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Fantasy दर्दे जिगर

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे कृष्णा इंस्पेक्टर वर्मा को अपने जाल में फसा कर उसे एक ऐसे तिराहे पर खड़ा कर देता है जहाँ उसे फैसला लेना होना की वो किसे मारे अपने दुश्मन को, अपने आप को या फिर अपने प्यार को जो इस वक़्त एक ऐसे नशे की गिरफ्त में है जिसमे उसे सिर्फ अपने जिस्म की भूख ही दिखाई दे रही है।
अब आगे
कृष्णा ने अभी दारू का एक घुट भरा ही था कि कमरे में 2 आवाजें एक साथ गुंजी पहली गोली चलने की और दूसरी निधि की। गोली चलते ही वर्मा ने कृष्णा पर भी गोली चलानी चाही लेकिन पिस्तौल खाली था जिसे एक तरफ फैक वर्मा ने जल्दी से निधि को लपक कर अपने सीने से लगा लेता है और रोते हुए निधि आए बार 2 माफी मांगने लगता है। निधि अपने अंतिम समय मे वर्मा के चेहरे को प्यार से सहलाते हुए मर जाती है। वर्मा चीखते हुए
वर्मा - निधि मुझे माफ़ कर देना में तुम्हे उस नरक की जिंदगी नही जीने दे सकता था। फिर कृष्णा को देखते हुए तू बहुत खुश हो रहा होगा लेकिन याद रख ऊपर वाला जब भी अपना हिसाब बराबर करने पे आएगा तो तुझे नरक में ही जगह मिलेगी।
कृष्णा हस्ते हुए - तू मेरी फिकर मत कर वर्मा अपनी कर क्योंकि एक पुलिस ऑफिसर होते हुए भी अभी 2 तूने एक कत्ल किया है जिसका में चश्मदीद गवाह हु। और अगले 15 मिनट में यहाँ पुलिस आ जायेगी और तू होगा जेल में।
इतना सुनते ही वर्मा गुस्से से भर जाता है और कृष्णा पर हमला कर देता है लेकि उस इंजेक्शन के असर के कारण वो वही गिर जाता है।
कृष्णा - अरे में तुझे एक बात बताना भूल गया कि वो जो इंजेक्शन तूने खुद को लगाया था जहर वाल समझ के उसमे जहर नही था बल्कि हाई ड्रग था। जो इंसान के अंदर की हवस को कई गुणा बढ़ा देता है। और जब तेरा मेडिकल होगा तो यही बात सामने आएगी की तुम दोनों ये ड्रग लेते थे और आज कुछ ज्यादा होने की वजह से तू काबू से बाहर हो गए और तूने अपनी ही मंगेतर को गोली मार दी।
इतने में वहाँ पुलिस आ जाती है जिसमे रिश्वतखोर इंस्पेक्टर गुफरान था। वो वर्मा को गिरफ्तार करके ले जाता है और जाते 2 कृष्णा उसे कुछ इशारों में कहता है जिसे समझते हुए गुफरान अपनी गर्दन हा में हिलाते हुए वर्मा को ले जाता है।
अगले दिन अखबार और समाचारों में ये खबर थी कि इंपेक्टर वर्मा ड्रग डीलर था और खूनी था। जब उसे पुलिस पकड़ कर ले जा रही थी तो उसने भागने की कोशिश की जिसमे उसका इंपेक्टर गुफरान के द्वारा एनकाउंटर हो गया।
इस खबर को सुनते ही खान बाबा और असलम उछल पड़ते है और कृष्णा की तरफ देखते है जो वह बैठा दारू पी रहा था।
असलम कृष्णा को गले लगाते हुए - देखा खान मैंने कहा था न कि अपना शेर सब संभाल लेगा।
इधर ठाकुर की हवेली पर शिवा अपनी सेवा और तेज दिमाग के चलते ठाकुर का विश्वास पात्र बनता जा रहा था। लेकिन बात थी जिसे ठाकुर की तेज आँखे भी पकड़ नही पाई की शिवा रोज़ बिना नागा उन शमशान वाले बाबा से मिलने जाता था और वहाँ करीब 1 घंटा रुक कर वापस आता था।
एक दिन ठाकुर ने शिवा को बोला - तुम्हे मेरे साथ शहर चलना है, गाड़ी निकलो। शिवा ठाकुर के साथ गाड़ी में बैठा और वो दोनों शहर की तरफ चल दिये। यहां एक कॉलेज में ठाकुर की बेटी पढती है जिसका आज वार्षिक महोत्सव था जिसमे ठाकुर को भी बुलाया गया था। कॉलेज में पहुँचने पर ठाकुर शिवा को अपने साथ लेकर स्टेज के सामने बैठ जाता है जबकि शिवा उसके पीछे खड़ा रहता है। फिर वार्षिक महोत्सव शुरू होता है और कॉलेज के विद्यार्थी अपने हुनर का प्रदशर्न करते है। आखिरी में मंच पर एक लड़की आती है और अपना नृत्य दिखती है जिसे देखते ही शिवा का दिल जोरो से धड़कने लगता है। वो उसमे इतना खो जाता है कि उसे पता ही नही चलता कि वो नृत्य कब का खत्म हो चुका है और ठाकुर को मंच पर बुलाया जाता है। जब ठाकुर उसे हिलाता है तब उसे होश आता है और वो ठाकुर के पीछे 2 मंच पर चल देता है।
बाकी का कल बताता हूं कि आगे क्या हुआ।
Krishna ne gazab ka game khel diya verma ke sath uski duniya to tabah ki sath hi uske mathe par aisa kalank lga diya ki ab uski baki jindgi narak saman hogi
 
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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे कृष्णा इंपेक्टर वर्मा और उसकी मंगेतर को मरवा देता है। उधर शिवा ठाकुर के साथ उसकी बेटी के कॉलेज के वार्षिक महोत्सव में जाता है जहाँ वो उसकी बेटी को और उसके नृत्य को देखकर अपना दिल हार जाता है।
अब आगे
ठाकुर मंच पर जाके पहले तो सबको अपने भाषण से पकाता है और फिर जब पुरस्कार वितरण की बारी आती है तो उसकी बेटी अपने कॉलेज में दूसरे स्थान पर थी लेकिन नृत्य में पहले स्थान पर रही। वो भी अपने पिता से पुरस्कृत हो कर बहुत खुश थी।
ठाकुर- बेटी आज तुमने हमारा सिर फक्र से ऊंचा कर दिया। अब तो तुम हमारे साथ हवेली चलोगी ना।
सोनिया- क्या पापा अभी तो हमारे पेपर खत्म हुई है और रिज़ल्ट आया है। अब हम घूमने जाएंगे अपनी सहेलियों के साथ। फिर 3 4 दिन के बाद आ जायँगे आपकी उस हवेली में।
ठाकुर - ठीक है ठीक है जैसी तेरी मर्जी। लेकिन अपना ध्यान रखना। तुझे पता है ना कि हमारी जान तुझ में बसती है।
सोनिया - अरे क्या होगा और आपकी बेटी इतनाI भी कमजोर नही है कि कोई भी उसे चलते फिरत छेड दे।
ठाकुर - शाबास
, तू हमारी बेटी नही बेटा है। अच्छा इससे मिल ये है शिवा, हमारा सबसे खास आदमी। जब तू गांव आएगी तो ये ही तुझे लेने आएगा।
सोनिया शिवा को ऊपर से नीचे तक देखते हुए, क्या पापा इस लंगूर में आपको क्या खूबी दिख गयी कि इसे आपने अपना खास आदमी बना दिया। इसे देख कर तो लगता है कि ये मेरी नही बल्कि मुझे इसकी सुरक्षा करनी पड़ेगी।
असल मे शिवा को अपना जिस्म दिखाने ली आदत नही थी इसलिए वो हमेशा ढीले कपड़े ही पहनता था। दूसरा उसने हल्की दाढ़ी भी रखी हुई थी। तो वो सोनिया को एक गरीब और कमजोर बंदा लग रहा था।
ठाकुर - बेटी दिखावें पे मत जाओ। इसने अपने 2 मुक्कों में ही सुल्तान को पालतू कुते की तरह बना दिया था।
सुल्तान उसी घोड़े का नाम है जिसे शिवा ने काबू किया था। सोनिया भी उसके बारे में जानती थी।
सोनिया - हैरानी से , क्या बात कर रहे हो पापा इस सूखे हुए पेड़ ने अपने सुल्तान को पालतू कुत्ता बना दिया। मै नही मानती।
ठाकुर - तो एक काम कर में इसे यही तेरे पास छोड़ जाता हूँ। इसे तू भी आजमा ले और अगर तेरी नजर में ये जच जाए तो इसे अपने साथ हवेली ले आना नही तो इसे यही छोड़ देना। मुझे कोई दिक्कत नही है।
अब शिवा पहली बार कुछ परेशानी से ठाकुर की तरफ देखता है और बोलता है - मालिक में यहाँ कैसे रह सकता हु, आपको तो पता ही है कि मुझे रोज शाम को बाबा से मिलने जाना पड़ता है।
ठाकुर - पता है, तू उसकी चिंता न कर , में बाबा के पास खबर भिजवा दूंगा की तू यहाँ है और मेरी बेटी के साथ ही वापस आएगा अगर वो चाहेगी तो। चल अब में जाता हूं और तू मेरी जान का ख्याल रखना।
शिवा - आप बेफिक्र जाईये मालिक, इनकी सुरक्षा के लिए में किसी की भी जान लेलूँगा।
उसके बाद ठाकुर चला जाता है और सोनिया शिवा को अपनी गाड़ी के पास भेज कर अपनी सहेलियों के पास चली जाती है। वही शाम को जब शिवा बाबा के पास नही पहुँचता तो वो खुद हवेली की तरफ चल देते है। वहाँ जा कर उसे पता चलता है कि शिवा आज ठाकुर के साथ शहर गया है।
उधर लगभग 1 घंटे तक जब सोनिया बाहर नही आती तो शिवा उसे देखने के लिए कॉलेज के अंदर चल देता है। जहाँ सोनिया नौर उसकी सहेलियों ने उसके लिए एक जाल बिछाया था लेकिन वो ये भूल गयी थी कि जो दूसरों के लिए गढ़ा खोदते है वो खुद उसमे गिर जाते है। और ऐसा ही सोनिया के साथ हुआ। दरअसल हुआ कुछ यूं था कि शिव की ताकत को आजमाने के लिए सोनिया के कहने पर उसकी 1 सहेली ने किसी गैंग को फोन करके सोनिया की झूठी सुपारी दी थी और ये भी समझा दिया था कि सोनिया को कुछ न करे । उन्हें सिर्फ शिवा को मारना है। लेकिन सोनिया को देख कर उनके अंदर का शैतान जाग जाता है। और वो सोनिया को उठा के कॉलेज के अंदर ले जाते है। और उसकी इज़्ज़त लूटने की कोशिश करते है। तभी वहां शिवा पहुच जाता है।
शिवा - अरे भाई क्या कर रहे हो तुम लोग ये सब। तुम्हे पता नहीं क्या ये ठाकुर साहब की बेटी है। इनसे तो अच्छे 2 डरते है और तुम इनके साथ ऐसी घटीया हरकत कर रहे हो। देखो मेरा फर्ज था तुमको समझना आगे तुम खुद बहुत समझदार हो।
वो सभी एक दूसरे का मुँह देखने लगते है कि अब क्या करे अगर इसे कुछ भी करा तो ठाकुर हमारी ही नही बल्कि हमारी नश्ले तक मिटा देगा और अगर इसे ऐसे ही छोड़ दिया तो ये हमारी जान यही लेलेगी। तभी उनका लीडर बोलता है कि क्या सोच रहे हो सालो अगर इसे ऐसे ही छोड़ दिया तो पक्का ये हमारी जान लेलेगी। लेकिन अगर हम इसे अपने साथ ले जाएंगे तो ठाकुर भी हमारा कुछ नही बिगाड पायेगा जब तक ये हमारे पास रहेगी।
इतना सुनते ही सभी फिर से सोनिया को पकड़ कर अपने साथ ले जाने लगते है कि शिवा फिर से उनके सामने आ जाता है।
शिवा - तुम्हे मेने एक बार समझाया तो तुम लोगो को समझ मे नही आया ने की इसे छोड़ दे और चुप चाप चले जाएं। लगता है कि तुम भी लातो के भूत हो जो बातो से नही मानते। और मै तो हमेशा कहता हूं कि मार से तो भूत भी डरते है।
तभी एक गुंडा आगे आकर शिवा को बेसबॉल के डंडे से उसके ऊपर मरता है लेकिन शिवा उसे अपनी कलाई से ऊपर रोक देता है जिससे वो डंडा वही टूट जाता है। तभी शिवा उस गुंडे का हाथ कलाई से पकड़ कर मरोड़ देता है और उसे अपने सामने ला कर दूसरे हाथ से उसके मुँह पर एक मुक्का मरता है जिसके बाद वो गुंडा शिवा के कंधे पर झूल जाता है। अपने कंधे पर उठाये 2 वो आगे बढ़ता है। तब दूसरा गुंडा आगे आकर अपने हाथ मे पकड़े हुए चाकू से उस पर हमला करता है लेकिन इससे पहले की वो चाकू शिवा को छू पाता शिवा की 2 उंगलियां उस गुंडे की गर्दन की हड्डी को तोड़ चुकी थी और वो वही लहर कर गिर जाता है। इस बार लीडर 2 गुंडो को एक साथ भेजता है तो शिवा अपने कंधे पर लटके हुए गुंडे को नीचे गिरा कर उसके दोनों पैर पकड़ कर उन दोनों गुंडो पर किसी डंडे की तरह मरता है। जिससे उन दोनों का सिर फट जाता है। तब लीडर खुद आगे आता है और शिव को एक किक मरता है लेकिन शिवा उसकी टांग को पकड़ नीचे गिरा देता है और दूसरे पैर पर अपना पैर रख कर दूसरे पैर को उपर की तरफ उठता रहता है और उसके घटने पर एक मुक्का मार देता है जिससे लीडर की चीख वहाँ चारो तरफ गूंज जाती है क्योंकि उसका घुटना उल्टा मुडा हुआ था। शिवा की इस हैवानियत को देखकर सोनिया तो बेहोश हो जाती है और जिन गुंडो ने उसे पकड़ रखा था वो उसे छोड़ कर घुटनो के बल बैठ कर शिवा से माफी मांगने लगते है। लेकिन शिवा तो कुछ और ही मूड में था, वो उनमे से एक का हाथ पकड़ कर ऊपर उठाता है और उसकी कलाई में अपनी उंगली डालने लगता है उस गुंडे की कलाई से खून बहने लगता है। तभी शिवा अपनी उंगली को मोड़ कर उसकी एक नस को बाहर की तरफ खिंचने लगता है, शिवा उस नस को खिंच कर उसकी कोहनी तक बाहर ले आता है और अपने पंजे में किसी रस्सी की तरह लपेट कर और खीचने लगता है और उसके कंधे तक खींच देता है और दूसरे गुंडे को मुस्करा कर देखता है यह सब देखकर दूसरा गुंडा अपने आप को चाकू मार लेता है।
अगला अपडेट कल दूंगा।
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अब तक आपने पढा की कैसे शिवा सोनिया के बुलाये हुए गुंडो को दर्दनाक मौत देता है जिसे देख कर तो एक गुंडा खुद को चाक़ू मार लेता है।
अब आगे
जब वो आखिरी गुंडा अपने आप को चाकू मार देता है तो शिवा उसे ऐसे नाराजगी से देखता है जैसे एक बच्चे से किसी ने उसका खेलने वाले खिलौना छीन कर तोड़ दिया हो। फिर वो सोनिया के पास जाकर उसे उठाता है और जब वो होश में आती है और शिव को देखती है तो डर कर दूर भाग जाती है क्योंकि शिवा पूरा खून से नहाया हुआ था। शिवा ये समझ जाता है और वही पास में जेट पंप को चालू कर के अपने आप को साफ करता है और उसके बाद सोनिया के पास जाकर कहता है कि मालकिन आपको डरने की कोई जरूरत नही है। मैंने इन्हें समझ दिया है, अब ये दरिन्दे कभी भी किसी लड़की को नही छेड़ेंगे। शिवा की ये बात सुन सोनिया गर्दन साइड में करके जब उसके पीछे पड़े हुए उन गुंडो के बेजान जिस्म देखती है तो मन ही मन हँसने लगती है और सोचती है - जब जिंदा रहेंगे तब ही न किसी लड़की को छेड़ेंगे और जो बेहोस है वो जब होश में आएंगे तो दूसरी तो दूर की बात है अपनी बीवी को भी न छुएंगे। हीहीहीही।
लेकिन अपने चेहरे पर झूठी नाराजगी दिखाते हुए - ये क्या तरीका है किसी को समझाने का, इनमे से कुछ तो जिंदगी भर के लिए बेकार हो गए है और कुछ भगवान को प्यारे।
शिवा अपना सर खुजाते हुए - वो थोडा सा हाथ जोर से पड़ गया और फिर जब मैने आपकी कलाई पर उन दोनों की उंगलियों के निशान देखे तो मुझे गुस्सा आ गया और ये सब हो गया।
सोनिया का ध्यान अब अपनी कलाई की तरफ जाता है और उसे वह दर्द होने लगता है। तब शिवा उसका हाथ पकड़ कर उसकी कलाई पर हल्के हाथों से मसाज करता है जिससे उसे आराम मिलता है। वो एकटक शिवा को देखती रहती है और उसके चेहरे में ही खो जाती है। उसे पता भी नही चला कि कब शिवा ने उसे अपने को ऐसे घुरतें हुए देख लिया और उसकी कलाई को ठीक कर अपना सिर झुका कर पीछे हट गया है। फिर शिवा के बुलाने पर उसे होश आता है तो वो शरमा के अपनी नजरे झुका लेती है। शिवा - मालकिन चले बहुत देर हो गयी है और रात भी होने वाली है।
सोनिया हड़बड़ा कर - है तो चलो न रोका किसने है। तुम्ही देर कर रहे हो।
शिवा मुस्कुरा कर अपनी गर्दन कुक लेता है और चल पड़ता है सोनिया की गाड़ी की तरफ।
दोनो के दिल मे एक चिंगारी जन्म ले चुकी थी जो आगे क्या 2 गुल खिलाएगी ये तो आने वाला वक़्त ही बताएगा।
लेकिन इतना तय है कि सोनिया शिवा के प्यार में पड़ चुकी है पूरी तरह से जबकि शिवा को पहले अपना लक्ष्य पूरा करना है जो कि अपने माँ, बाप और भाई के हत्यारों को ढूंढ कर मौत के घाट उतारने का है और उसके इस लक्ष्य के बीच मे किसी और कि कोई जगह नही है। प्यार की भी नही।
दोनो सोनिया के शहर वाले घर मे बाजार से ही खाना खा कर आ जाते है और सोनिया शिवा को उसका कमरा बता कर खुद अपने कमरे में सोने चली जाती है।
अगले दिन सुबह उठ कर शिवा अपना रोज का काम करता है जैसे योग और कसरतें करता है। फिर तैयार हो के नाश्ते के लिए आता है तो वह कोई नही होता। वो घर के बाकी नौकरो से जब पूछता है तो वो बताते है कि मेम साहब खुद 10 बजे से पहले नही उठती और अगर कोई उन्हें उठाने जाता है तो उसकी समझो शामत ही आ जाती है। इसलिए नास्ता भी देरी से बनता है।
जिस पर शिव है देता है और अपने लिए नास्ता बनाने को बोलता है। फिर नास्ता खाने के बाद वो उस घर से बाहर आता है तो उसे उस घर से कुछ दूरी पर एक गाड़ी खड़ी दिखती है जिस पे काले शीशे लगे हुए थे। शिवा की छठी इंद्री उसे किसी खतरे का आभास करती है। जिसके चलते वो उस घड़ी तरफ बढ़ने लगता है तभी वो गाड़ी भी आगे को चलने लगती है। जैसे 2 शिवा आगे बढ़ रहा था वैसे 2 वो गाड़ी भी चल रही थी। तभी शिवा कुछ सोच कर रुक जाता है और वापस घर मे आ जाता है। जिसे देख वो गाड़ी का ड्राइवर भी गाड़ी को पहले वाली जगह पर ले आता है।
शिवा घर मे घुसते ही सभी नौकरो को सचेत कर देता है और बोलता है कि कुछ भी हो जाये घर का दरवाजा मत खोलना और ना ही मालकिन की बाहर आने देना।
फिर वो फुर्ती से पीछे के दरवाजे से बाहर आके चुप चाप उस गाड़ी के दूसरी तरफ पहुँच जाता है और चुपके से उस गाड़ी के चारो टायरों के नीचे किले बिछा देता है।
फिर वो उठ कर एक दम से गाड़ी के सामने खड़ा हो जाता है और उसके शीशे पर एक मुक्का मरता है। गाड़ी के अंदर बैठे सभी लोग एकदम से घबरा कर उस तरफ देखते है तो शिव को वहाँ पाते हैं। तभी गाड़ी का ड्राइवर गाड़ी को स्टार्ट कर के भागने लगता है लेकिन उन किलो की वजह से गाड़ी के टायर फट जाते है और ड्राइवर संतुलन खो देता है और गाड़ी पलट जाती है।
शिवा दूर खड़ा ये देखता रहता है और धीरे 2 चलते हुए गाड़ी की तरफ बढ़ता है। गाड़ी के पास पहुँच कर वो जैसे ही दरवाजा खोलने के लिए अपना हाथ आगे बढ़ाता है कि तभी गाड़ी का दरवाजा खुलता है और उसमें से 4 हटे कट्टे पहलवान बाहर निकलते है और शिव को उठा कर दूर फेक देते है और हँसने लगते है। शिवा एकदम से हुए इस हमले से थोड़ा सा विचलित हो जाता है लेकिन फौरन ही संभल कर अपने हाथ झाड़ता हुआ खड़ा हो जाता है।
शिवा - बहुत खूब भाई लोगो। लेकिन यार मारने से पहले बाता तो दो की मार क्यों रहे हो। और यहाँ क्यों आये हो।
तभी उन चारों के पीछे से आवाज आती है - मौत कभी किसी को बताके या पूछ कर नही आती। जब शिवा थोड़ा सा झुक के उन पहवानो के पीछे देखता है तो पाता है कि वह एक सामान्य सी कठ काठी का नौजवान लड़का था। और वो इन चारो के होते हुए खुद को बहुत बड़ा डॉन समझ रहा था।
शिवा - बिल्कुल सही कहा बरखुर्दार लेकिन गलत टाइम पर गलत बन्दे से। वैसे तु है कौन ये तो बता दे।
लड़का - बिल्कुल अकड़ के साथ बन्दे की लोग पंडित बोलते है और कुछ लोग डर से मायावी पंडित भी बोलते है।
शिवा - सही है, लेकिन मुझसे क्या दुश्मनी है ये तो बता दे।
(मै इसे पंडित ही कहूंगा क्योंकि मै इससे डरता नही हु।)
पंडित - क्योंकि तू अपनी जाने जिगर सोनिया के पास फटका है इसलिए ये चारों सिर्फ तेरे हाथ पैर तोड़ेंगे।
शिवा - ऐसा क्या और अगर मेने उन्हें छू लिया होता तो ।
पंडित - तो ये तेरे हाथ काट दिए जाते।
शिवा मुस्कुराते हुए - तो देरी किस बात की। भेज तेरे इन किराये के गधो को, देखते है कि कौन किसकी मौत है।
पंडित अपने पहलवानो को इशारा करता है और वो चारो शिवा की तरफ बढ़ जाते है।
इसके बाद क्या हुआ वो कल बताऊंगा, अगर जिंदा रहा तो
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Ye pandit apni band bajwne aa gaya
 

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अब तक आपने पढ़ा कि शिवा को सुबह सोनिया के घर के बाहर एक वैन खड़ी दिखती है और जब वो उसके नजदीक जाता है तो 4 पहलवान उसे उठा कर फेंक देते है और पूछने पर उनके पीछे से उनका मालिक जो अपने आप को पंडित उर्फ मायावी गुरु बताता है। फिर वो शिवा के चेलेंज करने पर अपने चारों पहलवानों को इशारा करता है मारने को।
अब आगे
चारो उसकी तरफ बढ़ ही रहे थे कि उनमें से एक बोला
एक पहलवान (अकड़ के साथ) - अरे तुम कहा इस पिद्दी को मारने के लिए आ रहे हो इसे तो में अकेले ही पटक पटक के मार दूंगा। फिर वो अकेले ही आगे बढ़ता है और जैसे ही वो शिवा पर हाथ उठता है वैसे ही शिव फुर्ती से उसके हाथ की बीच वाली उंगली पकड़ के मरोड़ देता है और उसके हाथ को उसकी पीठ पर चिपका देता है और बोलता है कि
शिवा - अरे भाई पहलवान जी मे प्यार से बात करना चाहता हु और तुम मेरा काम तमाम करने कई फिराक में हो। और उसकी उंगली को जोर से उल्टी तरफ मोड़ देता है जिससे पहलवान चिल्लाने लगता है। उसकी ये हालात देख कर दूसरा पहलवान आगे बढ़ता है और शिव को पीछे से अपनी भुजाओं में दबोच लेता है। मजबूरन शिवा को पहले वाले का हाथ छोड़ना पड़ता है और फिर वो अपना सिर जोर से पीछे की तरफ उस पहलवान की नाक पर मरता है जिससे वो शिवा को छोड़ कर अपनी नाक पकड़ वही बैठ जाता है।
अपने 2 पहलवानों की ऐसी हालत देख पंडित चिल्ला के बोलता है।
पंडित - अबे हराम के जनो ये क्या तुम्हारी माँ का खसम लग रिया है जो एक एक कर उस पर हमला कर रहे हो। एक साथ मारो इस काल के लौंडे को।
इतना सुनते ही बाकी बचे हुए दोनों पहलवान शिवा को दोनों तरफ से घेर कर खड़े हो जाते है और धीरे 2 शिवा की तरफ बढ़ते है और जैसे ही उसे पकड़ने आते है तो शिव नीचे बैठ कर उन दोनो के टांगो के जोड़ पर एक एक हल्का सा मुक्का जड़ देता है। वो दोनों वही लेट कर तड़पने लगते है। शिवा यही पर बस नही करता बल्कि पास में खड़ी गन्ने के जूस की दुकान से कुछ गन्ने लाता है और उन चारों की ठुकाई करना शुरू कर देता है। कुछ 15 20 मिनट उनकी गन्ने से सेवा करने के बाद वो पंडित की तरफ बढ़ता है और उसे गर्दन से पकड़ लेता है और बोलर है
शिवा- हाँ बे सर फ़टे चर्म दंड अब बोल क्या बोल रहा था।
पंडित - क्या क्या बोला मुझे तूने अभी 2। क्या था वो चर्म वर्म दंड था क्या वो
शिवा मुस्कुरा कर - तेरे बाप ने तेरा नया नाम रखा है क्यों तुझे पसंद न आया क्या।
पंडित- अबे ओ क्या 4 कुत्तो को मारकर शेर बन रहा है। एक बार मेरे साथ ढंग दे लड़ फिर देख तुझे ना दिन में तारे दिखा दिए तो कहना।
शिवा - बिल्कुल साही नाम दिया है मेने तुझे। साला थोड़ा सा गर्दन से पकड़ के हिलाया नही की उल्टी करनी शुरू कर दी तूने।
पंडित - क्या मतलब है तेरा ।
शिवा - कुछ नही चल आज तू भी अपना बेड़ा गर्ग करवा लें।
और उसने पंडित को छोड़ दिया। जैसे ही पंडित आजाद हुआ उसने उछल कर शिवा की छाती में लात मारी जिससे शिवा सम्भल नही पाया और थोड़ा सा पीछे हो कर गिर गया। फिर खड़ा हो कर और अपने कपड़े झाड़ कर बोलता है
शिवा - वाह जान तो है तुझ में । चल आज करते है 2 2 हाथ। मजा आएगा इसमे।
इतने में ही पंडित फिर से उड़ता हुआ आता है और शिवा की छाती पर अपने दोनों हाथों के मुक्के बनाकर मारना चाहता है लेकिन इस बार शिवा चौकन्ना था और वो पंडित के दोनो हाथो को हवा में ही पकड़ कर नीचे को झटका देता है जिससे पंडित मुँह के बल सड़क पर गिर जाता है। जब वो उठता है तो देखता है कि शिवा फिर से एक गन्ना लिए खड़ा है और उसे खाते हुए बोलता है कि ये मीठा डंडा है इसे तुम ऐसे भी खा भी सकते हो और खा कर दिखाता है और ऐसे भी खा सकते हो और उन पहलवानों की तरफ इशारा करता है जो अब एक कोने में खड़े थे, अब कैसे खाना है ये तू सोच ले।
पंडित - तू मुझे इस गन्ने से डरा रहा है। अरे हम तो जिम में पसीना पानी की तरह बहते है समझा।
शिवा - हा तेरे इन कागजी अखरोटों को देख कर ही पता चल रहा है कि तुम लोग कितना पानी और कितना पसीना बहाते होंगे अपने उस जिम में।
ये सुन पंडित हड़बड़ा गया और अपने उन चेलो को घूर कर देखते हुए कहता है कि
पंडित - मै जा रहा हु गाड़ी लेके आ जाना।
शिवा - क्यों भाई मुझे सबक नही सीखना क्या। तू तो इन को मेरी मौत बाता रहा था।
पंडित - अपनी ताक़त पर इतना भी घमंड अच्छा नही होता क्या नाम है तेरा।
शिवा - शिवा कहते है मुझे।
पंडित - ह्म्म अच्छा नाम है पर तु मेरी जाने जिगर से दूर रहना।
शिवा - देख भाई अगर वो भी तुझे चाहती है तो में कसम खाता हूं कि हमेशा तुम दोनों का साथ दूंगा लेकिन अगर तेरा एक तरफ का प्यार है तो उस तक पहुचने के लिए तुझे इस शिवा की लाश पर से गुजरना पड़ेगा। और यकीन मान की मेरी हथेली में जीवन रेखा बहुत लंबी है।
बाकी का कल लिखूंगा भाई लोगो। अभी थोड़ा सा व्यस्त हु।
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Ye pandit to unchi dukan phiki pakwan nikala
 
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अब तक आपने पढ़ा कि कैसे शिवा पंडित के चारों पहवानो को मारने के बाद पंडित का भी बाजा बजाता है जिससे डर कर पंडित वहाँ से चला जाता है।
अब आगे
शिवा जब घर पे आता है तो उस वक़्त तक सोनिया जाग गयी थी और नास्ता कर रही थी। पंडित को देखकर वो बोलती है
सोनिया- क्या कह रहा था वो पंडित तुमसे।
शिवा ये सुनते ही एक दम से सिर ऊपर उठा के उसे देखता है।
सोनिया - ज्यादा हैरान होने की जरूरत नही है। में उसके बारे में सिर्फ इतना जानती हूं कि वो किसी बड़े बाप की बिगड़ी हुई औलाद है और वहाँ अपने वैन में बैठ कर मुझे घूरता रहता है और अगर मेरे साथ किसी लड़के को देख भी लेता है तो उसके पहलवान उसकी हड्डी पसली तोड़ देते है। और उसने कल तुम्हें मेरे साथ देख लिया होगा और आज सुबह मौका मिलते ही उसके पहलवानों ने तुमसे झगड़ा किया होगा। मै तो सिर्फ इतना पूछ रही थी कि कही उसे भी तो कल के गुंडो की तरह तो नही समझ दिया। और ये कहते ही जोर से हस पड़ती है।
शिवा को भी जब पूरी बात समझ मे आती है तो वो भी सर झुका कर मुस्कुरा देता है।
अभी ये लोग बात कर ही रहे थे कि सोनिया की सहेलिया आ जाती है और वो सब घूमने निकल जाती है और शिवा भी उनके साथ ही था एक ड्राइवर की तरह।
जब तक ये लोग घूमते है हम जरा हम लोग खान असलम और कृष्णा को देख लेते है कि ये लोग कर क्या रहे है।
खान और असलम एक कमरे में बैठे थे और कुछ बहुत ही गंभीर मंत्रणा कर रहे थे।
खान - असलम अब तो उस बात को बहुत साल बीत गए है। उस लाला ने तो दुबारा पूछा भी नही हमे।
असलम - बाबा बोल तो सही राहे हो तुम। साला हम इधर से उधर भागते रहे और वो लाला और उसका वो अनजान मालिक वहाँ मजे ले रहे है।चलो अब वापस उसी गांव में जाने का टाइम आ गया है और वहाँ से अपना हिस्सा भी तो लाना है। वो लाला तो सब हड़प कर बैठ गया होगा अब तक।
खान - लेकिन क्या तेरे हथियार कृष्णा को वहाँ ले जाना सही होगा। कही उसे सब याद आ गया तो हमे लेने के देने पड़ जाएंगे।
असलम - क्या बाबा तुम इतना क्यों डर रहे हो। हथियार कभी खुद के मालिक पर चलता है क्या। और उसके कौन बताएगा कि हमने उसके माँ बाप को जिंदा जला कर मारा था।
खान - और उसका वो भाई जिसे हमसे बचा कर उसकी माँ ने खिड़की से बाहर भाग दिया था।
असलम - क्या भाई अगले दिन हमने उस घर के पीछे जाके देखा भी तो देखा था ना। वहां उस गहरी खाई के अलावा कुछ नही था। पक्का रात के अँधेरे में वो खाई में गिर गया होगा। बेचारी उसकी माँ ने तो सोचा होगा कि वो अपने एक बेटे को तो हम से बचा लिया है। पर उसे क्या पता था कि उस खिड़की के पीछे खाई थी।
खान - ओये लाले जरा धीरे बोल यार। तूने सुना नही की दीवारों के भी कान होते है।
असलम - पहली बात तो ये की अपने उस हथियार के होते हुए हमें किसी से डरने की जरूरत नही है। और वो हथियार अभी अपना हथियार किसी की गुफा में डाल के पड़ा होगा।
खान - हाँ यार तूने उसे शराब और शबाब का इतना आदि बना दिया है कि इन दोनों में से एक भी अगर उसे ना मिले तो जैसे उसे लकवा मार दिया हो ऐसा हो जाता है। ना कुछ बोलता है और न ही कुछ करता है।
असलम - ये सिर्फ शराब और शबाब का कमाल नही है बाबा। ये तो उस ड्रग्स का कमाल है जो में उसे शुरू से देता आ रहा हु शराब में मिला कर। पर अगर उसे कोई लगातार 2 हफ़्तों तक वो ड्रग न दे और वो सिर्फ शराब ही पिये तो उस ड्रग का असर खत्म हो जाएगा क्योंकि जहर ही जहर को मारता है।
खान - फिर तो हमे उसे रोज वो ड्रग मिली हुई शराब ही देनी चहिये।
अभी ये लोग ये बातें कर ही रहे थे कि बाहर से कुछ आहत हुई। असलम लपक कर दरवाजे की तरफ भागा लेकिन वहां उसे कोई नही दिखा तो वो उस कमरे की तरफ बढ़ गया जहाँ कृष्णा उस क्लब में काम करने वाली एक लड़की तानिया के साथ सो रहा था। असलम एकदम से उस कमरे में घुस जाता है क्योंकि सब को पता था कि कृष्णा कभी भी अपना कमरा बन्द नही करता।
कमरे में कृष्णा और तानिया बिल्कुल नंगे लेते हुए थे। जहाँ तानिया अपनी पीठ के बल लेती हुई थी वही कृष्णा उसके ऊपर अपना एक हाथ और टाँग रख कर उल्टा लेता हुआ था।
तानिया की तनी हुई चुचिया अपना सिर उठाये खड़ी हुई थी। असलम ये देख के अपने होंठों पर जीभ फिरता है। लेकिन फिर कृष्णा को देखकर अपने आप को रोकता है और उस कमरे से वापस बाहर आ जाता है। इतने में हिनक बिल्ली उसके सामने से गुजर जाती है। उस बिल्ली को देखकर असलम मुस्कुरा कर वापस अपने कमरे में खान के पास आ जाता है।
खान - कौन था बाहर।
असलम - कोई नही बाबा, बिल्ली थी।
खान - फिर इतनी देर कैसे लगा दी।
असलम - पहले तो अपने अदमियों की क्लास लगाई। साले सब के सब हरामखोर है। कोई भी कमरे से बाहर नही निकला इतनी तेज आवाज होनेके बावजूद। दूसरे में कृष्णा के कमरे में भी गया था कि कही वो कृष्णा या लड़की ही तो नही थी। लेकिन वो दोनो तो बिल्कुल नंगे एक दूसरे से लिपट कर पड़े हुए थे। लेकिन एक बात है कि साली ये तानिया भी एकदम पटाखा है। साली की चुचिया भी एक दम कड़क है।
खान - एक दम से असलम का मुंह बंद करते हुए - पागल हो गया है क्या तू जो उसके बारे में ऐसे बोल रहा है। याद नही की उस दिन क्लब में उस लड़के ने तानिया का हाथ पकड़ लिया था तो तेरे इस हथियार ने उसका क्या हाल किया था। साला डॉक्टरों को भी कई महिने लग गये थे उसे ठीक करने में।
इधर उस कमरे में असलम के जाते ही कृष्णा और तानिया उठ कर बैठ जाते है और कुछ देर पहले जो कुछ सुना था असलम की जुबानी उसके बारे में सोच रहे थे। तानिया ने आज पहली बार कृष्णा की आंखों में आंशू देखे थे। वो उन्हें साफ करते हुए अपनी गर्दन ना में हिलती है।
दोस्तों बाकी कल या फिर जब भी जिंदगी मोहलत देदे।
Awesome update.
Lagta haj karishna ko sach pata lag gaya .
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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Kahani kafi shandar hai aur achhe se likh arhe hk aka bhai .
Agle update ka intzar hai
 

aka3829

Prime
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आज मैच की वजह से अपडेट नही दूंगा।
कल पूरी कोशिश रहेंगी
 
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