सर। राहुल भैया ने कहा।
आप रिपोर्ट लिखवा दीजिए। देखते हैं क्या हो सकता है इस बारे में। अच्छा अब हम चलते हैं। अगर कुछ पता लगा तो आपसे संपर्क करेंगे। इतना कहकर इंस्पेक्टर साहब चले गए।
उनके जाने के बाद राहुल भैया और कॉलेज के अन्य विद्यार्थी भी थोड़ी देर बाद अस्पताल से चले गए। अब अस्पताल में दीपा और मेरे घरवाले ही बचे थे।
दीपा बेटी। अब तुम जब तक निशांत ठीक नहीं हो जाता तब तक कॉलेज मत जाना। माँ ने कहा।
क्यों माँ। मेरी खातिर दीपा अपनी पढ़ाई का नुकसान क्यों करे। मैंने माँ से कहा।
अगर इस दुर्घटना में देवांशु का हाथ है तो वो अब बेखौफ हो गया होगा। तो वो दोबारा से दीपा से बदतमीज़ी कर सकता है और इस बार तो तू भी वहां नहीं होगा। इसलिए मैं नहीं चाहती कि दीपा को किसी तरह की परेशानी हो। मां ने कहा।
कैसी बात कर रही हैं आप माँ। अब क्या किसी से डर कर हम कॉलेज जाना बंद कर देंगे क्या। इससे तो उसका हौसला और भी बढ़ जाएगा। अर्जुन भैया ने मां को समझाते हुए कहा।
जीजा जी ठीक बोल रहे हैं मां। मुझे कुछ नहीं होगा मैं अपनी हिफाजत खुद कर सकती हूँ। और कॉलेज में राहुल भैया भी तो रहेंगे ही। दीपा ने कहा।
इसके बाद डॉक्टर ने आकर सभी को बाहर जाने के लिए कहा। इसी तरह आज का दिन पूरा बीत गया। शाम को सुजाता मौसी भी मुझसे मिलने के लिए आई। रात में दीपा ज़िद करके अस्पताल में रुक गई। उसके रुकने के कारण अदिति भाभी को भी अस्पताल में रुकना पड़ा, क्योंकि घर वाले दीपा को अकेले अस्पताल में नहीं रहने देना चाहते थे। सभी घर वाले चले गए। अदिति भाभी और दीपा मेरे पास आ गए। पहले हमने खाना खाया उनके बाद हम सोने की तैयारी करने लगे।
दीदी आप इस टेबल(5 फिट लंबा और 1.5 फिट चौड़ा जो अस्पताल में मरीज के कमरे में लेटने के लिए होता है) पर सो जाइये। मैं स्टूल पर बैठती हूँ निशांत के पास। दीपा ने अदिति भाभी से कहा।
दीपा की बात सुनकर अदिति भाभी उसके टेबल पर लेट गई। दीपा मेंरे सिरहाने स्टूल पर बैठ गई। और मेरा हाथ अपने हाथ में ले लिया। हम दोनों एक दूसरे की आंखों में देखने लगे। दीपा की आंखे डबडबा गई थी। हम दोनों पता नहीं कितनी देर ऐसे ही एक दूसरे का हाथ थामे बैठे रहे। फिर मुझको नींद आ गई।
दीपा ने मेरे माथे और गाल को चूम लिया और मेरे सीने पर सिर रखकर बैठी रही। सुबह मेरी आँख खुली तो मैंने दीपा को अपने सिनेपर सिर रखकर सोते हुए पाया। मेरे हिलने से दीपा की नींद खुल गई। थोड़ी देर बाद घरवाले भी आ गए। मैंने ब्रस करके नाश्ता किया और अपनी दवा खा ली।
मैं पूरे 6 दिन अस्पताल में रहा। दीपा रोज़ रात को घरवालों से ज़िद करके मेरे पास रुक जाती। दो दिन तक अदिति भाभी उसके साथ रुकी, उसके बाद दीपा अकेले ही रुकती मेरे पास। इन 6 दिनों में राहुल भैया, विक्रम भैया और मेरे के दोस्त 2 बार मुझसे मिलने आए। सातवें दिन मुझे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अर्जुन भैया मुझे घर ले आए।
मेरे घर आने के बाद दीपा कॉलेज जाने लगी, लेकिन कॉलेज से आने के बाद वो मेरे यहाँ ही रुकती। इस बात से किसी को ऐतराज़ नहीं था। दीपा खूब मन लगाकर मेरी सेवा करती थी। मैं अपने लिए उसका ढेर सारा प्यार देखकर बहुत फक्र महसूस करता था। दीपा कॉलेज जाती तो देवांशु रोज उसे मिलता और मुस्कुराते हुए आगे बढ़ जाता। दीपा ने एक दिन मुझे ये बात बताई।
निशांत ये देवांशु रोज मुझे मिलता है और रोज मुस्कुराकर आगे बढ़ जाता है मुझे लगता है कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है। मुझे उसके ऊपर यकीन होता जा रहा है कि ये सब उसी ने किया है।
तुम उस पर ज्यादा ध्यान मत दो दीपा। वैसे भी इंस्पेक्टर ने कहा था कि बिना ठोस सबूत के वो कुछ भी नहीं कर सकते। और तुम्हारे बोलने से इनपेक्टर तो विश्वास करेंगे नहीं, इसलिए उसे पूरे तरह नजरअंदाज करो। मैन दीपा से कहा।
दीपा को ये बात बताए 2 दिन हो चुके थे । एक दिन दीपा कॉलेज गई हुई थी और अपनी क्लास अटेंड करके वापस घर आने के लिए निकली थी कि देवांशु ने उसे कॉरिडोर में रोक लिया।
हाय दीपा। कैसी हो तुम। देवांशु ने कहा।
तुमको इससे मतलब। दीपा ने कहा।
अरे यार दीपा। तुम तो अभी भी गुस्सा ही मुझसे। अरे मैंने सुना है कि निशांत के साथ कोई दुर्घटना घट गई है इसलिए उसका हाल चाल जानना चाहता था तुमसे। देवांशु ने कहा।
क्यों तुम्हें नहीं पता कि उसकी हालत कैसी है। दीपा ने कहा।
लो अब मैं उसके साथ थोड़े ही रहता हूँ जो मुझे उसकी हालत पता होगी। उसके साथ तो दिन रात तुम रहती हो। और पता नहीं क्या क्या करती होगी। देवांशु ने हंसते हुए दीपा से कहा।
अपनी बकवास बन्द कर तू, तेरी जैसी घटिया सोच है तू उसी तरह घटिया सोचता है। तू अपनी तरह समझता है क्या सबको। तू कभी नहीं सुधर सकता। मैं तुझसे बात ही क्यों कर रही हूँ। इतना कहकर दीपा वहां से चल दी।
अभी दीपा कुछ ही कदम आगे बढ़ी थी की देवांशु ने जो बात कही उसे सुनकर दीपा के कदम वहीं पर रुक गए।
साथ बने रहिए।