छत्तीसवाँ भाग
मैं देवांशु से लड़ाई झगड़ा फिलहाल अभी नहीं करना चाहता था, इसलिए मैं अपने कक्षा की तरफ चल पड़ा, लेकिन देवांशु ठहरा ढीढ़ उसने आगे से आकर मेरा रास्ता रोक लिया।
अरे नेता जी थोड़ी देर रुको तो सही। तुम्हारे लिए मेरे पास एक मस्त डील है जो तुम्हारे फायदे के लिए ही है। देवांशु ने कहा।
मेरा रास्ता छोड़ मुझको तेरे साथ कोई डील नहीं करनी है। मैंने कहा।
ठीक है नेता जी। जैसे तुम्हारी मर्जी। मैं तो तुम्हारे भले के लिए ही बोल रहा था। पर तुम अपना भला चाहते ही नहीं। बाद में मुझे मत कहना कि मैंने तुम्हें कोई मौका नहीं दिया। देवांशु ने कहा।
मैंने देवांशु की बात का कोई जवाब नहीं दिया और अपनी कक्षा में चला गया। मैंने अपनी क्लास अटेंड की और दीपा को लेकर उसके घर चला गया। दीपा को घर छोड़ने के बाद वापस अपने घर आ गया।
इसी तरह लगभग एक हफ्ते बीत गए। इस एक हफ्ते में एक बात जो मुझे खटकती रही वो ये अभी तक देवांशु ने न दीपा से कोई बदतमीजी और अभद्रता की थी और न ही मुझसे कोई बात की थी, लेकिन कॉलेज में वह जितनी बार मुझसे मिलता था। उसके चेहरे पर हमेशा एक रहस्यमयी मुस्कान होती थी। जिसकों मैं अभी तक समझ नहीं पाया था।
ऐसे ही एक दिन मैं कॉलेज गया आज फिर से देवांशु मुझे देखकर रहस्यमय ढंग से मुस्कुराने लगा। मैंने उसे नजरअंदाज किया और अपनी कक्षा में चल गया और अपनी क्लास अटेंड की। क्लास खत्म होने के बाद मैं और दीपा घर जाने के लिए निकले। मेरा एक दोस्त भी मेरे साथ निकला। मैंने दीपा को बाइक पर पीछे बैठाया और घर की तरफ निकल पड़ा। मेरा दोस्त भी मेरे साथ चल रहा था। हम दोनों बातचीत करते हुए जा रहे थे।
अभी हम कॉलेज से कुछ ही दूर गए थे कि तभी एक अपहरण वाली गाड़ी(सटर जैसे दरवाज़े वाली वैन जो फिल्मों में अपहरण के समय इस्तेमाल की जाती है) ने हम लोगों को ओवरटेक करके सामने आकर रुक गई। हमारी गति थोड़ी तेज़ थी इसलिए मेरे दोस्त की बाइक वैन से टकरा गई और वो बाइक समेत जमीन पर गिर पड़ा।
मेरी भी बाइक टकराई वैन से, लेकिन मैंने किसी तरह खुद को संभाल लिया। मैंने वैन में देखा तो मुझे देवांशु दिखा। जब तक मैं कुछ समझ पाता, वैन से 2 लड़के बाहर निकले और मेरी आँख में कोई स्प्रे मार दिया जिससे मेरी आँख जलन होने लगी। वो लड़के दीपा को पकड़कर वैन में डाल लिया। तबतक मेरा दोस्त उन लड़कों को पकड़ने के लिए आगे बढ़ा लेकिन एक लड़के ने उसे धक्का देकर गिरा दिया और वैन में बैठकर भाग गए। मेरा दोस्त मेरी मदद के लिए मेरे पास आया।
तुम मेरी फिक्र मत करो। उस वैन का पीछा करो और मुझे पल पल की खबर देते रहना। जल्दी जाओ इससे पहले की कोई अनहोनी हो जाए। मैंने अपने दोस्त से कहा।
मेरी बात सुनकर मेरा दोस्त उस वैन के पीछे लग गया। मैंने अपनी आँखें मलते हुए मीचकर किसी तरह खोली और अधखुली बन्द होती आंखों से राहुल भैया को फ़ोन लगा दिया, पूरी घण्टी जाने के बाद भी उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया तो मैंने इंस्पेक्टर को फ़ोन लगाया।
हेलो, कौन। इंस्पेक्टर ने फ़ोन उठाते हुए कहा।
सर मैं निशान्त, दीपा का देवांशु ने अपहरण कर लिया है। मैंने घबराए हुए स्वर में कहा।
पहले शुरू से लेकर पूरी बात बताओ। फिर में देखता हूँ।
मैन इंस्पेक्टर को सारी बात बता दी। मेरी बात सुनने के बाद इंस्पेक्टर ने कहा।
तुम पहले उसका पीछा करते रहो और मुझे उसकी लोकेशन भेजो। मैं आता हूँ वहां।
इंस्पेक्टर की बात सुनकर मैंने फोन रख दिया। तब तक राहुल भैया और विक्रम भैया भी वहां आ गए। वो शायद मुझसे बाद में कॉलेज से चले थे। मेरी हालत देखकर उन्होंने मेरे पास अपनी बाइक रोक दी।
क्या हुआ निशान्त। तुम्हारी आंख क्यों बन्द हैं और तुम्हारी बाइक कैसे नीचे गिरी हुई है। कहीं उस देवांशु ने फिर से दुर्घटना करने की कोशिश तो नहीं की। राहुल भैया ने कहा।
भैया। देवांशु ने दीपा का अपहरण कर लिया है और मेरी आँख में एक स्प्रे डाल दिया। जिससे मेरी आँख जलने लगी। मैं रुंआसा होकर बोला।
क्या दीपा का अपहरण। इस बार उसको नहीं छोडूंगा मैं, लेकिन उसके पहले दीपा को बचाना है उसके चंगुल से। लेकिन उसे ढूंढेंगे कैसे। राहुल भैया ने कहा।
मेरा दोस्त उसके पीछे गया है। उसे फ़ोन करके पता करता हूँ कि देवांशु दीपा को लेकर किधर गया है। मैंने कहा।
उसके बाद मैंने अपने दोस्त को फ़ोन किया तो उसने बताया कि वो लोग सीकर (काल्पनिक नाम) की तरफ जा रहे हैं। हम तीनों तुरंत बताई हुई दिशा में निकल पड़े। मैंने तुरंत इंस्पेक्टर सर को फ़ोन करके उन्हें उसके वर्तमान पते के बारे में बताया। राहुल भैया ने अपने कुछ दोस्त जो होस्टल में रहते थे, को फ़ोन करके हाँकी, बैट और डंडा लेकर सीकर की तरफ तुरन्त आने के लिए बोल दिया।
थोड़ा बाइक और तेज़ चलाओ, आज देवांशु की अच्छे से बैंड बजाते हैं। राहुल भैया ने कहा।
उधर देवांशु ने वैन एक पुराने मंदिर के पास रोकी। मंदिर चारों तरफ से खुला हुआ था। यहां किसी खास मौके पर ही श्रद्धालुओं की भीड़ होती थी बाकी समय लगभग सुनसान ही रहता था। उसने दीपा को वैन से खींचकर बाहर निकाला। दीपा ने देखा कि मंदिर को फूलों से सजाया गया है। मंदिर में एक पंडित बैठा हवनकुंड जलाने की तैयारी कर रहा था। दीपा ने ये देखते ही पूरा माजरा समझ लिया।
ये तुम क्या करने लाये हो मुझे यहां और ये सब क्या है। दीपा ने उससे पूछा।
दीपा मेरी जान। आज हम दोनों की शादी है। ये सब उसी की तैयारी हो रही है। देवांशु हंसते हुए बोला।
तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है देवांशु। तुम ऐसा कैसे कर सकते हो। मेरी शादी सिर्फ निशान्त से होगी और किसी से नहीं। मैं मर जाना पसंद करूँगी, लेकिन तुमसे शादी कभी नहीं करूंगी। दीपा ने उसे घूरते हुए कहा।
देखो तो। अभी भी तुझमें बहुत अकड़ है। लेकिन आज मैं तेरी सारी अकड़ तोड़ दूंगा। और जिसके भरोसे तू इतना अकड़ रही है। उसे तो पता ही नहीं होगा कि तुझे मैं कहाँ पर ले आया हूँ। और तुझसे शादी तो मैं करूँगा ही। और इसी मंदिर में सुहागरात भी मनाऊंगा उसके बाद बेशक तू मर जाना। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मुझे बस तेरा गुरुर तोड़ना है। और उस निशान्त को सबक सिखाना है। देवांशु दहाड़ते हुए दीपा से बोला।
तुम्हारी ये इच्छा कभी पूरी नहीं होगी। निशान्त जरूर आएगा। और तू मेरे जिस्म को हाथ भी नहीं लगा सकता। मैं तेरा हांथ तोड़ दूंगी। दीपा ने कहा।
अगर मैं चाहूं तो अभी ही तेरे साथ बहुत कुछ कर सकता हूँ, लेकिन फिर वो मज़ा नहीं आएगा। जिसके लिए मैंने इतनी अपमान सहे, इतनी मार खाई। देवांशु ने कहा।
उधर वैन मंदिर में जाकर रुकी तो मेरे दोस्त ने मुझे फ़ोन के दिया और मंदिर के बारे में बताया। मैंने तुरंत फ़ोन करके उस मंदिर बारे में इंस्पेक्टर सर को बता दिया। राहुल भैया ने अपने दोस्तों को मंदिर के पास बुला लिया। थोड़ी देर बाद हम सब मंदिर के पास पहुंच गए। अभी इंस्पेक्टर सर नहीं आए थे। हमने वहां पर देखा कि देवांशु के 10-12 लड़के मंदिर के आसपास हैं।
थोड़ी देर इंतज़ार के बाद राहुल भैया के दोस्तों सहित 15 विद्यार्थी वहां पर डंडा, बैट, हॉकी के साथ आ गए। उसके बाद हम मंदिर की तरफ चल दिए और उन लोगों के सामने आ कर खड़े हो गए।
देवांशु तुमने ये हरकत करके बहुत बड़ी गलती कर दी। आज मेरे हाथों से तुझे कोई नहीं बचा सकता। मैन देवांशु को ललकारते हुए कहा।
तो तुम आ गए। बड़े ढीठ हो तुम। तुमको मैंने कम आंका था, लेकिन तुम तो मेरी उम्मीद से ज्यादा निकले। कोई बात नहीं। आज यहां से तुम सब बचकर नहीं जा सकते। मारो रे सबको।देवांशु ने कहा।
इसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट शुरू को गई। डंडे हाँकी और बैट की टक टक की आवाज़ आने लगी। देवांशु मुझे देखकर मेरी तरफ आया और मुझसे भिड़ गया। कुछ ही देर में देवांशु के दोस्त बुरी तरह पीटे जाने लगे। कुछ चोटें मेरे साथ आए हुए लोगों को भी लगी।
साथ बने रहिए