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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

Ashwathama

अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः 🕸
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वैसे संभावना पूरी तरह से निशा के होने की ही है, क्योंकि वो सुनैना का वारिश है, जिसे सारे अपनों ने ही धोखा दिया था। उसका प्यार, उसका दोस्त और उसकी खुद की बहन।

कबीर के साथ भी लगभग वही हो रहा है, उसका दोस्त मंगू और चंपा ही उसको हर तरह से धोखा दे रहे थे, अंजू जिसको बहन माना वो भी धोखेबाज निकली, और निशा उसका प्यार।

तो निशा के प्यार में पड़ कर तो सच को खोज लाया, लेकिन सुनैना का वारिश होना ही उसे बर्बाद कर देगा पूरी तरह से।
बिल्कुल, लगता है कहानी का अंत सारे किरदारों की अंतिम यात्रा निकाल कर ही किया जायेगा,
निशा तो सुरुआत से ही मुझे एक प्रश्नवाचक (?) के रूप मे दिखी है , उसका कवीर के हर बात का एक सटीक और पहेलीनुमा जबाब अक्सर हमारे दिमाग़ की मार लेता था,

निशा शुरू से ही पहेली थी, और कहते है न जबतक इश्क़ मे मेहबूब और उसका ज़माना पहेली न लगे तब तक वो इश्क़ महज़ एक मिथ्या कहलाती है, अब कवीर ने एक डाकन से प्रेम किया तो उसका फल भी तो मिलेगा उसे ।

ये सभी संभावनाएं तभी सुनिश्चित होगी जब वाश्तव मे कवीर पर हमला करने बाली निशा ही रहेगी
 

stupid bunny

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Nisha ho sakti hai anju mahavir ki bhen hai
Dono mahavir ka badla le rahi ho bhabhi abhimanu mahavir ho marna mai invole tha
Nisha na kaha tha jab muje khoon ki pyaas hogi Tera Ghar aajaoungi
Ho sakta usna pran liya ho ray Saheb ka ghar barbaad karna ka
Mahavir ka pyaar Mai woh sab kar rahi ho
Usna kaha tha auro ka liya woh kaisa bhi ho mera sath bahut accha tha mera bahut khayal rakhta tha.
Chachi to paheli hai zayda kuch nahi bataya gaya hai uska baremein abhi tak zayda Shaq uspar hai
Twist Bhabhi ya Nisha hogi to zabardast rahega
Hint hai chandi ka bhala sein maragaya hai woh
Kabir aadamkhor hai yeh Nisha bhabhi abhimanu ya anju janti hai
Anju ko kaisa maloom hua Kabir ko adamkhor na kata hai yeh Raaz Nisha janti thi uska baad abhimanu aur bhabhi ko Kabir na bataya
Bhabhi na Kabir ko mana kiya tha Nisha ko na bataye woh aadamkhor hai

Chachi ko nahi maloom aab tak updates ka nazariya sei.
 
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आखिर फौजी भाई ने अपने मन का ही किया। क्लाइमेक्स खून खराबा और नायक नायिका की मौत पर ही समाप्त हुआ । वैसे अभी तक दोनो मरे नही है लेकिन मुझे लगता है मरने वाले ही है।
राय साहब और अंजु के बारे मे मैने पहले ही कहा था , इनकी लीला सबसे न्यारी।
सबसे दुखद था भैया और भाभी की मृत्यु । इस पुरी कहानी के सबसे अच्छे कैरेक्टर वाले किरदार थे।
राय साहब , तात श्री , अभिमानु , नंदिनी , चम्पा , मंगू सभी लोग जो कबीर के अपने थे , परलोक सिधार गए।
कबीर और निशा और चाची मात्र बचे हुए है लेकिन कबीर निशा की जीवन की लौ भी कब बुझ जाए , कहा नही जा सकता।
शायद चाची ही अकेले सारे गमों का भार लिए अपने मृत्यु का इंतजार करती दिखाई दे।

देखते है फौजी भाई कहानी का द एंड मेरी कल्पना अनुसार करते है या कोई हैप्पी एंडिग सोच रखा है।

बहुत ही खूबसूरत कहानी थी यह। इस कहानी को सफलता के चरम तक पहुंचाने मे रीडर्स का भी अद्भुत योगदान रहा है। ऐसे रीडर्स पाकर कोई भी राइटर धन्य महसूस करने लगे !
 

stupid bunny

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Ek baat note kijiya abhi tak siyar nahi aaya Kabir ko bachane na khandar Mai na yaha
Jabke Nisha na usa jassosi karna beja hai
Kabir ki
Nisha aur siyar ka sambandh ajeeb hai
 

Sanju@

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#160

इस रात से मुझे नफ़रत ही हो गयी थी . बहन की लौड़ी अभी और ना जाने क्या दिखाने वाली थी .वो चीख मुझे बहुत कुछ बता रही थी . उस चीख ने मेरे कानो में जैसे पिघला हुआ शीशा ही घोल दिया हो . निशा को छोड़ कर मैं हाँफते हुए उस तरफ दौड़ा जहाँ से चीख आ रही थी . ये चीख , ये चीख मेरे भाई की थी .

यहाँ पर एक बार फिर सम्भावना ने मुझे धोखा दे दिया था . भाभी ने जब अपना मंगलसूत्र उतार कर मुझे दिया तो मैंने समझा था की भैया ने ही मार दिया उनको पर सच्चाई अब मेरी आँखों के सामने थी. ऐसा सच जिस पर मुझे यकीन नहीं हो रहा था , जब मैं दोराहे पर पहुंचा तो मैंने देखा की अंजू ने भैया का गला रेत दिया है , भैया अपने गले को पकडे हुए तडप रहे थे .

“अंजू हरामजादी तूने ये क्या किया ” मैं चीखते हुए उसकी तरफ दौड़ा .

अंजू- बड़ी देर कर दी मेहरबान आते आते . हम तो तरस गए थे दीदार को तुम्हारे.



“भैया को छोड़ दे अंजू वर्ना तू सोच भी नहीं सकती क्या होता तेरे साथ ” मैंने कहा

अंजू- मैं क्या छोडू ये खुद ही दुनिया छोड़ देगा थोड़ी देर में .

मैं- मेरे भाई को कुछ भी हुआ न तो मैं आग लगा दूंगा

अंजू- आग तो मैंने लगाइ देख सब कुछ जल तो रहा है .

मैं भैया को छुड़ाने के लिए अंजू तक पहुचता उस से पहले ही अंजू ने भैया की गर्दन को काट दिया . मुझे तो जैसे दौरा ही पड़ गया . मेरी आँखों के सामने मेरे भाई को मार दिया गया था .

“क्यों , क्यों किया तूने ऐसा अंजू,” मैंने आंसू भरी आँखों से पूछा

अंजू- सोच रही हूँ कहाँ से शुरू करू कहाँ खत्म करू

मैं- खत्म तो तुझे मैं करूँगा यही इसी जगह पर

अंजू- कोशिश करके देख ले . पर चल तू भी क्या याद करेगा पर पहले मुझे तुझसे जानना है की ऐसा क्या था जो तू जान गया और मैं अनजान रही .

मैं- सच . वो सच जो कभी तू समझ ही नहीं पायी . तू सुनैना की बेटी होकर भी अपनी माँ को समझ नहीं पायी. तूने अपनी माँ की इमानदारी को नहीं चुना तूने रुडा, राय साहब की मक्कारी को चुना. मेरी कोई बहन नहीं थी मैंने तुझे वो दर्जा दिया पर तू नागिन निकली जिस भाई ने तुझे स्नेह दिया तूने उसको डस लिया . नंदिनी भाभी ने क्या बिगाड़ा था तेरा . एक झटके में तूने मुझसे वो आंचल छीन लिया जिसकी छाँव में मैं पला था .

अंजू- बंद कर ये ड्रामे, ये रोने धोने का नाटक. मैं सिर्फ तुझसे एक सवाल का जवाब चाहती हूँ .जो काम मेरी माँ नहीं कर पायी वो मैं पूरा करुँगी.

मैं- चुतिया की बच्ची है तू, सब कुछ तेरे पास ही तो था वो लाकेट जो तूने मुझे दिया था उसे कभी तू पहचान ही नहीं पायी . वो लाकेट एक ऐसी व्यवस्था थी , वो लाकेट उसे राह दिखाता जिसका मन सच्चा होता. जिसे स्वर्ण का लालच नहीं होता. तूने अपनी गांड खूब घिसी , जंगल का कोना कोना छान मारा पर तुझे घंटा भी नहीं मिला . क्योंकि तू लायक ही नहीं थी .

मैंने पास पड़ा एक लकड़ी का टुकड़ा उठाया और अंजू की तरफ लपका पर वो शातिर थी , मेरे वार को बचा गयी . अंजू ने पिस्तौल की गोली चलाई मेरी तरफ पर उसका निशाना चूका, जंगल में आवाज दूर तक गूँज उठी . मैने तुरंत एक पत्थर उठा कर अंजू पर निशाना लगे पिस्तौल हाथ से गिरते ही मैंने उसे धर लिया . दो चार रह्पते लगाये उसे और धरती पर पटक दिया.

मैं- इतना तो सोच लेती , कोई तो है जो तेरी खाल खींच लेगा. कोई तो होगा जिसके आगे तेरी एक न चलेगी. मैंने खीच कर लात मारी अंजू के पेट में . खांसते हुए वो आगे को सरकी .

मैं- चिंता मत कर तुझे ऐसे नहीं मारूंगा. तूने मुझसे वो छीन लिया जो मेरे लिए बहुत अजीज था . तुझे वो मौत दूंगा की पुश्ते तक कांप जाएगी . आज के बाद दगा करने से पहले सौ बार सोचा जायेगा.

मैं आगे बढ़ा और अंजू के पैर को पकड़ते हुए उसकी चिटली ऊँगली को तोड़ दिया .

“आईईईईईइ ” जंगल में अंजू की चीख गूँज उठी .

मैं- जानना चाहती है न तू मैंने क्या जाना , सुन मैंने मोहब्बत को जाना . मोहब्बत था वो राज . इश्क था वो सच जो मैंने जाना जो मैंने समझा. वो लाकेट तेरी माँ की अंतिम निशानी तुझे चुन लेता उसने महावीर को भी चुना था पर तू समझ ही नहीं पायी . चाबी हमेशा तेरे साथ थी और बदकिस्मती भी .सोना एक लालच था जिसे कभी पाया ही नहीं जा सकता था . जो भी इसे पाने की कोशिश करता वो कैद हो कर रह जाता ऐसी कैद जो थी भी और नहीं भी . इस सोने को इस्तेमाल जरुर किया जा सकता था पर उसके लिए वो बनना पड़ता जो कोई नहीं चाहेगा . आदमखोर बन कर लाशो से सींचना पड़ेगा जितना सोना तुम लोगे उतने बराबर का रक्त रखो . इस सोने का कभी कोई मालिक नहीं हुआ ये सदा से शापित था , जिसे सुनैना ने मालिक समझा वो भी कोई कैदी ही था जिसने न जाने कब जाने अनजाने सोने की चाहत में सौदा किया होगा . अपनी आजादी का मतलब ये ही था की उसकी सजा कोई और काट ले मतलब समझी तू .

मैंने अंजू की अगली ऊँगली तोड़ी.

मैं- जितना मर्जी चीख ले . इस दर्द से तुझे आजादी नहीं मिलेगी . मौत इतनी सस्ती नहीं होगी तेरे लिए.



“कौन था वो ” अंजू ने कहा


इस से पहले की मैं कुछ भी कह पाता , बदन को एक जोर का झटका लगा और चांदी का एक भाला मेरी पीठ से होते हुए सीने के दाई तरफ पार हो गया. मैं ही क्या मेरे अन्दर का जानवर तक दहक उठा बदन में आग सी लग गयी. मांग जैसे जलने लगा . बड़ी मुश्किल से मैंने पलट कर देखा और जिसे देखा फिर कुछ देखने की इच्छा ही नहीं रही .
भाभी ने मंगलसूत्र उतारकर दिया था उससे तो हम ये सोच रहे थे कि ये अभिमानु होगा लेकिन ये तो साली अंजू निकली हम तो ये सोच रहें थे भैया का कैरेक्टर इतना कैसे गिर सकता हैं लेकिन भैया सही थे जिस भाई ने उसे प्यार सम्मान दिया उस ही भाई को मार दिया सबसे दुखद था भैया और भाभी की मृत्यु । इस पुरी कहानी के सबसे अच्छे कैरेक्टर वाले किरदार थे। राय साहब ने कहा था कि उसके लिए रिश्तों का कोई मोल नहीं है तो इस कहानी में भाभी भैया और कबीर के अलावा किसी के लिए रिश्तों को कोई मोल नहीं है सब साले अपनी वासना की पूर्ति कर रहे हैं सब ने अपनी हवस शांत की है और कुछ नही सोना तो किसी को नाम मात्र के सिवा मिला नही । जो भी मरे है सब ने पहले अपनी वासना की पूर्ति की है जब जाकर मरा है
अब ये समझ नही आ रहा है कि ये साली अंजू करेगी क्या सोने का इसके पास न तो परिवार है न ही प्यार है फिर किस के लिए सोने के पीछे पड़ी है ये अपनी जिंदगी मजे से काटने के लिए चाहिए तो वो तो अब भी कट रही हैं रही बात अपनी वासना पूर्ति की वो तो बिना पैसे के भी हो जाती मुझे लगता है राय साहब ने जितना सोना लिया है लगता है सब अंजू को ही दिया है और ये शुरू से बिगड़ैल थी तो राय साहब ने भी बाजी मार ली होगी
कबीर को मारने वाली चाची हो सकती हैं देखते हैं कोन है अब ये और उसे क्या चाहिए ????
 
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Sanju@

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इतने सालों से सबसे कह रहे हैं आप.......... फिर भी लोग जस्सी भाभी.... यानि ठकुराइन जसमीत....... को नहीं भुला पा रहे
ना राणा हुकुम सिंह को और ना कुन्दन को................... ना आयत को ना छज्जेवाली को............

तो, इस कहानी को कैसे भूल जाएंगे :D
सही कहा आपने फौजी भाई की कोई भी कहानी को भूल नहीं सकते हैं
 

Ashwathama

अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं च संश्रिताः 🕸
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देखते है फौजी भाई कहानी का द एंड मेरी कल्पना अनुसार करते है या कोई हैप्पी एंडिग सोच रखा है।
हैप्पी एंडिंग... उम्मीद ही कर सकते हैं संजू भैया, वो भी कोरी उम्मीद... कहानी जिस मोड़ पर आकर खड़ी है वो कहीं से भी हैप्पी एंडिंग नही दिला पायेगी,
पर आप भी सही है, हमे ये नही भूलना चाहिए की इस कहानी को लिखने बाले एक फ़ौज़ी हैं, ये, कहानी मे हर वो मोड़ देना जानते हैं जिससे कहानी का काया पलट क्षण भर मे हो जाती है ।
 

yunus2606

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Nisha janti hai sona sirf kablr ko milenga nadi ke pani se sona kabir hi nikal paya tha aur na hi usne lalach kiya tha dekhte ab aage wakai me bahot bhadhiya kahani
 
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