mashish
BHARAT
- 8,032
- 25,909
- 218
Mere class ki bandi ... Mere class ki bandi mere class ki bandi ... Sorry kuch jyada hi ho gaya lekin kya karun ye wakya jab bhi kahin padhta hun kuchh kisse taja ho jate hain ...छठवाँ भाग
उस दिन के बाद हम दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था । कॉलेज में जैसे ही ब्रेक मिलता हम दोनों कैंटीन में जाकर बातचीत शुरू कर देते थे ।
कुछ ही दिनों में हम दोनों एक-दूसरे को अच्छी तरह से समझ लिए थे । अब हमारी बातें फोन पर भी घंटो घण्टों तक होने लगी थी ।
मैं कई दिनों से यह सोच रहा था यार दीपा को प्रपोज कर दूं लेकिन साला यह अपना फट्टू दिल हिम्मत ही नहीं कर पा रहा था । कई बार तो मैं उसे कॉलेज के गार्डन या रेस्टोरेंट में सिर्फ प्रपोज करने के लिए ही लेकर जाता था । मगर फिर भी प्रपोज करने में नाकामयाब रहता था ।
एक दिन हम रात के 2:00 बजे तक व्हाट्सएप पर मैसेज द्वारा बात-चीत कर रहे थे । उस रात हम दोनों ने बहुत सारी बातें की। इस दौरान मैंने दीपा से कहा।
सुनों न। मुझे तुमसे कुछ कहना है।
हाँ कहो। दीपा ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा।
वो मैं कहना चाहता था कि..... तुम कल कॉलेज आ रही हो। मैंने किसी तरह बात बदलते हुए कहा।
बस यही कहना था तुमको। दीपा ने कहा।
मैंने उसकी बातों का कोई जवाब नहीं दिया बस मैन इनडाइरेक्ट तरीके से उसे अपने प्यार का एहसास करने के लिए एक मैसेज भेज दिया।
कोई तुम्हें बहुत पसंद करता है दीपा। मैंने ये मैसेज भेज दिया। जिसका मतलब दीपा ने बखूबी समझ लिया था कि मैंने अपने प्यार को छुपा लिया है।
मैं डर रहा था कहीं दीपा मेरे प्यार को ठुकरा ना दे ।
वो अक्सर मुझे एक दोस्त की तरह ही देखती थी जिसके कारण मुझे अब और अधिक डर लगने लगा था, कही वो अब दोस्ती ही ना तोड़ दे । मैं 5 मिनट बाद हिम्मत करके अपने मोबाइल का डाटा चालू किया
डाटा ऑन करने के बाद मैंने व्हाट्सएप के नोटिफिकेशन का इंतजार किया मगर अगले 30 सेकंड तक एक भी नोटिफिकेशन नहीं आया । मैं व्हाट्सएप को ओपेन (Open) किया और अपने सेंड मैसेज को देखा । मैसेज पढ़ लिया गया था मैसेज के आगे डबल नीले रंग की दो टीक-मार्क लग चुकी थी ।
प्रपोज करते समय मैं उसके जवाब से डर रहा था और अब उसके जवाब ना आने से मैं डर गया था ।
उसकी रिप्लाई ना आना मैं खुद का रिजेक्शन समझ चुका था । यही कारण था कि मेरे आंखों से आंसू की धार निकल पड़ी थी । आंसू मेरे आंखों से निकल कर गालों से होते हुए तकिए पर गिर रहा था । उसी बीच मैंने दीपा को कई बार कॉल भी किया मगर उसने मेरे फोन का भी कोई उत्तर नही दिया फिर मैंने उसके व्हाट्सएप पर सौ से अधिक बार माफी मांगी । मगर उसने किसी मैसेज का रिप्लाई नहीं किया।
इस तरह से उस रात में बिल्कुल भी नहीं सो पाया था । पूरी रात परेशान रहा और मेरी आँखों से नींद कही खो गयी थी।
जब मैं अगले दिन कॉलेज गया तो वह मुझसे नाराज जैसी दिख रही थी । वह मुझसे दूर-दूर रह रही थी । एक बार जब वह सीढियों से चलकर अपने क्लास रूम की ओर जा रही थी तब मैं उसके हाथ को पकड़ कर कोरिडोर के एक कोने की तरफ ले गया ।
“ दीपा क्या तुम मुझसे सच में नाराज हो ?” मैंने उसके आंखों में झांक कर कहा ।
“ हां ” उसने सिर्फ अपना सर हिला कर जवाब दी।
“ ओके... मुझे माफ कर दो । अगली बार से ऐसी गलती नहीं होगी ।” मैंने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा।
“मैं माफ क्यों करूं ? तुमने मेरा सपना तोड़ा हैं ।
इतनी आसानी से कैसे माफ कर दूंगी?” उसने मुंह बनाती हुई बोली।
“ सपना .....कैसा सपना?” मैं आश्चर्य चकित होकर बोला।
“मेरा एक सपना था कि जो भी मुझसे प्यार करेगा वह अपने हाथों में गुलाब का फूल लेकर अपने घुटने पर बैठकर मुझे प्रपोज करेगा। मगर तूने तो व्हाट्सएप पर इंडिरेक्टक़ली प्रपोज करके मेरा सपना ही तोड़ दिया।” दीपा इस बार लगभग मुस्कुराती हुई बोली थी।
“क्या...?” मैंने अपना कंधा उचकाते हुए बोला।
मैं कुछ और बोलता उससे पहले ही वह अपने होंठ मेरे होंठ के पास लाकर बोली - " आई लव यू निशांत "
मैं यह सुनकर खुशी से झूम उठा और चिल्लाकर बोला।
आई लव यू टू दीपा।
उसके बाद वह अपने होठ मेरे होठों पर रख दी। वह तो थी मात्र 2 से 3 सेकंड की किस (kiss) , मगर उतने में ही मेरे सारे रोंगटे खड़े हो गए थे।
वह मुझसे दूर खड़ी हुई और बोली- " मुझे उम्मीद नहीं थी कि तुम इतने भी फट्टू हो"
फिर मुस्कुरा कर अपनी क्लास रूम की तरफ चली गयी ।
इसके बाद हम लोग अपने-अपने क्लास रूम में चले गए। उस दिन के बाद हमारा प्यार चरम सीमा पर था। अक्सर कॉलेज में हम लोग साथ-साथ देखे जा सकते थे। जब वह अपने क्लास रूम में होती थी तभी सिर्फ अकेली होती थी वरना कॉलेज के पूरे टाइम हम दोनो साथ में बिताते थे।
कुछ दिन बाद से ही हमारी जोड़ी के चर्चे कॉलेज के ग्रुपों में होने लगा मगर मुझे इन सब से कोई फर्क नहीं पड़ता था ।
हम दोनों अपनी ही दुनिया में मस्त रहते थे। एक दिन मैं कॉलेज के ब्रेक टाइम में असाइनमेंट प्रोजेक्ट के लिए ज्योग्राफी टीचर के केविन में गया हुआ था। जिसके कारण दीपा कॉलेज के कैंटीन में अकेली बैठी थी।
मैं अपने असाइनमेंट प्रोजेक्ट से संबंधित बातचीत करने के बाद जब मैं उस टीचर के केबिन से वापस आ रहा था तो कॉरीडोर के पास मुझे 2 -3 लड़को ने रोका।
“ निशांत मुझे तुमसे कुछ बातें करना है ” उन लड़कों में से एक बोला।
उस लड़के की हाइट (Hight) मेरी हाइट से थोड़ी कम थी, मगर वह मुझसे अधिक गोरा था। उसकी दाढ़ी स्टाइल बिल्कुल अमिताभ बच्चन से मिलती थी मगर हेयर स्टाइल मिथुन दा से मिलता था ।
हां बोलो क्या बात करना है ?”मैंने बोला।
“मैं तुम्हें कई दिनों से नोटिस कर रहा हूं। तुम हमारे क्लास की लड़कियों से कुछ ज्यादा ही चिपके चिपके रह रहे हो” उनमें से दूसरा लड़का बोला।
वह तेवर कुछ ज्यादा ही दिखा रहा था, वह अकड़ कर बोला था ।
“ हां .. तो इसमें तुम्हें क्या प्रॉब्लम है?” मैंने कहा।
“दिक्कत नहीं बेटा, बल्कि बहुत दिक्कत है। क्योंकि तुम जिस लड़की से चिपक-चिपक के घूम रहे हो उसे मैं पसंद करता हूं” उसने अपने हाथ को मेरे कंधे पर रखते हुए बोला।
“तब तो दिक्कत मुझे होना चाहिए बेटे,... क्योंकि मैं उससे प्यार करता हूं।” मैंने उसके हाथों को अपने कंधे से हटाते हुए बोला।
“साले वह मेरी क्लास की बंदी है, आज के बाद उसके अगल-बगल भी दिखा तो मुझसे बुरा कोई नहीं होगा” एक दूसरे लड़के ने बोला।
“ तुम लोग मेरी दो बाते अच्छी तरह से समझ लो। पहली की तुम लोग तमीज से बात करो और दूसरी कि वह तुम्हारी क्लास की बंदी है ना कि तुम्हारे बाप का जागीर” मैं इस बार अपनी उंगली दिखाते हुए गुस्से में बोला था।
इसके बाद वे लोग कुछ बोलते कि उससे पहले ही वहां पर कुछ लड़कियां आ गई थी जिसके कारण वे लोग वहां से चले गए और मैं कैंटीन की तरफ चला गया।
“ निशांत इतना टाइम कहां लगा दिया? अब तो ब्रेक भी खत्म होने वाला है” दीपा मुझे कैंटीन पहुंचते ही बोली।
“हां थोड़ा अधिक टाइम लग गया” यह बोलता हुआ मैं उसके बगल की कुर्सी पर बैठ गया।
“ ठीक है, मैं कॉफी मंगाती हूं” दीपा शॉप की तरफ देखती हुई बोली।
“नहीं... मत मंगाओ। आज मेरा कॉफी पीने का मूँड़ बिलकुल भी नहीं है।” मैंने बोला।
“क्यों? क्या हुआ?” दीपा बोली।
साथ बने रहिए।
Kaise hoga .. maar dhar aur action se bharpur ... South ka wahi hit aur hot scene hoga jise goldmine hindi dubbed me dekh'kar aaj kal sochte hain ki ye south wale to Hollywood ko takkar de rahe hain...nice update ..dipa se pyar ka ijhahaar karne me darr raha tha nishant ..
par whats app ke jariye kar hi diya aur dusre din dipa ne abhi accept kar liya ..
par ye ladke kuch jyada herogiri kar rahe hai ,,dekhte hai kaise aamna saamna hota hai hero ka unke saath ..
Yahan bhi locha chahiye kya... Ek locha se dil na bhara jo mujhe fansakar aaj kal dikh na raheBahut hi sadagi bhari Kahani aur masoom isake kirdar hai, aise hi masoomiyat banaye rakhe agale update ki pratiksha rahegi.
Ek Lalita Pawar kahani me jaroor hoti hai.... Khair kafi kushal adakara thi wo bhi... Jinhone unka abhinay nahi dekha ho u tube par dekh len... Kuchh side actor aur actress kafi underrated rahe hain lekin unka abhinay chal rahi kahani ke hisab se kafi umda darje ka hota hai jiska match to lead actor actress bhi nahi karte....सातवाँ भाग
क्यों? क्या हुआ?” दीपा बोली।
बस ऐसे ही ” मैं थोड़ी धीमी आवाज में बोला।
“ फिर भी क्या हुआ? ऐसा क्यों बोल रहे हो ? ” उसने दोबारा पूछा।
“ वैसे तुम्हारे क्लास में एक अमिताभ बच्चन जैसी दाढ़ी रखा कोई लड़का है ?” मैंने पूछा।
“हां .....हां.....उसका नाम देवांशु है। वह बहुत अच्छा लड़का है ।” दीपा खुश होती हुई बोली।
दीपा द्वारा उस लड़के के बारे में इतना खुश होते हुए, उसे अच्छा बताना मुझे रास नहीं आया। मैं कुछ देर तक चुप रहा।
“ वैसे तुम उस देवांशु के बारे में क्यों पूछ रहे हो? क्या बात है?” दीपा बोली।
इस बार भी मैंने दीपा के बातों का कोई जवाब नहीं दिया।
“ क्या हुआ ?” उसने एक बार फिर से पूछा।
“देवांशु वाकई में बहुत अच्छा लड़का है। आज से हम दोनों दोस्त बन गए हैं” मैंने दीपा से झूठ बोला।
मैं चाहता तो उस वक्त दीपा को देवांशु के बारे में पूरी सच्चाई बता सकता था लेकिन दीपा की उसके बारे में इतनी सकारात्मक सोच देख इस समय उसके बारे में कुछ बताना उचित नहीं समझा ।
उस घटना को बीते लगभग एक सप्ताह हो चुके थे मगर उस दिन के बाद फिर कभी देवांशु मुझसे नहीं मिला था और इतने दिनों में मैं भी उसकी बातों को कब का ही भूल चुका था।
अब बस मेरे दिलो-दिमाग में सिर्फ दीपा ही थी । उसके बिना जीने की कल्पना करना भी मेरे लिए अब असहनीय हो गया था।
एक दिन कॉलेज का भोजनावकाश हो चुका था सभी छात्र-छात्राएँ कैंटीन में बैठे चुहलबाज़ी कर रहे थे। आकाश में बादल छाये हुये थे। जिसके कारण सूरज बादलों में कहीं खो सा गया था। ठंडी हवाएं बह रही थी जो लोगों को और भी रोमांचित कर रहा था।
इस बरसात वाले मौसम को लोग गर्म चाय की चुस्की के साथ बेहतरीन महसूस कर रहे थे। मैं और दीपा कैंटीन में ना होकर कॉलेज के गार्डन में बैठे थे।
मेरे अलावा वहां पर कॉलेज के कुछ और लड़के-लड़कियां बैठे थे। उनमे से अधिकांश लोग अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही थे। हम सभी इस ठंडी हवा का मज़ा ले रहे थे। मैं और दीपा एक झाड़ीनुमा पेड़ के पास बैठे थे।
मेरा सर दीपा के गोद में था और चेहरा उसके चेहरे के सामने। हम लोग पिछले एक घंटे से वही उसी तरह से बैठकर बातें कर रहे थे।
“ दीपा मैं इसी तरह सारी उम्र तुम्हारे साथ ही बिताना चाहता हूं।” मैं उसके बालों के बीच हाथों की उंगली को फंसाते हुए बोला।
“ तो फिर मना किसने किया है, मैं भी तो जिंदगी का हर पल तुम्हारे साथ गुजारना चाहती हूं” वह अपने सर को आगे की तरफ झुकाते हुए बोली।
अब उसके होंठ और मेरे होंठ के बीच की दूरी मात्र कुछ ही इंच रह गई थी। फिर उसने आंखें बंद की और अपने होंठ मेरे होंठों के पास ले आई।
उसके बाद मैं उसकी गोद से अपना सर हटा कर उसके सीधे और सामने बैठ गया। वह एक टक मेरे चेहरे को देखती जा रही थी। मैं उसकी आंखों में उसके प्यार की गहराई देख रहा था। मैं उसके नजदीक गया और अपने हाथ की उंगलियों से उसके बालों से खेलते हुए अपना हाथ उसके सर के पीछे टिका दिया और अपने होंठ को उसके होंठ से सटा दिया ।
उस वक्त उसके दिल की धड़कन मेरे कानों में साफ-साफ पड़ रही थी। हम दोनों एक दूसरे को चुमते जा रहे थे। इसी तरह चुमते रहने के कुछ मिनट बाद अचानक से बारिश के बूंदे पड़ने लगी। तभी हमारा ध्यान टूटा। तब तक हम दोनों उस बारिश में पूरी तरह से भींग चुके थे।
मैंने गार्डन में चारों तरफ देखा वहां पर बैठे सभी लोग क्लासरूम के तरफ चले गए थे। मगर हम दोनों वही बारिश में ही भींग रहे थे। भीगे हुए कपड़ों में दीपा बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी। मैंने उसे देखा फिर उसके हाथों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और अपना दाया हाथ उसकी कमर पर रखकर फिर से एक-दुसरे से चिपक गए। और फिर हम दोनों एक दूसरे को कई मिनटों तक चुमते रहे।
अब दीपा और मेरी दोस्ती के बारे में मेरे घरवाले भी जान चुके थे। दीपा कई बार मेरे साथ मेरे घर आ चुकी थी। वैसे दीपा को मेरे घर में आने-जाने से किसी को कोई दिक्कत ना थी क्योंकि मेरी भाभी दीपा की ही सहेली की बहन थी। और दीपा को शादी के समय से ही सभी लोग पहचानते थे।
दीपा जब भी मेरे घर जाती थी तो दो-तीन घंटे रुकने के बाद वापस अपने घर चली जाती थी।
जब दीपा मेरे घर में होती थी तब मैं, भाभी और दीपा मिलकर बहुत सारी मस्तियां करते थे। एक दिन कॉलेज खत्म होने के बाद दीपा को लेकर मैं अपने घर आया उस दिन मेरी सुजाता मौसी भी मेरे घर पर आई हुई थी। उस दिन दीपा और भाभी मिलकर हम सभी के लिए समोसे बना रही थी ।
“आदिती दीदी आपको नहीं लगता आप समोसे में ज्यादा मिर्च डाल रही हैं?” दीपा समोसे बनाते समय मेरी भाभी से बोली।
मेरी भाभी दीपा की सहेली की बहन थी इसलिए मेरी भाभी को दीपा दीदी ही बोला करती थी।
“अरे नहीं दीपू, इतना मिर्च सही है” भाभी बोली
मुझे लगता है आपके घर में सभी लोग ज्यादा तीखा ही पसंद करते हैं” दीपा थोड़ा मजाकिया लहजे में बोली।
“शायद!” भाभी समोसे को कड़ाही से बाहर निकालती हुई बोली।
“दीदी आप लोग तीखा कितना भी खा लो मगर आप और आपकी फैमिली काफी स्वीट है।” शायद इस बार उसकी शब्दों का इशारा मेरी तरफ था।
“ओहो ..... शुक्रिया ! " भाभी मुस्कुराती हुई बोली।
इधर किचन में दीपा और भाभी मिलकर समोसे बना रहीं थी और दूसरे कमरे में सुजाता मौसी और मेरी मां बैठकर बातचीत कर रहीं थीं।
" विमला तुम्हे नहीं लगता है ! यह लड़की आजकल कुछ ज्यादा ही तुम्हारे घर आ - जा रही है?
" सुजाता मौसी मेरी मां से बोली।
" कौन लड़की?" मां अपने दिमाग पर जोर डालती हुई बोली।
" अरे वो ही जो हमेशा निशांत के आगे पीछे घूमती रहती है।" सुजाता मौसी थोड़ा झुंझुआकर बोली।
" अच्छा अब मैं समझी, आप किसकी बात कर रहीं हैं।
दीदी आप दीपा की बात कह रही है ना?" मां खुश होते हुए बोली।
साथ बने रहिए।
मेरे अलावा वहां पर कॉलेज के कुछ और लड़के-लड़कियां बैठे थे। उनमे से अधिकांश लोग अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही थे। हम सभी इस ठंडी हवा का मज़ा ले रहे थे। मैं और दीपा एक झाड़ीनुमा पेड़ के पास बैठे थे।
Pakka je Lalita Pawar hi hai sujata maasi ... Waise shadi se pahle sasuraal aa gayi... Modern bahu hai deepa lekin raat me rukna... Kafi sandehaspad hai... Kyonki Arjun aur aditi ek kamre me... Massi aur maa dusre kamre me... 2 jawan dil wo bhi alag alag kamren me... Uffff mamla khol jhala wala hone wala to nahiआठवाँ भाग
अरे हां मैं उसी की बात कर रही हूं। मुझे तो उसका रहन-सहन बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता है। पता नहीं कैसी लड़की है?"
सुजाता मौसी कटुता भरे स्वर में बोली।
"दीदी आप उसके बारे में गलत सोच रही है।
दीपा बहुत अच्छी लड़की है और आपको पता है ना ! वह अपनी बहू के बहन की दोस्त है ।"
माँ सुजाता मौसी को समझाती हुई बोली।
" हूं...! " मौसी मुंह बनाकर दूसरी तरफ अपना चेहरा करके बैठ गई।
उस वक्त कमरे में कुछ पल तक भयानक खामोशी पसर गई । सब कुछ खामोश था। कमरे के दरवाजे , टेबल पर रखा गुलदस्ता , दीवार पर टंगी तस्वीरें और अलमारी में सजी मोटी-मोटी किताबें और ये सभी मौसी के खडूस चेहरे को निहार रहें थे।
तभी कमरे का दरवाजे धीरे से खुलने की आवाज आई और उसके साथ ही कमरे में दीपा आते हुए बोली, "
समोसा, गरमा - गरम । मौसी और आंटी आप दोनों जल्द से जल्द हाथ मुंह धो कर आइए मैं समोसा बनाकर ले आई हूं"
" बेटी आप लोग समोसे खा लो । हम दोनों बाद में समोंसे खा लेंगे" मेरी मां दीपा से बोली।
" नहीं आंटी हम सब एक ही साथ समोसे खाएंगे। वैसे भी अगर आप लोग अभी नहीं खाएंगे तब समोसे ठंडे पड़ जाएगे" दीपा बोली
मां कुछ बोलती इससे पहले ही कमरे में मैं और आदिति भाभी आ गए।
" निशांत और आदिती दी देखिए ना मौसी और आंटी समोसे खाने को तैयार नहीं है । हम लोगों ने कितने प्यार से बनाए हैं।" दीपा हम लोगों के कमरे में प्रवेश करते ही बच्चों जैसे बोल पड़ी।
" क्यों माँ जी ! आप क्यों समोसे नहीं खाएंगे ?" आदिती भाभी बोली।
" अरे यह लड़की भी ना ! ..... थोड़े से ही में पूरे घर को सर पर उठा लेती है" मां दीपा को देख कर बोली । हम सभी मुस्कुराने लगे।
कुछ देर बाद हम सभी समोसे और आम के चटनी पर धावा बोल चुके थे। दीपा , अदिति भाभी, सुजाता मौसी , माँ और मै सभी एक साथ बैठ कर समोसे खा रहे थे। सब लोग एक के बाद दूसरा समोसा उठाने में बिल्कुल भी समय नही लगा रहे थे।
"वाह ! वाकई में समोसा बहुत स्वादिष्ट बना है।" मां बोली।
" यह सब दीपा के हाथों का जादू है माँ जी ।'' भाभी दीपा को देखती हुई मुस्कुरा कर बोली।
" नहीं ... नहीं आंटी , यह सब आदिति दी का ही कमाल है।" दीपा बोली ।
" . ना दीपा और ना आदिती भाभी , माँ यह सब मेरे हाथों के कमाल है।" मैंने भाभी की तरफ देख कर मजाक से बोला । सभी लोगों ने मेरी तरफ देखा और सब खिलखिला कर हंस पड़े।
अभी सब लोगों की हंसी भी ना रूकी थी कि सुजाता मौसी बोली, " हूं..यह कोई समोसा है ! लगता है घी में नहीं बल्कि सिर्फ तवे पर घिसकर पका दिया गया है। इससे ज्यादा अच्छा समोसा तो मेरी शिल्पा बनाती है , एकदम से कुरकुरे।"
सुजाता मौसी की यह कड़वाहट भरे शब्द पूरे कमरे में फैल गया और फिर से एक बार पूरा कमरा खामोश हो गया।
दिल तो कई बार किया था कि मौसी को बोल दूं , " मेरे घर में बार-बार ये अपनी शिल्पा को मत लाया करो , वह किसी सम्राट की महारानी बिटिया नहीं है जिसका बार-बार गुणगान करती फिरती हो और वह थोड़े ना कोई जादू की छड़ी है, जो हर काम में परफेक्ट हो।
जब देखो, जहां देखो,शिल्पा - शिल्पा करती रहती हो।''
मगर मैं आज तक मौसी को यह सब नहीं बोल पाया था । मैं उस वक्त कुछ बोलता उससे पहले ही भाभी चुपचाप उस कमरे से निकलकर किचन के तरफ चली गई और साथ ही उसके पीछे -पीछे दीपा भी चली गई।
" देखती हो बहना तुम्हारी बहू गुस्से से कैसे निकली ?
मैंने उसे अभी क्या बोला ? कुछ तो नहीं बोला।" सुजाता मौसी मेरी मां को देख कर बोली।
" अरे ... वो ...।"
" मैं जानती हूं विमला तुम्हें अपनी बहू में कोई दिक्कत नहीं दिखेगी ।
अभी तुम यही बोलोगी कि बहू गुस्से से बाहर नहीं गई थी।" सुजाता मौसी मेरी मां की बातों को बीच में ही काटती हुई बोली ।
शाम के 7:15 बज चुके थे और दीपा अपने घर जाने के लिए दीदी से जिद कर रही थी।
आदिती दी, मैं घर चली जाऊंगी ना ! प्लीज जाने दीजिए घर पर भैया इंतजार कर रहे होंगे।" दीपा बोली।
" दीपा देखो , अंधेरा होने वाला है इतनी शाम को जाना अच्छी बात नहीं है । सुबह चले जाना। " आदिती भाभी बोलीं।
"घर पर भैया परेशान हो रहे होंगे। मेरे घर में उनके लिए कोई खाना बनाने वाली भी तो नहीं है। मुझे घर जाना ही होगा दी ( दीदी)। " दीपा बोली।
'' निशांत इसे अब आप ही समझाओ कि आज रात यहीं रुक जाये | कल सुबह चली जायेगी।" आदिती भाभी मुझे देखते हुए बोली।
" दीपा प्लीज रूक जाओ । सब लोग रूकने को बोल रहे हैं। सुबह यही से साथ कॉलेज चले जाएंगे" में बोला I
मेरे बोलने के कुछ सेकंड बाद ही अर्जुन भैया ऑफिस से वापस आ गए ।
"भाई किसे रोका जा रहा है ? मुझे भी तो कोई रोको।" भैया आते ही मजाकिया लहजे में बोले।
" जीजा जी
नमस्ते।" दीपा अर्जुन भैया से बोली।
साथ बने रहिए।
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सर जी।Hara lahanga chunni me deepa ... Mujhe film "Hum Aapke Hain Kaun" ki Madhuri Dixit ki yaad aa gayi jo hare rang ke paridhan me apni bahan ki shadi attend kar rahi thi...
Khair shadi me ladke ke jija athva fufa aur fufi ke role ko yahan par maasi nibhati hui najar aayi... Aur jis hisab se iss update ki patkatha thi aur jis prakar se Deepa ne challenge kiya tha usse dekh'kar to yahi lag raha tha ki yahan juta chori ke waqt puri sajis aur dhamal dekhne ko mikega... ..
Maine to wo jute dedo aur paise le lo ke aakhri wala palang tootne tak ke imagination me tha but koi na, dance jitne ke baad yahan haat jana koi big deal na thi.. achha update tha
Reception me baje gaane ki dhun par kya deepa bhi naachi thi... Mujhe to shayad haan lagta hai jise yahan update se nikal diya gaya... Infact reception ka pura scene hi nikal diya jahan par dono close ho rahe the...
Reception ke baad aa gaye callege aur callege me lo bhaiya badh raha hai knowledge... Padhai ka paath padhe na bhale... Je chhoda aur chhodi tou prem ka path jaroor padh lenge... Dekhte hain kya hota hai.. filhaal to Chhote aur Deepa canteen ki chhoti chhoti mulakat me khush hain
Agla bhaag kuchh hi der me likh denge.Waiting