उन्नीसवाँ भाग
अगले दिन हम दोनों कॉलेज पहुंचे। कॉलेज पहुँचने के बाद मैं राहुल भैया से मिला। मैंने छात्रसंघ चुनाव में अपना नामांकन भरने की सहमति जता दी। राहुल भैयामेरी सहमति पर बहुत खुश हुए। फिर मैंने दीपा , राहुल भैया और उनकेकई दोस्तों के साथऑफिस पहुंच कर छात्र संघ चुनाव के लिए नामांकन फार्म भरा ।
नामांकन फार्म भरने के बाद हम सभी ने चुनावी रणनीति बनाने के लिए एक सभा का आयोजन किया । उस सभा में राहुल भैया के बहुत सारे दोस्त ,मेरे सहपाठियों के अलावा दीपा भी मेरे साथ थी । मुझे यह देख कर बहुत खुशी हो रही थी कि दीपा अब देवांशु के साथ ना होकर मेरे साथ मेरी जीत के लिए रणनीति बना रही थी।
हॉल में इतने सारे विद्यार्थियों को अपने समर्थन में खड़ा देख मुझे अपनी जीत निश्चित लग रही थी, परंतु मैं पूर्वानुमानों में विश्वास नहीं रखता था, इसलिए जब तक चुनाव नहीं हो जाते तब तक मुझे अपनी जीत की लिए जी तोड़ मेहनत करनी थी। देवांशु यह जानकर हैरान था कि उसके विरोध में अब मैं भी चुनाव लड़ रहा हूं और उसकी परेशानी का दूसरी वजहदीपा भी थी क्योंकि अब दीपा उसकी कोई बात ना सुनकर मेरे लिए प्रचार कर रही थी ।
“आप लोगों को पता है मैं इस चुनाव में क्यों खड़ा हुआ हूं । कॉलेज में हो रही रैंगिंग और फैकेल्टी प्रॉब्लम को दूर करना ही मेरा मकसद हैं और इसे दूर करने के लिए ही मैं इस चुनाव का हिस्सा बना हूँ । बस आप लोग अपना वोट मुझे दें और साथ में अपने दोस्तों से भी मुझे वोट करने के लिए कहें ताकि मैं जीतकर कॉलेज में चली आ रही परेशानियाँ दूर कर सकूँ ।” सभा शुरू करते ही मैं उपस्थित सभी विधार्थियों से बोला ।
मेरी बात खत्म होने के बाद उपस्थित सभी विद्यार्थियों की तालियों से पूरा क्लास रूम गूंज उठा ।
“मैं जानता हूं आपके सहयोगकेबिना कुछ भी हो पाना असंभव है, इसीलिए मैं आप लोगों में से ही कुछ लोगों को चुनकर उन्हें चुनाव पूर्व की तैयारियों और रणनिति बनाने की जिम्मेदारियाँ सौंपना चाहता हूँ। ताकि हम इस चुनाव जीतने में सफल हो सके । तो क्या आप लोग मेरे साथ खड़े हैं?” मैंने सभा में उस्थित सभी विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा।
“हां हम सब लोग आपके साथ हैं।” सभी एक साथ बोल पड़े ।
“ कॉलेज में प्रचार-प्रसार की सारी जिम्मेदारी राहुल भैया निभाएंगे” मैंने कहा ।
इतना कहने के बाद राहुल भैया के स्वागत के लिए उपस्थित सभी लोगों ने जोरदार तालियां बजाकर उनका स्वागत किया।
“ दूसरी जिम्मेदारी मैं विक्रम को दूंगा । वह छात्र संघ चुनाव के अन्य सभी उम्मीदवार पर नजर रखेंगें कि वो लोग हमारे विरोध में क्या कर रहे हैं और हमें चुनाव में हराने के लिए क्या रणनीति बना रहे हैं। फिर उनकी रणनीति के हिसाब से अपनी पार्टी के उससे बेहतर रणनीति तैयार की जा सके और लोगों के सामने पेश की जा सके। ”मैंने कहा ।
इसके बाद फिर सब लोगों ने ताली बजाकर विक्रम का स्वागत किया ।
“स्लोगन ,संबोधन भाषण लिखने के अलावा कॉलेज की और लड़कियों के वोट अपनी पार्टी के लिए प्राप्त करने तथा उन्हें कन्वेंश करने की जिम्मेदारी दीपा को दी जाती हैं ।” मेरी यह बात खत्म होते ही पूरे हॉल में तालियां की आवाज फिर से एक बार गूंज उठी ।
इसके अलावा भी मैंने छोटी-छोटी जिम्मेदरियाँ और भी लोगों को सौंप दिया क्योंकि हम जानते थे । किसी भी चुनाव कोजीतने के लिए एक अच्छी रणनीति और सभी विद्यार्थियों से सही तरीके से संपर्क होना जरूरी था ।
उस सभा के बाद हम सब अपने अपने काम में लग गए । अब कॉलेज में मेरी फोटो वाले छोटे छोटे प्रचार पेपर लोगों तक पहुंचने लगा । कॉलेज की दीवार पर हर जगह मेरे ही प्रचार पेपर चिपके हुए थे ।
अब मैं काफी खुश रहा करता था । दीपा हमेशा मेरे साथ ही रहती थी । चुनाव के लिए कुछ ना कुछ नई नई तरकीब बताती रहती थी । जिससे हम चुनाव को जीत सके ।
एक दिन कॉलेज में मैं क्लास रूम से बाहर आ रहा था तभी मेरी मुलाकात देवांशु से हो गई ।
उसने मुझे रोकते हुए कहा, “क्यों बे निशांत तुझे क्या लगता है तू मेरे विरोध में खड़ा होकर चुनाव जीत जाएगा ? और वो दीपा जो आजकल तुम्हारे पीछे पीछे घूम रही है इससे तुम्हें क्या लगता है दीपा अब तुम्हारी हो जाएगी? दीपा का पीछा करना छोड़ दो ।”
“देखो देवांशु मैं तुझे पहले भी समझा चुका हूं, मुझे तुमसे कोई पंगा नहीं करना है । बात रही दीपा की तो उसे मेरे साथ रहना ही अच्छा लगता है । मुझे जो काम करना चाहिए वह कर रहा हूं । तुम अपना काम देखो और हां एक बात कान खोल कर सुन लो दीपा सिर्फ मेरे पीछे पीछे नहीं रहती हैं बल्कि दीपा मुझसे प्यार भी करती है” मैंने कहा।
“दीपा तुम्हें प्यार करती है या तुम उससेप्यार करते हो? यह तो मुझे पता नहीं लेकिन तू कान खोल कर सुन ले । मैं दीपा को पसंद करता हूं और मैं जिस चीज को पसंद करता हूं वह मेरी हो जाती हैं” देवांशु मुझे उंगली दिखाते हुए कहा ।
“अगर अगली बार दीपा की नाम भी लिया तो तुझे...... खैर छोड़ो तुम जैसे लोगों से बात करना ही बेकार है ।” मैंने कहा।
मैं बात को खामखा आगे नहीं बढ़ाना चाहता था, क्योंकि छात्रसंघ चुनाव बहुत नजदीक था और बात बढ़ने से विद्यार्थियों पर इस बात का गलत संदेश जा सकता था। इसलिए मैं वहाँ से जाने लगा।
“ओ... निशांत रुको इतनी भी क्या जल्दी हैं । कहां जा रहे हो? भाई चलो आपस में लड़ने से कोई फायदा नहीं हैं । हम दोनों एक सौदा कर लेते हैं ।” मुझे रोकते हुए देवांशु बोला ।
“सौदा कैसा सौदा। मैं चौकते हुए बोला ।
“देखो तुम दीपा से प्यार करते हो।चलो मैं तुम्हारे लिएअपने प्यार की कुर्बानी दे देता हूँ और दीपा का पीछा करना छोड़ देता हूँ लेकिन इसके बदले में तुम्हें छात्र संघ चुनाव से अपना नाम वापस लेना होगा” देवांशु बोला।
“पहली बात कि सौदा हमेशा एक समान चीजों के साथ किया जाता है । और यहां दीपा कोई चीज नहीं है जो मैं तुमसे उसका सौदा करूँ और चुनाव से तो अब मैं हटने से रहा। मैं शायद एक बार तुम्हारी बातों पर गौर करता अगर तुम निःस्वार्थ भाव से मुझे चुनाव से नाम वापस लेने के लिए कहते तो। लेकिन तुम तो मुझसे सौदा कर रहे है। तो मि. देवांशु यह सौदा तो किसी भी सूरत में अब होने से रहा।” मैं यह बोल कर वहां से चला गया ।
हमारे चुनाव प्रचार सही तरीके से हो रहा था। जिसको जो भी जिम्मेदारी दी गई थी वो उसे बखूबी निभा रहा था।कॉलेज के लगभग सभी विद्यार्थी मेरे ही समर्थन में थे । इस चुनाव प्रचार में दीपा भी हमेशा मेरे हर कदम से कदम मिलाकर मेरे साथ थी कुछ दिन बाद ही वोटिंग होने वाली थी।
चुनावसे एक दिन पहले हमने फिर से एक सभा का आयोजन किया जिसमें कॉलेज के अधिकतर विद्यार्थियों नेअपनी उपस्थिति दर्ज करवाई ।
उस बैठक में राहुल भैया दीपा द्वारा लिखा गया संबोधन भाषण पढ़कर सभी विद्यार्थियों का दिल जीत लिया।
अगले दिन वोटिंग हुई । सभी विद्यार्थीयों नेअपने अपने पसंद के उम्मीदवार को वोट किया । उस दिन दीपा ने मेरी जीत के लिए भगवान से सभी मंदिरों में जाकर प्रार्थनाएं किया । 2 दिन बाद छात्रसंघ चुनाव के विजेता उम्मीदवार के नाम की घोषणा होने वाली थी ।
चुनाव का विजेता घोषित होने वाले दिन हम सभी लोग कॉलेज में थे । उस दिन मैं बहुत नर्वस हो रहा था, मेरे साथ सभी उम्मीदवारों का यही हाल था। लेकिन राहुल भैया और दीपा मुझे हमेशा की तरह उस दिन भी जीत की उम्मीद का दिलासा देरहे थे और मेरे साथ बैठे हुए थे।
कॉलेज के सभी फैकल्टी मंच पर बैठे थे और कॉलेज के सभी विद्यार्थी और उम्मीदवार कुर्सी पर मैदान में बैठे हुए थे । कुछ देर बाद छात्र संघ चुनाव आयोग ने विजेता उम्मीदवार का नाम घोषित कर दिया।
जिस वक्त छात्र संघ चुनाव आयोग के अध्यक्ष विजेता के नाम बोलने वाले थे । उस वक्त मेरे दिल की धड़कने जोरों से चल रही थी । मेरी बगल में बैठी दीपा मेरे हाथ को अपने हाथों से पकड़ रखी थी । शायद वह मेरी जीत के लिए उस वक्त भी भगवान से दुआएं मांग रही थी ।
जैसे ही विजेता के रूप में मेरा नाम घोषित हुआ वह खुशी से उछल पडी। मैं जीत गया था । मेरे आंखों में खुशी के आंसू डबडबा आया । दीपा मुझसे लिपट गई । उसके बाद राहुल भैया आकर मुझसे गले मिलें । इसके साथ ही कॉलेज के सभी विद्यार्थी मेरे पास आकर मुझे जीत की बधाइयां देने लगे ।मैं बहुत खुश था और मुझसे कहीं अधिक खुश दीपा थी।
मोहब्बत में हमेशा एक की जीत दोनों की खुशी के लिए पर्याप्त होती है । उस वक्त यही कारण थी कि मेरी जीत पर दीपा मुझसे कहीं ज्यादा खुश दिख रही थी।
साथ बने रहिए।