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Romance तेरी मेरी आशिक़ी (कॉलेज के दिनों का प्यार)

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
28,009
56,324
304
पैंतीसवाँ भाग


मैंने और दीपा ने इंस्पेक्टर का फोन नं. लिख लिया और अपने कॉलेज की तरफ चल पड़े। कॉलेज पहुँचकर हम दोनों अपनी अपनी कक्षा में चले गए। मेरे सभी मित्र मुझे कॉलेज में देखकर बहुत खुश हुए और मेरा हाल चाल पूछा। मुझे अपने दोस्तों से कल देवांशु की पिटाई के बारे में भी पता चला। कुछ देर बाद प्रोफेसर अपना लेक्चर लेने के लिए कक्षा में आए।

उन्होने मुझे देखकर मेरे स्वास्थ्य के बारे में जानकरी ली और अपना लेक्चर देने लगे। लेक्चर अटेंड करके भोजनावकास के समय मैं और दीपा कॉलेज परिसर में छाँव में बैठे हुए कुछ बातें कर रहे थे।

अब तो मैं ठीक भी हो गया हूँ तो क्यों न कहीं घूमने चला जाए बाहर। मैंने दीपा से कहा।

हाँ कह तो तुम ठीक रहे हो, लेकिन पहले से ही तुम्हारी पढ़ाई 15 दिन छूट चुकी है। बाहर जाने पर पढ़ाई का और नुकसान होगा। ऐसे में माँ बाहर जाने की अनुमति नहीं देंगी। दीपा ने अपना संदेह व्यक्त करते हुए कहा।

तुम ठीक कह रही हो। माँ तो मानेंगी नहीं। फिर भी रात में इस बारे में बात करता हूँ माँ से देखता हूँ क्या कहती हैं माँ। मैंने दीपा से कहा।

ठीक है कर लेना बात, लेकिन क्या मेरा तुम्हारे साथ जाना उचित होगा। मुझे नहीं लगता माँ और भैया हमें एक साथ अकेले कहीं बाहर घूमने जाने देंगे।

इतने कहकर दीपा मेरी गोद में लेट गई। मैं दीपा की आँखों में देखते हुए कहा।

क्यों नहीं जाने देंगी। आखिर हम दोनों की शादी होने वाली है हो हमें एक साथ वक्त बिताने का मौका तो मिलना ही चाहिए।

बड़े आए मौके की बात करने वाले। पिछले 15 दिन से मैं लगातार तुम्हारे साथ ही रही हूँ। अब तुम्हें और कितना मौका चाहिए साथ रहने के लिए। दीपा ने अपनी आँख नचाते हुए कहा।

अरे वो तो मैं बीमार था तो कुछ कर नहीं सकता था, अब मैं ठीक हो गया हूँ। तो तुम्हारे साथ एकांत में वक्त गुजारने के लिए मौका तो मिलना चाहिए मुझे। मैंने कहा।

कुछ कर नहीं सकता था का क्या मतलब है तुम्हारा। तुम कहना क्या चाहते हो। दीपा ने कहा।

अरे मेरा मतलब था कुछ प्यार मोहब्बत की बातें नहीं कर पाया तुम्हारे साथ। मैंने कहा।

तुम दिन-ब-दिन शरारती होते जा रहे हो छोटे। मुझे तुम्हारी नियत कुछ ठीक नहीं लग रही है। अगर ऐसा है तो पहले बता दो मैं तुम्हारे साथ बाहर घूमने नहीं जाऊँगी। दीपा ने कहा।

हाँ मेरी नीयत सच में तुम्हें देखकर खराब हो जाती है। मेरा मन करता है कि तुम्हें मैं..............

इतना कहकर मैं दीपा की आँखों में देखने लगा। दीपा भी मेरी आँखों में ही देख रही थी। मैं दीपा को देखते हुए उसके चेहरे पर झुकता चला गया। कुछ ही पलों में मेरे होंठ दीपा के नर्मोनाजुक होंठों पर रख दिए। दीपा ने भी मेरा साथ दिया और मेरे होठों को चूमने लगी।

हम दोनों अपनी मस्ती में एक दूसरे को चूम रहे थे। लगभग 5 मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे का होठ चूसते रहे। जब हम दोनों की साँस उखड़ने लगी तो हम दोनों अलग हुए।

जब मैंने अपनी नजर उठाई तो सामने राहुल भैया और विक्रम भैया खड़े मुस्कुरा रहे थे। उन्हें देखते ही दीपा झट से मेरी गोद से उठकर बैठ गई। दीपा दोनों को देखकर बहुत शरमा रही थी। इसलिए वो उठी और अपनी कक्षा की तरफ चल पड़ी। उसके जाने के बाद मैंने राहुल भैया से पूछा।

आप दोनों कब आए।

जब तुम दोनों दूसरी दुनिया में खोए थे तभी हम लोग आए। विक्रम भैया ने हँसते हुए कहा।

क्या भैया आप भी न। वो तो बस ऐसे ही। मैंने भी शरमाते हुए कहा।

अच्छा ऐसे ही। चलो कोई बात नहीं। लेकिन कुछ तो ध्यान दिया करो ये कॉलेज है और तुम दोनों कॉलेज में ही शुरू हो गए। राहुल भैया ने कहा।

उनकी बात सुनकर मैंने कोई जवाब नहीं दिया कुछ देर बाद मैंने राहुल भैया से कहा।

भैया मैं आज थाने गया था, देवांशु ने जो धमकी दीपा को दी थी उसी बारे में बात करने के लिए। तो इंस्पेक्टर साहब ने अपना नं. दिया है किसी भी आकस्मिक दुर्घटना की स्थिति में उनसे संपर्क करने के लिए। मैंने राहुल भैया से कहा।

वैसे फिलहाल उसकी जरूरत तो नहीं पड़नी चाहिए क्योंकि कल हम लोगों ने देवांशु की अच्छी खासी खातिरदारी कर दी है। वो अब कम से कम 10-12 दिन कॉलेज नहीं आ पाएगा, लेकिन फिर भी सावधानी तो बरतनी ही पड़ेगी। लाओ उनका नं. हम लोग भी लिख लेते हैं। कभी जरूरत पड़ सकती है। राहुल भैया ने कहा।

आपकी बात सही है। वो कुछ भी कर सकता है। मैंने राहुल भैया से कहा।

उसके बाद मैंने उन्हें इंस्पेक्टर का नं. दिया और कुछ और बातचीत करने के बाद अपनी कक्षा में चले गए। मैंने अपनी क्लास अटेंड की और दीपा को उसके घर छोड़ते हुए अपने घर आ गया।

रात में खाना खाते समय मैंने माँ से कहा।

माँ मैं सोच रहा हूँ कि अब तो मैं ठीक भी हो गया हूँ तो कुछ दिन मैं और दीपा कहीं बाहर घूम आएँ।

अच्छा। बात तो ऐसे कर रहा है जैसे वो तुम्हारी पत्नी हो और उसके साथ घूमने जाना हो। अभी तुम दोनों की शादी नहीं हुई है। और वैसे भी तुम्हारी पढ़ाई का बहुत नुकसान हो गया है। पहले तुम उसे पूरा करो। माँ ने कहा।

हाँ मैं मानता हूँ कि दीपा मेरी पत्नी नहीं है, लेकिन होने वाली पत्नी तो है और अब तो हम दोनों की सगाई भी हो चुकी है। तो फिर साथ जाने में हर्ज क्या है। वैसे भी मेरी पढ़ाई अच्छी चल रही है। मैं अपने सारे चैप्टर पूरा कर लूँगा। मैंने माँ से कहा।

मैंने कह दिया न कि अभी तुम दोनों कहीं नहीं जाओगे साथ में। माना कि तुम्हारी सगाई हुई है और शादी भी हो जाएगी। लेकिन हम सबको समाज के हिसाब से ही चलना होता है। और मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चों पर कोई उँगली उठाए। पहले शादी हो जाने दो उसके बाद जहाँ मच चाहे वहाँ जाने कोई मना नहीं करेगा तुम दोनों को। माँ ने कहा।

लेकिन माँ........... मैँ अभी इतना ही बोला था कि अर्जुन भैया ने मेरी बात बीच में काटकर कहा।

माँ बिलकुल सही कह रही हैं छोटे। जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक साथ में बाहर घूमने जाना सही नहीं है। कॉलेज की बात अलग है।

इसके बाद मेरे पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था तो मैं चुपचाप खाना खाने लगा। खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया। इसी तरह आज की रात भी बीत गई।

सुबह मैं उठकर स्नान करने के बाद खाना खाकर कॉलेज के लिए निकल गया। कॉलेज पहुँचकर मैंने अपना लेक्चर अटेंड किया और भोजनावकाश के समय दीपा और मैं कैंटीन में चले गए।

मैंने माँ से कल बाहर घूमने जाने के लिए बात की थी, लेकिन माँ ने मना कर दिया। वो कहती हैं कि जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक तुम दोनों साथ में बाहर घूमने के लिए नहीं जा करते। मैंने दीपा से कहा।

माँ ठीक ही तो कह रही हैं, बिना शादी के अच्छा थोड़ी ही लगेगा बाहर घूमने जाना। लोग तरह-तरह की बातें करेंगे वो अलग। दीपा ने कहा।

अभी हम लोग बातचीत कर ही रहे थे कि राहुल भैया भी वहाँ आ गए और मेरी बगल में बैठ गए।

क्या बातें हो रही हैं दोनो प्रेमियों में। राहुल भैया मुस्कुराते हुए बोले।

कुछ नहीं भैया। वो हम दोनों ने बाहर घूमने का प्लान बनाया था लेकिन माँ ने बाहर जाने से मना कर दिया। कह रही हैं जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक दोनों साथ में कहीं बाहर नहीं जा सकते। मैंने राहुल भैया से कहा।

माँ ने बिलकुल ठीक कहा है निशांत, जब तुम दोनों कॉलेज में ही शुरू हो जाते हो इतने विद्यार्थियों के होते हुए भी। तो तुम दोनों को अकेला बाहर भेजना बिलकुल सही नहीं होगा। पता नहीं वहाँ तुम दोनों अकेले में क्या क्या करोगे। राहुल भैया ने हम दोनों को छेड़ते हुए कहा।

क्या भैया अब आप भी हम लोगों का मजाक उड़ा रहे हैं। दीपा ने शरमाते हुए कहा।

अरे यार मैं तो मजाक कर रहा था। राहुल भैया हँसते हुए बोले।

उसके बाद हम तीनों ने कुछ खाया पिया और अपनी कक्षा में चले गए। इसी तरह दिन बीतते रहे। देवांशु इस बीच कॉलेज में मुझे कभी भी नजर नहीं आया। उसके न आने से मुझे एक सुकून सा मिल रहा था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि ये किसी तूफान के आने के पहले की शांति है।

राहुल भैया से देवांशु को मार खाए लगभग महीना भर बीतने वाला था। हम लोगों की वार्षिक परीक्षा का दिन भी नजदीक आ रहा था। एक दिन मैं कॉलेज गया तो मुझे देवांशु गेट के पास अपने दोस्तों के साथ खड़ा मिल गया। मुझे देखते ही वह मेरे पास आया।

अरे नेता जी। कैसे तो भाई, अब तबीयत कैसी ही तुम्हारी। सुना था कि तुम 1 हफ्ते अस्पताल में रहे। मुझे ये सुनकर बहुत बुरा लगा। देवांशु ने एक एक बात चबा चबा कर मुझसे कही।

सब तुम्हारा ही किया धरा है। उसके बाद भी तुम्हें मेरे स्वास्थ्य की चिंता है। मुझे विश्वास नहीं होता कि तुम इतने सभ्य और अच्छे कैसे हो गए। मुझे तो तुम्हारी इस चिंता में भी तुम्हारा स्वार्थ नजर आ रहा है। मैंने देवांशु को दो टूक जवाब दिया।

अरे नहीं नेता जी। तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है। मैं सुधरने वालों में से नहीं हूँ। वो तो बस तुम्हें सही सलामत देखकर मेरे हाथों में फिर से खुजलाहट होने लगी है। तो सोचा कुछ और करने से पहले एक बार तुम्हारा हाल-चाल पूछ लूँ। ताकि तुम्हें ऐसा न लगे कि मैं बहुत बेरहम और निर्दयी हूँ। देवांशु ने कहा।

इसमें लगना क्या है। तुम इससे भी गए गुजरे हो। अगर तुझे मुझसे अपनी दुश्मनी निभानी है तो सामने से आ। यूँ पीठ पीछे वार करने वाले को बुजदिल कहते हैं। अगर तुझमें दम है तो मुझसे दो दो हाथ कर, फिर तुझे पता चलेगा मेरी तबीयत के बारे में। मैंने भी उसे दो टूक जवाब दिया।

मैं इतना बेवकूफ नहीं हूँ कि मेरे उकसाने से अपना आपा खो दूँ। वो तो तुझे बहुत जल्द पता चल जाएगा कि बुजदिल कौन है और बहादुर कौन है। देवांशु मुझे उँगली दिखाते हुए कहा।

मैं उसके मुँह और नहीं लगना चाहता था इसलिए में उसे नजरअंदाज करते हुए अपनी कक्षा की तरफ चल पड़ा।


साथ बने रहिए।
 

DARK WOLFKING

Supreme
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nice update ..college me bhi chuma chati karne lage dono 😁..
aur maa ne bahar ghumne ki permission nahi di 😁.

devanshu sudharnewala nahi hai ,, itne din baad aakar dhamki de di nishant ko ..

nishant ko saawdhan rehna chahiye par lagta nahi ki wo serious le raha hai devanshu ko 🤔🤔..
 
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mashish

BHARAT
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मैंने और दीपा ने इंस्पेक्टर का फोन नं. लिख लिया और अपने कॉलेज की तरफ चल पड़े। कॉलेज पहुँचकर हम दोनों अपनी अपनी कक्षा में चले गए। मेरे सभी मित्र मुझे कॉलेज में देखकर बहुत खुश हुए और मेरा हाल चाल पूछा। मुझे अपने दोस्तों से कल देवांशु की पिटाई के बारे में भी पता चला। कुछ देर बाद प्रोफेसर अपना लेक्चर लेने के लिए कक्षा में आए।

उन्होने मुझे देखकर मेरे स्वास्थ्य के बारे में जानकरी ली और अपना लेक्चर देने लगे। लेक्चर अटेंड करके भोजनावकास के समय मैं और दीपा कॉलेज परिसर में छाँव में बैठे हुए कुछ बातें कर रहे थे।

अब तो मैं ठीक भी हो गया हूँ तो क्यों न कहीं घूमने चला जाए बाहर। मैंने दीपा से कहा।

हाँ कह तो तुम ठीक रहे हो, लेकिन पहले से ही तुम्हारी पढ़ाई 15 दिन छूट चुकी है। बाहर जाने पर पढ़ाई का और नुकसान होगा। ऐसे में माँ बाहर जाने की अनुमति नहीं देंगी। दीपा ने अपना संदेह व्यक्त करते हुए कहा।

तुम ठीक कह रही हो। माँ तो मानेंगी नहीं। फिर भी रात में इस बारे में बात करता हूँ माँ से देखता हूँ क्या कहती हैं माँ। मैंने दीपा से कहा।

ठीक है कर लेना बात, लेकिन क्या मेरा तुम्हारे साथ जाना उचित होगा। मुझे नहीं लगता माँ और भैया हमें एक साथ अकेले कहीं बाहर घूमने जाने देंगे।

इतने कहकर दीपा मेरी गोद में लेट गई। मैं दीपा की आँखों में देखते हुए कहा।

क्यों नहीं जाने देंगी। आखिर हम दोनों की शादी होने वाली है हो हमें एक साथ वक्त बिताने का मौका तो मिलना ही चाहिए।

बड़े आए मौके की बात करने वाले। पिछले 15 दिन से मैं लगातार तुम्हारे साथ ही रही हूँ। अब तुम्हें और कितना मौका चाहिए साथ रहने के लिए। दीपा ने अपनी आँख नचाते हुए कहा।

अरे वो तो मैं बीमार था तो कुछ कर नहीं सकता था, अब मैं ठीक हो गया हूँ। तो तुम्हारे साथ एकांत में वक्त गुजारने के लिए मौका तो मिलना चाहिए मुझे। मैंने कहा।

कुछ कर नहीं सकता था का क्या मतलब है तुम्हारा। तुम कहना क्या चाहते हो। दीपा ने कहा।

अरे मेरा मतलब था कुछ प्यार मोहब्बत की बातें नहीं कर पाया तुम्हारे साथ। मैंने कहा।

तुम दिन-ब-दिन शरारती होते जा रहे हो छोटे। मुझे तुम्हारी नियत कुछ ठीक नहीं लग रही है। अगर ऐसा है तो पहले बता दो मैं तुम्हारे साथ बाहर घूमने नहीं जाऊँगी। दीपा ने कहा।

हाँ मेरी नीयत सच में तुम्हें देखकर खराब हो जाती है। मेरा मन करता है कि तुम्हें मैं..............

इतना कहकर मैं दीपा की आँखों में देखने लगा। दीपा भी मेरी आँखों में ही देख रही थी। मैं दीपा को देखते हुए उसके चेहरे पर झुकता चला गया। कुछ ही पलों में मेरे होंठ दीपा के नर्मोनाजुक होंठों पर रख दिए। दीपा ने भी मेरा साथ दिया और मेरे होठों को चूमने लगी।

हम दोनों अपनी मस्ती में एक दूसरे को चूम रहे थे। लगभग 5 मिनट तक हम दोनों एक-दूसरे का होठ चूसते रहे। जब हम दोनों की साँस उखड़ने लगी तो हम दोनों अलग हुए।

जब मैंने अपनी नजर उठाई तो सामने राहुल भैया और विक्रम भैया खड़े मुस्कुरा रहे थे। उन्हें देखते ही दीपा झट से मेरी गोद से उठकर बैठ गई। दीपा दोनों को देखकर बहुत शरमा रही थी। इसलिए वो उठी और अपनी कक्षा की तरफ चल पड़ी। उसके जाने के बाद मैंने राहुल भैया से पूछा।

आप दोनों कब आए।

जब तुम दोनों दूसरी दुनिया में खोए थे तभी हम लोग आए। विक्रम भैया ने हँसते हुए कहा।

क्या भैया आप भी न। वो तो बस ऐसे ही। मैंने भी शरमाते हुए कहा।

अच्छा ऐसे ही। चलो कोई बात नहीं। लेकिन कुछ तो ध्यान दिया करो ये कॉलेज है और तुम दोनों कॉलेज में ही शुरू हो गए। राहुल भैया ने कहा।

उनकी बात सुनकर मैंने कोई जवाब नहीं दिया कुछ देर बाद मैंने राहुल भैया से कहा।

भैया मैं आज थाने गया था, देवांशु ने जो धमकी दीपा को दी थी उसी बारे में बात करने के लिए। तो इंस्पेक्टर साहब ने अपना नं. दिया है किसी भी आकस्मिक दुर्घटना की स्थिति में उनसे संपर्क करने के लिए। मैंने राहुल भैया से कहा।

वैसे फिलहाल उसकी जरूरत तो नहीं पड़नी चाहिए क्योंकि कल हम लोगों ने देवांशु की अच्छी खासी खातिरदारी कर दी है। वो अब कम से कम 10-12 दिन कॉलेज नहीं आ पाएगा, लेकिन फिर भी सावधानी तो बरतनी ही पड़ेगी। लाओ उनका नं. हम लोग भी लिख लेते हैं। कभी जरूरत पड़ सकती है। राहुल भैया ने कहा।

आपकी बात सही है। वो कुछ भी कर सकता है। मैंने राहुल भैया से कहा।

उसके बाद मैंने उन्हें इंस्पेक्टर का नं. दिया और कुछ और बातचीत करने के बाद अपनी कक्षा में चले गए। मैंने अपनी क्लास अटेंड की और दीपा को उसके घर छोड़ते हुए अपने घर आ गया।

रात में खाना खाते समय मैंने माँ से कहा।

माँ मैं सोच रहा हूँ कि अब तो मैं ठीक भी हो गया हूँ तो कुछ दिन मैं और दीपा कहीं बाहर घूम आएँ।

अच्छा। बात तो ऐसे कर रहा है जैसे वो तुम्हारी पत्नी हो और उसके साथ घूमने जाना हो। अभी तुम दोनों की शादी नहीं हुई है। और वैसे भी तुम्हारी पढ़ाई का बहुत नुकसान हो गया है। पहले तुम उसे पूरा करो। माँ ने कहा।

हाँ मैं मानता हूँ कि दीपा मेरी पत्नी नहीं है, लेकिन होने वाली पत्नी तो है और अब तो हम दोनों की सगाई भी हो चुकी है। तो फिर साथ जाने में हर्ज क्या है। वैसे भी मेरी पढ़ाई अच्छी चल रही है। मैं अपने सारे चैप्टर पूरा कर लूँगा। मैंने माँ से कहा।

मैंने कह दिया न कि अभी तुम दोनों कहीं नहीं जाओगे साथ में। माना कि तुम्हारी सगाई हुई है और शादी भी हो जाएगी। लेकिन हम सबको समाज के हिसाब से ही चलना होता है। और मैं नहीं चाहती कि मेरे बच्चों पर कोई उँगली उठाए। पहले शादी हो जाने दो उसके बाद जहाँ मच चाहे वहाँ जाने कोई मना नहीं करेगा तुम दोनों को। माँ ने कहा।

लेकिन माँ........... मैँ अभी इतना ही बोला था कि अर्जुन भैया ने मेरी बात बीच में काटकर कहा।

माँ बिलकुल सही कह रही हैं छोटे। जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक साथ में बाहर घूमने जाना सही नहीं है। कॉलेज की बात अलग है।

इसके बाद मेरे पास कहने के लिए कुछ बचा ही नहीं था तो मैं चुपचाप खाना खाने लगा। खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में आ गया। इसी तरह आज की रात भी बीत गई।

सुबह मैं उठकर स्नान करने के बाद खाना खाकर कॉलेज के लिए निकल गया। कॉलेज पहुँचकर मैंने अपना लेक्चर अटेंड किया और भोजनावकाश के समय दीपा और मैं कैंटीन में चले गए।

मैंने माँ से कल बाहर घूमने जाने के लिए बात की थी, लेकिन माँ ने मना कर दिया। वो कहती हैं कि जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक तुम दोनों साथ में बाहर घूमने के लिए नहीं जा करते। मैंने दीपा से कहा।

माँ ठीक ही तो कह रही हैं, बिना शादी के अच्छा थोड़ी ही लगेगा बाहर घूमने जाना। लोग तरह-तरह की बातें करेंगे वो अलग। दीपा ने कहा।

अभी हम लोग बातचीत कर ही रहे थे कि राहुल भैया भी वहाँ आ गए और मेरी बगल में बैठ गए।

क्या बातें हो रही हैं दोनो प्रेमियों में। राहुल भैया मुस्कुराते हुए बोले।

कुछ नहीं भैया। वो हम दोनों ने बाहर घूमने का प्लान बनाया था लेकिन माँ ने बाहर जाने से मना कर दिया। कह रही हैं जब तक शादी नहीं हो जाती तब तक दोनों साथ में कहीं बाहर नहीं जा सकते। मैंने राहुल भैया से कहा।

माँ ने बिलकुल ठीक कहा है निशांत, जब तुम दोनों कॉलेज में ही शुरू हो जाते हो इतने विद्यार्थियों के होते हुए भी। तो तुम दोनों को अकेला बाहर भेजना बिलकुल सही नहीं होगा। पता नहीं वहाँ तुम दोनों अकेले में क्या क्या करोगे। राहुल भैया ने हम दोनों को छेड़ते हुए कहा।

क्या भैया अब आप भी हम लोगों का मजाक उड़ा रहे हैं। दीपा ने शरमाते हुए कहा।

अरे यार मैं तो मजाक कर रहा था। राहुल भैया हँसते हुए बोले।

उसके बाद हम तीनों ने कुछ खाया पिया और अपनी कक्षा में चले गए। इसी तरह दिन बीतते रहे। देवांशु इस बीच कॉलेज में मुझे कभी भी नजर नहीं आया। उसके न आने से मुझे एक सुकून सा मिल रहा था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि ये किसी तूफान के आने के पहले की शांति है।

राहुल भैया से देवांशु को मार खाए लगभग महीना भर बीतने वाला था। हम लोगों की वार्षिक परीक्षा का दिन भी नजदीक आ रहा था। एक दिन मैं कॉलेज गया तो मुझे देवांशु गेट के पास अपने दोस्तों के साथ खड़ा मिल गया। मुझे देखते ही वह मेरे पास आया।

अरे नेता जी। कैसे तो भाई, अब तबीयत कैसी ही तुम्हारी। सुना था कि तुम 1 हफ्ते अस्पताल में रहे। मुझे ये सुनकर बहुत बुरा लगा। देवांशु ने एक एक बात चबा चबा कर मुझसे कही।

सब तुम्हारा ही किया धरा है। उसके बाद भी तुम्हें मेरे स्वास्थ्य की चिंता है। मुझे विश्वास नहीं होता कि तुम इतने सभ्य और अच्छे कैसे हो गए। मुझे तो तुम्हारी इस चिंता में भी तुम्हारा स्वार्थ नजर आ रहा है। मैंने देवांशु को दो टूक जवाब दिया।

अरे नहीं नेता जी। तुम्हें कोई गलतफहमी हुई है। मैं सुधरने वालों में से नहीं हूँ। वो तो बस तुम्हें सही सलामत देखकर मेरे हाथों में फिर से खुजलाहट होने लगी है। तो सोचा कुछ और करने से पहले एक बार तुम्हारा हाल-चाल पूछ लूँ। ताकि तुम्हें ऐसा न लगे कि मैं बहुत बेरहम और निर्दयी हूँ। देवांशु ने कहा।

इसमें लगना क्या है। तुम इससे भी गए गुजरे हो। अगर तुझे मुझसे अपनी दुश्मनी निभानी है तो सामने से आ। यूँ पीठ पीछे वार करने वाले को बुजदिल कहते हैं। अगर तुझमें दम है तो मुझसे दो दो हाथ कर, फिर तुझे पता चलेगा मेरी तबीयत के बारे में। मैंने भी उसे दो टूक जवाब दिया।

मैं इतना बेवकूफ नहीं हूँ कि मेरे उकसाने से अपना आपा खो दूँ। वो तो तुझे बहुत जल्द पता चल जाएगा कि बुजदिल कौन है और बहादुर कौन है। देवांशु मुझे उँगली दिखाते हुए कहा।

मैं उसके मुँह और नहीं लगना चाहता था इसलिए में उसे नजरअंदाज करते हुए अपनी कक्षा की तरफ चल पड़ा।



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lovely update
 
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Dil Se Dil Tak
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nice update ..college me bhi chuma chati karne lage dono 😁..
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devanshu sudharnewala nahi hai ,, itne din baad aakar dhamki de di nishant ko ..

nishant ko saawdhan rehna chahiye par lagta nahi ki wo serious le raha hai devanshu ko 🤔🤔..
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सर जी।

निशान्त सावधान नहीं है तभी तो उसका परिणाम भी उसके सामने आएगा न

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Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Supreme
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छत्तीसवाँ भाग


मैं देवांशु से लड़ाई झगड़ा फिलहाल अभी नहीं करना चाहता था, इसलिए मैं अपने कक्षा की तरफ चल पड़ा, लेकिन देवांशु ठहरा ढीढ़ उसने आगे से आकर मेरा रास्ता रोक लिया।

अरे नेता जी थोड़ी देर रुको तो सही। तुम्हारे लिए मेरे पास एक मस्त डील है जो तुम्हारे फायदे के लिए ही है। देवांशु ने कहा।

मेरा रास्ता छोड़ मुझको तेरे साथ कोई डील नहीं करनी है। मैंने कहा।

ठीक है नेता जी। जैसे तुम्हारी मर्जी। मैं तो तुम्हारे भले के लिए ही बोल रहा था। पर तुम अपना भला चाहते ही नहीं। बाद में मुझे मत कहना कि मैंने तुम्हें कोई मौका नहीं दिया। देवांशु ने कहा।

मैंने देवांशु की बात का कोई जवाब नहीं दिया और अपनी कक्षा में चला गया। मैंने अपनी क्लास अटेंड की और दीपा को लेकर उसके घर चला गया। दीपा को घर छोड़ने के बाद वापस अपने घर आ गया।

इसी तरह लगभग एक हफ्ते बीत गए। इस एक हफ्ते में एक बात जो मुझे खटकती रही वो ये अभी तक देवांशु ने न दीपा से कोई बदतमीजी और अभद्रता की थी और न ही मुझसे कोई बात की थी, लेकिन कॉलेज में वह जितनी बार मुझसे मिलता था। उसके चेहरे पर हमेशा एक रहस्यमयी मुस्कान होती थी। जिसकों मैं अभी तक समझ नहीं पाया था।

ऐसे ही एक दिन मैं कॉलेज गया आज फिर से देवांशु मुझे देखकर रहस्यमय ढंग से मुस्कुराने लगा। मैंने उसे नजरअंदाज किया और अपनी कक्षा में चल गया और अपनी क्लास अटेंड की। क्लास खत्म होने के बाद मैं और दीपा घर जाने के लिए निकले। मेरा एक दोस्त भी मेरे साथ निकला। मैंने दीपा को बाइक पर पीछे बैठाया और घर की तरफ निकल पड़ा। मेरा दोस्त भी मेरे साथ चल रहा था। हम दोनों बातचीत करते हुए जा रहे थे।

अभी हम कॉलेज से कुछ ही दूर गए थे कि तभी एक अपहरण वाली गाड़ी(सटर जैसे दरवाज़े वाली वैन जो फिल्मों में अपहरण के समय इस्तेमाल की जाती है) ने हम लोगों को ओवरटेक करके सामने आकर रुक गई। हमारी गति थोड़ी तेज़ थी इसलिए मेरे दोस्त की बाइक वैन से टकरा गई और वो बाइक समेत जमीन पर गिर पड़ा।

मेरी भी बाइक टकराई वैन से, लेकिन मैंने किसी तरह खुद को संभाल लिया। मैंने वैन में देखा तो मुझे देवांशु दिखा। जब तक मैं कुछ समझ पाता, वैन से 2 लड़के बाहर निकले और मेरी आँख में कोई स्प्रे मार दिया जिससे मेरी आँख जलन होने लगी। वो लड़के दीपा को पकड़कर वैन में डाल लिया। तबतक मेरा दोस्त उन लड़कों को पकड़ने के लिए आगे बढ़ा लेकिन एक लड़के ने उसे धक्का देकर गिरा दिया और वैन में बैठकर भाग गए। मेरा दोस्त मेरी मदद के लिए मेरे पास आया।

तुम मेरी फिक्र मत करो। उस वैन का पीछा करो और मुझे पल पल की खबर देते रहना। जल्दी जाओ इससे पहले की कोई अनहोनी हो जाए। मैंने अपने दोस्त से कहा।

मेरी बात सुनकर मेरा दोस्त उस वैन के पीछे लग गया। मैंने अपनी आँखें मलते हुए मीचकर किसी तरह खोली और अधखुली बन्द होती आंखों से राहुल भैया को फ़ोन लगा दिया, पूरी घण्टी जाने के बाद भी उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया तो मैंने इंस्पेक्टर को फ़ोन लगाया।
हेलो, कौन। इंस्पेक्टर ने फ़ोन उठाते हुए कहा।

सर मैं निशान्त, दीपा का देवांशु ने अपहरण कर लिया है। मैंने घबराए हुए स्वर में कहा।

पहले शुरू से लेकर पूरी बात बताओ। फिर में देखता हूँ।

मैन इंस्पेक्टर को सारी बात बता दी। मेरी बात सुनने के बाद इंस्पेक्टर ने कहा।

तुम पहले उसका पीछा करते रहो और मुझे उसकी लोकेशन भेजो। मैं आता हूँ वहां।

इंस्पेक्टर की बात सुनकर मैंने फोन रख दिया। तब तक राहुल भैया और विक्रम भैया भी वहां आ गए। वो शायद मुझसे बाद में कॉलेज से चले थे। मेरी हालत देखकर उन्होंने मेरे पास अपनी बाइक रोक दी।

क्या हुआ निशान्त। तुम्हारी आंख क्यों बन्द हैं और तुम्हारी बाइक कैसे नीचे गिरी हुई है। कहीं उस देवांशु ने फिर से दुर्घटना करने की कोशिश तो नहीं की। राहुल भैया ने कहा।

भैया। देवांशु ने दीपा का अपहरण कर लिया है और मेरी आँख में एक स्प्रे डाल दिया। जिससे मेरी आँख जलने लगी। मैं रुंआसा होकर बोला।

क्या दीपा का अपहरण। इस बार उसको नहीं छोडूंगा मैं, लेकिन उसके पहले दीपा को बचाना है उसके चंगुल से। लेकिन उसे ढूंढेंगे कैसे। राहुल भैया ने कहा।

मेरा दोस्त उसके पीछे गया है। उसे फ़ोन करके पता करता हूँ कि देवांशु दीपा को लेकर किधर गया है। मैंने कहा।

उसके बाद मैंने अपने दोस्त को फ़ोन किया तो उसने बताया कि वो लोग सीकर (काल्पनिक नाम) की तरफ जा रहे हैं। हम तीनों तुरंत बताई हुई दिशा में निकल पड़े। मैंने तुरंत इंस्पेक्टर सर को फ़ोन करके उन्हें उसके वर्तमान पते के बारे में बताया। राहुल भैया ने अपने कुछ दोस्त जो होस्टल में रहते थे, को फ़ोन करके हाँकी, बैट और डंडा लेकर सीकर की तरफ तुरन्त आने के लिए बोल दिया।

थोड़ा बाइक और तेज़ चलाओ, आज देवांशु की अच्छे से बैंड बजाते हैं। राहुल भैया ने कहा।

उधर देवांशु ने वैन एक पुराने मंदिर के पास रोकी। मंदिर चारों तरफ से खुला हुआ था। यहां किसी खास मौके पर ही श्रद्धालुओं की भीड़ होती थी बाकी समय लगभग सुनसान ही रहता था। उसने दीपा को वैन से खींचकर बाहर निकाला। दीपा ने देखा कि मंदिर को फूलों से सजाया गया है। मंदिर में एक पंडित बैठा हवनकुंड जलाने की तैयारी कर रहा था। दीपा ने ये देखते ही पूरा माजरा समझ लिया।

ये तुम क्या करने लाये हो मुझे यहां और ये सब क्या है। दीपा ने उससे पूछा।

दीपा मेरी जान। आज हम दोनों की शादी है। ये सब उसी की तैयारी हो रही है। देवांशु हंसते हुए बोला।

तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है देवांशु। तुम ऐसा कैसे कर सकते हो। मेरी शादी सिर्फ निशान्त से होगी और किसी से नहीं। मैं मर जाना पसंद करूँगी, लेकिन तुमसे शादी कभी नहीं करूंगी। दीपा ने उसे घूरते हुए कहा।

देखो तो। अभी भी तुझमें बहुत अकड़ है। लेकिन आज मैं तेरी सारी अकड़ तोड़ दूंगा। और जिसके भरोसे तू इतना अकड़ रही है। उसे तो पता ही नहीं होगा कि तुझे मैं कहाँ पर ले आया हूँ। और तुझसे शादी तो मैं करूँगा ही। और इसी मंदिर में सुहागरात भी मनाऊंगा उसके बाद बेशक तू मर जाना। मुझे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मुझे बस तेरा गुरुर तोड़ना है। और उस निशान्त को सबक सिखाना है। देवांशु दहाड़ते हुए दीपा से बोला।

तुम्हारी ये इच्छा कभी पूरी नहीं होगी। निशान्त जरूर आएगा। और तू मेरे जिस्म को हाथ भी नहीं लगा सकता। मैं तेरा हांथ तोड़ दूंगी। दीपा ने कहा।

अगर मैं चाहूं तो अभी ही तेरे साथ बहुत कुछ कर सकता हूँ, लेकिन फिर वो मज़ा नहीं आएगा। जिसके लिए मैंने इतनी अपमान सहे, इतनी मार खाई। देवांशु ने कहा।

उधर वैन मंदिर में जाकर रुकी तो मेरे दोस्त ने मुझे फ़ोन के दिया और मंदिर के बारे में बताया। मैंने तुरंत फ़ोन करके उस मंदिर बारे में इंस्पेक्टर सर को बता दिया। राहुल भैया ने अपने दोस्तों को मंदिर के पास बुला लिया। थोड़ी देर बाद हम सब मंदिर के पास पहुंच गए। अभी इंस्पेक्टर सर नहीं आए थे। हमने वहां पर देखा कि देवांशु के 10-12 लड़के मंदिर के आसपास हैं।

थोड़ी देर इंतज़ार के बाद राहुल भैया के दोस्तों सहित 15 विद्यार्थी वहां पर डंडा, बैट, हॉकी के साथ आ गए। उसके बाद हम मंदिर की तरफ चल दिए और उन लोगों के सामने आ कर खड़े हो गए।

देवांशु तुमने ये हरकत करके बहुत बड़ी गलती कर दी। आज मेरे हाथों से तुझे कोई नहीं बचा सकता। मैन देवांशु को ललकारते हुए कहा।

तो तुम आ गए। बड़े ढीठ हो तुम। तुमको मैंने कम आंका था, लेकिन तुम तो मेरी उम्मीद से ज्यादा निकले। कोई बात नहीं। आज यहां से तुम सब बचकर नहीं जा सकते। मारो रे सबको।देवांशु ने कहा।

इसके बाद दोनों पक्षों में मारपीट शुरू को गई। डंडे हाँकी और बैट की टक टक की आवाज़ आने लगी। देवांशु मुझे देखकर मेरी तरफ आया और मुझसे भिड़ गया। कुछ ही देर में देवांशु के दोस्त बुरी तरह पीटे जाने लगे। कुछ चोटें मेरे साथ आए हुए लोगों को भी लगी।


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