पचीसवाँ भाग
मेरे पास आये हुए सभी विद्यार्थियों की परेशानियों को सुनने के बाद मैंने कहा।
आप लोग अब जाइये मैं कुछ करता हूँ इसके बारे में। मैंने उन विद्यार्थियों से कहा।
उनके जाने के बाद मैं वहाँ से राहुल भैया के पास चला गया। वहाँ पर राहुल भैया के साथ विक्रम भैया और उनके कुछ दोस्त बैठे हुए थे। मैंने उन्हें मुझसे मिले हुए छात्रों की समस्याओं से अवगत कराया। सब ने तय किया कि कल इस बारे में कुलपति महोदय से बात करेंगे।
उसके बाद मैं अपनी कक्षा में आने लगा तभी मुझे दीपा मिल गई।
क्या बात है छोटे बाबू। मुझसे दूर दूर भाग रहे हो आजकल। मुझसे नाराज़ हो क्या ? मुझसे कोई भूल हो गई है क्या? दीपा ने मुझे देखते ही मुझसे सवाल किया।
ये कैसी बात कर रही हो तुम दीपा। तुम तो मेरी जान हो। भला मैं तुमसे कैसे नाराज़ हो सकता हूँ। मैंने दीपा से कहा।
फिर क्या बात है। तुम मुझसे बात क्यों नहीं करते हो। कोई परेशानी है क्या तुमको? दीपा ने पूछा।
नहीं कोई परेशानी नहीं है दीपा। बस मुझे समय नहीं मिल पाया इन दिनों, इसलिए तुमसे बात नहीं हो पाई। मैंने दीपा से नज़रें चुराते हुए कहा।
तुम्हें तो ठीक से झूठ बोलना भी नहीं आता छोटे। तुम्हारे चेहरे से दिख रहा है कि कोई परेशानी तो जरूर है। अब झूठ बोलना छोड़ो और बात क्या है ये बताओ। दीपा ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए बोली।
कोई परेशानी नहीं है दीपा। तुम्हे ग़लतफ़हमी हुई है कि मैं परेशान हूँ। मैंने दीपा से कहा।
ठीक है छोटे। मैं यहां बैठी ही क्यों हूँ। मैं जा रही हूँ तुम रहो अपनी परेशानियों के साथ। दीपा नाराज़ होते हुए बोली और जाने लगी।
दीपा की नाराजगी देखकर मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसे वापस बैठा लिया।
माँ मेरी शादी करवाना चाहती हैं। मैंने दीपा से कहा।
लेकिन इतनी जल्दी क्यों है उन्हें तुम्हारी शादी की। कहीं तुमने कोई कांड तो नहीं कर दिया। दीपा ने मज़ाकिया लहज़े में कहा।
क्या यार तुम भी। पहले पूरी बात तो सुन लो। माँ मेरी शादी करवाना चाहती हैं, लेकिन अभी नहीं पढ़ाई खत्म होने के बाद, और हम दोनों के प्यार के बारे में मैंने भी माँ को बता दिया है। मैंने दीपा को देखते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर वो बहुत खुश हुई उसे लग रहा था कि माँ उससे मेरी शादी करना चाहती हैं
तो तुम इतने परेशान क्यों हो। क्या तुम मुझसे शादी नहीं करना चाहते। दीपा ने कहा।
कैसी बात के रही थी तुम। मैं तुमसे ही शादी करना चाहता हूँ, लेकिन असली परेशानी की वजह दूसरी है। माँ ने तुमसे शादी के लिए इनकार कर दिया है और मेरे लिए कोई दूसरी लड़की पसंद कर ली है उन्होंने। मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा।
मेरी बात सुनकर दीपा का चेहरा फक्क पड़ गया। उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकला। वो मेरे पास से उठी और आंखों में आँसू लिए अपने कक्षा में भाग गई। मैं उसे आवाज़ देता रहा, लेकिन वो नहीं रुकी।
उसके जाने के बाद मेरा भी मन कॉलेज में नहीं लगा तो मैं अपने घर चला आया। मैंने दीपा से और बातकर उसे और दुःख और दर्द नहीं देना चाहता था।
घर आकर मैं अपने कमरे में चला गया। खाना खाते समय मैंने माँ से फिर बात की तो माँ ने कहा।
क्या तू सच मे दीपा से बहुत प्यार करता है।
हाँ माँ आप सब के बाद अगर मैं सबसे ज्यादा किसी से प्यार करता हूँ तो वो दीपा है। मेरी शादी उससे करवा दो प्लीज़। मैंने माँ से निवेदन करते हुए कहा।
तुमने ये बताने में बहुत देर कर दी है निशांत। मैं उन्हें अपनी जुबान दे चुकी हूँ। अब मैं कुछ नहीं कर सकती निशांत। अब तुझे सोचना है कि तुझे दीपा चाहिए या अपनी माँ और भाई की इज़्ज़त। माँ ने कहा।
अब इसके आगे बोलने के लिए मेरे पास कुछ भी नहीं था तो मैं खाना खाकर अपने कमरे में चला गया और दीपा को फ़ोन लगाया। दीपा ने फ़ोन उठाया।
हाँ छोटे बाबू। कैसे याद किया। कोई और बात हो गई क्या। दीपा ने फिक्रमंद लहजे में पूछा।
नहीं और कोई बात नहीं हुई है, लेकिन तुम मेरी बात को अनसुना करते हुए क्यों भाग गई थी कॉलेज में। मैंने दीपा से पूछा।
इस बारे में कल कॉलेज में बात करते हैं निशांत। अभी मुझसे नींद आ रही है। दीपा ने कहा।
मैंने भी शुभरात्रि बोलकर फ़ोन रख दिया और सोने की कोशिश करने लगा। थोड़ी देर बाद मुझे नींद आ गई।
सुबह में उठकर नहा धोकर नाश्ता किया और कॉलेज चला गया। वहां पर क्लास अटेंड की और राहुल भैया को फ़ोन करके कुलपति महोदय के कार्यालय के बाहर मिलने के लिए बुलाया। थोड़ी देर बाद राहुल भैया विक्रम और 2-3 दोस्तों के साथ वहाँ आ गए। हम सब मिलकर कुलपति महोदय के पास गए।
आओ निशांत, राहुल और विक्रम। क्या बात है। फिर से कोई समस्या आ गई है क्या। कुलपति महोदय ने कहा।
बात ये है कि हमें आपसे दो अहम मुद्दे पर बात करनी है। इतना ही नहीं आपको उसका समाधान तत्काल करने के लिए कड़ा कदम उठाना होगा। राहुल भैया बोले।
पहले बात क्या है ये तो बताओ। अगर जरूरी हुआ तो मैं तत्काल कदम उठाऊंगा। कुलपति महोदय ने कहा।
सर कॉलेज में रैगिंग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। वरिष्ठ विद्यार्थियों ने रैगिंग से नए विद्यार्थियों के अंदर इतना खौफ़ भर दिया है कि वो कॉलेज आना नहीं चाहते हैं और जो विद्यार्थी कॉलेज आ रहे हैं वो हर समय डरे सहमे रहते हैं। जिससे उनका ध्यान पढ़ाई से भटक रहा है और इस रैगिंग से कॉलेज का माहौल और छवि खराब हो रही है। इसे जितनी जल्दी हो सके बंद करें ताकि विद्यार्थी बिना किसी डर के अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे सकें। मैंने कुलपति महोदय से कहा।
मैंने इस बारे में आज सुबह ही कॉलेज की व्यवस्था प्रणाली देखने वाली संस्था को बोल दिया है। बहुत जल्दी कॉलेज में रैगिंग दंडनीय अपराध घोषित कर दिया जाएगा। और नियम तोड़ने वाले को सख्त सजा दी जाएगी। कुलपति महोदय ने कहा।
धन्यवाद सर, दूसरा मुद्दा ये है कि हिंदी वाले प्रोफेसर अपने पद का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। वो विद्यार्थियों को शिक्षा देने के बजाय कॉलेज में अपना समय बिताते हैं। सर हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। अगर प्रोफेसर अपने कर्तव्यों के प्रति ऐसे ही उदासीन रहे तो हिंदी राष्ट्रभाषा तो दूर। जन-जन की भाषा भी नहीं बन पाएगी। मैंने कुलपति महोदय से कहा।
लेकिन मुझे तो इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है। आप लोगों ने अच्छा किया जो मुझे इससे अवगत कराया। आप लोग निश्चिंत होकर जाइये। मैं देखता हूं इस मामले को। कुलपति महोदय ने कहा।
कुलपति महोदय के आश्वासन के बाद हम लोग उनके कार्यालय से बाहर आ गए। थोड़ी देर बाहर बैठने के बाद सभी अपनी कक्षाओं में चले गए। मैं अभी भी वहीं बैठा हुआ था। तभी दीपा आकर मेरे बगल में बैठ गई।
और छोटे कहाँ थे अभी तक। दीपा ने मेरे कंधे पर चपत लगाते हुए कहा।
कुछ नहीं कुलपति महोदय के पास गया था। विद्यार्थियों की कुछ समस्याएं थी उसी पर चर्चा करने गया था। मैंने कहा।
और बताओ कब देखने जा रहे हो माँ द्वारा पसंद की हुई लड़की को। दीपा ने मुझसे पूछा।
दीपा की बात सुनकर मैंने उसकी तरफ देखा। उसके व्यवहार से कहीं से भी ऐसा नहीं लग रहा था कि मेरी दूसरी लड़की से शादी के बारे में जानकर उसे तनिक भी बुरा लग रहा है या वो दुखी है।
क्या तुम्हें अच्छा लगेगा अगर मेरी शादी किसी दूसरी लड़की से होगी। मैंने दीपा से पूछा।
सच कहूँ तो मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगेगा, परंतु माँ ने कुछ सोच समझकर ही उस लड़की को तुम्हारे लिए चुना होगा। दीपा ने कहा
लेकिन मुझे तुमसे ही शादी करनी है। और मैं इसके लिए कुछ भी करूँगा। मैं माँ को मना कर दूंगा उस लड़की से शादी करने के लिए। मैंने दीपा से कहा।
तुम ये गलत बोल रहे हो छोटे। माना कि हम दोनों प्यार करते हैं, लेकिन हम दोनों का प्यार हमारे घरवालों के प्यार से ज्यादा तो नहीं है न। हमें क्या पता कि हमारे घरवालों ने कितने कष्ट सहे हैं हमारी परवरिश में। हमारा 6 महीनों का प्यार हमारे माँ बाप भाई बहन के प्यार से अधिक तो नहीं है न। दीपा ने मुझे समझते हुए कहा।
लेकिन मैं सिर्फ तुमसे ही शादी करूँगा किसी और से नहीं। मैंने दीपा से कहा।
जब माँ नहीं चाहती कि हमारी शादी न हो तो मैं तुमसे शादी नहीं करूंगी। तुम क्या चाहते हो कि मैं तुमसे माँ की मर्जी के ख़िलाफ़ शादी करके सारी जिंदगी माँ से नजरें न मिला पाऊँ। जब माँ मुझसे पूछेंगी की मैंने ऐसा क्यों किया तो क्या जवाब दूंगी उन्हें मैं। कैसे नज़रें मिलूंगी में माँ से। मैं माँ की मर्जी के ख़िलाफ़ तुमसे शादी कभी नहीं करूंगी। दीपा ने कहा।
और हम दोनों जो इतना प्यार करते हैं उसका क्या? मैंने दीपा से कहा।
हम प्यार हमेशा करते रहेंगे, बल्कि ऐसा प्यार करेंगे एक दूसरे से कि लोगों के लिए एक मिशाल पेश करेंगे, ताकि हमारे बाद भी लोग कहें कि प्यार करो तो दीपा और निशांत की तरह निःस्वार्थ और रूहानी प्यार। दीपा ने कहा।
दीपा की बात सुनकर मैं निरुत्तर हो गया। उधर घर का माहौल कुछ और ही था।
साथ बने रहिए।