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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

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Paraoh11

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भाई आपसे एक बात पूछनी थी?

आपकी हर कहानी में hero चाची को तो चोद लेता है शुरू में ही...
पर भाभी के साथ sexual tension तो होती है पर चोदता नहीं उसे ...

क्या भाभी ही माँ समान होती है, चाची नहीं??
जबकि आपकी सभी कहानियों में चाची ने भी hero को पूरा ही प्यार दिया है उस से ग़द्दारी भी नहीं की...

जो सम्मान भाभी को देते हो या तो चाची को भी देते..
या अगर चाची बस फ़ैंटसी किरदार ही तो है, ये reason है तो भाभी को भी क्यू नहीं चुदवा देते.!!

ये कैसी एकतरफ़ा कुंठा है???
 
Last edited:

Devilrudra

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#132

मेरी आँखों के सामने मंगू के साथ बिस्तर पर कोई और नहीं बल्कि सरला थी . वो सरला जिस पर भरोसा किया था मैंने. वैसे तो आदत सी हो चली थी अपर कभी सोचा नहीं था की सरला भी मुझे धोखा देने वालो की लिस्ट में खड़ी होगी बड़ी तल्लीनता से दोनों एक दुसरे की बाहों में खोये हुए थे . कायदे से मुझे इंतज़ार करना चाहिए था की दोनों क्या बाते करते है पर मेरे गुस्से का बाँध शायद टूट ही गया था . मैंने अपनी चमड़े की बेल्ट निकाली और सीधा सरला की पीठ पर मारी जो मंगू के ऊपर चढ़ कर चुद रही थी .

“आईईईईईई ” अचानक से पड़ी बेल्ट ने सरला के पुरे बदन में दर्द की लहर दौड़ा दी . सरला जो एक सेकंड पहले चुदाई का मजा ले रही थी अब दर्द से दोहरी हो गयी. पर मैं रुका नहीं . दना दन उसकी पीठ पर बेल्ट मारता ही रहा उसे सँभालने का जरा भी मौका नहीं दिया .

मुझे वहां देख कर दोनों की आँखे हैरत से फट ही गयी . मैंने अगला नम्बर मंगू का लगाया और ये भूलते हुए की वो मेरा दोस्त है उसे पीटना शुरू किया . पर मंगू ने पर्तिकार किया .

मंगू- बस कबीर बस बहुत हुआ .

मैं- अभी तो शुरू ही नहीं किया मैंने . तूने क्या सोचा मेरी पीठ पीछे तू जो गुल खिला रहा है मुझे तो मालूम ही नहीं होगा.

मंगू-तू यहाँ से जा कबीर

मैं- जाऊंगा पर पहले मुझे बता की ये सब क्या कर रहा है तू क्यों कर रहा है . अपनी ही बहन के मंडप को क्यों बर्बाद किया तूने.

मंगू- तुझे क्या लेना देना उस से

मैं- पूछता है मेरा क्या लेना देना . अगर मेरा नहीं तो किसका है . चंपा पर क्या बीतेगी जब उसे मालूम होगा की उसके ही भाई ने उसकी खुशियों में आग लगा दी. बात सिर्फ चंपा की ही नहीं शुरू से शुरू कर मंगू . कविता को क्यों मारा तूने, वैध को क्यों मारा तूने परकाश को क्यों मारा तूने . रोहताश को क्यों मारा तूने

मंगू- मेरे मन में आया मार दिया

मैं- कल को तेरे मन में आएगा की कबीर को मार दे तो क्या मार देगा .

मंगू- मार दूंगा

कितनी आसानी से उसने कह दी थी इए बात साले ने बरसो की दोस्ती की जरा भी परवाह नहीं की .

मंगू- तुझे किस बात की तकलीफ है कबीर, सरला को मैं नहीं चोद सकता क्या , ये तो ना इंसाफी हुई न साले तुम लोग पुरे गाँव की इज्जत से खिलवाड़ करते रहो , दुनिया तुम्हारी मर्जी से चलेगी क्या हमारी भी कोई जिन्दगी है के नहीं. मेरा गलत है इसे चोदना तो तेरा इसे चोदना सही कैसे हुआ.

मैं- मैं सिर्फ इतना जानना चाहता हूँ की मंडप क्यों उजाड़ा तूने

मंगू- क्योंकि मैं नहीं चाहता था की चंपा यहाँ से और कही जाये.

मैं- बहुत बढ़िया . मतलब सारी जिन्दगी तू ही रगड़ता रहे उसे .

मंगू- वो मेरा निजी मामला है

मैं- भोसड़ी के तेरे निजी मामले ने मेरी जिन्दगी की लेनी कर रखी है . कविता को क्यों मारा .

मंगू- वो बहन की लौड़ी किसी की भी सगी नहीं थी . मैं उस से प्यार करता था क्या नहीं किया मैंने उसके लिए पर साली बेवफा निकली , उस परकाश से भी गांड मरवा रही थी साली. परकाश इतना मादरचोद था की अगर तू उसके बारे में जानता तो तुझे भी साले से घिन्न हो जाती मुझसे पहले तू मार देता उस को.

मैं- ऐसा क्या किया था उसने .

मंगू- ये पूछ क्या नहीं किया था उसने. परकाश ने कविता को पटा लिया था जंगल में पेलता था उसको . एक दिन मैंने उन दोनों को देख लिया . चुदाई के बाद बाते कर रहे थे . मुझे मालूम हुआ की कविता का पति रोहतास उस पर दबाव बनाये हुए था उसे शहर ले जाने के लिए वो जाना नहीं चाहती थी , परकाश ने कहा की वो रोहतास का इलाज करवा देगा. याद है तुझे वो रात जब मैंने बहुत ज्यादा पि ली थी उस रात नशे में चूर मैं कुवे पर जा रहा था की मुझे मोड़ पर कविता और प्रकाश मिले. मेरा तो दिल ही जल गया . दोनों को साथ देख कर आगबबुला हो गया था मैं. मेरा और दिमाग ख़राब तब हो गया जब परकाश ने कविता से कहा की कबीर को कैसे भी करके अपने हुस्न के जाल में फंसा ले.कविता ने उसे बताया की उसी शाम कैसे उसने तुझे उलझा ही दिया था अपने जाल में .



मुझे याद आया की वैध के घर में कैसे लगभग उसने मेरा लंड चूस ही लिया था .

मंगू- मैंने उसको दिल से चाह था पर वो साली उसको मरना ही था .

मैं- चूतिये काश तू समझ पाता वो तेरा इस्तेमाल कर रही थी . रमा भी तेरा इस्तेमाल कर रही है और ये हरामजादी भी .

मंगू- अब फर्क नहीं पड़ता मुझे .

मैं- खेल तो बढ़िया खेला अब बता परकाश का नुम्बर कैसे लगाया तूने .

मगु- वो बहन का लंड भी साला पक्का हरामी था . उसने राय साहब की न जाने कौन सी नस दबा ली थी . रमा को भी तंग कर रहा था वो . पर जब उसने राय साहब से चंपा की मांग की तो वो अपनी औकात से जायदा आगे बढ़ गया था . मैंने और रमा ने मिल कर उसे मारने की योजना बनाई . रमा ने उसे चुदाई के बहाने बुलाया और मैंने उसे मार दिया.

मैं- क्या तू जानता था की परकाश अंजू से प्यार करता था

मंगू- किसी से प्यार नहीं करता था वो , उसे अंजू से किसी चीज की तलाश थी बस . उस को लगता था की अंजू सोने के बारे में जानती है पर चुतिया के बच्चे को कभी सोने के बारे में नहीं मालूम हो सका . जानता है क्यों , क्योंकि मैंने होने ही नहीं दिया. सो सोचता ही रह गया की सोना कहाँ होगा .

मैं- उसे कैसे पता चला की सोना है .

मंगू- राय साब का सारा हिसाब किताब वो और उसका बाप ही देखते थे किसी तरह से उसने मालूम कर लिया होगा.

मुझे मंगू की इस बात में दम नहीं लगा . प्रकाश की दिलचस्पी थी तो बस अपने हिस्से में . वसीयत का चौथा टुकड़ा. रमा को भी उसने राय साहब पर दबाव बनाने में इस्तेमाल किया था और रमा उसके तो कहने ही क्या , चाचा, महावीर, पिताजी और प्रकाश आखिर इनमे से किसके साथ थी वो शायद किसी के साथ भी नहीं.

मैं- चंपा के साथ क्यों सम्बन्ध बनाये तूने .

मंगू- वो कुतिया इसी लायक है , साली की गांड में हमेशा आग लगी रहती थी , जब तेरे बाप को दे सकती है वो तू मैं तो फिर भी उसका अपना हूँ मैंने भी ले ली.

मुझे भैया की याद आई कैसे महावीर ठाकुर ने कहा था की घर की औरतो पर सबसे पहला हक़ घर वालो का ही होता है .

मंगू- जानता है मैंने तुझे ये सब क्यों बता दिया.

मैं- मुझे नहीं बताएगा तो किसे बताएगा.

मंगू- तू सोच रहा होगा इस बारे में पर मैंने सोचा की मरने से पहले तुझे सच जानने का हक़ तो है ही . बरसो से तेरे बाप ने मेरी माँ को चोदा फिर चंपा पर हाथ डाला अब मेरी बारी है . राय साहब का पालतू बन कर मैंने इस सोने की खान का पता लगा लिया इस पर मैं कब्ज़ा करूँगा तुमको मारने के बाद ये सब कुछ मेरा हो जायेगा.

मैं तो ये है तेरी असलियत . साले तुझे अपने भाई जैसा समझा मैंने और तूने जिस थाली में खाया उसी में छेद किया.


मंगू- कोई अहसान नहीं किया तुमने, बरसो तक मेरे बाप ने फिर मैंने तुम्हारी चाकरी की है . पर अब नहीं करेंगे.
Bhai ye champa wala suspence clear karo jab wo Kabir se pyaar karti thi to rai sahab se kaise chudii yaa fir mangu sahi bol raha hai k usko sirf choot hi marwaani thi...
 

journalist342

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मंगू की मौत निश्चित है अब... और ये पेंच फंसता ही जा रहा है कि ये सब एक दूसरे को शुरू से धोखा ही देते आ रहे हैं... बाप बेटा भाई सब ने ठगा है मिलकर एक दूसरे को...
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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भाई आपसे एक बात पूछनी थी?

आपकी हर कहानी में hero चाची को तो चोद लेता है शुरू में ही...
पर भाभी के साथ sexual tension तो होती है पर चोदता नहीं उसे ...

क्या भाभी ही माँ समान होती है, चाची नहीं??
जबकि आपकी सभी कहानियों में चाची ने भी hero को पूरा ही प्यार दिया है उस से ग़द्दारी भी नहीं की...

जो सम्मान भाभी को देते हो या तो चाची को भी देते..
या अगर चाची बस फ़ैंटसी किरदार ही तो है, ये reason है तो भाभी को भी क्यू नहीं चुदवा देते.!!

ये कैसी एकतरफ़ा कुंठा है???
संध्या चाची को शायद आप नहीं जानते फिर।
 

Studxyz

Well-Known Member
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भाई आपसे एक बात पूछनी थी?

आपकी हर कहानी में hero चाची को तो चोद लेता है शुरू में ही...
पर भाभी के साथ sexual tension तो होती है पर चोदता नहीं उसे ...

क्या भाभी ही माँ समान होती है, चाची नहीं??
जबकि आपकी सभी कहानियों में चाची ने भी hero को पूरा ही प्यार दिया है उस से ग़द्दारी भी नहीं की...

जो सम्मान भाभी को देते हो या तो चाची को भी देते..
या अगर चाची बस फ़ैंटसी किरदार ही तो है, ये reason है तो भाभी को भी क्यू नहीं चुदवा देते.!!

ये कैसी एकतरफ़ा कुंठा है???

इस कहानी में कमसिन मदमस्त नन्दिनी भाभी की चुदायी लाज़मी होनी थी लेकिन वो आदमखोरनि बन गयी अगर कबीर कोशिश भी करता तो उसक लंड भी खा जाती :laugh::laugh:
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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चंपा निर्दोष है, अब उसकी मजबूरी क्या थी ये तो पता नही, दूध का धुला कोई नही, लेकिन प्यार के नाम पर कबीर का काटना तय है।
सब पर शक करो भाई सब के चेहरे पर नकाब है
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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जिस सवाल का जवाब हम ढूंढ रहे थे चलो उसका पता चल गया की भाभी ही आदमखोर है लेकिन जो हुआ वो भाभी ने नही किया तो किसने किया है क्या मंगू ने किया था या कोई और भी उसके पीछे एक सवाल ये भी है की भाभी को ये बीमारी दी किसने है
चाचा जानते थे भाभी की समस्या इसलिए शादी नही होने देना चाहते थे भाभी कबीर और निशा का रिश्ता के बारे में पहले से ही सही नही है कहती थी और आज भैया भी वैसा ही बोल रहे हैं लगता है निशा के अतीत से जुड़ी कोई तो बात है
अतीत ही तो वर्तमान की नींव रखता है भाई
 
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