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Incest दीवाना चुत का

जय100

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प्रीति :इसका मतलब तू बहुत दिनों से उसका लण्ड ले रही है और हमे आज बता रही है।
चम्पा : माफी दे दो मालकिन क्या करूँ डरती थी।
अमृता :ठीक है एक बार उसे हमसे मिला दे बाकी हम देख लेंगे।
चम्पा : मालकिन आज भोला गया था उसके बाप के पास पैसे के लिए कल हो सके तो वह खुद आ जाये।
अब आगे
इधर मैं बापू से बात करने के बाद मैं घर की तरफ चल दिया क्यूंकि मुझे जल्दी से बैंक जल्दी से पैसे निकाल कर लाना था लेकिन रास्ते में बड़े पापा की बड़ी लड़की कविता मिल गयी जो कि खेत से बड़े पापा को खाना देकर वापस आ रही थी ।हम दोनों लोग का खेत एकदम एक साथ है तो वही से मिल गयी ।वह मुझसे 3 शाल बड़ी थी और मुझे आते हुए देख कर रुक गयी ।जब मैं उनके पास पहुंचा तो उन्होंने मुझसे बोला कि
कविता दी : क्या बात है जय आज बहुत जल्दी घर वापस जा रहे हो कुछ काम है क्या।
पूरे घर मे एक यही थी जिनको देखकर ही मेरी गांड फट जाती थी क्यूंकि इनको गुस्सा बहुत जल्दी आता है मैंने धीरे से बोला कि
मैं :नही दीदी आज थोड़ा सहर जाना है बैंक में कुछ काम है इसलिये जा रहा हु और कोई बात नही है ।
कविता दी : ओह तो यह बात मैं समझी की आज फिर कही गटर में मुह मारने जा रहा है ।
मैं दी कि बात समझ गया क्यूंकि वह पहले मुझसे काफी प्यार से बात करती थी लेकिन जबसे मैं गांव के लड़कियों और औरतों के चक्कर मे पड़ा तबसे ही यह मुझसे खफा रहने लगी ।ऐसी बात नही थी इन्होंने समझाया नही लेकिन कहते है ना जब जवान होते लड़के को चुत मिल जाये तो वह किसी की भी नही सुनता और वही मेरे साथ हुआ ।मैंने भी इनकी बातों को नजरअंदाज करके आगे बढ़ता गया और नतीजा यह हुआ कि जो दीदी मुझे दुनिया भर का प्यार करती थी ।आज वह मुझसे सीधे मुह बात नही करती थी ।
अभी मैं इन्ही सब सोचो में गुम था कि कविता दी मुझे हिलाती हुई बोली कि
कविता दी : क्या बात कंहा खो गया ।दिन में जागे हुए ही सपना देखने लगा क्या
मैं : नही दी ऐसी बात नही है मैं किसी और के बारे में नही बल्कि आपके बारे में सोच रहा था।
कविता : क्यों गांव में कमी पड़ गयी क्या जो अब बहनों को भी नही छोड़ेगा।( अरे पागल जब मैं प्यार के बारे में जानती भी नही थी तबसे तुझसे प्यार करती हूं तू छोटा था तो चाची को छोड़ कर किसी भी लड़की या औरत को तुझे छूने तक नही देती थी चाहे वह तेरी सगी बहन ही क्यों ना हो अगर तू आज भी सब छोड़ दे मैं तुझे दुनिया की हर खुसी दूँगी।)
मैं :नही दी मैं आपके बारे में ऐसा सोचु इससे पहले मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन आपकी तरफ ऐसे नही देख सकता हु ।
यह सच भी था कि मैं कविता दी के सामने कभी भी गलत नही सोच सका चाहे वह किसी भी हालत में रही हो।
मैं :दी अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो तो माफ कर दो लेकिन अब आपकी नाराजगी नही झेली जाती ।
इतना बोल कर मैं वँहा से चल पड़ा क्यूंकि अब मेरे आंखों से अंशु रुकने का नाम नही ले रहे थे और मैं नही चाहता था कि वह मेरी अंशुओ को देखे लेकिन शायद उनका प्यार मुझसे भी कई गुना ज्यादा था इसलिए वह जान गई और दौड़ कर मुझे पकड़ ली और अपनी तरफ घुमाते हुए मुझे 1 झापड़ मारी और फिर मुझे गले लगा लिया और बोली कि
कविता दी :आखिर में तू ऐसा क्यों करता है कि मुझे तुझपर गुस्सा आजाता है और यह क्या लड़कियों की तरह रोने लगा कोई देखेगा तो क्या कहेगा कि इतना पहलवान की तरह सरीर है और लड़कियों की तरह रोता है।
मैं :दी मैं जान बूझ कर नही रोया बस आज आपको इस तरह मिला और आपकी नाराजगी के बारे में सोच कर मुझे रोना आ गया नही तो मैं इतना कमजोर नही की कोई मुझे रुला सके।वह तो बस आपके प्यार के कारण मैं कमजोर पड़ जाता हूं।
कविता दी : तो वापस आ जा मेरे भाई देख आज भी मैं वही खड़ी हु तेरे इन्तजार में मुझसे भी अब तेरी यह जुदाई सही नही जाती है।
मैं :दी मैं अभी जाना चाहता हु लेट हो रहा है सहर में बहुत जरूरी काम है शाम को आपसे मिलूंगा।
कविता दी : नही रे आज तो मैं तुझे नही छोड़ने वाली कही फिर से तू भाग ना जाये।आज तो पूरा दिन मैं तेरे साथ ही रहूंगी।
मैं :ऐसा कैसे हो सकता है दी आज सहर जाना जरूरी है ।मैं घर पर नही रह सकता ।
कविता दी: अरे पागल मैंने यह कहा कि आज तझे अकेला नही छोडूंगी यह थोड़ी बोली कि तुझे घर पर रोक रही हु चल जल्दी से तैयार हो कर गाड़ी लेकर आजा घर पर मैं भी चलूंगी।
इसके बाद मैं और कविता दी दोनों एक साथ घर की तरफ चल दिये दीदी ने मेरा हाथ अपने हाथों में पकड़ रखा था मानो अगर उन्होंने छोड़ा तो मैं कही भाग ना जाऊ।पूरे रास्ते जितने लोग भी मिले सभी आश्चर्य से देख रहे थे क्यूंकि आज कविता दी इस तरह से मेरे साथ बहुत समय बाद चल रही थी ।सबसे ज्यादा तो बड़ी माँ को आश्चर्य हुआ और वह अपनी छोटी बेटी से बोलती है कि
बड़ी माँ :ज्योति क्या मैं जो देख रही वह सच है ।
ज्योती :हा माँ यकीन करना तो मुश्किल हो रहा है लेकिन जो आंखों से देख रहे है उसे झूठ कैसे बोल सकते है।
ब माँ :लेकिन यह चमत्कार हुआ कैसे आज इतने सालों बाद।
ज्योति :माँ वह तो पता नही लेकिन देखो दी आज कितना खुश लग रही है आज उनके चहेरे पर जो मुस्कान है वह झूठी नही बल्कि दिल से निकली हुई है।
ब माँ : चाहे कारण जो भी हो बस मेरी बेटी खुस है वही मेरे लिये बहुत है।
इधर हम दोनों भी उनके घर के पास आ गए थे तब मैं कविता दी से बोला कि
मैं :दी मैं 10 मिंट में आता हूं तबतक आप तैयार रहना ।मुझे जल्दी जाना है।
कविता दी : ठीक है तू जा और जल्दी से आ जा ।मैं यही पर रहूँगी।
ब माँ :लेकिन तुम दोनों कहा जा रहे हो इतनी जल्दी में।
मैं :माई मुझे बाजार जाना है और कविता दी को कुछ सामान लेने जाना है इसलिये वह भी मेरे साथ बाजार जा रही है।
इसके बाद मैं वंहा से घर की तरफ चल दिया और जब घर पहुचा तो सरिता दी और भाभी दोनों मुझे घूर कर देख रही थी लेकिन मुझे जल्दी थी इसलिए मैं तैयार होने रूम में चला गया और तैयार हो कर मैं भाभी से बोला कि
मैं : भाभी मुझे बाजार जाना है इसलिए थोड़ा पानी पीने को दे दो।
यह सुनकर भाभी पानी लाने चली गयी और सरिता दी कुछ देर देखते रही और फिर बोली कि
सरिता दी : क्या बात है आज कविता दी के हाथ मे हाथ डालकर घर आ रहे थे लगता है दोनों में सुलह हो गयी।
मैं : हा दी आप नही जानती आज मैं कितना खुस हु आज मुझे कविता दी ने माफ कर दिया है और उसकी वजह से मैं दुबारा जी उठा।
मैं इतना खुस था कि मेरी इस बात का उनपर क्या फर्क पड़ा मैने यह भी नही देखा और भाभी ने पानी दिया और मैं पी कर चला गया और मेरे जाने के बाद सरिता दी को इस तरह गंभीर देख कर भाभी बोली कि
जुही :क्या बात है सरिता जबसे तूने उन दोनों को एक साथ देखा है तबसे बड़ी चिंता में लग रही है।
सरिता :बात ही ऐसी हैं जिसकी वजह से बहुत लोग चिंता में पड़ जाएंगे।
जुही : खुल कर बोलो इस तरह मैं कुछ भी नही समझ पा रही हु।
सरिता :आप ने अभी तक कविता की दीवनगी जय के लिये नही देखी ।वह पूरी तरह से पागल है उसके लिए जय जब छोटा था तो वह मा को छोड़कर ओर किसी भी लड़की या औरत को उसके पास नही जाने देती थी और अगर फिर से वही सब चालू हो गया तो समझ लीजिए कि आपके हाथ से जय निकल जाएगा।
जुही : मैं ऐसा होने नही दूँगी ।मैं उसे अपने रूप के जाल में फ़ांस लुंगी।
सरिता :काश ऐसा हो जाए पर मुझे इसकी उम्मीद नही है ।अब तो जो कुछ भी है सब उसके हाथ मे है।
इधर मैं जब कविता दी को लेने के लिए घर गया तो मैं उनको देखते ही रह गया सफेद कलर के कपड़े में किसी परी से कम नही लग रही मैं तो बस आंखे फाडे उन्हें देखता ही रह गया

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उनको देखने मे मैं इतना खो गया कि कब वह मेरे पास आगयी मुझे पता भी नही चला ।मुझे होश तो तब आया जब ज्योति ने मुझे हिलाई और बोली कि
ज्योति : अब क्या मेरी दी को नजर लगा कर ही मानेगा क्या ।गाड़ी सही से चलाना कहि लड़ मत जाना।
इस पर कविता दी भड़कती हुई बोली कि
कविता दी : छोटी तू जा यंहा से कितना सताएगी बेचारे को।
 
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प्रीति :आजा मेरी रंडी बेटी कब तक छुप कर देखेगी आजा तेरे बाप ने तेरी मनपसन्द मलाई मेरी बुर में छोड़ दी इसे चाट ले और चल अब तू ठंडी कर मुझे.।
अब आगे

प्रीति की बात को सुनकर अमृता उसी रूम में पर्दे के पीछे से निकल कर आती है वह भी पूरी तरह से नंगी थी ।वह आती है और आकर प्रीति के होंठो के एक बार चुम कर बोलती है कि
अमृता :क्या बात है मेरी रंडी माँ आज बहुत गरम लग रही है और यह क्या जब देखो तब पापा को जलील करती रहती हो ।
प्रीति :अब बस भी कर एक तो साली पहले अपने बाप से शादी करवा दी और अब जले पर नमक छिड़क रही है।
अमृता : तो तू क्यों चिंता करती है मेरी प्यारी माँ तुझे बोला तो है ना एक जवान लण्ड खोज ले ।लेकिन तू है कि मेरी बात सुनती ही नही है ।
प्रीति :जब कालेज में तेरे पीछे लड़के नही पड़ते थे तब मैं सोचती थी कि ऐसा क्या है तेरे बाप के नाम मे जो सारे लौंडे डरते है और तुझसे बात तक नही करते लेकिन अब समझ रही हु जब मेरे नाम के आगे ठकुराइन लग गया तब समझी की सब साले चोदू है डरते है ।अरे साला जो पहले मेरी रोज चुदाई करता था वह भी अब डरता है बहनचोद हरामी साला।
अमृता : यार आज कल तू गाली बहुत देने लगी है कही ऐसा ना हो कि सब तेरी गाली के वजह से भाग जाए।
प्रीति : अब तू मत सुरु हो जा चल आजा पहले मुझे ठंडी कर बाद में अपनी बातें चोद लेना।
अमृता : सुधर जा साली जब देख गाली देती है।
इतना बोल कर अमृता प्रीति की चुचियो को पकड़ कर बुरी तरह से मसल देती है जिसकी वजह से उसकी चुचिया लाल हो जाती है


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प्रीति : मत कर रंडी वरना जिस दिन मौका मिला ना तेरी गांड मार लुंगी बिना तेल लगाएं समझ गयी कुतिया।
अमृता : चल वो सब छोड़ यह बता आज माल कहा है मेरे भड़वे बाप का।
प्रीति : साली थोड़ी तो इज्जत कर ले बाप है तेरा वह ।मेरा तो करती नही है माँ हु चाहे सौतेली ही सही।
इधर तब तक अमृता उसके बुर में अपने बाप के मलाई को चाट रही थी वह उसके बुर को अपने मुह में भर कर अंदर तक खींच कर दांत लगा देती है जिसकी वजह से प्रीति तड़प उठती है और बोलती है कि

प्रीति :अरे रंडी काट क्यों रही है चूस कर पानी निकाल दे ।

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अमृता :चूस तो रही हु ना माँ कितना पानी छोड़ रही हो तुम अच्छा चल एक काम कर मेरी भी पानी चूस कर निकाल दे वरना तेरा वह बूढा कभी भी आ सकता है ।
इतना बोल कर अमृता 69 की पोजीसन में आ गयी और अब प्रीति भी अमृता की चूत को चाटने लगी और दोनों अंदर तक एक दूसरे के बुर में कभी उंगली डालती तो कभी जीभ तो कभी बुर के दोनों होंठो को मुह में लेकर चुस्ती करीब 15 मिंट तक कि जबरदस्त चुसाई के बाद दोनों एक दूसरे के मुह में अपना पानी छोड़ दी ।उसके बाद दोनों बाथरूम में जाकर एक दूसरे को रगड़ कर अच्छे से नहलाया और फिर कपड़े पहन कर बाहर हाल में आकर बैठ गयी । जंहा पर गांव की ही एक औरत अपना काम कर रही थी तो अमृता ने प्रीति को कुछ इशारा किया तो प्रीति ने उसको अपनी पास बुलवाया और बोली कि
प्रीति :क्या रे चम्पा एक काम बोली तेरे से वह भी नही कर पाई अभी तक और कितना समय लेगी।
चम्पा : समय की बात नही है मालकिन जैसा आपको लड़का चाहिए उसके बारे में पता कर ली हु या ये कहु की आपकी सोच से भी बढ़ कर है तो गलत नही होगा पर ।
इतना बोल कर चम्पा शांत हो गयी तो प्रीति बोली कि
प्रीति : रूक क्यों गयी बोल ना ।
चम्पा : पर मालकिन वह इसी गांव का है और मुझे नही लगता कि वह इसके लिए तैयार होगा।
प्रीति : तू उसकी चिंता मत कर बस यह बता वह कौन है।
चम्पा : वह अपने गांव के राजेश्वर का छोटा बेटा है बाप जितना सीधा है बीटा उतना ही हरामी गांव में आधी से ज्यादा लड़कियों और औरतों को चोद चुका है ।गांव की कितनी बहुओ को तो माँ भी बना दिया है जिसमे से मेरी बहु भी उसी के बच्चे की माँ बनने वाली है।
प्रीति :तो तुम अपनी बहू को कुछ बोलती नही है ।
चम्पा :अब आप से झूठ नही बोलूंगी मालकिन सच तो यही है कि मैंने खुद ही अपनी बहू को उसके नीचे सुलाया है।
अमृता जो इतनी देर से चुप थी वह बोली कि
अमृता :ऐसा क्या है रे उसमे जो सब उसके पीछे ही पड़ी है।
चम्पा : छोटी मालकिन अगर आप बुरा ना माने तो बोलू
अमृता :बोल खुल कर बोल
चम्पा : वह जो आपका सबसे बड़ा खिलौना है ना वह भी उसके आगे छोटा और पतला है।
प्रीति और अमृता दोनों ही चोंक जाती है क्यूंकि जिस खिलोने के बारे में वह बोल रही थी वह 10 इंच लंबा और 3इंच मोटा है ।
प्रीति :काहे लिए झूठ बोल रही हो चम्पा उतना बड़ा तो बहुत मुश्किल से किसी का होता है और तू बोल रही है कि उससे भी बड़ा।
चम्पा : अगर आप चाहे तो चेक कर ले उसको मेरे में डाल कर अगर मेरे मुह से आवाज तक निकली तो अपकीं जुटी मेरा सर
अमृता जानती थी अगर यह इतने विश्वास से बोल रही है तो सच ही होगा लेकिन फिर भी ट्राय करने में क्या जाता है और यही सोच कर अपने रूम में जाती है और उसको लेकर आती है और चम्पा अपनी साड़ी ऊपर तक उठा कर एक बार हल्का सा थूक लगा कर उस डिलडो को एक बार मे डाल लेती है और उफ तक नही करती ।यह देख कर दोनों चोंक जाती है इसपर प्रीति बोलती हैकि
प्रीति :इसका मतलब तू बहुत दिनों से उसका लण्ड ले रही है और हमे आज बता रही है।
चम्पा : माफी दे दो मालकिन क्या करूँ डरती थी।
अमृता :ठीक है एक बार उसे हमसे मिला दे बाकी हम देख लेंगे।
चम्पा : मालकिन आज भोला गया था उसके बाप के पास पैसे के लिए कल हो सके तो वह खुद आ जाये।
Nice update
 

ABHISHEK TRIPATHI

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प्रीति :इसका मतलब तू बहुत दिनों से उसका लण्ड ले रही है और हमे आज बता रही है।
चम्पा : माफी दे दो मालकिन क्या करूँ डरती थी।
अमृता :ठीक है एक बार उसे हमसे मिला दे बाकी हम देख लेंगे।
चम्पा : मालकिन आज भोला गया था उसके बाप के पास पैसे के लिए कल हो सके तो वह खुद आ जाये।
अब आगे
इधर मैं बापू से बात करने के बाद मैं घर की तरफ चल दिया क्यूंकि मुझे जल्दी से बैंक जल्दी से पैसे निकाल कर लाना था लेकिन रास्ते में बड़े पापा की बड़ी लड़की कविता मिल गयी जो कि खेत से बड़े पापा को खाना देकर वापस आ रही थी ।हम दोनों लोग का खेत एकदम एक साथ है तो वही से मिल गयी ।वह मुझसे 3 शाल बड़ी थी और मुझे आते हुए देख कर रुक गयी ।जब मैं उनके पास पहुंचा तो उन्होंने मुझसे बोला कि
कविता दी : क्या बात है जय आज बहुत जल्दी घर वापस जा रहे हो कुछ काम है क्या।
पूरे घर मे एक यही थी जिनको देखकर ही मेरी गांड फट जाती थी क्यूंकि इनको गुस्सा बहुत जल्दी आता है मैंने धीरे से बोला कि
मैं :नही दीदी आज थोड़ा सहर जाना है बैंक में कुछ काम है इसलिये जा रहा हु और कोई बात नही है ।
कविता दी : ओह तो यह बात मैं समझी की आज फिर कही गटर में मुह मारने जा रहा है ।
मैं दी कि बात समझ गया क्यूंकि वह पहले मुझसे काफी प्यार से बात करती थी लेकिन जबसे मैं गांव के लड़कियों और औरतों के चक्कर मे पड़ा तबसे ही यह मुझसे खफा रहने लगी ।ऐसी बात नही थी इन्होंने समझाया नही लेकिन कहते है ना जब जवान होते लड़के को चुत मिल जाये तो वह किसी की भी नही सुनता और वही मेरे साथ हुआ ।मैंने भी इनकी बातों को नजरअंदाज करके आगे बढ़ता गया और नतीजा यह हुआ कि जो दीदी मुझे दुनिया भर का प्यार करती थी ।आज वह मुझसे सीधे मुह बात नही करती थी ।
अभी मैं इन्ही सब सोचो में गुम था कि कविता दी मुझे हिलाती हुई बोली कि
कविता दी : क्या बात कंहा खो गया ।दिन में जागे हुए ही सपना देखने लगा क्या
मैं : नही दी ऐसी बात नही है मैं किसी और के बारे में नही बल्कि आपके बारे में सोच रहा था।
कविता : क्यों गांव में कमी पड़ गयी क्या जो अब बहनों को भी नही छोड़ेगा।( अरे पागल जब मैं प्यार के बारे में जानती भी नही थी तबसे तुझसे प्यार करती हूं तू छोटा था तो चाची को छोड़ कर किसी भी लड़की या औरत को तुझे छूने तक नही देती थी चाहे वह तेरी सगी बहन ही क्यों ना हो अगर तू आज भी सब छोड़ दे मैं तुझे दुनिया की हर खुसी दूँगी।)
मैं :नही दी मैं आपके बारे में ऐसा सोचु इससे पहले मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन आपकी तरफ ऐसे नही देख सकता हु ।
यह सच भी था कि मैं कविता दी के सामने कभी भी गलत नही सोच सका चाहे वह किसी भी हालत में रही हो।
मैं :दी अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो तो माफ कर दो लेकिन अब आपकी नाराजगी नही झेली जाती ।
इतना बोल कर मैं वँहा से चल पड़ा क्यूंकि अब मेरे आंखों से अंशु रुकने का नाम नही ले रहे थे और मैं नही चाहता था कि वह मेरी अंशुओ को देखे लेकिन शायद उनका प्यार मुझसे भी कई गुना ज्यादा था इसलिए वह जान गई और दौड़ कर मुझे पकड़ ली और अपनी तरफ घुमाते हुए मुझे 1 झापड़ मारी और फिर मुझे गले लगा लिया और बोली कि
कविता दी :आखिर में तू ऐसा क्यों करता है कि मुझे तुझपर गुस्सा आजाता है और यह क्या लड़कियों की तरह रोने लगा कोई देखेगा तो क्या कहेगा कि इतना पहलवान की तरह सरीर है और लड़कियों की तरह रोता है।
मैं :दी मैं जान बूझ कर नही रोया बस आज आपको इस तरह मिला और आपकी नाराजगी के बारे में सोच कर मुझे रोना आ गया नही तो मैं इतना कमजोर नही की कोई मुझे रुला सके।वह तो बस आपके प्यार के कारण मैं कमजोर पड़ जाता हूं।
कविता दी : तो वापस आ जा मेरे भाई देख आज भी मैं वही खड़ी हु तेरे इन्तजार में मुझसे भी अब तेरी यह जुदाई सही नही जाती है।
मैं :दी मैं अभी जाना चाहता हु लेट हो रहा है सहर में बहुत जरूरी काम है शाम को आपसे मिलूंगा।
कविता दी : नही रे आज तो मैं तुझे नही छोड़ने वाली कही फिर से तू भाग ना जाये।आज तो पूरा दिन मैं तेरे साथ ही रहूंगी।
मैं :ऐसा कैसे हो सकता है दी आज सहर जाना जरूरी है ।मैं घर पर नही रह सकता ।
कविता दी: अरे पागल मैंने यह कहा कि आज तझे अकेला नही छोडूंगी यह थोड़ी बोली कि तुझे घर पर रोक रही हु चल जल्दी से तैयार हो कर गाड़ी लेकर आजा घर पर मैं भी चलूंगी।
इसके बाद मैं और कविता दी दोनों एक साथ घर की तरफ चल दिये दीदी ने मेरा हाथ अपने हाथों में पकड़ रखा था मानो अगर उन्होंने छोड़ा तो मैं कही भाग ना जाऊ।पूरे रास्ते जितने लोग भी मिले सभी आश्चर्य से देख रहे थे क्यूंकि आज कविता दी इस तरह से मेरे साथ बहुत समय बाद चल रही थी ।सबसे ज्यादा तो बड़ी माँ को आश्चर्य हुआ और वह अपनी छोटी बेटी से बोलती है कि
बड़ी माँ :ज्योति क्या मैं जो देख रही वह सच है ।
ज्योती :हा माँ यकीन करना तो मुश्किल हो रहा है लेकिन जो आंखों से देख रहे है उसे झूठ कैसे बोल सकते है।
ब माँ :लेकिन यह चमत्कार हुआ कैसे आज इतने सालों बाद।
ज्योति :माँ वह तो पता नही लेकिन देखो दी आज कितना खुश लग रही है आज उनके चहेरे पर जो मुस्कान है वह झूठी नही बल्कि दिल से निकली हुई है।
ब माँ : चाहे कारण जो भी हो बस मेरी बेटी खुस है वही मेरे लिये बहुत है।
इधर हम दोनों भी उनके घर के पास आ गए थे तब मैं कविता दी से बोला कि
मैं :दी मैं 10 मिंट में आता हूं तबतक आप तैयार रहना ।मुझे जल्दी जाना है।
कविता दी : ठीक है तू जा और जल्दी से आ जा ।मैं यही पर रहूँगी।
ब माँ :लेकिन तुम दोनों कहा जा रहे हो इतनी जल्दी में।
मैं :माई मुझे बाजार जाना है और कविता दी को कुछ सामान लेने जाना है इसलिये वह भी मेरे साथ बाजार जा रही है।
इसके बाद मैं वंहा से घर की तरफ चल दिया और जब घर पहुचा तो सरिता दी और भाभी दोनों मुझे घूर कर देख रही थी लेकिन मुझे जल्दी थी इसलिए मैं तैयार होने रूम में चला गया और तैयार हो कर मैं भाभी से बोला कि
मैं : भाभी मुझे बाजार जाना है इसलिए थोड़ा पानी पीने को दे दो।
यह सुनकर भाभी पानी लाने चली गयी और सरिता दी कुछ देर देखते रही और फिर बोली कि
सरिता दी : क्या बात है आज कविता दी के हाथ मे हाथ डालकर घर आ रहे थे लगता है दोनों में सुलह हो गयी।
मैं : हा दी आप नही जानती आज मैं कितना खुस हु आज मुझे कविता दी ने माफ कर दिया है और उसकी वजह से मैं दुबारा जी उठा।
मैं इतना खुस था कि मेरी इस बात का उनपर क्या फर्क पड़ा मैने यह भी नही देखा और भाभी ने पानी दिया और मैं पी कर चला गया और मेरे जाने के बाद सरिता दी को इस तरह गंभीर देख कर भाभी बोली कि
जुही :क्या बात है सरिता जबसे तूने उन दोनों को एक साथ देखा है तबसे बड़ी चिंता में लग रही है।
सरिता :बात ही ऐसी हैं जिसकी वजह से बहुत लोग चिंता में पड़ जाएंगे।
जुही : खुल कर बोलो इस तरह मैं कुछ भी नही समझ पा रही हु।
सरिता :आप ने अभी तक कविता की दीवनगी जय के लिये नही देखी ।वह पूरी तरह से पागल है उसके लिए जय जब छोटा था तो वह मा को छोड़कर ओर किसी भी लड़की या औरत को उसके पास नही जाने देती थी और अगर फिर से वही सब चालू हो गया तो समझ लीजिए कि आपके हाथ से जय निकल जाएगा।
जुही : मैं ऐसा होने नही दूँगी ।मैं उसे अपने रूप के जाल में फ़ांस लुंगी।
सरिता :काश ऐसा हो जाए पर मुझे इसकी उम्मीद नही है ।अब तो जो कुछ भी है सब उसके हाथ मे है।
इधर मैं जब कविता दी को लेने के लिए घर गया तो मैं उनको देखते ही रह गया सफेद कलर के कपड़े में किसी परी से कम नही लग रही मैं तो बस आंखे फाडे उन्हें देखता ही रह गया

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उनको देखने मे मैं इतना खो गया कि कब वह मेरे पास आगयी मुझे पता भी नही चला ।मुझे होश तो तब आया जब ज्योति ने मुझे हिलाई और बोली कि
ज्योति : अब क्या मेरी दी को नजर लगा कर ही मानेगा क्या ।गाड़ी सही से चलाना कहि लड़ मत जाना।
इस पर कविता दी भड़कती हुई बोली कि
कविता दी : छोटी तू जा यंहा से कितना सताएगी बेचारे को।
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Desi Man

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प्रीति :इसका मतलब तू बहुत दिनों से उसका लण्ड ले रही है और हमे आज बता रही है।
चम्पा : माफी दे दो मालकिन क्या करूँ डरती थी।
अमृता :ठीक है एक बार उसे हमसे मिला दे बाकी हम देख लेंगे।
चम्पा : मालकिन आज भोला गया था उसके बाप के पास पैसे के लिए कल हो सके तो वह खुद आ जाये।
अब आगे
इधर मैं बापू से बात करने के बाद मैं घर की तरफ चल दिया क्यूंकि मुझे जल्दी से बैंक जल्दी से पैसे निकाल कर लाना था लेकिन रास्ते में बड़े पापा की बड़ी लड़की कविता मिल गयी जो कि खेत से बड़े पापा को खाना देकर वापस आ रही थी ।हम दोनों लोग का खेत एकदम एक साथ है तो वही से मिल गयी ।वह मुझसे 3 शाल बड़ी थी और मुझे आते हुए देख कर रुक गयी ।जब मैं उनके पास पहुंचा तो उन्होंने मुझसे बोला कि
कविता दी : क्या बात है जय आज बहुत जल्दी घर वापस जा रहे हो कुछ काम है क्या।
पूरे घर मे एक यही थी जिनको देखकर ही मेरी गांड फट जाती थी क्यूंकि इनको गुस्सा बहुत जल्दी आता है मैंने धीरे से बोला कि
मैं :नही दीदी आज थोड़ा सहर जाना है बैंक में कुछ काम है इसलिये जा रहा हु और कोई बात नही है ।
कविता दी : ओह तो यह बात मैं समझी की आज फिर कही गटर में मुह मारने जा रहा है ।
मैं दी कि बात समझ गया क्यूंकि वह पहले मुझसे काफी प्यार से बात करती थी लेकिन जबसे मैं गांव के लड़कियों और औरतों के चक्कर मे पड़ा तबसे ही यह मुझसे खफा रहने लगी ।ऐसी बात नही थी इन्होंने समझाया नही लेकिन कहते है ना जब जवान होते लड़के को चुत मिल जाये तो वह किसी की भी नही सुनता और वही मेरे साथ हुआ ।मैंने भी इनकी बातों को नजरअंदाज करके आगे बढ़ता गया और नतीजा यह हुआ कि जो दीदी मुझे दुनिया भर का प्यार करती थी ।आज वह मुझसे सीधे मुह बात नही करती थी ।
अभी मैं इन्ही सब सोचो में गुम था कि कविता दी मुझे हिलाती हुई बोली कि
कविता दी : क्या बात कंहा खो गया ।दिन में जागे हुए ही सपना देखने लगा क्या
मैं : नही दी ऐसी बात नही है मैं किसी और के बारे में नही बल्कि आपके बारे में सोच रहा था।
कविता : क्यों गांव में कमी पड़ गयी क्या जो अब बहनों को भी नही छोड़ेगा।( अरे पागल जब मैं प्यार के बारे में जानती भी नही थी तबसे तुझसे प्यार करती हूं तू छोटा था तो चाची को छोड़ कर किसी भी लड़की या औरत को तुझे छूने तक नही देती थी चाहे वह तेरी सगी बहन ही क्यों ना हो अगर तू आज भी सब छोड़ दे मैं तुझे दुनिया की हर खुसी दूँगी।)
मैं :नही दी मैं आपके बारे में ऐसा सोचु इससे पहले मैं अपनी जान दे दूंगा लेकिन आपकी तरफ ऐसे नही देख सकता हु ।
यह सच भी था कि मैं कविता दी के सामने कभी भी गलत नही सोच सका चाहे वह किसी भी हालत में रही हो।
मैं :दी अगर मुझसे कोई गलती हो गयी हो तो माफ कर दो लेकिन अब आपकी नाराजगी नही झेली जाती ।
इतना बोल कर मैं वँहा से चल पड़ा क्यूंकि अब मेरे आंखों से अंशु रुकने का नाम नही ले रहे थे और मैं नही चाहता था कि वह मेरी अंशुओ को देखे लेकिन शायद उनका प्यार मुझसे भी कई गुना ज्यादा था इसलिए वह जान गई और दौड़ कर मुझे पकड़ ली और अपनी तरफ घुमाते हुए मुझे 1 झापड़ मारी और फिर मुझे गले लगा लिया और बोली कि
कविता दी :आखिर में तू ऐसा क्यों करता है कि मुझे तुझपर गुस्सा आजाता है और यह क्या लड़कियों की तरह रोने लगा कोई देखेगा तो क्या कहेगा कि इतना पहलवान की तरह सरीर है और लड़कियों की तरह रोता है।
मैं :दी मैं जान बूझ कर नही रोया बस आज आपको इस तरह मिला और आपकी नाराजगी के बारे में सोच कर मुझे रोना आ गया नही तो मैं इतना कमजोर नही की कोई मुझे रुला सके।वह तो बस आपके प्यार के कारण मैं कमजोर पड़ जाता हूं।
कविता दी : तो वापस आ जा मेरे भाई देख आज भी मैं वही खड़ी हु तेरे इन्तजार में मुझसे भी अब तेरी यह जुदाई सही नही जाती है।
मैं :दी मैं अभी जाना चाहता हु लेट हो रहा है सहर में बहुत जरूरी काम है शाम को आपसे मिलूंगा।
कविता दी : नही रे आज तो मैं तुझे नही छोड़ने वाली कही फिर से तू भाग ना जाये।आज तो पूरा दिन मैं तेरे साथ ही रहूंगी।
मैं :ऐसा कैसे हो सकता है दी आज सहर जाना जरूरी है ।मैं घर पर नही रह सकता ।
कविता दी: अरे पागल मैंने यह कहा कि आज तझे अकेला नही छोडूंगी यह थोड़ी बोली कि तुझे घर पर रोक रही हु चल जल्दी से तैयार हो कर गाड़ी लेकर आजा घर पर मैं भी चलूंगी।
इसके बाद मैं और कविता दी दोनों एक साथ घर की तरफ चल दिये दीदी ने मेरा हाथ अपने हाथों में पकड़ रखा था मानो अगर उन्होंने छोड़ा तो मैं कही भाग ना जाऊ।पूरे रास्ते जितने लोग भी मिले सभी आश्चर्य से देख रहे थे क्यूंकि आज कविता दी इस तरह से मेरे साथ बहुत समय बाद चल रही थी ।सबसे ज्यादा तो बड़ी माँ को आश्चर्य हुआ और वह अपनी छोटी बेटी से बोलती है कि
बड़ी माँ :ज्योति क्या मैं जो देख रही वह सच है ।
ज्योती :हा माँ यकीन करना तो मुश्किल हो रहा है लेकिन जो आंखों से देख रहे है उसे झूठ कैसे बोल सकते है।
ब माँ :लेकिन यह चमत्कार हुआ कैसे आज इतने सालों बाद।
ज्योति :माँ वह तो पता नही लेकिन देखो दी आज कितना खुश लग रही है आज उनके चहेरे पर जो मुस्कान है वह झूठी नही बल्कि दिल से निकली हुई है।
ब माँ : चाहे कारण जो भी हो बस मेरी बेटी खुस है वही मेरे लिये बहुत है।
इधर हम दोनों भी उनके घर के पास आ गए थे तब मैं कविता दी से बोला कि
मैं :दी मैं 10 मिंट में आता हूं तबतक आप तैयार रहना ।मुझे जल्दी जाना है।
कविता दी : ठीक है तू जा और जल्दी से आ जा ।मैं यही पर रहूँगी।
ब माँ :लेकिन तुम दोनों कहा जा रहे हो इतनी जल्दी में।
मैं :माई मुझे बाजार जाना है और कविता दी को कुछ सामान लेने जाना है इसलिये वह भी मेरे साथ बाजार जा रही है।
इसके बाद मैं वंहा से घर की तरफ चल दिया और जब घर पहुचा तो सरिता दी और भाभी दोनों मुझे घूर कर देख रही थी लेकिन मुझे जल्दी थी इसलिए मैं तैयार होने रूम में चला गया और तैयार हो कर मैं भाभी से बोला कि
मैं : भाभी मुझे बाजार जाना है इसलिए थोड़ा पानी पीने को दे दो।
यह सुनकर भाभी पानी लाने चली गयी और सरिता दी कुछ देर देखते रही और फिर बोली कि
सरिता दी : क्या बात है आज कविता दी के हाथ मे हाथ डालकर घर आ रहे थे लगता है दोनों में सुलह हो गयी।
मैं : हा दी आप नही जानती आज मैं कितना खुस हु आज मुझे कविता दी ने माफ कर दिया है और उसकी वजह से मैं दुबारा जी उठा।
मैं इतना खुस था कि मेरी इस बात का उनपर क्या फर्क पड़ा मैने यह भी नही देखा और भाभी ने पानी दिया और मैं पी कर चला गया और मेरे जाने के बाद सरिता दी को इस तरह गंभीर देख कर भाभी बोली कि
जुही :क्या बात है सरिता जबसे तूने उन दोनों को एक साथ देखा है तबसे बड़ी चिंता में लग रही है।
सरिता :बात ही ऐसी हैं जिसकी वजह से बहुत लोग चिंता में पड़ जाएंगे।
जुही : खुल कर बोलो इस तरह मैं कुछ भी नही समझ पा रही हु।
सरिता :आप ने अभी तक कविता की दीवनगी जय के लिये नही देखी ।वह पूरी तरह से पागल है उसके लिए जय जब छोटा था तो वह मा को छोड़कर ओर किसी भी लड़की या औरत को उसके पास नही जाने देती थी और अगर फिर से वही सब चालू हो गया तो समझ लीजिए कि आपके हाथ से जय निकल जाएगा।
जुही : मैं ऐसा होने नही दूँगी ।मैं उसे अपने रूप के जाल में फ़ांस लुंगी।
सरिता :काश ऐसा हो जाए पर मुझे इसकी उम्मीद नही है ।अब तो जो कुछ भी है सब उसके हाथ मे है।
इधर मैं जब कविता दी को लेने के लिए घर गया तो मैं उनको देखते ही रह गया सफेद कलर के कपड़े में किसी परी से कम नही लग रही मैं तो बस आंखे फाडे उन्हें देखता ही रह गया

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उनको देखने मे मैं इतना खो गया कि कब वह मेरे पास आगयी मुझे पता भी नही चला ।मुझे होश तो तब आया जब ज्योति ने मुझे हिलाई और बोली कि
ज्योति : अब क्या मेरी दी को नजर लगा कर ही मानेगा क्या ।गाड़ी सही से चलाना कहि लड़ मत जाना।
इस पर कविता दी भड़कती हुई बोली कि
कविता दी : छोटी तू जा यंहा से कितना सताएगी बेचारे को।
Nice update
 

jonny khan

Nawab hai hum .... Mumbaikar
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very nyc updates dear ..!!!!
 
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