Nevil singh
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Chitaakarshit update mitrखंड २
जिजीविषा
उसके कदम तेज थे, लेकिन वो दौड़ नहीं रहा था ! उसकी धड़कन अभी भी तेज गति से चल रही थी, पता नहीं क्यों वो उस बुड्ढे यात्री की बात मान गया और मुखिया के घर की ओर चल पड़ा !
आज मौसम कुछ ज्यादा ही ठंडा था, हवा के साथ हिमकण भी गिर रहे थे लेकिन केशव को मानो इनका कुछ असर नहीं हो रहा था, वो तो जैसे किसी गुलाम की भांति उस बुड्ढे यात्री के आदेश का पालन कर रहा था उसके दिमाग और मुह में बस एक ही बात चल रही थी ‘कहानी वाले बाबा ने बुलाया है’
केशव, जग्गा का मित्र था ! जो हर शाम को जग्गा की दुकान पर दिन भर की थकान उतारने के लिए आ जाता था, थोड़ी देर तक वो दोनों गाव भर की बाते किया करते थे और अंत में दोनों साथ में अपने अपने घर चले जाते थे !
अचानक केशव के कदम धीरे हो गए, सामने कुछ दुरी पर मुखिया का घर था ! आज इस समय मुखिया के घर में आगे कुछ भीड़ थी, लोग दरवाजे के सामने खड़े हो कर बुदबुदा रहे थे !
केशव के मन में शंका जाग उठी ‘क्या मुखिया के पिता नहीं रहे ?’ वो रुकना तो चाह रहा था लेकिन उसके कदम रुक नहीं रहे थे ! वो दरवाजे के सामने जाकर खड़ा हो गया और दरवाजा खोलकर अन्दर प्रवेश कर गया !
अन्दर का नजारा बहुत ही चिंताग्रस्त था, गाव का मुखिया ‘लायो’ बहुत ही बौखलाया हुआ था ! जैसे ही उसने केशव को देखा बोल पड़ा
“कौन हो तुम ?” आवाज बहुत भारी और गुस्से से भरी थी
अब जैसे केशव की तन्द्रा टूटी, जैसे अब वह किसी मोहपाश से स्वतंत्र हुआ हो, कमजोरी और थकान के कारण अपने घुटनों के बल गिर पड़ा, ऐसा लगा उसको की जैसे उसने अपने अन्दर किसी बड़े युद्ध को जीत लिया हो
कोई जवाब ना पाकर लायो वापस उस वैद्य की ओर घूम जाता है जो उसके बूढ़े बाप का इलाज कर रहा था
“क्या हुआ मकर, कुछ फायदा हुआ” लायो कुछ हडबडाहट में पूछता है
“नहीं, कुछ नहीं” मकर बेरस से बोलता है “अब इनके अन्दर जीने के लिए बिल्कुल भी उर्जा पर्याप्त नहीं है”
इतना सुनते ही लायो गुस्से से फुट पड़ता है ‘सारी जिंदगी मेने इस बुड्ढे के पीछे बर्बाद की और ये बिना बोले ही जा रहा है’ गुस्से से बोलते हुए वह इधर-उधर की वस्तुए तोड़ने लगता है, अंत में थक हार कर वह थोड़े क्षण बाद जमीन पर बैठ जाता है अब लावा शांत हो चूका था, घर में पूरी शांति थी जैसे वहा पर कोई नहीं हो – बस एक ही ध्वनि सुनाई दे रही थी और वो थी उस बुड्ढे की उखड़ी हुए सासों की ! लग रहा था जैसे मानो नदी की पूरा पानी सुख चूका हो और एक छोटी सी धार बड़ी मुश्किल से उस नदी की रेत में अपने लिए रास्ता बना रही हो और जैसे किसी भी क्षण रेत उस धार को अपने अन्दर समां लेगी
अब कुछ शेष ना पा कर मकर उठकर जाने ही वाला था की केशव, जो की अभी तक अपने घुटनों के बल बैठा हुआ था वो अपने ने संयत हुआ और थोड़ी शक्ति झुटाकर धीरे से खड़ा होकर बोलता है
“वो.....वो....क ..कहाS नी वा...ले बाबा”
“वो कहानी वाले बाबा बुला रहे है”
इतना सुनते ही जैसे की नदी में बाढ़ आ गयी हो, उस बुड्ढे ने अचानक से अपनी आखे खोली, ऐसा लगा जैसे की केशव की ध्वनि तरंगो ने बादलो का सीना चीर दिया और उस सूखी हुई नदी में अथाह उर्जा का प्रवाह हो गया हो
वो बुड्ढा तुरंत उठ बैठा हुआ और केशव के पास जाकर बहुत ही अधीरता से पूछता है
“वो बाबा ... कहानी वाले बाबा ने मुझे बुलाया है ?” उत्सुकता और हैरत भरे भाव में वो कहता है “कहा है वो ...कहा पर है वो अभी”
मकर ने तो जैसे भुत देख लिया हो,
अभी उसके सामने क्या हुआ,
वो किसी चमत्कार तो क्या सपने में भी कभी नहीं सोंच सकता था, वो जडवत हो गया था
“वो अभी गाव के किनारे जग्गा के यहाँ..”
इतना सुनते ही वो घर के बाहर दौड़ पड़ता है, और बाहर जाते ही चिल्लाते हुए बोल पड़ता है “अरे, सुनो गाव वालो, वो .. कहानी वाले बाबा लौट आये है...बाबा वापस आये है “ चिल्लाते हुए वो बुड्ढा, जग्गा के दुकान की और दौड़ पड़ता है
बाहर सभी गाव वाले आचर्यचाकित थे की अभी-अभी क्या हुआ, और क्या बोल गए मुखिया के पिता
इतने में मकर, लायो और केशव दौड़ते हुए घर से बाहर आ जाते है और लायो जोर से बोलता है “कहा गया ?, कहा गया मेरा बाप ?”
और वो केशव को दबोच लेता है “बता...बता ..क्या किया तूने मेरे बाप के साथ” और साथ में केशव को मारने लगता है, लायो का इतना भयानक रूप देख कोई भी बीच में आने को तैयार नहीं था, फिर भी हिम्मत कर ३-४ लोग लायो को पकड़ लेते है और बचाव करने की कोशिश करते है !
वो.....
वो.....
जग्गाSS
इतना कहते ही केशव बेहोश हो नीचे गिर पड़ता है
सुनते ही लायो, जग्गा की दुकान की ओर भाग पड़ता है, उसको देख वहा खड़े सभी लोग भी उसी दिशा में भागने लगते है
पीछे सिर्फ दो ही व्यक्ति बचे थे, एक तो था केशव, वो की बेहोश पड़ा था और उसके नाक व मुह से खून निकल रहा था !
और दूसरा था मकर जो की केशव की हालत देख वही रुक कर उसको घर के अन्दर ले गया